InterviewSolution
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कथावस्तु के आधार पर ‘पंचलाइट’ कहानी की समीक्षा कीजिए।या‘पंचलाइट’ का कथानक लिखिए तथा उसके उद्देश्य पर प्रकाश डालिए। ‘पंचलाइट’ कहानी के उद्देश्य को स्पष्ट कीजिए।या‘पंचलाइट’ कहानी के कथानक की विवेचना कीजिए। याकहानी-कला के आधार पर पंचलाइट कहानी के कथानक पर प्रकाश डालिए। |
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Answer» फणीश्वरनाथ रेणु जी हिन्दी-जगत् के सुप्रसिद्ध आंचलिक कथाकार हैं। अनेक जनआन्दोलनों से वे निकट से जुड़े रहे, इस कारण ग्रामीण अंचलों से उनका निकट का परिचय है। उन्होंने अपने पात्रों की कल्पना किसी कॉफी हाउस में बैठकर नहीं की, अपितु वे स्वयं अपने पात्रों के बीच रहे हैं। बिहार के अंचलों के सजीव चित्र इनकी कथाओं के अलंकार हैं। ‘पंचलाइट’ भी बिहार के आंचलिक परिवेश की कहानी है। कहानी-कला की दृष्टि से इस कहानी की समीक्षा (विशेषताएँ) निम्नवत् है- (1) शीर्षक-कहानी का शीर्षक ‘पंचलाइट’; एक सार्थक और कलात्मक शीर्षक है। यह शीर्षक संक्षिप्त और उत्सुकतापूर्ण है। शीर्षक को पढ़कर ही पाठक कहानी को पढ़ने के लिए उत्सुक हो जाता है। ‘पंचलाइट’ का अर्थ है ‘पेट्रोमैक्स’ अर्थात् ‘गैस की लालटेन’। शीर्षक कथा का केन्द्रबिन्दु है। (2) कथानक-महतो टोली के सरपंच पेट्रोमैक्स खरीद लाये हैं, परन्तु इसे जलाने की विधि वहाँ कोई नहीं जानता। दूसरे टोले वाले इस बात का मजाक बनाते हैं। महतो टोले का एक व्यक्ति पंचलाइट जलाना जानता है और वह है-‘गोधन’, किन्तु वह जाति से बहिष्कृत है। वह ‘मुनरी’ नाम की लड़की का प्रेमी है। उसकी ओर प्रेम की दृष्टि रखने के कारण ही पंच उसे बिरादरी से बहिष्कृत कर देते हैं। मुनरी इस बात की चर्चा करती है कि गोधन पंचलाइट जलाना जानता है। इस समय जाति की प्रतिष्ठा का प्रश्न है, अत: गोधन को पंचायत में बुलाया जाता है। वह पंचलाइट को स्पिरिट के अभाव में गरी के तेल से ही जला देता है। अब न केवल गोधन पर लगे सारे प्रतिबन्ध हट जाते हैं वरन् उसे मनोनुकूल आचरण की भी छूट मिल जाती है। पंचलाइट की रोशनी में गाँव में उत्सव मनाया जाता है। प्रस्तुत कहानी में कहानीकार ने यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि आवश्यकता किसी भी बुराई को अनदेखा कर देती है। कथानक संक्षिप्त, रोचक, सरल, मनोवैज्ञानिक, आंचलिक और यथार्थवादी है। कौतूहल और गतिशीलता के अलावा इसमें मुनरी तथा गोधन का प्रेम-प्रसंग बड़े स्वाभाविक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। (3) उद्देश्य–इस कहानी के द्वारा रेणु जी ने अप्रत्यक्ष रूप से ग्राम-सुधार की कोशिश की है। उन्होंने ग्रामीण अंचल का वास्तविक चित्र खींचा है। गोधन के द्वारा ‘पेट्रोमैक्स’ जलाने पर उसकी सभी गलतियाँ माफ कर दी जाती हैं तथा उसे मनोनुकूल आचरण की छूट भी मिल जाती है जिससे स्पष्ट है, कि आवश्यकता बड़े-से-बड़े रूढ़िगत संस्कार और परम्परा को व्यर्थ साबित कर देती है। इस प्रकार पंचलाइट जलाने की समस्या और उसके समाधान के माध्यम से कहानीकार फणीश्वरनाथ रेणु जी ने ग्रामीण मनोविज्ञान का सजीव चित्र उपस्थित कर दिया है। ग्रामवासी जाति के आधार पर किस प्रकार टोलियों में विभक्त हो जाते हैं और आपस में ईष्र्या-द्वेष युक्त भावों से भरे रहते हैं इसका बड़ा ही सजीव चित्रण इस कहानी में हुआ है। रेणु जी ने यह भी दर्शाया है कि भौतिक विकास के इस आधुनिक युग में भी भारतीय गाँव और कुछ जातियाँ कितने अधिक पिछड़े हुए हैं। कहानी के माध्यम से रेणु जी ने अप्रत्यक्ष रूप से ग्राम-सुधार की प्रेरणा भी दी है। |
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| 2. |
पंचलाइट आने के बाद लोगों ने समुदाय, पंचों की किस कमी की ओर संकेत लिए है? |
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Answer» महतो टोली की पंचलाइट तो सरदार, दीवान आदि ले आए। परन्तु इस टोली में पंचलाइट जलाना किसी को नहीं आता था। पंचलाइट जलाने के लिए स्पिरिट की जरूरत पड़ती है, पंचलाइट लानेवाले वह भी नहीं लाए थे। इधर पूजा-कीर्तन की तैयारी हो चुकी थी, पर पंचलाइट जलानेवाले की कमी से सारे किए-कराए पर पानी फिर रहा था। इन कमियों के कारण लोग मन-ही-मन सरदार, दीवान और पंचों की बुद्धि पर अविश्वास प्रकट कर रहे थे। |
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| 3. |
पंचलाइट कहानी के प्रमुख पात्र का चरित्रांकन कीजिए। |
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Answer» ‘पंचलाइट’ फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ की एक आंचलिक कहानी है। यह कहानी ग्रामीण जीवन पर आधारित है। इसमें ग्रामवासियों की मन:स्थिति की वास्तविक झलक देखने को मिलती है। गोधन इस कहानी का एक मुख्य पात्र है, जिसे समाज के लोग बहिष्कृत कर देते हैं। गोधन के चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं– (1) योग्य युवक-‘गोधन’ ‘पंचलाइट’ कहानी का एक ऐसा पात्र है जो अशिक्षित होते हुए भी योग्य है। पेट्रोमैक्स जलाने के कार्य को उसकी बिरादरी का कोई भी व्यक्ति नहीं जानता, परन्तु वह उसे जला देता है। |
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महतो पंचायत के कौन-कौन से व्यक्ति पेट्रोमेक्स लेने गए थे? |
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Answer» महतो पंचायत का छड़ीदार, सरदार, दीवान तथा अन्य पंच पेट्रोमेक्स लेने गए थे। |
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ब्राह्मण टोले के फुटंगी झा ने क्या कहकर पेट्रोमेक्स का मजाक उड़ाया? |
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Answer» ब्राह्मण टोले के फुटंगी झा ने पेट्रोमेक्स को लालटेन कहकर उसका मजाक उड़ाया। |
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पेटोमेक्स जलाने में क्या-क्या यत्न किये जाते हैं ? अपने शब्दों में लिखिए। |
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Answer» पंचलाइट जलाने के लिए गुलरी काकी गोधन को मनाकर बुला लाई। रूदल साह बनिये की दुकान से तीन बोतल केरोसिन मंगवा लिया गया था। गोधन ने स्पिरिट मांगी जो किसी के पास नहीं था। उसके न मिलने पर गोधन ने गरी का तेल मांगा। मुनरी दौड़कर एक मलसी गरी का तेल ले आई। गोधन पंचलाइट में पंप देने लगा। पंचलाइट की रेशमी थैली से धीरे-धीरे रोशनी आने लगी। गोधन कभी मुंह से फूंक देता, कभी पंचलाइट की चाबी घुमाता। थोड़ी देर बाद पंचलाइट से पूरी तरह प्रकाश आने लगा। पेट्रोमेक्स जलाने में इस तरह प्रयत्न किए गए हैं। |
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बकसा किसके हाथ में था ? उसके पीछे कौन चल रहा था ? |
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Answer» मेले में पंचायत ने पंचलाइट खरीदी, तो सभी पंच वहाँ से दिन-दहाड़े ही गांव लौटे थे। आते समय छड़ीदार के माथे पर पंचलाइट का डिब्बा था। (जिसे उसने हाथों से पकड़ रखा था।) छड़ीदार के पीछे सरदार, दीवान और पंच आदि चल रहे थे। |
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‘कल कब्जेवाली चीज का नखरा बहुत बड़ा होता है।’ |
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Answer» छड़ीदार द्वारा गोधन से पंचलाइट जलाने के लिए कहा जाता है, तो उसे डर लगता है कि पेट्रोमेक्स जलाने में उससे कोई गड़बड़ी हो गई तो उसे दंड – जुर्माना भरना पड़ेगा। महतो टोली के लोग उससे पहले से नाराज हैं और उन्होंने उसका हुक्का-पानी बंद कर रखा है। इसलिए वह अपनी सुरक्षा के लिए पहले से ही उन्हें बता देता है कि ‘कल-कब्जेवाली चीज का नखरा बहुत होता है।’ यानी पंचलाइट जलाते समय यदि उससे कोई गड़बड़ी हो जाए, तो उसको दोष न दिया जाए। |
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रूदल साह बनिए की दुकान से क्या खरीदा गया ? |
| Answer» रूदल साह बनिए की दुकान से तीन बोतल किरासन (केरोसिन) तेल खरीदा गया। | |
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टोली के सरदार की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए। |
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Answer» टोली के सरदार को अपनी बड़ाई करने का शौक है। अपनी जाति की बेइज्जती उसे स्वीकार नहीं है। जाति की इज्जत बचाने के लिए ही वह गोधन को फिर से पंचायत में ले जाता है। वह उसके सात खून माफ कर देता है। इतना ही नहीं, उसे सिनेमा का गाना गाने की पूरी छूट भी देता है। इस प्रकार टोली का सरदार व्यक्तिगत सम्मान की अपेक्षा जाति के गौरव को प्रमुखता देता है। |
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मुनरी ने अपनी सहेली कनेली के कान में क्या कहा ? उसका क्या असर हुआ ? |
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Answer» पंचायत के सामने समस्या थी, पंचलाइट जलाए कौन? मुनरी को पता था, गोधन को पंचलाइट जलाना आता है। उसने अपनी सहेली कनेली के कान में कहा, “चिगो, चिध, चिन!” (यानी गोधन)। कनेली ने सरदार को यह बात बताई। इसका यह असर हुआ कि गोधन का बहिष्कार खोल दिया गया और उसने पंचलाइट जलाकर महतो टोली की नाक रख ली। |
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पेट्रोमेक्स के बारे में जाति के लोगों की क्या समस्या थी ? |
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Answer» पेट्रोमेक्स के बारे में जाति के लोगों की यह समस्या थी कि उन लोगों में से कोई उसे जलाना नहीं जानता था। |
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‘जाति की बंदिश क्या जबकि जाति की इज्जत पानी में बही जा रही है।’ |
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Answer» कहा गया है कि यदि किसी छोटी चीज का त्याग करके बड़े नुकसान से बचा जा सकता हो, तो उस चीज का त्याग करना ही उचित है। महतो टोली ने गोधन का हुक्का-पानी बंद किया था। पेट्रोमेक्स न जलने पर समूची महतो जाति की इज्जत जा रही थी। गोधन को पेट्रोमेक्स जलाना आता था। इसलिए सरदार और सभी लोग गोधन पर से जाति की बंदिश हटाने और उससे टोली की पेट्रोमेक्स जलवाने का निर्णय करते हैं। इससे महतो जाति की इज्जत जाने से बच जाती है। जाति की इज्जत के सामने जाति की बंदिश हटाना कोई महत्त्व नहीं रखता। |
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गाँव की प्रत्येक पंचायत के पास कौन-कौन सी चीजें थीं ? |
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Answer» गाँव में सब मिलाकर आठ पंचायतें थीं। सभी पंचायतों में दरी, जाजिम, सतरंजी और पेट्रोमेक्स आदि चीजें थीं। |
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‘कहा सुना माफ करना! मेरा क्या कसूर!’ |
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Answer» गोधन मुनरी को देखकर सिनेमा का ‘सनम-सनम’ गीत गाकर आँख से इशारा करता था। मुनरी की माँ गुलरी काकी की शिकायत पर महतो टोली ने उसे समाज से बहिष्कृत कर दिया था। लेकिन मुनरी की ओर से गोधन की कोई शिकायत नहीं की गई थी। गोधन ने जब टोली की पेट्रोमेक्स जलाकर जाति की इज्जत रख ली, तो उसने सबका दिल जीत लिया। इस अवसर पर मुनरी उससे माफी मांगने के अंदाज में यह वाक्य कहती है। |
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औरतों की मंडली में गुलरी काकी क्या कर रही थी ? |
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Answer» औरतों की मंडली में गुलरी काकी गोसाई का गीत गुनगुना रही थीं। |
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गाँव में कुल कितनी पंचायतें थीं?(क) चार(ख) पाँच(ग) आठ(घ) छः |
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Answer» गाँव में कुल आठ पंचायतें थीं। |
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गोधन को जाति से बाहर क्यों कर दिया गया था? |
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Answer» गोधन दूसरे गाँव से आकर इस गांव में बस गया था। वह गुलरी काकी की बेटी मुनरी को देखकर रोज ‘सनम-सनम’ वाला गीत गाता था। गुलरी ने इसकी शिकायत पंचों से की थी। पंचों को पान-सुपारी का खर्च न देने से वे भी गोधन से नाराज थे। उन्होंने उस पर दस रुपया जुर्माना कर दिया था। गोधन ने न जुर्माना भरा, न किसी की परवाह की। इसलिए पंचों ने उसे जाति से बाहर कर दिया था। |
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गोधन के द्वारा पेट्रोमेक्स जलाने पर पंचों ने क्या किया ? |
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Answer» गोधन के द्वारा पेट्रोमेक्स जलाने पर उसकी रोशनी से सारा टोला जगमगा उठा। लोगों के दिलों का मैल दूर हो गया। सबने कहा गोधन बड़ा काबिल लड़का है। सरदार ने गोधन से कहा, “तुमने जाति की इज्जत रखी है, तुम्हारा सात खून माफ। खूब गाओ सलीमा का गाना।” |
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महतो टोली ने पेट्रोमेक्स खरीदने के लिए पैसे का इन्तजाम कैसे हुआ था ? |
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Answer» पिछले पन्द्रह महीने से दंड – जुर्माने से इकड़े हुए पैसों से महतो टोली में पेट्रोमेक्स खरीदने के लिए पैसे का इन्तजाम हुआ था। |
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पंचलाइट कितने रुपये में खरीदा गया ?(क) पाँच कोड़ी(ख) दो कोड़ी(ग) सात कोड़ी(घ) सौ कोड़ी |
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Answer» पंचलाइट पाँच कोड़ी में खरीदा गया। |
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गोधन पर कितना रुपया जुरमाना लगाया गया था ?(क) दस रुपया(ख) बीस रुपया(ग) पचास रुपया(घ) सौ रुपया |
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Answer» गोधन पर दस रुपए का जुर्माना लगाया गया था। |
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पंचलाइट जलाने के लिए मुनरी क्या लाती है?(क) किरासीन(ख) गरी का तैल(ग) स्पीरीट(घ) पेट्रोल |
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Answer» पंचलाइट जलाने के लिए मुनरी गरी का तेल लाती है। |
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पंचलाइट कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए। |
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Answer» ‘पंचलाइट’ रेणु जी की आंचलिक कहानी है। कहानी में बिहार के एक पिछड़े गाँव के परिवेश का सुन्दर चित्रण प्रस्तुत किया गया है। महतो टोली में अशिक्षित लोग हैं। उन्होंने रामनवमी के मेले से पेट्रोमेक्स खरीदा, जिसे वे ‘पंचलैट’ कहते हैं। ‘पंचलाइट’ को ये सीधे-सादे लोग सम्मान की चीज समझते हैं। पंचलाइट को देखने के लिए टोली के सभी बालक, औरतें और मर्द इकट्ठे हो जाते हैं। सरदार अपनी पत्नी को आदेश देता है कि शुभ कार्य को करने से पहले वह पूजा-पाठ का प्रबन्ध कर ले। सभी उत्साहित हैं, परन्तु समस्या उठती है कि ‘पंचलैट’ जलाएगा कौन ? सीधे-सादे लोग पेट्रोमैक्स को जलाना भी नहीं जानते। इस टोली में गोधन नाम का एक युवक है। वह गाँव की मुनरी नामक एक युवती से प्रेम करता है। मुनरी की माँ ने पंचों से गोधन की शिकायत की थी कि वह उसके घर के सामने से सिनेमा का गाना गाकर निकलता है। इस कारण पंचों ने उसे जाति से निकाल रखा है। मुनरी को पता है कि गोधन पंचलाइट जला सकता है। वह चतुराई से यह बात पंचों तक पहुँचा देती है। पंच गोधन को पुन: जाति में ले लेते हैं। वह ‘पंचलाइट’ को जला देता है। मुनरी की माँ गुलरी काकी प्रसन्न होकर गोधन को शाम के भोजन का निमन्त्रण देती है। पंच भी अति उत्साहित होकर गोधन को कह देते हैं-“तुम्हारा सात खून माफ। खूब गाओ सलीमा का गाना।” पंचलाइट की रोशनी में लोग भजन-कीर्तन करते हैं तथा उत्सव मनाते हैं। कहानी का कथानक सजीव है। सीधे-सादे अनपढ़ लोगों की संवेदनाओं को वाणी देने में रेणु जी समर्थ रहे हैं। इस कहानी में आंचलिक जीवन की सजीव झाँकी प्रस्तुत की गयी है। |
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आंचलिक कहानी से आप क्या समझते हैं? पंचलाइट कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए। |
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Answer» फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ प्रथम कथाकार हैं, जिन्होंने अपनी रचनाओं में आंचलिकता को स्थान दिया है। ‘अंचल’ किसी निश्चित भू-भाग को कहते हैं। वहाँ के निवासियों का रहन-सहन, वेशभूषा, रीति-रिवाज तथा लोक-संस्कृति का दर्शन उस आंचलिक रचना में होता है। रेणु जी से पूर्व यह शब्द केवल उपन्यासों में प्रयुक्त होता था। आंचलिकता के समावेश से इनकी कहानियाँ सजीव और मार्मिक होने के साथ-साथ ग्रामीण अंचलों की सम्पूर्ण तस्वीर भी पाठक के समक्ष प्रस्तुत करती हैं। ‘पंचलाइट’ कहानी बिहार के ग्रामीण वातावरण को पाठकों के समक्ष साकार करती है। डॉ० देवराज उपाध्याय के अनुसार-‘किसी प्रदेश विशेष का यथातथ्य और बिम्बात्मक वर्णन ही आंचलिकता है।” ‘रेणु’ की ‘पंचलाइट’ कहानी पूर्ण रूप से आंचलिक है। यह बिहार के ऐसे विशेष भाग से सम्बन्धित है, जो अभी अशिक्षित है, रूढ़िवादी और बौद्धिक चेतनाहीन है। इस कहानी में बिहार के ग्रामीण भू-भाग की सामाजिक परिस्थितियों पर प्रकाश डाला गया है तथा गाँव में अलग-अलग टोली बनाना, उनका आपस में वैमनस्य होना, एक-दूसरे की खिल्ली उड़ाना, झूठी शान-शौकत का दिखावा करना तथा रूढ़िवादिता आदि का सफल चित्रण करके वास्तविक स्थिति का परिचय दिया गया है। कहानी में प्रयुक्त ग्रामीण शब्दावली ने पूर्ण रूप से इसे आंचलिक बना दिया है। रोजमर्रा बोले जाने वाले शब्द, अंग्रेजी शब्दों का बिगड़ा रूप और पंचलाइट जलने पर उसकी जय-जयकार करना ग्रामवासियों के भोलेपन और स्वच्छ हृदय को प्रदर्शित करता है। |
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