Explore topic-wise InterviewSolutions in .

This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.

51.

उचित शब्दों द्वारा रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:1. लम्बे समय की ऋतुगत औसत दशाओं को ……………….. कहते हैं ।2. …………. वातावरण के कम समय के अंतराल की औसत परिस्थिति है ।3. पृथ्वी अपनी कक्षा पर ……………….. का कोण बनाती है ।4. पृथ्वी की धुरी के झुकाव के कारण ………………… बनती हैं ।5. 21 जून के दिन ………….. पर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं ।6. दक्षिण भारत प्रायद्विपीय प्रदेशों में समुद्री किनारे की …………… का अनुभव होता है ।7. चेरापूँजी में वार्षिक वर्षा ……………. सेमी होती हैं ।8. चेरापूँजी और मौसीनराम के बीच …………….. अंतर है ।9. ……………….. के मरुस्थल में वर्ष दरमियान मात्र 10 से 12 सेमी वर्षा होती है ।10. ……….. पर सूर्य कि किरणें सालभर लंबवत् पड़ती हैं ।

Answer»

1. (जलवायु)

2. (मौसम)

3. (66.5°)

4. (ऋतुएँ)

5. (कर्कवृत्त)

6. (समजलवायु)

7. (1200)

8. (16 कि.मी.)

9. (राजस्थान)

10. (भूमध्य रेखा)

52.

जलवायु तथा मौसम में अंतर स्पष्ट कीजिए।

Answer»
  1. जलवायु-किसी भी भौगोलिक क्षेत्र में कम-से-कम 30 वर्षों के लिए मौसम की औसत का जो परिणाम निकाला जाता है, उसे जलवायु कहते हैं। इसका अर्थ है कि जलवायु लंबे समय के लिए किसी भी क्षेत्र के तापमान वर्षा, वायु दबाव, हवाओं इत्यादि की औसत होती है।
    मौसम-किसी निश्चित स्थान पर किसी विशेष दिन में वातावरण के तत्त्वों जैसे कि तापमान, दबाव तथा हवा, वर्षा इत्यादि को इकट्ठा मिलाकर मौसम की स्थिति में बदला जाता है। मौसम एक दैनिक चक्र है तथा यह प्रत्येक दिन तथा प्रत्येक घण्टे में भी बदल सकता है।
53.

जेट वायुधाराएँ किन्हें कहते हैं ?

Answer»

वायुमण्डल की क्षोभमण्डल नामक परत के ऊपरी भाग में तेज गति से चलने वाली पवनों को जेट वायुधाराएँ कहते हैं। ये बहुत सँकरी पट्टी में चलती हैं।

54.

जेट पवनें किन्हें कहते हैं?

Answer»

ऊपरी वायुमण्डल के अध्ययन से मौसम वैज्ञानिकों ने मानसूनों की उत्पत्ति के सम्बन्ध में अनेक महत्त्वपूर्ण तथ्यों का रहस्योद्घाटन किया है। वास्तव में ऊपरी वायुमण्डल में तीव्र गति से चलने वाली पवनो को जेट पवनें कहते हैं|

जेट पवनों का नामकरण अमेरिकी बमवर्षक विमान बी-29 के नाम पर हुआ है। द्वितीय महायुद्ध में इन बमवर्षकों को जापान की उड़ान भरने पर प्रबल वेग वाली वायु का सामना करना पड़ता था, जिससे विमानों की गति मन्द पड़ जाती थी तथा कभी-कभी इनका आगे बढ़ना भी कठिन हो जाता था। परन्तु जब यही विमान अमेरिका की ओर वापस आते थे, तब इनके वेग में अपार वृद्धि हो जाती थी। इसी कारण इनका नामकरण जेट पवनों (जेट स्ट्रीम्स) के नाम पर हुआ। ये जेट धाराएँ पूर्व से पश्चिम की ओर 62 किमी की ऊँचाई पर चलती हैं। शीत ऋतु में ये विषुवत् रेखा के अधिक निकट परन्तु 20° अक्षांशों तक प्रवाहित होती हैं। ग्रीष्म ऋतु की अपेक्षा शीत ऋतु में इनका वेग दोगुना हो जाता है। सामान्य रूप से इनका वेग 480 किमी प्रति घण्टा होता है।

55.

भारत सरकार का मौसम कार्यालय जिसने भारत की जलवायु को चार ऋतुओं में वर्गीकृत किया है, कहाँ स्थित है ?(A) देहरादून(B) दिल्ली(C) पूणे(D) चैन्नई

Answer»

सही विकल्प है (C) पूणे

56.

भारत में न्यूनतम तापमान कहाँ पाया जाता है?(क) लेह में(ख) शिमला में(ग) चेरापूंजी में(घ) श्रीनगर में

Answer»

सही विकल्प है (क) लेह में

57.

भारत की चार प्रमुख ऋतुओं के नाम लिखकर उनका संक्षिप्त वर्णन कीजिए।

Answer»

भारत की चार ऋतुओं के नाम तथा उनका संक्षिप्त विवेचन निम्नवत् है-

1. शीत ऋतु-लगभग पूरे भारत में दिसम्बर, जनवरी तथा फरवरी के महीनों में शीत ऋतु होती है।
इस ऋतु में उत्तर-पश्चिमी मैदानी भागों में उच्च वायुदाब रहता है तथा देश के ऊपरी भागों में उत्तर-पूर्वी व्यापारिक पवने स्थल से सागरों की ओर चलती हैं। पवनों के स्थल भागों से चलने के कारण यह ऋतु शुष्क होती है। इस ऋतु में दक्षिण से उत्तर की ओर जाने में तापमान घटता जाता है। यहाँ दिन सामान्यत: अल्प उष्ण एवं रातें ठण्डी होती हैं। ऊँचे स्थानों पर पाला भी पड़ जाता है।

2. ग्रीष्म ऋतु-21 मार्च के बाद सूर्य की स्थिति उत्तरायण हो जाती है। अब मार्च, अप्रैल और मई के बीच अधिक तापमान की पेटी दक्षिण से उत्तर की ओर खिसक जाती है। इस समय देश के उत्तर-पश्चिमी भागों में तापमान 48° सेल्सियस तक पहुँच जाता है। फलस्वरूप अत्यधिक गर्मी पड़ने के कारण इस भाग में निम्न वायुदाब के क्षेत्र बन जाते हैं। इसे ‘मानसून का निम्न वायुदाब गर्त कहते हैं। इस ऋतु में शुष्क एवं गर्म पवनें चलने लगती हैं, जिन्हें ‘लू’ कहा जाता है। इन दिनों पंजाब, हरियाणा, पूर्वी राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश में धूलभरी आँधियाँ भी चलती हैं।

3. आगे बढ़ते हुए मानसून की ऋतु-सम्पूर्ण देश में जून, जुलाई, अगस्त और सितम्बर के महीनों में ही अधिकांश वर्षा होती है। वर्षा की अवधि एवं मात्रा उत्तर से दक्षिण तथा पूर्व से पश्चिम की ओर घटती जाती है। भारत के उत्तर-पश्चिमी भागों में यह अवधि केवल दो महीनों की होती है। तथा वर्षा का 75% से 90% भाग इसी अवधि में प्राप्त हो जाता है।

4. पीछे लौटते हुए मानसून की ऋतु-अक्टूबर और नवम्बर के महीनों में मानसूने पीछे लौटने लगता है। अक्टूबर माह के अन्त तक मानसून मैदान से पूर्णतः पीछे हट जाता है। इस समय शुष्क ऋतु का आगमन होता है तथा आकाश स्वच्छ हो जाता है। तापमान में कुछ वृद्धि होती है। उच्च तापमान और आर्द्रता के कारण मौसम कष्टदायी हो जाता है। निम्न वायुदाब के क्षेत्र बंगाल की खाड़ी में स्थानान्तरित हो जाते हैं। इस अवधि में पूर्वी तट पर व्यापक वर्षा होती है। सम्पूर्ण कोरोमण्डल तट पर अधिकांश वर्षा इन्हीं चक्रवातों और अवदाबों के कारण होती है।

58.

भारत की चारों ऋतुओं के नाम उनके महीनों के साथ लिखिए।

Answer»

⦁    शीत ऋतु-दिसम्बर, जनवरी, फरवरी।

⦁    ग्रीष्म ऋतु-मार्च, अप्रैल, मई।

⦁    आगे बढ़ते मानसून की ऋतु-जून, जुलाई, अगस्त, सितम्बर।

⦁    पीछे हटते मानसून की ऋतु -अक्टूबर, नवम्बर, दिसम्बर।

59.

भारत में पायी जाने वाली ऋतुओं के नाम लिखिए।

Answer»
  • शीत ऋतु,
  • ग्रीष्म ऋतु,
  • वर्षा ऋतु (आगे बढ़ते मानसून की ऋतु) तथा
  • शरद ऋतु (पीछे हटते हुए मानसून की ऋतु।)
60.

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार भारत में कितने स्पष्ट मौसम पाए जाते हैं? किसी एक मौसम की दशाओं की सविस्तार व्याख्या कीजिए।

Answer»

भारत में मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार वर्ष में अनुसार वर्ष में निम्नलिखित चार प्रकार के मौसम होते हैं

(1) शीत ऋतु 
(2) ग्रीष्म ऋतु
(3) दक्षिण-पश्चिमी मानसून की ऋतु
(4) मानसून के निवर्तन की ऋतु

शीत ऋतु

भारत में शीत ऋतु का प्रारम्भ मध्य नवम्बर से हो जाता है। इस समय उत्तरी भारत में तापमान में गिरावट आरम्भ हो जाती है तथा उत्तरी भारत के अधिकांश भागों में औसत तापमान 21°C से कम रहता है। (जनवरी-फरवरी) रात्रि का तापमान काफी कम हो जाता है, जो पंजाब और राजस्थान में हिमांक से भी नीचे चला जाता है।

दक्षिणी भारत में सर्दी की ऋतु नहीं के बराबर होती है। यहाँ तापान्तर बहुत कम रहता हैं। तटीय प्रदेशों में तो यह बहुत कम रहता है। त्रिवेन्द्रम का तापमान जनवरी में 31C तथा जून में 29.5C तक रहता है। शीत ऋतु में पवनें उत्तर-पश्चिम से दक्षिण को चलती हैं जहाँ वायुदाब कम होता है।

शीत ऋतु में वर्षा अल्पतम होती है। इस समय उत्तरी भारत में वर्षा शीतोष्ण चक्रवात, जिन्हें पश्चिमी विक्षोभ कहते हैं, से होती है। यह वर्षा रबी की फसल के लिए लाभदायक रहती है। इसी समय भारत के पूर्वी तटीय भाग में भी विशेषकर तमिलनाडु में वर्षा होती है।

61.

‘जेट स्ट्रीम’ किसे कहते हैं?

Answer»

धरातल से तीन किलोमीटर की ऊंचाई पर बहने वाली ऊपरी हवा अथवा संचार चक्र (Upper Air Circulation) को जेट स्ट्रीम (Stream) कहते हैं।

62.

भारत के मौसम विभाग कार्यालय की स्थापना कब हुई थी ?(A) 1857(B) 1775(C) 1875(D) 1905

Answer»

सही विकल्प है (C) 1875

63.

दक्षिण-पश्चिमी मानसून की उत्पत्ति का प्रमुख क्या कारण है ?

Answer»

दक्षिण-पश्चिम मानसून की उत्पत्ति के दो प्रमुख कारण हैं

⦁    ग्रीष्म काल में देश के उत्तर-पश्चिमी (स्थलीय) भू-भागों में निम्न वायुदाब तथा समीपवर्ती समुद्री | भागों (हिन्द महासागर, अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी) में उच्च वायुदाब का होना।

⦁    क्षोभमण्डल की ऊपरी परतों में तीव्रगामी पुरवा जेट पवनों का चलना।

64.

भारत की मुख्य चार ऋतुओं के नाम और समय की जानकारी दीजिए ।

Answer»

भारत के दिल्ली स्थित मौसम कार्यालय ने ऋतुओं को चार भागों में बाँटा गया है :

  1. शीत ऋतु (ठंडी) – दिसंबर से फरवरी
  2. ग्रीम ऋतु (गर्मी) – मार्च से मई
  3. वर्षा ऋतु (वर्षा) – जून से सितंबर
  4. निवर्तन ऋतु (लौटती मानसूनी हवाओं की ऋतु) – अक्टूबर से नवंबर
65.

थार मरुस्थल में अल्प वर्षा क्यों होती है ? दो कारण लिखिए।

Answer»

थार मरुस्थल में अल्प वर्षा होने के दो कारण निम्नलिखित हैं

⦁    थार मरुस्थल अरबसागरीय मानसूनों के मार्ग में पड़ता है, किन्तु यहाँ मानसून पवनों को रोकने के लिए कोई ऊँची पर्वत-श्रेणी स्थित नहीं है।

⦁    अरावली की पहाड़ियाँ नीची हैं तथा पवनों की दिशा के समानान्तर हैं।

66.

भारत के ऋतुचक्र की संक्षिप्त जानकारी दीजिए ।

Answer»

हमारे देश में लगभग दो दो महीने के समय दौरान मौसम लगभग एकसमान ही रहता है ।
इस दो-दो महीने के समय को ऋतु कहते हैं । भारत में परम्परागत ढंग से छः ऋतुएँ मानी जाती हैं : हेमंत, शिशिर, वसंत, ग्रीष्म, वर्षा और शरद । इन ऋतुओं में भी पास-पास की दो ऋतओं के मौसम की परिस्थिति में बहत बड़ा अंतर नहीं दिखाई देता है ।

यदि दो-दो ऋतुओं की गणना साथ में कर लें तो वर्ष दौरान कुल तीन ऋतुएँ होंगी :

  1. शीतऋतु
  2. ग्रीष्मऋतु
  3. वर्षाऋतु ।

भारत में स्पष्ट रूप से बदलती हुई ऋतुओं का अनुभव होता है । शीतऋतु के आते ही ठंडी का अनुभव होने लगता है ।
ग्रीष्मऋतु में क्रमशः तापमान में वृद्धि होने लगती है । वर्षाऋतु आते ही हवा में नमी बढ़ने लगती है और वर्षा होती है ।

दिल्ली में स्थित भारत सरकार के मौसम विभाग के कार्यालय ने भारत की जलवायु को ध्यान में रखते हुए समग्र वर्ष को चार ऋतुओं में विभाजित किया है :

(1) शीतऋतु – ठंडी – दिसंबर से फरवरी
(2) ग्रीष्मऋतु – गर्मी – मार्च से मई
(3) वर्षाऋतु – वर्षा – जून से सितंबर
(4) निवर्तन ऋतु – लौटती मानसूनी हवाओं की ऋतु – अक्टूबर से नवंबर

67.

जेट स्ट्रीम की संक्षिप्त में जानकारी दीजिए ।

Answer»

दोनों गोलार्ध में लगभग 30 अक्षांश के आसपास 8 से 15 किमी की ऊँचाई के वातावरण में पाइप आकार के पट्टे में अत्यंत गतिशील पवन चलते दिखाई देते हैं, ये पवन ‘जेट स्ट्रीम’ या ‘जेट पवन’ के नाम से पहचाने जाते हैं । जेट स्ट्रीम की औसत गति लगभग प्रतिघंटे 150 कि.मी. है और इस पवन पट्टे के मध्यभाग में पवनों का वेग 400 किमी रहता है और गर्मी में वे प्रायद्विपीय भारत के ऊपर स्थिर होते हैं । अधिक ऊँचाई पर बहनेवाले ये पवन वर्षा लाने में सहायक होते हैं ।

68.

भारतीय मौसम विभाग की जानकारी संक्षिप्त में दीजिए ।

Answer»

भारतीय मौसम विभाग की स्थापना सन् 1875 में कोलकाता में हुई थी ।

  • इसका मुख्यालय सन् 1905 में पूर्ण और वर्तमान में दिल्ली में स्थानांतरित हुआ था ।
  • इसके अलावा क्षेत्रीय कार्यालय चेन्नई, गुवाहाटी, कोलकाता, मुंबई, पुणे और नागपुर में 6 कार्यालय है । तथा प्रत्येक राज्य की राजधानी में इसके कार्यालय है ।
  • भारतीय मौसम विभाग – कार्यालय हमारे देश के मौसम के बारे में समाचारपत्र, रेडियो, टी.वी., और वेबसाईट द्वारा देता है ।
  • भारतीय मौसम विभाग द्वारा भारत से लेकर अंटार्कटिका तक निरीक्षण केन्द्र स्थापित किये गये है, जिसके आधार पर मौसम की भविष्यवाणी की जाती है ।
69.

आई.टी.सी. झोन (ITCZ) के विषय में जानकारी दीजिए ।

Answer»

व्यापारिक पवन जहाँ मिलते हैं, वहाँ विषुववृत्त रेखा पर विशाल निम्न दाब क्षेत्र बनता है, उसे आंतर उष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (Inter Tropical Convergence Zone) कहते हैं । ये व्यापारिक पवन वायु प्रवाह स्वरूप में ऊपर उठते हैं । जुलाई मास में यह अभिसरण क्षेत्र 20° से 25° उत्तरी अक्षांशीय प्रदेश के ऊपर स्थिर होता है । भारत में यह गंगा के मैदान के ऊपर केन्द्रित होता है और यहाँ कम दबाव क्षेत्र निर्मित होता है । जिसके कारण दक्षिणी गोलार्ध के महासागरों के ऊपर उत्पन्न होनेवाले ये पवन उत्तर की ओर बहते हैं और भारत के कई भागों में वर्षा होती है । शीतऋतु के दौरान यह अभिसरण क्षेत्र और दक्षिण की ओर खिसकता है, जिससे पवनों की दिशा उत्तर-पूर्व की हो जाती है ।

70.

भारत में अधिकांश वर्षा किस ऋतु में होती है ?

Answer»

भारत में अधिकांश अर्थात् 75% से 90% तक वर्षा आगे बढ़ते हुए मानसूनों द्वारा (जून से सितम्बर माह में) वर्षा ऋतु में होती है।

71.

भारत के किस राज्य में शीत ऋतु में वर्षा होती है?(क) गुजरात(ख) पश्चिम बंगाल(ग) कर्नाटक(घ) तमिलनाडु

Answer»

सही विकल्प है (घ) तमिलनाडु

72.

अल-नीनो (EI-Nino) की संक्षिप्त जानकारी दीजिए ।

Answer»

अल-नीनो स्पेनिश भाषा का शब्द है । उसका शाब्दिक अर्थ ‘छोटा बालक’ होता है । यह नगर पेरू के मछुआरों ने बालक ईस के नाम पर से दिया है, कारण कि सामान्य रूप से उनका प्रभाव नाताल के आसपास दिखाई देता है । वातावरणीय तथा समुद्री असर से दक्षिण अमेरिका के पेरू देश के पश्चिम प्रशान्त महासागर के तट के नजदीक गर्म प्रवाह उत्पन्न होता है । यह प्रवाह पश्चिम की तरफ बहता है और उसका असर भारत तक अनुभव किया जाता है । अल-नीनो नामक विशिष्ट घटना कभी-कभी आकार लेती है ।

 जब भी अलनीनो घटना घटित होती है तब भारत के वर्षाऋतु समय मर्यादा में तथा बरसात के अनुपात में बड़ा परिवर्तन होता है ।

73.

मानसून से क्या अभिप्राय है?

Answer»

मानसून उन पवनों को कहते हैं जो वर्ष में छ: महीने (ग्रीष्म ऋतु) सागरों से स्थल की ओर तथा शेष छः महीने (शीत ऋतु) स्थल से सागरों की ओर चलती हैं।

74.

‘अल नीनो’ समुद्री धारा कहां बहती है?

Answer»

‘अल नीनो’ (El-Nino-Current) समुद्री धारा चिली के तट के समीप प्रशान्त महासागर में बहती है।

75.

‘आम्रवृष्टि’ और ‘काल बैसाखी’ में अन्तर स्पष्ट कीजिए।

Answer»

आम्रवृष्टि- ग्रीष्म ऋतु के अन्त में केरल तथा कर्नाटक के तटीय भागों में मानसून से पूर्व की वर्षा का यह स्थानीय नाम इसलिए पड़ा है क्योंकि यह आम के फलों को शीघ्र पकाने में सहायता करती है।

काल बैसाखी- ग्रीष्म ऋतु में बंगाल तथा असम में भी उत्तरी-पश्चिमी तथा उत्तरी पवनों द्वारा वर्षा की तेज़ बौछारें पड़ती हैं। यह वर्षा प्रायः सायंकाल में होती है। इसी वर्षा को ‘काल बैसाखी’ कहते हैं। इसका अर्थ है-बैसाख मास का काल।

76.

‘मानसून तोड़’ से क्या अभिप्राय है?

Answer» वर्षा ऋतु में शुष्क अन्तराल को मानसूनी तोड़ कहते हैं।
77.

लेह और द्रास में ठंडी की ऋतु में कितना तापमान पाया जाता है ?(A) 10°(B) 0°(C) -150(D) -45°

Answer»

सही विकल्प है (D) -45°

78.

“मानसून का निम्न वायुदाब गर्त” से क्या अभिप्राय है? भारत में इसका विस्तार कहा तक होता है?

Answer»

ग्रीष्म ऋतु में देश के आधे उत्तरी भाग में तापमान बढ़ जाने के कारण वायुदाब कम हो जाता है। परिणामस्वरूप मई के अन्त तक लम्बा संकरा निम्न वायुदाब क्षेत्र विकसित हो जाता है। इसी वायुदाब क्षेत्र को ‘मानसून का निम्न वायुदाब गर्त’ कहते हैं। इस निम्न वायुदाब गर्त के चारों ओर वायु परिसंचरण होता रहता है।

हमारे देश में इस गर्त का विस्तार उत्तर-पश्चिम में थार मरुस्थल से लेकर दक्षिण-पूर्व में पटना तथा छोटा नागपुर के पठार तक होता है।

79.

शीतऋतु में दिल्ली में कितना तापमान होता है ?(A) 10°(B) 16°(C) 180(D) 5°

Answer»

सही विकल्प है (A) 10°

80.

नीचे दिए गए विधानों में कौन-सा विधान सत्य है ?(A) शीतऋतु में दिन लम्बे और रात छोटी होती है ।(B) ग्रीष्मऋतु में दिन छोटे तथा रात छोटी होती है ।(C) शीतऋतु में दिन छोटे और रात लंबी होती है ।(D) ग्रीष्मऋतु में दिन छोटे और रात लंबी होती है ।

Answer»

(C) शीतऋतु में दिन छोटे और रात लंबी होती है ।

81.

शीतऋतु में किस समुद्री तट पर अधिक वर्षा होती हैं ?(A) कारोमंडल तट(B) उत्तरी सिरकार तट(C) कोंकण तट(D) मलाबार तट

Answer»

(A) कारोमंडल तट

82.

दैनिक ताप परिसर का क्या अर्थ है? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।

Answer»

किसी स्थान के अधिकतम व न्यूनतम दैनिक तापमान में अंतर को दैनिक ताप परिसर कहते हैं अर्थात् किसी स्थान के पिछले 24 घण्टों के अधिकतम और न्यूनतम तापमान के अंतर को दैनिक ताप परिसर कहते हैं। उदाहरण के लिए 8 अक्टूबर, 2017 ई. को दिल्ली अधिकतम तापमान 33.7° तथा न्यूनतम तापमान 19.1° था। इस प्रकार दिल्ली का दैनिक ताप परिसर 33.7° – 19.1° = 14.6° से हुआ।

83.

“भारत एक शुष्क भूमि या रेगिस्तान होता यदि मानसून न होता।” इस कथन को चार बिन्दुओं में समझाइए।

Answer»
  1. भारत की अधिकांश वर्षा उत्तर पश्चिमी मानसून से प्राप्त होती है। इसके अभाव में पूरा उत्तरी मैदान शुष्क भूमि होता।
  2. पश्चिमी तटीय मैदान वर्षा विहीन होकर शुष्क प्रदेश बन जाते।
  3. उत्तर-पूर्वी मानसून के अभाव में तमिलनाडु शुष्क प्रदेश में बदल जाता।
  4. मध्य तथा पूर्वी भारत भी शुष्क प्रदेश बनकर रह जाते।
84.

भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले तत्त्वों को बताइए।(कोई दो)

Answer»

भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले मुख्य तत्त्व हैं-

1. भूमध्य रेखा से दूरी,

2. धरातल का स्वरूप,

3. वायुदाब प्रणाली,

4. मौसमी पवनें और

5. हिन्द महासागर से समीपता।

85.

ग्रीष्म ऋतु के प्रारम्भ (मार्च मास) में किस भाग पर तापमान सबसे अधिक होता है ?

Answer»

ग्रीष्म ऋतु के प्रारम्भ में दक्कन के पठार पर तापमान सबसे अधिक होता है।

86.

शीतऋतु में राजस्थान और गुजरात में शीतलहर क्यों चलती है ?

Answer»

हिमालय में जब हिमवर्षा होती है तब वहाँ से ठंडी और खूब हवा उत्तरी भारत के मैदान की तरफ आती है परिणामस्वरूप उत्तर भारत सहित गुजरात, राजस्थान में शीत लहर चलती हैं ।

87.

भारतीय जीवन पर मानसून पवनों के प्रभाव का उदाहरण सहित वर्णन करो।

Answer»

किसी भी देश या क्षेत्र के आर्थिक, धार्मिक तथा सामाजिक विकास में वहां की जलवायु का गहरा प्रभाव होता है। इस सम्बन्ध में भारत कोई अपवाद नहीं है। मानसून पवनें भारत की जलवायु का सर्वप्रमुख प्रभावी कारक हैं। इसलिए इनका महत्त्व और भी बढ़ जाता है। भारतीय जीवन पर इन पवनों के प्रभाव का वर्णन इस प्रकार है —

  1. आर्थिक प्रभाव- भारतीय अर्थव्यवस्था लगभग पूरी तरह से कृषि पर आधारित है। इसके विकास के लिए मानसूनी वर्षा ने एक सुदृढ़ आधार प्रदान किया है। जब मानसूनी वर्षा समय पर तथा उचित मात्रा में होती है, तो कृषि उत्पादन बढ़ जाता है तथा चारों ओर हरियाली एवं खुशहाली छा जाती है। परन्तु इसकी असफलता से फसलें सूख जाती हैं, देश में सूखा पड़ जाता है तथा अनाज के भण्डारों में कमी आ जाती है। इसी प्रकार यदि मानसून देरी से आए तो फसलों की बुआई समय पर नहीं हो पाती जिससे उत्पादन कम हो जाता है। इस तरह कृषि के विकास और मानसूनी वर्षा के बीच गहरा सम्बन्ध बना हुआ है। इसी बात को देखते हुए ही भारत के बजट को मानसूनी पवनों का जुआ (Gamble of Monsoon) भी कहा जाता है।
  2. सामाजिक प्रभाव- भारत के लोगों की वेशभूषा, खानपान तथा सामाजिक रीति-रिवाजों पर मानसून पवनों का गहरा प्रभाव दिखाई देता है। मानसूनी वर्षा आरम्भ होते ही तापमान कुछ कम होने लगता है और इसके साथ ही लोगों का पहरावा बदलने लगता है। इसी प्रकार मानसून द्वारा देश में एक ऋतु-चक्र चलता रहता है, जो खान-पान तथा पहरावे में बदलाव लाता रहता है। कभी लोगों को गर्म वस्त्र पहनने पड़ते हैं, तो कभी हल्के सूती वस्त्र।
  3. धार्मिक प्रभाव- भारतीयों के अनेक त्योहार मानसून से जुड़े हुए हैं। कुछ का सम्बन्ध फसलों की बुआई से है तो कुछ का सम्बन्ध फसलों के पकने तथा उसकी कटाई से। पंजाब का त्योहार बैसाखी इसका उदाहरण है। इस त्योहार पर पंजाब के किसान फसल पकने की खुशी में झूम उठते हैं।

सच तो यह है कि समस्त भारतीय जन-जीवन मानसून के गिर्द ही घूमता है।

88.

भारत में विशाल मानसून एकता होते हुए भी क्षेत्रीय विभिन्नताएं क्यों मिलती हैं?

Answer»

इसमें कोई सन्देह नहीं कि हिमालय देश को मानसूनी एकता प्रदान करता है परन्तु इस एकता के बावजूद भारत के सभी क्षेत्रों में समान मात्रा में वर्षा नहीं होती। कुछ क्षेत्रों में तो बहुत कम वर्षा होती है। इस विभिन्नता के निम्नलिखित कारण हैं —

  1. स्थिति- भारत के जो क्षेत्र पवनोन्मुख भागों में स्थित हैं, वहां समुद्र से आने वाली मानसून पवनें पहले पहंचती हैं और खूब वर्षा करती हैं। इसके विपरीत पवन विमुख ढालों वाले क्षेत्रों में वर्षा कम होती है। उदाहरण के लिए उत्तरपूर्वी मैदानी भागों, हिमाचल तथा पश्चिमी तटीय मैदान में अत्यधिक वर्षा होती है। इसके विपरीत प्रायद्वीपीय पठार के बहुत-से भागों तथा कश्मीर में कम वर्षा होती है।
  2. पर्वतों की दिशा- जो पर्वत पवनों के सम्मुख स्थित होते हैं, वे पवनों को रोकते हैं और वर्षा लाते हैं। इसके विपरीत पवनों के समानान्तर स्थित पर्वत पवनों को रोक नहीं पाते और उनके समीप स्थित क्षेत्र शुष्क रह जाते हैं। इसी कारण से राजस्थान का एक बहुत बड़ा भाग अरावली पर्वत के कारण शुष्क मरुस्थल बन कर रह गया है।
  3. पवनों की दिशा- मानसूनी पवनों के मार्ग में जो क्षेत्र पहले आते हैं, उनमें वर्षा अधिक होती है और जो क्षेत्र बाद में आते हैं, उनमें वर्षा क्रमशः कम होती जाती है। कोलकाता में बनारस से अधिक वर्षा होती है।
  4. समुद्र से दूरी- समुद्र के निकट स्थित स्थानों में अधिक वर्षा होती है। परन्तु जो स्थान समुद्र से दूर स्थित होते हैं, वहां वर्षा की मात्रा कम होती है।

सच तो यह है कि विभिन्न क्षेत्रों की स्थिति तथा पवनों एवं पर्वतों की दिशा के कारण वर्षा के वितरण में क्षेत्रीय विभिन्नता पाई जाती है।

89.

वायुदाब व पवन-तंत्र किसी स्थान की जलवायु को किस प्रकार प्रभावित करते हैं? स्पष्ट कीजिए।

Answer»

भूगोल वेत्ताओं के अनुसार पवनें उच्च वायुदाब से निम्न वायुदाब की ओर प्रवाहित होती हैं। सर्दियों में हिमालय के उत्तर में उच्च वायुदाब क्षेत्र बना होता है। इसीलिए ठण्डी शुष्क पवनें इस क्षेत्र से महासागरों की ओर निम्न दाब क्षेत्रों की ओर दक्षिण दिशा में बहती हैं। गर्मियों में भीतरी एशिया तथा उत्तर-पश्चिमी भारत में निम्न वायुदाब क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप, वायु दक्षिण में स्थित हिंद महासागर के उच्च दाब वाले क्षेत्र से दक्षिण-पूर्वी दिशा में बहते हुए विषुवत् वृत्त को पार कर दाहिनी ओर मुड़ते हुए भारतीय उपमहाद्वीप पर स्थित निम्न दाब की ओर बहने लगती है।

इन्हें दक्षिण-पश्चिम मानसून पवनों के नाम से जाना जाता है। ये पवनें कोष्ण महासागरों के ऊपर से बहती हैं, नमी ग्रहण करती हैं तथा भारत की मुख्य भूमि पर वर्षा करती हैं। इस प्रदेश में, ऊपरी वायु परिसंचरण पश्चिमी प्रवाह के प्रभाव में रहता है। भारत में होने वाली वर्षा मुख्यतः दक्षिण-पश्चिमी मानसून पवनों के कारण होती है। मानसून की अवधि 100 से 120 दिन के बीच होती है। इसलिए देश में होने वाली अधिकतर वर्षा कुछ ही महीनों में केंद्रित है।

(1) पश्चिमी चक्रवाती विक्षोभ एवं उष्णकटिबंधीय चक्रवात – हिमालय के दक्षिण से बहने वाली उपोष्ण कटिबंधीय पश्चिमी जेट धाराएँ शीत ऋतु के महीनों में देश के उत्तर एवं उत्तर-पश्चिमी भागों में उत्पन्न होने वाले पश्चिमी चक्रवातीय विक्षोभों के लिए जिम्मेदार हैं। भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान एवं नेपाल में भूमध्यसागर से उत्पन्न होने वाले अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय तूफानों का पश्चिमी विक्षोभ कहा जाता है जो सर्दियों के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी भागों में अचानक वर्षा एवं हिमपात का कारण बनते हैं। यह पश्चिमी विक्षोभों के कारण होने वाला गैर-मानसूनी वर्षण है। इन तूफानों को मिलने वाली आर्द्रता का स्रोत भूमध्य सागर एवं अटलांटिक महासागर है।

(2) कोरिआलिस बल – भारतीय उपमहाद्वीप में पवनों की दिशा में मौसम के अनुरूप परिवर्तन कोरिआलिस बल के कारण होता है। भारत उत्तर पूर्वी पवनों के क्षेत्र में स्थित है। ये पवनें उत्तरी गोलार्द्ध के उपोष्ण कटिबंधीय उच्च दाब पट्टियों से उत्पन्न होती हैं। ये दक्षिण की ओर बहती, कोरिआलिस बल के कारण दाहिनी ओर विक्षेपित होकर विषुवतीय निम्न दाब वाले क्षेत्रों की ओर बढ़ती हैं।

(3) जेट धाराएँ – क्षोभमंडल में अत्यधिक ऊँचाई पर एक सँकरी पट्टी में स्थित हवाएँ होती हैं। इनकी गति गर्मी में 110 किमी प्रति घंटा एवं सर्दी में 184 किमी प्रति घंटा के बीच विचलन करती है। हिमालय के उत्तर की ओर पश्चिमी जेट धाराओं की गतिविधियों एवं गर्मियों के दौरान भारतीय प्रायद्वीप पर बहने वाली पश्चिमी जेट धाराओं की उपस्थिति मानसून को प्रभावित करती है। प्रायः जब उष्णकटिबंधीय पूर्वी दक्षिण प्रशांत महासागर में उच्च वायुदाब होता है। तो-उष्णकटिबंधीय पूर्वी हिन्द महासागर में निम्न वायुदाब होता है।

किन्तु कुछ निश्चित वर्षों में वायुदाब परिस्थितियाँ विपरीत हो जाती हैं और पूर्वी प्रशांत महासागर में पूर्वी हिन्द महासागर की अपेक्षाकृत निम्न वायुदाब होता है। दाब की अवस्था में इस नियतकालिक परिवर्तन को दक्षिणी दोलन के नाम से जाना जाता है। एलनीनो, दक्षिणी दोलन । से जुड़ा हुआ एक लक्षण है। यह एक गर्म समुद्री जलधारा है, जो पेरू की ठंडी धारा के स्थान पर प्रत्येक 2 या 5 वर्ष के अंतराल में पेरू तट से होकर बहती है। दाब की अवस्था में परिवर्तन का संबंध एलनीनो से है।

इसलिए इस परिघटना को एंसो-(ENSO) (एलनीनो दक्षिणी दोलन) कहा जाता है। हवाओं में निरंतर कम होती आर्द्रता के कारण उत्तर भारत में पूर्व से पश्चिम की ओर वर्षा की मात्रा कम होती जाती है। बंगाल की खाड़ी शाखा से उठने वाली आर्ट पवनें जैसे-जैसे आगे, और आगे बढ़ती हुई देश के आंतरिक भागों में जाती हैं, वे अपने साथ लाई गई अधिकतर आर्द्रता खोने लगती हैं। परिणामस्वरूप पूर्व से पश्चिम की ओर वर्षा धीरे-धीरे घटने लगती है। राजस्थान एवं गुजरात के कुछ भागों में बहुत कम वर्षा होती है।

90.

मानसून की स्वेच्छाचारिता तथा अनिश्चितता को चार उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।

Answer»

मानसून की स्वेच्छाचारिता तथा अनिश्चितता से अभिप्राय यह है कि भारत में न तो मानसूनी वर्षा की मात्रा निश्चित है और न ही इसके आगमन का समय। उदाहरण के लिए-

  1. यहां बिना वर्षा वाले तथा वर्षा वाले दिनों की संख्या घटती-बढ़ती रहती है।
  2. किसी वर्ष भारी वर्षा होती है तो कभी हल्की। परिणामस्वरूप कभी बाढ़ आती है तो किसी वर्ष सूखा पड़ जाता है।
  3. मानसून का आगमन और वापसी भी अनियमित तथा अनिश्चित है।
  4. इसी प्रकार कुछ क्षेत्र भारी वर्षा प्राप्त करते हैं, तो कुछ क्षेत्र बिल्कुल शुष्क रह जाते हैं।
91.

अन्तःउष्ण कटिबन्धीय अभिसरण क्षेत्र क्या है?

Answer»

विषुवत् वृत्त या उसके पास निम्न वायुदाब तथा आरोही वायु का क्षेत्र अन्त:उष्ण कटिबन्धीय अभिसरण क्षेत्र कहलाता है। इस क्षेत्र में व्यापारिक पवनें मिलती हैं; अतः इस क्षेत्र में वायु ऊपर उठने लगती है। इसे कभी-कभी मानसूनी गर्त भी कहते हैं। 

92.

नैऋत्य के मानसूनी पवनों की ऋतु किसे कहते हैं ?

Answer»

वर्षाऋतु में होनेवाली वर्षा तथा नमीवाली तथा बादल छाया मौसम, भारत की ओर बढ़नेवाले नैऋत्य मानसूनी पवनों का आभारी है, इसलिए इस ऋतु को ‘नैऋत्य के मानसूनी पवन की ऋतु’ कहते हैं ।

93.

ऋतु किसे कहते हैं ?

Answer»

भारत में दो-दो महीनों के समय दौरान एक-जैसा मौसम रहता है, जिसे ऋतु कहते हैं ।

94.

सम जलवायु किसे कहते हैं? भारत में सम जलवायु वाले दो स्थानों के नाम बताइए।

Answer»

जब किसी क्षेत्र या देश के सबसे अधिक गर्म तथा सबसे अधिक ठंडे महीने के तापमान में बहुत कम अंतर होता है, तो उस क्षेत्र, स्थान या देश की जलवायु को सम जलवायु कहते हैं अर्थात् जब किसी क्षेत्र या देश में तापमान की परिस्थितियाँ वर्षभर प्रायः समान रहती हैं, तो उसकी जलवायु सम कहलाती है। उदाहरण के लिए त्रिवेंद्रम और मुंबई की जलवायु सम है।

95.

भारत के दक्षिणी भागों में कौन-सी ऋतु नहीं होती?(A) गर्मी(B) वर्षा(C) सर्दी(D) बसन्त

Answer»

सही विकल्प है (C) सर्दी

96.

एलनीनो किसे कहते हैं?

Answer»

ठंडी पेरू जलधारा के स्थान पर अस्थायी तौर पर गर्म जलधारा के विकास को एलनीनो का नाम दिया गया है। एलनीनो स्पैनिश शब्द है, जिसका अर्थ होता है बच्चा तथा जो कि बेबी क्राइस्ट को व्यक्त करता है क्योंकि यह धारा क्रिसमस के समय बहना शुरू करती है। एलनीनो की उपस्थिति समुद्र की सतह के तापमाम को बढ़ा देती है तथा उस क्षेत्र में व्यापारिक पवनों को शिथिल कर देती है।

97.

निम्नलिखित विधानों के कारण दीजिए:राजस्थान का पश्चिमी भाग सूखा रहता है ।

Answer»

अरब सागर की एक शाखा कच्छ-सिन्धु घाटी से होकर पंजाब तक पहुँचती है लेकिन इसके मार्ग में कोई भी पर्वत बाधा नहीं होने से वर्षा नहीं होती ।

  1. इन पवनों के समान्तर अरावली पर्वतमाला होने से ये पवने उसके सहारे आगे चली जाती है ।
  2. राजस्थान में वनों की बहुत कमी है । – अतएव राजस्थान का पश्चिमी भाग सूखा रह जाता है ।
98.

मानसून की एकता स्थापित करने वाले विभिन्न कारकों को उदाहरण सहित प्रस्तुत कीजिए।

Answer»

भारत में तापमान और वर्षा के वितरण को देखने एवं स्वरूप को समझने से इस बात का आभास होता है कि भारत की जलवायु में पर्याप्त विषमता है। लेकिन भारत अपनी जलवायु सम्बन्धी एकता के लिए जाना जाता है। इस मानसूनी एकता को प्रदान करने में जिन कारकों का विशेष योगदान है उसमें उत्तर दिशा में स्थित हिमालय पर्वत और वर्षा की प्रवृत्ति का विशेष योगदान है।

(1) हिमालय की विशिष्ट स्थिति – भारत की उत्तरी सीमा पर हिमालय पर्वतमालाओं का विस्तार उत्तर-पश्चिम से उत्तर पूर्व की ओर लगभग 3,000 किमी में है। ये पर्वतमालाएँ भारत के लिए अनेक प्रकार से वरदान सिद्ध हुई हैं। वास्तव में ये जलवायु विभाजक हैं तथा भारत के लिए बंद बक्से का काम करती हैं। शीतकाल में मध्य एशिया से चलने वाली ठंडी और शुष्क पवनों को ये पर्वत, भारत में आने से रोककर उसे ठंडा होने से बचाते हैं। दूसरी ओर दक्षिण-पश्चिमी मानसून पवनें जो उष्णआई होती हैं, उन्हें रोककर ये पर्वतमालाएँ वर्षा करने के लिए बाध्य करती हैं।

इस प्रकार भारत में वर्षा के वितरण को प्रभावित करने में इनका महत्त्वपूर्ण योगदान है। इन पर्वतों के कारण देश में उष्णकटिबंधीय जलवायु दशाएँ पैदा होती हैं। ग्रीष्म ऋतु में प्रायः सारे देश में जलवायु की समान दशाएँ पाई जाती हैं। जलवायु की विषमताओं तथा एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में परिवर्तनशीलता के होते हुए भी मानसून के कारण प्रतिवर्ष ऋतुओं के चक्र की एक लय बनी रहती है। इस ऋतु लय का प्रभाव भूमि, वनस्पति, प्राणी वर्ग, कृषि कार्य एवं संपूर्ण भारतीय जीवन पर पड़ता है।

(2) भारत में वर्षा की प्रवृत्ति – भारत के विभिन्न भागों में वर्षा की मात्रा उच्चावच पर निर्भर रहती है। फिर भी एक लंबे शुष्क और गर्म मौसम के बाद सारे देश में मानसून की पहली बरसात की तीव्रता से प्रतीक्षा की जाती है। रबी की फसल घर में ले आने के बाद कश्मीर से कन्याकुमारी तथा गुजरात से गुवाहाटी तक का किसान बड़ी बेसब्री के साथ आकाश में बादलों को वर्षा के लिए निहारता रहता है ताकि वर्षा से  उसकी जमीन की प्यास बुझ सके तथा वह अपने कृषि कार्य में लग सके। लेकिन वर्षा की प्रवृत्ति मानसून की सनक पर निर्भर करती है। समय, मात्रा एवं स्थान के अनुसार वर्षा की अनिश्चितता एवं अनियमितता पाई जाती है। इसका प्रभाव सारे देश पर पड़ता है।

99.

मानसून वर्षा की विशेषताओं का वर्णन करो।

Answer»

भारत में वार्षिक वर्षा की मात्रा 118 सेंटीमीटर के लगभग है। यह सारी वर्षा मानसून पवनों द्वारा ही प्राप्त होती है। इस मानसूनी वर्षा की निम्नलिखित मुख्य विशेषताएं हैं —

  1. वर्षा का समय व मात्रा- देश की अधिकांश वर्षा (87%) मानसून पवनों द्वारा गर्मी के मौसम में प्राप्त होती है। 3% वर्षा सर्दियों में और 10% मानसून आने से पहले मार्च से मई तक हो जाती है। वर्षा ऋतु जून से मध्य सितम्बर के बीच होती है।
  2. अस्थिरता-  भारत में मानसून पवनों से प्राप्त वर्षा भरोसे योग्य नहीं है। यह आवश्यक नहीं है कि वर्षा एकसमान होती रहे। वर्षा की यह अस्थिरता देश के आन्तरिक भागों तथा राजस्थान में अपेक्षाकृत अधिक है।
  3. असमान वितरण- देश में वर्षा का वितरण समान नहीं है। पश्चिमी घाट की पश्चिमी ढलानों और मेघालय तथा असम की पहाड़ियों में 250 सेंटीमीटर से भी अधिक वर्षा होती है। दूसरी ओर पश्चिमी राजस्थान, पश्चिमी गुजरात, उत्तरी जम्मू-कश्मीर आदि में 25 सेंटीमीटर से भी कम वर्षा होती है।
  4. अनिश्चितता– भारत में होने वाली मानसूनी वर्षा की मात्रा पूरी तरह निश्चित नहीं है। कभी तो मानसून पवनें समय से पहले पहुंच कर भारी वर्षा करती हैं। कई स्थानों पर तो बाढ़ तक आ जाती है। कभी यह वर्षा इतनी कम होती है या निश्चित समय से पहले ही खत्म हो जाती है कि सूखे की स्थिति पैदा हो जाती है।
  5. शुष्क अन्तराल- कई बार गर्मियों में मानसूनी वर्षा लगातार न होकर कुछ दिन या सप्ताह के अन्तराल से होती है। इसके फलस्वरूप वर्षा-चक्र टूट जाता है और वर्षा ऋतु में एक लम्बा व शुष्क काल (Long & Dry Spell) आ जाता है।
  6. पर्वतीय वर्षा- मानसूनी वर्षा पर्वतों के दक्षिणी ढलान और पवनोन्मुखी ढलान (Windward sides) पर अधिक होती है। पर्वतों की उत्तरी और पवनविमुखी ढलाने वर्षा-छाया क्षेत्र (Rain-Shadow Zone) में स्थित होने के कारण शुष्क रह जाती हैं।
  7. मूसलाधार वर्षा- मानसूनी वर्षा अत्यधिक मात्रा में और कई-कई दिनों तक लगातार होती है। इसीलिए ही यह कहावत प्रसिद्ध है कि ‘भारत में वर्षा पड़ती नहीं है बल्कि गिरती है। सच तो यह है कि मानसूनी वर्षा अनिश्चित तथा असमान स्वभाव लिए हुए है।
100.

लौटती हुई तथा पूर्वी मानसून से प्रभावित स्थान है —(A) चेन्नई(B) अमृतसर(C) दिल्ली(D) शिमला

Answer»

सही विकल्प है (A) चेन्नई