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मानव के व्यक्तित्व का निर्माण करनेवाले विभिन्न तत्त्वों में चरित्र का सबसे अधिक महत्त्व है। चरित्र एक ऐसी शक्ति है जो मानवजीवन को सफल बनाती है। चरित्र की शक्ति ही आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता उत्पन्न करती है। चरित्र मनुष्य के क्रिया-कलाप और आचरण के समूह का नाम है। चरित्ररूपी शक्ति के सामने पाशविक शक्ति भी नष्ट हो जाती है। चरित्र की शक्ति विद्या, बुद्धि और संपत्ति से भी महान होती है। इतिहास इस बात का साक्षी है कि कई चक्रवर्ती सम्राट धन, पद, वस्तु और विद्या के स्वामी थे, परंतु चरित्र के अभाव में अस्तित्वविहीन हो गए।चरित्र किसे कहते हैं?चरित्र का क्या महत्त्व है?मानवजीवन पर चरित्र का क्या असर पड़ता है?इतिहास किस बात का साक्षी है?इस परिच्छेद के लिए एक उचित शीर्षक दीजिए।

Answer»

1) मनुष्य के आचरण तथा व्यवहार को ‘चरित्र’ कहते हैं अर्थात् मनुष्य के सद्गुणों के समूह का नाम ही चरित्र है।

2) चरित्र व्यक्तित्व का निर्माण करनेवाला एक ऐसा तत्त्व है जिससे मनुष्य का जीवन सफल बनता है। अतः चरित्र का सबसे अधिक महत्त्व है।

3) चरित्र से ही आत्मविश्वास जाग्रत होता है और आत्मनिर्भरता उत्पन्न होती है। इस प्रकार मानवजीवन पर चरित्र का गहरा असर पड़ता है।

4) इतिहास इस बात का साक्षी है कि कई चक्रवर्ती सम्राटों के पास अपार धन, पद, विद्या, वैभव सब कुछ था, परंतु चरित्र नहीं था। इसलिए उनका अस्तित्व समाप्त हो गया।



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