1.

हुंड़ी का अप्रतिष्ठित (अस्वीकार) होना अर्थात् क्या ? हुंडी अप्रतिष्ठित होने पर आलोकन खर्च के बारे में समझाइए ।

Answer»

हुंडी का अस्वीकार होना (Dishonour of a Bill) :

सामान्य परिस्थितियों में यह माना जाता है कि पकने की तारीख पर हुंडी स्वीकर्ता के द्वारा राशि चुका दी जाती है, परंतु किसी कारणवश पकने की तारीख पर हुंडी स्वीकर्ता के द्वारा राशि न चुकाई जाये तब हुंड़ी अप्रतिष्ठित (अस्वीकृत) होती है । हुंडी अस्वीकृत होने पर हुंड़ी लिखनेवाले तथा अन्य पक्षकारों के लिये रकम वसूल करने का प्रश्न उपस्थित होता है ।

आलोकन तथा आलोकन खर्च : जब हुंडी अस्वीकृत हो जाये तब उसका आलोकन (Noting) करवाना यह एक कानूनी विधि है । यह विधि अनिवार्य नहीं है, परंतु आवश्यक और हितकारी है । जब कोई हुंडी अस्वीकृत हो तब हुंडी धारण करनेवाला व्यक्ति उसकी अस्वीकृति का लेखा नोटरी के पास करवा सकता है । विदेश व्यापार में विदेशी हंडी के लिये अस्वीकार का आलोकन कराना अनिवार्य है ।

जब कोई अस्वीकृत हुंडी नोटरी के समक्ष आलोकन के लिये प्रस्तुत की जाये तब नोटरी हुंडी स्वीकर्ता के समक्ष फिर से भेजता है और रकम भुगतान का आदेश देता है । यदि तब भी हुंडी स्वीकर्ता रकम नहीं चुकाता तब हुंडी अस्वीकार हुई है ऐसा मानकर नोटरी अपने रजिस्टर में हुंडी के अस्वीकार का आलोकन करता है, उसके बदले अमुक निश्चित फीस लेता है जिसे Noting Charges या आलोकन खर्च कहा जाता है । आलोकन खर्च आलोकन करानेवाला व्यक्ति नोटरी को चुकाता है । परंतु वह इस रकम को हुंडी स्वीकर्ता के पास से वसूल करता है । आलोकन शुल्क के चुकाने की अंतिम जिम्मेदारी हुंडी स्वीकर्ता की होती है । कारण कि यह खर्च पकने की तारीख पर रकम नहीं चुकाने पर किया गया है ।



Discussion

No Comment Found