InterviewSolution
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वैश्वीकरण के कारण जिस सीमा तक वस्तुओं का प्रवाह बढ़ा है उस सीमा तक प्रवाह नहीं बढ़ा है-(a) पूँजी का(b) व्यापार का(c) लोगों की आवाजाही का(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं। |
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Answer» सही विकल्प है (c) लोगों की आवाजाही का। |
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सांस्कृतिक वैभिन्नीकरण की परिभाषा दीजिए। |
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Answer» वैश्वीकरण से हर संस्कृति कहीं ज्यादा अलग और विशिष्ट होती जा रही है। इस प्रक्रिया को सांस्कृतिक वैभिन्नीकरण कहते हैं। इसका आशय है कि सांस्कृतिक मेल-जोल का प्रभाव एकतरफा नहीं होता है, बल्कि दुतरफा होता है। |
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वैश्वीकरण के चलते किस कारण से अब विचारों के प्रवाह से राष्ट्रीय सीमाओं की बाधा (रुकावट) नहीं रही है? |
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Answer» प्रौद्योगिकी क्षेत्र में हुई अभूतपूर्व वृद्धि की वजह से वैश्वीकरण के चलते अब विचारों के प्रवाह में राष्ट्रीय सीमाएँ किसी भी प्रकार से बाधक नहीं रह गई हैं। निःसन्देह टेलीग्राफ, टेलीफोन, माइक्रोचिप, इण्टरनेट आदि नवीनतम आविष्कारों ने विश्व के विभिन्न भागों के बीच क्रान्तिकारी बदलाव किए हैं। वैश्वीकरण प्रक्रिया के बाद वर्तमान में विभिन्न महाद्वीपों के लोग परस्पर एक-दूसरे से जुड़े हैं। वे प्रत्यक्ष विचारों का आदान-प्रदान करते हैं, प्रौद्योगिकी की वजह से सभी बाधाओं का अन्त कर दिया गया है। |
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वैश्वीकरण की विशेषताएँ बताइए। |
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Answer» वैश्वीकरण की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं- ⦁ वैश्वीकरण से अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय क्रियाकलापों में तेजी आ जाती है। |
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यह कथन कहाँ तक उचित है कि वैश्वीकरण राज्य की सम्प्रभुता का हनन करता है? |
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Answer» उदारीकरण एवं निजीकरण की भाँति वैश्वीकरण के दो पहलुओं की वजह से राज्य का कल्याणकारी स्वरूप परिवर्तित हो रहा है और बाजार शक्तियाँ (माँग एवं पूर्ति) अत्यधिक प्रतिस्पर्धा को उत्पन्न कर रही हैं। अतः यह कहना उचित है कि वैश्वीकरण राज्य की सम्प्रभुता का हनन करता है। |
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| 6. |
आर्थिक वैश्वीकरण के पक्ष में अपने तर्क दीजिए। |
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Answer» आर्थिक वैश्वीकरण के पक्ष में प्रमुख तर्क निम्नलिखित हैं- ⦁ समृद्धि में वृद्धि-आर्थिक वैश्वीकरण के कारण समृद्धि बढ़ती है एवं खुलेपन के कारण अधिकाधिक जनसंख्या की खुशहाली बढ़ती है। |
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| 7. |
आर्थिक वैश्वीकरण क्या है? |
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Answer» आर्थिक वैश्वीकरण-वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभाव को आर्थिक वैश्वीकरण भी कहा जाता है। वैश्वीकरण का आर्थिक पक्ष बहुत महत्त्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि आर्थिक आधार पर ही वैश्वीकरण की धारणा ने जोर पकड़ा। आर्थिक वैश्वीकरण के कारण विश्व के विभिन्न देशों के मध्य आर्थिक प्रवाह तीव्र हो गया है। इसमें वस्तुओं, पूँजी एवं जनता का एक देश से दूसरे देश में जाना सरल हो गया है। वैश्वीकरण के कारण अब विचारों का प्रवाह भी अबाध हो गया है। इण्टरनेट एवं कम्प्यूटर से जुड़ी सेवाओं का विस्तार हुआ है। वैश्वीकरण के कारण विश्व के विभिन्न देशों की सरकारों ने एक-सी आर्थिक नीतियों को अपनाया है। यद्यपि वैश्वीकरण के समर्थकों का मत है कि वैश्वीकरण के कारण विश्व के अधिकांश लोगों का लाभ हुआ है। उनके जीवन स्तर में सुधार हुआ है तथा खुशहाली बढ़ी है। परन्तु इसके आलोचकों के अनुसार वैश्वीकरण का लाभ सम्पूर्ण आबादी को न मिलकर एक छोटे-से वर्ग को ही प्राप्त हुआ है। |
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| 8. |
आर्थिक वैश्वीकरण के विरोध में कौन-कौन से तर्क दिए जा सकते हैं? |
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Answer» आर्थिक वैश्वीकरण के विरोध में निम्नलिखित तर्क दिए जा सकते हैं- ⦁ विश्व जनमत का विभाजन-आर्थिक वैश्वीकरण के कारण सम्पूर्ण विश्व में जनमत बड़ी गहराई से विभाजित हो गया है। |
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| 9. |
वैश्वीकरण के विरोध में वामपन्थी क्या तर्क देते हैं? |
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Answer» वैश्वीकरण के विरोध में वामपन्थी आलोचकों का तर्क है कि मौजूदा वैश्वीकरण विश्वव्यापी पूँजीवादी की एक विशेष अवस्था है जो धनिकों को और ज्यादा धनी और गरीब को और ज्यादा गरीब बनाती है। |
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| 10. |
वैश्वीकरण का राजनीतिक प्रभाव है-(a) वस्तुओं के व्यापार में वृद्धि(b) आर्थिक प्रवाह की तीव्रता(c) सांस्कृतिक समरूपता(d) राज्य के कार्यों में कमी। |
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Answer» सही विकल्प है (d) राज्य के कार्यों में कमी। |
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| 11. |
वैश्वीकरण के सन्दर्भ में विकासशील देशों में राज्य की बदलती भूमिका का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। |
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Answer» वैश्वीकरण के सन्दर्भ में विकासशील देशों में राज्य की बदलती भूमिका का विवेचन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया गया है- ⦁ वैश्वीकरण के युग में प्रत्येक विकासशील देश को इस प्रकार की विदेश एवं आर्थिक नीति का निर्माण करना पड़ता है जिससे कि दूसरे देशों से अच्छे सम्बन्ध बनाए जा सकें। पूँजी निवेश के कारण विकासशील देशों ने भी अपने बाजार विश्व के लिए खोल दिए हैं। आलोचना-विकासशील देशों में आज भी निर्धनता, निम्न जीवन स्तर, अशिक्षा, बेरोजगारी तथा कुपोषण विद्यमान है। इसलिए राज्य द्वारा सामाजिक सुरक्षा और कल्याणकारी कार्य करने की महत्ती आवश्यकता है। लेकिन वैश्वीकरण के चलते राज्य ने इन कार्यों से अपना हाथ खींच लिया है। इसीलिए अनेक संगठनों व विचारकों द्वारा वैश्वीकरण की आलोचना की जा रही है। |
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| 12. |
वैश्वीकरण के बारे में कौन-सा कथन गलत है?(क) वैश्वीकरण के समर्थकों का तर्क है कि इससे आर्थिक समृद्धि बढ़ेगी।(ख) वैश्वीकरण के आलोचकों का तर्क है कि इससे आर्थिक असमानता और ज्यादा बढ़ेगी।(ग) वैश्वीकरण के पैरोकारों का तर्क है कि इससे सांस्कृतिक समरूपता आएगी।(घ) वैश्वीकरण के आलोचकों का तर्क है कि इससे सांस्कृतिक समरूपता आएगी। |
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Answer» (घ) वैश्वीकरण के आलोचकों का तर्क है कि इससे सांस्कृतिक समरूपता आएगी। |
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| 13. |
“वैश्वीकरण एक बहुआयामी अवधारणा है।” इस कथन की विस्तार से व्याख्या कीजिए। |
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Answer» वैश्वीकरण एक बहुआयामी अवधारणा है। इसके राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पक्ष हैं जिनका विवरण निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा सकता है- 1. वैश्वीकरण का राजनीतिक पक्ष (प्रभाव)—वैश्वीकरण के राजनीतिक पक्ष (प्रभाव) का वर्णन तीन आधारों पर किया जा सकता है- 2. वैश्वीकरण का आर्थिक पक्ष (प्रभाव)-वैश्वीकरण का आर्थिक पक्ष सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि आर्थिक आधार पर ही वैश्वीकरण की धारणा ने अधिक जोर पकड़ा है। आर्थिक वैश्वीकरण की प्रक्रिया में विश्व के विभिन्न देशों के मध्य आर्थिक प्रवाह तीव्र हो जाता है। कुछ आर्थिक प्रवाह स्वेच्छा से होते हैं तो कुछ अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं एवं शक्तिशाली देशों द्वारा थोपे जाते हैं। वैश्वीकरण में वस्तुओं, सेवाओं, पूँजी, विचारों तथा जनता का एक देश से दूसरे देश में आवागमन आसान हुआ है। विश्व के अधिकांश देशों ने आयात से प्रतिबन्ध हटाकर अपने बाजारों को विश्व समुदाय के लिए खोल दिया है। अनेक बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ विकासशील देशों में निवेश कर रही हैं। यद्यपि वैश्वीकरण के समर्थकों के अनुसार इससे अधिकांश लोगों को लाभ प्राप्त होगा परन्तु वैश्वीकरण के आलोचक इस कथन से सहमत नहीं हैं। उनके अनुसार विकसित देशों ने अपने वीजा नियमों को कठोर बनाना शुरू कर दिया है जिससे लोगों के वैश्विक आवागमन में कमी आयी है। इसके अलावा आर्थिक वैश्वीकरण का लाभ धनिक वर्ग को अधिक प्राप्त हुआ है। निर्धन वर्ग आज भी इसके लाभों से वंचित है। 3. वैश्वीकरण का सांस्कृतिक पक्ष (प्रभाव)—वैश्वीकरण के सांस्कृतिक पक्ष ने भी लोगों को प्रभावित किया है। वैश्वीकरण का हमारे खाने-पीने, पहनने तथा सोचने पर प्रभाव पड़ रहा है। वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभावों को देखते हुए इस बात को बल मिला है कि यह प्रक्रिया विश्व की संस्कृतियों को खतरा पहुँचाएगी। विश्व संस्कृति के नाम पर शेष विश्व पर पश्चिमी संस्कृति थोपी जा रही है, जिससे एक देश विशेष की संस्कृति के पतन का डर उत्पन्न हो गया है। परन्तु वैश्वीकरण के समर्थकों का मत है कि वैश्वीकरण से संस्कृति के पतन की आशंका निराधार है बल्कि इससे मिश्रित संस्कृति का उदय होता है। |
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वैश्वीकरण के चलते सम्पूर्ण संसार में वस्तुओं के व्यापार में वृद्धि कैसे हुई है? |
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Answer» जिस प्रक्रिया को आर्थिक वैश्वीकरण की उपमा दी जाती है उसमें दुनिया के विभिन्न देशों के बीच आर्थिक प्रवाह तीव्रतम हो जाता है। जहाँ कुछ प्रवाह स्वेच्छा से होते हैं वहीं कुछ अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं तथा शक्तिशाली देशों द्वारा बलपूर्वक थोपे जाते हैं। ये प्रवाह अनेक प्रकार के हो सकते हैं। उदाहरणार्थ; वस्तुओं, पूँजी जनता अथवा विचारों का प्रवाह। |
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‘वर्ल्ड सोशल फोरम’ क्या है? |
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Answer» वर्ल्ड सोशल फोरम (WSF) – नव उदारवादी वैश्वीकरण के विरोध का एक विश्वव्यापी मंच ‘वर्ल्ड सोशल फोरम’ है। इस मंच के तहत मानवाधिकार कार्यकर्ता, पर्यावरणवादी, मजदूर, युवा और महिला कार्यकर्ता एकजुट होकर नव-उदारवादी वैश्वीकरण का विरोध करते हैं। |
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वैश्वीकरण के समक्ष विद्यमान चुनौतियों में से प्रमुख चुनौतियों का उल्लेख कीजिए। |
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Answer» वैश्वीकरण के समक्ष विद्यमान चुनौतियों में से प्रमुख रूप से निम्नलिखित चुनौतियाँ विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं- ⦁ वैश्वीकरण के दौरान प्रत्येक देश हेतु यह आवश्यक है कि वह प्रतियोगिता एवं प्रतिस्पर्धा को बनाए रखे। |
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वैश्वीकरण के कारण सम्पूर्ण विश्व में वस्तुओं के व्यापार में …… हुई है।(a) कमी(b) वृद्धि(c) कोई परिवर्तन नहीं(d) इनमें से कोई नहीं। |
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Answer» सही विकल्प है (b) वृद्धि। |
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वैश्वीकरण के बारे में कौन-सा कथन सही है?(क) वैश्वीकरण का सम्बन्ध सिर्फ वस्तुओं की आवाजाही से है।(ख) वैश्वीकरण में मूल्यों का संघर्ष नहीं होता।(ग) वैश्वीकरण के अंग के रूप में सेवाओं का महत्त्व गौण है।(घ) वैश्वीकरण का सम्बन्ध विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव से है। |
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Answer» (घ) वैश्वीकरण का सम्बन्ध विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव से है। |
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हम पश्चिमी संस्कृति से क्यों डरते हैं? क्या हमें अपनी संस्कृति पर विश्वास नहीं है? |
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Answer» हम पश्चिमी संस्कृति से क्यों डरते हैं, इसका प्रमुख कारण यह है कि वैश्वीकरण का एक पक्ष सांस्कृतिक समरूपता है जिसमें विश्व-संस्कृति के नाम पर शेष विश्व पर पश्चिमी संस्कृति लादी जा रही है। इससे पूरे विश्व की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर धीरे-धीरे खत्म होती है जो समूची मानवता के लिए खतरनाक है। |
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विश्व सामाजिक मंच एक मुक्त आकाश का द्योतक है। स्पष्ट कीजिए। |
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Answer» वैश्वीकरण में विश्व सामाजिक मंच एक मुक्त आकाश के समान होगा। जिस प्रकार मुक्त आकाश सम्पूर्ण पक्षियों के लिए खुला होता है, ठीक उसी प्रकार विश्व को एक सामाजिक मंच मान लिया जाए तो सभी जगह उदारीकरण की अर्थव्यवस्था आ जाएगी जो सभी के लिए खुली होगी। |
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क्या साम्राज्यवाद का ही नया नाम वैश्वीकरण नहीं है? हमें नये नाम की जरूरत क्यों है? |
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Answer» वैश्वीकरण, साम्राज्यवाद नहीं है। साम्राज्यवाद में राजनीतिक प्रभाव मुख्य रहता है। इसमें एक शक्तिशाली देश दूसरे देशों पर अधिकार करके उनके संसाधनों का अपने हित में शोषण करता है। यह एक जबरन चलने वाली प्रक्रिया है। लेकिन वैश्वीकरण एक बहुआयामी अवधारणा है। इसके राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक आयाम हैं। इसमें विचारों, पूँजी, वस्तुओं और व्यापार तथा बेहतर आजीविका का प्रवाह पूरी दुनिया में तीव्र हो जाता है। इन प्रवाहों की निरन्तरता से विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव बढ़ रहा है तथा किसी राज्य की सम्प्रभुता को कोई चुनौती नहीं मिली है। अतः स्पष्ट है कि वैश्वीकरण साम्राज्यवाद से भिन्न तथा बहुआयामी प्रक्रिया है, इसलिए हमें इसके लिए नए नाम की आवश्यकता पड़ी है। |
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भारत में बिकने वाली चीन की बनी बहुत-सी चीजें तस्करी की होती हैं। क्या वैश्वीकरण के चलते तस्करी होती है? |
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Answer» वैश्वीकरण के चलते पूरी दुनिया में वस्तुओं के व्यापार में वृद्धि हुई है। अब वैश्वीकरण के कारण आयात प्रतिबन्ध कम हो गए हैं इससे तस्करी में कमी हुई है। वैश्वीकरण के चलते तस्करी का प्रमुख कारण आयात पर प्रतिबन्ध तो समाप्त हो गया है, लेकिन तस्करी के अन्य कारण; जैसे—विक्रय पर लगने वाला कर, आयकर आदि अन्य करों की चोरी आदि कारण तो विद्यमान रहेंगे ही। |
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बहुत-से नेपाली मजदूर काम करने के लिए भारत आते हैं। क्या यह वैश्वीकरण है? |
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Answer» हाँ, श्रम का प्रवाह भी वैश्वीकरण का एक भाग है। एक देश के लोग दूसरे देश में जाकर मजदूरी करें। यह स्थिति भी विश्व के समस्त देशों को एक विश्व गाँव में बदलती है। |
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उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए कि वैश्वीकरण के परम्परागत सांस्कृतिक मूल्यों को छोड़े बिना संस्कृति का परिष्कार होता है। |
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Answer» बाहरी संस्कृति के प्रभावों से कभी-कभी परम्परागत सांस्कृतिक मूल्यों को छोड़े बिना संस्कृति का परिष्कार होता है। उदाहरण के लिए, नीली जीन्स भी हथकरघा पर बुने खादी के कुर्ते के साथ खूब चलती है। जीन्स के ऊपर कुर्ता पहने अमेरिकियों को देखना अब सम्भव है। |
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वैश्वीकरण के प्रभाव से आए कुछ उत्पादों की सूची बनाएँ, मसलन-खाद्य उत्पाद, बिजली से चलने वाले घरेलू इस्तेमाल के उपकरण और सुख-सुविधा के ऐसे सामान जिनसे आप परिचित हैं। |
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Answer» ⦁ खाद्य उत्पाद हैं-चाइनीज’ भोजन, बर्गर, पीजा, मैगी, चाउमीन। |
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वैश्वीकरण से क्या अभिप्राय है? इसके पक्ष तथा विपक्ष में तर्क दीजिए। |
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Answer» वैश्वीकरण का अर्थ-जब कोई देश विश्व के विभिन्न राष्ट्रों के साथ वस्तु, सेवा, पूँजी तथा बौद्धिक सम्पदा इत्यादि का किसी प्रतिबन्ध के बिना परस्पर आदान-प्रदान करता है, तो इसे वैश्वीकरण अथवा भूमण्डलीकरण के नाम से जाना जाता है। वैश्वीकरण तभी सम्भव है जब परस्पर ऐसे आदान-प्रदान के दौरान किसी भी देश द्वारा कोई रुकावट अर्थात् बाधा उत्पन्न न की जाए और इस प्रक्रिया को कोई ऐसी अन्तर्राष्ट्रीय संस्था संचालित करे जिस पर सभी देशों का अटूट विश्वास हो तथा जो सभी की अनुमति से नीति-निर्धारक सिद्धान्तों का प्रतिपादन करे। जब सभी देश एक-समान नियमों के अन्तर्गत अपने व्यापार तथा निवेश का संचालन करते हैं तो स्वाभाविक रूप से एक ही धारा प्रभावित होती है और यही वैश्वीकरण है। वैश्वीकरण के पक्ष में तर्क-वैश्वीकरण के पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए गए हैं- वैश्वीकरण के विपक्ष में तर्क-वैश्वीकरण के विपक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए जाते हैं- |
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वैश्वीकरण ने भारत को कैसे प्रभावित किया और भारत कैसे वैश्वीकरण को प्रभावित कर रहा है? |
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Answer» वैश्वीकरण का भारत पर प्रभाव-वैश्वीकरण ने भारत को अत्यधिक प्रभावित किया है। यथा- ⦁ वैश्वीकरण के कारण भारत की सकल घरेलू उत्पाद दर में तेजी से वृद्धि हुई है। वैश्वीकरण पर भारत का प्रभाव-भारत ने भी वैश्वीकरण को कुछ हद तक प्रभावित किया है। यथा- ⦁ भारत से अब अधिक लोग विदेशों में जाकर अपनी संस्कृति और रीति-रिवाजों का प्रसार कर रहे हैं। |
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वैश्वीकरण के उदय के कारणों को स्पष्ट कीजिए। |
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Answer» वैश्वीकरण के उदय के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं- ⦁ वैश्वीकरण के उदय का प्रमुख कारण युद्ध की सम्भावनाओं को कम करना था। |
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वैश्वीकरण के दोषों पर प्रकाश डालिए। |
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Answer» वैश्वीकरण के प्रमुख दोष निम्नलिखित हैं- ⦁ वैश्वीकरण को अपनाने से पूँजीवाद को प्रोत्साहन मिलता है। |
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वैश्वीकरण के प्रतिरोध के कारणों का उल्लेख कीजिए। |
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Answer» वैश्वीकरण के प्रतिरोध के कारण- ⦁ वैश्वीकरण, विश्वव्यापी पूँजीवाद की एक विशेष अवस्था है, जो धनिकों को अधिक धनी एवं गरीबों को और अधिक गरीब बनाती है। |
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वैश्वीकरण के सम्बन्ध में प्रवाहों से क्या तात्पर्य है? |
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Answer» संवाद, पूँजी, विचार, वस्तु तथा लोगों का विश्व के विभिन्न भागों में आवागमन की सरलता प्रौद्योगिकी में हुई प्रगति की वजह से ही सम्भव हुई है। इन प्रवाहों की गति में अन्तर हो सकता है। उदाहरणार्थ, विश्व के विभिन्न भागों के मध्य पूँजी एवं वस्तु की गतिशीलता लोगों के आवागमन की तुलना में अधिक तीव्र तथा व्यापक होगी। |
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विश्वव्यापी ‘पारस्परिक जुड़ाव’ क्या है? इसके कौन-कौन से घटक हैं? |
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Answer» विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव का अर्थ है-विचार, वस्तुओं तथा घटनाओं का दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने तक पहुँचना। इससे विश्व के विभिन्न भाग परस्पर एक-दूसरे के समीप आ गए हैं। विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव के घटक विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव के प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं- ⦁ विश्व के एक हिस्से के विचारों एवं धारणाओं का दूसरे हिस्से में पहुँचना। |
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वैश्वीकरण के गुणों पर प्रकाश डालिए। |
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Answer» वैश्वीकरण के प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं- ⦁ वैश्वीकरण की अवधारणा आर्थिक क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को बढ़ाकर वस्तुओं के मूल्य कम कराने में मददगार सिद्ध होती है। इससे ज्यादा-से-ज्यादा उपभोक्ताओं को अधिकाधिक लाभ पहुँचता है। |
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वैश्वीकरण किस प्रकार एक बहुआयामी अवधारणा है? |
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Answer» निम्नलिखित तथ्यों के आधार पर कह सकते हैं कि वैश्वीकरण एक बहुआयामी अवधारणा है- ⦁ इस अवधारणा का सम्बन्ध आर्थिक वैश्वीकरण, खुला बाजार, पूर्ण प्रतियोगिता तथा उदारीकरण से है। |
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वैश्वीकरण में प्रौद्योगिकी का क्या योगदान है? |
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Answer» वैश्वीकरण में प्रौद्योगिकी का प्रमुख योगदान इस प्रकार रहा है- (1) टेलीग्राफ, टेलीफोन और माइक्रोचिप के नवीनतम आविष्कारों ने विश्व के विभिन्न भागों के बीच संचार की क्रान्ति ला दी है। इस प्रौद्योगिकी का प्रभाव हमारे सोचने के तरीके और सामूहिक जीवन की गतिविधियों पर उसी तरह पड़ रहा है जिस तरह मुद्रण की तकनीक का प्रभाव राष्ट्रवाद की भावनाओं पर पड़ा था। |
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वैश्वीकरण की प्रक्रिया किस प्रकार विश्व की संस्कृतियों को खतरा पहुँचा सकती है? |
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Answer» वैश्वीकरण सांस्कृतिक समरूपता लेकर आता है। सांस्कृतिक समरूपता की आड़ में विश्व संस्कृति के नाम पर शेष विश्व पर पश्चिमी संस्कृति को थोपा जा रहा है। विश्व में राजनीतिक एवं आर्थिक रूप से प्रभुत्वशाली संस्कृति कम शक्तिशाली समाजों पर अपनी छाप छोड़ती है और विश्व वैसा ही दिखलाई देता है जैसा शक्तिशाली संस्कृति उसे बनाना चाहती है। यही कारण है कि नीली जीन्स या बर्गर-मसाला डोसा की लोकप्रियता का नजदीकी रिश्ता अमेरिकी जीवन-शैली के गहरे प्रभाव से है जो विश्व के मैक्डोनॉल्डीकरण की ओर संकेत देते हैं। उनका मानना है कि विभिन्न संस्कृतियाँ अब अपने को प्रभुत्वशाली अमेरिकी ढर्रे पर ढालने लगी हैं। इससे सम्पूर्ण विश्व की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर धीरे-धीरे समाप्त हो रही है। इसलिए यह केवल निर्धन देशों के लिए ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए खतरनाक हो सकती है। |
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वैश्वीकरण में प्रौद्योगिकी ने किस प्रकार योगदान दिया? |
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Answer» वैश्वीकरण में प्रौद्योगिकी के योगदान को निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है- ⦁ नि:सन्देह टेलीग्राफ, टेलीफोन, इण्टरनेट तथा सूचना प्रौद्योगिकी के नवीनतम आविष्कारों ने विश्व के विभिन्न भागों के मध्य संचार क्रान्ति का बिगुल बजाया है। |
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वैश्वीकरण के बारे में कौन-सा कथन सही है?(क) वैश्वीकरण सिर्फ आर्थिक परिघटना है।(ख) वैश्वीकरण की शुरुआत 1991 में हुई।(ग) वैश्वीकरण और पश्चिमीकरण समान हैं।(घ) वैश्वीकरण एक बहुआयामी परिघटना है। |
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Answer» (घ) वैश्वीकरण एक बहुआयामी परिघटना है। |
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वैश्वीकरण के कारणों के बारे में कौन-सा कथन सही है?(क) वैश्वीकरण का एक महत्त्वपूर्ण कारण प्रौद्योगिकी है।(ख) जनता का एक खास समुदाय वैश्वीकरण का कारण है।(ग) वैश्वीकरण का जन्म संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ।(घ) वैश्वीकरण का एकमात्र कारण आर्थिक धरातल पर पारस्परिक निर्भरता है। |
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Answer» (क) वैश्वीकरण का एक महत्त्वपूर्ण कारण प्रौद्योगिकी है। |
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वैश्वीकरण के प्रभाव के बारे में कौन-सा कथन सही है?(क) विभिन्न देशों और समाजों पर वैश्वीकरण का प्रभाव विषम रहा है।(ख) सभी देशों और समाजों पर वैश्वीकरण का प्रभाव समान रहा है।(ग) वैश्वीकरण का असर सिर्फ राजनीतिक दायरे तक सीमित है।(घ) वैश्वीकरण से अनिवार्यता सांस्कृतिक समरूपता आती है। |
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Answer» (क) विभिन्न देशों और समाजों पर वैश्वीकरण का प्रभाव विषम रहा है। |
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क्या आप इस तर्क से सहमत हैं कि वैश्वीकरण से सांस्कृतिक विभिन्नता बढ़ रही है? |
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Answer» वैश्वीकरण में सांस्कृतिक विभिन्नता और सांस्कृतिक समरूपता दोनों ही प्रवृत्तियाँ विद्यमान हैं। यथा सांस्कृतिक समरूपता में वृद्धि-वैश्वीकरण के कारण पश्चिमी यूरोप के देश तथा अमेरिका अपनी तकनीकी और आर्थिक शक्ति के बल पर सम्पूर्ण विश्व पर अपनी संस्कृति लादने का प्रयास कर रहे हैं। इससे पश्चिमी संस्कृति के तत्त्व अब विश्वव्यापी होते जा रहे हैं। इससे कई परम्परागत संस्कृतियों को खतरा उत्पन्न हो गया है। इस प्रकार यहाँ सांस्कृतिक समरूपता से अभिप्राय केवल पश्चिमी संस्कृति के बढ़ते प्रभाव से है, न कि किसी नयी विश्व संस्कृति के उदय से। सांस्कृतिक विभिन्नता में वृद्धि–वैश्वीकरण के द्वारा सांस्कृतिक विभिन्नताएँ भी बढ़ रही हैं तथा नयी मिश्रित संस्कृतियों का उदय हो रहा है। उदाहरण के लिए, अमेरिका की नीली जीन्स, हथकरघे के देशी कुर्ते के साथ पहनी जा रही है। यह कुर्ता विदेशों में भी निर्यात किया जा रहा है। इस प्रकार वैश्वीकरण के कारण हर संस्कृति कहीं ज्यादा अलग व विशिष्ट होती जा रही है। |
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वैश्वीकरण के अच्छे प्रभाव को समझाइए। |
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Answer» वैश्वीकरण के अच्छे प्रभाव- ⦁ वैश्वीकरण की अवधारणा आर्थिक क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को बढ़ाकर वस्तुओं के मूल्य कम कराने में मददगार सिद्ध होता है। इससे ज्यादा-से-ज्यादा आम उपभोक्ताओं को अधिकाधिक लाभ पहुँचता है। |
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वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभावों का विस्तार से वर्णन कीजिए। |
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Answer» वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभावों को मुख्य रूप से दो भागों में बाँटा जा सकता है- I. वैश्वीकरण के सकारात्मक आर्थिक प्रभाव- 1. वस्तुओं के व्यापार में वृद्धि–वैश्वीकरण के कारण सम्पूर्ण विश्व में वस्तुओं के व्यापार में वृद्धि हुई है। अलग-अलग देशों ने अपने यहाँ होने वाले आयात पर लगने वाले प्रतिबन्धों को कम किया है। II. वैश्वीकरण के नकारात्मक आर्थिक प्रभाव ⦁ जनता का विभाजन-आर्थिक वैश्वीकरण के कारण सम्पूर्ण विश्व में जनमत बड़ी गहराई में विभाजित हो गया है। |
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वैश्वीकरण की आर्थिक परिणतियाँ क्या हुई हैं? इस सन्दर्भ में वैश्वीकरण ने भारत पर कैसे प्रभाव डाला है? |
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Answer» वैश्वीकरण की आर्थिक परिणतियाँ वैश्वीकरण की आर्थिक परिणतियों का विवेचन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया गया है- ⦁ व्यापार में वृद्धि तथा खुलापन-वैश्वीकरण के चलते पूरी दुनिया में आयात प्रतिबन्धों के कम होने से वस्तुओं के व्यापार में इजाफा हुआ है। वैश्वीकरण का भारत पर प्रभाव-वैश्वीकरण की प्रक्रिया के तहत भारत पर निम्नलिखित प्रमुख प्रभाव पड़े हैं- ⦁ इसके तहत सकल घरेलू उत्पाद दर तथा विकास दर में तीव्र वृद्धि हुई है। |
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वैश्वीकरण के राजनीतिक एवं सांस्कृतिक प्रभावों का वर्णन कीजिए। |
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Answer» वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभाव वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभावों का विवेचन निम्नलिखित तीन बिन्दुओं के अन्तर्गत किया गया है- ⦁ वैश्वीकरण ने कुछ राज्यों में राज्य की शक्ति को कमजोर किया है, यथा- वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव निम्नलिखित हैं- |
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स्पष्ट कीजिए कि कभी-कभी बाहरी प्रभावों से हमारी पसन्द-नापसन्द का दायरा बढ़ता है। |
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Answer» कभी-कभी बाहरी प्रभावों से हमारी पसन्द-नापसन्द का दायरा बढ़ता है। उदाहरण के लिए बर्गर, मसाला डोसा का विकल्प नहीं है, इसलिए बर्गर से मसाला-डोसा को कोई खतरा नहीं है। इससे इतना मात्र हुआ है कि हमारे भोजन की पसन्द में एक और चीज शामिल हो गई है। |
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वैश्वीकरण की प्रक्रिया में लोगों की आवाजाही वस्तुओं और पूँजी के प्रवाह के समान क्यों बढ़ी है? |
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Answer» वैश्वीकरण की प्रक्रिया में लोगों की आवाजाही बढ़ी है, लेकिन यह आवाजाही वस्तुओं और पूँजी के समान नहीं बढ़ पायी है। इसका कारण यह है कि विकसित देश अपनी वीजा नीति के माध्यम से अपनी राष्ट्रीय सीमाओं को बड़ी सावधानी से अभेद्य बनाए रखते हैं ताकि दूसरे देशों के नागरिक उनके देशों में आकर कहीं उनके नागरिकों के नौकरी-धन्धे पर कब्जा न कर लें। |
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मैकडोनल्डीकरण वैश्वीकरण के किस प्रभाव का संकेत देता है-(a) वित्तीय प्रभाव(b) राजनीतिक प्रभाव(c) आर्थिक प्रभाव(d) सांस्कृतिक प्रभाव। |
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Answer» सही विकल्प है (d) सांस्कृतिक प्रभाव। |
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वैश्वीकरण है-(a) पूँजी का प्रवाह(b) वस्तुओं का प्रवाह(c) विचारों का प्रवाह(d) उपर्युक्त सभी। |
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Answer» सही विकल्प है (d) उपर्युक्त सभी। |
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दक्षिणपन्थी आलोचक वैश्वीकरण के विरोध में क्या तर्क देते हैं? |
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Answer» वैश्वीकरण के दक्षिणपन्थी आलोचकों को- ⦁ राजनीतिक अर्थों में राज्य के कमजोर होने की चिन्ता है। |
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