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101.

निम्नलिखित के उत्तर संक्षेप में दें-1    जनसंख्या वृद्धि के महत्त्वपूर्ण घटकों की व्याख्या करें।2    1981 से भारत में जनसंख्या की वृद्धि दर क्यों घट रही है?3    आयु संरचना, जन्मदर एवं मृत्युदर को परिभाषित करें।4    प्रवास, जनसंख्या परिवर्तन का एक कारक।

Answer»

(1) जनसंख्या वृद्धि के महत्त्वपूर्ण घटक इस प्रकार हैं-

⦁    उच्च जन्म दर,
⦁    निम्न मृत्यु दर,
⦁    प्रवसन।

(2) 1981 के बाद भारत में जनसंख्या वृद्धि दर में कमी के कारण निम्नलिखित हैं-

⦁    परिवार कल्याण विधियों का अपनाया जाना,
⦁    स्वास्थ्य के प्रति महिलाओं की अधिक जागरूकता,
⦁    महिलाओं में शिक्षा का तेज गति से प्रसार,
⦁    सरकारी

(3) आयु संरचना-किसी देश में जनसंख्या की आयु संरचना वहाँ के विभिन्न आयु समूहों के लोगों की संख्या को बताता है। यह जनसंख्या की मूल आवश्यकताओं में से एक है। जन्मदर-एक वर्ष के दौरान 1000 लोगों पर जीवित पैदा हुए बच्चों की संख्या को जन्मदर कहते हैं। मृत्युदर-एक वर्ष की अवधि में 1000 लोगों पर मृत व्यक्तियों की संख्या को मृत्युदर कहते हैं।
 

4) प्रवास, जनसंख्या परिवर्तन का एक कारक है लोगों का एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में चले जाने को प्रवास कहते हैं। जनसंख्या वितरण एवं उसके घटकों को परिवर्तित करने में प्रवास की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है क्योंकि यह आगमन तथा प्रस्थान दोनों ही स्थानों के जनसांख्यिकीय आँकड़ों को प्रभावित करता है। प्रवास आंतरिक (देश के भीतर) या अंतर्राष्ट्रीय (देशों के बीच) हो सकता है। आंतरिक प्रवास जनसंख्या के आकार में परिवर्तन नहीं करता लेकिन देश में जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करता है।

⦁    प्रवास जनसंख्या के गठन एवं वितरण में बदलाव में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

⦁    भारत में अधिकतर प्रवास ग्रामीण क्षेत्रों से ‘अपकर्षण’ कारक प्रभावी होते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी एवं बेरोजगारी की प्रतिकूल अवस्थाएँ हैं तथा नगर का ‘कर्षण’ प्रभाव रोजगार में वृद्धि एवं अच्छे जीवन स्तर को दर्शाता है। 1951 में शहरी जनसंख्या 17.29 प्रतिशत थी जो 2011 में बढ़कर 31.2 प्रतिशत हो गई।

⦁    2001-2011 के बीच एक ही दशक के दौरान ‘‘दस लाख से अधिक की जनसंख्या वाले महानगर 35 से बढ़कर 53 हो गए हैं।

102.

किस केन्द्र शासित प्रदेश का जनसंख्या घनत्व सबसे अधिक है?

Answer»

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली का जनसंख्या घनत्व सबसे अधिक है।

103.

जनसंख्या संघटन क्या है?

Answer»

जनसंख्या संघटन, जनसंख्या भूगोल में अध्ययन का एक सुस्पष्ट क्षेत्र है जिसमें आयु व लिंग का विश्लेषण, निवास का स्थान, मानव जातीय लक्षण, जनजातियाँ, भाषा, धर्म, वैवाहिक स्थिति, साक्षरता और शिक्षा, न्यावसायिक विशेषताएँ आदि का अध्ययन किया जाता है।

104.

भारत की जनसंख्या का सबसे महत्त्वपूर्ण लक्षण बताइए।

Answer»

भारत की जनसंख्या का सबसे महत्त्वपूर्ण लक्षण इसकी किशोर जनसंख्या का आकार है। यह भारत की कुल जनसंख्या का पाँचवाँ भाग है। किशोर प्रायः 10 से 19 वर्ष की आयु वर्ग के होते हैं। ये भविष्य के सबसे महत्वपूर्ण मानव संसाधन हैं।

105.

देश के चावल उत्पादक क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व अधिक क्यों है?

Answer»

देश के परम्परागत चावल उत्पादक क्षेत्र (तमिलनाडु, पश्चिमी बंगाल आदि) सबसे अधिक सघन जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्र हैं।

इसका कारम यह है कि ये क्षेत्र बहुत उपजाऊ हैं तथा यहां पर्याप्त वर्षा होती है। दूसरे, चावल की खेती से सम्बन्धित अधिकतर कार्य हाथों से करने पड़ते हैं। इसलिए अधिक संख्या में श्रमिकों की आवश्यकता अनुभव की जाती है जिससे लोगों के लिए आजीवकिा कमाने के अवसर बढ़ जाते हैं। तीसरे, चावल का उतपादन अधिक होने से लोगों को सस्ता भोजन उपलब्ध होता है। पास ही में मछली पकड़ने के क्षेत्र होने के कारण उन्हें प्रोटीनयुक्त भोजन भी मिल जाता है।

106.

भारत में जनसंख्या वृद्धि के कोई दो कारण बताइए।

Answer»

भारत में जनसंख्या वृद्धि के दो मुख्य कारण इस प्रकार हैं-

⦁    चिकित्सा सुविधाओं के प्रसार के कारण मृत्यु-दर में तो कमी आयी है, लेकिन जन्म-दर में आशा के अनुरूप कमी नहीं आ पाई है।

⦁    भारत में अधिकतर लोग निर्धन एवं अनपढ़ हैं। वे छोटे परिवारों के महत्त्व को नहीं समझते हैं। वे सन्तान को ईश्वर की कृपा समझकर गर्भ-निरोध का प्रयास नहीं करते हैं।

107.

देश की जनसंख्या में मतदाताओं का कितना प्रतिशत है?

Answer»

देश की जनसंख्या में मतदाता 60 प्रतिशत हैं।

108.

भारत की लगभग आधी आबादी कितने राज्यों में निवास करती है?

Answer»

भारत की लगभग आधी जनसंख्या इन पाँच राज्यों में निवास करती है-उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल एवं आंध्र प्रदेश।

109.

 स्त्री-पुरुष के असंतुलन के कारण कौन-से प्रश्न खड़े होते हैं ?

Answer»

स्त्री-पुरुष के असंतुलन के कारण विवाह, परिवार, प्रजनन अर्थव्यवस्था आदि में अनेक प्रश्न खड़े होते हैं ।

110.

स्त्री-पुरुष का प्रभाव किसे कहते हैं ?

Answer»

प्रतिहजार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या को स्त्री-पुरुष का प्रमाण या जाति प्रमाण या लिंग अनुपात कहते हैं ।

111.

आयु संरचना को निर्धारित करने वाले चरों के नाम बताइए।

Answer»
  1. जन्मता (fertility)
  2. मर्त्यता (mortality)
  3. प्रवास (migration)
112.

भारत के अत्यन्त उष्ण एवं शुष्क तथा अत्यन्त शीत व आर्द्र प्रदेशों में जनसंख्या का घनत्व निम्न है। इस कथन के दृष्टिकोण से जनसंख्या के वितरण में जलवायु की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।

Answer»

जनसंख्या के वितरण पर जलवायु का गहरा प्रभाव पड़ता है। राजस्थान के अत्यन्त उष्ण व शुष्क प्रदेश; जम्मू कश्मीर, उत्तराखण्ड, सिक्किम, असम, अरुणाचल प्रदेश के अन्तर्गत शीत तथा मेघालय के अत्यन्त आर्द्र प्रदेशों में जलवायु के अनुकूल न होने के कारण जनसंख्या का घनत्व निम्न है।

113.

देश के सबसे अधिक व सबसे कम जनसंख्या घनत्व वाले राज्यों के नाम बताओ।

Answer»

2011 की जनगणना के अनुसार देश का सबसे अधिक घनत्व वाला राज्य बिहार तथा सबसे कम घनत्व वाला राज्य अरुणाचल प्रदेश है।

114.

अर्जक जनसंख्या से क्या अभिप्राय है?

Answer»

अर्जक जनसंख्या से अभिप्राय उन लोगों से है जो विभिन्न व्यवसायों में काम करके धन कमाते हैं।

115.

देश की जनसंख्या की संरचना का अध्ययन करना क्यों जरूरी है?

Answer»

किसी देश की जनसंख्या की संरचना को जानना क्यों आवश्यक है, इसके कई कारण हैं —

  1. सामाजिक एवं आर्थिक नियोजन के लिए किसी भी देश की जनसंख्या के विभिन्न लक्षणों जैसे जनसंख्या की आयु-संरचना, लिंगसंरचना, व्यवसाय संरचना आदि के आंकड़ों की जरूरत पड़ती है।
  2. जनसंख्या की संरचना के विभिन्न घटकों का देश के आर्थिक विकास से गहरा सम्बन्ध है। जहां एक ओर ये जनसंख्या संरचना घटक आर्थिक विकास से प्रभावित होते हैं, वहीं ये आर्थिक विकास की प्रगति एवं स्तर के प्रभाव से भी अछूते नहीं रह पाते। उदाहरण के लिए यदि किसी देश की जनसंख्या की आयु संरचना में बच्चों तथा बूढ़े लोगों का प्रतिशत बहुत अधिक है तो देश को शिक्षा एवं स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं पर अधिक-से-अधिक वित्तीय साधनों को खर्च करना पड़ेगा। दूसरी ओर, आयु संरचना में कामगार आयु-वर्गों (Working age-groups) का भाग अधिक होने से देश के आर्थिक विकास की दर तीव्र हो जाती है।
116.

जनसंख्या का अध्ययन करना क्यों महत्त्वपूर्ण है?

Answer»

किसी देश की जनसंख्या ही उस देश के संसाधनों का विकास करती है और उनका उपभोग करती है। ऐसे में किसी देश के लोगों की संख्या, उनका वितरण एवं विकास तथा गुणवत्ता पर्यावरण को समझने का मूलभूत आधार है। इसलिए जनसंख्या का अध्ययन करना महत्त्वपूर्ण है।

117.

जनसंख्या संघटन में अध्ययन किया जाता है(a) निवास स्थान का(b) जनजातियों का(c) भाषा व धर्म का(d) उपर्युक्त सभी का।

Answer»

(d) उपर्युक्त सभी का। 

118.

नगरों में जनसंख्या के बहुत तेजी से बढ़ने से क्या दुष्परिणाम हुए हैं?

Answer»

नगरों में जनसंख्या के बहुत तेजी से बढ़ने के कारण उपलब्ध संसाधनों और जन-सुविधाओं पर भारी दबाव पड़ा है।

119.

भारत में जनसंख्या वृद्धि की समस्या पर लेख लिखिए जिसमें समस्या के समाधान के उपायों को भी बताएँ।

Answer»

जब किसी देश की जनसंख्या इसके प्राकृतिक साधनों की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ती है तो उसका देश के साधनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। भारत में प्रत्येक 10 वर्ष के बाद जनगणना होती है। सन् 1921 तक भारत की जनसंख्या कुछ घटती-बढ़ती रही अथवा स्थिर रही, परन्तु 1921 के पश्चात् जनसंख्या निरन्तर बढ़ रही है। जनसंख्या की इस वृद्धि के कारण कई समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं, जिनका वर्णन इस प्रकार है

  1. निम्न जीवन स्तर- अन्य देशों के जीवन स्तर के मुकाबले में भारतीय लोगों का जीवन स्तर बहुत निम्न है। यह समस्या वास्तव में जनसंख्या की वृद्धि के कारण ही उत्पन्न हुई है।
  2. वनों की कटाई- बढ़ती हुई जनसंख्या को आवास देने तथा भोजन जुटाने के लिए अतिरिक्त भूमि की आवश्यकता पड़ती है, ताकि कृषि का विस्तार किया जा सके। यह भूमि वनों को काट कर प्राप्त की जाती है। इसके कारण वनों के कटाव से जुड़ी समस्याएं भी उत्पन्न हो जाती हैं; जैसे- भूमि का कटाव, बाढ़ों का अधिक आना, पर्यावरण का प्रदूषित होना तथा वन्य सम्पदा की हानि।
  3. पशुओं के लिए चारे का अभाव- भारत में केवल चार प्रतिशत क्षेत्र पर चरागाहें हैं। जनसंख्या की समस्या के कारण यदि इन्हें भी कृषि अथवा आवासों के निर्माण के लिए प्रयोग किया गया तो पशुओं के लिए चारे की समस्याएं और भी जटिल हो जाएंगी।
  4. भूमि पर दबाव- जनसंख्या की वृद्धि का सीधा प्रभाव भूमि पर पड़ता है। भूमि एक ऐसा साधन है जिसे बढ़ाया नहीं जा सकता। यदि भारत की जनसंख्या इस प्रकार बढ़ती रही तो भूमि पर भी दबाव पड़ेगा। इसके परिणामस्वरूप कृषि उत्पादों का और भी अधिक अभाव हो जाएगा।
  5. खनिजों का अभाव- हम बढ़ती हुई जनसंख्या की आवश्यकताओं को उद्योगों का विकास करके पूरा कर रहे हैं, परन्तु उद्योगों के विकास के लिए खनिजों की और भी अधिक आवश्यकता होगी। परिणामस्वरूप हमारे खनिजों के भण्डार शीघ्र समाप्त हो जाएंगे।
  6. पर्यावरण की समस्या- जनसंख्या में वृद्धि के कारण पर्यावरण पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। अतः स्वच्छ जल, स्वच्छ वायु की आपूर्ति एक समस्या बन गई है। वनस्पति की कमी के कारण ऑक्सीजन की भी कमी हो रही है।

समस्या का समाधान-जनसंख्या की वृद्धि की समस्या से निपटने के लिए निम्नलिखित उपाए किए जाने चाहिए-

  1. सीमित परिवार योजनाओं को अधिक महत्त्व देना चाहिए।
  2. लोगों को फिल्मों, नाटकों तथा अन्य साधनों द्वारा सीमित परिवार का महत्त्व समझाया जाए।
  3. देश में अनपढ़ता को दूर करने का प्रयास किया जाए ताकि लोग स्वयं भी बढ़ती हुई जनसंख्या की हानियों को समझ सकें। स्त्री शिक्षा पर विशेष बल दिया जाए।
  4. विवाह की न्यूनतम आयु में वृद्धि की जाए ताकि विवाह छोटी आयु में न हो सकें।
120.

कुल श्रमजीवी जनसंख्या का लगभग कितना भाग कृषक और कृषि मजदूर है(a) 54.6 प्रतिशत(b) 56.2 प्रतिशत(c) 52.6 प्रतिशत(d) 50.5 प्रतिशत।

Answer»

(a) 54.6 प्रतिशत।  

121.

स्त्री-पुरुष अथवा लिंग अनुपात से क्या तात्पर्य है?

Answer»

प्रति हजार पुरुषों के पीछे स्त्रियों की संख्या को लिंग अनुपात कहते हैं।

122.

आयु संरचना के अध्ययन के क्या लाभ हैं?

Answer»

आयु संरचना के अध्ययन के अनेक लाभ हैं —

  1. बाल आयु वर्ग (0-14) की कुल जनसंख्या ज्ञात होने से सरकार को इन बातों का स्पष्ट पता लग सकता है कि शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सेवाओं के क्षेत्र में कितनी सुविधाओं की आवश्यकता है। इसी के अनुसार नये स्कूलों, स्वास्थ्य केन्द्रों, सामुदायिक केन्द्रों आदि का निर्माण कराया जाता है।
  2. साथ ही देश में कितने लोग मताधिकार वर्ग में हैं, इस बात की जानकारी भी हो सकती है। मताधिकार वर्ग के लोगों की जानकारी होना प्रजातन्त्र में अत्यन्त आवश्यक है। आयु संरचना के आंकड़ों के हिसाब से लगभग 58 प्रतिशत मतदाता होने चाहिएं, परन्तु देश में 60 प्रतिशत मतदाता हैं।
123.

देश में शिक्षा के फैलाव के प्रयासों का आलोचनात्मक अध्ययन कीजिए।

Answer»

शिक्षा मानव के सम्पूर्ण विकास के लिए अत्यन्त आवश्यक है। आजादी के समय देश में मात्र 14 प्रतिशत लोग ही साक्षर थे। साक्षरता का अर्थ कम-से-कम नाम लिखने और पढ़ने तक ही सीमित है। वर्ष 2001 में हुई जनगणना के अनुसार साक्षरता दर 74.01 प्रतिशत थी। पहले हमारे देश में केवल 6 करोड़ व्यक्ति ही साक्षर थे परन्तु अब इनकी संख्या बढ़कर 70 करोड़ से भी अधिक हो गयी है। इस प्रकार साक्षरता में 11 गुना से भी अधिक की वृद्धि हुई है। परन्तु इस बीच जनसंख्या वृद्धि के कारण देश में निरक्षर लोगों की संख्या भी बढ़ गयी है। हमारे देश के संविधान के अनुसार चौदह वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों के लिए निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था की गई है। परन्तु अभी भी इस लक्ष्य को पूरा नहीं किया जा सका है। इसका कारण यह है कि देश के हर गांव में स्कूल खोलना तथा हर माँ-बाप को अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए मनाना एक बहुत ही कठिन कार्य है। पहले 15 प्राथमिक स्कूलों के पीछे एक मिडिल स्कूल था, अब चार के पीछे एक मिडिल स्कूल है। इसके अतिरिक्त कई राज्य सरकारों ने चलते-फिरते स्कूलों तथा रात्रि स्कूलों का भी प्रबन्ध किया है।

लड़कियों की शिक्षा पर विशेष जोर देने हेतु लड़कियों के लिए छात्रवृत्तियों का आकर्षण दिया गया है। परन्तु कई राज्यों में बच्चों का बीच में ही स्कूल की शिक्षा छोड़ देना चिन्ता का विषय बना हुआ है। यह बात उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार या राजस्थान में आम है। इन चारों ही राज्यों में साक्षरता प्रतिशत देश के सभी राज्यों से कम है। इसके विपरीत केरल राज्य देश का एक ऐसा राज्य है जहां साक्षरता दर न केवल सबसे अधिक है बल्कि बहुत ऊंची है।

अभी भी देश में 100 बच्चों में से मात्र 25 बच्चे ही आठवीं कक्षा तक पहुंच पाते हैं। इस प्रकार तीन चौथाई बच्चे शिक्षा के वास्तविक लाभ से वंचित हैं। देश में उच्च एवं औद्योगिक शिक्षा का भी भारी अभाव है।

124.

भारत के किन प्रदेशों की जनसंख्या का घनत्व कम है?

Answer»

भारत के उत्तरी पर्वतीय प्रदेश, घने वर्षा वनों वाले उत्तर-पूर्वी प्रदेश, पश्चिमी राजस्थान के अत्यन्त शुष्क क्षेत्र और गुजरात के कच्छ क्षेत्र में जन-घनत्व कम है।

125.

भारत में लिंग अनुपात कम होने के क्या कारण हैं?

Answer»

भारत में लिंग- अनुपात कम होने के कारणों के बारे में निश्चित तौर पर कुछ भी कहना सम्भव नहीं है। परन्तु भारतीय समाज में स्त्री का दर्जा निम्न होना इसका एक प्रमुख कारण माना जाता है। परिवार व्यवस्था में उसे निम्न दर्जा दिया गया है और पुरुष को ऊँचा। इसी कारण कम आयु में लड़कियों के स्वास्थ्य, खान-पान तथा देख-भाल की ओर कम ध्यान दिया जाता है। परिणामस्वरूप निम्न आयु वर्ग (0-6 वर्ष) में लड़कों की अपेक्षा लड़कियों की मृत्यु-दर अधिक है।

लिंग अनुपात कम होने के अन्य प्रमुख कारण हैं- जनगणना के समय स्त्रियों की अपेक्षाकृत कम गणना करना या पुरुषों की गणना बढ़ाकर करना, लड़कियों की जन्म दर कम होना तथा स्त्री भ्रूण-हत्या (Female Foeticide)।

126.

भारत में लिंग अनुपात के राज्य स्तरीय प्रारूप का विस्तार से वर्णन कीजिए।

Answer»

लिंग अनुपात से अभिप्राय है- प्रति हजार पुरुषों पर स्त्रियों की औसत संख्या। लिंग अनुपात को आजकल समाज में स्त्री के सम्मान को आंकने का पैमाना भी माना जाता है। अधिकतर धनी देशों में स्त्रियों की संख्या पुरुषों के बराबर है या उससे अधिक। विकसित देशों में 1050 स्त्रियां प्रति 1000 पुरुष हैं, जबकि विकासशील देशों में यह औसत 964 स्त्रियां प्रति 1000 पुरुष है। भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार लिंग अनुपात 944 स्त्रियां प्रति हज़ार पुरुष हैं। यह औसत विश्व की सबसे कम औसतों में से एक है।

राज्य स्तरीय प्रारूप- देश के सभी राज्यों में लिंग अनुपात एक समान नहीं है। भारत के केवल दो ही राज्य ऐसे हैं। जहां लिंग अनुपात स्त्रियों के पक्ष में है। ये राज्य है-केरल तथा तमिलनाडु। केरल में प्रति हज़ार पुरुषों पर 1099 स्त्रियां (2011 में) हैं। देश के अन्य राज्यों में अनुपात पुरुषों के पक्ष में है अर्थात् इन राज्यों में प्रति हजार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या कम है जो निम्नलिखित उदाहरणों से स्पष्ट है

  1. पंजाब 899
  2. हरियाणा 885
  3. राजस्थान 935
  4. बिहार 912
  5. उत्तर प्रदेश 910
  6. तमिलनाडु 1000

लिंग अनुपात से राज्य प्रारूप में से एक बात और भी स्पष्ट हो जाती है कि देश के उत्तरी राज्यों में दक्षिणी राज्यों की तुलना में लिंग अनुपात कम है। यह बात समाज में स्त्री के निम्न स्थान को दर्शाती है। यह निःसन्देह एक चिन्ता का विषय है।

127.

भारत के अति सघन आबाद दो भागों के नाम बताइए।

Answer»

भारत में ऊपरी गंगा घाटी तथा मालाबार में अति सघन जनसंख्या है।

128.

जनसंख्या वितरण से क्या तात्पर्य है?

Answer»

जनसंख्या वितरण से तात्पर्य किसी क्षेत्र में जनसंख्या प्रारूप फैलाव लिए हुए है अथवा उसका एक ही जगह पर जमाव है।

129.

जनसंख्या घनत्व का क्या अर्थ है?

Answer»

किसी क्षेत्र के एक वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में रहने वाले लोगों की औसत संख्या को उस क्षेत्र का जनसंख्या घनत्व कहते हैं।

130.

(i) भारत में किस धर्म के लोगों में लिंग अनुपात सबसे अधिक तथा(ii) किस धर्म के लोगों में सबसे कम है?

Answer»

(i) भारत में ईसाई धर्म के लोगों में लिंग अनुपात सबसे अधिक तथा।

(ii) सिक्खों में सबसे कम है।

131.

भारत के जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाला प्रमुख कारक कौन-सा है और क्यों ?

Answer»

कृषि उत्पादकता।

132.

भारत में आर्थिक कारक किस प्रकार जनसंख्या वितरण के प्रतिरूप को निर्धारित करते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।

Answer»

आर्थिक कारकों में द्वितीयक तथा तृतीयक आर्थिक क्रियाएँ शामिल होती हैं। तकनीकी ज्ञान भी आर्थिक कारकों का एक प्रमुख अंग है; इसलिए जहाँ भी इस प्रकार की क्रियाओं पर विकास निर्भर होता है वहाँ अधिक जनसंख्या निवास करती है। औद्योगिक क्षेत्र और नगरीय क्षेत्र इसी कारण अधिक घने बसे होते हैं; जैसे—मुम्बई, कोलकाता, दिल्ली आदि, लेकिन जहाँ कृषि जैसी प्राथमिक क्रियाएँ अधिक पायी जाती हैं और उत्पादन अधिक मात्रा में होता है, वे क्षेत्र भी अधिक घने बसे होते हैं; जैसे—पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब आदि।

133.

जनसंख्या घनत्व और जनसंख्या वितरण के अध्ययन के महत्त्व को समझाइए।

Answer»

भारत एक विकासशील देश है जो जनांकिकी संक्रमण के विस्फोटक दौर से गुजर रहा है। देश में नई आर्थिक नीति के लागू होने के कारण रोजगार के अवसरों में क्षेत्रीय पुनर्वितरण की प्रवृत्ति चल रही है, इस कारण जनसंख्या का घनत्व और वितरण प्रारूप. भी गुणात्मक ढंग से परिवर्तित हो रहा है, अत: देश के योजनाबद्ध विकास के लिए जनसंख्या के वितरण और घनत्व का समुचित अध्ययन आवश्यक है। 

134.

जनसंख्या को प्रभावित करने वाले भौतिक कारक बताइए।

Answer»

जनसंख्या को प्रभावित करने वाले भौतिक कारक हैं-उच्चावच, जलवायु, मृदा तथा खनिज संसाधन आदि।

135.

जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले जनांकिकीय कारक को समझाइए।

Answer»

जनांकिकीय कारक – जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले जनांकिकीय कारक तीन हैंप्रजनन दर, मृत्यु-दर और प्रवास। प्रजनन दर अधिक और मृत्यु-दर कम होने पर जनसंख्या की वृद्धि होती है। . आप्रवासन महानगरों व औद्योगिक क्षेत्रों में विशाल जनसंख्या के संकेन्द्रण का मुख्य कारक है।

136.

जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले भौतिक कारकों की व्याख्या कीजिए।

Answer»

जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले भौतिक कारक
उच्चावच, जलवायु, मृदा तथा खनिज संसाधनों की सुलभता जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले प्रमुख भौतिक कारक हैं। पर्याप्त वर्षा प्राप्त करने वाली अथवा सुविकसित सिंचाई की सुविधाओं वाली गहरी, उपजाऊ समतल भूमि पर प्रायः सघन जनसंख्या पायी जाती है। यह इन्हीं कारकों का असर है कि उत्तर भारत के मैदानों, डेल्टाओं और तटीय मैदानों में जनसंख्या का अनुपात. दक्षिणी और मध्य भारत के राज्यों के आन्तरिक जिलों; हिमालय, उत्तर-पूर्वी और पश्चिमी कुछ राज्यों की अपेक्षा अधिक है। सामान्यतः ऊबड़-खाबड़ पर्वतीय क्षेत्र तथा जलविहीन रेतीली व पथरीली भूमि जनसंख्या के जमाव को प्रोत्साहित नहीं करती। फिर भी सिंचाई के विकास (राजस्थान) और खनिज एवं ऊर्जा संसाधनों की उपलब्धता (झारखण्ड) और परिवहन तन्त्र के विकास (प्रायद्वीपीय राज्य) की वजह से उन क्षेत्रों में जहाँ कभी जनसंख्या कम पायी जाती थी, वहाँ अब मध्यम से उच्च जनसंख्या घनत्व पाया जाता है।

137.

संसार में जनसंख्या के घनत्व तथा वितरण को प्रभावित करने वाले भौगोलिक कारकों की विवेचना कीजिए।याजनसंख्या के असमान वितरण के लिए उत्तरदायी भौगोलिक कारकों का वर्णन कीजिए। विश्व में एशिया के असमान वितरण की व्याख्या कीजिए तथा ऐसे असमान वितरण के किन्हीं तीन कारणों का वर्णन कीजिए। याजनसंख्या-वृद्धि के लिए उत्तरदायी भौगोलिक कारकों का विश्लेषण कीजिए।याजनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले कारकों की समीक्षा कीजिए। याविश्व की जनसंख्या का वर्णन निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत कीजिए –(क) जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले भौगोलिक कारक(ख) जनसंख्या का वितरण। 

Answer»

मानव- भूगोल के अध्ययन में मानवे का केन्द्रीय स्थान है, क्योकि मानव ही अपने प्राकृतिक और सांस्कृतिक पर्यावरण का उपभोग करता है, उनसे प्रभावित होता है और उनमें अपनी आवश्यकतानुसार परिवर्तन करता है। पृथ्वीतल पर सभी आर्थिक व्यवसाय मानव द्वारा सम्पन्न होते हैं। इसी कारण पृथ्वीतल पर जनसंख्या कितनी है, उसका वितरण किन प्रदेशों में अधिक या कम है, उसमें कितनी वृद्धि अथवा कमी हुई है, उसकी क्षमता कैसी है तथा उसकी समस्याएँ क्या हैं आदि सभी तथ्यों का अध्ययन करना बड़ा महत्त्वपूर्ण है।

जनसंख्या अध्ययन का मुख्य उद्देश्य पृथ्वीतल के विभिन्न प्रदेशों में जनसंख्या की स्थिति, वृद्धि अथवा कमी, उसकी भिन्नताएँ, घनत्व, आवास-प्रवास, शारीरिक शक्ति, आयु-वर्ग, पुरुष-महिला अनुपात तथा जनसंख्या के आर्थिक विकास की अवस्थाओं का पता लगाना होता है।
विश्व में जनसंख्या के वितरण में प्राचीन काल से अब तक बहुत-से परिवर्तन हुए हैं। पृथ्वी पर जनसंख्या के वितरण की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि भूतल पर मनुष्यों का निवास असमान है। केवल कुछ प्रदेश ऐसे हैं जहाँ मानव-निवास अति सघन है, जबकि बहुत-से भूभाग खाली पड़े हैं। विश्व की 50 प्रतिशत जनसंख्या; भू-स्थल के केवल 5 प्रतिशत भाग पर निवास करती है, जबकि 7 प्रतिशत क्षेत्रफल ऐसा है जहाँ केवल 5% जनसंख्या ही रहती है; अत: स्थल-खण्ड का कम बसा भाग बहुत बड़ा है। पश्चिमी गोलार्द्ध के स्थल भाग पर केवल एक-चौथाई जनसंख्या निवास करती है। इस वितरण पर प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक विषमताओं का भी प्रभाव पड़ता है।

जनसंख्या के घनत्व तथा वितरण को प्रभावित करने वाले कारक
Factors Affecting the Density and Distribution of Population

जनसंख्या का घनत्व – जनसंख्या के घनत्व का आशये किसी क्षेत्र में निवास करने वाली जनसंख्या की सघनता से है। जनसंख्या के घनत्व को प्रति वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर निवास करने वाले व्यक्तियों की संख्या के रूप में मापा जाता है। घनत्व ज्ञात करने के लिए किसी क्षेत्र की कुल जनसंख्या को उसके क्षेत्रफल से भाग दिया जाता है। घनत्व से जनसंख्या के किसी क्षेत्र में संकेन्द्रण की मात्रा का बोध होता है।

जनसंख्या के घनत्व तथा वितरण पर निम्नलिखित भौगोलिक एवं अन्य कारकों का प्रभाव पड़ता है –

1. स्थिति (Location) – किसी प्रदेश की स्थिति का प्रभाव उसके समीपवर्ती देशों, परिवहन, व्यापार तथा मानव इतिहास पर पड़ता है। उदाहरण के लिए, हिन्द महासागर में भारत की स्थिति केन्द्रीय होने के कारण मध्य-पूर्व के देशों तथा पूर्वी गोलार्द्ध के देशों के साथ समुद्री व्यापार की सुविधा रखने वाली है। विश्व की लगभग 75 प्रतिशत जनसंख्या तटीय भागों तथा उनकी सीमा-पेटियों में निवास करती है। भूमध्यसागरीय भागों में उसके चारों ओर प्राचीन काल से ही मानव-बस्तियों का विकास होता रही हैं। यहाँ मछलियों की प्राप्ति, सम-जलवायु, समतल मैदानी भूमि जिसमें कृषि, उद्योग, परिवहन एवं मानव-आवासों का तीव्र गति से विकास हुआ है। इसीलिए इन भागों में सघन जनसंख्या का संकेन्द्रण हुआ है।

2. जलवायु (Climate) – सभी कारकों में जलवायु महत्त्वपूर्ण साधन है, जो जनसंख्या को । किसी स्थान पर बसने के लिए प्रेरित करती है। विश्व के सबसे घने बसे भाग मानसूनी प्रदेश तथा सम-शीतोष्ण जलवायु के प्रदेश हैं। चीन, जापान, भारत, म्यांमार, वियतनाम, बांग्लादेश तथा पूर्वी-द्वीप समूह की जलवायु मानसूनी है, जबकि पश्चिमी यूरोप एवं संयुक्त राज्य की जलवायु सम-शीतोष्ण है; अतः इन देशों में सघन जनसंख्या का निवास हुआ है।
इसके विपरीत जिन प्रदेशों की जलवायु उष्ण एवं शुष्क है, वहाँ बहुत ही कम जनसंख्या निवास करती है। उदाहरण के लिए, सहारा, कालाहारी, अटाकामा, अरब, थार एवं ऑस्ट्रेलियाई मरुस्थलों में जनसंख्या का घनत्व एक व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है। अति उष्ण एवं आर्दै प्रदेशों में भी जनसंख्या कम है; जैसे- अमेजन बेसिन के पर्वतीय एवं पठारी क्षेत्रों में।
मानव-आवास के लिए स्वस्थ अनुकूलतम जलवायु वह है जिसमें ग्रीष्म ऋतु का अधिकतम औसत तापमान 18°सेग्रे से कम तथा शीत ऋतु के सबसे ठण्डे महीने का तापमान 3° सेग्रे से कम न हो। सामान्यतया 4°-21° सेग्रे तापमान के प्रदेश जनसंख्या के आवास के लिए सर्वाधिक अनुकूल माने जाते हैं। वर्षा की मात्रा में वृद्धि के साथ-साथ जनसंख्या के घनत्व में भी वृद्धि होती जाती है तथा उसके घटने के साथ-साथ जनसंख्या घनत्व में कमी होती जाती है।
3. भू-रचना (Terrain) – भू-रचना का जनसंख्या से गहरा सम्बन्ध है। समतल मैदानी भागों में कृषि, सिंचाई, परिवहन, व्यापार आदि का विकास अधिक होता है; अतः मैदानी क्षेत्र सघन रूप से बस जाते हैं। पर्वतीय एवं पहाड़ी क्षेत्रों में कष्टदायकं एवं विषम भूमि की बनावट होने के कारण बहुत कम लोग निवास करना पसन्द करते हैं। भारत के असम राज्य में केवल 397 मानव प्रति वर्ग किमी निवास करते हैं, जबकि गंगा के डेल्टा में 800 से भी अधिक व्यक्ति प्रति वर्ग किमी निवास कर रहे हैं। विश्व में जनसंख्या के चार समूहों का संकेन्द्रण हुआ है-

⦁    चीन एवं जापान,
⦁    भारत एवं बांग्लादेश,
⦁    यूरोपीय देश एवं
⦁    पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका।

विश्व में उपजाऊ भूमि के कारण नदी-घाटियाँ भी सघन रूप से बसी हैं।

4. स्वच्छ जल की पूर्ति (Supply of Clean water) – जल मानव की मूल आवश्यकता है। जल की आवश्यकता मुख्यत: तीन प्रकार की है –

⦁    घरेलू आवश्यकताओं के लिए जल की पूर्ति
⦁    औद्योगिक कार्यों के लिए जल की पूर्ति एवं
⦁    सिंचाई के लिए जल की पूर्ति।

अतः जिन प्रदेशों एवं क्षेत्रों में शुद्ध एवं स्वच्छ मीठे जल की पूर्ति की सुविधी होती है, वहाँ जनसंख्या भी अधिक निवास करने लगती है; जैसे-नदी-घाटियों एवं समुद्रतटीय क्षेत्रों में।

5. मिट्टियाँ (Soils) – जनसंख्या का मूल आधार भोजन है जिसके बिना वह जीवित नहीं रह सकती। शाकाहारी भोजन प्रत्यक्ष रूप से एवं मांसाहारी भोजन अप्रत्यक्ष रूप से मिट्टी में ही उत्पन्न होते हैं। जिन प्रदेशों की मिट्टियाँ उपजाऊ होती हैं, वहाँ सघन जनसंख्या निवास करती है। चीन, भारत एवं यूरोपीय देशों में नदियों की घाटियों में मिट्टी की अधिक उर्वरा शक्ति के कारण सघन जनसंख्या निवास कर रहा है।

6. खनिज पदार्थ (Minerals) – जिन प्रदेशों में खनिज पदार्थों का बाहुल्य होता है, वहाँ उद्योगों के विकसित होने की पर्याप्त सम्भावनाएँ रहती हैं। इस कारण ये क्षेत्र जनसंख्या को अपनी ओर आकर्षित करते हैं तथा विषम परिस्थितियों में भी इन प्रदेशों में सघन जनसंख्या का आवास रहता है। यूरोप महाद्वीप के सघन बसे प्रदेश कोयले एवं लोहे की खानों के समीप ही स्थित मिलते हैं। इसी प्रकार रूस के उन क्षेत्रों में जनसंख्या अधिक है, जहाँ खनिज भण्डार अधिक हैं।

7. शक्ति के संसाधन (Power Resources) – उद्योगों एवं परिवहन के साधनों के संचालन में कोयला, पेट्रोलियम, जल-विद्युत एवं प्राकृतिक गैस की आवश्यकता होती है तथा इनकी प्राप्ति वाले क्षेत्रों में जनसंख्या भी सघन रूप में निवास करने लगती है।

8. आर्थिक उन्नति की अवस्था (Stage of Economic Progress) – किसी प्रदेश की आर्थिक स्थिति में वृद्धि होने पर उसकी जनसंख्या-पोषण की क्षमता में भी वृद्धि हो जाती है; अत: इन प्रदेशों में जनसंख्या भी अधिक निवास करने लग जाती है। कृषि उत्पादन कम होने पर भी इन प्रदेशों में खाद्यान्न विदेशों से आयात कर लिये जाते हैं, क्योंकि आयात करने के लिए उनकी आर्थिक स्थिति अनुकूल होती है।

9. तकनीकी प्रगति का स्तर (Level of Technological Progress) – तकनीकी विकास के द्वारा नवीन यन्त्रों, उपकरणों एवं मशीनों के उत्पादन में वृद्धि होती है जिससे विभिन्न क्षेत्रों के उत्पादों में भी वृद्धि होती है एवं ऋतु तथा जलवायु की विषमताओं पर नियन्त्रण कर लिया जाता है। इन सुविधाओं के स्तर में वृद्धि से जनसंख्या में भी वृद्धि हो जाती है। यूरोप के औद्योगिक प्रदेशों में 700 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी से भी अधिक जन-घनत्व इसी कारण मिलता है।

10. सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारक (Social and Cultural Factors) – सामाजिक रीतिरिवाजों, धार्मिक विश्वासों एवं जीवन के प्रति दृष्टिकोण का प्रभाव जनसंख्या वितरण पर भी पड़ता है। जिस समाज में लोग भाग्यवादी होते हैं, उनमें परिवार-कल्याण कार्यक्रमों के प्रति विश्वास एवं रुचि न होने के कारण अधिक सन्तति से जनसंख्या में वृद्धि होती चली जाती है। उदाहरण के लिए, भारत में मुस्लिम लोगों का परिवार-कल्याण के प्रति धार्मिक विश्वास न होने के कारण उनकी जनसंख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि होती जा रही है।

11. राजनीतिक कारक (Political Factors) – राजनीतिक नियमों का प्रभाव भी जनसंख्या वितरण पर प्रत्यक्ष रूप से पड़ता है। उदाहरणार्थ- ऑस्ट्रेलिया का क्षेत्रफल भारत की अपेक्षा लगभग तीन गुना अधिक है, जब कि ऑस्ट्रेलिया की जनसंख्या भारत की जनसंख्या का केवल 1/50 भाग ही है। इसका प्रमुख कारण ऑस्ट्रेलिया सरकार की श्वेत नीति (White Policy) है जो गोरी जातियों के अतिरिक्त दूसरी नस्ल के लोगों को ऑस्ट्रेलिया में बसने से रोकती है।

12. मनोवैज्ञानिक कारक (Psychological Factors) – किसी प्रदेश में मानव के कम या अधिक निवास के लिए उसकी छाँट दो सीमाओं के मध्य रहती है। एक ओर प्राकृतिक पर्यावरण द्वारा निश्चित की हुई सीमा तथा दूसरी ओर सरकारी नीति। इस प्रकार कुछ मानव थोड़े संसाधनों के क्षेत्र में बसे होते हैं तथा उनकी जीविकोपार्जन की विधि भी पिछड़ी हुई होती है। ऐसे उदाहरण पर्वतीय तथा वन-क्षेत्रों में अधिक मिलते हैं। विश्व के दक्षिणी महाद्वीपों में ऐसे क्षेत्र अधिक मिलते हैं।

13. पर्यावरण की वांछनीयता (Environmental Desirability) – मानवीय सभ्यता के विकास के साथ-सांथ परिवहन, संचार आदि साधनों में वृद्धि से विभिन्न प्रदेशों की वांछनीयता में भी परिवर्तन हो जाते हैं। जहाँ आर्थिक विकास की सम्भावनाएँ अत्यधिक दिखलाई पड़ती हैं, उन क्षेत्रों में मानव के बसने की इच्छा भी अधिक रहती है। उदाहरणार्थ-बिहार राज्य के उत्तरी भाग में कृषि द्वारा सघन जनसंख्या पोषण करने की क्षमता विद्यमान है और दक्षिण की ओर छोटा नागपुर पठारे में खनिज पदार्थों के कारण औद्योगिक विकास की भारी क्षमता है। अत: बिहार राज्य में इन सम्भावनाओं के कारण जनसंख्या भी सघन होती जा रही है। इसके विपरीत सम्भावनाओं की कमी के कारण हिमालय के तराई प्रदेश में जनसंख्या विरल है।

14. अन्तर्राष्ट्रीय पारस्परिक निर्भरता (International Interdependence) – वर्तमान समय में विशेषीकरण में वृद्धि के फलस्वरूप सभ्य राष्ट्र अपनी खाद्यान्न आवश्यकता के लिए एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं। उदाहरण के लिए, ब्रिटेन तथा जर्मनी के खाद्यान्न अधिकतर ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अर्जेण्टाइना आदि देशों से मशीनों के बदले आते हैं; अर्थात् एक देश दूसरे देश की उपज को आसानी से बदल सकता है। इससे विशेषीकरण में वृद्धि होती है तथा अधिक जनसंख्या का पोषण सम्भव हो सकता है। इसी प्रकार जापान ने भी सघन जनसंख्या के पोषण की क्षमता आसानी से प्राप्त कर ली है। अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार ने विभिन्न देशों की आर्थिक निर्भरता की अपेक्षा विशेषीकरण को प्रोत्साहन दिया है, परन्तु कभी-कभी राजनीतिक सम्बन्ध खराब होने से विभिन्न देशों में युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। अतः इसके लिए एक देश को दूसरे देश की विशेषताओं को उचित प्रकार से समझना चाहिए।

138.

1951 में भारत में बालमृत्युदर का प्रमाण कितना था ?(A) 40.8(B) 146(C) 150(D) 110

Answer»

सही विकल्प है (B) 146

139.

निम्नलिखित देशों में से किस देश की जनसंख्या सर्वाधिक है ?(क) भारत(ख) चीन(ग) रूस(घ) संयुक्त राज्य अमेरिका

Answer»

सही विकल्प है (ख) चीन।

140.

अफ्रीका महाद्वीप के वे प्रमुख क्षेत्र बताइए जहाँ जनसंख्या का घनत्व मात्र 2 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है।

Answer»

अफ्रीका महाद्वीप के वे क्षेत्र जहाँ जनसंख्या का घनत्व मात्र 2 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है, इस प्रकार हैं-सहारा का मरुस्थल, कालाहारी मरुस्थल तथा अबीसीनिया का पठार।

141.

नगरीकरण से क्या आशय है?

Answer»

ग्रामीण जनसंख्या से नगरीय जनसंख्या में समाज के बदलने की प्रक्रिया को ‘नगरीकरण’ कहते हैं।

142.

2011 की जनगणना के अनुसार भारत का जनसंख्या घनत्व कितना है(a) 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी(b) 360 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी(c) 344 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी(d) 316 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी।

Answer»

(a) 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी।।

143.

नगरों में बढ़ती हुई जनसंख्या ने न केवल नगरीय केन्द्रों में समस्याएँ पैदा की हैं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों को भी प्रभावित किया है। प्रत्येक के विषय में दो बिन्दु स्पष्ट कीजिए।

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(क) बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण नगरीय केन्द्रों में उत्पन्न समस्यायें इस प्रकार हैं-

⦁    लोगों के नैतिक मूल्यों में परिवर्तन और गिरावट।
⦁    चोरबाजारी, कालाबाजारी, रिश्वत तथा लूट-पाट का बोलबाला।।
⦁    नगरों के संसाधनों तथा जन सुविधाओं पर भारी दबाव पड़ता है।
⦁    आवश्यक वस्तुओं की कमी तथा उनके मूल्यों में आशातीत वृद्धि।
⦁    वस्तुओं की गुणवत्ता में गिरावट आना।

(ख) नगरीय जनसंख्या में वृद्धि का ग्रामीण क्षेत्रों पर प्रभाव इस प्रकार है-

⦁    रोजगार की खोज में लोगों को ग्रामीण क्षेत्र से नगरीय क्षेत्रों की ओर पलायन करना।
⦁    भूमिहीन किसानों की निर्धनता में वृद्धि। कृषि जोतों का अलाभकारी होना तथा छोटे किसानों के गाँव में बेकार हो जाने से उनका नगरों में जाकर मजदूरी करना।

144.

सन् 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या निम्नलिखित में से कौन-सी है(क) 102.8 करोड़(ख) 318.2 करोड़(ग) 328.7 करोड़(घ) 121 करोड़ा

Answer»

(घ) 121 करोड़।  

145.

रिक्त स्थानों की पूर्ति-2001 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल शहरी जनसंख्या लगभग ………. है।ग्रामीण क्षेत्रों में श्रमिकों का प्रतिशत ………….. है।2011 की जनगणना के अनुसार भारत में जनसंख्या घनत्व ………… प्रति वर्ग किलोमीटर है।देश में मुख्य श्रमिकों का प्रतिशत ……………. है।देश में मुख्य श्रमिकों का सबसे अधिक प्रतिशत …………… में है।देश में 15-65 आयु वर्ग में ……………. प्रतिशत जनसंख्या है।

Answer»
  1. 1.35 करोड़
  2. 40 %
  3. 382
  4. 37.50
  5. आंध्रप्रदेश
  6. 58.4