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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.

1.

हिमालय पर्वत भारत के लिए किस प्रकार ‘जलवायु विभाजक’ का कार्य करता है ?

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हिमालय पर्वत की उच्च श्रृंखला उत्तरी पवनों के सामने एक दीवार की भान्ति खड़ी है। उत्तरी ध्रुव वृत्त के निकट उत्पन्न होने वाली ये ठण्डी और बर्फीली पवनें हिमालय को पार करके भारत में प्रवेश नहीं कर सकतीं। परिणामस्वरूप सम्पूर्ण उत्तर-भारत में उष्ण कटिबन्धीय जलवायु पाई जाती है। अतः स्पष्ट है कि हिमालय पर्वत की श्रृंखला भारत के लिए जलवायु विभाजक का कार्य करती है।

2.

दो अक्षांशों के बीच कितने कि.मी. का अंतर पाया जाता है ?(A) 100(B) 111(C) 210(D) 122

Answer»

सही विकल्प है (B) 111

3.

भारत में पीछे हटते हुए मानसून ऋतु की तीन विशेषताएं बताओ।

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भारत में पीछे हटते मानसून की ऋतु अक्तूबर तथा नवम्बर के महीने में रहती है।

इस ऋतु की तीन विशेषताएं अग्रलिखित हैं

  1. इस ऋतु में मानसून का निम्न वायुदाब का गर्त कमज़ोर पड़ जाता है और उसका स्थान उच्च वायुदाब ले लेता है।
  2. भारतीय भू-भागों पर मानसून का प्रभाव क्षेत्र सिकुड़ने लगता है।
  3. पृष्ठीय पवनों की दिशा उलटनी शुरू हो जाती है। आकाश स्वच्छ हो जाता है और तापमान फिर से बढ़ने लगता है।
4.

जलवायु की जानकारी देने के लिए कौन-कौन से यन्त्र प्रयोग किए जाते हैं ? संक्षेप में लिखें।

Answer»

किसी भी क्षेत्र की जलवायु की जानकारी के लिए बहुत से यन्त्रों का प्रयोग किया जाता है जिनका वर्णन इस प्रकार है:

  1. उच्चतम व न्यूनतम थर्मामीटर (Maximum and Minimum Thermometer)-तापमान का पता करने के लिए इस प्रकार के थर्मामीटर का प्रयोग किया जाता है। अगर किसी स्थान की जलवायु की जानकारी प्राप्त करनी है तो हमें वहां के तापमान की जानकारी का होना आवश्यक है। इस प्रकार का थर्मामीटर दो जुड़ी हुई नालियों के साथ बना होता है। एक नाली से रात्रि का न्यूनतम तापमान पता किया जाता है तथा दूसरी नाली से दिन का उच्चतम तापमान पता किया जाता है। तापमान को सैंटीमीटर ग्रेड अथवा फारेनहाइट की डिग्री में मापा जाता है।
  2. एनीराइड बैरोमीटर (Aniroid Barometer)-एनीराइड बैरोमीटर से वायु दबाव का पता किया जाता है। यह बैरोमीटर धातु की एक डिब्बी में से हवा निकाल कर उसे एक पतली सी चादर से बाँध दिया जाता है। डिब्बी में एक स्परिंग होता है। हवा के दबाव के कारण अंदर स्परिंग से लगी हुई सुई घूमती है। दबाव के अनुसार सुई अन्दर लिखे हुए आंकड़ों पर टिकेगी तथा इससे हमें वायु दबाव अथवा हवा के दबाव का पता चल जाएगा। हवा के दबाव को हमेशा मिली बार में बताया जाता है।
  3. सूखी व गीली गोली का थर्मामीटर (Dry and Wet Bulb Thermometer)-वायु में नमी को मापने के लिए इस प्रकार के थर्मामीटर को प्रयोग किया जाता है। इसमें दो अलग-अलग थर्मामीटर होते हैं। एक थर्मामीटर ने निचले सिरे पर मलमल के कपड़े की पट्टी बाँधी जाती है तथा पट्टी का निचला भाग पानी में रखा जाता है। यह कम तापमान बताता है। सूखी व गीली गोली थर्मामीटरों के तापमान के अन्तर का पता करके, उसके साथ दिए गए पैमाने की सहायता से हवा में नमी का पता किया जाता है। हवा में नमी हमेशा प्रतिशत में बताई जाती है।
  4. वर्षा मापक यन्त्र (Rain Gauge)-वर्षा को मापने के लिए वर्षा मापक यन्त्र का प्रयोग किया जाता है। वर्षा मापक यन्त्र के बीच लोहे या पीतल का एक गोल बर्तन होता है। इस बर्तन के मुँह पर एक कीप लगी होती है जिससे बारिश का पानी साथ लगी हुई बोतल में इकट्ठा हो जाता है। इस कारण यह वाष्प बनकर नहीं उड़ सकता। इस यन्त्र को एक खुले स्थान पर रखा जाता है ताकि बारिश का पानी इसमें आसानी से इकट्ठा हो सके। बारिश खत्म होने के पश्चात् पानी को एक शीशे के बर्तन में डाल दिया जाता है। जिस पर निशान लगे होते हैं। इन निशानों की सहायता से बताया जाता है कि कितनी वर्षा हुई है। वर्षा को इंच या सेंटीमीटर में बताया जाता है। .
  5. वायु वेग मापक (Anemometer) वायु वेग मापक को Anemometer कहा जाता है जिसे हवा की गति मापने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसमें चार सींखों के साथ खाली कौलियां लगी होती हैं। चारों सीखें एक स्टैंड पर एक-दूसरे के साथ जोड़ी जाती हैं तथा यह सींखें पृथ्वी के समांतर होती हैं। जब हवा चलती है तो खाली कौलियां घूमने लग जाती हैं। इनके घूमने से स्टैंड पर लगी सुई भी घूमती है तथा हवा की गति उस पर लगे हुए आंकड़ों से पता चल जाती है।
  6. वायु वेग सूचक (Wind Wane)-वायु वेग सूचक को Wind Wane कहते हैं तथा इसे हवा की दिशा पता करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इस यन्त्र पर मुर्गे की शक्ल तथा तीर का निशान बना होता है। यह मुर्गा या तीर एक सीधी लंबी धुरी पर घूमता है। इस मुर्गे के नीचे चार दिशाओं के नाम नीचे लगी सींखों के द्वारा दर्शाए जाते हैं। जब हवा चलती है तो मुर्गे अथवा तीर का निशान घूमकर उस तरफ हो जाता है जिस तरफ हवा आती है। इस प्रकार सीख पर लगे निशान से हवा की दिशा का पता चल जाता है।
5.

वायु वेग मापक तथा वायु वेग सूचक में अंतर बतायें।

Answer»

1. वायु वेग मापक-वायु वेग मापक को Anemometer कहा जाता है जिसे हवा की गति मापने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसमें चार सीखों के साथ खाली कौलियां लगी होती हैं। चारों सीखें एक स्टैंड पर एक-दूसरे के साथ जोड़ी जाती हैं तथा यह सीखें पृथ्वी में समांतर होती हैं। जब हवा चलती है तो खाली कौलियां घूमने लग जाती हैं। इनके घूमने से स्टैंड पर लगी सुई भी घूमती है तथा हवा की गति उस पर लगे हुए आंकड़े से पता चल जाती है।

2. वायु वेग सूचक-वायु वेग सूचक को Wind Wane कहते हैं तथा इसे हवा की दिशा पता करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इस यन्त्र पर मुर्गे की शक्ल अथवा तीर का निशान बना होता है। यह मुर्गा या तीर एक सीधी लंबी धुरी पर घूमता है। इस मुर्गे के नीचे चार दिशाओं के नाम नीचे लगी सीखों के द्वारा दर्शाए जाते हैं। जब हवा चलती है तो मुर्गे अथवा तीर का निशान घूम कर उस तरफ हो जाता है जिस तरफ हवा आती है। इस प्रकार सीख पर लगे निशान से हवा की दिशा का पता चल जाता है।

6.

मानसून वर्षा की कोई तीन महत्त्वपूर्ण विशेषताएं बताइए।

Answer»

मानसूनी वर्षा की तीन महत्त्वपूर्ण विशेषताएं निम्नलिखित हैं —

  1. अस्थिरता- भारत में मानसून भरोसे योग्य नहीं है। यह आवश्यक नहीं है कि वर्षा एक-समान होती रहे। वर्षा की इसी अस्थिरता के कारण ही भुखमरी और अकाल की स्थिति पैदा हो जाती है। वर्षा की यह अस्थिरता देश के आन्तरिक भागों तथा राजस्थान में अपेक्षाकृत अधिक है।
  2. असमान वितरण- देश में वर्षा का वितरण समान नहीं है। पश्चिमी घाट की पश्चिमी ढलानों और मेघालय तथा असम की पहाड़ियों में 250 सेंटीमीटर से भी अधिक वर्षा होती है। इसके विपरीत पश्चिमी राजस्थान, पश्चिमी गुजरात, उत्तरी कश्मीर आदि में 25 सेंटीमीटर से भी कम वर्षा होती है।
  3. अनिश्चितता- भारत में होने वाली मानसूनी वर्षा की मात्रा निश्चित नहीं है। कभी तो मानसून पवनें समय से पहले पहुंचकर भारी वर्षा करती हैं। परन्तु कभी यह वर्षा इतनी कम होती है या निश्चित समय से पहले ही समाप्त हो जाती है। परिणामस्वरूप देश में सूखे की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
7.

भारत की जलवायु की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।याभारतीय जलवायु की किन्हीं पाँच विशेषताओं की विवेचना कीजिए।यासम और विषम जलवायु में अन्तर लिखिए।याविषम जलवायु से क्या अभिप्राय है ? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।यामानसूनी जलवायु की किन्हीं दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

Answer»

भारत की स्थिति भूमध्य रेखा के उत्तर में है और कर्क रेखा देश के मध्य से गुजरती है। कर्क रेखा देश को दो भागों में विभाजित कर देती है। इस प्रकार भारत का उत्तरी भाग उपोष्ण कटिबन्ध तथा दक्षिणी भाग उष्ण कटिबन्ध में स्थित है। भारत में उत्तर की ओर हिमालय पर्वत-श्रेणी तथा दक्षिण-पूर्वी एवं दक्षिण-पश्चिमी दिशाओं में हिन्द महासागर की स्थिति है, जिन्होंने इसकी जलवायु को बहुत प्रभावित किया है। इसी कारण भारत में विविध प्रकार की जलवायु दशाएँ पाई जाती हैं। वस्तुतः भारत की जलवायु पूर्णतः मानसूनी वर्षा पर निर्भर करती है। जिन भागों में मानसूनों के मार्ग में कोई अवरोध उपस्थित होता है, उन क्षेत्रों में वर्षा अधिक होती है; जैसे–पश्चिमी घाट तथा हिमालय पर्वत के दक्षिणी ढालों पर।

एक स्थान से दूसरे स्थान और एक ऋतु से दूसरी ऋतु में तापमान एवं वर्षण में पर्याप्त अन्तर पाया जाता है। ग्रीष्म ऋतु में भारत के पश्चिम में स्थित थार मरुस्थल में इतनी प्रचण्ड गर्मी पड़ती है कि तापमान प्रायः 55° सेल्सियस तक पहुँच जाता है, जब कि शीत ऋतु में कश्मीर राज्य के लद्दाख क्षेत्र के लेह नगर में इतनी कड़ाके की ठण्ड पड़ती है कि तापमान जमाव बिन्दु से 45° सेल्सियस तक नीचे चला जाता है; अर्थात् -45° सेल्सियस तक चला जाता है। केरल और अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह में दिन और रात के तापमान में 7° या 8° सेल्सियस का अन्तर पाया जाता है। इसके विपरीत थार मरुस्थल में यदि दिन का तापमान 50° सेल्सियस रहता है तो रात में यह जमाव बिन्दु 0° तक पहुँच सकता है। जब हिमालय पर्वतीय क्षेत्र में हिमपात होता है, तब शेष भारत में वर्षा की बौछारें पड़ती हैं। कुछ विदेशी विद्वानों ने भारत को अनेक जलवायु वाला देश बताया है। ब्लैनफोर्ड (Blanford) का कथन है कि “हम भारत की जलवायुओं के विषय में कह सकते हैं, जलवायु के विषय में नहीं, क्योंकि सम्पूर्ण विश्व में जलवायु की इतनी विषमताएँ नहीं मिलतीं जितनी अकेले भारत में प्रसिद्ध जलवायु विज्ञानवेत्ता मार्सडेन ने भी कहा है कि “विश्व की समस्त जलवायु की किस्में भारत में पाई जाती हैं।” स्पष्ट है कि भारत में विभिन्न प्रकार की जलवायु दशाएँ पाई जाती हैं। एक स्थान से दूसरे स्थान और एक ऋतु से दूसरी ऋतु में तापमान, वायुदाब तथा पवनें एवं वर्षण में पर्याप्त अन्तर पाया जाता है। भारत में प्रमुख रूप से दो प्रकार की जलवायु पाई जाती हैं—(1) सम और (2) विषम।

1. समजलवायुसम जलवायु उस जलवायु को कहा जाता है जहाँ गर्मियों में न अधिक गर्मी पड़ती है। और ने सर्दियों में अधिक सर्दी। जहाँ तापमान वर्षभर लगभग समान रहता है। ऐसी जलवायु प्रायः . समुद्र के तटीय प्रदेशों में पाई जाती है। समुद्र के प्रभाव के कारण तटीय क्षेत्रों में सम जलवायु पाई जाती है। ऐसी जलवायु में दैनिक तथा वार्षिक तापान्तर बहुत ही कम पाया जाता है। केरल के तिरुवनन्तपुरम् में इसी प्रकार की जलवायु पाई जाती है।

2. विषम जलवायु- विषम जलवायु उस जलवायु को कहा जाता है जहाँ गर्मियों में अत्यधिक गर्मी तथा सर्दियों में अधिक सर्दी पड़ती है। जहाँ तापमान वर्षभर असमान रहता है। ऐसी जलवायु महाद्वीपों के आन्तरिक भागों अथवा समुद्र से दूर के भागों में पाई जाती है। सूर्य की किरणों से जल की अपेक्षा धरती दिन में जल्दी गर्म और रात में जल्दी ठण्डी हो जाती है। अत: धरती के प्रभाव के कारण विषम जलवायु का जन्म होता है। ऐसी जलवायु में दैनिक तापान्तर और वार्षिक तापान्तर अपेक्षाकृत अधिक पाया जाता है। जोधपुर (राजस्थान) तथा अमृतसर (पंजाब) में इसी प्रकार की जलवायु पाई जाती है।

8.

वर्षा मापक यन्त्र क्यों तथा कैसे प्रयोग किया जाता है ?

Answer»

वर्षा को मापने के लिए वर्षा मापक यन्त्र का प्रयोग किया जाता है। वर्षा मापक यन्त्र के बीच लोहे या पीतल का एक गोल बर्तन होता है। इस बर्तन के मुंह पर एक कीप लगी होती है जिससे बारिश का पानी साथ लगी हुई बोतल में इक्ट्ठा हो जाता है। इस कारण यह वाष्प बन कर नहीं उड़ सकता। इस यन्त्र को एक खुले स्थान पर रखा जाता है। ताकि बारिश का पानी इसमें आसानी से इक्ट्ठा हो सके। बारिश खत्म होने के पश्चात् पानी को एक शीशे के बर्तन में डाल दिया जाता है। जिस पर निशान लगे होते हैं। इन निशानों की सहायता से बताया जाता है कि कितनी वर्षा हुई है। वर्षा को इंच या सैंटमीटर में बताया जाता है।

9.

भारत में मानसून की उत्पत्ति तथा वर्षा का वितरण बताइए।याभारत में मानसून की उत्पत्ति पर प्रकाश डालिए।यानिम्नलिखित शीर्षकों में भारत में मानसूनी वर्षा का वर्णन कीजिए(क) वायु की दिशा

Answer»

मानसून का अर्थ , मानसून शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के ‘मौसिम’ शब्द से हुई है जिसका तात्पर्य मौसम या ऋतु है। मौसम का आवर्तन मानसूनी जलवायु की प्रमुख विशेषता है। भारत में इस प्रकार की हवाएँ वर्ष में दो बार उच्च वायु भार से निम्न वायु भार की ओर चलती हैं। ग्रीष्म ऋतु में ये हवाएँ समुद्र से स्थल की ओर चलती हैं, जबकि शीत ऋतु में ये हवाएँ स्थल से समुद्र की ओर बहती हैं। ग्रीष्म ऋतु तथा शीत ऋतु के मौसम के मध्य पवनों की दिशा में 120° का अन्तर पाया जाता है। इन पवनों की न्यूनतम गति तीन मीटर प्रति सेकण्ड होती है, इसलिए इन्हें मानसूनी पवनें कहते हैं।

मानसून की रचना

मानसून की रचना के सम्बन्ध में अनेक मत प्रचलित हैं। इसके लिए सबसे मुख्य और प्राचीन मत है स्थलीय और जलीय हवाएँ जो शीत ऋतु में स्थल की ओर और ग्रीष्म ऋतु में जल की ओर बहती हैं। ग्रीष्म ऋतु में अधिक तापमान के कारण स्थर पर निम्न वायुदाब का केन्द्र बन जाता है जिससे हवाएँ समुद्र से स्थल की ओर चलने लगती हैं, जबकि शीत ऋतु में इसके बिल्कुल विपरीत होता है। समुद्री भाग पर निम्न वायुदाब के केन्द्र के कारण हवाएँ स्थल से समुद्र की ओर बहती हैं। आधुनिक शोधों के कारण अब यह मत मान्य नहीं है। अब वैज्ञानिक मानसून की उत्पत्ति के लिए जेट पवनों को महत्त्वपूर्ण मानते हैं। इस मत के अनुसार । मानसून की उत्पत्ति वायुमण्डलीय पवन के संचार से होती है जिसमें तिब्बत का पठार मुख्य है। ऊँचाई पर स्थित होने के कारण ये पठार गर्म होकर भट्ठी की तरह काम करता है। इस कारण इन अक्षांशों (20° उत्तरी अक्षांश से 20° दक्षिणी अक्षांश) में धरातल एवं क्षोभमण्डल के बीच वायु का एक आवृत्त बन जाता है।

क्षोभमण्डल में उष्णकटिबन्धीय पुरवा जेट तथा उपोष्ण कटिबन्धीय पछुआ जेट धाराओं के चलने से वायुमण्डल की आर्द्रतायुक्त हवाएँ ऊपर क्षोभमण्डल में पहुँचकर विभिन्न दिशाओं में फैल जाती हैं और निम्न क्षोभमण्डल में बहने लगती हैं। अधिक ऊँचाई पर पहुँचकर यही हवाएँ घनीभूत होकर भारतीय महाद्वीप में मानसूनी पवनों को उत्पन्न करती हैं, जिनसे समस्त भारत में वर्षा होती है।

10.

उच्चतम व न्यूनतम थर्मामीटर को किस लिए तथा किस प्रकार प्रयोग किया जाता है ?

Answer»

तापमान का पता करने के लिए इस प्रकार के थर्मामीटर का प्रयोग किया जाता है। अगर किसी स्थान की जलवायु की जानकारी प्राप्त करनी हो तो हमें वहां के तापमान की जानकारी का होना आवश्यक है। इस प्रकार का थर्मामीटर दो जुड़ी हुई नालियों के साथ बना होता है। इस नाली से रात्रि का न्यूनतम तापमान पता किया जाता है तथा दूसरी नाली से दिन का उच्चतम तापमान पता किया जाता है। तापमान को सैंटीग्रेड अथवा फारेनहाइड की डिग्री में मापा जाता है।

11.

भारत में वर्षा का वितरण समझाइये ।

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भारत की मानसूनी हवाओं की अनिश्चितता और अनियमितता जैसे लक्षण के कारण वार्षिक वर्षा की मात्रा भी घटती-बढ़तीरहती है । वर्षा की ऐसी विषमता राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, पंजाब एवं पश्चिमी घाट के वृष्टि छाँयावाले प्रदेशों में अधिक है । ये कम वर्षावाले क्षेत्र है । ऐसे क्षेत्र में 50 से.मी. से कम वर्षा होती है । कम वर्षा प्राप्त करनेवाले क्षेत्रों में अकाल की सम्भावना बढ़ जाती है । दक्खन के पठार में सह्याद्रि के पूर्व आंतरिक क्षेत्रों में कम वर्षा होती है । भारत के पश्चिमी किनारे तथा उत्तर-पूर्व के क्षेत्रों में वार्षिक वर्षा 300 से.मी. से भी अधिक होती है । अधिक वर्षावाले क्षेत्रों में बाढ़ आती रहती है । – इसके अलावा देश के बाकी हिस्सों में साधारण वर्षा होती है । हिमवर्षा हिमालय के क्षेत्रों तक ही सीमित है ।

12.

चौबीस घण्टों में सबसे अधिक वर्षा के लिए प्रसिद्ध स्थान कौन-सा है ?(A) चैरापूँजी(B) मैसीनराम(C) श्रीगंगानगर(D) अलवर

Answer»

सही विकल्प है (B) मैसीनराम

13.

गर्मी की ऋतु के बारे में बताएं।

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भारत में गर्मी की ऋतु सबसे लम्बी होती है। 21 मार्च के बाद से ही देश के आन्तरिक भागों का तापमान बढ़ने लगता है। दिन का अधिकतम तापमान मार्च में नागपुर में 380 सें०, अप्रैल में मध्यप्रदेश में 40° सें० तथा मईजून में उत्तर-पश्चिम भागों में 45° सें० से भी अधिक रहता है। रात के समय न्यूनतम तापमान 21° से 27° सें० तक बना रहता है। दक्षिणी भागों का औसत तापमान समुद्र की समीपता के कारण अपेक्षाकृत कम (25° सें०) रहता है। तापमान में वृद्धि के कारण हवा के कम दबाव का क्षेत्र देश के उत्तरी भागों की ओर खिसक जाता है। मई-जून में देश के उत्तरी-पश्चिमी भागों में कम दबाव का चक्र सबल हो जाता है तथा दक्षिणी ‘जेट’ धारा हिमालय के उत्तर की ओर सरक जाती है। धरातल के ऊपर हवा में भी कम दबाव का चक्र उत्पन्न हो जाता है। कम दबाव के ये दोनों चक्र मानसून पवनों को तेजी से अपनी ओर खींचते हैं।

14.

सर्दी की ऋतु के बारे में बताएं।

Answer»

इस मौसम में सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध में मकर रेखा पर सीधा चमकता है। इसीलिए भारत में दक्षिणी भागों से उत्तर की ओर तापमान लगातार घटता जाता है। सम्पूर्ण उत्तरी भारत में तापमान में गिरावट के कारण उच्च वायुदाब का क्षेत्र पाया जाता है। कभी-कभी देश के पश्चिमी और उत्तर-पश्चिमी भागों में निम्नदाब के केन्द्र बन जाते हैं। उन्हें पश्चिमी गड़बड़ी विक्षोभ अथवा चक्रवात कहा जाता है। इस समय मध्य तथा पश्चिमी एशिया के क्षेत्रों में उच्चदाब का केन्द्र होता है। वहां की शुष्क तथा शीत पवनें उत्तर-पश्चिमी भागों में से देश के अन्दर प्रवेश करती हैं। इससे पूरे विशाल मैदानों का तापमान काफ़ी नीचे गिर जाता है। 3 से 5 किलोमीटर प्रति घण्टे की गति से बहने वाली इन पवनों के द्वारा शीत लहर का जन्म होता है। सर्दियों में देश के दो भागों में वर्षा होती है। देश के उत्तरी-पश्चिमी भागों में पंजाब, हरियाणा, उत्तरी राजस्थान, उत्तराखण्ड, जम्मू-कश्मीर व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में औसत 20 से 25 सेंटीमीटर तक चक्रवातीय वर्षा होती है। दूसरी ओर तमिलनाडु तथा केरल के तटीय भागों में उत्तर-पूर्व मानसून से पर्याप्त वर्षा होती है। सर्दियों में मौसम सुहावना होता है। दिन मुख्य रूप से गर्म (सम) तथा रातें ठण्डी होती हैं। कभी-कभी रात के तापमान में गिरावट आने के कारण सघन कोहरा भी पड़ता है।

15.

भारत में वर्षा का वार्षिक वितरण कैसा है ?

Answer»

भारत में 118 सें०मी० औसत वार्षिक वर्षा होती है। परन्तु देश में वर्षा का वितरण बहुत ही असमान है। मेघालय की पहाड़ियों में 1000 सेंटीमीटर से भी अधिक वर्षा होती है जबकि थार मरुस्थल में एक वर्ष में केवल 20 सें०मी० से भी कम वर्षा होती है। वार्षिक वर्षा की मात्रा के आधार पर देश को निम्नलिखित पांच क्षेत्रों में बांटा जा सकता है

  1. भारी वर्षा वाले क्षेत्र-
    • दादरा तथा नगर हवेली से लेकर दक्षिण में तिरुवन्तपुरम् तक फैली लम्बी और तंग पट्टी में पश्चिमी घाट की पश्चिमी ढलान तथा पश्चिमी तटीय क्षेत्र सम्मिलित हैं। यहां के कोंकण तथा मालाबार के तटों पर लगातार पांच महीने वर्षा होती रहती है।
    • भारी वर्षा का दूसरा क्षेत्र देश के उत्तर-पूर्वी भाग में है। इसमें दार्जिलिंग, बंगाल द्वार, असम की मध्यवर्ती तथा निम्नवर्ती घाटियां, दक्षिणी अरुणाचल प्रदेश और मेघालय के पर्वतीय भाग सम्मिलित हैं। शिलांग के पठार तथा बंगलादेश की ओर वाली ढलानों पर अत्यधिक वर्षा होती है। यहां चेरापूंजी में 1087 सेंटीमीटर और इसी के पास स्थित माउसिनराम में 1141 सेंटीमीटर वर्षा होती है जो विश्व की सबसे अधिक वर्षा है।
    • अण्डमान तथा निकोबार द्वीप समूह तथा लक्षद्वीप आदि क्षेत्र भी भारी वर्षा वाले क्षेत्रों में आते हैं।
  2. अधिक वर्षा वाले क्षेत्र-इन क्षेत्रों में निम्नलिखित क्षेत्र सम्मिलित हैं-
    • पश्चिमी घाट के साथ-साथ उत्तर-दक्षिण दिशा में ताप्ती नदी के मुहाने से केरल के मैदानों तक फैली हुई पट्टी।
    • दूसरी पट्टी हिमालय की दक्षिणी ढलानों के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश से होकर कुमाऊं हिमालय से गुज़रती हुई असम की निचली घाटी तक पहुंचती है।
    • तीसरी पट्टी उत्तर-दक्षिण दिशा में फैली हुई है। इसमें त्रिपुरा, मणिपुर, मीकिर की पहाड़ियां आती हैं।
  3. मध्यम वर्षा वाले क्षेत्र-इन क्षेत्रों में 100 से 150 सेंटीमीटर तक की वार्षिक वर्षा होती है। देश में मध्यम वर्षा वाले तीन क्षेत्र मिलते हैं।
    • इसका सबसे बड़ा क्षेत्र उड़ीसा, उत्तरी आन्ध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा शिवालिक की पहाड़ियों के साथ-साथ तंग पट्टी के रूप में जम्मू की पहाड़ियों तक फैला हुआ है।
    • दूसरी पट्टी पूर्वी तट से 80 किलोमीटर की चौड़ाई में फैली हुई है। इसे कोरोमण्डल तट भी कहते हैं।
    • तीसरी पट्टी का विस्तार पश्चिमी घाट की पूर्वी ढलानों में नर्मदा नदी के मुहाने से लेकर कन्याकुमारी तक है।
  4. कम वर्षा वाले क्षेत्र-इस श्रेणी में देश के वे अर्ध-शुष्क क्षेत्र सम्मिलित हैं, जहां पर पूरे वर्ष में औसतन 50 से 100 सेंटीमीटर तक वर्षा होती है। इस क्षेत्र का विस्तार उत्तर में जम्मू के साथ लगी हुई देश की सीमा से लेकर सुदूर दक्षिण में कन्याकुमारी तक है।
  5. बहुत कम वर्षा वाले क्षेत्र-इन शुष्क क्षेत्रों में 50 सेंटीमीटर से भी कम वर्षा होती है। ऐसे क्षेत्रों में से जस्कर पर्वत श्रेणी के पीछे स्थित लद्दाख से कराकोरम तक का क्षेत्र, कच्छ तथा पश्चिमी राजस्थान का क्षेत्र और पंजाब तथा हरियाणा राज्यों के दक्षिणी-पश्चिमी क्षेत्र शामिल हैं। इन क्षेत्रों में पश्चिमी घाट की पूर्वी ढलानें भी सम्मिलित हैं।
  • जलवायु – किसी भी स्थान के लंबे समय के मौसम की औसत | निकाल कर जो परिणाम निकाला जाता है उस परिणाम को | उस स्थान की जलवायु कहते हैं। भारत में जलवायु की अलग-अलग परिस्थितियां पाई जाती हैं।
  • जलवायु को प्रभावित करने वाले तत्त्व – किसी भी स्थान की जलवायु को कई कारक प्रभावित करते हैं; जैसे कि भूमध्य रेखा से दूरी, समुद्र से दूरी, समुद्री तल से ऊंचाई, धरातल का स्वरूप, जेट स्ट्रीम | इत्यादि। हमारे देश की भौगोलिक संरचना ने देश की जलवायु को एक जैसा ही बना दिया है।
  • वर्षा – नमी भरी हवा ऊपर उठती है तथा ऊँचाई पर जाकर ठंडी हो जाती है। ठंडी होने के कारण यह नमी को संभालकर नहीं रख सकती तथा पानी के कण बादलों का रूप ले लेते हैं। जब बादलों में से यह पानी के कण पृथ्वी पर गिरते हैं तो इसे वर्षा करते हैं। वर्षा तीन प्रकार की होती है-संवहनी वर्षा, पर्वतीय वर्षा तथा चक्रवाती वर्षा।
  • मानसून का अर्थ – ‘मानसून’ शब्द की व्युत्पत्ति अरबी भाषा के ‘मौसिम’ शब्द से हुई है। इसका शाब्दिक अर्थ है-ऋतु। इस प्रकार मानसून से अभिप्राय एक ऐसी ऋतु से है जिसमें पवनों की दिशा पूरी तरह उलट जाती है।
  • मानसून प्रणाली – मानसून की रचना उत्तरी गोलार्द्ध में प्रशान्त महासागर तथा हिन्द महासागर के दक्षिणी भाग पर वायुदाब की विपरीत स्थिति के कारण होती है। वायुदाब की यह स्थिति परिवर्तित होती रहती है। इस कारण विभिन्न ऋतुओं में विषुवत् वृत्त के आर-पार पवनों की स्थिति बदल जाती है। इस प्रक्रिया को दक्षिणी दोलन कहते हैं। इसके अतिरिक्त जेट वायुधाराएं भी मानसून के रचनातन्त्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
  • भारत की ऋतुएं – भारत के वार्षिक ऋतु चक्र में चार प्रमुख ऋतुएं होती हैंशीत ऋतु, ग्रीष्म ऋतु, आगे बढ़ते मानसून की ऋतु तथा पीछे हटते मानसून की ऋतु।
  • शीत ऋतु – लगभग सारे देश में दिसम्बर से फरवरी तक शीत ऋतु होती है। इस ऋतु में देश के ऊपर उत्तर-पूर्वी व्यापारिक पवनें चलती हैं। इस ऋतु में दक्षिण से उत्तर की ओर जाने पर तापमान घटता | जाता है। कुछ ऊँचे स्थानों पर पाला भी पड़ता है। शीत ऋतु से चलने वाली उत्तरी पूर्वी पवनों द्वारा केवल तमिलनाडु राज्य को लाभ पहुंचता है। ये पवनें खाड़ी बंगाल से गुजरने के बाद वहां पर्याप्त वर्षा करती हैं।
  • ग्रीष्म ऋतु – यह ऋतु मार्च से मई तक रहती है। मार्च मास में सबसे | अधिक तापमान (लगभग 38° सें०) दक्कन के पठार पर होता है। धीरे-धीरे ऊष्मा की यह पेटी उत्तर की ओर खिसकने लगती है और उत्तरी भाग में तापमान बढ़ता जाता है। मई के अन्त तक एक लम्बा संकरा निम्न वायु दाब क्षेत्र विकसित हो जाता है, जिसे ‘मानसून का निम्न वायुदाब गर्त’ कहते हैं। देश के उत्तर-पश्चिमी भाग में चलने वाली | गर्म-शुष्क पवनें (लू), केरल तथा कर्नाटक के तटीय भागों में होने वाली ‘आम्रवृष्टि’ और बंगाल तथा असम की ‘काल बैसाखी’ ग्रीष्म ऋतु की अन्य मुख्य विशेषताएं हैं।
  • आगे बढ़ते मानसून की ऋतु – यह ऋतु जून से सितम्बर तक रहती है। देश में दक्षिणपश्चिमी मानसून चलती है जो दो शाखाओं में भारत में प्रवेश करती है-अरब सागर की शाखा तथा बंगाल की
    खाड़ी की शाखा। ये पवनें देश में पर्याप्त वर्षा करती हैं। | उत्तर-पूर्वी भारत में भारी वर्षा होती है, जबकि देश के उत्तरी-पश्चिमी कुछ भाग शुष्क रह जाते हैं। जुलाई तथा अगस्त के महीनों में देश की 75 से 90 प्रतिशत तक वार्षिक वर्षा हो जाती है। गारो तथा खासी की पहाड़ियों की दक्षिणी श्रेणी के शीर्ष पर स्थित माउसिनराम में संसार भर में सबसे अधिक वर्षा होती है। दूसरा स्थान यहां से कुछ ही दूरी पर स्थित चेरापूंजी को प्राप्त है। दक्षिणी भारत में पश्चिमी घाट की पवनाभिमुख ढालों पर अरब सागर की मानसून शाखा द्वारा भारी वर्षा होती है।
  • पीछे हटते मानसून की ऋतु – अक्तूबर तथा नवम्बर के महीनों में मानसून पीछे हटने लगता है। क्षीण हो जाने के कारण इसका प्रभाव कम हो जाता है। पृष्ठीय पवनों की दिशा भी उलटने लगती है। आकाश साफ़ हो जाता है और तापमान फिर से बढ़ने लगता है। उच्च तापमान तथा भूमि की आर्द्रता के कारण मौसम कष्टदायक हो जाता है। इसे ‘क्वार की उमस’ कहते हैं। इस ऋतु में दक्षिणी प्रायद्वीप के तटों पर उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात भारी वर्षा करते हैं। इस प्रकार ये बहुत ही विनाशकारी सिद्ध होते हैं।
  • वर्षा का वितरण – भारत में सबसे अधिक वर्षा पश्चिमी तटों तथा उत्तरी पूर्वी | भागों में होती (300 सें० मी० से भी अधिक) है। परन्तु पश्चिमी राजस्थान तथा इसके निकटवर्ती पंजाब, हरियाणा तथा गुजरात के क्षेत्रों में 50 सें० मी० से भी कम वार्षिक वर्षा होती है। देश के उच्च भागों (हिमालय क्षेत्र) में हिमपात होता है। वर्षण की यह मात्रा प्रति वर्ष घटती बढ़ती रहती है। मानसून की स्वेच्छाचारिता के कारण कहीं तो भयंकर बाढ़ें आ जाती हैं और कहीं सूखा पड़ जाता है।
  • जलवायु के यन्त्र – जलवायु का अनुमान लगाने के लिए कई प्रकार में यन्त्रों | का प्रयोग किया जाता है। जैसे कि थर्मामीटर एनीराइड बैरोमीटर, सूखी तथा गीली गोली का थर्मामीटर, वर्षा मापक यन्त्र, वायुवेग मापक, वायु दिशा सूचक इत्यादि।
  • प्राकृतिक आपदाएं – प्रकृति के ऊपर किसी का ज़ोर नहीं चलता। इस प्रकार जब प्राकृतिक आपदाएं आती हैं तो काफी जान-माल का नुकसान होता है। सुनामी भी इन प्राकृतिक आपदाओं में से एक थी जो दिसंबर 2004 में दक्षिण एशिया के देशों में आई तथा हज़ारों लोगों की मृत्यु हो गई थी।
16.

चेरापूंजी के पास में आया हुआ कौन-सा स्थान अधिक वर्षा के लिए विख्यात है ?(A) शिलांग(B) गुवाहाटी(C) इम्फाल(D) मौसिनरम

Answer»

सही विकल्प है (D) मौसिनरम

17.

परम्परागत भारतीय ऋतु प्रणाली के बारे में बताइए।

Answer»
ऋतुपरम्परागत ऋतु प्रणाली
1.सर्दी हेमन्त तथा शिशिर का मिश्रण
2. गर्मी गर्मी
3. वर्षा वर्षा
4. वापसी मानसून की ऋतु शरद
18.

नागपुर मुम्बई की अपेक्षा ठण्डा है।

Answer»

मुम्बई सागर तट पर बसा है। समुद्र के प्रभाव के कारण मुम्बई की जलवायु सम रहती है और यहां सर्दी कम पड़ती है।

इसके विपरीत नागपुर समुद्र से दूर स्थित है। समुद्र के प्रभाव से मुक्त होने के कारण वहां विषम जलवायु पाई जाती है। अत: नागपुर मुम्बई की अपेक्षा ठण्डा है।

19.

चेरापूंजी में विश्व की लगभग सबसे अधिक वर्षा होती है।

Answer»

चेरापूंजी गारो तथा खासी की पहाड़ियों के दक्षिणी भाग में स्थित है। इसकी स्थिति कीप की आकृति वाली घाटी के शीर्ष पर है। यहां बंगाल की खाड़ी की मानसून पवनों की एक शाखा वर्षा करती है। इन पवनों की दिशा तथा अनोखी स्थिति के कारण चेरापूंजी संसार में सबसे अधिक वर्षा वाला स्थान बन गया है।

20.

भारत की अधिकांश वर्षा चार महीनों में होती है।

Answer»

भारत में अधिकांश वर्षा मध्य जून से मध्य सितम्बर तक होती है। इन चार महीनों में समुद्र से आने वाली मानसूनी पवनें चलती हैं। नमी से युक्त होने के कारण ये पवनें भारत के अधिकांश भाग में खूब वर्षा करती हैं।

21.

दक्षिणी-पश्चिमी मानसून द्वारा कोलकाता में 145 सेंटीमीटर वर्षा जबकि जैसलमेर में केवल 12 सेंटीमीटर वर्षा होती है।

Answer»

कलकत्ता (कोलकाता) बंगाल की खाड़ी से उठने वाली मानसून पवनों के पूर्व की ओर बढ़ते समय पहले पड़ता है। जलकणों से लदी ये पवनें यहां 145 सेंटीमीटर वर्षा करती हैं।
जैसलमेर अरावली पर्वत के प्रभाव में आता है। अरावली पर्वत अरब सागर से आने वाली पवनों के समानान्तर स्थित है और यह पवनों को रोकने में असमर्थ है। अतः पवनें बिना वर्षा किए आगे निकल जाती हैं। यही कारण है कि जैसलमेर में केवल 12 सेंटीमीटर वर्षा होती है।

22.

पश्चिमी जेट धारा का चक्रवातीय वर्षा लाने में योगदान को बताइए।

Answer»

पश्चिमी जेट वायुधारा शीत ऋतु में हिमालय के दक्षिणी भाग के ऊपर समताप मण्डल में स्थिर रहती है। जून मास में यह उत्तर की ओर खिसक जाती है और 25° उत्तरी अक्षांश तक पहुंच जाती है। तब इसकी स्थिति मध्य एशिया में स्थित तियेनशान पर्वत श्रेणी के उत्तर में हो जाती है। इस प्रभाव के कारण ही गर्मियों के चक्रवात और भूमध्य सागरीय क्षेत्रों का पश्चिमी मौसमी हलचल का प्रभाव देश के उत्तरी भागों तक आ पहुंचता है तथा भरपूर वर्षा प्रदान करता है।

23.

चेन्नई में अधिकांश वर्षा सर्दियों में होती है।

Answer»

चेन्नई भारत के पूर्वी तट पर स्थित है। यह उत्तर-पूर्वी मानसून पवनों के प्रभाव में आता है। ये पवनें शीत ऋतु में स्थल से समुद्र की ओर चलती हैं। परन्तु बंगाल की खाड़ी से लांघते हुए ये जलवाष्प ग्रहण कर लेती हैं। तत्पश्चात् पूर्वी घाट से टकरा कर ये चेन्नई में वर्षा करती हैं।

24.

पंजाब की फसलों के लिए कौन-सी वर्षा सर्दियों में लाभदायक होती है ?

Answer»

सर्दियों की चक्रवाती वर्षा पंजाब की फसलों के लिए लाभदायक होती है।

25.

भारत के किस तट पर सर्दियों में वर्षा होती है?

Answer»

भारत के कोरोमण्डल तट पर सर्दियों में वर्षा होती है।

26.

भारतीय जलवायु की प्रादेशिक विभिन्नताएं कौन-कौन सी हैं?

Answer»

भारतीय जलवायु की प्रादेशिक विभिन्नताएं निम्नलिखित हैं-

  1. सर्दियों में हिमालय पर्वत के कारगिल क्षेत्रों में तापमान-45° सेन्टीग्रेड तक पहुंच जाता है परन्तु उसी समय तमिलनाडु के चेन्नई (मद्रास) महानगर में यह 20° सेन्टीग्रेड से भी अधिक होता है। इसी प्रकार गर्मियों की ऋतु में ‘ अरावली पर्वत की पश्चिमी दिशा में स्थित जैसलमेर का तापमान 50° सेन्टीग्रेड को भी पार कर जाता है, जबकि श्रीनगर में 20° सेन्टीग्रेड से कम तापमान होता है।
  2. खासी पर्वत श्रेणियों में स्थित मासिनराम में 1141 सेंटीमीटर औसतन वार्षिक वर्षा दर्ज की जाती है। परन्तु दूसरी ओर पश्चिमी थार मरुस्थल में वार्षिक वर्षा का औसत 10 सेंटीमीटर से भी कम है।
  3. बाड़मेर और जैसलमेर में लोग बादलों के लिए तरस जाते हैं परन्तु मेघालय में सारा साल आकाश बादलों से ढका रहता है।
  4. मुम्बई तथा अन्य तटवर्ती नगरों में समुद्र का प्रभाव होने के कारण तापमान वर्ष भर लगभग एक जैसा ही रहता है। इसके विपरीत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में सर्दी एवं गर्मी के तापमान में भारी अन्तर पाया जाता है।
27.

भारत में अधिकतम वर्षा वाला स्थान है(क) शिलांग(ख) मॉसिनराम(ग) गुवाहाटी(घ) पंजाब

Answer»

सही विकल्प है (ख) मॉसिनराम

28.

भारत में अधिकतम वर्षा वाला स्थान है(क) शिलांग(ख) मॉसिनराम(ग) गुवाहाटी(घ) पंजाब

Answer»

सही विकल्प है (ख) मॉसिनराम

29.

चेन्नई शहर (मद्रास) में अधिकांश वर्षा सर्दियों में होती है।

Answer»

चेन्नई भारत के पूर्वी तट पर स्थित है। यह उत्तर-पूर्वी मानसून पवनों के प्रभाव में आता है। ये पवनें शीत ऋतु में स्थल से समुद्र की ओर चलती हैं। बंगाल की खाड़ी से लांघते हुए ये जलवाष्य ग्रहण कर लेती हैं। तत्पश्चात् पूर्वी घाट से टकरा कर ये चेन्नई में वर्षा करती हैं।

30.

सर्दियों के मौसम में सबसे कम और सबसे अधिक तापक्रम वाले दो-दो स्थानों के नाम बताइए।

Answer»

क्रमश:-मुम्बई तथा चेन्नई और अमृतसर तथा लेह।

31.

भारत में अधिकतम वर्षा वाला शहर इनमें से कौन-सा है:(i) मुम्बई(ii) धर्मशाला(iii) मासिनराम(iv) कोलकाता।

Answer»

(iii) मासिनराम।

32.

देश के उत्तरी मैदानों में गर्मियों में चलने वाली धूल भरी स्थानीय पवन को कहा जाता है —(A) सुनामी(B) मानसून(C) काल वैसाखी(D) लू

Answer»

सही विकल्प है (D) लू

33.

देश के उत्तरी मैदानों में गर्मियों में चलने वाली धूल भरी स्थानीय पवन का क्या नाम है?

Answer»

देश के उत्तरी मैदानों में गर्मियों में चलने वाली धूल भरी स्थानीय पवन का लू नाम है।

34.

सबसे अधिक शुष्क व अधिक वर्षा वाले स्थानों के नाम बताओ।

Answer»

देश के सबसे अधिक शुष्क स्थान हैं-लेह, जोधपुर तथा दिल्ली। शिलांग, मुम्बई, कलकत्ता (कोलकाता) तथा तिरुवन्तपुरम् सबसे अधिक वर्षा वाले स्थान हैं।

35.

देश के उत्तरी मैदानों में गर्मियों में चलने वाली धूल भरी स्थानीय पवन को कहा जाता है-(क) सुनामी(ख) मानसून(ग) काल वैसाखी(घ) लू।

Answer»

सही विकल्प है (घ) लू।

36.

वर्षा ऋतु का वर्णन करो।

Answer»

वर्षा ऋतु को दक्षिण- पश्चिम मानसून की ऋतु भी कहते हैं। यह ऋतु जून से लेकर मध्य सितम्बर तक रहती है। इस ऋतु की मुख्य विशेषताओं का वर्णन निम्नलिखित है —

  1. भारत के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में निम्न दाब का क्षेत्र अधिक तीव्र हो जाता है।
  2. समुद्र से पवनें भारत में प्रवेश करती हैं और गरज के साथ घनघोर वर्षा करती हैं।
  3. आर्द्रता से भरी ये पवनें 30 किलोमीटर प्रति घण्टा की दर से चलती हैं और एक मास के अन्दर-अन्दर पूरे देश में फैल जाती हैं।
  4. भारतीय प्रायद्वीप मानसून को दो शाखाओं में विभाजित कर देता है-अरब सागर की मानसून पवनें तथा खाड़ी बंगाल की मानसून पवनें।
  5. खाड़ी बंगाल की मानसून पवनें भारत के पश्चिमी घाट और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा करती हैं। पश्चिमी घाट की पवनाभिमुख ढालों पर 250 में०मी० से भी अधिक वर्षा होती है। इसके विपरीत इस घाट की पवनाविमुख ढालों पर केवल 50 सें०मी० वर्षा होती है। मुख्य कारण वहां की उच्च पहाड़ी श्रृंखलाएं तथा पूर्वी हिमालय हैं। दूसरी ओर उत्तरी मैदानों में पूर्व से पश्चिम की ओर जाते हुए वर्षा की मात्रा घटती जाती है।
37.

गर्मियों में सबसे ठण्डे व गर्म स्थानों का वर्णन करो।

Answer»

सबसे ठण्डे स्थान लेह तथा शिलांग सबसे गर्म स्थान-उत्तर-पश्चिमी मैदान।

38.

भारत में सर्वाधिक वर्षा वाला क्षेत्र कौन-सा है?(क) उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र(ख) उत्तर-पूर्वी क्षेत्र(ग) दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र (घ) दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र

Answer»

सही विकल्प है (ख) उत्तर-पूर्वी क्षेत्र

39.

भारत की वर्षा ऋतु का वर्णन करो।

Answer»

वर्षा ऋतु को दक्षिण-पश्चिम मानसून की ऋतु भी कहते हैं। यह ऋतु जून से लेकर मध्य सितम्बर तक रहती है। 

इस ऋतु की मुख्य विशेषताओं का वर्णन निम्नलिखित है

  1. भारत के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में निम्न दाब का क्षेत्र अधिक तीव्र हो जाता है।
  2. समुद्र से पवनें भारत में प्रवेश करती हैं और गरज के साथ घनघोर वर्षा करती हैं।
  3. आर्द्रता से भरी ये पवनें 30 किलोमीटर प्रति घण्टा की दर से चलती हैं और एक मास के अन्दर-अन्दर पूरे देश में फैल जाती हैं।
  4. भारतीय प्रायद्वीप मानसून को दो शाखाओं में विभाजित कर देता है-अरब सागर की मानसून पवनें तथा खाड़ी बंगाल की मानसून पवनें।
  5. खाड़ी बंगाल की मानसून पवनें भारत के पश्चिमी घाट और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा करती हैं। पश्चिमी घाट की पवनाभिमुख ढालों पर 250 सें०मी० से भी अधिक वर्षा होती है। इसके विपरीत इस घाट की पवनाविमुख ढालों पर केवल 50 सें०मी० वर्षा होती है। मुख्य कारण वहां की उच्च पहाड़ी श्रृंखलाएं तथा पूर्वी हिमालय हैं। दूसरी ओर उत्तरी मैदानों में पूर्व से पश्चिम की ओर जाते हुए वर्षा की मात्रा घटती जाती है।
40.

देश में गर्मियों में(i) सबसे ठण्डे व(ii) गर्म स्थानों के नाम बताओ।

Answer»

1. सबसे ठण्डे स्थान लेह तथा शिलांग

2. सबसे गर्म स्थान-उत्तर-पश्चिमी मैदान।

41.

सम्पूर्ण भारत में सर्वाधिक वर्षा वाला महीना है(क) जून(ख) जुलाई(ग) अगस्त(घ) ये सभी

Answer»

सही विकल्प है (ख) जुलाई

42.

सम्पूर्ण भारत में सर्वाधिक वर्षा वाला महीना है(क) जून (ख) जुलाई(ग) अगस्त(घ) ये सभी

Answer»

सही विकल्प है (ख) जुलाई

43.

भारत का सबसे गर्म महीना कौन-सा है ?(A) अप्रैल(B) मई(C) जून(D) जुलाई

Answer»

सही विकल्प है (B) मई

44.

सम्पूर्ण भारत में सर्वाधिक वर्षा वाले दो महीने हैं-(क) जून तथा जुलाई(ख) जुलाई तथा अगस्त(ग) अगस्त तथा सितम्बर(घ) जून और अगस्त।

Answer»

(ख) जुलाई तथा अगस्त

45.

भारत में वर्षा ऋतु का आरंभ किस राज्य में होता है ?(A) केरल(B) तमिलनाडू(C) कर्णाटक(D) पं. बंगाल

Answer»

सही विकल्प है (A) केरल

46.

दक्षिण भारत में सबसे गर्म महीना कौन-सा होता है ?(A) मार्च(B) अप्रैल(C) मई(D) जून

Answer»

सही विकल्प है (A) मार्च

47.

जून से सितंबर के बीच देश की कितनी वर्षा होती है ?(A) 20%(B) 25%(C) 55%(D) 80%

Answer»

सही विकल्प है (D) 80%

48.

देश (भारत) में उच्च वायुदाब केन्द्र किस मौसम में स्थापित होता है ?(A) ग्रीष्म(B) शीत(C) बरसात(D) इनमें से कोई नहीं

Answer»

सही विकल्प है (B) शीत

49.

 जब सूर्य कर्कवृत्त पर होता है तो हमारे देश में निम्नभार का केन्द्र होता है ।(A) पश्चिमी तट पर(B) छोटा नागपुर के पठार पर(C) अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह पर(D) उत्तरी-पश्चिमी भारत पर

Answer»

(D) उत्तरी-पश्चिमी भारत पर

50.

ऋतुगत मौसम भारत में कई तरह से प्रभाव डालता है ।

Answer»

सर्दी की ऋतु में द्रास में -45° तापमान होता है, जबकि राजस्थान में गर्मी में 51° तक तापमान पहुँच जाता है ।

  • राजस्थान के पश्चिमी भाग में 10 cm तो चेरापूंजी में 1200 cm तक वर्षा होती है ।
  • भारत में कहीं एक ओर लोग बाढ़ से तो दूसरी तरफ वर्षा न होने से भयंकर अकाल से पीड़ित होते हैं ।।
  • हमारे देश में जलवायु में विरोधाभास है । गड़गडाहट भरे तूफान, धूलभरी आँधियाँ और ऊष्णकटिबंधीय चक्रवात के विनाश का प्रभाव देश के अलग-अलग भागों पर पड़ता रहता है ।
  • इस तरह ऋतुगत मौसम कई तरह से प्रभाव डालता हैं ।