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‘तुमुल’ खण्डकाव्य के ‘मेघनाद-अभियान’ सर्ग का सारांश लिखिए।

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सप्तम सर्ग (मेघनाद का अभियान)

इस सर्ग में मेघनाद के युद्ध के लिए प्रस्थान करने का वर्णन है। रावण के सम्मुख प्रतिज्ञा करके मेघनाद जब युद्धक्षेत्र की ओर चलने लगा तो देवलोक के सभी देवता भय से काँपने लगे। उस समय मेघनाद का मुख क्रोध से लाल हो गया था। उसकी हुंकार से बड़े-बड़े धैर्यशाली वीरों का साहस छूटने लगा। सेनापति मेघनाद के क्रोध का कारण पूछने लगे। मेघनाद ने युद्ध का रथ सजवाया तथा युद्ध के वाद्य बजाने का आदेश दिया तो पवन भयभीत हो गया, पर्वत काँपने लगा, पृथ्वी शोकाकुल हो गयी और सूर्य त्रस्त हो गया। युद्ध हेतु प्रस्थान करने से पूर्व मेघनाद ने यज्ञ किया और उसके बाद रथ पर बैठकर शत्रुओं से लोहा लेने  चल पड़ा। उसकी शक्ति का अनुमान करके देवता आपस में विचार करने लगे कि अब मेघनाद के सम्मुख राम-लक्ष्मण के प्राण कैसे बच सकेंगे? देवता चिन्तित होकर बातचीत कर ही रहे थे कि मेघनाद ने रणभूमि में पहुँचकर सिंह की तरह गर्जना की।



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