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Answer»  उधार व्यवहार के भुगतान के लिए सामान्य रूप से हुंड़ी का उपयोग किया जाता है । भारत में 1881 के नेगोशियेबल इन्स्ट्रमेन्ट एक्ट के अनुसार हुंडी की निम्न व्याख्या दी गई हैं – ‘हुंडी एक ऐसा लिखित दस्तावेज है जिसके द्वारा कोई निश्चित व्यक्ति अमुक निश्चित व्यक्ति को अथवा वह व्यक्ति जिसको बताये उसे अथवा जो व्यक्ति दस्तावेज धारण करता हो उसे अमुक निश्चित रकम अमुक निश्चित समय में भुगतान करने का शर्तरहित आदेश है ।’ हुंड़ी के लक्षण (Characteristics of Bill of Exchange) : कोई भी हंडी मान्य है या नहीं यह उसके लक्षणों पर आधारित रहता है । - लिखित स्वरूप में : हुंडी हमेशा लिखित स्वरूप में होनी चाहिए । मौखिक रूप से अगर कोई आदेश या हुकम दिया गया हो तो वह हुंड़ी नहीं कहला सकता ।
 - बिनशर्ती हुकम : हुंड़ी हमेशा विनंती के स्वरूप में होनी चाहिए । हुंडी में हुकम बिनशर्ती होना चाहिए । अर्थात् रकम चुकाने के आदेश के सामने कोई शर्त नहीं होनी चाहिए ।
 - निश्चित व्यक्ति : हुंडी किसी निश्चित व्यक्ति पर लिखी हुई होनी चाहिए ।
 - रकम चुकाने का आदेश : हुंड़ी में आदेश केवल भारतीय द्रव्य का भुगतान करने का होना चाहिए; किसी रकम या वस्तु के बदले का नहीं ।
 - हुंडी स्वीकर्ता या राशि प्राप्त करनेवाला : हुंड़ी में हुंडी का स्वीकार करनेवाला या राशि प्राप्त करनेवाला दोनों अलग व्यक्ति होते है इसलिये दोनों का नाम स्पष्ट होना चाहिए और वह निश्चित व्यक्ति होने चाहिए ।
 - निश्चित राशि : हुंड़ी में दर्शायी गयी राशि निश्चित और स्पष्ट होनी चाहिए । जैसे रु. 10,000
 - स्पष्ट तारीख : हुंड़ी में दर्शायी गयी तारीख स्पष्ट होनी चाहिए ।
 - निश्चित अवधि : हुंडी में अवधि निश्चित होनी चाहिए ।
 जैसे : 3 मास । 3 मास के अंदर कभी भी ऐसा नहीं होना चाहिए । - लिखनेवाले की सही : हुंड़ी जिसने लिखी हो उसके हस्ताक्षर उसमें होना चाहिए ।
 - रेवन्यु स्टेम्प : हुंड़ी पर हुंडी की राशि के प्रमाण में रेवन्यु स्टेम्प लगा होना चाहिए ।
 - माँग होने पर तुरंत या निश्चित अवधि के बाद : हुंडी का भुगतान हुंड़ी लिखनेवाला माँग करे तब अथवा निश्चित समय के बाद करना होता है ।
 - हुंडी का स्वीकार : हुंड़ी जिस व्यक्ति पर लिखी गई हो वह उस पर सही कर उसका स्वीकार करे उसके बाद ही हुंडी अस्तित्व में आती है ।
  
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