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बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की,‘बरस बाद सुधि लीन्हीं’ –बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की,हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।मेघ आए बड़े बन-उन के सँवर के।भावार्थ : कवि कहते हैं कि जिस प्रकार मेहमान के आने पर घर के बड़े उनका स्वागत करते हैं, उसी तरह बादल रूपी मेहमान के आने पर बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर उनका स्वागत किया। साल भर के इंतजार के बाद बादलरूपी पति को देखकर लता रूपी पत्नी व्याकुल हो उठी। दरवाजे के पीछे छिपकर बोली कि तुम्हें पूरे एक वर्ष बाद मेरी याद आई है। तालाब मेघ के आने की खुशी में उमड़ आया है और परात में पानी भर लाया, जिससे मेहमान के पैर धो सके। इस तरह, मेघ बन-ठनकर, सज-धजकर आए हैं।1. मेघ के आने पर बूढ़े पीपल ने क्या किया ?2. व्याकुल लता ने मेघ से क्या शिकायत की और क्यों ?3. तालाब ने अपनी खुशी कैसे व्यक्त की ?4. लता ने भारतीय मर्यादा का पालन किस तरह किया ?5. ‘पानी परात भर के’ में कौन-सा अलंकार है ?

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1. मेघ के आने पर बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर बड़े-बुजुर्गों की तरह स्वागत किया।

2. व्याकुल लता मेघ रूपी पति की जीवन संगिनी है। जो एक वर्ष से पति वियोग की पीड़ा सह रही थी। इसीलिए उसने मेघ से उलाहना देते हुए कहा कि तुम्हें पूरे एक वर्ष बाद मेरी याद आई है।

3. कवि ने तालाब को बड़े-बूढ़ों के रूप में और मेघ को मेहमान के रूप में चित्रित किया है। जब मेघ रूपी मेहमान घर आता है तो तालाब रूपी बुजुर्ग प्रसन्न हो जाता है और मेहमान का पैर धुलवाने के लिए खुशी-खुशी परात में पानी भर लाता है।

4. लता (पत्नी) ने घर के बुजुर्गों की उपस्थिति में मेघ रूपी अपने पति से शिकायत तो की, परन्तु दरवाजे की आड़ में छिपकर। इस तरह, लता ने भारतीय मर्यादा का पालन किया।

5. ‘पानी परात भर के’ में ‘प’ वर्ण की आवृत्ति होने से अनुप्रास अलंकार है।



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