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कवयित्री द्वारा मुक्ति के लिए किए जानेवाले प्रयास व्यर्थ क्यों हो रहे हैं ?

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कवयित्री के प्रयास कच्चे सकोरे में पानी भरने जैसा है । जिस तरह कच्चे सकोरे से पानी टपकता रहता है और सफोरा भर नहीं पाता, उसी तरह वह मायामोह में पड़कर अत्यंत कमजोर है इसलिए मुक्ति के लिए किए जानेवाले सारे प्रयास व्यर्थ जा रहे हैं ।



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