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हुंडी स्वीकर्ता के दिवालियापन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।

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हुंडी स्वीकर्ता का दिवाला (Insolvency of the Acceptor of the Bill) : हुंड़ी पकने की तारीख से पहले यदि हुंडी स्वीकार करनेवाले व्यक्ति को अदालत दिवालिया घोषित कर दे तब जिस तारीख से व्यक्ति को दिवालिया घोषित किया जाये उस तारीख से उसने स्वीकार की हुंड़ी अप्रतिष्ठित होती है ऐसा मानकर लेखक के द्वारा बही में जरूरी हिसाबी लेखा करता है । जब कोर्ट के द्वारा किसी व्यक्ति को दिवालिया घोषित किया जाये तब उसकी संपत्तियों और दायित्वों के वितरण और भुगतान के लिये अधिकारी की नियुक्ति की जाती है जिसे रिसीवर कहते हैं । रिसीवर दिवालिया हुए व्यक्ति की संपत्तियों का कब्जा अपने अधिकार में लेकर उन्हें बेचकर दिवालिया व्यक्ति के दायित्व का वैधानिक अधिकार के प्रमाण में भुगतान करता है । इस प्रकार संपत्तियों की उपज के आधार पर दायित्व का प्रमाणसर भुगतान किया जाता है । इस प्रकार के प्राप्त भुगतान को कानूनी भाषा में डिविडेंड कहते हैं । लेनदार को जो राशि प्राप्त नहीं होती वह राशि लेनदार की बही में डूबत ऋण खाते उधार होती है ।



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