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तुलसीदासजी ने उचित ही लिखा है- “का वर्षा जब कृषि सुखाने, समय चूकि पुनि का पछताने”। अवसर को खोकर पश्चात्ताप करना मूर्खता ही है। समय बलवान है और समय ही स्वर्णिम है। जिन्होंने समय को पहचानकर इसका सदुपयोग किया है, वे विश्व में महान हो गए। बीता हुआ समय लौटकर नहीं आता, जीवन का हर क्षण मूल्यवान है, इसकी पहचान और सही उपयोग ही सफलता की कुंजी है।ज्ञान का अमित विस्तार है और जीवन के क्षण कुछमात्र हैं, इन दुर्लभ क्षणों को सही समय पर सही काम में लगाना बड़ी उपलब्धि है। वस्तुतः यह सोचना कि हम समय को नष्ट कर रहे हैं, एक बड़ी भूल है। सच तो यह है कि समय ही हमें नष्ट कर रहा है। काल द्वारा सबको कसा – जाता है, लेकिन उन महात्माओं को नहीं, जो इसका सदुपयोग करते हैं। गांधी, ईसा, न्यूटन, विवेकानंद आदि महान व्यक्तियों के उदाहरण हमारे सामने हैं।समय को समझने के बारे में हमारी क्या भूल है?तुलसीदासजी ने समय के बारे में क्या लिखा है?जीवन में सफलता की कुंजी क्या है?जीवन में हमें किस मूर्खता से बचना चाहिए?इस परिच्छेद के लिए एक उचित शीर्षक दीजिए।

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1) हम समय को नष्ट कर रहे हैं – ऐसा सोचना समय को समझने के बारे में हमारी भूल है।

2) तुलसीदासजी ने समय के बारे में लिखा है कि जिस तरह 8 खेती सूख जाने पर पानी का बरसना व्यर्थ है, उसी तरह अवसर को खोकर पछताना मूर्खता है।

3) समय की सही पहचान और उसका सदुपयोग ही जीवन 8 में सफलता की कुंजी है।

4) जीवन में हमें समय को खोने के बाद उस पर पछतावा करने की मूर्खता से बचना चाहिए।

5) उचित शीर्षक : समय का सदुपयोग अथवा जीवन का क्षण-क्षण अनमोल



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