This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
| 19901. |
Kalpana ke Aadhar par bataye ki ladkiyon ki sankhya kam hone par Bhartiya Samaj ka Roop Kaisa hoga |
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Answer» Answer: LADKIYON ki sankhiya Kam hona PE Bhartiya samaj KA roop Sacha oor nidhint nahi . log ladkiyon ki DEKH bhul jayege |
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| 19903. |
Paryayvachi aur vilom Shabd Roop Mein Kaise likhe Jate Hain Ye Mera question hai |
| Answer» | |
| 19904. |
Paryayvachi aur vilom Shabd sulekh Roop Mein Kaise likhte Hain |
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Answer» Answer: ekk sentence KA NEW meaning likhta HA HOPE it helps you |
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| 19905. |
वाकयंशो के लिए एक शब्द लिखे ! |
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Answer» Answer: ATHIDI Explanation: UR IMAGE IS NOT CLEARR I CANT UNDERSTAND ALL OF THEM BUT U COMMENT ME THE OTHERS I WILL SEND THE ANS FOR THEM IN COMMENTS |
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| 19906. |
Urgent!!!please ans correctly |
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Answer» असंतोष, अलगाव, उपद्रव, आंदोलन, असमानता, असामंजस्य, अराजकता, आदर्श विहीनता, अन्याय, अत्याचार, अपमान, असफलता अवसाद, अस्थिरता, अनिश्चितता, संघर्ष, हिंसा… यही सब घेरे हुए है आज हमारे जीवन को. व्यक्ति में एवं समाज में साम्प्रदायिकता, जातीयता, भाषावाद, क्षेत्रीयतावाद, हिंसा की संकीर्ण कुत्सित भावनाओं व समस्याओं के मूल में उत्तरदायी कारण है मनुष्य का नैतिक और चारित्रिक पतन अर्थात नैतिक मूल्यों का क्षय एवं अवमूल्यन. नैतिकता का सम्बंध मानवीय अभिवृत्ति से है, इसलिए शिक्षा से इसका महत्त्वपूर्ण अभिन्न व अटूट सम्बंध है. कौशलों व दक्षताओं की अपेक्षा अभिवृत्ति-मूलक प्रवृत्तियों के विकास में पर्यावरणीय घटकों का विशेष योगदान होता है. यदि बच्चों के परिवेश में नैतिकता के तत्त्व पर्याप्त रूप से उपलब्ध नहीं हैं तो परिवेश में जिन तत्त्वों की प्रधानता होगी वे जीवन का अंश बन जायेंगे. इसीलिए कहा जाता है कि मूल्य पढ़ाये नहीं जाते, अधिग्रहीत किये जाते हैं. देश की सबसे बड़ी शैक्षिक संस्था-राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के द्वारा उन मूल्यों की एक सूची तैयार की गयी है जो व्यक्ति में नैतिक मूल्यों के परिचायक हो सकते हैं. इस सूची में 84 मूल्यों को सम्मिलित किया गया है. वास्तव में, नैतिक गुणों की कोई एक पूर्ण सूची तैयार नहीं की जा सकती, तथापि संक्षेप में हम इतना कह सकते हैं कि हम उन गुणों को नैतिक कह सकते हैं जो व्यक्ति के स्वयं के, सर्वांगीण विकास और कल्याण में योगदान देने के साथ-साथ किसी अन्य के विकास और कल्याण में किसी प्रकार की बाधा न पहुंचाए. विशेष ध्यान देने योग्य बात यह है कि नैतिक मूल्यों की जननी नैतिकता सद्गुणों का समन्वय मात्र नहीं है, अपितु यह एक व्यापक गुण है जिसका प्रभाव मनुष्य के समस्त क्रिया- कलापों पर होता है और सम्पूर्ण व्यक्तित्व इससे प्रभावित होता है. वास्तव में नैतिक मूल्य/नैतिकता आचरण की संहिता है. हमें इस बात को भली भांति समझना होगा कि नैतिक मूल्य नितांत वैयक्तिक होते हैं. अपने प्रस्फुटन उन्नयन व क्रियान्वय से यह क्रमशः अंतयक्तिक/सामाजिक व सार्वभौमिक होते जाते हैं. |
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| 19907. |
manushya Paryavaran ko nuksan phooctata ja raha hai Paryavaran ko bachane ke liye aap kaise yogdan denge |
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Answer» पर्यावरण को बचाने के लिए हम निम्नलिखित योगदान दे गए -:
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| 19908. |
Patra lekhan pustakalaya Mein Hindi Patra Patrika ke samuchit Prabandhak ke liye pradhanacharya ko Patra likhiye |
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Answer» Explanation: AAPKO Patte KHANE ke pustakalay Ne HINDI Patra ka MUKHYA Prabandhak Suchit per bandhne Hindi patrika news Hindi patrika available NAHIN Hai |
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| 19909. |
गर्मी को कम करने के लिऊ गुळ4 ए से कौन-कब येखामपदार्थ खाए जाते हैं ! आपने उनसे न = न+से खाद्यपदार्थों का सेवन किया। सचत्र - 3जी परप्रस्तुत कीजिए। |
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Answer» Answer: EXPLANATION:खाद्य पदार्थों को अपनी डाइट का हिस्सा जरूर बनाएं: दही देगा भीतर से ठंडक सेहतमंद रहने के लिए गर्मी के मौसम में दही जरूर खाएं। आसानी से उपलब्ध दही शरीर को भीतर से ठंडा रखकर गर्मी के मौसम में आपको सेहतमंद रखेगा। आप चाहें तो खाने के साथ दही खा सकती हैं या फिर दही में फलों को छोटा-छोटा काटकर फ्रूट रायता बनाकर भी खा सकती हैं। छाछ व लस्सी से मिलेगी ऊर्जा छाछ व लस्सी दही का ही दूसरा प्रकार होता है, यह भी दही की तरह स्वास्थ्यवर्धक होता है। जब दही को फेंटकर मक्खन बनाते हैं तो उससे जो पानी बचता है उसे छाछ कहते हैं। हमेशा फ्रेश छाछ पीने की ही कोशिश करें। स्वाद बढ़ाने के लिए आप इसमें धनिया पत्ता, जीरे का पाउडर व नमक मिला सकती हैं। यदि आपको छाछ का स्वाद पसंद नहीं है तो आप दही को फेंटकर उसमें थोड़ा पानी व चीनी मिलाकर मीठी लस्सी बनाकर पी सकती हैं। गर्मी में छाछ व लस्सी पीने से ऊर्जा बनी रहती है। खीरे का कमाल खीरे में बहुत अधिक मात्रा में पानी व जरूरी पोषक तत्व होते हैं। ज्यादातर लोग खीरे को बस सलाद में लेते हैं। पर, गर्मी के मौसम में सेहतमंद रहने के लिए हर दिन कम-से-कम दो-तीन खीरा जरूर खाएं। याद है, आप बचपन में खीरे की 4 फांक करके उसमें नमक और मिर्च लगाकर खाती थीं। यदि गर्मी में आप बहुत बेचैनी या घबराहट महसूस करें तो खीरे का जूस निकालकर उसे तुरंत पी लें। शरीर का तापमान नियंत्रित हो जाएगा। खीरे का सेवन त्वचा के लिए भी फायदेमंद होता है। नीबू-चाय की जुगलबंदी चाय भारतीयों का पसंदीदा पेय पदार्थ है, लेकिन गर्मी में चाय पीने से पेट संबंधी कई समस्याएं हो सकती हैं। अगर आप भी उन लोगों में से हैं जिनको चाय पीने की आदत है तो आपके लिए लेमन आइस टी गर्मी के मौसम में बेहतरीन विकल्प है। इसे पीने से आपको चाय का स्वाद, विटामिन-सी और शरीर को ठंडक भी मिलेगी। स्वाद बढ़ाने के लिए आप लेमन आइस टी में पुदीने की पत्तियां भी मिला सकती हैं। लू से बचाएगा तरबूज प्रकृति में गर्मी के ताप से बचाने के लिए कई ऐसे विकल्प मौजूद हैं, जिनकी खूबियों से हम अनभिज्ञ हैं। ऐसा ही एक फल है तरबूज। गर्मी में तरबूज खाने के अनेक फायदे होते हैं। तरबूज और उसके बीजों की गिरी शरीर को पुष्ट बनाती है। तरबूज में लाइकोपिन पाया जाता है जिससे त्वचा जवां बनी रहती है। तरबूज के सेवन से रक्तचाप संतुलित रहता है। आप चाहें तो तरबूज का जूस या शेक बनाकर भी पी सकती हैं या फिर आप इसे सीधे खा भी सकती हैं। तरबूज खाने से लू भी नहीं लगती। तरबूज के रस से एसिडिटी खत्म हो जाती है। यह दिल के रोगों, डायबिटीज व कैंसर जैसी बीमारियों से शरीर की रक्षा करता है। तरबूज को ताजा काटकर ही खाएं। पहले से काटकर रखा हुआ तरबूज बिल्कुल न खाएं। नारियल पानी रखेगा रक्तचाप नियंत्रित नारियल पानी में विटामिन-सी, पोटैशियम, मैग्नीशियम आदि पोषक तत्व होते हैं, जो स्वाभाविक रूप से शरीर के तापमान को संतुलित करते हैं। जिन लोगों को गर्मी आते ही उच्च रक्तचाप की समस्या हो जाती है, उनके लिए नारियल पानी बहुत अच्छा होता है। नारियल पानी शरीर को पर्याप्त नमी भी देता है। खरबूजा देगा पेट को ठंडक खरबूजे में 95 प्रतिशत पानी के साथ-साथ विटामिन व मिनरल्स भी होते हैं। शरीर में पानी की कमी को दूर करने के लिए खरबूजे का सेवन एक बेहतर विकल्प है। इसके बीज में प्रोटीन काफी मात्रा में होते हैं। खरबूजा खाने से पेट में जलन की समस्या दूर होती है। गन्ने का रस देगा तुरंत ऊर्जा गन्ने का रस पीने से तुरंत ऊर्जा मिलती है और कमजोरी दूर होती है। गन्ने के रस में भरपूर मात्रा में आयरन होता है, जिससे खून की कमी की समस्या दूर होती है। गन्ने का रस पीने से शरीर में नमी बनी रहती है। इसे पीने से ताजगी बनी रहती है और लू से भी बचाव होता है। गन्ने का रस पीने से बुखार भी जल्दी उतर जाता है। ध्यान रखें, सफाई से निकला और ताजा रस ही पिएं, वरना इंफेक्शन भी हो सकता है। नीबू पानी नीबू पानी गर्मी के मौसम का एक देसी टॉनिक है। जब शरीर में विटामिन-सी की मात्रा कम हो जाती है तो एनीमिया, जोड़ों का दर्द, दांतों की बीमारी, पायरिया, खांसी और दमा जैसी परेशानियों की आशंका बढ़ जाती है। नीबू में विटामिन- सी की मात्रा बहुत ज्यादा होती है़, इसलिए इन बीमारियों से बचाव में नीबू पानी बेहद कारगर साबित होता है। पेट खराब, पेट फूलना, कब्ज, दस्त होने पर नीबू के रस में थोड़ी-सी अजवाइन, जीरा, हींग, काली मिर्च और नमक मिलाकर पीने से काफी राहत मिलती है। plzz MARK me as braniliest |
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| 19910. |
बैंकिंग सेवा बोर्ड, नई दिल्ली के सचिव को लिपिक पद के लिए अपनी योग्यताओं का विवरण देते आवेदन पत्र लिखिए।answer me in hindi |
Answer» लिपिक के रिक्त पद के लिये आवेदन पत्रदिनांक – 20 जून 2019 सेवा में, श्रीमान सचिव महोदय, बैंकिंग सेवा बोर्ड, नई दिल्ली विषय — लिपिक के पद की भर्ती हेतु आवेदन पत्र सचिव महोदय, दिनांक 7 जून 2019 के ‘रोजगार समाचार’ पत्र के अंक में ‘बैंकिंग सेवा बोर्ड’ द्वारा दिये गये विज्ञापन के अनुसार लिपिक के रिक्त पद के लिये मैं अपना आवेदन प्रस्तुत करता हूँ। मेरी शैक्षणिक योग्यता व अन्य विवरण इस प्रकार है। नाम – सुमित वर्मा पिता का नाम — श्री रमाकांत वर्मा जन्म तिथि – 19 सितंबर 1993 पता – मकान नं. – 9/83, शक्ति नगर, दिल्ली -110054 शैक्षणिक योग्यता –
विशेष योग्यता — 1. अकांटिंग व टैली का पूर्ण ज्ञान (एक वर्षीय डिप्लोमा) 2. कम्प्यूटर की बेसिक जानकारी। उपरोक्त योग्यताओं से संबंधित प्रमाणपत्र आवेदन पत्र के साथ संलग्न हैं। वर्तमान समय में मैं एक प्राइवेट कंपनी में लिपिक पद पर विगत चार वर्षों से कार्यरत हूँ। श्रीमान जी से अनुरोध है कि मुझे सेवा का अवसर प्रदान करें। मैं अपना कार्य पूर्ण निष्ठा एवं ईमानदारी से करने का वचन देता हूँ। धन्यवाद भवदीय सुमित वर्मा मकान नं. 9/83, शक्ति नगर, दिल्ली - 110054 |
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| 19912. |
Chhoti bahan Ke janmdin Par aamantrit karte hue Mitra ko Patra likhiye |
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Answer» Answer: 12 नवरंग अपार्टमेंट कृष्णापुरम कानपूर- 208007 जुलाई-12-2107 प्रिय मुकुल हम लम्बे समय से नहीं मिले। अगर तुम 17 जनवरी को मेरे जन्मदिन पर मेरे घर आओगे तो मुझे अत्यंत प्रसन्नता होगी। हम उस दिन एक पार्टी का आयोजन कर रहे हैं। तुम मेरे सबसे प्रिय मित्र हो और मै अपनी पार्टी तुम्हारे बिना आयोजित करने के विषय में सोच भी नहीं सकता। पिछले साल तुम आये थे और तुम जानते हो की हमने कितने मजे किये थे। मैंने अपने कुछ और मित्रों को आमंत्रित किया है। और वे सब आ रहे हैं। माताजी भी तुम्हे याद कर रही हैं और वह तुम्हे पार्टी में देखकर बहुत प्रसन्न होंगी। मै उस दिन तुम्हारा इन्तजार करूँगा। शुभकामनाओं सहित। तुम्हारा मित्र नरेश कुमार PLZZ MARK me as BRANILIEST |
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| 19913. |
Surdas ka jeevan parichya |
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Answer» जीवन-परिचय- महाकवि सूरदास का जन्म 'रुनकता' नामक ग्राम में सन् 1478 ई. में पं. रामदास घर हुआ था । पं. रामदास सारस्वत ब्राह्मण थे। कुछ विद्वान् 'सीही' नामक स्थान को सूरदास का जन्मस्थल मानते है। सूरदास जी जन्म से अन्धे थे या नहींख् इस सम्बन्ध में भी अनेक कत है। कुछ लोगों का कहना है कि बाल मनोवृत्तियों एवं मानव-स्वभाव का जैसा सूक्ष्म ओर सुन्दर वर्णन सूरदास ने किया है, वैसा कोई जन्मान्ध व्यक्ति कर ही नहीं कर सकता, इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि वे सम्भवत: बाद में अन्धे हुए होंगे। |
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| 19914. |
Sabdaarth btayeAnupMayank |
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Answer» ☆ अनुप》 अति सुन्दर, निराला; ☆मयंक 》 चंद्रमा; |
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| 19915. |
बीत हुआ समय वापस नहीं आता पर निबंध |
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Answer» संसार में कुछ बातें ऐसी भी हैं, जिन पर बड़े से बड़े, समर्थ से समर्थ व्यक्ति का भी कोई वश नहीं चलता। चाह कर भी कोई कुछ नहीं कर सकता। एकदम लाचार और असमर्थ होकर लौट जाया करता है। यदि सब बातों पर आदमी का वश चल पाता, तो राजा महाराजा और बड़े-बड़े धनवान आदमी कभी भी मरना तो क्या बूढ़े तक ना हो पाते। अपनी इच्छा अनुसार वह लोग किशोर या जवान बने रहते। परंतु ऐसा कोई भी नहीं कर सकता। मैं अगर चाहूं कि 3-4 साल की उम्र में पहुंच जाऊं, जब मैं बिना किसी चिंता के सिर्फ खाया पिया, खेला और सोया करता था, मेरी शरारतों को बच्चा कह कर टाल दिया जाता था, नुकसान करने पर भी मुझे कुछ ना कह सिर्फ प्यार से समझा दिया जाता था, नहीं, उस आयु में आज चाह कर भी मैं नहीं पहुंच सकता। क्योंकि वह सब जो पीछे छूट गया है, बीत गया है, वहां चाहकर भी नहीं पहुंच सकता। आयु का जो भाग हम पीछे छोड़कर आज तक पहुंचे हैं, उसी का नाम है समय। समय, को एक बार बीत कर फिर कभी लौट आ नहीं सकता। |
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| 19916. |
पर्यायवाची और विलोम शब्द सुलेख रूप में लिखो। |
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Answer» MARK US BRAINLIEST..... |
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| 19917. |
Andhere m dubta gaav per aa!ekh |
Answer» HEY MATE!!. . . refain POSTING IRRELEVANT QUESTIONS... |
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| 19918. |
ਪੀਣ ਵਾਲੇ ਪਾਣੀ ਦੇ ਸਾਂਭ ਤੇ ਮੱਹਤਤਾ ਬਾਰੇ ਲੇਖ ਲਿਖੋ |
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Answer» hey plz post QUESTION in hindi or ENGLISH no other languages it is very difficult for US |
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| 19919. |
Letter writing to your friend to event you to come village in hindi |
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Answer» namaskar main ya Patra TUMHE isliye likha hai Kyunki Mere Gaon Mein Bada Sa Mela lagne WALA hai aur is TYOHAR Mein Hum Tumhe Apne Gaon bula Bula rahi hai tu bhi kal har HALAT mein Aa Jana dhanyavad |
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| 19920. |
How to improvement in my written in Hindi Hindi to hard work |
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Answer» You have to WRITE more than 2 PAGES WRITTING daily Explanation: |
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| 19921. |
खेलों का महत्त्व-essay |
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Answer» खेल का महत्व पर निबंध 1 (100 शब्द) लोगों द्वारा आकस्मिक या संगठित भागीदारी के माध्यम से की जाने वाली प्रतिस्पर्धी खेल गतिविधियों को हम खेल कह सकते हैं। यह सभी की शारीरिक क्षमता और कौशल को सुधारने और बनाए रखने में मदद करता है। यह प्रतिभागियों के लिए मनोरंजन का एक तरीका है। खेल आमतौर पर, एक दूसरे पर विजय प्राप्त करने की कोशिश के साथ दो प्रतिस्पर्धी टीमों के बीच एक प्रतियोगिता के रूप में खेला जाता है। खेल और स्पोर्ट्स के विभिन्न प्रकार होते हैं, जिन्हें हम घर के बाहर खेलते हैं उन्हें आउटडोर (मैदानी खेल) खेल कहते हैं, वहीं जो घर के अन्दर खेले जाते हैं उन्हें इनडोर खेल कहा जाता है। दोनों में से एक प्रतिभागी विजेता होता है, वहीं दूसरा हारता है। खेल वास्तव में सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण गतिविधि है, विशेषरुप से बच्चों और युवाओं के लिए क्योंकि यह शरीर को स्वस्थ और तंदरुस्त रखता है। |
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| 19923. |
Pani Di Sambhal sambandhi mahatva Par Ek Lekh likho |
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Answer» Not UNDERSTANDABLE ... |
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| 19924. |
What we will call leaf in hindi language give me 2 examples |
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Answer» paata, and PATR |
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| 19925. |
Brusly judo carate academy का vigyapen तैयार करे |
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Answer» Answer: ब्रूसली जूडो एकेडमी ब्रुसली एकेडमी आए 10 दिनों मै ब्रूसली जैसी जूडो सीखे यहां पर एक महीने से लेकर सात महीने का कोर्स करवाया जाता है
तो आज ही ज्वाइन करें ब्रूसली जूडो एकेडमी
पता:- सिविल लाइंस प्रयागराज
Explanation:put it in a box as advertisment is WRITTEN in a box and you can ALSO make some small pictures in it to make it LOOK LIKE a advertisiment |
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| 19926. |
Say some other names for leaf in hindi language |
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Answer» पत्ता[पत्ती] पर्ण........... |
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| 19927. |
अनुच्छेद लिखे परहित सरस धरम नही भाई |
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Answer» ”परहित सरिस धरम नहिं भाई । पर पीड़ा सम नहिं अधमाई ।।” परोपकार से बढ़कर कोई उत्तम कर्म नहीं और दूसरों को कष्ट देने से बढ़कर कोई नीच कर्म नहीं । परोपकार की भावना ही वास्तव में मनुष्य को ‘मनुष्य’ बनाती है । कभी किसी भूखे व्यक्ति को खाना खिलाते समय चेहरे पर व्याप्त सन्तुष्टि के भाव से जिस असीम आनन्द की प्राप्ति होती है, वह अवर्णनीय है । किसी वास्तविक अभावग्रस्त व्यक्ति की नि:स्वार्थ भाव से अभाव की पूर्ति करने के बाद जो सन्तुष्टि प्राप्त होती है, बह अकथनीय है । परोपकार से मानव के व्यक्तित्व का विकास होता है । व्यक्ति ‘स्व’ की सीमित संकीर्ण भावनाओं की सीमा से निकलकर ‘पर’ के उदात्त धरातल पर खड़ा होता है, इससे उसकी आत्मा का विस्तार होता है और वह जन-जन के कल्याण की ओर अग्रसर होता है । प्रकृति सृष्टि की नियामक है, जिसने अनेक प्रकार की प्रजातियों की रचना की है और उन सभी प्रजातियों में सर्वश्रेष्ठ प्रजाति मनुष्य है, क्योंकि विवेकशील मनुष्य जाति सिर्फ अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति तक सीमित नहीं रहती, बल्कि वह स्वयं से परे अन्य लोगों की आवश्यकताओं की भी उतनी ही चिन्ता करती है, जितनी स्वयं की । इसी का परिणाम मनुष्य की सतत विचारशील, मननशील एवं अग्रगामी दृष्टिकोण सम्बन्धी मानसिकता के रूप में देखा जा सकता है । प्रकृति के अधिकांश जीव सिर्फ अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति तक ही स्वयं को सीमित रखते हैं, अपनी एवं अपने बच्चों की उदरपूर्ति के अतिरिक्त उन्हें किसी अन्य की चिन्ता नहीं रहती, लेकिन मनुष्य स्वयं के साथ-साथ न सिर्फ अपने परिवार, बल्कि पूरे समाज को साथ लेकर चलता है एवं उनके हितों के प्रति चिन्तित रहता है ।मनुष्य की यही भावना उसे भ्रातृत्व की भावना से जोड़ती है । विश्व बन्धुत्व की भावना का विकास ही अन्ततः विश्व शान्ति एवं प्रेम की स्थापना को सम्भव कर सकता है । किसी भी समाज के सभी प्रबुद्ध व्यक्तियों का सपना एक ऐसे आदर्श समाज की स्थापना होता है, जहाँ मानव-मानव के बीच किसी प्रकार का कोई भेदभाव न रहे । मनुष्य की बस एक ही जाति हो मनुष्यता की, उसका सिर्फ एक ही धर्म हो इंसानियत का, उसका सिर्फ एक ही नारा हो मानवीयता का । समतामूलक एवं मानव के प्रति गरिमायुक्त व्यवहार जिस समाज की रग-रग में व्याप्त होगा, वह समाज धरती पर स्वर्गतुल्य हो जाएगा । मानव के प्रति समानता एवं गरिमापूर्ण व्यवहार सिर्फ उस मानसिकता की उपज हो सकती है, जो वैश्विक स्तर पर सभी मनुष्यों को न केवल समान समझे, बल्कि मनुष्य-मनुष्य के बीच किसी भी प्रकार की असमानता को अतार्किक एवं हेय समझे । जो व्यक्ति जीव के अन्दर ही ईश्वर का अंश देखता है, मनुष्य को ईश्वर की साक्षात कृति समझता है, उसे न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि वैज्ञानिक एवं भौतिकवादी दृष्टिकोण से भी मनुष्य-मनुष्य के बीच अन्तर करने का कोई औचित्य नजर नहीं आता । धार्मिक दृष्टि से मनुष्य को ईश्वर की रचना या अंश मानने का श्रेष्ठ परिणाम यह होता है कि मनुष्य किसी भी मनुष्य को उचित सम्मान एवं गरिमा प्रदान करने के लिए नैतिक रूप से बाध्य रहता है । नैतिकता सम्बन्धी बाध्यता उसे व्यवहार में दूसरे मनुष्यों की चिन्ता, उनके हितों की पूर्ति हेतु सार्थक प्रयत्न करने की ओर अग्रसर करती है । समाज के सभी प्रबुद्ध एवं विचारशील व्यक्ति इस मत से सहमत हैं कि प्रत्येक मनुष्य का कर्त्तव्य है कि वह सम्पूर्ण समाज की बेहतरी के लिए यथासम्भव प्रयत्न करे । सभी व्यक्तियों के कल्याण में ही प्रत्येक व्यक्ति का कल्याण छिपा है ।किसी समाज का वृहत स्तर पर कल्याण होने से तात्पर्य उस समाज के प्रत्येक व्यक्ति का कल्याण होने से है । किसी भी समाज का अस्तित्व समाज के सदस्यों पर ही टिका होता है । सदस्यों के सामाजिक सम्बन्धों के जाल को ही समाज कहते हैं अर्थात् समाज का निर्माण ही सदस्यों के बीच की अन्त:क्रिया से होता है, इसलिए समाज एवं व्यक्ति दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । व्यष्टि स्तर पर व्यक्ति, तो समष्टि स्तर पर समाज । यदि कोई व्यक्ति किसी भी अन्य व्यक्ति के प्रति परोपकार या परहित की भावना के साथ व्यवहार करता है, तो अन्ततः वह ऐसा समाज के प्रति ही कर रहा होता है । मनुष्य में तो अपनी सभ्यता एवं संस्कृति के आरम्भ से ही सहकारी प्रवृत्ति निहित है । |
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| 19928. |
Ram nath govind ka jivan parichay |
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Answer» राम नाथ कोविंद का जन्म 1 अक्टूबर 1945 को पारुख, कानपुर देहाट जिला, उत्तर प्रदेश, भारत में माईकूलाल कोरी और कलावती के घर हुआ था। उन्होंने वाणिज्य में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और कानपुर विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री प्राप्त की। अपनी कानूनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, कोविंद दिल्ली चले गए और सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करना शुरू कर दी। उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा को अपने तीसरे प्रयास में पास किया, लेकिन सेवाओं में शामिल होने से इंकार कर दिया, क्योंकि उन्हें सहयोगी सेवा के लिए चुना गया था, न कि आईएएस के लिए। उसके बाद उन्होंने स्वयं को बार काउंसिल ऑफ दिल्ली में एक वकील के रूप में नामांकित किया और अभ्यास करना शुरू कर दिया। वकील के रूप में, कोविंद ने समाज के कमजोर वर्गों, महिलाओं और दिल्ली के गरीब लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान की। बाद में उन्हें भारत सरकार के सुप्रीम कोर्ट की केंद्र सरकार की स्थायी परिषद के रूप में नियुक्त किया गया और उन्होंने वर्ष 1993 तक एक वकील के रूप में अभ्यास किया। वर्ष 1991 में जब वह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो गए, तब कोविंद राजनीति में शामिल हुए। |
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| 19929. |
Yashpal lekhak ka jivan parichay |
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Answer» जीवन-परिचयः हिन्दी साहित्य के आधुनिक काल के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार एवं कहानीकार यशपाल का जन्म पंजाब राज्य के फिरोजपुर छावनी में 3 दिसम्बर सन् 1903 ईस्वी को हुआ। इनकी माता प्रेमदेवी तथा पिता हीरालाल संस्कारवान थे, जिनका प्रभाव उनके व्यक्तित्व पर साफ झलकता है। गुरूकुल कांगड़ी (हरिद्वार) से प्रारम्भिक शिक्षा ग्रहण करने वाले यशपाल की शिक्षा डी.ए.वी. स्कूल, लाहौर तथा फिरोजपुर में हुई। इसी बीच इनका झुकाव राष्ट्रीय-आन्दोलन की ओर हो गया। शहीद भगतसिंह और चन्द्रशेखर आजाद जैसे क्रांतिकारियों के साथ कार्य करते हुए इन्हें जेल भी जाना पड़ा। भारतीय स्वतंत्रता के बाद यशपाल लखनऊ में स्थायी रूप से बस गए और लेखन को आजीविका का साधन बना लिया। आर्य समाज के प्रचारक के रूप में भी कुछ दिन तक कार्य किया। 7 अगस्त 1936 ईस्वी को इनका विवाह बरेली जेल में प्रकाशवती के साथ हुआ। आजादी के बाद इन्होंने कई विदेशी यात्राएँ भी कीं। सन् 1969 में इन्हें सोवियत-भूमि नेहरू पुरस्कार प्रदान किया। सन् 1976 में यशपाल का देहावसान हो गया। प्रमुख रचनाएं : प्रगतिशील विचारधारा के लेखक यशपाल ने उपन्यास, कहानी, निबन्ध, नाटक एवं यात्रा विवरण आदि की रचना कर हिन्दी साहित्य की विपुल सेवा की है। इनकी प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैं- काव्य-संग्रह पिंजरे की उड़ान, अभिशप्त, भस्मावृत चिनगारी, फूलों का कुर्त्ता, तर्क का तूफान, धर्मयुद्ध, चित्र का शीर्षक, तुमने क्यों कहा था एवं सच बोलने की भूल आदि। नाटक नशे-नशे की बात, रूप की परख, गुडबाई दर्दे दिल। कहानी-संग्रह दादा कामरेड, मनुष्य के रूप, झूठा-सच, दिव्या, बारह घण्टे, अमिता एवं अप्सरा का श्राप आदि। यात्रा-विवरण लोहे की दीवार के दोनों ओर’ एवं ‘राहबीती’ |
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| 19931. |
Mention the time lag between Arunachal Pradesh and Gujarat how is uniform time set for all places |
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Answer» Answer: lag oftwo hours due to STANDARD meridian of TIME pasing through mirzapur in UTTAR PRADESH |
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| 19932. |
A paragraph on summer vacation in hindi |
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Answer» समर वेकेशन ऐसा टाइम होता है, जिसमें बच्चे सबसे ज्यादा खुश दिखाई देते हैं, उनके चेहरे में सबसे ज्यादा खुशी झलकती है क्योंकि न ही उन्हें होमवर्क पूरा करने की टेंशन होती है और न ही सुबह जल्दी उठने का डर सताता है। स्कूल में पढ़ने वाले हर बच्चे को अपनी गर्मियों की छुट्टियों का इंतजार रहता है और तो और कई बच्चे इसके लिए कई महीने पहले से ही योजना बनाना शुरु कर देते हैं तो वहीं पेरेंट्स भी बच्चों को एग्जाम में अच्छे नंबर लाने के लिए लालच देते हैं कि क्लास में टॉप करने पर वे उन्हें गर्मियों की छुट्टियों के ट्रिप ले जाएंगे। आपको बता दें कि हर स्कूल में गर्मियों की छुट्टियों के अपनी समय अवधि होती है, लेकिन ज्यादातर स्कूलों में गर्मियों की छुट्टियां करीब 45 दिनों की होती है। इतनी लंबी छुट्टियों में कई बच्चे कम्यूटर कोर्स सीखते हैं तो कई बच्चे स्वीमिंग क्लासेस ज्वाइन करते हैं तो कई बच्चे अलग-अलग तरह की लैंग्वेज सीखने की कोशिश करते हैं या फिर कई बच्चे पेंटिंग बनाना, कुकिंग क्लासेस, डांस क्लासेस, ऐरोबिक्स क्लास, मेंहदी क्लास, ब्यूटी क्लास ज्वाइन करना भी पसंद करते हैं। दरअसल, गर्मियों के दौरान तापमान बहुत ज्यादा होता है, इसलिए बच्चों के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए इस दौरान सभी स्कूल-कॉलेज बंद हो जाते हैं, ताकि बच्चे इस दौरान अपने स्वास्थ्य का ख्याल रख सकें और आराम कर सके। इसके साथ ही गर्मियों में बच्चे अपने एक्स्ट्रा एक्टिविटी पर भी ध्यान दे सकें। समर वेकेशन में बच्चे अपने कमजोर विषय पर भी ध्यान देकर उसमें सुधार लाने की कोशिश करते हैं। |
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| 19933. |
Peene Wale Pani Diya sambhale Koi 10 line likho |
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Answer» Answer: peene wala Pani DIYA SAMBHAL ke 10 line likho https://m.livehindustan.com/news/mustread/article1-10-must-read-facts-about-water-drinking-health-579812.amp.html पानी पीते हुए इन 10 बातों का ज़रूर ... - HINDUSTAN |
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| 19934. |
स्वतंत्रता संग्राम की yeh लड़ाई open ladai thi kaise? Chapter diary ka ek panna class 10 |
| Answer» | |
| 19935. |
Surdas ke pad ka bhav |
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Answer» what are you TELLING I don't UNDERSTAND |
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| 19936. |
Aupcharick Patra in Hindi |
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Answer» Answer: do yourself Explanation: |
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| 19938. |
How to find the measurement using vernier caliper??please dont spam |
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Answer» Explanation: A quick guide on how to read a vernier caliper. A vernier caliper outputs measurement readings in centimetres (cm) and it is precise up to 2 decimal places (E.g. 1.23 cm). Note: The measurement-reading technique described in this post will be similar for vernier calipers which output measurement readings in inches. Measurement Reading Technique For Vernier Caliper In order to read the measurement readings from vernier caliper properly, you need to remember two things before we start. For example, if a vernier caliper output a measurement reading of 2.13 cm, this means that: The main scale contributes the main number(s) and one decimal place to the reading (E.g. 2.1 cm, whereby 2 is the main number and 0.1 is the one decimal place number) The vernier scale contributes the second decimal place to the reading (E.g. 0.03 cm) caliper 1 Let’s examine the image of the vernier caliper readings above. We will just use a two steps method to get the measurement reading from this: To obtain the main scale reading: Look at the image above, 2.1 cm is to the immediate left of the zero on the vernier scale. Hence, the main scale reading is 2.1 cm To obtain the vernier scale reading: Look at the image above and look closely for an alignment of the scale lines of the main scale and vernier scale. In the image above, the aligned LINE correspond to 3. Hence, the vernier scale reading is 0.03 cm. In order to obtain the final measurement reading, we will add the main scale reading and vernier scale reading together. This will give 2.1 cm + 0.03 cm = 2.13 cm. Let’s go through another example to ensure that you understand the above steps: caliper 2 Main scale reading: 10.0 cm (Immediate left of zero) Vernier scale reading: 0.02 cm (Alignment of scale lines) Measurement reading: 10.02 cm Compensating For Zero ERROR Now, we shall try with zero error. If you are not familiar on how to handle zero error for vernier calipers, I suggest that you read up on Measurement of Length. caliper 3 The reading on the top is the measurement obtained and the reading at the bottom is the zero error. Find the actual measurement. (Meaning: get rid of the zero error in the measurement or take into account the zero error) Measurement with zero error: 3.34 cm Zero error: – 0.04 cm (negative because the vernier scale is to the left) Measurement without zero error: 3.34–(–0.04)=3.38 cm
If you do not understand the subtraction of the negative zero error from the measurement, please read on. Since the zero error is -0.04 cm, this means that all measurements TAKEN by the vernier calipers will be SMALLER by 0.04 cm. Hence, you will have to ADD 0.04 cm to ALL measurements in order to get the TRUE measurement. The subtraction is done in the above case is to have an elegant way of obtaining a resultant addition: 3.34+0.04=3.38 and to make it COMPATIBLE with positive zero error. This means that once you have determined the NATURE of the zero error (positive or negative), you can just subtract the zero error and be sure that your final ANSWER is correct.
Consider a zero error of +0.04 cm. With my method, 3.34–(+0.04)=3.30 cm. Normal method: Since the zero error is +0.04 cm, this means that all measurements taken by the vernier calipers will be larger by 0.04 cm. Hence, you will have to SUBTRACT 0.04 cm from ALL measurements in order to get the true measurement. The final calculation will be 3.34–0.04=3.30 cm, which is the same as my method.
Note: I hope that I did not confuse you. Drop a comment below if you encounter any difficulties.
More Vernier Caliper Practice: Without Zero Error Finding The Zero Error With Zero Error With Other Measurement Topics
Self-Test Questions For Vernier Calipers Where on the vernier calipers would you read to obtain the main scale reading?
Where on the vernier calipers would you read to obtain the vernier scale reading?
What is the smallest possible reading (in cm) of a vernier caliper?
If you still do not understand the concept, please click the navigational buttons below to go to the next page. There is a very useful simulation of the vernier calipers. 1 2Next page Next: How To Read A Micrometer Screw Gauge Previous: Measurement of Time
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| 19939. |
Bhartita sadan k nichle lok saabha ko kon bhnag kar sakta |
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Answer» Bhartita sadan k nichle LOK SABHA KO GANDHI JI benar kar sakta |
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| 19940. |
Good morning everyone !!!"जन्मजात" का समामस विग्रह करे और समाज का नाम लिखे ।plsssss fasttt |
Answer» GOOD MORNING DEAR.....जन्मजात= जन्म+अजात |
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| 19941. |
Advantage of moderation policy on 12th students in hindi |
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Answer» i don't KNOW ............. |
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| 19942. |
खेलो का सामान मगंवाने के लिए प्रधानाचार्य को प्रार्थना पत्र । |
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Answer» परीक्षा भवन क ख ग नगर । दिनांक 2 अगस्त 2016 सेवा मे , प्रधानाचार्य महोदय , च छ ज विद्यालय ट ठ ड नगर । विषय - खेल सामग्री मँगवाने हेतु पत्र । महोदय , सविनय निवेदन है कि मै आप के विद्यालय की 10वीं ब का छात्र हूँ । साथ ही विद्यालय का खेल सचिव भी हूँ । हमारे विद्यालय में खेल सामग्रियों का नितांत अभाव है जिससे विद्यार्थियों को अभ्यास मे मुश्किल का सामना करना पडता है ।अगले माह से अन्तर्विद्यालय प्रतियोगिताएँ भी प्रारंभ होने वाली हैं । अतः महोदय से विनम्र निवेदन है कि विद्यालय मे आवश्यक खेल सामग्री अतिशीघ्र मँगवाने का कष्ट करें। इससे न केवल हमारा विद्यालय जीत हासिल करेगा अपितु विद्यालय का नाम भी रोशन होगा । सधन्यवाद । भववदीय क्ष त्र ज्ञ । Explanation: |
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| 19944. |
Internet kade laab or haani in hindi |
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Answer» इन्टरनेट के फायदे--- इंटरनेट की मदद से हम किसी भी तरह की जानकारी और किसी भी सवाल का हल कुछ ही सैकेंडों में प्राप्त कर सकते है। इन्टरनेट के माध्यम से हम दुनिया के किसी दूसरे कोने में बैठे किसी भी व्यक्ति से बिना शुल्क के घण्टो तक बात कर सकते है। यह एक वर्ल्ड वाइड वेब है जिसकी मदद से हम दुनिया के किसी भी कोने में अपनी मेल या जरूरी कागजात पलक झपकते ही भेज सकते है या प्राप्त कर सकते है। यह हमारे मनोरंजन का सबसे अच्छा माध्यम बनकर हमारे सामने प्रस्तुत हुआ है! इसके माध्यम से संगीत, गेम्स,फिल्म इत्यादि बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के डाऊनलोड कर सकते है और अपनी बोरियत की दूर किया जा सकता है। . इन्टरनेट की सहायता से बिजली ,पानी और टेलीफोन के बिल का भुगतान घर बैठे बिना किसी परेशानी के और कतार में खड़े हुए बगैर आसानी से भर सकते है | रेलवे टिकेट बुकिंग, होटल रिसर्वेसन, ऑनलाइन शॉपिंग ,ऑनलाइन पढ़ाई,आनलाइन बैंकिंग, नौकरी खोज, इत्यादि सुविधाए भी इन्टरनेट के माध्यम से घर बैठे मिल जाती है! इंटरनेट के माध्यम से होने वाले वित्तीय एवं वाणिज्यिक प्रयोगों ने बाज़ार की अभिधारणाओं को नई रूप रेखा प्रदान की है | सोशल नेटवर्किंग साइट्स के माध्यम से हम नए नए दोस्त बना सकते है जिससे हमे काफी कुछ नया सीखने को मिलता है। सोशल नेटवर्किंग साइट्स के माध्यम से हम कोई भी खबर एक ही पल में एक ही शेयर से बहुत सारे लोगो तक पहुंचा सकते है। जो लोग किसी भी समस्या से रेगुलर क्लास लगाकर नही पढ़ सकते उनके लिए भी इन्टरनेट क्रांतिकारी बदलाव लेकर आया है। अब ऑनलाइन क्लासेस के माध्यम से कोई भी व्यक्ति घर बैठे ही पढ़ कर परीक्षा दे सकता है। सुयोग्य वर-वधु की तलाश भी इन्टरनेट ने आसान कर दी है। इन्टरनेट पर बहुत सी मैट्रीमोनी साइट्स है जिनपर आप अपनी पसंद के जीवनसाथी की तलाश आसानी से कर सकते है। जो लोग पार्ट टाइम जॉब करके पैसा कमाना चाहते है,उनके लिए भी इन्टरनेट वरदान से कम नही है। आजकल बहुत सारी ऑनलाइन जॉब्स उपलब्ध है जिससे घर बैठे ही आप पैसा कमा सकते है। कुकिंग सीखने के लिए भी अब कोई कुकिंग क्लासेज में टाइम और पैसे बर्बाद करने की जरुरत नही है। जो भी सीखना हो यू ट्यूब पर आप लाइव सीख सकते है। इन्टरनेट सेवा के माध्यम से अब ई कॅामर्स और ई बाजार के बढ़ते चलन ने सेवा प्रदाताओं और उपभोक्ताओं के बीच की दूरी को मिटा दिया है | इन्टरनेट के नुकसान----- इन्टरनेट पर सुविधा की वजह से व्यक्तिगत जानकारी की चोरी बढ़ गयी है, जैसे--क्रेडिट कार्ड नम्बर, बैंक कार्ड नम्बर इत्यादि की चोरी। आजकल इन्टरनेट का उपयोग जासूसों के द्वारा देश की सुरक्षा व्यवस्था को भेदने के लिए किया जाने लगा है जो कि सुरक्षा दृष्टि से खतरनाक है। इन्टरनेट से रेलवे टिकेट बुकिंग, होटल रिसर्वेसन, ऑनलाइन शॉपिंग ,आनलाइन बैंकिंग, नौकरी खोज, इत्यादि सुविधाए घर बैठे तो मिल जाती है लेकिन इससे आपकी पर्सनल जानकारी जैसे कि आपका नाम,पता,और फ़ोन नंबर का गलत उपयोग होने का खतरा भी बना रहता है। आजकल इन्टरनेट से गोपनीय दस्तावेजों की चोरी भी होने लगी है। इसके लिए स्पामिंग का इस्तेमाल होता है। यह एक अवांछनीय ई-मेल होती है जिसके माध्यम से गोपनीय दस्तावेजों की चोरी की जाती है! इन्टरनेट के बढ़ते उपयोग की वजह से कैंसर जैसी घातक बीमारी घर घर में होने लगी है। इन्टरनेट के चलन की वजह से ही कुछ असमाजिक तत्व दूसरों के कंप्यूटर की कार्य प्रणाली को नुकसान पहुंचाने के लिए वायरस भी भेजते है। जो व्यक्ति एक बार इन्टरनेट का इस्तेमाल करना शुरू कर देता है, उसको इसकी आदत हो जाती है और फिर इन्टरनेट के बिना एक दिन भी गुजारना मुश्किल लगने लगता है। अतः इन्टरनेट एक व्यसन से कम नही है। इन्टरनेट पर पोरोनोग्रफी साईट पर अत्यधिक मात्रा में अश्लील सामग्री विद्यमान है,जिसका बुरा प्रभाव सबसे अधिक बच्चो पर और युवा पीढ़ी पर पड़ा है। इस तरह की साइट्स देखकर देखकर लोग गलत राह की तरफ बढ़ते है और अपराध की तरफ अग्रसर हो रहे है जबकि इस तरह की अश्लील सामग्री इन्टरनेट पर डालने वाले लोग अच्छी आमदनी कर रहे है! ये हमारे समाज के लिए जहर के समान है जिसके खतरनाक परिणाम हम हर रोज खबरों में देखते और सुनते ही है। इसलिए इस तरह की सामग्री इन्टरनेट पर रोकने के लिए सख्त नियम बनने चाहिये। इन्टरनेट की वजह से सोशल साइट्स का चलन बढ़ गया है,अब लोग परिवार में बैठ कर बातें करने की बजाय अकेले रहना पसंद करते है। क्योंकि सोशल साइट्स पर ही उनकी अलग दुनिया बन गयी है जिससे परिवार टूटने लगे है |
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| 19945. |
Shantanu Kumar Achar ki jivani |
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Answer» शांतनु कुमार आचार्य ओड़िया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह चलन्ति ठाकुर के लिये उन्हें सन् 1993 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[1] शांतनु कुमार आचार्य |
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| 19946. |
Shantanu Kumar Acharya ki jivani |
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Answer» Explanation: Santanu Kumar Acharya is National Sahitya Academy AWARD Winning Indian writer. Santanu Kumar Acharya, born on 1933 in Kolkata, hails from the village Siddheswar PUR of Cuttack district, Odisha.[1] He served the Government of Odisha as a college teacher for 34 years from 1958 to 1992 when he retired as the Registrar of Utkal University.[2] Santanu Kumar Acharya Acharya during Fakir Mohan's 172nd birthday celebration at Santikanana, Balasore, Odisha Acharya during Fakir Mohan's 172nd birthday celebration at Santikanana, Balasore, Odisha Born 15 May 1933 (age 86) Mominpur, Kolkata Occupation Professor Language Odia Education MSc (Chemistry) Alma mater Ravenshaw college Genre Litterateur, fiction writer Subject Novels, SHORT Stories, Essays and Children's Literature Notable works Nara Kinnara Shatabdira Nachiketa Dakshinabarta Shakuntala Notable awards Sahitya Akademi Spouse Nirupama Acharya Children Three daughters: Prajeshnandini (Bulbul), Nibedita (SULU), Julie Relatives Abhijit RAY son in law |
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| 19947. |
एक डायलाग किसान और पत्नी के बीच |
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Answer» Kisan APNI Patni ko sambodhit karte pure Kata hai TUMNE KHANA Paka Diya Kyunki Mujhe Khet par kaam ke liye jaana hai Patni kahti hai Zara rukiye , main khana Paka Rahi Hoon sabji Pak Gayi Hai ROTI BANA rahi hu plzz mark as brainlist |
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| 19948. |
आपके द्वारा की गई कीसी यात्रा को यात्रावृत्तांत के रूप में लिखो |
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Answer» Explanation: यात्रा यानि की अपनी जगह से कई दूर घुमने फिरने के लिए जाना ताकि हम अपनी रोज की भाग दौड़ भरी जिंदगी से कुछ समय के लिए निजात पा सके और अपने परिवार और दोस्तों को समय दे सके। यात्रा से व्यक्ति को बहुत अच्छा महसूस होता है और सभी के साथ मिल जुलकर रहने का अच्छा समय भी मिलता है। यात्रा के कई साधन है जैले कार,बस, रेलगाड़ी आदि। मुझे तो सबसे ज्यादा ट्रेन की यात्रा पसंद है। भारत में बहुत से पर्यटन स्थल है। बहुत से यात्री वहाँ जाते है और वहाँ की सुंदरता का लुप्त उठाते है। लोग धार्मिक स्थलों की भी यात्रा करने जाते है। मैं भी इस साल अप्रैल में अपने दोस्तों के साथ वैष्णों देवी की यात्रा पर गई थी। मैं वहाँ अपने परिवार के साथ पहले भी जा चुकी थी और हमनें बहुत ही मजे किए थे। दोस्तों के साथ यात्रा का और परिवार के साथ यात्रा का अलग ही मजा है। हम पाँच दोस्त थे और हमने रेलगाड़ी से यात्रा करने का तय किया था और उस समय रेलों मैं बहुत ही ज्यादा भीड़ थी। हमारी ट्रेन अंबाला से रात के 10 बजे की थी। ट्रेन के आते ही हम सब उसमें सवार हो गए और खाना खाया। हम सभी दोस्तों ने रात को लुडो खेला, अंताक्षरी खेली। जम्मु से ट्रेन के गुजरते वक्त हमनें खिड़किया खोलकर ठंडी हवा का आंनद लिया। हम सुबह 7 बजे कटरा पहुँचे जहाँ के पहाड़ों में माता वैष्णों देवी का मंदिर स्थित है। हम लोगों ने वहाँ पर पहुँचकर हॉटल में कमरा लेकर विश्राम किया और एक बजे माता के मंदिर के लिए चढाई शुरू की जो कि 14 किलोमीटर की है। लगभग दो किलोमीटर चढ़ने के बाद हम बाण गंगा पहुँचे और वहाँ पर स्नान किया। गंगा का पानी बहुत ही शीतल था। उसके बाद हमने रूककर खाना खाया। वैष्णों देवी की चढ़ाई पर सुरक्षा के बहुत ही अच्छे इंतजाम किए गए है। बुढ़े लोगों की चढाई के लिए खच्चर और पालकी आदि का इंजाम है। बच्चों को और बैगों को उठाने के लिए पिठ्ठू वाले है। उनकी हालत बहुत ही दयनीय होती है वह अपनी आजीविका चलाने के लिए यह कार्य करते है। हम आस पास देखते हुए हंसते खेलते माता रानी का नाम लेकर चढ़ाई चढ़ते गए। दोपहर में गर्मी होने के कारण हम थोड़ी-थोड़ी दुरी पर नींबू पानी जूस आदि पीते रहे। ऐसे करते करते हम माता के मंदिर पहुँच गए और 6 घंटे लाईन में लगने के बाद माता रानी के दर्शन हुए। उसके बाद हमनें भैरों बाबा की चढ़ाई शुरू की जिसके बिना यात्रा को अधुरा माना जाता है। रात को बहुत ही ज्यादा ठंड हो गई थी। हमनें नीचे उतरना शुरू किया। कमरे पर पहुँच कर हमने आराम किया और वापसी के लिए ट्रेन पकड़ी। तीन दिन की इस यात्रा ने हमें बहुत ही सुखद अनुभव दिया जिसे हम कभी नहीं भूल सकते। |
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| 19949. |
ਪੰਜਾਬੀ1) 10 ਨੋਬੇਲ ਪੁਰਸਕਾਰ ਵਿਜੇਤਾਵਾਂ ਦੇ ਬਾਰੇ ਅਸਾਇਨਮੈਂਟ ਤਿਆਰ ਕਰੋ ।2) ਕੀ ਛੋਟੀ ਉਮਰ ਦੇ ਬੱਚਿਆਂ ਨੂੰ ਸੜਕ ਉਪੰਚ ਸਕੂਟਰ ਜਾਂ ਮੋਟਰ ਸਾਈਕਲ ਚਲਾਉਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ? ਤੁਸੀਂ ਇਸ ਬਾਰੇ ਕੀਸੋਚਦੇ ਹੋ ? ਜੇ ਹਾਂ ਤਾਂ ਕਿਉਂ ਜੇ ਨਹੀਂ ਤਾਂ ਕਿਉਂ ।3) ਪੰਜ ਪੰਨੇ ਸੁੰਦਰ ਲਿਖਾਈ ਵਿੱਚ ਸੁਲੇਖ ਲਿਖੋ । |
| Answer» | |
| 19950. |
Holi ka din musla dhar Varsha Hona par do mitron ka bich Hona wala samvad |
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Answer» hindi is only LANGUAGE essay are WRITTEN in present time on all RELIGION |
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