 
                 
                InterviewSolution
| 1. | हे चिर महान् !यह स्वर्णरश्मि छु श्वेत भाल,बरसा जाती रंगीन हास; ।सेली बनता है इन्द्रधनुष,परिमल-मल-मल जाता बतास !परे रागहीन तू हिमनिधान ! | 
| Answer» [स्वर्ण-रश्मि = सुनहली किरण। सेली = पगड़ी। परिमल = सुगन्ध। बतास = वायु। रागहीन = आसक्तिरहित] संन्दर्भ-प्रस्तुत काव्य-पंक्तियाँ हिन्दी की महान् कंवयित्री श्रीमती महादेवी वर्मा द्वारा रचित ‘सान्ध्यगीत’ नामक ग्रन्थ से हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी’ के ‘काव्य-खण्ड में संकलित ‘हिमालय से शीर्षक कविता से अवतरित हैं। प्रसंग-इन पंक्तियों में कवयित्री ने हिमालय की चिर महानता और निर्लिप्तता का वर्णन किया है। काव्यगत सौन्दर्य- ⦁    कवयित्री ने इन पंक्तियों में हिमालय की महानता तथा वैराग्य का वर्णन किया है। | |