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नियंत्रण का अर्थ एवं इसके लक्षण समझाइए ।

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प्रस्तावना : संचालन के कार्यों में से अंकुश एक महत्त्वपूर्ण कार्य है । संचालन के द्वारा निर्धारित हेतु के अनुसार आयोजन तैयार किया जाता है । आयोजन के अनुसार व्यवस्थातंत्र एवं कर्मचारी व्यवस्था की नियुक्ति की जाती है । कर्मचारियों को तैयार किए गए आयोजन के अनुसार आदेश दिए जाते हैं । परन्तु दिए गए आदेश के अनुसार कार्य हुआ या नहीं, नहीं हुआ तो क्यों नहीं ? इसकी देखरेख्न रखना उच्चस्तर के अधिकारियों की जिम्मेदारी बनती है । अत: अंकुश रखना अनिवार्य बनता है । अंकुश से कार्य सरल एवं आनेवाली कठिनाईयों का निराकरण सरल बनता है ।

परिभाषा : अंकुश की अलग-अलग लेखकों के द्वारा परिभाषाएँ दी गई है । इनमें से महत्त्वपूर्ण लेखकों की परिभाषाएँ निम्नलिखित

(1) श्रीमती मेरी सी. नाइल्स के मतानुसार, ‘आयोजन के परिपालन में आनेवाली कठिनाइयों को दूर करने की प्रक्रिया अर्थात् अंकुश ।’
(2) श्री फिलिप कोटलर, ‘वास्तविक एवं निर्धारित परिणामों को एक दूसरे के समीप लाने के लिए उठाए गए कदमों की सूची ।’
(3) ‘प्रयत्न, परिणाम तथा साधनों एवं उद्देश्यो के बीच संतुलन बनाए रखने का कार्य अर्थात् अंकुश ।’

लक्षण : अंकुश के लक्षण निम्नलिखित है :

(1) आयोजन के साथ सम्बंध (Related to Planning) : इकाई के निश्चित उद्देश्य के अनुसार आयोजन तैयार किया जाता है । आयोजन में निश्चित की गई योजनाओं के अनुसार कार्य करवाने का आधार अंकुश पर है । अतः आयोजन एवं अंकुश जुड़वाँ बालक के समान है।

(2) संचालन का अंतिम कार्य (End Activity of Managment) : संचालकों के द्वारा संचालन की प्रवृत्ति करते समय सर्वप्रथम आयोजन तैयार किया जाता है । आयोजन के अनुसार व्यवस्थातंत्र की रचना, इसके बाद कर्मचारी व्यवस्था, दिशा-निर्देश इसके पश्चात का कार्य अंकुश का है । प्रवृत्तियों का प्रारम्भ होने के बाद ही अंकुश रखा जाता है ।

(3) सतत प्रक्रिया (Continuous Process) : अंकुश आयोजन की तरह सतत प्रक्रिया है । कर्मचारी साधनों एवं प्रवृत्तियों पर निरन्तर नियमित निरीक्षण रखना आवश्यक है तथा आनेवाले विवादों को दूर किया जाता है । जिससे आयोजन के अनुसार प्रवृत्ति की जाए ।

(4) रचनात्मक प्रवृत्ति (Positive Activity) : कर्मचारियों के द्वारा की जानेवाली प्रवृत्तियों में रुकावट पैदा करना अंकुश कहलाता है । परन्तु ऐसा नहीं वास्तव में कर्मचारियों के द्वारा कार्य आयोजन के अनुसार हो इसका मार्गदर्शन प्रदान करना अंकुश है ।

(5) गतिशील प्रक्रिया (Dynamic Process) : अंकुश कोई स्थिर प्रक्रिया नहीं है । इकाई में होनेवाले आंतरिक एवं बाहरीय परिवर्तनों के साथ-साथ अंकुश की प्रक्रिया में भी परिवर्तन किया जाता है ।

(6) व्यक्तिलक्षी (Personal Process) : संचालन यह मानवी प्रवृत्ति है । सम्पूर्ण प्रवृत्ति मानव के द्वारा की जाती है । मानव के द्वारा की जानेवाली प्रवृत्ति पर अंकुश मानव के द्वारा ही रखा जाता है ।

(7) आंतरिक प्रक्रिया (Internal Process) : इकाई की सीमा में रहकर की जानेवाली प्रवृत्ति आंतरिक प्रवृत्ति कहलाती है । जैसे आयोजन तैयार करना, कर्मचारियों को कार्य सौंपना इत्यादि अन्य प्रवृत्तियों की देखरेख के लिए व्यक्तियों की नियुक्ति की जाती है । अत: यह आंतरिक प्रक्रिया है ।

(8) संचालन के प्रत्येक स्तर पर होनेवाला कार्य (Controlling at Every All Level of Management) : अंकुश का कार्य संचालन के प्रत्येक स्तर पर होता है, न कि किसी एक विभाग के लिए । प्रत्येक संचालक संचालन की प्रवृत्ति करते समय कम या ज्यादा योग्य प्रमाण में अपने सहायक कर्मचारियों पर देखरेख्न रखता ही है ।

(9) भविष्य के साथ सम्बंध (Related to Future) : अंकुश के द्वारा इकाई में की जानेवाली प्रवृत्ति का मूल्यांकन करके आनेवाले विवादों को दूर किया जाता है । अंकुश के द्वारा भूतकाल में हुई भूलों का पुनरावर्तन भविष्य में न हो उसका विशेष ध्यान रखा जाता है । अतः यह भविष्य के साथ संबंध रखती है ।

(10) विधेयात्मक प्रवृत्ति (Positive) : अंकुश विधेयात्मक प्रवृत्ति है । अंकुश द्वारा कर्मचारियों के कार्य में विलम्ब, मानसिक त्रास, आर्थिक दण्ड, डिमोशन नहीं किया जाता है । सिर्फ कर्मचारी द्वारा कार्य करते समय आनेवाली दुविधाओं को दूर करना, नुकसान को कम करना, भूतकाल की गलतियों के पुनरावर्तन को रोकना ही मुख्य हेतु है ।

(11) नियंत्रण औपचारिक या अनौपचारिक हो सकता है : इकाई में व्यवस्थातंत्र व उत्पादन प्रवृत्ति के संदर्भ में नियंत्रण की व्यवस्था औपचारिक स्वरूप में स्थापित की जाती है, परन्तु समयान्तर में अनौपचारिक स्वरूप की नियंत्रण व्यवस्था भी विकसित होती
है । ऐसी अनौपचारिक नियंत्रण व्यवस्था कई बार अधिक असरकारक सिद्ध होती है ।



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