InterviewSolution
Saved Bookmarks
This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
| 1. |
एक समान्तर प्लेट संधारित्र की प्रत्येक प्लेट का क्षेत्रफल 528 वर्ग सेमी है दोनों प्लेटो के बीच की दुरी 2 मिमी है | उनके बीच अभ्र्क का परावैद्युतांक 6 हो, तो संधारित्र की धारिता ज्ञात कीजिए | उतनी हो धारिता के गोले की त्रिज्या क्या होगी ? |
|
Answer» Correct Answer - `1.4xx10^(-9) F , 1.26 `मीटर | `C= (in_(r)in_(0)A)/(d) = in_(r) .(4piin_(0)A)/(4pid)` ` C = (6xx(1)/(9xx10^(9))xx528xx10^(-4))/(4xx3.14xx2xx10^(-3))` ` = 14.01xx10^(10)` ` = 1.4xx10^(-9) F ` तथा ` C= 4piin_(0) r ` या ` r = 9xx10^(9)xx1.4xx10^(-9)` = 12.6 मीटर |
|
| 2. |
एक संधारित्र बैटरी से जुड़ा हुआ है | अब प्लेटो के बीच परावैद्युत पट्टी खिसकायी जाये , तो निम्न पर क्या प्रभाव पढ़ेगा - आवेश |
| Answer» माना Q प्लेटो के बीच निर्वात में आवेश हो तब Q = K अर्थात K गुनी हो जायेगी | | |
| 3. |
एक संधारित्र बैटरी से जुड़ा हुआ है | अब प्लेटो के बीच परावैद्युत पट्टी खिसकायी जाये , तो निम्न पर क्या प्रभाव पढ़ेगा - विद्युत्-क्षेत्र |
|
Answer» निर्वात में विद्युत क्षेत्र `E_(0) = (V)/(d)` तथा माध्यम की उपस्थिति में `E = (V)/(Kd) = (E_(0))/(k)` विद्युत क्षेत्र कम होगा | |
|
| 4. |
एक संधारित्र बैटरी से जुड़ा हुआ है | अब प्लेटो के बीच परावैद्युत पट्टी खिसकायी जाये , तो निम्न पर क्या प्रभाव पढ़ेगा - विभवान्तर |
| Answer» चूँकि संधारित्र बैटरी से जुड़ा है अतः विभवांतर अपरिवर्तित रहेगा | | |
| 5. |
एक संधारित्र बैटरी से जुड़ा हुआ है | अब प्लेटो के बीच परावैद्युत पट्टी खिसकायी जाये , तो निम्न पर क्या प्रभाव पढ़ेगा - धारिता |
| Answer» यदि निर्वात माध्यम में धारिता `C_(0)` हो तब धारिता C = K `C_(0)` , धारिता K गुनी हो जाएंगी | | |
| 6. |
एक संधारित्र को बैटरी द्वारा आवेशित करके बैटरी को हटा लिया जाता है जबकि आवेशित संधारित्र की प्लेटो के बीच वायु है | अब प्लेटो के बीच का सम्पूर्ण स्थान परावैद्युत से भर दिया जाता है | विद्युत्-क्षेत्र पहले से कम होगा या अधिक ? |
| Answer» विद्युत-क्षेत्र पहले से कम हो जायेगा | | |
| 7. |
एक गोलाकार चालक की त्रिज्या 10 सेमी तथा उसका विभव 30 स्थेत-वोल्ट है | इस गोले को एक अन्य गोले की त्रिज्या 25 सेमी है , रखा दिया जाता है और उससे स्पर्श करा दिया जाता है , तो दूसरे गोले के विभव की गणना कीजिए | |
|
Answer» पहले गोले की त्रिज्या r = 10 सेमी, विभव V = 30 स्थेत - वोल्ट सूत्र - ` V = (Q )/(d ) "से", 30 = (Q) /(10 ) ,` `[ because ` सम्पूर्ण आवेश को गोले के केन्द्र पर केन्द्रित माना जा सकता है |] ` therefore Q = 300 ` स्थेत -कूलॉम इस गोले को 25 सेमी त्रिज्या वाले खोखले गोले में रखकर स्पर्श करा देने पर सम्पूर्ण आवेश बाह्य गोले पर आ जायेगा | ` therefore ` बाह्य गोले पर आवेश Q = 300 स्थेत -कूलॉम तथा बाह्य गोले की त्रिज्या r = 25 सेमी ` therefore " सूत्र -" V = (Q) /(d) ` से , दूसरे गोले का विभव ` V = (300) /(25 ) 12 ` स्थेत - वोल्ट | |
|
| 8. |
जब एक चालक से `10^(12) ` इलेक्ट्रॉनों को दूसरे चालक में स्थानान्तरित किया जाता है तो उनके बीच 16 वोल्ट का विभवान्तर उत्पन्न हो जाता है | चालक निकाय की धारिता ज्ञात कीजिए | |
|
Answer» दिया है - `q = ne = 10^(12) xx1.6xx10^(-19) = 1.6xx10^(-7)` कूलॉम विभवान्तर V = 16 वोल्ट सूत्र - ` C = (Q)/(V) = (1.6xx10^(-7))/(16) = 10^(8)` फेरड (F) ` because 1 muF = 10^(-6) F = 10^(-2) xx10^(-6) F ` ` = 10^(-2)` माइक्रो फेरड `(mu F ) ` |
|
| 9. |
संधारित्रों को श्रेणीक्रम में जोड़ने पर प्रत्येक संधारित्र के लिए क्या समान रहता है- धारिता, विभवांतर, ऊर्जा या आवेश? |
| Answer» प्रत्येक संधारित्र के लिए आवेश का मान समान रहता है। | |
| 10. |
एक चालक को `10^(-6)` कूलॉम आवेश देने पर उसका विभव 100 वोल्ट हो जाता है | उसकी धरिता क्या होगी ? बड़ी बूँद का विभव , एक छोटी बूँद के विभव से कितना अधिक होगा ? |
|
Answer» दिया है - आवेश `q = 10^(-6)` कूलॉम , विभव V = 100 वोल्ट सूत्र ` C = (q)/(V) = (10^(-6))/(100) = 10^(8)` फैरड ` = 10^(-2)xx10^(-6)"फैरड" because lmuF = 10^(-6)` `=10^(-2) " माइक्रो फेरड" (muF) ` |
|
| 11. |
संधारित्रों को समांतर क्रम में जोड़ने पर प्रत्येक संधारित्र के लिए क्या समान रहता है- धारिता, विभवांतर, ऊर्जा या आवेश? |
| Answer» समांतर क्रम में संधारित्रों को जोड़ने पर प्रत्येक संधारित्र की प्लेटो के सिरों पर विभवांतर एक समान रहता है। | |
| 12. |
K परावैद्युतांक पदार्थ के किसी गुटके का क्षेत्रफल समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटो के क्षेत्रफल के समाने है परंतु गुटके की मोटाई (3 /4 ) d है , यहां d प्लेटो के बीच पृथक्कन है | प्लेटो के बीच गुटके को रखने पर संधारित्र की धारिता में क्या परिवर्तन हो जाएगा ? |
|
Answer» माना जब प्लेटो के मध्य कोई परावैद्युत नहीं है तब प्लेटो के बीच विद्युत क्षेत्र ` E_(0) = (V_(0))/(d)` है तथा विभवांतर ` V_(0)` है | अब यदि कोई परावैद्युत पदार्थ रखा दिया जाता है , तो परावैद्युत में विद्युत में विद्युत क्षेत्र `E_(0) = (E_(0))/(K)` होगा | अतः विभवांतर `V= (E_(0)d)/(4) + (E_(0))/(K).(3d)/(4)` या ` V = (E_(0)d)/(4k) (K +3) = (V_(0))/(4k) (K+3)` अर्थात विभवान्तर `(K + 3 ) /(4k ) ` के गुणज द्वारा कम हो जाता है | जबकि प्लेटो पर आवेश ` Q_(0)` अपरिवर्तित रहता है | इस प्रकार संधारित्र की धारिता में वृद्धि होती है अतः धारिता `C= (Q_(0))/(V) = (4KQ_(0))/((k +3)V_(0)) =(4k)/(k+3) C_(0), [because C_(0) = (Q_(0))/(V_(0))]` |
|
| 13. |
दो आवेशित चालकों को जोड़ने पर ऊर्जा -क्षय कब नहीं होता ? |
| Answer» जब दोनों का विभव शुन्य हो | | |
| 14. |
संधारित्र में परावैद्युत के रूप से धातुओं का उपयोग नहीं किया जाता, क्यों? किसी धातु का परावैद्युतांक कितना होता है? |
| Answer» यदि संधारित्र की प्लेटो के बीच सम्पर्ण रूप से कोई चालक (उदाहरण के लिए धातु की प्लेट) रखा देते है, तो संधारित्र की प्लेटो का आवेश लघुपथित होकर संधारित्र को निरावेशित कर देगा, आता: परावैद्युत के रूप में धातुओं का चालक पदार्थ का उपयोग नहीं किया जा सकता है। धातु का परावैद्युतांक अनंत होता है। | |
| 15. |
एक गोलीय चालक की त्रिज्या 9 सेमी है इसे `+4muC` आवेश दिया जाता है। चालक की धारिता ज्ञात कीजिये। (दिया है-`(1)/(4pi epsi_(0)) = 9 xx 10^(9) Nm^(2) C^(-2)`) |
|
Answer» r = 9 सेमी `= 9 xx 10^(-2)m` `C = 4pi epsi_(0)r` `= (1)/(9 xx 10^(9)) xx 9 xx 10^(-2)` फैरड `= 1 xx 10^(-11)` फैरड `= 0.1 PF` |
|
| 16. |
18 सेमी० त्रिज्या के एक गोलीय चालक को `+3muC` आवेश दिया जाता है। चालक की धारिता ज्ञात कीजिये। दिया है `(1)/(4pi epsi_(0)) = 9 xx 10^(4) Nm^(2) C^(-2)` |
|
Answer» r = 18 सेमी `= 18 xx 10^(-2) m` `C = 4pi epsi_(0)r` `C = (1)/(9 xx 10^(9)) xx 18 xx 10^(-2)` फैरड `= 0.2 xx 10^(-11)` फैरड `= 2pF` फैरड। |
|
| 17. |
सिद्ध कीजिए की ` 1muF ` धारिता वाले गोलीय चालक की त्रिज्या 9 किमी की बराबर होती है | |
|
Answer» Correct Answer - 2 वोल्ट | `r = (1)/(4piin_(0)) = C = 9 xx10^(9)xx1xx10^(-6)` = 9000 मी . = 9 किमी . |
|
| 18. |
समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता का M.K.S. पद्धति में व्यंजक लिखिए। इसकी धारिता किस प्रकार बढ़ायी जा सकती है? |
|
Answer» M.K.S. पद्धति में, एक समांतर प्लेट संधारित की निम्न व्यंजक द्वारा दी जाती है- `C = (K epsi_(0)A)/(d)` ....(1) जहाँ A = प्रत्येक प्लेट का क्षेत्रफल, d = प्लेटो के बीच की दुरी, K = प्लेटो के बीच माध्यम का परावैद्युतांक है। समी (1) से स्पष्ट है की समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता बढ़ाने के लिए, (i) प्लेटो का क्षेत्रफल A अधिक होना चाहिए। (ii) प्लेटो के बीच की दुरी d कम होनी चाहिए। (iii) दोनों प्लेटो के बीच माध्यम का परावैद्युतांक K अधिक होना चाहिए। |
|
| 19. |
संधारित्र युक्त परिपथ को सावधानीपूर्वक क्यों प्रयुक्त करना चाहिए जबकि उसमे धारा भी प्रवाहित न हो रही है ? |
| Answer» यदि परिपथ में धारा प्रवाहित न भी करे तब इस स्थिति में भी संधारित्र में आवेश उपस्थित होते है तथा संधारित्र से सतत निरावेशन धारा प्रवाहित होती रहती है तथा कोई व्यक्ति यदि इस स्थिति में इसे विद्युत का झटका लग सकता है अतः इसके प्रभाव को निरस्त करने हेते रबर के सोल जूते पहनकर कार्य करना चाहिए | | |
| 20. |
संधारित्र का उपयोग कम्यूटरो में किस उद्देश्य के लिए किया जाता है? |
| Answer» मेमोरी संग्रहित करने के लिए। | |
| 21. |
क्या कारण है की संधारित्र में किसी धातु को परावैद्युत के रूप में प्रयुक्त नहीं किया जाता ? |
| Answer» धातु विद्युत् का चालक है | यदि संधारित्रों में परावैद्युत के रूप में किसी धातु को प्रयुक्त किया जाये तो विद्युत का प्रवाह एक पट्ट की और होने लगेगा | फलस्वरूप दोनों पट्टों का विभवान्तर शुन्य हो जायेगा | अतः संधारित्र अब संधारित्र की तरह कार्य नहीं करेगा | | |
| 22. |
18 सेमी . त्रिज्या के एक गोलीय चालक को आवेश दी जाती है | चालक की धारिता ज्ञात कीजिए | [दिया है - ` (1)/(4piin_(0)) = 9 xx10^(9) Nm^(2) c^(-2)` ] |
|
Answer» Correct Answer - 20p F दिया है : r = 18 cm `= 18xx10^(-2) m` संधारित्र की धारिता ` C = 4piin_(0) r ` ` = (18xx10^(-2))/(9xx10^(9)) = 2xx10^(11) = 20pF ` |
|
| 23. |
रेडियो सेट में किस प्रकार का संधारित्र प्रयुक्त किया जाता है ? |
| Answer» परिवर्ती समान्तर पट्ट संधारित्र प्रयुक्त किया जाता है | | |
| 24. |
समान्तर पट्ट वायु संधारित्र की पट्टों के बीच किसी विद्युतरोधी को रखा देने पर क्या प्रभाव पढ़ेगा ? |
| Answer» उसकी धारिता K गुनी हो जायेगी , जहाँ K विद्युतरोधी का परावैद्युतांक है | | |
| 25. |
`3muF ` धारिता के संधारित्र की पट्टो में 200 वोल्ट विभवान्तर लगाने से उसकी धन पट्ट पर कितना आवेश होगा ? संधारित्र की संचित्र ऊर्जा क्या होता है ? |
|
Answer» दिया है : ` C = 2muF = 2xx10^(-6) F ,V = 200` वोल्ट सूत्र -Q = CV में रखने पर , `Q = 2xx10^(-6) xx200` `Q = 2xx10^(-4) ` कूलॉम = 400 माइक्रो कूलॉम| संचित्र ऊर्जा `U = (1)/(2) CV^(2) = (1)/(2)xx2xx10^(-6)xx(200)x^(2)` `=10^(-6)xx10^(4)xx4xx10^(-2) ` जूल | |
|
| 26. |
परावैद्युत के ध्रुवण से आप क्या समझते है? |
| Answer» जब किसी परावैद्युत को बहरा चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो वह विद्युत क्षेत्र में वैद्युत आघूर्ण प्राप्त कर लेता है। इस क्रिया को परावैद्युत का ध्रुवण कहते है। | |
| 27. |
समान्तर पट्ट वायु संधारित्र की पट्टो के बीच की दुरी कम से कम रखी जाती है क्यों ? |
| Answer» दोनों पट्टो के बीच की दुरी कम होने से उनकी मध्य की बल रेखाएँ परस्पर समान्तर होती है | फलस्वरूप उनके मध्य विद्युत-क्षेत्र की तीव्रता एकसमान रहती है | | |
| 28. |
दो संधारित्र जिनकी धरित्र क्रमशः ` C_(1) " व् "C_(2) `है को 100 V की बैटरी के परितः पहले श्रेणी में तथा इसके पश्चात समांतर क्रम में संयोजित किया गया है | इन संयोजनों में संयोजनों में संचित्र ऊर्जा क्रमशः 0 .045J तथा 0 .25J है | ` C_(1) " तथा "C_(2) `का मान ज्ञात कीजिए तथा साथ ही समांतर संयोजन में प्रत्येक संधारित्र में संचित आवेश का मान ज्ञात कीजिए | |
|
Answer» संधारित्र के श्रेणी क्रम संयोजित में संचित ऊर्जा `U = 1/2 (C_(1)C_(2))/(C_(1) + C_(2)) V^(2)` `because V = 0.045J ` तथा V =100 वोल्ट `therefore 0 .045 = (1)/(2) (C_(1)C_(2))/(C_(1) + C_(2)) (100)^(2)` या `0.090xx10^(-4) = (C_(1) C_(2))/(C_(1) + C_(2)) ` ...(1) संधारित्र के समांतर क्रम संयोजन में संचित ऊर्जा ` U = 1/2(C_(1) + C_(2) )V^(2)` या ` 0.25 = 1/2 (C_(1) + C_(2)) xx(100)^(2)` या ` C_(1) + C_(2) = 0.5xx10^(-4)` ...(2) समी. (1) व् (2) से , ` C_(1) C_(2) = 0.09xx10^(-4)xx0.5xx10^(-4)` ` = 0.045xx10^(-8)` अब , ` (C_(1) - C_(2))^(2) = (C_(1) + C_(2))^(2) - 4C_(1) C_(2)` ` = (0.5xx10^(-4))^(2) - 4 xx0.045xx10^(-8) ` ` = (0.24-0.18)xx10^(-8)` ` therefore C_(1) - C_(2) = 0.26xx10^(-4)` ...(3) समी . (2) व् (3) को हल करने पर, `C_(1) = 0.38xx10^(-4) F " तथा " C_(2) = 0.12xx10^(-4)F ` ` C_(1) "व्" C_(2)` से समांतर क्रम संयोजन में आवेश `Q_(1) = C_(1) V = 0.38xx10^(-4)xx100=0.38xx10^(-2)C ` तथा `Q_(2) = C_(2) V = 0.12xx10^(-4) xx100 = 0.12xx10^(-2) C ` |
|
| 29. |
किसी चालक के भीतर स्थिर विद्युत क्षेत्र शून्य क्यों होता है। |
| Answer» यदि किसी चालक के भीतर विद्युत क्षेत्र होगा तब बिना बाह्य ऊर्जा की सहायता के एलेक्ट्रॉनों की गति एक नियत दिशा में होने लगेगी लेकिन इससे ऊर्जा के संरक्षण के नियम की अवहेलना हो रही है अर्थात चालक के भीतर स्थिर विद्युत क्षेत्र शुन्य होगा | | |
| 30. |
यदि किसी दिए हुए बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता शुन्य है तो क्या उस बिन्दु पर विद्युत विभव का मान भी शून्य होगा ? |
|
Answer» नहीं , सूत्र - `E = - (dV)/(dr) ` से E = 0 होने पर V = एक नियतांक | आवेशित खोखले गोले के अंदर प्रत्येक बिन्दु पर विभव एक समान (नियम ) होता है विभव बाह्य पृष्ठ पर विभव के तुल्य होता है | |
|
| 31. |
यदि किसी दिए गए बिंदु पर वैघुत क्षेत्र की तीव्रता शून्य हो तो क्या उस बिंदु पर वैघुत विभव अवश्य शून्य होगा? |
| Answer» हाँ , आवेशित खोखले चालक के अंदर | | |
| 32. |
आवेशित चालक के प्रत्येक बिंदु पर स्थिर विद्युत क्षेत्र पृष्ठ के अभिलंबवत क्यों होता है ? |
| Answer» स्थिर विद्युत की स्थिति में E इस प्रकार होता है , कि चालक के पृष्ठ पर आवेश पर कोई बल नहीं लगता है | अतः कोई पृष्ठ धारा नहीं होगी | अर्थात E का कोई स्पर्शरेखीय घटक नहीं होगा | | |
| 33. |
खोखले चालक के अंदर प्रत्येक बिंदु पर विभव एक समान होता है, क्यों? |
|
Answer» जब किसी खोखले चालक को आवेशित किया जाता है, तो समस्त आवेश उसके पृष्ठ पर एकसमान रूप से वितरित हो जाता है। चालक के अंदर विद्युत क्षेत्र कि तीव्रता शून्य होती है। `E = (dV)/(dx) = 0` या V = नियत अर्थात आवेशित खोखले चालक के अंदर विभव का मान प्रत्येक बिंदु पर एकसमान होता है। |
|
| 34. |
किसी चालक का पृष्ठ सदैव समविभव पृष्ठ होता है, क्यों? |
| Answer» आवेशित चालक के सभी कण एक-दूसरे से जुड़े रहते है, अर्थात विद्युत सम्पर्क में रखते है। यदि किसी बिंदु पर विभव कम है, तो अधिक विभव वाले बिंदु से प्रवाहित होकर आवेश दोनों बिन्दुओ के विभव को एक-समान कर देता है। इस प्रकार प्रत्येक आवेशित चालक का पृष्ठ (चाहे उसका आकर कुछ भी हो) समविभव पृष्ठ होता है। | |
| 35. |
क्या कारण है कि आवेशित चालक के प्रत्येक बिंदु पर विभव एकसमान होता है? |
| Answer» आवेशित चालक के सभी कण एक-दूसरे से जुड़े रहते है, अर्थात विद्युत सम्पर्क में रखते है। यदि किसी बिंदु पर विभव कम है, तो अधिक विभव वाले बिंदु से प्रवाहित होकर आवेश दोनों बिन्दुओ के विभव को एक-समान कर देता है। इस प्रकार प्रत्येक आवेशित चालक का पृष्ठ (चाहे उसका आकर कुछ भी हो) समविभव पृष्ठ होता है। | |
| 36. |
समझाइये कि क्या एक सम्भव है कि किसी बिंदु पर विद्युत विभव शून्य न हो, जबकि उस बिंदु पर विद्युत बल शून्य है? |
| Answer» हाँ, किसी भी आवेशित चालक गोले (खोखले या ठोस दोनों) के भीतर विद्युत क्षेत्र कि तीव्रता शून्य होती है, किन्तु विभव का मान गोके के अंदर प्रत्येक बिंदु पर समान तथा गोले के पृष्ठ पर विभव के मान के बराबर होते है। | |
| 37. |
समविभव पृष्ठ और विद्युत बल रेखाओ के बीच कोण होता है -A. `0^(@)`B. `180^(@)`C. `90^(@)`D. `45^(@)` |
| Answer» Correct Answer - c | |
| 38. |
एक बिन्दु आवेश के लिये समविभव पृष्ठ कैसा होता है ? चित्र खींचकर समझाइये | |
| Answer» संकेन्द्रिय खोखले गोले के रूप में | | |
| 39. |
6 सेमी दुरी पर अवस्थित दो बिन्दुओ A एवं B पर दो आवेश ` 2mu C " तथा " - 2 mu C ` रखे है | निकाय के समविभव पृष्ठ की पहचान कीजिए | |
| Answer» समविभव पृष्ठ के AB अभिलम्बवत गुजरने तथा इस तल पर स्थित प्रत्येक बिंदू पर विभव शुन्य होगा | | |
| 40. |
संलग्न चित्र में विभिन्न समविभव पृष्ठ प्रदर्शित किये गये है | विभवो के मान कोष्ठक में प्रदर्शित किये गये है A ,B और C में से किस बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता महत्तम है ? |
| Answer» विद्युत-क्षेत्र कि तीव्रता `E = (V)/(d) ` बिन्दु C के लिए d का मान कम है | अतः बिन्दु C पर विद्युत क्षेत्र कि तीव्रता अधिक होगी | | |
| 41. |
चित्र में दो समविभव पृष्ठ A और B प्रदर्शित किये गये है | उनके बीच की दुरी r है -q आवेश को पृष्ठ A से पृष्ठ B तक ले जाया जाता है किये गये कार्य का मान कितना होगा ? |
| Answer» शुन्य क्योकि `dW= q.dv "में " dv = 0 rArr dW = 0 ` | |
| 42. |
चित्र में दिए गये आवेश वितरण के लिए दुरी x के लिए विद्युत विभव V में परिवर्तन को प्रदर्शित किया गया है | A ,B और C बिन्दुओ में किस बिन्दु पर विद्युत -क्षेत्र की तीव्रता अधिकतम और न्यूनतम है ? |
|
Answer» (i) A पर शुन्य होगी | सूत्र `E = (-dv)/(dx)` में बिन्दु A पर dV =० (ii) B पर अधिकतम होगी | क्योकि बिन्दु B पर `(dV)/(dx)` अधिकतम है | |
|
| 43. |
सावधानीपूर्वक उत्तर दीजिए स्थिर विद्युत क्षेत्र विन्यास में एक छोटा परीक्षण आवेश किसी बिन्दु पर विराम में छोड़ा जाता है | क्या यह उस बिंदु से होकर जाने वाली क्षेत्र रेखा के अनुदिश चलेगा ? |
| Answer» आवश्यक नहीं , यह केवल तभी सत्य होगा जब बल रेखा सरल रेखा हो | बल रेखा त्वरण की दिशा को व्यक्त करती है | यह वेग की दिशा को नहीं दर्शाती है | | |
| 44. |
बिंदु(0,0,-1) तथा (0,0,a) पर दो आवेश क्रमशः - q और +q स्थित है | मूलबिंदु से किसी बिंदु की दुरी r पर विभव की निर्भरता ज्ञात कीजिए , जबकि `r//a gt gt 1` है | |
|
Answer» यदि बिंदु P की मूलबिंदु से दुरी r है ltबरgt`V = (1)/(4piin_(0)) (p)/(r^(2) - a^(2)) , (therefore z = r)` यदि `a lt lt`, तब ` V = (1)/(4piin_(0)) (p)/(r^(2)) ` अर्थात ` V prop (1)/(r^(2))` |
|
| 45. |
नीचे दिय गए चित्र में एक आवेश विन्यास जिसे विद्युत चतुर्ध्रुवी कहा गया है | चतुर्ध्रुवी के अक्ष पर स्थित किसी बिंदु के लिए r पर विभव की निर्भरता प्राप्त कीजिए जहाँ `r//a gt gt 1` . अपने परिणाम की तुलना एक विद्युत द्विध्रुव व् विद्युत एकल ध्रुव ( अर्थात किसी एकल आवेश ) के लिए प्राप्त परिणामो से कीजिए | |
|
Answer» बिंदु P पर विभव `V = (1)/(4piin_(0)) = (q)/(r-a) - (q)/(4piin_(0)r) - (1)/((4piin_(0)))(q)/(r) + (1)/(4piin_(0)) (q)/(r+a)` या ` V = (q)/(4piin_(0)) [(1)/(r-a)- (1)/(r) - (1)/(r) + (1)/(r+a)]` ` = (1.q)/(4piin_(0) )[(r(r+a)-2(r-a)(r+a)+(r-a)r)/(r(r^(2) - a^(2)))]` ` = (1)/(4piin_(0))q[(2a^(2))/(r(r^(2)-a^(2)))]` यदि ` r gt gt a `, तब ` V = (1)/(4piin_(0)) (q.2a^(2))/(r^(3))` अर्थात ` V = prop (1)/(r^(3))` |
|
| 46. |
सिद्ध कीजिये की एक विलगित गोलकार चालक की धारिता उसकी त्रिज्या के अनुक्रमानुपाती होती है। |
|
Answer» माना, एक R मीटर त्रिज्या का एक विलगित गोलीय चालक जिस पर आवेश `+q` है, हवा या निर्वात में रखा है। इस गोले के पृष्ठ पर सम्पूर्ण आवेश समान रूप से वितरित रहता है तथा यह पृष्ठ समविभव पृष्ठ होता है। इस पृष्ठ पर विभव `V = (1)/(4pi epsi_(0)) (q)/(R)` यदि इस विलगित गोले की धारिता C हो तब `C = (q)/(V) = (q)/((1)/(4pi epsi_(0)) (q)/(R)) = 4pi epsi_(0)R` `C = 4pi epsi_(0)R` `rArr C prop R` अत: निर्वात अथवा वायु में किसी विलगित गोलीय चालक की धारिता उसकी त्रिज्या के अनुक्रमानुपाती होती है। |
|
| 47. |
निम्न का उत्तर दीजिये- वायु की थोड़ी-सी चालकता के कारण सारे संसार में औसतन वायुमंडल में विसर्जन धारा 1800 A मानी जाती है। तब यथासमय वातावरण स्वयं पूर्णत: निरावेशित होकर विद्युत उदासीन क्यों नहीं हो जाता? दूसरे शब्दों में, वातावरण को कौन आवेशित रखता है? |
| Answer» सम्पूर्ण पृथ्वी पर वायुमंडल लगातार तड़ित और झंझावतों से निरंतर आवेशित होता रहता है और इससे सामान्य मौसम की स्थिति में सामंजस्य रहता है। अत: वायुमंडल वैद्युतीय रूप से तटस्थ नहीं रह सकता। | |
| 48. |
परवैद्युतांक तथा प्रवृत्ति में क्या संबंध है ? |
| Answer» परावैद्युतांक = 1 + विद्युत प्रवृत्ति या K = 1 + `chi_(e)` | |
| 49. |
इलेक्ट्रॉन कम विभव से अधिक विभव की और या अधिक विभव से कम विभव की और जाने की प्रवृत्ति रखता है , क्यों ? |
| Answer» कम विभव से अधिक विभव कि और | | |
| 50. |
संधारित्र में संचित्र ऊर्जा के विभिन्न संबंध है ? |
| Answer» `U = (1)/(2) CV^(20) = (1)/(2)(Q^(2))/(C) = (1)/(2) QV ` | |