1.

‘तुमुल’ खण्डकाव्य के आधार पर ‘मेघनाद-प्रतिज्ञा’ नामक षष्ठ सर्ग का सारांश लिखिए।या‘तुमुल’ खण्डकाव्य के ‘मेघनाद-प्रतिज्ञा’ सर्ग की कथा अपने शब्दों में लिखिए।

Answer»

षष्ठ सर्ग (मेघनाद-प्रतिज्ञा) इस सर्ग में मेघनाद सिंहनाद करता हुआ युद्ध में विजयी होने की प्रतिज्ञा करता है। मेघनाद के गर्जन से पूरा स्वर्ण-महल हिल उठता है। वह अपने पिता को आश्वस्त करता हुआ कहता है कि हे पिता! मेरे होते हुए आप किसी भी प्रकार का शोक न करें। मैं अधिक न कहकर केवल इतना कहता हूँ कि यदि मैं आपके कष्ट को दूर न कर सकें तो मैं कभी धनुष को हाथ भी नहीं लगाऊँगा। मैं राम के सम्मुख होकर  युद्ध करूंगा और लक्ष्मण की शक्ति को भी देख लूंगा। यदि शत्रु आकाश में भी वास करने लगे अथवा पाताल में भी जाकर छिप जाये. तो भी उसके प्राणों की रक्षा न हो सकेगी। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं अवश्य ही विजयश्री को प्राप्त करूंगा। यदि मैं युद्ध में विजयी न हुआ तो कभी जीवन में युद्ध का नाम न लूंगा।



Discussion

No Comment Found

Related InterviewSolutions