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जीवन एक अनमोल निधि है। यदि आप किसी कारणवश उसका समुचित लाभ अथवा आनंद नहीं उठा पाते, तो आपका पहला कर्तव्य है कि आप अपनी वर्तमान परिस्थिति का अच्छी तरह विश्लेषण करें। आपकी समस्या क्या है, इसे भली-भांति समझें और अपनी मुश्किलों को दूर करने का उपाय सोचें। इसके विपरीत यदि आप परिस्थितियों को अपने ऊपर हावी होने देते हैं, और अपने वास्तविक एवं कल्पित कष्टों से मन को दुःखी बनाए रहते हैं, तो आप अपने जीवन का रस नहीं ले सकते।बहुत संभव है, आपका कष्ट आर्थिक हो। परिवार के कई लोगों के भरणपोषण के लिए आपको अप्रिय अथवा अरुचिकर कार्य भी करने पड़ते हों, आपको काफी वेतन न मिलता हो अथवा किसी गंभीर कष्ट से आप दबे हों, लेकिन घबराने से क्या इन सबका निराकरण हो जाएगा? अतः समस्या से डरिए मत, उसकी शिकायत मत कीजिए, बल्कि जूझने के लिए तैयार हो जाइए।हम जीवन को रसमय कैसे बना सकते हैं?जीवन का सच्चा आनंद कैसे लिया जा सकता है?मनुष्य अरुचिकर कार्य करने के लिए कब तैयार होता हैं?जीवन की समस्याओं का निराकरण किस प्रकार हो सकता है?इस परिच्छेद के लिए एक उचित शीर्षक दीजिए।

Answer»

1) हम परिस्थितियों का सामना करें और अपने वास्तविक तथा कल्पित कष्टों से मन को दु:खी न होने दें। इस प्रकार हम अपने जीवन को रसमय बना सकते हैं।

2) अपनी परिस्थिति और वर्तमान समस्या को भली-भाँति समझकर मुश्किलों को दूर करने का उपाय सोचने व करने पर जीवन का सच्चा आनंद लिया जा सकता है।

3) जब मनुष्य को बड़े परिवार के निर्वाह की जिम्मेदारी खूब व्यथित कर रही हो, उसे काफी वेतन न मिलता हो, किसी गंभीर संकट में फंसा हो तभी मनुष्य अरुचिकर कार्य करने के लिए तैयार हो जाता है।

4) जीवन की समस्याओं का निराकरण शिकायत करने से या डरने से नहीं होता। परिस्थितियों का बेधड़क सामना करने से ही जीवन की समस्याओं का निराकरण होता है।

5) उचित शीर्षक जीवन-संग्राम अथवा जीवन की समस्या अथवा जीवन जीने की कला



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