InterviewSolution
This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
| 1. |
सुरो और चिन्ती दिल्ली में कहाँ ठहरी थीं? |
|
Answer» सुरो और चिन्ती दिल्ली में कनाट प्लेस पर मलिक चाचा के यहाँ ठहरी थीं। |
|
| 2. |
और तब पता चला कि हम लोग यों ही परेशान होते रहे। घर तो तुम्हारा पास ही था। सुरो और चिन्ती किस कारण परेशान हुईं? आप किसी जगह जाते हैं तो क्या ऐसे ही परेशान होते हैं? |
|
Answer» सुरो ने ताँगेवाले को मधु के घर का गलत पता बता दिया था। इस कारण ताँगेवाला उनको सब्जीमण्डली गिरजे के पास ले गया। जब उनको ध्यान आया कि उसका घर हनुमान मन्दिर के पास है तो वे मधु के घर आ सकी। उनको व्यर्थ इधर-उधर भटकना पड़ा। मैं कहीं जाता हूँ तो उस स्थान का पता लिखकर अपनी जेब में रख लेता हूँ तथा उस स्थान की पहचान भी पूछ लेता हूँ। इससे मैं भटकता नहीं। |
|
| 3. |
सुरो और चिन्ती कौन हैं? |
|
Answer» सुरो और चिन्ती मधु की सहेलियाँ हैं। वे उसके साथ कॉलेज में पढ़ती थीं। |
|
| 4. |
चूहा सैदनशाह के लोगों की तन्दुरुस्ती का राज क्या था? |
|
Answer» चूहा सैदनशाह के लोग अपने खाने-पीने का ख्याल रखते थे। वे दही तथा लस्सी का सेवन करते थे। दही में बीमारी के कीटाणुओं को मारने की शक्ति होती है। इस कारण उनके खून में लाल रक्त कणों की संख्या अधिक थी तथा वे स्वस्थ रहते थे। |
|
| 5. |
बसन्त-मधु की नोंकझोंक के दरमियान फोन पर साहब ने बसन्त को क्या आदेश दिया? |
|
Answer» बसन्त-मधु की नोंक-झोंक चल रही थी तभी साहब का फोन आया। उन्होंने बसन्त को तुरन्त बनारस जाने का आदेश दिया। |
|
| 6. |
लेफ्टिनेंट वीरेन्द्र तथा पुष्पा कौन हैं जिनके बारे में सुरो और चिन्ती मधु से बातें कर रही हैं? |
|
Answer» लेफ्टिनेंट वीरेन्द्र और पुष्पा मधु तथा उसकी सहेलियों के पूर्व परिचित हैं। पुष्पा मोटी है और वीरेन्द्र पतला सुरो मधु को बताती है कि पुष्पा की शादी अगले महीने होने वाली है। फिर मधु, सुरो और चिन्ती उन दोनों की शादी के बारे में बातें करने लगती हैं। |
|
| 7. |
मधु के मामा ने बसन्त द्वारा उनका रेजर इस्तेमाल करने के पश्चात् क्या किया? |
|
Answer» बसन्त ने मधु के मामा का रेजर इस्तेमाल किया और अपनी हजामत बनाई । मधु के मामा ने ब्लेड को फेंक दिया तथा रेजर को स्टरलाइज अर्थात् कीटाणु मुक्त कराया। |
|
| 8. |
मधु की सहेली का नाम है(क) मंगला(ख) उषी(ग) सूरो(घ) निम्मो |
|
Answer» मधु की सहेली का नाम है सूरो |
|
| 9. |
मधु का पूरा नाम है (क) मधुरिमा(ख) मधुमालती(ग) मधुरमा(घ) मधुमती |
|
Answer» (ख) मधुमालती |
|
| 10. |
तौलिये महत्त्वपूर्ण गद्यांशों की सन्दर्भ सहित व्याख्याएँ। बसन्त–मैं तुम्हें किस प्रकार विश्वास दिलाऊँ कि मैं स्वयं सफाई का बड़ा भारी समर्थक हूँ।मधु–(हँसती है) इसमें क्या सन्देह है?बसन्त–और मुझे स्वयं गन्दगी पसन्द नहीं है। मधु–(सिर्फ हँसती है।)बसन्त–पर मैं तुम्हारी तरह ‘अरिस्टोक्रेटिक’ (Aristocratic) वातावरण में नहीं पला और मुझे नजाकतें नहीं आतीं। हमारे घर में सिर्फ एक तौलिया होता था और हम छ: भाई उसे काम में लाते थे।मधु–आप मुझे अरेस्टोक्रेट कहकर मेरा उपहास करते हैं। मैं कब कहती हूँ, दस–दस तौलिये हों।बसन्त–दस और किस तरह होते हैं? नहाने का अलग। हजामत बनाने का अलग। हाथ–मुँह पोंछने का अलग। और फिर तुम्हारे और मदन के।मधु–(पहलू बदलकर) लेकिन मैं पूछती हूँ, इसमें दोष क्या है? जब हम खरीद सकते हैं तो क्यों न दस–दस तौलिये रखें। कल परमात्मा न करे हम इस योग्य न रहें, तो मैं आपको दिखा दूं, कि किस तरह गरीबी में भी सफाई रखी जा सकती है–तौलिये न सही, खादी के अँौंछे सही–कुछ भी रखा जा सकता है। लेकिन जिस तौलिए से किसी दूसरे ने बदन पोंछा हो, उससे किस प्रकार कोई अपना शरीर पोंछ सकता है? |
|
Answer» कठिन शब्दार्थ–अरिस्टोक्रेटिक = कुलीन, रईस। नजाकत = सुकुमारता। उपहास = हँसी, मजाक। बदन = शरीर।। सन्दर्भ एवं प्रसंग–प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य–पुस्तक ‘सृजन’ में संकलित ‘तौलिये’ शीर्षक एकांकी से लिया गया है। इसके रचयिता उपेन्द्रनाथ अश्क हैं।। व्याख्या–बसन्त मधु से कहता है कि वह सफाई को पसन्द करता है, इस बात का विश्वास उसको वह किस तरह दिलाए। मधु हँसकर कहती है कि उसकी बात में सन्देह नहीं है। बसन्त पुनः कहता है कि उसको गन्दगी नहीं है। मधु केवल हँसती है, कहती कुछ नहीं। बसन्त पुन: कहता है कि उसका पालन–पोषण रईसी के वातावरण में नहीं हुआ है। जैसा कि मधु का हुआ है। उसको अपने को कोमल दिखाना भी नहीं आता। उसके छः भाई थे। उनके घर में एक ही तौलिया होता था। सभी उसी एक तौलिये को काम में लाते थे। मधु ने उससे कहा कि वह उसको रईस कहकर उसकी हँसी उड़ा रहा है। वह नहीं कह रही कि घर में दस तौलिये हों। बसन्त ने प्रतिवाद किया। नहाने, हजामत बनाने, हाथ–मुँह पोंछने के लिए अलग–अलग तौलिये होंगे। एक तौलिया मधु का और एक मदन का होगा। इस तरह दस तौलिये तो होंगे ही। मधु तुरन्त अपनी कही हुई बात से पलट जाती है और कहती है कि यदि वे खरीद सकते हैं तो दस तौलिये रखने में भी कोई दोष नहीं है। ईश्वर न करे, यदि कल वे लोग गरीब हो जाएँ, तब भी वह दिखा देगी कि गरीबी में भी सफाई रखी जा सकती है और तौलिये खरीदना सम्भव न हो तो खादी के अंगोछे से भी काम चलाया जा सकता है। किन्तु जिस तौलिये से कोई आदमी पहले अपना शरीर पोंछ चुका है उससे कोई भी अपना शरीर नहीं पोंछ सकता। विशेष– |
|
| 11. |
सभ्यता और संस्कृति का मानव की मूल भावनाओं पर पड़ा पर्दा कहने का क्या कारण है? सी.ई.एम. जोड़ का इस बारे में क्या मत है? |
|
Answer» सभ्यता और संस्कृति बाद में विकसित होती है। पहले मनुष्य प्राकृतिक नियमों के अनुसार ही जीता है। सभ्यता और संस्कृति उसके स्वाभाविक विचारों और कार्यों को रोककर एक नया रास्ता उसको बताती है। इस तरह सभ्यता और संस्कृति प्रकृतिदत्त स्वाभाविक जीवन के विपरीत चलने का नाम है। इसी कारण मधु ने उनको मानव की मूल भावनाओं पर पर्दा कहा है। सी.ई.एम. जोड़ एक प्रसिद्ध विचारक हैं। उनके मत में दो लोगों के अलग-अलग तरह से सोचने और काम करने तथा पहले की अपेक्षा नये तरीके से सोचने से सभ्यता जन्म लेती है। इसका मतलब है कि सभ्यता सतत् परिवर्तनशील रहती है। |
|
| 12. |
मधु को हँसी-मजाक से घृणा नहीं, घृणा है (क) गन्दगी से(ख) अशिष्टता से(ग) गन्दे मनुष्यों से(घ) बसन्त से |
|
Answer» (ख) अशिष्टता से |
|
| 13. |
बचपन के संस्कारों से मुक्ति पाना मधु के लिए क्यों मुश्किल है? क्या आपके लिए भी ऐसा करना मुश्किल है? |
|
Answer» मधु में स्वच्छता के प्रति जो सनकीपन तक का भाव है, वह उसके जन्मजात संस्कारों के कारण है। मनुष्य जिन परिस्थितियों में जन्म लेता और बढ़ता है वह सदा के लिए उसके व्यक्तित्व का अंग बन जाती हैं। उनसे मुक्त होना मधु के लिए भी इसी कारण मुश्किल है। मैं भी अपने संस्कारों से बँधा हुआ हूँ। मैं उनसे मुक्त होने का प्रयास तो कर सकता हूँ पर सफल होने का दावा नहीं कर सकता। |
|
| 14. |
“मैं अपने रेजर से किसी दूसरे को हजामत नहीं बनाने देता, इसीलिए मैंने मेहमानों के लिए दूसरा रेजर रख छोड़ा है।’ मधु के मामाजी के इस कथन को सुनकर बसन्त के मन में कौन-सा भाव उत्पन्न हुआ?(क) क्रोध(ख) भ्रम(ग) प्रेम(घ) सम्वेदना |
|
Answer» मधु के मामाजी के इस कथन को सुनकर बसन्त के मन में क्रोध भाव उत्पन्न हुआ। |
|
| 15. |
‘तौलिये’ एकांकी की कथावस्तु का संक्षिप्त परिचय दीजिए। |
|
Answer» ‘तौलिये’ एकांकी में सफाई के प्रति मधु के प्रदर्शनपूर्ण तथा बसन्त के यथार्थ दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया गया है। बसन्त कोई भी तौलिया प्रयोग कर लेता है और मधु उसको रोकती-टोकती है। इससे दोनों में विवाद होता है। इसी विवाद से एकांकी प्रारम्भ होता है तथा इसी से उसका अन्त होता है। एकांकी की कथावस्तु सफाई की सनक से सम्बन्धित है। |
|
| 16. |
‘तौलिये’ एकांकी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?अथवा‘तौलिये’ एकांकी में एकांकीकार ने क्या संदेश दिया है? |
|
Answer» तौलिये’ एकांकी में एकांकीकार ने संदेश दिया है कि सफाई रखना अच्छा तथा आवश्यक गुण है। मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छता का बराबर ध्यान रखना चाहिए। किन्तु स्वच्छता के प्रति अतिरंजित विचार होना ठीक नहीं है। सफाई रखने की भावना सनक नहीं बननी चाहिए तथा उससे परिवार का वातावरण अशान्त नहीं कर देना चाहिए। इसे एकांकी से हमें यही शिक्षा मिलती है कि सफाई रखें किन्तु उसके पीछे पागलपन तक जाकर घर की सुख-शान्ति नष्ट न करें। |
|
| 17. |
बसन्त के बनारस जाने के बाद मधु अपने आप में परिवर्तन लाने का प्रयास करती है। परन्तु बसन्त के लौट आने के बाद उसका व्यवहार पहले जैसा ही हो जाता है। इसको आपकी दृष्टि में क्या कारण हो सकता है? |
|
Answer» बसन्त बनारस में गया है। मधु सोचती है, वह उससे नाराज होकर गया है। उसने दो महीने से उसको पत्र भी ढंग से नहीं लिखा । वह अपनी सफाई की अतिवादी आदत को बदलने का प्रयास करती है। इसी कारण दोनों का विवाद होता है। बसन्त बनारस से आता है तो सब भूलकर तौलिया के प्रयोग पर उसका पहले जैसी टोका-टोकी शुरू हो जाती है। इसका कारण मधु की पारिवारिक पृष्ठभूमि है। मधु की आदतें और विचारे उसी के अनुरूप बने हैं। वह कोशिश करने पर भी स्वयं को बदल नहीं पाती। |
|
| 18. |
तौलिये’ एकांकी के प्रधान स्त्री पात्र का चरित्र-चित्रण कीजिए। |
|
Answer» ‘तौलिये’ उपेन्द्रनाथ अश्क द्वारा रचित एकांकी है। इसकी नायिका तथा प्रधान नारी पात्र मधु है। मधु के जीवन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं -सम्पन्न एवं कुलीन पृष्ठभूमि-एक सम्पन्न परिवार में जन्मी है। वह समाज में स्वयं को कुलीन कहता है। मधु के संस्कार उससे प्रभावित हैं। इनका प्रभाव उस पर बहुत गहरा है। वह चाहकर भी उनसे मुक्त नहीं हो पाती तथा अस्वाभाविक निषेधपूर्ण जीवन जीकर अपना तथा परिवार का सुख नष्ट कर देती है। सफाई की सनक – मधु को अपने संस्कारों के कारण सफाई पसन्द है। सफाई के प्रति उसकी पसन्द सनकीपन तक विस्तृत है। एक ही मनुष्य अलग-अलग कामों के लिए अलग-अलग तौलिए प्रयोग करे। वह परिवार के किसी अन्य सदस्य का तौलिया भी इस्तेमाल न करे, आदि उसके विचार सफाई के प्रति उसके सनकीपन को व्यक्त करने वाले हैं। पति से प्रेम-मधु के अपने पति बसन्त से प्रेम है। उसने उसके साथ प्रेम विवाह किया है। विचारों में अन्तर होने पर भी उसका प्रेम बसन्त के प्रति कम नहीं हुआ है। जब बसन्त बनारस चला जाता है तो मधु उसको नाराज जानकर अपने व्यवहार को बदल लेती है। वह बसन्त के अनुकूल रहकर उसे सुख देना चाहती है। वह अपनी नौकरानी मंगला से कहती है-बचपन से मैंने जो संस्कार पाये हैं उनसे मुक्ति पाना मेरे लिए उतना आसान नहीं । पर नहीं, मैं इस सब वहमों को छोड़ देंगी। पुरानी आदतों से छुटकारा पा लूंगी। कमजोर आत्मनियन्त्रण – एक बार अपने पति की प्रसन्नता के लिए मधु सफाई के प्रति अपनी सनक से मुक्त होने का प्रयास करती है। वह अपनी पुरानी आदतों से छुटकारा पाना चाहती है। परन्तु जब बसन्त हाथ-मुँह धोकर सुरो और चिन्ती द्वारा प्रयोग किए गए तौलिये से हाथ-मुँह पोंछता है तो मधु सब कुछ भूलकर पहले जैसी ही बन जाती है। वह चीखकर कहती है-मैं पूछती हूँ आप सूखे और गीले तौलिए में तमीज नहीं कर सकते। अभी तो सुरो और चिन्ती चाय पीकर इस तौलिए से हाथ पोंछकर गई हैं। यह सुनकर बसन्त घबरा जाता है। मधु बदलने का प्रयास करके भी कमजोर आत्मनियन्त्रण के कारण स्वयं को बदल नहीं पाती। |
|
| 19. |
तौलिए एकांकी में किसका वर्णन है?(क) शिष्टाचार(ख) सफाई(ग) सभ्यता(घ) सफाई की सनक |
|
Answer» (घ) सफाई की सनक |
|
| 20. |
तौलिए एकांकी शीर्षक की उपयुक्तता पर टिप्पणी लिखिए। |
|
Answer» तौलिए’ एकांकी में तौलिया और इसका प्रयोग कैसे करें या न करें ही कथानक के केन्द्र में है। एकांकी के आरम्भ और अन्त में बसन्त कोई भी तौलिया उठाकर उसका प्रयोग करता दिखाई देता है और मधु उसको ऐसा करने से रोकती है। वह इसको सफाई के विचार से ठीक नहीं मानती। दोनों में इसी पर बराबर विवाद होता है। इस एकांकी में तौलिया महत्त्वपूर्ण है। वह कथन के विकास तथा पात्रों के चरित्रांकन में सहायक है। अत: तौलिया शीर्षक सर्वथा उपयुक्त है। |
|
| 21. |
तौलिए के प्रयोग के बारे में मधु तथा बसन्त के दृष्टिकोण में क्या भेद है? |
|
Answer» मधु का विचार है कि घर में प्रत्येक सदस्य का तौलिया अलग होना चाहिए। एक आदमी को भी अलग-अलग कार्यों के लिए अलग-अलग तौलिए प्रयोग करने चाहिए। सफाई और स्वास्थ्य के विचार से यह आवश्यक है। बसन्त ऐसा नहीं सोचता। उसके छः भाई थे। सभी एक ही तौलिया से अपना शरीर पोंछ लेते थे। वे कभी बीमार नहीं हुए। वह कोई भी तौलिया उठा लेता है। मधु इससे नाराज होती है तथा दोनों में विवाद होने लगता है। |
|
| 22. |
‘तौलिये’ एकांकी का आरम्भ और अन्त बसन्त कैसे होता है? |
|
Answer» 'तौलिये’ एकांकी का आरम्भ और अन्त बसन्त को तौलिए के बारे में मधु के रोकने-टोकने से होता है। |
|
| 23. |
'तौलिये’ एकांकी के पात्र बसन्त का चरित्र-चित्रण कीजिए। |
|
Answer» ‘तौलिये’ एकांकी का नायक तथा प्रधान पात्र है-बसन्त । उसकी प्रमुख चरित्रगत विशेषताएँ निम्नलिखित हैं – मध्यम वर्गीय परिवार से बसन्त मध्यम वर्ग से जुड़ा व्यक्ति है। उसने अपने जीवन में विपन्नता देखी है। वह छ: भाई थे और एक ही तौलिये से अपना शरीर पोंछते थे। उसको कठोर परिश्रम करना पड़ता था। वह इतना व्यस्त रहता था कि उसको कई-कई दिनों तक बनियान बदलने और धोने का भी अवसर नहीं मिलता था। यथार्थवादी – बसन्त यथार्थवादी है। वह जीवन की सच्चाई से भागता नहीं, उसका कहना है-यदि हमें जीवन का सामना करना है तो रोज गन्दगी से दो-चार होना पड़ेगा फिर इससे घृणा कैसी? वह गन्दगी से घृणा नहीं करता बल्कि इसको दूर करने और जीवन को स्वच्छ बनाने में विश्वास करता है। स्वच्छता की सनक से दूर – बसन्त स्वच्छता को पसन्द करता है। वह उसकी सनक से चिढ़ता है। उसने तौलियों तथा बनियानों के बारे में मधु के विचारों को स्वीकार कर भी लिया है। परन्तु यदि वह भूल से कोई दूसरी तौलिया उठा लेता है तो इस पर मधु का अपने प्रति व्यवहार उसको क्रोधित कर देता है। वह सफाई के प्रति ऐसी सनक को नापसन्द करता है। सच्चा पति और प्रेमी – बसन्त मधु का पति है। वह उससे सच्चा प्रेम करता है। वह उसके तकल्लुफ भरे जीवन से उसे बाहर निकालना चाहता है। वह इस कारण उसको गिरती सेहत के प्रति चिन्तित है और उसको समझाता है-अब तुम जीवन का रहस्य समझ पाई हो। जीवन का भेद बाह्य तड़क-भड़क में नहीं अन्तर की दृढ़ता में है। हँसमुख और शिष्ट – बसन्त हँसमुख है। वह प्रसन्न रहता है। शिष्टाचार के नाम पर अनावश्यक निषेध उसको पसन्द नहीं है। वह नैसर्गिक तथा स्वाभाविक जीवन जीने में विश्वास करता है। |
|
| 24. |
‘तौलिये’ एकांकी की रचना का उद्देश्य क्या है? |
|
Answer» उपेन्द्रनाथ अश्क का एकांकी “तौलिये” एक उद्देश्यपूर्ण रचना है। एकांकीकार ने इसमें जीवन में सफाई और स्वच्छता का महत्त्व बताने के साथ ही उसके वास्तविक स्वरूप पर भी प्रकाश डाला गया है। मधु सफाई को अत्यन्त महत्त्वपूर्ण मानती है। उसका मानना है कि सफाई पर ध्यान न देने वाला मनुष्य पशु से भी गया-बीता है। सफाई के प्रति उसके विचार अतिरंजित हैं। इस मामले में वह कुछ सनकी है। वह चाहती है कि परिवार में कोई व्यक्ति किसी अन्य का तौलिया प्रयोग नहीं करे। प्रत्येक काम जैसे हजामत, हाथ पोंछने, बदन पोंछने आदि के लिए भी एक ही आदमी अलग-अलग तौलिए प्रयोग करे। उसका पति बसन्त इस सम्बन्ध में उससे सहमत नहीं है। अलग-अलग तौलियों का प्रयोग, रजाई में पैर धोकर बैठना, चाय, पानी आदि पीने के लिए भी डाइनिंग टेबल परे भागना, मित्रों को अलग-अलग कुर्सियों पर बैठाकर बातें करना आदि बसन्त को ठीक नहीं लगता। वह कोई भी तौलिया प्रयोग कर लेता और मधु की झिड़कियाँ सुनता है। शादी से पहले वह अपने मित्रों के साथ रजाई में बैठकर गप्पें लड़ाता तथा चाय पीता था। उसको ऐसा करना स्वाभाविक और सुखद लगता है। वह मधु से कहता है कि सफाई अच्छी बात है किन्तु वह उसको सनक तक पहुँचा देती है इससे उसे चिढ़ है। ‘तौलिये’ एकांकी की रचना यही बताने के लिए की गई है कि सफाई अच्छी आदत है, उसकी सनक ठीक नहीं है। जीवन में स्वाभाविक आचरण ही आनन्ददायक होता है। सफाई पर आवश्यकता और औचित्य से ज्यादा जोर देने से पारिवारिक वातावरण तनावपूर्ण हो जाता है तथा वह अशान्त हो उठाता है। अशान्ति से परिवार तथा समाज को हानि पहुँचती है। अत: सफाई के नाम पर सनकी होना ठीक नहीं है। |
|
| 25. |
‘ओह!’ यह कमबख्त तौलिए! मुझे ध्यान ही नहीं रहता’ किसको क्या ध्यान नहीं रहता? |
|
Answer» बसन्त को सही तौलिया प्रयोग करने का ध्यान नहीं रहता। |
|
| 26. |
“इसी तरह विष घोल-घोल कर तुमने स्वास्थ्य का सत्यानाश कर लिया है। यह बात किसने, किससे तथा किस कारण कही है? |
|
Answer» यह बात बसन्त ने मधु से कही है। मधु छोटी-सी बात पर असंयमित हो जाती है। अपनी बात न माने जाने पर वह उत्तेजित हो जाती है। उसको क्रोध आ जाता है। वह दूसरों की उपेक्षा करती है। इस उत्तेजना तथा असंयम के भाव को विष कहा गया है। इस प्रकार के भावों तथा विचारों के कारण उसका स्वास्थ्य खराब हो गया है। |
|
| 27. |
मधु स्वप्न में भी क्या नहीं सोचती जिसकी कल्पना बसन्त कर लेता है? तौलिये एकांकी के अनुसार उत्तर लिखिए। |
|
Answer» जब बसन्त मधु को बताता है कि वह उससे घृणा करती है, वह उसकी हर बात से घृणा करती है। तब मधु कहती है वह बसन्त से घृणा की बात सपने में भी नहीं सोचती। उसके मन में बसन्त के प्रति घृणा कतई नहीं है। घृणा को बसन्त अपनी कल्पना की आँखों से देखता है। उसमें कोई वास्तविकता नहीं है। मधु द्वारा बसन्त से घृणा किया जाना बसन्त की कल्पना है और वह सत्य नहीं है। |
|
| 28. |
तकल्लुफ और शिष्टाचार में क्या अन्तर है? शिष्टाचार दुःखदायी कब हो जाता है? |
|
Answer» तकल्लुफ का आशय है–अस्वाभाविक व्यवहार। जब हम स्वयं को सभ्य औ सुसंस्कृत दिखाने के लिए कुछ ऐसे काम करते हैं जिनके कारण हम दूसरों से भिन्न तथा असामान्य प्रतीत होते हैं तो उस व्यवहार को तकल्लुफ कहा जाता है। कहते हैं दो नवाब एक गाड़ी में चढ़ना चाहते थे। वे तकल्लुफ में पहले आप पहले आप कहते रह गए और गाड़ी चली गई। वे दोनों प्लेटफॉर्म पर खड़े एक दूसरे का मुँह देख रहे थे और उनको देखकर लोग उनकी हँसी उड़ा रहे थे। शिष्टाचार शिष्ट आचरण को कहते हैं। जब हमारा व्यवहार शिष्टतापूर्ण होता है तो उसको शिष्टाचार कहते हैं। विनम्रता, स्नेह, प्रेम, आदर आदि गुण शिष्टाचार के अंग होते हैं। बड़ों के प्रति प्रेम और विनम्रता तथा छोटों के प्रति स्नेह और सदाचार में शिष्टचार के दर्शन होते हैं। किसी के प्रति तकल्लुफ दिखाने का अर्थ है कि हम उसके प्रति हार्दिक सौहार्द नहीं कर रहे। केवल स्नेह का दिखावटी प्रदर्शन कर रहे हैं। हमको ऐसा नहीं करना चाहिए। यदि हम किसी व्यक्ति के साथ बनावटी व्यवहार करते हैं तो हम उसको शिष्टाचार कह भले ही दें, वह शिष्टाचार नहीं होता है। ऐसा शिष्टाचार दु:खदायी हो जाता है। इसका स्वरूप निषेधात्मक होता है तथा उसमें यह न करो, वह न करो, आदि नकारात्मक आदेशों का प्रधान्य होता है। उसको कोई पसन्द नहीं करता। |
|
| 29. |
मधु व बसन्त में किस बात पर वैचारिक मतभेद हैं। विस्तार से लिखिए। |
|
Answer» मधु तथा बसन्त पति-पत्नी हैं। मधु ने बसन्त के साथ प्रेम-विवाह किया है। मधु बसन्त को तथा बसन्त मधु को खूब चाहते हैं किन्तु दोनों के बीच विवाद होता रहता है। मधु स्वयं को बदलने का निश्चय भी करती है किन्तु ऐसा कर नहीं पाती। मधु एक ऐसे वातावरण से आई है, जहाँ सफाई पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। इस कारण मधु के संस्कार ऐसे हैं कि वह साफ-सुथरे रहने पर जोर देती है। उससे उनके सम्बन्ध प्रभावित होने लगते हैं। बसन्त की आदत है कि वह कोई भी तौलिया ले लेता है। मधु ने घर में अपने, मदन तथा बसन्त के लिए अलग-अलग तौलिये ले रखे हैं। इतना ही नहीं हाथ पोंछने, हजामत बनाने आदि अलग-अलग कामों के तौलिए भी अलग-अगल हैं। वह चाहती है कि बसन्त अपना तौलिया तथा किसी काम के लिए निश्चित तौलिया ही प्रयोग करे। इसके विपरीत बसन्त जो हाथ में आ जाता है उसी तौलिये को लेकर इस्तेमाल कर लेता है। मधु चाहती हैं कि बसन्त सुबह-शाम बनियान बदले। वह पैर धोकर रजाई में घुसे। बिस्तर पर कुछ खाये पिये नहीं। बसन्त बताता है कि वह छ: भाई थे और एक ही तौलिया प्रयोग करते थे। कभी किसी को कोई बीमारी नहीं हुई। वह अपने दोस्तों के साथ बिस्तर पर पैरों पर लिहाफ डालकर बातें करते और चाय पीते थे। उसका आनन्द ही और था। पैर धोकरे रजाई में जाने पर तो रजाई का आनन्द ही नहीं रहता ।। कुछ बातें बसन्त ने अपना ली थीं। किन्तु तौलिये का प्रयोग करने में वह बार-बार चूक जाता है और इसी कारण मधु से विवाद होता है। बसन्त को भी सफाई प्रिय है किन्त सफाई को सनक बना लेना इससे चिढ़ है। उसे लगता है कि मधु उससे घृणा करती है। मधु भी स्वयं को बदलने की कोशिश करती है परन्तु आदत को छोड़ नहीं पाती। |
|
| 30. |
उपेन्द्रनाथ अश्क का जीवन परिचय देते हुए उनकी साहित्यिक सेवाओं पर प्रकाश डालिए। |
|
Answer» जीवन परिचय–एकांकीकार उपेन्द्रनाथ अश्क का जन्म पंजाब के जालंधर नगर में 14 दिसम्बर सन् 1910 को एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। अपने जालंधर के डी.ए.वी. कॉलेज से बी.ए. और एल.एल.बी. की परीक्षाएँ उत्तीर्ण की, सन् 1965 में आपको संगीत नाटक अकादमी पुस्कार प्राप्त हुआ। आप 19 जनवरी, 1996 में दिवंगत हो गए। साहित्यिक परिचय–अश्क जी ने अध्यापक, पत्रकार तथा लेखक के रूप में कार्य किया। आपने एकांकी, नाटक, उपन्यास, कहानी, निबन्ध, संस्मरण, समालोचना इत्यादि गद्य विधाओं पर अपनी लेखनी चलाई। आप फिल्में तथा रेडियो क्षेत्रों में भी कार्यरत रहे। अश्क जी के नाटक तथा एकांकी सामाजिक और मनोवैज्ञानिक पृष्ठभूमि पर आधारित हैं। आपके पात्रों के चरित्र–चित्रण में गहराई हैं। रंगमंच की दृष्टि से आप सफल एकांकियों के रचयिता हैं। आपके संवाद प्रभावशाली तथा चुस्त होते हैं। आपकी भाषा सरल, सहज तथा प्रवाहपूर्ण है। तत्सम शब्दावली के साथ उर्दू शब्द भी उसमें प्रयुक्त हुए हैं। शैली नाटकीय है, उसमें यत्र–तत्र व्यंग्यात्मक तथा आंचलिकता है। रचनाएँ–अश्कजी की प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैंनाटक–जय–पराजय, लौटता हुआ दिन, अलग–अलग रास्ते, स्वर्ग की झलक, भँवर, बड़े खिलाड़ी आदि। एकांकी संग्रह–देवताओं की छाया में, चरवाहे, मुखड़ा बदल गया, तूफान से पहले, साहब को जुकाम है, अंधी गली, आदि। उपन्यास–गिरती दीवारें, शहार में धूम का आईना, गर्म राख, सितारों के खेल आदि। कहानी संग्रह–जुदाई की शाम के गीत, काले साहब, पिंजरा, सत्तर श्रेष्ठ कहानियाँ आदि। संस्मरण–मंटो मेरा दुश्मन, फिल्मी जीवन की झलकियाँ। . समालोचना–अन्वेषण की सहयात्रा तथा हिन्दी कहानी एक अंतरंग परिचय। काव्य–एक दिन आकाश ने कहा, प्रातः प्रदीप, दीपक जलेगा, बरगद की पेटी ऊर्मियाँ। |
|
| 31. |
‘स्वच्छता बुरी नहीं, पर तुम तो हर चीज को सनक की हद तक पहुँचा देती हो, और सनक से मुझे चिढ़ है।’ यह किसने, किससे कहा-(क) मधु ने मंगला से(ख) मधु ने बसन्त से(ग) बसन्त ने मधु से(घ) मधु ने सुरा से |
|
Answer» (ग) बसन्त ने मधु से |
|
| 32. |
आपको किस प्रकार का जीवन पसन्द है? मधु की कल्पना को या बसन्त के विचारों का? तर्क सहित उत्तर दीजिए। |
|
Answer» मुझको किस प्रकार का जीवन पसन्द है। मधु की कल्पना का अथवा बसन्त के विचारों का ? इस प्रश्न का उत्तर देने से पूर्व मैं मधु तथा वसन्त के जीवन सम्बन्धी विचारों पर दृष्टिपात करना पसन्द करूंगा। मधु सुसंस्कृत तथा सभ्य जीवन को मनुष्य होने का लक्षण मानती है। कोई भी व्यक्ति स्वयं को असभ्य अथवा असंस्कृत कहलाना पसन्द नहीं करेगा। किन्तु संस्कृति और सभ्यता का मधु अपना अलग ही रूप है। इस रूप में यह न करो, ऐसा मत कहो आदि नकारपूर्ण आदेश हैं। उसमें कठोर नियन्त्रण और बन्धन है। इनको मानने से जीवन का आनन्द नष्ट हो जाता है तथा वह सुखद नहीं रह जाता। तौलिये को लेकर उसने अपने प्रेमी तथा पति बसन्त की नाकों में दम कर रखा है तथा परिवार में अशान्त और कलह का वातावरण पैदा कर दिया है। बसन्त उदार, स्वच्छन्द तथा बाह्य नियन्त्रण मुक्त जीवन का पक्षपाती है। उसे जीवन की स्वाभाविकता अच्छी लगती है। नैसर्गिक जीवन में रस और आनन्द है। वह किसी भी तौलिये से अपना बदन पोंछ सकता है। मित्रों के साथ बिना पैर धोए रजाई में बैठकर चाय पी सकता है तथा गप्पें लड़ा सकता है। उसे इसमें कुछ भी अनुचित नहीं लगता। किन्तु मधु ऐसा करने के बारे में सोच भी नहीं सकती। उपर्युक्त बातों से स्पष्ट है कि बसन्त के विचार जीवन को स्वाभाविकता के साथ स्वीकार करने के पक्ष में हैं और मधु के विचार उसको दिखावटी के बंधन में बाँधने का समर्थन करते हैं। मैं जीवन की स्वाभाविकता को स्वीकार करूंगा और बसन्त के पक्ष में समर्थन करूंगा। |
|
| 33. |
बसन्त को स्वच्छता पसन्द है परन्तु स्वच्छता की सनक ये उसे चिढ़ है। यह बात आप कैसे कह सकते हैं? |
|
Answer» बसन्त को स्वच्छता पसन्द है। उसने तौलिया तथा बनियान बदलने के बारे में मधु के विचारों को मान लिया है। वह दिन में दो बार बनियाने बदलता है। किन्तु यदि भूल से वह किसो अन्य व्यक्ति की तौलिया का प्रयोग करने लगता है तो उसको इसके लिए बुरा भला कहना या उससे नाराज होना उसको अनुचित लगता है। वह इसको स्वच्छता नहीं, सनक मानता है। उसे सनक से चिढ़ है। किन्तु स्वच्छता उसे प्रिय है। |
|
| 34. |
तौलिये महत्त्वपूर्ण गद्यांशों की सन्दर्भ सहित व्याख्याएँ।मधु–मैं कहती हूँ आप उनके स्वभाव से परिचित नहीं, आपको बुरा लगा। स्वच्छता की भावना भी काव्य और कला ही की भाँति……।बसन्त–(आवेग में उसके पास आकर) क्यों काव्य और कला को अपनी इस घृणा में घसीटती हो। तुम्हारे ऐसे वातावरण में पले हुए सब लोगों की नफासत में नफरत की भावना काम करती है–शरीर से, गन्दगी से, जीवन से नफरत की। |
|
Answer» कठिन शब्दार्थ–काव्य = कविता, आवेश = उत्तेजना। नफरत = घृणा। सन्दर्भ एवं प्रसंग–प्रस्तुत गद्यात्मक संवाद हमारी पुस्तक ‘सृजन’ में संकलित ‘तौलिये’ शीर्षक एकांकी से लिए गए हैं। इनके रचयिता उपेन्द्रनाथ अश्क हैं। सफाई के बारे में मधु और बसन्त के तर्क–वितर्क चल रहे हैं। मधु को एक ही तौलिये के प्रयोग से गन्दगी फैलने का भय सताता है। वह कहती है कि सफाई एक अच्छी आदत है। व्याख्या–मधु के मामा को सफाई की सनक बसन्त को मनुष्य के लिए अपमानजनक लगती है। मधु बसन्त को बताती है कि सफाई उसके मामा का स्वभाव में है। बसन्त उनके स्वभाव के बारे में नहीं जानता। इसलिए बसन्त द्वारा प्रयुक्त अपने उस्तरे को रोगाणुमुक्त कराना उसको बुरा लगा। सफाई की भावना तो कला और कविता के समान श्रेष्ठ है। इस कथन पर उत्तेजित होकर बसन्त मधु के पास जाकर उसको रोकता है वह कहता है कि उसके मन में जो घृणा की भावना है उसमें काव्य और कला जैसी ऊँची चीजों को शामिल करना ठीक नहीं है। रईसी और उच्चता के वातावरण में वह पली है, वैसे ही वातावरण में पलने वाले लोगों के मन में अपने को ऊँचा समझने की भावना होती है। इसमें दूसरों को नीचा समझकर उनसे घृणा करने की भावना छिपी होती है। वे शरीर से, गन्दगी से, जीवन से सबसे घृणा करते हैं। विशेष– |
|
| 35. |
मधु को किस काम की निपुणता प्राप्त नहीं है? |
|
Answer» मधु को अपने मन के भावों को छिपा लेने की निपुणता प्राप्त नहीं है। उसके मन में उठने वाले उपेक्षा, क्रोध आदि भाव उसके चेहरे पर झलक उठते हैं। उसके मन की सभी भावनाएँ उसकी आकृति पर प्रगट हो जाती हैं। उसका चेहरा देखकर जाना जा सकता है कि वह क्या सोच रही है। |
|
| 36. |
‘नफासत में नफरत की भावना काम करती है।’ वाक्य में किस मनोवैज्ञानिक सत्य का उल्लेख हुआ है। |
|
Answer» समाज के कुलीन अथवा स्वयं को श्रेष्ठ समझने वाले लोग छोटे गरीबों से घृणा करते हैं। अमीरों का इसी भावना का उल्लेख है। |
|
| 37. |
अब तो ऐनक नहीं। ऐनक हो तो कौन-सा आपको कुछ दिखाई देता है। इस संवाद में मधु को कौन-सा मनोभाव प्रकट हुआ है? |
|
Answer» इस संवाद में मधु का बसन्त के प्रति व्यंग्य का भाव प्रकट हुआ है। |
|