InterviewSolution
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पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, यूंघट सरके।मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।भावार्थ : कवि कहते हैं कि मेहमान के रूप में आए बादल को जिस प्रकार लोग झुककर प्रणाम करते हैं और फिर गर्दन उचकाकर देखते हैं उसी तरह बादल के आने पर पेड़ हया के कारण झुकते हैं और फिर डोलने लगते हैं।धीरे-धीरे हवा आँधी का रूप ले लेती है और धूल उड़ने लगती है। जिसे देखकर ऐसा लगता है कि जैसे कोई लड़की किसी अपरिचित को देखकर घघरा उठाए भागी जा रही है। बादलों का आना नदी के लिए भी खुशी की बात है, वह भी ठिठककर बादलों को यूँ देखने लगी जैसे कोई स्त्री तिरछी नजर से मेहमान को देखती है। ऐसा वह लज्जा के कारण अपना यूँघट उठाकर कर रही है।1. पेड़ गरदन उचकाते हुए क्यों झुकने लगे ?2. ‘धूल’ को किस रूप में चित्रित किया गया है ?3. आँधी और नदी पर बादलों के आने का क्या प्रभाव पड़ा ?4. बादलों के आने से प्रकृति में क्या परिवर्तन आए ?5. उपर्युक्त काव्य पंक्तियों में किसका-किसका मानवीकरण किया गया है ? |
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Answer» 1. पेड़, मेघरूपी मेहमान को प्रणाम करने के लिए तेज हवा की वजह से गरदन उचकाते हुए झुकने लगे। 2. धूल को गाँव की लड़की के रूप में चित्रित किया गया है, जो घधरा उठाए भागी जा रही है। 3. बादलों के आने से हवा धीरे-धीरे आँधी में बदल गई। आँधी धूल से भर गई। दूसरी तरफ नदी खुश हो गई। वह बादलों को ठिठककर देखने लगी।। 4. बादलों के आने से तेज हवा चलने लगी। हवा के कारण पेड़ झुकते हैं और फिर डोलने लगते हैं। ऐसा लगता है कि वे खुश होकर मेहमान रूपी बादल को प्रणाम करते हैं और फिर गर्दन उचकाकर देखते हैं। 5. काव्य पंक्तियों में पेड़, धूल, नदी और मेघ का मानयीकरण किया गया है। |
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