InterviewSolution
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थल-थल में बसता है शिव ही,भेद न कर क्या हिंदू-मुसलमां ।ज्ञानी है तो स्वयं को जान,वही है साहिब से पहचान ।भावार्थ : कवयित्री ने ईश्वर को सर्वव्यापी बताते हुए समस्त जड़-चेतन में उसका वास बताया है । वे कहती हैं कि हे मनुष्य ! तू जाति-धर्म के आधार अपने आपको हिन्दू-मुसलमान में मत बाँट, एक-दूसरे को अपना ले । ईश्वर को जानने से पहले तू स्वयं को पहचान । आत्मज्ञान के बाद परमात्मा का ज्ञान स्वतः हो जाता है । आत्मा में ही परमात्मा का निवास है इसलिए आत्मज्ञान ही ईश्वर जानना है ।1. प्रस्तुत वाख्न में प्रभु को किस नाम से पुकारा गया है ?2. ईश्वर कहाँ रहता है ?3. ईश्वर की पहचान कैसे हो सकती है ?4. ईश्वर को मनुष्य क्यों नहीं खोज पाता ?5. साहिब किसे कहा गया है ?6. ज्ञानी से कवयित्री का क्या तात्पर्य है ? |
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Answer» 1. प्रस्तुत वाख्न में प्रभु को शिव नाम से पुकारा गया है । 2. ईश्वर सर्वव्यापी है । उसका निवास हर जड़-चेतन में है । 3. ईश्वर की पहचान आत्मज्ञान से होती है, क्योंकि ईश्वर हमारी आत्मा में है । 4. ईश्वर सर्वव्यापी है परन्तु हिन्दू-मुसलमान अपने-अपने धर्मस्थलों पर ईश्वर को खोजते रहते हैं और अज्ञानतावश उसे नहीं खोज पाते हैं । 5. साहिब प्रभु को कहा गया है । 6. ज्ञानी से कवयित्री का तात्पर्य यह है कि जो व्यक्ति मनुष्य-मनुष्य के बीच भेद न समझे वह आत्मा को ही परमात्मा माने, अपने आपको पहचाने । |
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