1.

अंकुश एवं आयोजन के बीच सम्बन्ध समझाइये ।

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आयोजन एवं अंकुश एक सिक्के के दो पहलू के समान है । आयोजन के बिना अंकुश और अंकुश के बिना आयोजन अधूरा है । संचालन के कार्यों में जहाँ आयोजन होगा वहाँ अंकुश अवश्य ही होगा । इसके विपरीत जहाँ अंकुश होगा वहाँ पहले से ही आयोजन होगा ही । आयोजन तैयार करते समय इकाई के आंतरिक एवं बाहरीय परिवर्तनो को ध्यान में रखते हुए योजनाएँ तैयार की जाती है । तैयार की गई योजनाओं में भविष्य दरमियान आंतरिक एवं बाहरीय परिवर्तन हो तो उसे अंकुश द्वारा सुधारात्मक कदम उठाए जाते हैं । अतः आयोजन एवं अंकुश जुड़वाँ बालक के समान है । आयोजन के अनुसार कार्य हो रहा है या नहीं इसके निरीक्षण का कार्य अंकुश का है । अंकुश रखने का आधार आयोजन है । अतः आयोजन एवं अंकुश परस्पर पूरक हैं । आयोजन के बिना अंकुश के बारे में सोचना व्यर्थ हैं । आयोजन हो तो अंकुश है । अर्थात् आयोजन को अंकुश का जन्मदाता कहा जाता है । आयोजन एवं अंकुश एक दूसरे पर निर्भर हैं । तथा संचालन को कार्यक्षम बनाने के लिए भी आवश्यक है ।



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