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भारत में प्रति व्यक्ति आय कम होने के कारण बताइए।

Answer»

भारत में प्रति व्यक्ति आय कम होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं
1. कृषि की प्रधानता एवं कृषि का पिछड़ा होना –  भारतीय अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान है। देश की लगभग जनसंख्या 58.2% जनसंख्या कृषि तथा कृषि से सम्बन्धित कार्य में संलग्न है, जब कि भारत की राष्ट्रीय आय में कृषि का योगदान 22% तक ही है। फिर भी आज भारतीय कृषि पिछड़ी दशा में है, साथ ही कृषक रूढ़िवादी तथा भाग्यवादी हैं। अत: कृषि उत्पादन कम है तथा प्रति व्यक्ति आय आय भी नीची है।
2. औद्योगिक पिछड़ापन यद्यपि पंचवर्षीय योजनाओं के अन्तर्गत पर्याप्त औद्योगिक विकास हुआ है, फिर भी भारत विकसित देशों की तुलना में औद्योगिक दृष्टि से बहुत पीछे है। फलत: प्रति व्यक्ति आय का स्तर नीचा है।
3. जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि भारत की जनसंख्या लगभग 121 करोड़ है और उसमें तीव्र गति से वृद्धि हो रही है। जनाधिक्य के कारण भी प्रति व्यक्ति आय कम रहती है।
4. कम उत्पादकता भारत में प्रति श्रमिक उत्पादकता अन्य देशों की अपेक्षा कम है। इससे प्रति व्यक्ति आय भी कम रहती है।
5. साहस का अभाव भारत में विकसित देशों की अपेक्षा जोखिम उठाकर नवीन उद्योगों की स्थापना करने वाले साहसियों का अभाव है। अत: कुल उत्पादन तथा प्रति व्यक्ति उत्पादन का स्तर नीचा रहता है। अतः प्रति व्यक्ति आय भी कम रहती है।
6. पूँजी का अभाव भारत में बचतें कम होने के कारण पूँजी-निर्माण कम होता है। अत: निवेश भी कम होता है। अतः प्रति व्यक्ति आय कम रहती है।
7. प्राकृतिक साधनों का समुचित प्रयोग न होना नियोजित अर्थव्यवस्था के होते हुए भी देश के प्राकृतिक साधनों का समुचित एवं पूर्ण उपयोग नहीं हो पा रहा है। अतः कुल उत्पादन तथा प्रति व्यक्ति उत्पादन कम रहता है। अतः प्रति व्यक्ति आय भी कम रहती है।

52.

भारत में प्रति व्यक्ति आय का अनुमान सर्वप्रथम किसने लगाया था? (क) गोपालकृष्ण गोखले(ख) दादाभाई नौरोजी(ग) महात्मा गांधी(घ) स्वामी विवेकानन्द

Answer»

सही विकल्प है  (ख) दादाभाई नौरोजी।

53.

अंतर दीजिए : मुद्राकीय आय – वास्तविक आय.

Answer»
मुद्राकीय आयवास्तविक आय
चालू भाव अर्थात् वर्तमान भाव स्तर पर राष्ट्रीय आय की गणना की जाये तो उसे मुद्राकीय आय कहते हैं ।आधार वर्ष के भाव अर्थात स्थिर भाव पर राष्ट्रीय आय की गणना की जाये तो उसे वास्तविक राष्ट्रीय आय कहते हैं ।
वर्ष दरम्यान हुए तमाम वस्तुओं के उत्पादन को वस्तु के बाजार भाव के साथ गुणा करके मुद्राकीय आय प्राप्त होती है ।वर्ष दरम्यान उत्पन्न हए वस्तुओं के उत्पादन को वस्तु के स्थिर भाव के साथ गुणा करके वास्तविक आय प्राप्त की जाती है ।
इससे देश की वास्तविक स्थिति का ख्याल नहीं आता है ।इससे देश की वास्तविक स्थिति का ख्याल आता है ।
मुद्राकीय आय बढ़ने जीवनस्तर में सुधार हुआ है या नहीं इसका ख्याल नहीं आता है ।वास्तविक आय बढ़ने से जीवनस्तर में सुधार आता ही है ऐसा निश्चित ख्याल होता है ।

54.

मुद्राकीय राष्ट्रीय आय की किस भाव पर गणना की जाती है ?

Answer»

मुद्राकीय राष्ट्रीय आय चालू भाव अर्थात् अस्थिर भाव अर्थात् बाजार मूल्य पर गणना की जाती है ।

55.

राष्ट्रीय आय किसी समुदाय की वास्तविक आय जिसमें विदेशों से प्राप्त होने वाली आय भी सम्मिलित रहती है, का वह भाग है, जो द्रव्य द्वारा मापा जा सकता है। यह परिभाषा किस अर्थशास्त्री की है ?

Answer»

प्रो० पागू की।

56.

राष्ट्रीय आय की गणना में उत्पन्न समस्याओं की समझ संक्षिप्त में कीजिए ।

Answer»

राष्ट्रीय आय की गणना करते समय निम्नलिखित समस्याएँ – कठिनाईयाँ हैं :

  1. दोहरी गणना की समस्या
  2. स्वउपयोग की कठिनाईयाँ
  3. घिसाई जाने की कठिनाई
  4. करचोरी की वृत्ति
  5. गैरकानूनी आय
  6. शुद्ध विदेशी आय की समस्या
  7. गणना-हिसाब रखने की समस्याएँ, जो निम्नानुसार हैं – अशिक्षा, छोटे पैमाने पर उत्पादन – विक्रय, साटा पद्धति, एक की अपेक्षा अधिक व्यवसाय में रुके हुए लोग ।
57.

राष्ट्रीय आय मापने की खर्च की पद्धति को समझाइए ।

Answer»

राष्ट्रीय आय मापने की खर्च की पद्धति प्रो. फिशर की परिभाषा पर विकसित की गयी है । एक वर्ष के दरम्यान व्यक्तियों, परिवारों, इकाईयों और सरकार चीजवस्तुओं और सेवाओं पर जो कुल मुद्राकीय खर्च किया जाता है उसके योग को राष्ट्रीय आय कहते हैं । खर्च की पद्धति में एक वित्तीय वर्ष दरम्यान अंतिम वस्तुओं और सेवाओं की खरीदी के पीछे जो खर्च होता है उसका समावेश होता है । एक आर्थिक वर्ष दरम्यान कुल खर्च GDP जितना होता है ।

इस पद्धति में निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण बातों का समावेश होता है :

(1) मुद्राकीय खर्च के चार घटक हैं :

  • उपभोग खर्च : नागरिकों, परिवारों, व्यावसायिक इकाईयों द्वारा उपयोगी वस्तुओं के पीछे किया जानेवाला खर्च गिना जाता है । टी.वी., स्कूटर, कार जैसी टिकाऊ वस्तुएँ अनाज, फल, शाक-सब्जी जैसी नाशवंत वस्तुएँ तथा शिक्षा, डॉक्टरी सेवा, परिवहन, संचार जैसी सेवाओं के पीछे किए गए खर्च का समावेश किया जाता है ।
  • पूँजी निवेश खर्च : नागरिक, परिवार, व्यावसायिक इकाईयाँ जो पूँजीनिवेश खर्च को गणना में लिया जाता है । जैसे : कारखाना, मकान, प्लान्ट, यंत्रसामग्री व्यवसाय के लिए किए गए खर्च का समावेश किया जाता है ।
  • सरकारी खर्च : केन्द्र, राज्य तथा स्थानीय सरकारों द्वारा उपयोग खर्च, पूँजीनिवेश खर्च, प्रशासनिक खर्च आदि का समावेश किया जाता है ।
  • शुद्ध निर्यात खर्च : देश के नागरिकों का विदेशी वस्तुओं के आयात के पीछे का खर्च देश का खर्च है और अपनी निर्यातों में से विदेशी नागरिक अपनी वस्तुओं के पीछे खर्च करते हैं । अर्थात् अपने को आय प्राप्त होती है । इसके दोनों के पीछे अन्तर को शुद्ध निर्यात है जिसका समावेश राष्ट्रीय आय में करते हैं । कुल राष्ट्रीय आय = उपभोग खर्च + पूँजी निवेश खर्च + सरकारी खर्च + शुद्ध निर्यात खर्च ।

(2) राष्ट्रीय आय में न गिना जानेवाला खर्च : राष्ट्रीय आय में निम्नलिखित खर्च का समावेश नहीं होता है :

  1. सेकन्ड हेन्ड वस्तुओं के पीछे किया गया खर्च
  2. स्थानांतरण का खर्च
  3. पेन्शन, बेकारी भत्था, विधवा सहाय आदि ।
  4. पुराने शेयर के पीछे किया गया खर्च
  5. बीच में ही उपयोग की गयी वस्तु के पीछे किया खर्च

(3) राष्ट्रीय आय की गणना में कठिनाइयाँ : खर्च की पद्धति में व्यक्तियों द्वारा किये गए खर्च के आधारभूत आँकड़े मिलते नहीं है । जिससे राष्ट्रीय आय की गणना कठिन बन जाती है । जैसे अभय नाम का उद्योगपति उसके एकाउन्टेन्ट अभिमन्यु को वेतन के 30,000 रु. चुकाता है और उसे खर्च के रूप में गिनता है । एकाउन्टेन्ट अभिमन्यु उसके घर में साफसफाई के लिए आनेवाली खुशबू को 3000 देता है और उसे खर्च के रूप में गिनता है तो वास्तव में खर्च कितना 30000 या 30000 + 3000 = 33000 ? इस प्रकार खर्च में दोहरी गणना होती है।

58.

मुद्राकीय आय यह वास्तविक आय है समझाइए ।

Answer»

चालू भाव अर्थात् कि वर्तमान भाव पर राष्ट्रीय आय की गणना की जाये तो उसे मुद्राकीय आय कहते हैं । वर्ष दरम्यान जिस वस्तु का उत्पादन हुआ हो तो उसे बाजारभाव गुणा करके राष्ट्रीय आय प्राप्त होती है उसे मुद्राकीय आय कहते हैं । यदि भाव बढ़े-घटे तो राष्ट्रीय आय भी बढ़ती-घटती है । इसलिए राष्ट्रीय आय का सही ख्याल नहीं आता है । जैसे भाव बढ़ने पर भी उत्पादन न बढ़ने पर भी राष्ट्रीय आय बढ़ती हुयी दिखायी देती है, जो वास्तविक नहीं है ।

जब आधारभूत वर्ष पर अर्थात् स्थिर भाव पर राष्ट्रीय आय की गणना की जाये तो उसे वास्तविक आय कहते हैं । वर्ष दरम्यान हुए तमाम वस्तुओं के उत्पादन को उस वस्तु के स्थिर भाव के साथ गुणा करके राष्ट्रीय आय प्राप्त की जाती है उसे वास्तविक राष्ट्रीय आय कहते हैं । वास्तविक राष्ट्रीय आय यह देश की सही आर्थिक स्थिति दर्शाता है । इस प्रकार मुद्राकीय आय पर वास्तविक आय है, पर हमेशा सही नहीं है ।

59.

निम्न में से आर्थिक कल्याण का सर्वोत्तम माप कौन-सा है? (क) सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP)(ख) सकल घरेलू उत्पाद (GDP)(ग) शुद्ध घरेलू उत्पाद (N.D.P)(घ) शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNP)

Answer»

(ख) सकल घरेलू उत्पाद (GDP)

60.

संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए:कुल राष्ट्रीय उत्पाद (Gross National Product – GNP).

Answer»

कोई भी देश एक वर्ष की समयावधि में जितनी वस्तुएँ और सेवाओं का उत्पादन करता है उसके बाजार मूल्य को कुल राष्ट्रीय उत्पाद कहते हैं । इस संदर्भ में दो बातों पर ध्यान देना चाहिए –

  • GNP एक मौद्रिक माप है और वह वार्षिक उत्पादन का बाजार मूल्य है । क्योंकि बाजार कीमतों के बिना राष्ट्रीय आय में समाविष्ट विविध वस्तुओं और सेवाओं का योग नहीं किया जा सकता ।
  • GNP की निश्चित गणना करने के लिए वर्ष दौरान उत्पन्न की गई तमाम वस्तुओं और सेवाओं की सिर्फ एक बार गणना करनी चाहिए । GNP की गणना करते समय मध्यवर्ती वस्तुओं के मूल्य को ध्यान में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि इससे दोहरी गणना होने की सम्भावना रहती है । इसलिए अंतिम उपभोग की वस्तु का मूल्य ही गिनना चाहिए । जैसे : चीनी के मूल्य में गन्ना के मूल्य का समावेश हो जाता है ।
61.

सकल घरेलू उत्पाद में ………………………….. से प्राप्त आय का समावेश नहीं होता है ।(A) देश(B) विदेशों(C) सरकार(D) राज्य

Answer»

सही विकल्प है (B) विदेशों

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निम्नलिखित में से क्या सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में सम्मिलित नहीं होता? (क) एक वर्ष में उत्पादित अन्तिम वस्तुओं व सेवाओं को मौद्रिक मूल्य(ख) अप्रत्यक्ष कर(ग) विदेशों से प्राप्त शुद्ध आय(घ) मूल्य-ह्रास व्यय

Answer»

सही विकल्प है  (ख) अप्रत्यक्ष कर।

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संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए:शुद्ध आंतरिक उत्पाद (Net Domestic Product – NDP) .

Answer»

उत्पादन की प्रक्रिया दरम्यान उपयोग के कारण यंत्र, मकान, साधनों की पूँजी साधनों की घिसावट होती है । अमुक समय के बाद यह साधनों उत्पादन के लिए अनुपयोगी बन जाती हैं । तब ऐसे साधनों को बदलने की आवश्यकता होती है । तो कितनी ही बार टेक्नोलॉजी बदलने पर पूँजी साधनों को परिवर्तित किया जाता है । इस प्रकार उत्पादन प्रक्रिया दरम्यान साधनों से सम्बन्धित घिसावट को कुल आंतरिक उत्पाद में से घटाने पर अपने को शुद्ध आंतरिक उत्पाद प्राप्त होता है उसे संक्षिप्त में NDP कहते हैं ।
सूत्र : NDP = GDP – घिसाई

64.

संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए:सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product – GDP) .

Answer»

राष्ट्रीय आय के अनेक ख्याल है । उसमें कुल सकल घरेलू उत्पाद का महत्त्वपूर्ण ख्याल है । वर्ष दरम्यान देश की सीमा में देश और विदेश के नागरिकों द्वारा जो अंतिम स्वरूप की चीजवस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है उसके बाजार-मूल्य को कुल आंतरिक उत्पाद या सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं ।

  • कुल आंतरिक उत्पाद (सकल घरेलू उत्पाद) में देश और विदेश के नागरिकों द्वारा अथवा प्रकृति द्वारा (क्रूड ऑयल) अपने देश की सीमा में हुये अंतिम स्वरूप की वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन गिना जाता है ।
  • कुल आंतरिक उत्पाद का ख्याल देश की सीमा के साथ जुड़ा हुआ है । इसमें देश के नागरिकों द्वारा विदेश में किये गये उत्पादन अथवा देश के नागरिकों ने विदेश में से प्राप्त आय का समावेश नहीं किया जाता है ।
  • देश की आर्थिक तुलना करने के लिए अर्थतंत्र की प्रगति बताने के GDP के अंकों का उपयोग किया जाता है ।
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उत्पादन पद्धति से राष्ट्रीय आय की परिभाषा किसने दी ?(A) मार्शल(B) फिशर(C) पिगु(D) सेम्युलसन

Answer»

सही विकल्प है (A) मार्शल