InterviewSolution
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शिक्षा की डाल्टन प्रणाली के प्रतिपादक का नाम क्या है ? |
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Answer» शिक्षा की डाल्टन प्रणाली के प्रतिपादक का नाम है–मिस हैलन पार्कहर्ट। |
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शिक्षा की डाल्टन प्रणाली में शिक्षक का क्या स्थान है ? |
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Answer» शिक्षा की डाल्टन प्रणाली अपने आप में एक विशिष्ट शिक्षा-प्रणाली है। इस शिक्षा-प्रणाली में बालक या छात्र का स्थान मुख्य है तथा उसी के बहुपक्षीय विकास को शिक्षा का मुख्य उद्देश्य स्वीकार किया गया है। इस सैद्धान्तिक मान्यता को ध्यान में रखते हुए नि:सन्देह रूप से कहा जा सकता है कि इस प्रणाली में शिक्षक का स्थान गौण ही है। डाल्टन प्रणाली में शिक्षक केवल पथ-प्रदर्शक की ही भूमिका निभाता है। इस शिक्षा प्रणाली में कक्षा-शिक्षण का कोई प्रावधान नहीं है। अतः शिक्षक के व्यक्तित्व को बच्चों पर प्रभाव भी पड़ने की कोई गुंजाइश नहीं होती। डाल्टन प्रणाली में शिक्षक द्वारा किसी रूप में नियन्त्रक की भूमिका नहीं निभाई जाती, वह तो बालकों का मित्र एवं सहायक ही होता है। |
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डाल्टन शिक्षा-प्रणाली को अन्य किस नाम से जाना जाता है ? |
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Answer» डाल्टन शिक्षा-प्रणाली को प्रयोगशाला प्रणाली के नाम से भी जाना जाता है। |
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समुचित तर्क के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि शिक्षा की डाल्टन प्रणाली शिक्षा की अन्य प्रचलित शिक्षा-प्रणालियों से भिन्न है। |
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Answer» डाल्टन प्रणाली की विशिष्टता मिस हैलन पार्कहर्ट द्वारा प्रतिपादित डाल्टन शिक्षा-प्रणाली शिक्षा की अन्य प्रचलित प्रणालियों से पर्याप्त भिन्न है। यह शिक्षा प्रणाली सैद्धान्तिक तथा व्यावहारिक दोनों ही दृष्टिकोणों से एक प्रयोगात्मक प्रणाली है। डाल्टन शिक्षा-प्रणाली के अन्तर्गत शिक्षण कार्य सदैव सम्बन्धित विषय की सुव्यवस्थित प्रयोगशाला में ही सम्पन्न होता है। इस शिक्षा-प्रणाली की आधारभूत मान्यता के अनुसार बच्चों द्वारा स्वयं कार्य करके ज्ञान अर्जित किया जाता है। किसी भी विषय का ज्ञान शिक्षक द्वारा कक्षा-शिक्षण विधि द्वारा प्रदान नहीं किया जाता। शिक्षक ही सामान्य रूप से बच्चों के लिए मात्र पथ-प्रदर्शक ही होता है। बच्चों को कुछ कार्य सौंपे जाते हैं तथा सौंपे गए कार्य को पूरा करने का दायित्व बच्चों का ही होता है। जैसे-जैसे बच्चे अपना कार्य पूरा कर लेते हैं, वैसे-वैसे ही उन्हें आगे का कार्य सौंप दिया जाता है। बच्चा अपनी योग्यता एवं क्षमता के अनुसार दिए गए कार्य को निर्धारित समय से पूर्व भी पूरा कर सकता है। डाल्टन प्रणाली के अन्तर्गत किसी व्यवस्थित परीक्षा-पद्धति का प्रावधान नहीं है। बच्चों को उनके द्वारा पूरे किए गए कार्य को ध्यान में रखते हुए ही अगली कक्षा में भेज दिया जाता है। इस शिक्षा प्रणाली में अनुशासन की समस्या भी प्रायः नहीं होती तथा शिक्षक एवं शिष्य के सम्बन्ध भी मधुर होते हैं। इन समस्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए हम कह सकते हैं। कि डाल्टन प्रणाली अन्य शिक्षा-प्रणालियों से भिन्न एवं विशिष्ट है। |
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मिस हैलन पार्कहर्स्ट द्वारा प्रतिपादित शिक्षा-प्रणाली को ‘डाल्टन शिक्षा-प्रणाली’ का नाम क्यों दिया गया है ? |
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Answer» मिस हैलन पार्कहर्ट ने अपनी शैक्षिक अवधारणा के आधार पर प्रथम विद्यालय अमेरिका के डाल्टन नगर में स्थापित किया था। इसी कारण से इस शिक्षा प्रणाली को डाल्टन शिक्षा प्रणाली’ नाम दिया गया है। |
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शिक्षा की डाल्टन प्रणाली में शिक्षक की भूमिका क्या है ? |
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Answer» डाल्टन शिक्षा प्रणाली में शिक्षक द्वारा बालकों के मित्र, सहायक तथा पथ-प्रदर्शक की भूमिका निभाई जाती है। |
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डाल्टन शिक्षा-प्रणाली के अन्तर्गत अध्ययन के किस स्वरूप को अपनाया गया है ? |
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Answer» डाल्टन शिक्षा प्रणाली के अन्तर्गत अध्ययन के प्रयोगात्मक स्वरूप को अपनाया गया है। |
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कार्य का ठेका और निर्दिष्ट कार्य किस शिक्षा-प्रणाली के सिद्धान्त हैं ? |
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Answer» डाल्टन शिक्षा प्रणाली के। |
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डाल्टन शिक्षा-प्रणाली के अन्तर्गत किस आयु-वर्ग के बच्चों को विद्यालय में प्रवेश दिया जाता है ? |
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Answer» डाल्टन शिक्षा-प्रणाली के अन्तर्गत सामान्य रूप से 11-12 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों को विद्यालय में प्रवेश दिया जाता है। |
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डाल्टन शिक्षा प्रणाली के अन्तर्गत कार्य इकाई से क्या आशय है ? |
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Answer» डाल्टन शिक्षा प्रणाली के अन्तर्गत बालक द्वारा एक दिन में समाप्त किए जाने वाले कार्य को ‘कार्य इकाई’ कहते हैं। |
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शिक्षा की डाल्टन प्रणाली के मुख्य उद्देश्य का उल्लेख कीजिए। |
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Answer» शिक्षा की डाल्टन प्रणाली का प्रतिपादन कुछ विशेष उद्देश्यों को ध्यान में रख कर किया गया है। वास्तव में इस शिक्षा-प्रणाली का प्रतिपादन पूर्व प्रचलित शिक्षा के दोषों को समाप्त करने के लिए किया गया था। इस शिक्षा प्रणाली का उद्देश्य शिक्षा को अधिक व्यावहारिक तथा जीवन से सम्बद्ध बनाना था। इस शिक्षा-प्रणाली का उद्देश्य एक नए शैक्षिक समाज का निर्माण करना था। डाल्टन प्रणाली के उद्देश्य को पार्कहर्ट ने इन शब्दों में स्पष्ट किया है, “इस योजना का उद्देश्य बालकों को साधारण कक्षा में मिलने वाली जीवन की परिस्थितियों से बिल्कुल भिन्न परिस्थितियों में रखकर एक नए प्रकार के शैक्षिक समाज को जन्म देना तथा विद्यालय के सामाजिक जीवन का पुनसँगठन करना था। |
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डाल्टन पद्धति के मुख्य दोषों का सामान्य विवरण प्रस्तुत कीजिए। |
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Answer» डाल्टन पद्धति के दोष। इस पद्धति के प्रमुख दोष निम्न प्रकार हैं |
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शिक्षा की डाल्टन पद्धति के गुणों अथवा विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।याडाल्टन प्रणाली की मुख्य विशेषताएँ बताइए। |
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Answer» डाल्टन:पद्धति के गुण या विशेषताएँ डाल्टन पद्धति में कुछ विशिष्ट गुण पाए जाते हैं, जिनका विवेचन निम्नलिखित है |
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डाल्टन शिक्षा-प्रणाली के चार मुख्य सिद्धान्त बताइए। |
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Answer» डाल्टन शिक्षा-प्रणाली के मुख्य सिद्धान्त हैं- ⦁ बाल-केन्द्रित शिक्षा का सिद्धान्त, ⦁ स्व-शिक्षा का सिद्धान्त, ⦁ पूर्ण स्वतन्त्रता का सिद्धान्त तथा ⦁ व्यक्तिगत शिक्षा का सिद्धान्त। |
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शिक्षा की डाल्टन पद्धति की शिक्षण-विधि का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए। |
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Answer» डाल्टन पद्धति की शिक्षण विधि डाल्टन पद्धति की शिक्षण विधि को निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत समझा जा सकता है ⦁ दूसरा रेखाचित्र शिक्षक के पास रहता है, जिसमें विषय विशेषज्ञ बालक की अपने विषय में की गई प्रगति को अंकित करता है। इससे शिक्षक और विद्यार्थी दोनों को पता रहता है कि उनके कार्य की क्या स्थिति ⦁ तीसरा रेखाचित्र सम्पूर्ण कक्षा का होता है। इसमें कक्षा के प्रत्येक विद्यार्थी सम्पूर्ण विषयों में कितना कार्य करते हैं, उसे अंकित कर दिया जाता है। इस आधार पर यह ज्ञात किया जा सकता है कि किस विद्यार्थी का कार्य कैसा है। यह ग्राफ मार्गदर्शन के कार्य में शिक्षक की बड़ी सहायता करता है। इसके द्वारा विद्यार्थियों के कार्य की तुलना की जा सकती है। जिस विषय में बालक कमजोर होता है, उस विषय का शिक्षक बालक पर विशेष ध्यान देता है और उसे आगे बढ़ाने की चेष्टा करता है। |
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शिक्षा की डाल्टन पद्धति का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा इसके मुख्य सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।याडाल्टन शिक्षण पद्धति के क्या सिद्धान्त हैं ? |
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Answer» हाल्टन पद्धति का अर्थ शिक्षा की आधुनिक पद्धतियों में डाल्टन पद्धति का महत्त्वपूर्ण स्थान है। शिक्षा की इस नयी पद्धति को अमेरिका की मिस हैलन पार्कहर्ट ने जन्म दिया है। इस पद्धति का सर्वप्रथम प्रयोग अमेरिका के डाल्टन नगर में हुआ था, इसलिए इस पद्धति को डाल्टन पद्धति के नाम से जाना जाता है। इस पद्धति का पहला विद्यालय सन् 1920 में स्थापित हुआ। मिस पार्कहर्स्ट को डॉ० मॉण्टेसरी के साथ कुछ समय तक कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ था, जिसके कारण विचारों में कुछ समानता होने के कारण मॉण्टेसरी और डाल्टन पद्धति में भी कुछ समानता पाई जाती है। मॉण्टेसरी पद्धति के समान ही डाल्टन पद्धति भी बच्चों में पाई जाने वाली व्यक्तिगत विभिन्नता पर विशेष बल देती है। 11 और 12 वर्ष की आयु के बालकों के लिए डाल्टन पद्धति बड़ी उपयोगी और सफल मानी जाती है। इस पद्धति को ‘प्रयोगशाला पद्धति” भी कहा जाता है। इस पद्धति के द्वारा शिक्षा देने वाले विद्यालयों में प्रत्येक विषय की प्रयोगशालाएँ होती हैं। इनमें अनेक विषयों के अध्यापक रहते हैं और बालकों के ऊपर समय का कोई बन्धन नहीं होता। बालकों की रुचि और इच्छाओं को ध्यान में रखकर बालकों को एक सप्ताह या एक महीने का कार्य करने को दिया जाता है। जब बालक अपना काम पूरा कर लेता है तो उसे आगे काम मिल जाता है। इस प्रकार इस पद्धति में कला-शिक्षण और व्यक्तिगत शिक्षण का प्रबन्ध होता है। और बालक की स्वतन्त्रता का भी ध्यान रखा जाता है। इस प्रकार “डाल्टन का तात्पर्य उस पद्धति से है जिसमें बालकों को उनकी रुचियों और इच्छाओं के अनुकूल कार्यों को, सुविधायुक्त प्रयोगशालाओं में दिए गए समय में पूरा करते हुए, अपने व्यक्तित्व का उत्तरदायित्वपूर्ण समुचित विकास करने का अवसर प्राप्त होता है।” डाल्टन पद्धति की कुछ प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं ⦁ मिस हैलन पार्कहर्ट के अनुसार, “डाल्टन पद्धति एक यान्त्रिक व्यवस्था है जिसमें कि वैयक्तिक कार्य के सिद्धान्त को व्यवहार में लाया जाता है। यह शिक्षालयों का सरल एवं आर्थिक पुनसँगठन है, जहाँ शिक्षक एवं शिक्षार्थी को अधिक उपयोगी एवं समय से कार्य करने के लिए अवसर प्राप्त होते हैं।” डाल्टन पद्धति के उद्देश्य मिस हैलन पार्कहर्ट ने डाल्टन पद्धति के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए लिखा है, “इस योजना का उद्देश्य बालकों को साधारण कक्षा में मिलने वाली जीवन की परिस्थितियों से बिल्कुल भिन्न परिस्थितियों में रखकर एक नए प्रकार के शैक्षिक समाज को जन्म देना तथा विद्यालय के सामाजिक जीवन का पुनर्सगठन करना डाल्टन पद्धति के सिद्धान्त डाल्टन पद्धति के प्रमुख सिद्धान्त निम्नलिखित हैं– |
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