This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
| 10901. |
प्यार के अभाव में जगत कैसा है? |
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Answer» प्यार के अभाव में जगत जलते हुए रेगिस्तान जैसा है। |
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| 10902. |
यह कविता हमें क्या संदेश देती है? |
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Answer» यह कविता विश्व के लोगों को सभी तरह के भेदभाव भूलकर मेलमिलाप से रहने की सीख देती है। इस प्रकार यह हमें विश्वबंधुत्व का संदेश देती है। |
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| 10903. |
क्लीवाइट खनिज में कौन-सी अक्रिय गैस पाई जाती है? इस गैस का एक उपयोग लिखिए। |
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Answer» क्लीवाइट खनिज में हीलियम गैस पाई जाती है। यह गैस वायुयान के टायरों में भरी जाती है। |
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| 10904. |
कविता के अनुसार अब तक किन चीजों का बँटवारा हो चुका है? |
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Answer» कविता के अनुसार अब तक मंदिर, मस्जिद और गिरजाघर आदि के रूप में भगवान का बँटवारा हो चुका है। इसी तरह भिन्न-भिन्न देशों के रूप में धरती और सागर भी बाँट लिए गए हैं। |
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| 10905. |
आपने ताँबे के मलीन बर्तन को नींबू या इमली के रस से साफ करते अवश्य देखा होगा। यह खट्टे पदार्थ बर्तन को साफ करने में क्यों प्रभावी हैं? |
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Answer» नींबू या इमली जैसे पदार्थ में अम्ल होता है यह अम्ल तांबे के अशुद्ध पदार्थ को साफ़ करने में प्रभावी होता है इससे तांबे के बर्तनों कि चमक बनी रहती है | |
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| 10906. |
उन दो धातुओं का नाम लिखिए जिनका गलनांक इतना कम होता है कि हाथ पर रखते ही वे पिघल जाती है। |
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Answer» गैलियम तथा सीजीयम । |
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| 10907. |
गर्म जल का टैंक बनाने में ताँबे का उपयोग होता है परंतु इस्पात (लोहे की मिश्रातु) का नहीं। इसका कारण बताएइए। |
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Answer» कॉपर ऊष्मा का अच्छा सुचालक है और यह गर्म जल के साथ अभिक्रिया नहीं करता है इसके विपरीत आयरन गर्म जल के साथ आभिक्रिया करता है |
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| 10908. |
एक व्यक्ति प्रत्येक घर में सुनार बनकर जाता है। उसने पुराने एवं मलीन सोने के आभूषणों में पहले जैसी चमक पैदा करने का ढोंग रचाया। कोई संदेह किए बिना ही एक महिला अपने सोने के कंगन उसे देती है जिसे वह एक विशेष विलयन में डाल देता है। कंगन नए की तरह चमकने लगते हैं लेकिन उनका वजन अत्यंत कम हो जाता है। वह महिला बहुत दुखी होती है तथा तर्क- वितर्क के पश्चात उस व्यक्ति को झुकना पड़ता है। एक जासूस की तरह क्या आप उस विलयन की प्रकृति के बारे में बता सकते हैं। |
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Answer» उस व्यक्ति ने ” ऐक्वा रेजिया “ विलयन का प्रयोग कर महिला के सोने को गला दिया तथा वजन कम हो गया | इसमें 3:1 अनुपात में सांद्रता HCL और सांद्रता HNO3 होता है | |
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| 10909. |
निम्न अभिक्रियाओं के लिए संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए | (a) कैल्सियम हाइड्रो-ऑक्साइड + कार्बन डाइऑक्साइड → कैल्सियम कार्बोनेट + जल(b) जिंक + सिल्वर नाइट्रेट → जिंक नाइट्रेट + सिल्वर(c) एलुमिनियम + कॉपर क्लोराइड → एलुमिनियम क्लोराइड + कॉपर(d) बेरियम क्लोराइड + पोटैशियम सल्फेट → बेरियम सल्फेट + पोटैशियम क्लोराइड |
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Answer» (a) Ca(OH)2 (aq) + CO2(g) → CaCO3(s) + H2O(l) | (b) Zn(s) + 2AgNo(aq) → Zn(NO3)2 + 2Ag(s) | (c) 2Al(s) + 3CuCl2(aq) → 2AlCl3 + 3Cu(s) | (d) BaCl2(aq) + K2SO4 → BaSO4(s) + 2KCl(aq) |
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| 10910. |
निम्न रासायनिक समीकरण को संतुलित कीजिये:(a) HNO3 + Ca(OH)2 → Ca(NO3)2 + H2O(b) NaOH + H2SO4 → Na2SO4 + H2O(c) NaCl + AgNO3 → AgC2l + NaNO3(d) BaCl2 + H2SO4 → BaSO4 + HCl |
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Answer» संतुलित रासायनिक समीकरण :- (a) 2HNO3 (aq) + Ca(OH)2 (aq) → Ca(NO3)2 (aq) + 2H2O (l) (b) 2NaOH (aq) + H2SO4 (aq) → Na2SO4 (aq) + 2H2O(l) (c) NaCl (aq) + AgNO3 (aq) → AgCl (s) + NaNO3(aq) (d) BaCl2(aq) + H2SO4(aq) → BaSO4 (s) + 2HCl (aq) |
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| 10911. |
निम्न कथनों को रासायनिक समीकरण के रूप में लिखकर संतुलित कीजिये |(a) नाइट्रोजन हाइड्रोजन गैस से अभिक्रिया कर अमोनिया बनाता है |(b) हाइड्रोजन सल्फाइड गैस का वायु में दहन होने पर जल एवं सल्फर डाइऑक्साइड बनता है |(c) एलुमिनियम सल्फेट के साथ अभिक्रिया कर बेरियम क्लोराइड, एलुमिनियम क्लोराइड एवं बेरियम सल्फेट का अवक्षेप देता है |(d) पोटैशियम धातु जल के साथ अभिक्रिया करके पोटैशियम हाइड्रो-ऑक्साइड एवं हाइड्रोजन गैस देता है |
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Answer» (a) 3H2 + N2 →2NH3 (b) 2H2S + 3O2 → 2H2O + 3BaSO2 (c) 3BaCl2 + Al2(SO4)3 → 2AlCl3 + 3BaSO2 (d) 2K + 2H2O → 2KOH + H2 |
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| 10912. |
रासायनिक समीकरण को संतुलित क्यों किया जाता है ? |
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Answer» द्रव्यमान संरक्षण के नियम को संतुलित करने के लिए रासायनिक समीकरण को संतुलित किया जाता है | |
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| 10913. |
सल्फाइड अयस्क से धातु (कॉपर) निष्कर्षण की विधि का वर्णन कीजिए। सम्बन्धित रासायनिक समीकरण भी दीजिए।या कॉपर पायराइट से ताँबे के निष्कर्षण की विधि का वर्णन कीजिए। सम्बन्धित रासायनिक समीकरण लिखिए। प्राप्त धातु को किस प्रकार शुद्ध करेंगे? |
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Answer» कॉपर को मुख्य अयस्क कॉपर पायराइट (CuFeS2) है जो कि सल्फाइड अयस्क है। कॉपर पायराइट से ताँबा निष्कर्षित करने के लिए निम्नलिखित प्रक्रम करने होते हैं – 1. सान्द्रण – अयस्क को बारीक पीसकर चूर्ण बना लिया जाता है तत्पश्चात् फेन प्लवन विधि (Froth Floatation Process) द्वारा सान्द्रण कर लेते हैं। 2. भर्जन – सान्द्रित अयस्क को हवा की अधिकता और न्यून ताप पर गर्म किया जाता है जिसे भर्जन कहा जाता है। यह क्रिया परावर्तनी भट्ठी (Reverberatory furnace) में होती है। इस भट्ठी में गैस की ज्वालाएँ अयस्क पर प्रतिबिम्बित होती हैं। भट्ठी में हवा के लिए विशेष छेद बने होते हैं। भर्जन क्रिया में अयस्क में निम्नलिखित परिवर्तन होते हैं – 1. अयस्क में उपस्थित मुक्त सल्फर SO2 में ऑक्सीकृत होकर बाहर निकल जाता है। S + O2 → SO2 2. आर्सेनियस की अशुद्धि वाष्पशील (volatile) आर्सेनियस ऑक्साइड के रूप में बाहर निकल जाती है। 4As + 3O2 → 2As2O3 ↑ 3. कॉपर पायराइट, क्यूप्रस सल्फाइड और फेरस सल्फाइड में बदल जाता है। 2CuFeS2 + O2 → Cu2S + 2 Fes + SO2 ↑ 4. अधिकांश फेरस सल्फाइड, फेरस ऑक्साइड में बदल जाता है। 2Fes + 3O2 → 2FeO + 2SO2 ↑ 5. क्यूप्रस सल्फाइड आंशिक रूप से क्यूप्रस ऑक्साइड में बदल जाती है। 2 Cu2S + 3O2 → 2Cu2O + 2SO2 ↑ भर्जन के बाद कॉपर व आयरन के ऑक्साइड और सल्फाइड का मिश्रण प्राप्त होता है, जिसे भर्जित अयस्क कहते हैं। 3. प्रगलन – भर्जित अयस्क में सिलिका और कोक मिलाकर मिश्रण को वाया भट्ठी में प्रगलित किया जाता है। यह भट्ठी स्टील की प्लेटों की बनी होती है जिसके अन्दर अग्निसह ईंटों का अस्तर तथा बाहर वॉटर जैकेट लगा होता है। भट्ठी के निचले भाग में ट्वीयर (tuyers) लगे होते हैं जिनसे गर्म वायु का झोंका भट्ठी में भेजा जाता है। गलित पदार्थ भट्ठी के तल में एकत्रित होते हैं तथा अवशिष्ट गैसें भट्ठी के ऊपरी भाग से बाहर निकलती हैं। प्रगलन में निम्नलिखित परिवर्तन होते हैं – 1. क्यूप्रस ऑक्साइड फेरस सल्फाइड से क्रिया करके क्यूप्रस सल्फाईड में बदल जाता है। Cu2O + FeS → Cu2S + FeO 2. फेरस सल्फाइड की काफी मात्रा फेरस ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाती है। 2Fes + 3O2 → 2FeO + 2SO2 ↑ 3. फेरस ऑक्साइड सिलिका (SiO2) से संयोग करके गलित फेरस सिलिकेट बनाता है जिसे धातुमल (slag) कहते हैं। सिलिको गालक का कार्य करता है। FeO + SiO2 → FeSiO3 ↓ क्यूप्रस सल्फाइड और फेरस सल्फाइड का गलित मिश्रण जिसे मैट (matte) कहते हैं, भट्ठी के पेंदे में एकत्रित हो जाता है और मैट के ऊपर गलित धातुमल की परत जमा हो जाती है। मैट को निकास द्वार से बाहर निकाल दिया जाता है। इसमें लगभग 50% ताँबा होता है। 4. बेसेमरीकरण – गलित मैट में थोड़ी सिलिका मिलाकर एक बेसेमर परिवर्तक में भर देते हैं और उसमें गर्म वायु का झोंका प्रवाहित किया जाता है। बेसेमर परिवर्तक में नाशपाती की आकृति का स्टील का पात्र होता है जिसके भीतर अग्निसह ईंटों तथा लाइम का अस्तर लगा रहता है। इसकी बगल में, काफी ऊँचाई पर ट्वीयर लगा होता है जिसके द्वारा गर्म वायु का झोंका परिवर्तक में भेजा जाता है। गलित मैट और सिलिका के मिश्रण में गर्म वायु का झोंका प्रवाहित करने पर निम्नलिखित अभिक्रियाएँ होती हैं – 1. मैट में उपस्थित फेरस सल्फाइड फेरस ऑक्साइड में बदल जाता है। 2FeS + 3O2 → 2FeO + 2SO2 ↑ 2. फेरस ऑक्साइड सिलिका से संयोग करके गलित फेरस सिलिकेट (धातुमल) बनाता है। FeO + SiO2 → FeSiO3 ↓ 3. क्यूप्रस सल्फाइड का कुछ भाग क्यूप्रस ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है जो बचे हुए क्यूप्रस सल्फाइड से क्रिया करके कॉपर बनाता है। 2 Cu2S + 3O2 → 2 Cu2O + 2SO2 ↑ Cu2S + 2 Cu2O → 6 Cu + SO2 ↑ गलित कॉपर के ऊपर से धातुमल की परत को हटाने के उपरान्त परिवर्तक को उलटकर गलित कॉपर को बाहर निकाल लेते हैं। इसे ठण्डा करने पर SO2 बुलबुलों के रूप में बाहर निकलती है। जिससे कॉपर की सतह पर फफोले पड़ जाते हैं। इस कॉपर को फफोलेदार कॉपर (blister copper) कहते हैं। इसमें लगभग 98% कॉपर तथा 2% अशुद्धियाँ (सल्फर, आर्सेनिक, आयरन, सिल्वर, गोल्ड आदि) होती हैं। इनको शोधन द्वारा पृथक् कर लेते हैं। 5. शोधन – अशुद्ध कॉपर को मुख्यत: वैद्युत-अपघटनी विधि द्वारा शुद्ध किया जा सकता है। इस प्रक्रम में एक टैंक में अशुद्ध ताँबे के पट लटका दिये जाते हैं। ये ऐनोड का कार्य करते हैं। शुद्ध ताँबे की पतली पत्तियाँ कैथोड का काम करती हैं। कॉपर सल्फेट का अम्लीय विलयन वैद्युत-अपघट्य के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। वैद्युत धारा प्रवाहित करने पर कैथोड पर शुद्ध ताँबा जमा होता है तथा अशुद्धियाँ (लोहा, निकिल और जिंक) विलयन में रह जाती हैं। सोना या चाँदी अवक्षेप के रूप में ऐनोड के नीचे जमा हो जाते हैं, इनको ऐनोड पंक (Anode mud) कहा जाता है। इस प्रकार कैथोड पर शुद्ध (99.98%) ताँबा प्राप्त होता है। |
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| 10914. |
वायु में जलाने से पहले मैग्नीशियम रिबन को साफ क्यों किया जाता है ? |
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Answer» वायु में जलाने से पहले मैग्नीशियम रिबन को साफ किया जाता है ताकि वह जलते समय पूरी तरह वायु के संपर्क में रहे | |
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| 10915. |
सोडियम को केरोसिन में डुबोकर क्यों रखा जाता हैं? |
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Answer» सोडियम ओर पोटैशियम अत्यधिक क्रियाशील धातु है,ये वायु के साथ अभिक्रिया कर आसानी से आग पकड लेते है इसलिए सोडियम को केरोसिन में डुबोकर रखा जाता हैं| |
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| 10916. |
यदि O → O– तथा O → O2- के इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी मान पता हों, जो क्रमशः 141 तथा 702 kJ mol-1 हैं तो आप कैसे स्पष्ट कर सकते हैं कि O2- स्पीशीज वाले ऑक्साइड अधिक बनते हैं न कि O–वाले? (संकेत-यौगिकों के बनने में जालक ऊर्जा कारक को ध्यान में रखिए।) |
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Answer» O2- मूलक युक्त ऑक्साइडों (अर्थात् MO प्रकार के ऑक्साइड) की जालक ऊर्जा (lattice energy) का मान O2- मूलक युक्त ऑक्साइडों (अर्थात् M2O प्रकार के ऑक्साइड) की जालक ऊर्जाओं से काफी अधिक होता है क्योंकि O2- तथा M2+ पर आवेश की मात्रा अधिक होती है। इसलिए O → O2- की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान O → O– के सम्बन्धित मान की तुलना में काफी अधिक होने के बाद भी MO का निर्माण M2O के निर्माण की तुलना में ऊर्जा की दृष्टि से अधिक सम्भाव्य है। यही कारण है कि MO प्रकार के ऑक्साइडों की संख्या M2O प्रकार के ऑक्साइडों की तुलना में काफी अधिक है। |
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| 10917. |
SO2 किस प्रकार से एक वायु प्रदूषक है? |
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Answer» SO2 एक अत्यन्त हानिकारक गैस है। वायुमण्डल में इसकी उपस्थिति से श्वसन रोग, हृदय रोग, गले तथा आँखों में अनेक परेशानियाँ उत्पन्न होती हैं। यह अम्ल वर्षा (acid rain) का मुख्य कारण है। अम्ल वर्षा जन्तुओं, वनस्पतियों एवं भवनों के लिए अत्यन्त घातक है। अम्ल वर्षा से सम्बन्धित प्रकाश-रासायनिक अभिक्रियाएँ निम्न हैं – • SO2 + hv → SO2 • SO2 + O2 → SO3 + O • SO2 + SO2 → SO3 + SO • SO + SO2 → SO3 + S • SO + H2O → H2SO4 इस प्रकार, SO2 एक घातक वायु प्रदूषक है। |
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| 10918. |
PCl5 की भारी पानी में जल-अपघटन अभिक्रिया का सन्तुलित समीकरण लिखिए। |
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Answer» PCl5 भारी जल (D2O) से अभिक्रिया करके फॉस्फोरस ऑक्सी-क्लोराइड (POCl3) तथा ड्यूटीरियम क्लोराइड (DCl) बनाता है। PCl5 + D2O → POCl3 + 2 DCl |
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| 10919. |
उस अभिक्रिया का नाम बताये जिसमें किसी पदार्थ से ऑक्सीजन निष्कासित होती है | |
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Answer» अवकरण अभिक्रिया | |
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| 10920. |
नाइट्रोजन द्विपरमाणुक अणु के रूप में पाया जाता है तथा फॉस्फोरस P4 के रूप में, क्यों? |
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Answer» छोटे परमाणु आकार तथा अधिक विद्युत ऋणात्मकता के कारण नाइट्रोजन में स्वयं से pπ – pπ बहुल बन्धों को बनाने की प्रबल प्रवृत्ति होती है। इस प्रकार, यह N ≡ N बन्ध का निर्माण कर एक द्वि-परमाणविक अणु (N2 ) के रूप में पाया जाता है। इसके विपरीत, बड़े परमाणु आकार तथा कम विद्युत ऋणात्मकता के कारण फॉस्फोरस में स्वयं से pπ – pπ बहुल बन्धों को बनाने की प्रवृत्ति नहीं होती है। अत: यह P – P एकल बन्धों को बनाकर एक समचतुष्फलकीय P4 अणु का निर्माण करता है। |
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| 10921. |
उस अभिक्रिया का नाम लिखिए जिनमें अभिकारकों के बीच आयनों का अदान-प्रदान होता है | |
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Answer» द्वि-विस्थापन अभिक्रिया |
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| 10922. |
ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया की परिभाषा उदहारण सहित दीजिये | |
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Answer» जिस अभिक्रिया में ऊष्मा निकलती है उसे ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया कहते है | जैसे – C + O2 → CO2 |
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| 10923. |
व्याख्या कीजिए कि क्यों लगभग एकसमान विद्युत ऋणात्मकता होने के पश्चात् भी नाइट्रोजन हाइड्रोजन आबन्ध निर्मित करता है, जबकि क्लोरीन नहीं। |
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Answer» यद्यपि O तथा Cl दोनों की विद्युत ऋणात्मकताओं के मान लगभग समान हैं, तथापि उनके परमाणु आकार काफी भिन्न होते हैं (O = 66 pm, Cl = 99 pm)। इस कारण Cl परमाणु की तुलना में O परमाणु पर इलेक्ट्रॉन घनत्व का मान काफी अधिक होता है। इस कारण ही ऑक्सीजन तो हाइड्रोजन बन्ध बनाने में सक्षम है, लेकिन Cl नहीं। |
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| 10924. |
दो S-O आबन्धों की प्रकृति पर टिप्पणी कीजिए जो SO2 अणु बनाते हैं। क्या SO2 अणु के ये दोनों S-O आबन्ध समतुल्य हैं? |
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Answer» SO2 में बनने वाले दोनों S-O आबन्ध सहसंयोजक (covalent) हैं तथा अनुनादी संरचनाओं के कारण समान रूप से प्रबल होते हैं। |
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| 10925. |
रसायनिक अभिक्रिया में अभिकारक और उत्पादों को किन किन भौतिक अवस्थाओं में दर्शाया जाता है ? |
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Answer» ठोस (s), द्रव्य (l), गैस(g) और जलीय विलयन(aq) के रूप में |
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| 10926. |
ऊष्माशोषी अभिक्रिया की परिभाषा उदहारण सहित दीजिये |
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Answer» जिस अभिक्रिया से ऊष्मा का अवशोषण होता है उसे ऊष्माशोषी अभिक्रिया कहते हैं | जैसे – N + O2 → NO2 इस अभिक्रिया में ऊष्मा का अवशोषण होता है | |
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| 10927. |
फॉस्फोरस की तुलना में नाइट्रोजन श्रृंखलन गुणों को कम प्रदर्शित करती है, क्यों? |
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Answer» शृंखलन का गुण तत्व की बन्ध प्रबलता पर निर्भर करता है। चूंकि N-N बन्ध की प्रबलता (159 kJ mol-1), P-P बन्ध की प्रबलता (212 kJ mol-1) से कम होती है, इसलिए नाइट्रोजन फॉस्फोरस की तुलना में कम श्रृंखलन गुणों को दर्शाती है। |
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| 10928. |
निम्नलिखित में से कौन-सा तत्व ऑक्सीजन के साथ सीधे अभिक्रिया नहीं करता? Zn, Ti, Pt, Fe |
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Answer» प्लैटिनम एक उत्कृष्ट धातु है। इसकी पहली चार आयनन एन्थैल्पियों का योग बहुत अधिक होता है, इसलिए यह ऑक्सीजन से सीधे संयोग नहीं करती है। दूसरी ओर Zn, Ti तथा Fe सक्रिय धातुएँ हैं, इसलिए ये ऑक्सीजन से सीधे संयोग करके संगत ऑक्साइड बनाती हैं। |
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| 10929. |
उस अभिक्रिया का नाम बताये जिसमे दो या दो से अधिक अभिकारक मिलकर एकल उत्पाद बनाते है | इस अभिक्रिया का एक संतुलित समीकरण लिखिए | |
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Answer» संयोजन अभिक्रिया | C + O2 – CO2 |
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| 10930. |
कोहनी का जोड़ कौन-सा जोड़ कहलाता है?(क) धुराग्र(ख) कब्जेदार(ग) फिसलने वाला(घ) ख़ुटीदार |
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Answer» सही विकल्प है (ख) कब्जेदार |
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| 10931. |
कन्धे पर किस प्रकार की सन्धि होती है?(क) अल्पचल सन्धि(ख) कब्जेनुमा सन्धि(ग) अचल सन्धि(घ) गेंद-गड्ढा सन्धि |
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Answer» सही विकल्प है (घ) गेंद-गड्ढा सन्धि |
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| 10932. |
मानव कंकाल में कितनी अस्थियाँ होती हैं?(क) 100(ख) 206(ग) 200(घ) 106 |
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Answer» सही विकल्प है (ख) 206 |
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| 10933. |
निम्न में से कौन प्रतिजैविक नहीं है? (i) पेनिसिलीन (ii) ऑक्सीटॉसिन (iii) टेट्रासाइक्लीन (iv) एरिथ्रोमाइसिन |
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Answer» (ii) ऑक्सीटॉसिन |
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| 10934. |
पैरासीटेमॉल प्रयुक्त होता है। (i) प्रतिजैविक के रूप में (ii) मलेरिया रोधी के रूप में (iii) ज्वरनाशी के रूप में(iv) पूतिरोधी के रूप में |
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Answer» (iii) ज्वरनाशी के रूप में |
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| 10935. |
साबुन कठोर जल में कार्य क्यों नहीं करता? |
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Answer» कठोर जल में कैल्सियम और मैग्नीशियम के लवण होते हैं। साबुन को कठोर जल में डालने पर साबुन कैल्सियम और मैग्नीशियम साबुन के रूप में अवक्षेपित हो जाते हैं। ये साबुन अविलेय होने के कारण कपड़ों पर चिपचिपे पदार्थ के रूप में चिपक जाते हैं। |
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| 10936. |
प्रतिहिस्टैमिन क्या होते हैं। दो उदाहरण दीजिए। समझाइए कि ये मानव शरीर पर कैसे कार्य करते हैं? |
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Answer» वे ड्रग जो हिस्टैमिन के प्रभावों को समाप्त करने के लिए प्रयोग की जाती हैं, प्रतिहिस्टैमिन कहलाती हैं। उदाहरणार्थ : ब्रोमफेनिरामिन, टरफेनाडिन, डाइफेनिलहाइड्रेजीन, क्लोरफेनिरैमीन मैलिएट आदि। प्रतिहिस्टैमिन हिस्टैमिन के साथ ‘ग्राही की उस बंधनी सतह के लिए प्रतिस्पर्धा करती हैं जिस पर हिस्टैमिन अपना प्रभाव डालती हैं। इस प्रकार ये हिस्टैमिन के प्राकृतिक कार्य में बाधा डालती हैं तथा हमारे । शरीर को उनके प्रभावों से मुक्ति दिलाती हैं। |
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| 10937. |
प्रतिअम्ल एवं प्रति-एलर्जी औषध हिस्टैमिन के कार्य में बाधा डालती हैं, परन्तु ये एक-दूसरे के कार्य में बाधक क्यों नहीं होती? |
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Answer» औषधों का प्रयोग अंग विशेष की व्याधियों को दूर करने में किया जाता है लेकिन ये अन्य को प्रभावित नहीं करती हैं क्योंकि ये अलग-अलग ग्राहियों (receptors) पर कार्य करती हैं। उदाहरणार्थ : हिस्टैमिन का स्रावण एलर्जी (allergy) उत्पन्न करता है। यह आमाशय में HCl विमोचित करने के कारण अम्लता (acidity) भी उत्पन्न करता है। प्रतिएलर्जिक तथा प्रतिअम्ल भिन्न ग्राहियों पर कार्य करते हैं। अत: प्रतिहिस्टैमिन एलर्जी दूर करते हैं जबकि प्रतिअम्ल अम्लता दूर करते हैं। |
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| 10938. |
फीनॉल का 0.2% विलयन निम्न रूप में कार्य करता है।(i) दर्दनाशक (ii) ऐण्टीसेप्टिक (iii) संक्रमण रोधी (iv) एण्टीबायोटिक |
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Answer» (ii) ऐण्टीसेप्टिक |
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| 10939. |
यदि जल में कैल्सियम हाइड्रोजनकार्बोनेट घुला हो तो आप कपड़े धोने के लिए साबुन एवं संश्लेषित अपमार्जकों में से किसका प्रयोग करेंगे? |
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Answer» कैल्सियम बाइकार्बोनेट जले को कठोर बनाता है, अतएव साबुन इस जल में अवक्षेपित हो जाएगा। इसके विपरीत, अपमार्जक के कैल्सियम लवण जल में विलेय होते हैं। अत: संश्लेषित अपमार्जकों का प्रयोग , कठोर जल में कपड़े धोने के लिए किया जाता है। |
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| 10940. |
निम्न में से सम्भवतः किसका प्रयोग बिना व्यसन उत्पन्न किए पीड़ाहारी के रूप में किया जाता है? (i) मॉर्फीन (ii) N-ऐसीटिल-पैरा-ऐमीनोफीनॉल (iii) डाइजीपाम (iv) मेथिल सैलिसिलेट |
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Answer» (ii) N-ऐसीटिल-पैरा-ऐमीनोफीनॉल |
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| 10941. |
दो अम्लों के नाम लिखिए जिनके सोडियम लवण खाद्य परिरक्षकों की भाँति प्रयोग किए जाते हैं। |
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Answer» बेन्जोइक अम्ल तथा सॉर्बिक अम्ल। |
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| 10942. |
पूतिरोधी तथा विसंक्रामी सूक्ष्मजीवों का विनाश करते हैं या उनकी वृद्धि को रोकते हैं। निम्न में से जो कथन सही नहीं है, उसको पहचानिए। (i) क्लोरीन व आयोडीन प्रबल विसंक्रामी की तरह प्रयोग में आते हैं। (ii) बोरिक अम्ल व हाइड्रोजन परॉक्साइड का तनु विलयन प्रबल पूतिरोधी होता है। (iii) विसंक्रामी जीवित ऊतकों को नुकसान पहुंचाते हैं। (iv) फीनॉल का 0.2% विलयन पूतिरोधी है, जबकि 1% विलयन विसंक्रामी है। |
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Answer» (ii) बोरिक अम्ल व हाइड्रोजन परॉक्साइड का तनु विलयन प्रबल पूतिरोधी होता है। |
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| 10943. |
ऐस्पार्टेम का प्रयोग केवल ठण्डे खाद्य एवं पेय पदार्थों तक सीमित क्यों है? |
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Answer» यह पकाने के ताप पर विघटित हो जाता है अतः इसका प्रयोग केवल ठण्डे खाद्य एवं पेय पदार्थों तक सीमित है। |
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| 10944. |
एक पदार्थ का नाम लिखिए जो दोनों के समान कार्य करता है। 1. पीड़ाहारी और ज्वरनाशी तथा 2. पूतिरोधी और विसंक्रामी। |
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Answer» 1. ऐस्पिरिन तथा 2. फीनॉल। |
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| 10945. |
पूतिरोधी तथा संक्रमणहारी किस प्रकार से भिन्न हैं? प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिए। |
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Answer» पूतिरोधी वे रसायन होते हैं जो सूक्ष्मजीवियों को मार देते हैं या उनकी वृद्धि रोकते है तथा जीवित ऊतकों को हानि नहीं पहुंचाते हैं। विसंक्रामी सूक्ष्म-जीवों को मार देते हैं तथा जीवित मानव ऊतकों को हानि पहुँचाते हैं। उदाहरणार्थ : 1. पूतिरोधी (Antiseptic) : डिटॉल, आयोडोफॉर्म, टिंक्चर आयोडीन। 2. विसंक्रामी (Disinfectants) : क्लोरीन (> 0.4 ppm), फीनॉल (> 1 % विलयन)। |
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| 10946. |
आँखों के लिए प्रयुक्त किए जाने वाले पूतिरोधी का नाम लिखिए। |
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Answer» बोरिक अम्ल (H3 BO3) का प्रयोग आँखों के लिए प्रतिरोधी के रूप में किया जाता है। |
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| 10947. |
सिमेटिडीन तथा दैनिटिडीन सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट अथवा मैग्नीशियम या | ऐलुमिनियम हाइड्रॉक्साइड की तुलना में श्रेष्ठ प्रतिअम्ल क्यों हैं? |
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Answer» सिमेटिडीन तथा रैनिटिडीन श्रेष्ठ प्रतिअम्ल हैं क्योंकि ये आमाशय भित्ति में उपस्थित ग्राहियों (receptors) तथा हिस्टैमिन के मध्य अन्योन्यक्रिया को रोकते हैं जिसके परिणामस्वरूप कम मात्रा में अम्ल मुक्त होता है। दूसरी ओर, सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट अथवा मैग्नीशियम या ऐलुमिनियम हाइड्रॉक्साइड केवल लक्षणों पर कार्य करते हैं. कारण पर नहीं |
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| 10948. |
निम्नलिखित के कार्य बताइए – 1. पीत पिंड (कॉर्पस ल्यूटीयम) 2. गर्भाशय अन्तः स्तर (एन्डोमेट्रियम) 3. अग्र पिंडक (एक्रोसोम) 4. शुक्राणु पुच्छ (स्पर्म टेल) 5. झालर (फिम्ब्री) |
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Answer» 1. पीत पिंड (कॉर्पस ल्यूटीयम) – यह प्रोजेस्ट्रॉन, एस्ट्रोजेन, रिलेक्सिन नामक हार्मोन का स्राव करता है जो गर्भाशय के अन्तः स्तर को बनाए रखते हैं। 2. गर्भाशय अन्तः स्तर (एन्डोमेट्रियम) – यह निषेचित अण्डे के प्रत्यारोपण तथा सगर्भता के लिए आवश्यक है। मासिक चक्र के दौरान इसमें परिवर्तन आता है। यह अपरा निर्माण में भी सहायक है। 3. अग्र पिंडक (एक्रोसोम) – इसमें उपस्थित एन्जाइम, निषेचन में सहायक होते हैं। 4. शुक्राणु पुच्छ (स्पर्म टेल) – यह शुक्राणु के गमन में सहायता करती है। 5. झालर (फिम्ब्री) – यह अण्डोत्सर्ग के समय; अण्डाशय से निकले अण्डाणु के संग्रह में सहायता करती है। प्रश्न 16. |
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| 10949. |
ऐसे दो जन्तुओं के नाम लिखिए जिनमें रुधिर जरायु अपरा पाया जाता है। |
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Answer» यूथीरिया अधोवर्ग के प्राणियों में रुधिर जरायु अपरा पाया जाता है; जैसे-कपि तथा मनुष्य। |
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| 10950. |
खाद्य पदार्थ परिरक्षक क्या होते हैं? |
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Answer» खाद्य परिरक्षक वे पदार्थ होते हैं जो सूक्ष्म-जीवों द्वारा होने वाले किण्वन, अम्लीकरण या अन्य विघटन को बाधित करके भोजन को खराब होने से रोकते हैं। |
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