Explore topic-wise InterviewSolutions in .

This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.

1.

कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति प्रदर्शित करने के लिए रसखान क्या-क्या न्यौछावर करना चाहते हैं ?

Answer»

कवि रसखान के मन में श्रीकृष्ण के प्रति अपार श्रद्धा है। वे अपने आराध्य देव के प्रति समर्पित है। श्रीकृष्ण का लकुटी और कमली लेकर गायों को चराने के लिए वन में जानेवाला रूप उनके मन में समाया हुआ है। उस रूप का दर्शन करने के लिए वे तीनों लोकों के राज्य को न्योछावर करने को तत्पर हैं।

2.

नंद की गायों को वन में ले जाकर चलाने का सौभाग्य मिलने पर रसखान ……(अ) आकाश, पाताल, मृत्यु तीनों लोकों का राज्य त्याग(ब) आठों सिद्धियों और नौवों निधियों से प्राप्त सुख को भूला देंगे।(क) गायें चराना चाहते हैं।

Answer»

नंद की गायों को वन में ले जाकर चलाने का सौभाग्य मिलने पर रसखान आठों सिद्धियों और नौवों निधियों से प्राप्त सुख को भूला देंगे।

3.

गोपी श्रीकृष्ण को ………. प्रेम करती है।A. अनहदB. निश्चलC. अपारD. अविश्वसनीय

Answer»

सही विकल्प है B. निश्चल

4.

कृष्ण की मुरली का ब्रज की स्त्रियों पर क्या प्रभाव पड़ा ?

Answer»

व्रज की स्त्रियाँ कृष्ण की मुरली की धुन की दीवानी थीं। श्रीकृष्ण ने अपनी मुरली की मनमोहक तान से ब्रज की समस्त स्त्रियों को रिझा लिया था। अपनी मुरली की धुन से जैसे उन्होंने वज की स्त्रियों पर कुछ ऐसा जादू-टोना-सा कर दिया था कि वे उनके हृदय में घर कर गए थे। हालत ऐसी हो गई थी कि किसी को किसी की परवाह नहीं थी। ब्रज के सारे स्त्री-पुरुष कृष्ण की मुरली की धुन पर मुग्ध हो गए थे।

5.

सिद्धियों कितनी है?A. पाँचB. सातC. छ:D. आठ

Answer»

सही विकल्प है D. आठ

6.

यमुना के किनारे …….. का वृक्ष है।A. कदंबB. नौमC. पीपलD. बरगद

Answer»

सही विकल्प है A. कदंब

7.

पशु के रूप में कवि कहाँ निवास करना चाहते हैं ?

Answer»

पशु के रूप में कवि नंद की गायों के बीच निवास करना चाहते हैं।

8.

पशुयोनि में जन्म मिलने पर कवि क्या करना चाहते हैं ?

Answer»

पशुयोनि में जन्म लेना कवि के वश में नहीं हैं, परंतु कवि इतना ही चाहते हैं कि प्रतिदिन उन्हें नंद की गायों के बीच चरने का मौका मिले।

9.

क्या हार में, क्या जीत में,किंचित नहीं भयभीत मैं,संघर्ष-पथ पर जो मिले,यह भी सही, वह भी सही,वरदान माँगूंगा नहीं।लघुता न मेरी अब छुओ,तुम हो महान बने रहो,अपने हृदय की वेदना,मैं व्यर्थ त्यागूंगा नहीं,वरदान माँगूंगा नहीं।चाहे हृदय को ताप दो,चाहे मुझे अभिशाप दो,कुछ भी करो कर्तव्य पथ से,किंतु भागूंगा नहीं,वरदान माँगूंगा नहीं।– शिवमंगल सिंह ‘सुमन’उपर्युक्त कविता के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए1. कवि ने जीवन को क्या माना है ?2. सुमन जी भयभीत क्यों नहीं हैं ?3. कवि किन परिस्थितियों में कर्तव्य-पथ से नहीं भागना चाहता है ?4. कवि किसे व्यर्थ मानता है ?5. ‘संघर्ष-पथ पर जो मिले’ में कौन-सा अलंकार है ?

Answer»

1. कवि ने जीवन को संघर्ष-पथ माना है।

2. सुमन जी हार-जीत की परवाह नहीं करते है इसलिए ये भयभीत नहीं हैं।

3. कवि कहता है कि चाहे मुझे पीड़ा पहुँचाओ, अभिशाप दो या कुछ भी करो, मैं हर स्थिति में कर्तव्य-पथ पर डटा रहूँगा।

4. कवि अपने हृदय की वेदना के त्याग को व्यर्थ मानता है।

5. ‘संघर्ष-पथ’ अर्थात् संघर्ष रूपी पथ रूपक अलंकार है।

10.

सनी ने गोपी से श्रीकृष्ण का कैसा रूप धारण करने का आग्रह किया था ? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए ।

Answer»

सखी ने गोपी से श्रीकृष्ण का पीतांबरधारी वास्तविक रूप धारण करने का आग्रह किया । गोपी कहती है कि वह श्रीकृष्ण की तरह सिर पर मोर पंखों का मुकुट धारण करे । गले में गुंओं से बनी माला पहने, तन पर पीले वस्त्र धारण करे और हाथों में लाठी थामे गायों के साथ वन-वन विचरण करे ।

11.

रसखान ……… पर्वत का पत्थर बनना चाहते हैं।A. गिरनारB हिमालयC. गोवर्धनD. शैजुजय

Answer»

सही विकल्प है C. गोवर्धन

12.

गोपी कृष्ण की मुरली धारण नहीं करेगी, क्योंकि ……(अ) गोपी निश्छल प्रेम का विश्वासघात करना नहीं चाहती।(ब) गोपी को कृष्ण से नफरत हो गई है ।(क) गोपी को मुरली बजानी आती नहीं है।

Answer»

गोपी कृष्ण की मुरली धारण नहीं करेगी, क्योंकि गोपी निश्छल प्रेम का विश्वासघात करना नहीं चाहती।

13.

रसखान किस पर्वत का पत्थर बनना चाहते हैं ?

Answer»

रसखान गोवर्धन पर्वत का पत्थर बनना चाहते हैं।

14.

श्रीकृष्ण को रिझाने के लिए गोपी क्या-क्या करना चाहती है ?

Answer»

श्रीकृष्ण को रिझाने के लिए गोपियाँ श्रीकृष्ण के तरह-तरह के स्वांग करना चाहती हैं। वे श्रीकृष्ण की तरह अपने सिर पर मोरपंख धारण करना चाहती हैं, गुंजों की माला गले में पहनना चाहती है तथा पीतांबर ओवकर और हाथ में लाठी लेकर गायों के पीछे ग्वालों के साथ-साथ वन में भटकना चाहती हैं।

15.

रसखान श्रीकृष्ण का सामीप्य किन रूपों में किस प्रकार चाहते हैं ?

Answer»

कवि रसखान श्रीकृष्ण और उनकी लीला-स्थली से अभिभूत हैं। वे हर उस चीज से सामीप्य चाहते हैं, जिनका संबंध श्रीकृष्ण से रहा है। वे अगले जन्म में गोकुल गाँव में जन्म लेकर वहाँ के ग्वालों के बीच उसी तरह रहना चाहते हैं। जैसे कृष्ण रहते थे। श्रीकृष्ण बचपन में नंद की गाएं चराने जाया करते थे। वे पशु के रूप में जन्म लेकर नंद की गायों के बीच चरना चाहते हैं। यमुना के किनारे कदंब के पेड़ों पर चढ़कर बचपन में श्रीकृष्ण ग्वाल-बालों के साथ खेला करते थे। पक्षी के रूप में जन्म लेकर रसखान इन्हीं कदंब के वृक्षों पर रैन-बसेरा करना चाहते हैं। इतना ही नहीं, यदि अगले जन्म में वे पत्थर बनें, तो उसी पहाड़ का पत्थर बनने की कामना करते हैं, जिसे श्रीकृष्ण ने अपने हाथों से उठा लिया था, यानी जिसका उन्होंने स्पर्श किया था।

16.

काननि दै अँगुरी रहिवो जबहीं मुरली धुनि मंद बजैहै।मोहनी तानन सों रसखानि अटा चढ़ि गोधन गैहै तौ गैहै।।टेरि कहाँ सिगरे ब्रजलोगनि काल्हि कोऊ कितनो समुहै।माइ री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैहै।।भावार्थ : श्रीकृष्ण की मुरली की धुन पस्-मोहित एक गोपी कहती है कि जब श्रीकृष्ण मीठे स्वर में मुरली बजाएँगे तब यह अपने कानों में अंगुली डाल लेगी। ऊँची-ऊँची अट्टालिकाओं पर चढ़कर श्रीकृष्ण मोहक तान में गोधन गाते हैं तो गाते रहें, मैं उस तरफ ध्यान नहीं दूंगी। वे ब्रज के लोगों को बता देना चाहती हैं कि जब श्रीकृष्ण की मुरली बजेगी तो उसकी धुन सुनकर श्रीकृष्ण की एक मुस्कान पर ये अपने को संभाल नहीं पाएँगी।1. गोपी कानों में उँगली क्यों डालना चाहती है ?2. श्रीकृष्ण की मुस्कान गोपी पर क्या असर डालती है ?3. गोपी श्रीकृष्ण की मुस्कान को कैसा बताती है ?4. गोपी क्या देखकर स्वयं को नहीं संभाल पाती है ?5. ‘काल्हि कोऊ कितनो समुझैहै’ मैं कौन-सा अलंकार है ?

Answer»

1. गोपी कानों में उँगली इसलिए डालना चाहती है कि जब श्रीकृष्ण मुरली की मधुर ध्वनि छेड़े, ऊँची-ऊँची अटारियों पर चढ़कर गोधन गाएँ तो श्रीकृष्ण का मधुर स्वर उनके कानों में न पड़े। वह मुरली की मधुर धुन सुनकर श्रीकृष्ण के वश में नहीं होना चाहती है।

2. श्रीकृष्ण की मुस्कान आकर्षक और प्रभावशाली है। उनकी मुस्कान के प्रभाव से गोपी अपने वश में नहीं रहती, वह श्रीकृष्ण की तरफ खिंचती चली जाती है।

3. गोपी श्रीकृष्ण की मुस्कान को आकर्षक और प्रभावशाली बताती है।

4. गोपी श्रीकृष्ण की मोहक मुस्कान को देखकर स्वयं को नहीं संभाल पाती है।

5. ‘काल्हि कोऊ कितनो समुहै’ में ‘क’ वर्ण की आवृत्ति से अनुप्रास अलंकार है।

17.

 मोरपना सिर पर राखिहौं, गुंज की माल गरें पहिरौंगी।ओढ़ि पितांबर लै लकुटी बन गोधन ग्वारनि संग फिरौंगी।।भावतो वोहि मेरो रसखानि सों तेरे कहे सब स्वाँग करौंगी।या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी।।भावार्थ : कृष्ण के सौन्दर्य पर मोहित एक गोपी दूसरी गोपी से कहती है कि हे सखी ! मैं सिर के ऊपर मोरपंख्य रसुंगी, गुंजों की माला पहनूँगी। मैं पीले वस्त्र धारण करके गायों के पीछे लाठी लेकर ग्वालों के संग वन में भ्रमण करूँगी। श्रीकृष्ण को जो भी अच्छा लगता है तुम्हारे कहने से मैं वह सब कुछ करने को तैयार हूँ, किन्तु मुरलीधर के होठों से लगी बांसुरी को अपने होठों से नहीं लगाऊँगी।1. गोपी श्रीकृष्ण का रूप बनाने के लिए क्या-क्या करने को तैयार है ?2. गोपी किसे अच्छा लगनेवाला शृंगार करना चाहती है ?3. गोपी श्रीकृष्ण की मुरली को अपने अधरों पर क्यों नहीं लगाना चाहती ?4. गोपी श्रीकृष्ण का शृंगार क्यों करना चाहती है ?5. प्रस्तुत सवैये से अनुप्रास अलंकार का एक उदाहरण लिखिए।6. सवैये की अंतिम पंक्ति में अनुप्रास के अतिरिक्त अन्य कौन-सा अलंकार है ?7. ‘पीतांबर’ में कौन-सा समास है ?।

Answer»

1. गोपी श्रीकृष्ण का रूप बनाने के लिए सिर पर मोर पंख का मुकुट, गले में गुंजों की माला और शरीर पर पीला वस्त्र धारण करने को तैयार है। वह श्रीकृष्ण की तरह गायों को चरानेवाली लाठी भी हाथ में रखना चाहती है।

2. गोपी श्रीकृष्ण को अच्छा लगनेवाला शृंगार करना चाहती है।

3. श्रीकृष्ण को मुरली बहुत प्रिय है। वे गोपियों को छोड़ मुरली को हमेशा अपने होठों से लगाए रहते हैं, जिससे गोपियों को श्रीकृष्ण की मुरली जितनी निकटता नहीं मिल पाती है इसी ईर्ष्याभाव के कारण गोपी मुरली को अपने होठों पर नहीं रखना चाहती है।

4. गोपी श्रीकृष्ण से अनन्य प्रेम करती है। वह श्रीकृष्ण का रूप धारण करके कृष्णमय हो जाना चाहती है इसीलिए वह स्थांग में श्रीकृष्ण की तरह पूरा शृंगार करना चाहती है।

5. ‘या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी’ में ‘म’ ‘अ’ और ‘ध’ वर्ण की आवृत्ति होने से अनुप्रास अलंकार है।

6. सवैये की अंतिम पंक्ति में अनुप्रास के अतिरिक्त यमक अलंकार है। ‘अधरान’ शब्द दो बार आया है, जिसमें पहले ‘अधरान’ का अर्थ ‘होठ पर’ और दूसरे ‘अधरा न’ का ‘होठ पर नहीं है।

7. पीताम्बर – पीला है जो वस्त्र – कर्मधारय समास |

18.

गोपी कृष्ण की मुरली को अपने अधरों पर क्यों नहीं रखना चाहती ?

Answer»

गोपियों का श्रीकृष्ण से निश्छल प्रेम है। वे नहीं चाहती कि श्रीकृष्ण की मुरली को वे अपने अधरों पर रखकर जूठी करें। वे इस चेष्टा को अपने प्रिय के साथ विश्वासघात मानती हैं।

19.

 मानुष हौं तो वही रसखानि बसौं ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन।जौ पसु हौं तो कहा बस मेरो चरौं नित नंद की धेनु मँझारन।।पाहन हों तो वही गिरि को जो कियो हरिछन पुरंदर धारन।जौ खग हौं तो बसेरो करौं मिलि कालिंदी कुल कदंब की डारन।।भावार्थ : कवि रसखान कहते हैं कि यदि मुझे मनुष्य का जन्म मिले तो मैं वही मनुष्य बनूँ, जिसे गोकुल गाँव के ग्वालों के साथ रहने का अवसर मिले। यदि मेरा जन्म पशु योनि में हो तो मैं उसी गाँव में जन्म लूँ, जहाँ मुझे नित्य नन्द की गायों के मध्य में विहार करने का सौभाग्य प्राप्त हो। यदि पत्थर के रूप में जन्म हो तो मैं उसी पर्वत का पत्थर बनें, जिसे श्रीकृष्ण ने इन्द्र का गर्व नष्ट करने के लिए उँगली पर धारण किया था। यदि मैं पक्षी योनि में जन्म लूँ तो मैं यमुना के किनारे स्थित कदंब की डाल पर बसेरा करूँ। यानी हर हाल में वह श्रीकृष्ण से जुड़ी यादों के समीप रहना चाहता है।1. मनुष्य के रूप में रसखान कहाँ जन्म लेना चाहते हैं ?2. कवि किस पर्वत का पत्थर बनना चाहता है ?3. पशु बनकर रसखान कहाँ रहना चाहते हैं ?4. पक्षी बनने पर रसखान कहाँ बसेरा करना चाहते हैं और क्यों ?5. निर्जीव रूप में रसखान ने क्या इच्छा प्रकट की है ?।6. ‘कालिंदी कूल कदंब की डारन’ में कौन-सा अलंकार है ?

Answer»

1. मनुष्य के रूप में रसखान ब्रज के ही गाँव में जन्म लेना चाहते हैं।

2. कवि उस गोवर्धन पर्वत का पत्थर बनना चाहता है जिसे श्रीकृष्ण ने अपने हाथ पर उठाया था।

3. पश बनकर रसखान नंद की गायों के बीच रहना चाहते हैं।

4. पक्षी बनने पर रसखान यमुना किनारे कदंब की डाल पर बसेरा बनाना चाहते हैं, क्योंकि श्रीकृष्ण वहाँ अपने बालसखाओं के साथ कदंब की डाल पर क्रीडाएँ करते थे। उस वृक्ष के नीचे बैठकर श्रीकृष्ण बंशी बजाया करते थे। उस वृक्ष से उनकी यादें जुड़ी हुई हैं।

5. निर्जीव रूप में पुनर्जन्म होने पर कवि चाहता है कि वह उसी गोवर्धन पर्वत का पत्थर बने, जिसे श्रीकृष्ण ने अपने हाथ पर उठाया था।

6. ‘कालिंदी कूल कदंब की डारन’ पंक्ति में ‘क’ वर्ण की आवृत्ति हुई है, इसलिए यहाँ अनुप्रास अलंकार है।

20.

रसखान हर रूप में ब्रजभूमि में ही क्यों जन्म लेना चाहते हैं ?

Answer»

रसखान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त हैं। श्रीकृष्ण ने ब्रज में तरह-तरह की लीलाएँ की थीं। उन लीलाओं से जुड़ी हर वस्तु से वे सांनिध्य चाहते हैं इसीलिए वे चाहते हैं कि उनका जन्म किसी भी रूप में परन्तु हर बार ब्रजभूमि में ही हो।

21.

…….. को रिझाने के लिए गोपी तरह-तरह के स्वांग करना चाहती हैं।A. श्रीकृष्णB. माता यशोदाC. राधाD. भक्त

Answer»

सही विकल्प है A. श्रीकृष्ण

22.

गोपी गले में ……. माला पहनना चाहती है ।(अ) सोने की(ब) होरों की(क) मोतियों की(ड) गुंजे की

Answer»

सही विकल्प है (ड) गुंजे की

23.

ब्रजभूमि के प्रति कवि का प्रेम किन-किन रूपों में अभिव्यक्त हुआ है ?

Answer»

कवि को ब्रजभूमि के प्रति गहरा प्रेम है । ये ब्रज के प्रति अपना प्रेम व्यक्त करते हुए कहते हैं कि मैं अगले जन्म में ब्रज के ग्वाल-बालों के बीच रहना चाहता हूँ । यदि पशु रूप में जन्म मिलता है तो नंद बाबा की गायों के बीच चरना चाहता हूँ । निर्जीव रूप में जन्म होने पर मैं गोवर्धन पर्वत का हिस्सा बनना चाहता हूँ, जिसे श्रीकृष्ण ने अपनी उँगली पर उठाया था । यदि पक्षी के रूप में जन्म हो, तो मैं कदंब के पेड़ पर बसेरा बनाना चाहता हूँ । इस तरह मैं हमेशा ब्रज के वन, बाग और तालाब का सौंदर्य देखते रहना चाहता हूँ ।