InterviewSolution
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भाव स्पष्ट कीजिए :क. जेब टटोली कौड़ी न पाई ।ख. खा-खाकर कुछ पाएगा नहीं,न खाकर बनेगा अहंकारी । |
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Answer» क. भाव : कवयित्री ने जीवन का अधिकांश समय मायामोह, त्याग में ही गँवा दिया । अब परमात्मा के पास जाने का समय आया तो भवसागर पार उतरने के बाद प्रभु रूपी माँझी को उतराई देने के लिए उसके पास कुछ भी नहीं है अर्थात् सत्कर्मों की पूँजी से उसकी जेब खाली है । ख. भाव : कवयित्री कहती है कि भोगमय जीवन जीने से कुछ भी मिलनेवाला नहीं है । इसके विपरीत त्याग करने से भी कुछ हासिल नहीं होगा बल्कि अहंकारी बनोगे । अतः भोग और त्याग के बीच का मध्यम मार्ग अपनाना ही बेहतर होगा । |
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