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1.

निम्नलिखित अभिक्रिया क्यों होती है ? `XeO_(6).^(4-)(aq)+2F^(-)(aq)6H^(+)(aq)toXeO_()(g)+F_(2)(g)+3H_(2)O(l)` यौगिक `Na_(4)XeO_(6)` (जिसका एक भाग `XeO_(6).^(4-)` है ) के बारे में आप इस अभिक्रिया से निष्कर्ष निकाल सकते है ?

Answer» `overset(+8-4)(XeO_(4))(aq)+overset(-1)(2F^(-))(aq)+6H^(+)(aq)tooverset(+6)(Xe)O_(3)(s)+overset(0)(F_(2))(s)+3H_(2)O(l)`
इस अभिक्रिया में `XeO_(6)` का `XeO_(3)` में अपचयन तथा `F^(-)` का `F_(2)` में ऑक्सीकरण हो रहा है । यह अभिक्रिया इसलिए संपन्न होती है क्योकि `XeO_(6),F_(2)` से अधिक प्रबल ऑक्सीकरक है । चूँकि `XeO_(6).^(4-),F_(2)` की तुलना में अधिक प्रबल ऑक्सीकारक है अतएव `Na_(4)XeO_(6)` एक प्रबल ऑक्सीकारक होगा ।
2.

सारणी 2.4 में दिए गए मानक विभवो की सहायता से अनुमान लगाइए कि क्या इन अभिकर्मकों के बीच अभिक्रिया संभव है (क) `Fe^(3+)(aq)` तथा `I^(-)(aq)` (ख) `Ag^(+)(aq)` तथा cu(s) (ग) `Fe^(3+)(aq)` तथा Cu(s) (घ) Ag(s) तथा `fe^(3+)(aq)` (ड़) `Br_(2)(aq)` तथा `Fe^(2+)(aq)`

Answer» (क) संभव है -
`2Fe^(3+)(aq)+2I^(-)(aq)to2Fe^(2+)(aq)+I_(2)(s)`
(ख) संभव है-
`Cu(s)+2Ag^(+)(aq)toCu^(2+)(aq)+2Ag(s)`
(ग) संभव है -
`Cu(s)+2Fe^(3+)(Aq)toCu^(2+)(Aq)+2Fe^(2+)(aq)`
(घ) संभव नहीं है |
(ड़) संभव है
`Br_(2)(aq)+2Fe^(2+)to2Br^(-)(aq)+2Fe^(3+)(aq)`
3.

आयन इलेक्ट्रॉन विधि द्वारा निम्नलिखित रेडॉक्स अभिक्रियाओं को संतुलित कीजिए - (क) `MnO_(4)^(-)(aq)+I^(-)(aq)toMnO_(2)(s)+I_(4)` (क्षारीय माध्यम) (ख) `MnO_(4)^(-)(aq)+SO_(2)(g)toMn^(2+)(aq)+HSO_(4)^(-)(aq)` (अम्लीय माध्यम) (ग) `H_(2)O_(2)(aq)+Fe^(2+)(aq)toFe^(3+)(aq)+H_(2)O(l)` (अम्लीय माध्यम) (घ) `Cr_(2)O_(7).^(2-)+SO_(2)(g)toCr^(3+)(aq)+SO_(4).^(2-)(aq)` (अम्लीय माध्यम)

Answer» उपरोक्त समीकरणों को चरणबंध तरीके से संतुलित करने के लिए पाठ्य देखें । पूर्ण संतुलित अभिक्रियाएँ नीचे दी गई है -
(क) `2MnO_(4).^(-)+6I^(-)(Aq)+4H_(2)O(l)to2MnO_(2)(s)+3I_(2)(s)+8OH^(-)(aq)`
(ख) `2MnO_(4).^(-)(Aq)+5SO_(2)(g)+2H_(2)O(l)+H^(+)(aq)to2Mn^(2+)(aq)+5HSO_(4).^(-)(aq)`
(ग) `H_(2)O_(2)(aq)+2Fe^(2+)(aq)+2H^(+)(Aq)to2Fe^(3+)(aq)+2H_(2)O(l)`
(घ) `Cr_(2)O_(7).^(2-)(aq)+3SO_(2)(g)+2H^(+)(aq)to2Cr^(3+)(aq)+3SO_(4).^(2-)(aq)+H_(2)O(l)`
4.

`AgF_(2)` एक अस्थिर यौगिक है । यदि यह बन जाए, तो यह यौगिक अतिशक्तिशाली ऑक्सीकारक की भाँति कार्य करता है । क्यों ?

Answer» `AgF_(2)` में Ag की ऑक्सीकरण अवस्था +2 होती है, जो Ag की अत्यधिक अस्थायी है इसलिए यह एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने के बाद शीघ्रता से अपचयित होकर स्थायी ऑक्सीकरण अवस्था +1 प्राप्त कर लेता है ।
`underset(("अस्थायी"))underset(O.S.=+2)(Ag^(2+))+e^(-)tounderset("(स्थायी)")underset(O.S.=+1)(Ag^(+))`
इसी कारण `AgF_(2)` (यदि प्राप्त हो जाये) एक अत्यंत प्रबल ऑक्सीकारक की भाँति व्यवहार करता है ।
5.

इन अभिक्रियाओं को देखिए - (क) `6CO_(2)(g)+6H_(2)O(l)toC_(6)H_(12)O_(6)(aq)+6O_(2)(g)` (ख) `O_(3)(g)+H_(2)O_(2)(l)toH_(2)O(l)+2O_(2)(g)` बताइए की इन्हे निम्नलिखित ढंग से लिखना ज्यादा उचित क्यों है (क) `6CO_(2)(g)+12H_(2)O(l)toC_(6)H_(12)O_(6)(aq)+6H_(2)O(l)+6O_(2)(g)` (ख) `O_(3)(g)+H_(2)O_(2)(l)toH_(2)O(l)+O_(2)(g)+O_(2)(g)` उपरोक्त अपचयोपचय अभिक्रियाओं (क) तथा (ख) के पक्ष निर्धारण की विधि सुझाइए ।

Answer» (क) यह प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) की अभिक्रिया है, जोकि एक बहुत ही जटिल प्रक्रिया है और अनेक चरणों में संपन्न होती है । इस अभिक्रिया में `12H_(2)O` अणु क्लोरोफिल (chlorophyll) की उपस्थिति में पहले अपघटित होकर `H_(2)` तथा `O_(2)` देते है । इस प्रकार निर्मित `H_(2),CO_(2)` को अपचयित कर `C_(6)H_(12)O_(6)` का निर्माण करती है । आठ अभिक्रिया को एक सरल में निम्न प्रकार दिखया जा सकता है -
`{:(" "12H_(2)O(l)to12H_(2)(g)+6O_(2)(g) " ". . . (i)),(ul(" "6CO_(2)(g)+12H_(2)(g)toC_(6)H_(12)O_(6)(s)+6H_(2)O(l)" ". . . (ii))),(" "6CO_(2)(g)+12H_(2)O(l)toC_(6)H_(12)O_(6)(s)6H_(2)O(l)+6O_(2)(g)" ". . .(iii)):}`
इसलिए इस अभिक्रिया को समीo (iii) की भाँति लिखना ज्यादा उचित है । इस निरूपण में `12H_(2)O` अणु भाग लेते है तथा `6H_(2)O` अणु उत्मन्न होते है ।
(ख) दी गई अभिक्रिया का वास्तविक प्रारूप निम्न प्रकार है -
`{:(" "O_(3)(g)toO_(2)(g)+O(g)" ". . .(i)),(ul(" "H_(2)O_(2)(l)+O(g)toH_(2)O(l)+O_(2)(g)" " . . . (ii))),(O_(3)(g)+H_(2)O_(2)(l)toH_(2)O(l)+O_(2)(g)+O_(2)(g)" " . . .(iii)):}`
समीo (iii) प्रदर्शित करती है कि `O_(2)` का एक अणु `O_(3)` से प्राप्त होता है जबकि दूसरा `H_(2)O_(2)` से प्राप्त होता है इसलिए समीकरण को प्रदर्शित करने की यह विधि अधिक उपयुक्त है ।
समीo (क) तथा (ख) का पथ निर्धारण (investigation) ट्रेसर तकनीक (Tracer technique) के द्वारा किया जा सकता है । समीo (क) में `H_(2)O^(18)` तथा समीo (ख) में `H_(2)O_(2).^(18)` (या `O_(3).^(18)`) का प्रयोग कर अभिक्रिया के पथ को निर्धारित किया जा सकता है ।
6.

फ्लुओरीन बर्फ से अभिक्रिया करके यह परिवर्तन लाती है `H_(2)O(s)+F_(2)(g)toHF(g)+HOF(g)` इस अभिक्रिया का अपचयोपचय औचित्य स्थापित कीजिए ।

Answer» `H_(2)O(s)+F_(2)(g)toHF(g)+HOF(g)`
इस अभिक्रिया में `F_(2)` का अपचयन के साथ-साथ ऑक्सीकरण भी हो रहा है क्योकि यह H (विधुत धनात्मक तत्व) को जोड़कर HF बनाती है तथा O (एक विधुत ऋणात्मक तत्व) को जोड़कर HOF बनाती है । अतः यह एक ऑक्सीकरण अपचयन अभिक्रिया (Redox reaction) है
7.

निम्नलिखित अभिक्रियाओं का अपचयोपचय अभिक्रियाओं के रूप में औचित्य स्थापित करने का प्रयास कीजिए - (क) `CuO(s)+H_(2)(g)toCu(s)+H_(2)O(g)` (ख) `Fe_(2)O_(3)(s)+3CO(g)to2Fe(s)+3CO_(2)(g)` (ग) `4BCl_(3)(g)+3AlH_(4)(s)to2B_(2)H_(6)(g)+3LiCl(s)+3AlCl_(3)(s)` (घ) `2K(s)+F_(2)(g)to2K^(+)F^(-)(s)` (ड़) `4NH_(3)(g)+5O_(2)(g)to4NO(g)+6H_(2)O(g)`

Answer» (क) `overset(+2-2)(CuO(s))+overset(0)(H_(2))(g)tooverset(0)(Cu)(s)+overset(+1-2)(H_(2)O(g))`
इस अभिक्रिया में Cu की ऑक्सीकरण अवस्था +2 (CuO में) से घटकर शून्य (Cu में) हो जाती है जबकि H की ऑक्सीकरण अवस्था शून्य (`H_(2)` में) से बढ़कर +1 (`H_(2)O` में) हो जाती है । इसलिए अभिक्रिया में CuO का अपचयन तथा का ऑक्सीकरण हो रहा है । अतः यह एक अपचयोपचय अभिक्रिया है ।
(ख) `overset(+3-2)(Fe_(2)O_(3))(s)+overset(+2-2)(3CO)(g)to2overset(0)(Fe)(s)+overset(+4-2)(3CO_(2))(g)`
इस अभिक्रिया में `Fe_(2)O_(3)` का अपचयन हो रहा है क्योकि Fe की ऑक्सीकरण अवस्था `+3(Fe_(2)O_(3)" में")` से घटकर शून्य (Fe में) हो जाती है | CO का ऑक्सीकरण हो रहा है क्योकि C की ऑक्सीकरण अवस्था +2 (CO में) से `+4(CO_(2)"में")` हो जाती है । अतः यह एक अपचयोपचय अभिक्रिया (Redox reaction) है |
(ग) `overset(+3-1)(4BCl_(3))(g)+overset(+1+3-1)(3LiAlH_(4))(s)tooverset(-3+1)(2B_(2)H_(6))(g)+overset(+1-1)(3LiCl)(s)+overset(+3-1)(3AlCl_(3))(s)`
इस अभिक्रिया में `BCl_(3)` का अपचयन हो रहा है क्योकि B की ऑक्सीकरण अवस्था +3 (`BCl_(3)` में) से घटकर -3 (`B_(2)H_(6)` में) हो जाती है तथा `LiAlH_(4)` का ऑक्सीकरण हो रहा है क्योकि H की ऑक्सीकरण अवस्था -1 (`LiAlH_(4)` में) से बढ़कर +1 (`B_(2)H_(6)` में) हो जाती है । अतः यह एक अपचयोपचय (redox) अभिक्रिया है
(घ) `overset(0)(2K)(s)+overset(0)(F_(2))(g)tooverset(+1)(2K^(+))overset(-1)(F^(-))(s)`
इस अभिक्रिया में K का ऑक्सीकरण हो रहा है क्योकि इसकी O.S. (ऑक्सीकरण अवस्था) शून्य से बढ़कर +1 हो जाती है तथा F का अपचयन हो रहा है क्योकि इसकी O.S. शून्य से घटकर -1 हो जाती है अतः यह एक अपचयोपचय अभिक्रिया है
(ड़) `overset(-3)(4N)overset(" "+1)(" "N_(3))(g)+5overset(0)(O_(2))(g)tooverset(+2-2)(4NO)(g)+overset(+1-2)(6H_(2)O)(g)`
इस अभिक्रिया में `NH_(3)` का ऑक्सीकरण हो रहा है क्योकि इसकी O.S.-3 से बढ़कर +2 हो जाती है तथा `O_(2)` का अपचयन हो रहा है क्योकि इसकी O.S शून्य से घटकर -2 (`H_(2)O` में) हो जाती है । अतः यह एक अपचयोपचय (Redox) अभिक्रिया है ।
8.

`0.2MnO_(4)` के 50 मिमी को पूर्णत: अपचयित करने हेतु `0.1MFeSO_(4)` को कितने मिमी का प्रयोग होगा ?

Answer» `Mn^(7+)+5etoMn^(2+)`
`Fe^(2+)toFe^(3+)+e`
अतः `KMnO_(4)` एवं `FeSO_(4)` के n-गुणांक क्रमशः 5 एवं 1 है ।
`KMnO_(4)` के मिमी तुल्यांक `=FeSO_(4)` के मिमी तुल्यांक
`0.2xx5xx50=0.1xx1xxV" "(becauseM=nxxN)`
V=500 मिमी
9.

निम्न समीकरण को ऑक्सीकरण संख्या विधि से संतुलित कीजिए - `Cu+HNO_(3)toCu(NO_(3))_(2)+NO+H_(2)O`

Answer» चरण 1 दी गई समीकरण निम्न है -
`Cu+HNO_(3)toCu(NO_(3))_(2)+NO+H_(2)O`
चरण 2 सभी परमाणुओं की ऑक्सीकरण संख्या लिखने पर,
`overset(0)(Cu)+overset(+1+5-2)(HNO_(3))tooverset(+2+5-2)(Cu(NO_(3))_(2))+overset(+2-2)(NO)+overset(+1-2)(H_(2)O)`
चरण 3 इस समीकरण में ऑक्सीकरण संख्या में परिवर्तन प्रदर्शित करने वाले परमाणु Cu (0 से +2) तथा N (+5 से NO में +2) है । यह ध्यान देने योग्य है कि इस समीकरण में उपस्थित `Cu(NO_(3))_(2)` में स्थित N की ऑक्सीकरण संख्या में कोई परिवर्तन नहीं हो रहा है ।
चरण 4 ऑक्सीकरण संख्या में परिवर्तन प्रदर्शित करने वाले परमाणु पहले ही संतुलित है ।
चरण 5 Cu का एक परमाणु दो इलेक्ट्रॉन त्यागकर अपनी ऑक्सीकरण संख्या में वृद्धि कर 0 से +2 अवस्था को प्राप्त करता है । `HNO_(3)` में एक परमाणु को अपनी ऑक्सीकरण संख्या को +5 से +2 तक घटाने के लिए तीन इलेक्ट्रॉन ग्रहण करना आवश्यक है । अतएव,
`underset(2e^(-))underset(darr)(Cu)+underset(3e^(-))underset(uarr)(HNO_(3))toCu(NO_(3))_(2)+NO+H_(2)O`
Cu के 1 परमाणु द्वारा त्यागे गए कुल इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 2
N के 1 परमाणु द्वारा ग्रहण किये गए कुल इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 3
चरण 6 ग्रहण किये गये तथा त्यागे गये इलेक्ट्रॉनों की संख्या को समान करने के लिए Cu तथा `HNO_(3)` को क्रमशः गुणांकों 3 तथा 2 से गुणा किया जाना चाहिए | इस प्रकार Cu के लिए गुणांक 3 तथा `HNO_(3)` के लिए गुणांक 2 है ।
चरण 7 Cu तथा `Cu(NO_(3))_(2)` को गुणांक 3 से तथा `HNO_(3)` एवं NO को गुणांक 2 से गुणा करने पर,
`3Cu+2HNO_(3)to3Cu(NO_(3))_(2)+2NO+2H_(2)O`
चरण 8 चूँकि `HNO_(3)` में उपस्थित नाइट्रोजन का एक भाग ऑक्सीकरण अवस्था में कोई परिवर्तन किये बिना `Cu(NO_(3))_(2)` के रुप में प्राप्त होता है अतएव `3Cu(NO)_(3)_(2)` के अनुरूप समीकरण के बायीं ओर `HNO_(3)` के अणुओं को जोड़ा जाना चाहिए । इस प्रकार,
`{:(,3Cu+,2HNO_(3)+6HNO_(3)to3Cu(NO_(3))_(2)+2NO+H_(2)O),("या",,3Cu" "+8HNO_(3)to3Cu(NO_(3))_(2)+2NO+H_(2)O):}`
चरण 9 H तथा O परमाणुओं को संतुलित करने पर निम्नलिखित वांछित संतुलित प्राप्त होती है -
`3Cu+8HNO_(3)to3Cu(NO_(3))_(2)+2NO+4H_(2)O`
10.

निम्नलिखित समीकरण को अम्लीय माध्यम में ऑक्सीकरण संख्या विधि से संतुलित कीजिए - `Cr_(2)O_(7)^(2-)+Fe^(2+)+H^(+)toCr^(3+)+Fe^(3+)+H_(2)O`

Answer» चरण 1 दी गई समीकरण निम्नलिखित है -
`Cr_(2)O_(7)^(2-)+Fe^(2+)+H^(+)toCr^(3+)+Fe^(3+)+H_(2)O`
चरण 2 सभी परमाणुओं की ऑक्सीकरण संख्याओं को लिखने पर,
`overset(+6-2)(Cr_(2)O_(7)^(2-))+overset(+2)(Fe^(2+))+overset(+1)(H^(+))tooverset(+3)(Cr^(3+))+overset(+3)(Fe^(3+))+overset(+1-2)(H_(2)O)`
चरण 3 ऑक्सीकरण संख्या में परिवर्तन प्रदर्शित करने वाले परमाणु Cr (+6 से +3) तथा Fe (+2 से +3) है
चरण 4 Cr परमाणुओं को दोनों ओर संतुलित करने के लिए `Cr^(3+)` को 2 से गुणा करने पर,
`Cr_(2)O_(7)^(2-)+Fe^(2+)+H^(+)to2Cr^(3+)+Fe^(3+)+H_(2)O`
चरण 5 `Cr_(2)O_(7)^(2-)` आयन में Cr का एक परमाणु अपनी ऑक्सीकरण संख्या +6 से +3 तक घटाने में 3 इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है |
एवं `Fe^(2+)` आयन अपनी ऑक्सीकरण संख्या को +2 से +3 तक बढ़ाने के लिए 1 इलेक्ट्रॉन का त्याग करता है । इस प्रकार,
`underset(3e^(-))underset(uarr)(Cr_(2)O_(7)^(2-))+underset(1e^(-))underset(darr)(Fe^(2+))+H^(+)to2Cr^(3+)+Fe^(3+)+H_(2)O`
Cr के 2 परमाणुओं द्वारा ग्रहण किये गये कुल इलेक्ट्रॉनों की संख्या `=3xx2=6`
`Fe^(2+)` के 1 आयन द्वारा त्यागे गये कुल इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 1
चरण 6 ग्रहण किये गये तथा त्यागे गये इलेक्ट्रॉनों की कुल संख्या को समान करने के लिए `Cr_(2)O_(7)^(2-)` तथा `Fe^(2+)` आयनो को क्रमशः गुणांकों 1 तथा 6 से गुणा किया जाना चाहिए अतएव `Cr_(2)O_(7)^(2-)` आयन के लिए गुणांक 1 तथा `Fe^(2+)` आयन के लिए गुणांक 6 होगा |
चरण 7 `Cr_(2)O_(7)^(2-)` तथा `Cr^(3+)` को गुणांक 1 से `Fe^(2+)` तथा `Fe^(3+)` को गुणांक 6 से गुणा करने पर,
`Cr_(2)O_(7)^(2-)+6Fe^(2+)+H^(+)to2Cr^(3+)+6Fe^(3+)+H_(2)O`
चरण 8 H तथा O के अतिरिक्त शेष सभी परमाणु पहले से ही संतुलित है । चूँकि अभिक्रिया अम्लीय माध्यम में संपन्न हो रही है अतएव O परमाणुओं को संतुलित करने के लिए दायी ओर 6 अतिरिक्त `H_(2)O` अणुओं को जोड़ा जाना चाहिए ।
`Cr_(2)O_(7)^(2-)+6Fe^(2+)+H^(+)to2Cr^(3+)+6Fe^(3+)+7H_(2)O`
चरण 9 बायीं ओर अतिरिक्त `13H^(+)` आयनो को जोड़कर हाइड्रोजन को संतुलित किया जा सकता है । इस प्रकार अम्लीय माध्यम में वांछित निम्नलिखित संतुलित समीकरण प्राप्त होती है -
`Cr_(2)O_(7)^(2-)+6Fe^(2+)+14H^(+)to2Cr^(3+)+6Fe^(3+)+7H_(2)O`
11.

निम्नलिखित अभिक्रिया को अन्तुलित करना क्यों संभव नहीं है ? `Cr_(2)O_(7)^(2-)+Fe^(3+)+H^(+)toCr^(3+)+Fe^(2+)+H_(2)O`

Answer» दी गयी अभिक्रिया में प्रयुक्त सभी परमाणुओं की ऑक्सीकरण संख्या लिखने पर,
`overset(+6-2)(Cr_(2)O_(7)^(2-))+overset(3+)(Fe^(3+))+overset(+1)(H^(+))tooverset(+3)(Cr^(3+))+overset(+2)(Fe^(2+))+overset(+1-2)(H_(2)O)`
उपरोक्त अभिक्रिया में Cr की ऑक्सीकरण संख्या +6 से घटकर +3 हो रही है जबकि आयरन (लौह) की ऑक्सीकरण संख्या + 3 से +2 घटकर हो रही है अर्थात इस अभिक्रिया में `Cr_(2)O_(7)^(2-)` तथा `Fe^(3+)` दोनों ही अपचयित हो रहे है । आठ यह एक रिडॉक्स अभिक्रिया नहीं है तथा इसे गलत प्रकार से लिखा गया है क्योकि किसी पदार्थ का अपचयन केवल तभी संभव है जब किसी पदार्थ का ऑक्सीकरण हो रहा हो अतः दी गयी समीकरण को संतुलित करना संभव नहीं है |
12.

निम्नलिखित स्पीशीजो में सभी परमाणुओं की ऑक्सीकरण संख्या की गणना कीजिए - `{:((i)BrF_(3),(ii)C_(12)H_(22)O_(11)),((iii)Sb_(2)O_(5),(iv)(NH_(4))_(2)SO_(4)):}`

Answer» (i) `Br:+3,F:-1`
(ii) `C:0,H:+1,O:-2`
(iii) `Sb:+5,O:-2`
(iv) `N:-3,H:+1,S:+6,O:-2`
13.

निम्नलिखित स्पीशीजो में रेखांकित परमाणुओं की ऑक्सीकरण संख्या की गणना कीजिए - `underline(N)H_(2)OH,[underline(Co)(NH_(3))_(5)Cl]Cl_(2),(N_(2)H_(5))_(2)SO_(4),SO_(4),underline(Mg)_(3)N_(2)`

Answer» निम्न गणनाएँ संक्षेप में की गयी है (x रेखांकित परमाणु की ऑक्सीकरण संख्या दर्शाता है ।)
`NH_(2)OH:" "x=(+1)xx2+(-2)+(+1)=0`
`:." "x=-1`
`[Co(NH_(3))_(5)Cl]Cl_(2):x+(0)xx5+(-1)+(-1)xx2=0`
`:." "x=+3`
`(N_(2)H_(5))_(2)SO_(4):{(x)xx2+(+1)xx5}xx2+(-2)=0`
`:." "x=-2`
`Mg_(3)N_(2):" "3(x)+(-3)xx2=0`
`:." "x=+2`
14.

जब भी एक ऑक्सीकारक तथा अपचायक के बीच अभिक्रिया संपन्न की जाती है तब अपचायक के आधिक्य में निम्नतर ऑक्सीकरण अवस्था का यौगिक तथा ऑक्सीकारक के आधिक्य अवस्था का यौगिक तथा ऑक्सीकारक के आधिक्य में उच्चतर ऑक्सीकरण अवस्था का यौगिक बनता है इस वक्तव्य के तीन उदाहरण दीजिए ।

Answer» दिए गए वक्तव्य का औचित्य अग्रलिखित उदाहरणों द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है -
(क) `underset("(Reducing agent Excess)")(2C(s))+underset("(Oxidising agent)")(O_(2)(g))tounderset("(Compound of lower O.S.)")overset(+2)(2CO(g))" " . . .(i)`
`underset("(Reducing agent)")(C(s))+underset("(Oxidising agent)Excess")(O_(2)(g))to underset("Compound of higher O.S.")overset(+4)(CO_(2)(g))" " . . .(ii)`
अभिक्रिया (i) में अपचायक (reducing agent ) कार्बन अधिकता में है जबकि अभिक्रिया (ii) में ऑक्सीकारक (oxidising agent) `O_(2)` अधिकता में है अभिक्रिया (i) में CO (कार्बन की O.S.=+2) तथा अभिक्रिया (ii) में `CO_(2)` (कार्बन की O.S.=+4) का निर्माण होता है
(ख) `underset("Excess")underset("(Reducing agent)")(4Na(s))+underset("(Oxidising agent)")(O_(2)(g))tounderset("Compound of lower O.S.")overset(-2)(Na_(2)O(s))" " . . .(i)`
`underset("(Reducing agent)")(2Na(s))+underset"Excess"underset("(Oxidising agent)")(2O_(2))to underset("Compound of higher O.S.")overset(-1)(Na_(2)O_(2))" " . . .(ii)`
(ग) `underset("Excess")underset("(Reducing agent)")(P_(4)(s))+underset("(Oxidising agent)")(6Cl_(2)(g))tounderset("Compound of lower O.S.")overset(+3)(4PCl_(3))`
`underset("(Reducing agent)")(P_(4)(s))+underset("(Oxidising agent)Excess")(10Cl_(2)(g))tounderset("Compound of higher O.S.")overset(+5)(4PCl_(5))`
15.

निम्नलिखित कथन पर टिप्पणी कीजिए - ऑक्सीकरण तथा अपचयन सम्पूरक (Complementary) प्रक्रम है

Answer» दी गयी अभिक्रियाओं में किसी भी तत्व की ऑक्सीकरण संख्या में जोई परिवर्तन नहीं होता है ।
16.

Cs, Ne, I तथा F में ऐसे तत्व की पहचान कीजिए, जो (क) केवल ऋणात्मक ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है । (ख) केवल धनात्मक ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है (ग) ऋणात्मक तथा धनात्मक दोनों ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित करता है (घ) न ऋणात्मक ओर न ही धनात्मक अवस्था प्रदर्शित करता है ।

Answer» (क) F : यह सर्वाधिक विधुत ऋणात्मक तत्व है, और सदैव -1 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है
(ख) Cs : यह एक क्षार धातु है जो विधुत धनात्मक है यह सदैव `+1` ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है ।
(ग) I : यह एक हैलोजन है इसके संयोजन कोष में सात इलेक्ट्रॉन पाए जाते है । इसलिए यह -1 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है d-कोश (orbitals) की उपस्थिति के कारण यह `+1,+3,+5` और `+7` ऑक्सीकरण अवस्थाएँ भी प्रदर्शित करता है ।
(घ) Ne : यह एक उत्कृष्ट गैस (noble gas) है तथा किसी रासायनिक अभिक्रिया में भाग नहीं लेती है । इसलिए यह न तो धनात्मक ऑक्सीकरण अवस्था में जाती है और न ही ऋणात्मक ऑक्सीकरण अवस्था में ।