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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.

1.

बालक भरत के माता-पिता कौन थे?

Answer»

बालक ‘भरत’ के माता-पिता शकुंतला और दुष्यंत थे।

2.

बालक भरत की निर्भीकता का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

Answer»

बालक भरत जन्म से ही बड़ा निर्भय था। सिंहों के शावक उसके सहचर थे। सिंह शावक का मुंह खोलकर उसके दांत गिनने में वह जरा भी सहमता नहीं था। उसके दांतों की कुटिलता और सख्ती देखने में उसे आनंद आता था। इस बहादुर बालक की धृष्टता को देखकर गुस्से से भरी हुई सिंहनी दहाड़ती तो भरत उसे भी डॉटता और मारने की धमकी देकर वहाँ से भाग जाने के लिए कहता। इस प्रकार बालक भरत में आश्चर्यजनक निर्भीकता थी।

3.

शकुन्तला अपने पति से क्यों बिछुड़ गई थी?

Answer»

शकुंतला और दुष्यंत का गांधर्व विवाह हुआ था। इसके बाद दुष्यंत शकुंतला को वहीं छोड़कर अपनी राजधानी चला गया था। इस तरह दुर्भाग्य से शकुंतला अपने पति से बिछुड़ गई थी।

4.

भारत का प्रथम साम्राज्य किसने स्थापित किया?

Answer»

भारत का प्रथम साम्राज्य महाराज दुष्यंत के वीर पुत्र ‘भरत’ ने स्थापित किया था।

5.

बालक का लालन-पालन कहाँ हुआ?

Answer»

बालक ‘भरत’ का लालन-पालन कश्यप ऋषि के आश्रम में हुआ था।

6.

बालक भरत का सहचर कौन था?(क) शिशुसिंह(ख) शेर(ग) हाथी(घ) बंदर

Answer»

सही विकल्प है (क) शिशुसिंह

7.

बालक किसके आश्रम में पढ़ रहा था?(क) द्रोणाचार्य के(ख) कश्यप के(ग) गौतम के(घ) दुर्वासा के

Answer»

सही विकल्प है (ख) कश्यप के

8.

सिंहनी क्यों गर्जने लगी?

Answer»

बालक भरत सिंहनी के बच्चे को अपनी गोद में लेकर उसका मुंह खोल-खोलकर उसके दाँत गिन रहा था और देख रहा था कि ये कितने कुटिल और कठोर हैं। यह देखकर सिंहनी को गुस्सा आ गया और वह गरजने लगी।

9.

भरत के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए।

Answer»

भरत शकुंतला और दुष्यंत के पुत्र थे। कण्व ऋषि के आश्रम में शकुंतला और दुष्यंत का गांधर्व विवाह हुआ था। बाद में दुष्यंत शकुंतला को वहीं छोड़कर अपनी राजधानी वापस चले गए। कण्व ऋषि के आश्रम में पाजता श्री टोन मे नालन ‘भान’ का नाम रचा। इसके बाद शकुंतला बालक ‘भरत’ को लेकर दुष्यंत के पास गई। लेकिन दुष्यंत ने उसे नहीं पहचाना। तभी आकाशवाणी हुई – ‘शकुंतला तुम्हारी पत्नी है। भरत तुम्हारा पुत्र है। उन्हें स्वीकार करो।’ आकाशवाणी के आदेश के अनुसार दुष्यंत ने उन दोनों को स्वीकार किया और भरत का यौवराज्यभिषेक किया। उस समय दष्यंत की राजधानी प्रतिष्ठान अर्थात प्रयाग में थी।

10.

कविता का सरल अर्थ :अहा खेलता कौन. ………. कुटिल कठोर है।

Answer»

अहा! यहाँ सिंह के बच्चे के साथ खेल रहा यह बालक कौन है? यह आर्य समूह के सुंदर और सुखी भाग्य-सा प्रतीत होता है। यह बालक उस सिंह के बच्चे को अपनी गोद में लेकर कह रहा है, हे सिंह के बच्चे, तू अपना मुंह खोल। मैं तुम्हारे मुंह में देखकर तुम्हारे दांतों को गिन लूंगा। जरा देखू तो तुम्हारे दाँत कितने कुटिल और सख्त है।

11.

कविता का सरल अर्थ :जंगल के शिशु …….. ‘भरत’ शुभ नाम है।

Answer»

जंगल के सिंहों के सभी बच्चे इस बालक के साथी रहे। यह महान वीर बालक यहाँ निडर होकर घूमता रहा। इस वीर बालक ने अपने भुजबल से सबसे पहले ‘भारत’ के साम्राज्य की स्थापना की। यह महाराज दुष्यंत का वही वीर बालक है, जो हमारे देश भारत के माथे का मुकुट है और उसका नाम ‘भरत’ है।

12.

कविता का सरल अर्थ :अहा, कौन यह …….. वरभूमि की।

Answer»

कवि लोगों से पूछते हैं कि हे भारतवासियों, बताओ यह निर्भीक बहादुर बालक कौन है? कवि स्वयं जवाब देते हैं – तुम सब जानते हो, यह बालक वहीं ‘भरत’ है, जिसके नाम पर इस उत्तम देश का नाम ‘भारत’ पड़ा।

13.

भारतरत्न : भरत’ कविता का भावार्थ लिखिए।

Answer»

भरत शकुंतला से उत्पन्न राजा दुष्यंत के पुत्र थे। बालक भरत में बचपन से ही निर्भयता कूट-कूटकर भरी थी। सिंहों के शावक उसके सहचर (साथी) थे। वह कश्यप ऋषि के आश्रम में पलकर बड़ा हुआ। वहीं के विद्यापीठ में उसे शिक्षा मिली। इस वीर बालक ने अपने भुजबल से सबसे पहले भारत में अपने साम्राज्य की स्थापना की। इसी के नाम से हमारे देश का नाम ‘भारत’ पड़ा।

14.

कविता का सरल अर्थ :कश्यप के गुरुकुल ……… दुर्दैववश।

Answer»

यह बालक कश्यप ऋषि के विद्यापीठ में शिक्षा पा रहा है। यह इसी आश्रम में पलकर और वन में घूमकर अपनी मां को खुशियाँ प्रदान करता रहा है। वह माँ, जो दुर्भाग्यवश अपने पति से बिछुड़ गई थी।

15.

बालक भरत के सहचर कौन थे?

Answer»

बालक भरत के सहचर जंगल के सभी शिशु सिंह थे।

16.

बालक भरत का लालन-पालन कैसे हुआ?

Answer»

बालक भरत शकुंतला का पुत्र था। उसकी माँ दुर्भाग्यवश अपने पति से बिछुड़ गई थी। इसलिए उसका पालन कश्यप ऋषि के आश्रम में ही हुआ। जंगल के सिंहों के सभी बच्चे चालक भरत के साथी रहे। वह निडर होकर वन में घूमता था। उसकी मां भी उसी आश्रम में रहती थी। इस प्रकार भरत का लालन-पालन कश्यप ऋषि की छत्र-छाया में वन के वातावरण में हुआ।

17.

कविता का सरल अर्थ :देख वीर बालक …………. जा अरी भाग जा।

Answer»

इस बहादुर बालक की धृष्टता को देखकर गुस्से से भरी हुई सिंहनी दहाड़ने लगी। यह देखकर बालक भरत ने गुस्से से कहा, “यदि तू मेरे इस खेल में खलल डालेगी, तो तू कभी मार खाएगी। फिर मैं तुम्हारे इस बच्चे को तुम्हें दूंगा नहीं।” बालक ने उसे डांटते हुए कहा कि जा, भाग जा जल्दी से यहाँ से।

18.

शिशु सिंह के साथ कौन खेल रहा था?(क) बालक भरत(ख) बालक राम(ग) बालक कृष्ण(घ) बालक गणेश

Answer»

सही विकल्प है (क) बालक भरत

19.

बालक भरत सिंह शिशु से क्या कहता है? सिंहनी के प्रति भी उसका व्यवहार कैसा होता है?

Answer»

बालक भरत सिंह के बच्चे को अपनी गोद में लेता और मुंह खोलने के लिए कहता। वह उससे कहता है कि मैं तेरे दाँत गिनूंगा और देखेगा कि वे कितने कुटिल और कठोर हैं। अपने बच्चे के प्रति बालक भरत की यह धृष्टता देखकर सिंहनी क्रोधित होकर दहाड़ती है। तब बालक उससे कहता यदि तू मेरे खेल में दखल देगी तो तू भी मार खाएगी और मैं तुझे यह बच्चा नहीं दूंगा। इस प्रकार बालक भरत सिंह शिशु और उसकी माँ के साथ बड़ा निडर व्यवहार करता था।

20.

निम्नलिखित अशुद्ध वाक्यों को शुद्ध करके फिर से लिखिए :भरत अत्यंत निरभय बालक था।भरत को सिंह शिशु का दाँत गिनना था।सिंहनी क्रोध से गरजने लगा।पहले गुरुकूल में शीक्षा दी जाती थी।भरत की माता पती से बिछुड़ गई थी।सिंह शीशू भरत का साहचर था।

Answer»
  1. भरत अत्यंत निर्भय बालक था।
  2. भरत को सिंह शिशु के दाँत गिनने थे।
  3. सिंहनी क्रोध से गरजने लगी।
  4. पहले गुरुकुल में शिक्षा दी जाती थी।
  5. भरत की माता पति से बिछुड़ गई थी।
  6. सिंह शिशु भरत का सहचर था।
21.

बालक ने क्रोधित सिंहनी से क्या कहा?

Answer»

जब सिंहनी क्रोध में आकर गरजने लगी, तो बालक ‘भरत’ ने छड़ी तानकर उससे कहा कि यदि मेरे खेल में तुम अड़चन डालोगी, तो कभी मार खा जाओगी और मैं तुम्हारे बच्चे को तुम्हें नहीं दूंगा। तू यहाँ से चली जा, भाग जा यहाँ से।

22.

शिशु सिंह के साथ बालक क्या कर रहा था?

Answer»

शिशु सिंह के साथ बालक ‘भरत’ खेल रहा था।

23.

शिशु सिंह को गोद में लेकर बालक ने क्या कहा?

Answer»

शिशु सिंह को गोद में लेकर बालक भरत ने उससे कहा, “सिंह बालक अपना मुंह खोलो, मैं तुम्हारे दांतों को देखकर गिन लूंगा। देखू तो भला, ये कितने कुटिल और सख्त हैं।”