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‘तुमुल’ के ‘युद्धासन्न सौमित्र’ नामक अष्टम सर्ग का सारांश लिखिए।

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अष्टम सर्ग (युद्धासन्न सौमित्र)

इस सर्ग में युद्ध के लिए प्रस्तुते लक्ष्मण का चित्रण है। मेघनाद की रण-गर्जना सुनकर शत्रु सेना भी भयंकर नाद करने लगी। राम की आज्ञा लेकर लक्ष्मण भी युद्ध के लिए तैयार होने लगे। युद्धातुर लक्ष्मण को देखकर हनुमान आदि वीर भी युद्ध हेतु तत्पर हो गये। लक्ष्मण ने क्षण भर में ही मेघनाद के सम्मुख मोर्चा ले लिया। दोनों वीरों में से कौन विजयी होगा, इसका अनुमान नहीं किया जा सकता था। मेघनाद के उन्नत ललाट, लम्बी भुजाओं और वीरवेश को देखकर स्वयं लक्ष्मण उसकी प्रशंसा करने लगे। लक्ष्मण ने कहा कि तुम्हें अपने सामने देखकर भी युद्ध करने की इच्छा नहीं होती। मुझे चिन्ता है कि मैं अपने बाणों से तेरी छाती को कैसे छलनी करूंगा? मेघनाद लक्ष्मण के मुख से अपनी प्रशंसा सुनकर उंनकी उदारता के विषय में विचार करने लगा। यद्यपि वह लक्ष्मण के ज्ञान की गरिमा को समझता है, फिर भी शत्रु समझकर उनकी मधुर  वाणी के जाल में उलझना नहीं चाहता और युद्ध करने की ठानता है।



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