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51.

निरीक्षक के कार्य बताइए ।

Answer»

निरीक्षक के कार्य (Functions of Supervisor) निम्न हैं :

  1. इकाई के कार्यों का आयोजन करना और कार्य में आनेवाली समस्याओं को दूर करना ।
  2. विविध कार्य समयसर पूर्ण कर सके, इसके लिये जरुरी मार्गदर्शन व दिशा-निर्देश देना ।
  3. विभिन्न कर्मचारियों के कार्यों पर सतत देखरेख रखने से उनके समय व श्रम की बचत हो सकती है ।
  4. निरीक्षक के माध्यम से कर्मचारियों के व्यक्तिगत उद्देश्यों को समग्र इकाई की उत्पादकता के साथ जोड़ा जाता है ।
  5. कर्मचारियों की कार्यक्षमता में वृद्धि हो इसके लिये अभिप्रेरणा और प्रोत्साहन देते है ।
  6. कर्मचारियों में समूह भावना को बनाये रख सकते है ।
  7. सूचना संचार के कार्यों में तीव्रता लाई जाती है ।
  8. इकाई में उपयोग में आनेवाली नई टेक्नोलोजी के उपयोग के बारे में मार्गदर्शन देते है ।
  9. कर्मचारियों में अनुशासन की भावना बनाये रख सकते है ।
  10. निरीक्षक यह नियंत्रण नहीं रखते बल्कि शिक्षण-ज्ञान प्रदान करते है ।
  11. निरीक्षक कर्मचारियों के मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक है । (Friend, Philosopher and Guide)
52.

मास्लो की आवश्यकताओं का अग्रताक्रम अनुसार प्रथम आवश्यकता कौन-सी है ?(A) शारीरिक आवश्यकताएँ(B) सुरक्षा की आवश्यकताएँ(C) सामाजिक आवश्यकताएँ(D) प्रतिष्ठा की आवश्यकताएँ

Answer»

सही विकल्प है (A) शारीरिक आवश्यकताएँ

53.

अमौद्रिक प्रोत्साहन किसे कहते हैं ?

Answer»

जिस प्रोत्साहन का आधार मुद्रा आधारित न हो ऐसे प्रोत्साहन को अमौद्रिक प्रोत्साहन कहते हैं ।

54.

अब्राहम मास्लो ने आवश्यकताओं के अग्रताक्रम का सिद्धांत कौन से वर्ष में मनुष्यों के अभिप्रेरण का सिद्धांत’ इश शीर्षक के लेख्न में प्रस्तुत किया था ?(A) सन् 1948 में(B) सन् 1950 में(C) सन् 1943 में(D) सन् 1956 में

Answer»

सही विकल्प है (C) सन् 1943 में

55.

मानवतावादी मनोवैज्ञानिक कौन थे, जिन्होंने आवश्यकताओं का अग्रताक्रम प्रस्तुत किया था ?(A) हेनरी फेयोल(B) फेडरिक टेलर(C) पीटर एफ. ड्रकर(D) अब्राहम मास्लो

Answer»

सही विकल्प है (D) अब्राहम मास्लो

56.

मार्गदर्शन के कितने तत्त्व होते है ? व कौन-कौन से ?

Answer»

मार्गदर्शन के 4 चार तत्त्व होते है :

  1. निरीक्षण (Supervision)
  2. अभिप्रेरणा (Motivation)
  3. नेतृत्व (Leadership)
  4. सूचना संचार (Communication)
57.

मार्गदर्शन का अर्थ एवं लक्षण समझाइये ।

Answer»

मार्गदर्शन का अर्थ : निर्देशन प्रबंध का एक कार्य है । जिसके अंतर्गत संगठन के कार्य महत्त्वपूर्ण करनेवाले कर्मचारियों को । उद्देश्य की प्राप्ति के लिए हिदायत, मार्गदर्शन एवं प्रेरणा दी जाती है । यह प्रक्रिया का वह भाग है जिसके अंतर्गत संगठन में कार्यरत कर्मचारी पूरी तत्परता और क्षमता से कार्य करते हैं । इसके अंतर्गत कर्मचारियों के कार्यों का नियंत्रण किया जाता है । अपने सहायक कर्मचारियों की प्रवृत्ति में देखरेख रखना एवं मार्गदर्शन प्रदान करने की संचालकीय प्रवृत्ति अर्थात् निर्देशन । कर्मचारियों को निश्चित उद्देश्य पूर्ण करने के लिए दिया जानेवाला मार्गदर्शन निर्देशन कहलाता है । श्री हाईमेन के मतानुसार ‘निर्देशन में सूचना प्रदान करने के लिए उपयोग में ली जानेवाली पद्धतियों एवं प्रक्रियाओं का समावेश होता है तथा आयोजन के अनुसार प्रवृत्ति हो रही हो या नही इसका विश्वास दिलाता है ।’

मार्गदर्शन के लक्षण :

(1) संचालन के प्रत्येक स्तर पर : संचालन के प्रत्येक स्तर पर निर्देशन का कार्य किया जाता है । उच्च अधिकारी विभागीय अधिकारियों को निश्चित उद्देश्य कार्य पद्धतियाँ नीति नियमों के विषय में मार्गदर्शन देता है । विभागीय अधिकारी सुपरवाइजरों, निरीक्षकों एवं फोरमेन को मार्गदर्शन देते है तथा फोरमेन, सुपरवाइजर कारीगरों का कार्य में उत्साह इत्यादि अन्य विषयों के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं ।

(2) कार्यक्षेत्र विस्तृत : निर्देशन का कार्यक्षेत्र विशाल होता है । निर्देशन का कार्य मात्र अधिकारियों के द्वारा सूचना या आदेश देने का नहीं, परन्तु लिये गए निर्णयों की जानकारी देना, तथा इसका परिपालन कराने हेतु योग्य सूचना भी दी जाती है ।

(3) संकलन जैसा पूरक कार्य : निर्देशन द्वारा अधिकारीगण की सफलता हेतु सूचना देते हैं । जिससे सभी विभागो की प्रवृत्तियों में संकलन बना रहता है । जिससे निर्देशन यह संकलन की पूरक प्रवृत्ति है ।

(4) प्रोत्साहन : अधिकारियों के द्वारा कर्मचारियों को कार्य के प्रति सूचना, सुझाव, जानकारी दी जाती है । जिससे कर्मचारियों का कार्य करते समय आनेवाली परेशानियाँ दूर होती हैं । कार्य के प्रति उत्साह बढ़ता है । कार्य के प्रति प्रोत्साइन प्राप्त होता है ।

(5) सतत प्रक्रिया : निर्देशन सतत प्रक्रिया है । संचालन के कार्यों में माहिती संचार जैसे सतत प्रक्रिया है कि जो प्रत्येक इकाई के लिए हमेशा आवश्यक कार्य है इसी प्रकार बदलती हुई परिस्थितियों के कारण मार्गदर्शन सतत अनिवार्य है । सतत मार्गदर्शन होने से ही निश्चित उद्देश्य सिद्ध हो सकता है ।

(6) व्यक्तिगत निरीक्षण : अधिकारियों के द्वारा समय-समय पर आदेश देना, सूचना देनी इनसे कार्य में सातत्य बना रहता है । मात्र सूचना या आदेश देने के बाद देखरेख का कार्य किया जाता है । यह महत्त्वपूर्ण कार्य है कारण कि ध्येय की सम्पूर्ण सफलता का आधार ही देखरेख है । परन्तु देखरेख (निरीक्षण) अधिकारियों द्वारा स्वयम् की जानेवाली प्रवृत्ति है ।

(7) उद्देश्यलक्षी प्रवृत्ति : निर्देशन यह संचालकीय कार्य है । निर्देशन के पीछे निर्धारित हेतु का आधार है । निर्धारित हेतु निश्चित . समय में सफल हो सके इसलिए समय-समय पर कर्मचारियों को तैयार किए आयोजन के अनुसार कार्यपद्धतियाँ, नीति-नियम में अवगत कराया जाता है ।

(8) निम्नगामी प्रवृत्ति : मार्गदर्शन निम्नगामी प्रवृत्ति है । जिसका प्रवाह सदैव उच्च स्तर से निम्न स्तर की तरफ जाता है । संचालक उच्च स्तर से मध्य स्तर के अधिकारियों को मार्गदर्शन देते हैं तथा मध्य स्तर के अधिकारी निम्न स्तर के कर्मचारी को मार्गदर्शन देते है ।

(9) संचालन का कार्य : संचालन के विविध कार्य जैसे कि आयोजन, व्यवस्थातंत्र, कर्मचारी व्यवस्था, संकलन, सूचना प्रेषण एवं नियंत्रण जैसे कार्य मार्गदर्शन के साथ जुड़े होते है ।

58.

नेतृत्व प्रदान करनेवाला क्या कहलाता है ?(A) नेता(B) शिक्षक(C) राजनेता(D) मनोवैज्ञानिक

Answer»

सही विकल्प है (A) नेता

59.

उत्तम नेता के गुण समझाइये ।

Answer»

उत्तम नेता के तीन गुण होते है :

  1. शारीरिक गुण
  2. बौद्धिक गुण
  3. मानसिक गुण ।

शारीरिक गुण :

  1. स्वस्थ शरीर : नेता को सतत नेतृत्व करना होता है । विभिन्न समूहों से अलग-अलग परिस्थितियों में काम लेना होता है । अतः अस्वस्थ शरीर वाले व्यक्ति नेतृत्व पूर्ण नहीं कर सकते ।
  2. शारीरिक आकर्षण : नेता का शरीर योग्य व्यक्तित्व वाला होना चाहिए कारण कि नेता का अनुयायियों पर विशेष प्रभाव होता है । इसके लिये योग्य ऊँचाई, वजन, दृष्टि, तीव्रता, श्रवणशक्ति इत्यादि आवश्यक है ।
  3. सुन्दरता : शारीरिक अंगों की सुन्दरता रखनेवाला व्यक्ति आदर्श नेता एवं प्रभावपूर्ण होता है । सुन्दरता का आकर्षण अनुयायियों पर विशेष असर डालता है । अतः नेता के लिए शारीरिक सुन्दरता आवश्यक है ।
  4. शांत स्वभाव : नेता का स्वभाव क्रोधी एवं उग्र नहीं होना चाहिए । नेता शांत स्वभाव का होना चाहिए जिससे कि नेता द्वारा योग्य निर्णय लिए जा सकें ।
  5. खुसमय स्वभाव : खुसमय स्वभाव धारण करनेवाले व्यक्ति को अनुयायी नेता द्वारा अधिक पसंद करते है । अनुयायियों के द्वारा
    अच्छा कार्य करने पर नेता को खुश होना चाहिए । नेता का खुशमय स्वभाव अनुयायियों को प्रोत्साहन प्रदान करता है ।

बौद्धिक गुण :

  1. निर्णय शक्ति : नेता में परिस्थितियों के अनुरुप निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए । जिससे कि वह परिस्थितियों के अनुरुप नेतृत्व कर सके अत: निर्णय शक्ति का गुण होना चाहिए ।
  2. तर्कशक्ति : नेता के द्वारा अलग-अलग परिस्थितियों में निर्णय लेना होता है । अतः योग्य निर्णय ले सके इसलिए तर्कशक्ति आवश्यक है ।
  3. ग्रहण शक्ति : नेता के पास भूतकाल तथा वर्तमान घटनाओं की सम्पूर्ण जानकारी होनी चाहिए इसके लिए नेता के पास स्मरणशक्ति आवश्यक है ।
  4. दीर्घदृष्टि : नेता की विचार श्रेणी दीर्घदृष्टि युक्त होनी चाहिए भविष्य में इकाई के विकास सम्बन्धि नेतृत्व करने की क्षमता होनी चाहिए ।
  5. विभिन्न कौशल्य : नेता के पास गणनात्मक ज्ञान, बोलने की कला, मधुर शब्दों का संग्रह, आंतरिक संबंधी का ज्ञान इत्यादि कौशल्य आवश्यकता अनुसार होना चाहिए ।

मनोवैज्ञानिक गुण :

  1. उत्साह : नेता उत्साही होना चाहिए नेता में नया कार्य, नई योजना, नवी विचारधारा तथा लोगों के प्रश्न सुनने तथा समझाने में उत्साह होना चाहिए ।
  2. प्रभावशाली व्यक्तित्व : नेता आंतरिक व्यक्तित्व वाला होना चाहिए । जिससे वह अपने अनुयायियों पर प्रभावपूर्ण व्यक्ति दर्शाता ।
  3. साहसी : नेता साहसी होना चाहिए परिस्थितियों के अनुरूप अतिशीघ्र निर्णय लेकर समूह में व्यक्तियों से कार्य करवाने का उत्साह होना चाहिए । जिससे अनुयायियों द्वारा नेता का अनुकरण अतिशीघ्र होता है ।
  4. सहकार की भावना : नेता के द्वारा व्यक्तियों के समूह से काम लेना होता है । अतः समूह के लोगो का सहकार प्राप्त करने
    के लिए सहकार भी भावना होनी चाहिए ।
  5. सहानुभूति : नेता के द्वारा जीवित व्यक्तियों से काम करवाने वाला नेता होना चाहिए जैसे अनुयायियों की आर्थिक एवं सामाजिक समस्या इत्यादि के लिए सहानुभूति होनी चाहिए ।
  6. कार्य के प्रति लगाव : नेता को प्रत्येक कार्य के प्रति रुची होनी चाहिए यदि किसी कार्य के प्रति अरूचि हो तो अनुयायियों द्वारा कार्य में उत्साह नहीं होता जिससे कार्य निष्फल होता है ।
60.

इनमें से कौन-सा प्रोत्साहन मौद्रिक प्रोत्साहन है ?(A) पदोन्नति(B) प्रशंसा(C) रोजगार की सुरक्षा(D) काम का मान और सम्मान

Answer»

सही विकल्प है (A) पदोन्नति

61.

नेतृत्व/नेता का स्वीकार किसके द्वारा होना चाहिए ?

Answer»

नेतत्व/नेता का स्वीकार अधीनस्थों द्वारा होना चाहिए ।

62.

शारीरिक आवश्यकताओं में कौन सी आवश्यकताओं का समावेश होता है ?

Answer»

शारीरिक आवश्यकताओं मानव की मूलभूत आवश्यकताएँ है । मूलभूत आवश्यकताओं में रोटी, पानी, कपड़ा, मकान इत्यादि का समावेश होता है ।

63.

इनमें से कौन-सा गुण उत्तम नेता में नहीं होता है ?(A) सामाजिक गुण(B) शारीरिक गुण(C) बौद्धिक गुण(D) मानसिक गुण

Answer»

सही विकल्प है (A) सामाजिक गुण

64.

सूचना संचार अर्थात् तथ्यों, विचारों, अभिप्रायो और मन्तव्यों की दो अथवा दो से अधिक व्यक्तियों के मध्य होनेवाला आदान व प्रदान” उपरोक्त परिभाषा किसने दी है ? ।(A) रोस मूरे(B) हेरल्ड, कुन्ट्ज व ओडोनेल(C) पीटर ड्रकर(D) न्यूमेन एण्ड समर

Answer»

सही विकल्प है (D) न्यूमेन एण्ड समर

65.

अनौपचारिक सूचना संचार में किसकी आवश्यकता नहीं होती है ?

Answer»

अनौपचारिक सूचना संचार में अंकुश और आदेश की आवश्यकता नहीं होती है ।

66.

सूचना संचार की कार्यक्षमता का आधार किस पर रहता है ?

Answer»

सूचनासंचार की कार्यक्षमता का आधार उनके साथ जुड़े हुये अधिकारियों और कर्मचारियों की बुद्धि शक्ति और निष्ठा पर रहता है ।

67.

मौखिक सूचनासंचार और लिखित सूचनासंचार के बीच अन्तर बताइए ।

Answer»

मौखिक माहिती संचार एवं लिखित माहिती संचार (Oral & Written Communication) :

अन्तर के मुद्देमौखिक माहिती संचारलिखित माहिती संचार
1. अर्थसूचनाओं का आदान-प्रदान लिखित स्वरूप में न हो उसे मैखिक माहिती संचार कहते हैं ।सूचनाओं एवं संदेशो का आदान-प्रदान लिखित स्वरूप में हो उसे लिखित माहिती संचार कहते हैं ।
2. प्रमाणमौखिक माहिती संचार में सूचना देने के बाद भविष्य के लिए कोई प्रमाण नहीं होता ।लिखित माहिती संचार में सूचना देने के बाद भविष्य हेतु प्रमाण रहता है ।
3. समय और श्रममौखिक माहिती संचार में समय और श्रम की बचत होती है ।लिखित माहिती संचार में समय और श्रम की बचत नहीं होती है ।
4. साधनमौखिक माहिती संचार के साधनों में सभा-सेमिनार समूहमिलन, टेलिफोन, रेडियो. इत्यादि का समावेश होता है ।लिखित माहिती संचार में समाचारपत्र, नोटिस, बुलेटिन टेलिविजन, टेलिप्रिन्टर इत्यादि साधनों का समावेश होता है ।
5. प्रतिभावमौखिक माहिती संचार में सूचनाओं का निर्गमन करने के बाद कर्मचारी के प्रतिभाव की जानकारी अतिशीघ्र प्राप्त होती है ।लिखित माहिती संचार में सूचनाओं का निर्गमन करने के बाद कर्मचारियों के प्रतिभाव की जाँच का कार्य कठिन बनता है ।
6. सावधानीमौखिक माहिती संचार में सूचनाओं का आदान-प्रदान करते समय विशेष सावधानी की आवश्यकता नहीं रहती ।लिखित माहिती संचार के समय अतिशय (विशेष) सावधानी की आवश्यकता होती है ।
68.

औपचारिक (Formal) और अनौपचारिक (Informal) सूचनासंचार के बीच अन्तर बताइए ।

Answer»
अन्तर के मुद्देऔपचारिक माहिती संचारअनौपचारिक माहिती संचार
1. अर्थव्यवस्थातंत्र के स्वरूप पर आधारित माहिती संचार को औपचारिक माहिती संचार कहते हैं ।मानवीय संबंध एवं मित्रता पर आधारित माहिती को संचार अनौपचारिक माहिती संचार कहते हैं ।
2. आधारितऔपचारिक माहिती संचार व्यवस्थातंत्र के नीति नियमों पर आधारित होता है ।अनौपचारिक माहिती संचार व्यवस्थातंत्र के नीति नियमों पर आधारित नहीं होता ।
3. हेतु (उद्देश्य)इकाई के निर्धारित उद्देश्य को सफल बनाने के लिए औपचारिक माहिती संचार किया जाता है ।आपसी सहकार मैत्रीभाव आत्मीयता के हेतु से अनौपचारिक माहिती संचार किया जाता है ।
4. स्वरूपऔपचारिक माहिती संचार में भविष्य के लिए आवश्यक प्रमाण होता है ।अनौपचारिक माहिती संचार मौखिक होने से भविष्य के लिए आवश्यक प्रमाण नहीं होता ।
5. प्रमाणऔपचारिक माहिती संचार में भविष्य के लिए आवश्यक प्रमाण होता है ।अनौपचारिक माहिती संचार मौखिक होने से भविष्य के लिए आवश्यक प्रमाण नहीं होता ।
6. उदाहरणअनियमित कर्मचारी को निश्चित अधिकारी के द्वारा लिखित में दिया जानेवाला मेमो या नोटिस यह औपचारिक माहिती संचार का उदा है ।जनरल मेनेजर के द्वारा इकाई का निरीक्षण करते समय बैठे हुए कर्मचारी को कार्य करने की सूचना दी जाय यह अनौपचारिक माहिती संचार का

उदाहरण है ।

7. अंकुश व देखरेखअंकुश व देखरेख की आवश्यकता रहती है ।अंकुश व देखरेख की आवश्यकता नहीं रहती है ।
8. समयकार्यस्थल पर व समय पर औपचारिक सूचना संचार होता है ।किसी भी स्थल पर, कार्य समय के अलावा भी अनौपचारिक सूचना संचार होता है ।
9. पूर्ववत जानकारीइसमें कौन, किसे जानकारी देगा यह पूर्व से विदित रहता है ।जानकारी का स्वरूप तथा विधि पूर्व से विदित नहीं रहती हैं । समय पर उत्पन्न होती है ।
69.

अनौपचारिक सूचनासंचार के लक्षण बताइये ।

Answer»

अनौपचारिक सूचनासंचार के लक्षण निम्नलिखित है :

  1. मानव सम्बन्धों पर आधारित होता है ।
  2. नियंत्रण या आदेश की आवश्यकता नहीं होती है ।
  3. मौखिक या सांकेतिक भाषा में समझाया जा सकता है ।
  4. मानवीय सम्बन्धों या मित्रता पर आधारित होता है ।
  5. ऐसा सूचनासंचार परिवर्तनशील और सरल होता है ।
  6. ऐसा सूचनासंचार में विधि का कोई महत्त्व नहीं होता ।
  7. व्यवस्थातंत्र को अधिक संकलित और अधिक विश्वसनीयता प्रदान करते है ।
  8. अनौपचारिक सूचना संचार यह औपचारिक सूचनासंचार का विकल्प नहीं, बल्कि पूरक है ।
70.

सूचनासंचार के अवरोध का मुख्य कारण क्या होता है ?

Answer»

सूचना संचार के अवरोध का मुख्य कारण मानवीय मर्यादाएँ होती हैं, जैसे कि लगाव, भूल, अनुमान, असमड़ा, अविश्वास और भय इत्यादि सूचना संचार के समय अवरोधक बनते है ।

71.

अनौपचारिक सूचना संचार का आधार किस पर होता है ? ।

Answer»

अनौपचारिक सूचना संचार को आधार मानवीय सम्बन्धों और मित्रता पर होता है ।

72.

औपचारिक सूचनासंचार (Formal Communication) का उद्देश्य क्या होता है ?

Answer»

औपचारिक सूचना संचार का उद्देश्य अंकुश और संकलन का होता है ।

73.

औपचारिक सूचना संचार का उद्देश्य इनमें से क्या होता है ?(A) अंकुश व संकलन(B) अंकुश व मार्गदर्शन(C) अंकुश व आदेश(D) आयोजन व व्यवस्थातंत्र

Answer»

सही विकल्प है (A) अंकुश व संकलन

74.

दृश्य (visual) सूचनासंचार में किनका समावेश होता है ?

Answer»

दृश्य में नक्शा, चित्र, आकृतियाँ, आलेख, रंग, प्रतिक, चिन्ह इत्यादि का समावेश होता है ।

75.

दृश्य-श्राव्य (Audio-visual) सूचना संचार में किनका समावेश होता है ?

Answer»

दृश्य-श्राव्य में चल-चित्र, टेलीविजन, इन्टरनेट, कम्प्यूटर्स, विडियो केसेट्स आदि का समावेश होता है ।

76.

लिखित (written) सूचनासंचार में किनका समावेश होता है ?

Answer»

लिखित सूचनासंचार में वर्तमानपत्र, सामयिक, चोपानिया, सार्वजनिक सूचना, पत्रलेखन, हस्तलिखित प्रति, ई-मेल आदि का समावेश होता है ।

77.

श्राव्य (Audio) सूचनासंचार में किन-का समावेश होता है ?

Answer»

श्राव्य में टेपरिकोर्डर, रेडियो, टेलीफोन, टेलीकोन्फरन्स इत्यादि का समावेश होता है ।

78.

मौन (silence) सूचना संचार की पद्धति में किसका समावेश होता है ?

Answer»

मौन सूचना संचार की पद्धति में मूक सहमति, मूक असहमति, हावभाव (Body Language) आदि का समावेश होता है ।

79.

अन्य व्यक्तियों में ध्येय प्राप्त करने की इच्छा जागृत करने की कला या कुशलता अर्थात् ……………………..(A) अभिप्रेरण(B) नेतृत्व(C) सूचना संचार(D) निरीक्षण

Answer»

सही विकल्प है (B) नेतृत्व

80.

सूचना संचार के अवरोध समझाइये ।

Answer»

सूचना संचार के अवरोधक परिबल (Barriers to Communication) : माहिती संचार की कार्यक्षमता का आधार कार्य करनेवाले कर्मचारी पर है । माहिती संचार यह मानवीय प्रवृत्ति है । मानवीय मर्यादाओं के कारण भी माहिती संचार अवरोध रुप बनता है ।

(1) संदेश में कमी एवं अस्पष्टता : माहिती संचार का आकर्षण संदेश की स्पष्टता पर आधारित है । यदि संदेश में कमी, अस्पष्टता, उलझनपूर्ण, आलसमय, द्विअर्थों एवं मुख्य हेतु के आधार बिना गलत शब्दों का उपयोग तथा समझने योग्य न हो तब माहिती संचार की प्रक्रिया अवरोधक बनती है ।

(2) स्पष्ट आयोजन का अभाव : आयोजन के बिना माहिती संचार कार्यक्षम नहीं बन सकता । कई बार कर्मचारियों के द्वारा आयोजन
के बिना, बिना विचारे, अयोग्य समय, अपूर्ण एवं अस्पष्ट सूचना भेजते हैं । जिसके कारण वाद-विवाद की सम्भावना रहती है ।

(3) अनुवाद की भूल : अधिकारियों के द्वारा दी जानेवाली सूचनाएँ या आदेश किसी मध्यस्थी द्वारा भेजी जाती हो तब भेजी जाने वाली सूचना में अनुवाद की भूल होने पर अधिकारी जिम्मेदार होता है और माहिती संचार कम आकर्षण बनती है ।

(4) अविश्वास और भय : जिस व्यवस्थातंत्र में कर्मचारी व्यवस्था के बीच अविश्वास एवं भय की भावना हो तब भेजे जानेवाले सभी संदेशो में शंका की भावना बनी रहती है । जैसे सही जानकारी अधिकारी को दी तो दंड होगा, इससे जानकारी में परिवर्तन किया जाता है । अत: माहिती संचार से अव्यवस्था बनी रहती है ।

(5) परिवर्तनों के परिपालन को समझने में समय का अभाव : इकाई को व्यवस्था में कोई संदेश परिवर्तन की सचना देते हैं । इन परिवर्तनो के परिपालन में एवं समझने में समय का अभाव होता है । जिससे इन परिवर्तनों का परिपालन सम्भव नही बनता जैसे कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने की एका-एक सूचना देना, कर्मचारियों की पाली पद्धति में एका-एक परिवर्तन होने से अव्यवस्था रहती है ।

(6) माहिती संचार की अतिव्यस्तता : बड़ी इकाईयों में माहितीयों या सूचनाओं का आदान-प्रदान निरन्तर एवं विशाल प्रमाण में होता है । अतः एक कर्मचारी द्वारा सूचनों को सुनना उसका परिपालन करना हो तब माहिती संचार के परिपालन में आलस देखने को मिलता है ।

(7) अस्पष्ट अनुमान : कई बार भेजी जानेवाली सूचना में स्पष्टता का अभाव हो तब सूचना देनेवाला पक्ष एवं सूचना प्राप्त करनेवाला
पक्ष अमुक अनुमान लगाकर माहिती संचार का उपयोग करते हैं । जिससे इसका प्रभाव कम होता है ।

(8) अयोग्य माध्यम की पसंदगी : माहिती संचार के लिए योग्य माध्यम की पसंदगी न हो तब माहिती संचार का प्रभाव कम होता है । दोषयुक्त माध्यम की पसंदगी माहिती संचार को अवरोध पहुँचाती है । जैसे लिखित के बदले मौखिक सूचना दी जाए तब कठिनाई का सामना करना पड़ता है ।

(9) कर्मचारी संबंध : माहिती संचार का प्रभाव मजदूर वर्ग एवं मालिक वर्ग के बीच के संबंध पर आधारित होता है । यदि मजदुर एवं मालिक के बीच संबंध में परोपकार, मैत्रीभाव, आपसी सहकार की भावना हो तो माहिती संचार प्रभावपूर्ण बनता है । यदि संबंध खराब हो तो माहिती संचार अवरोधरुप बनता है ।

(10) क्षतियुक्त व्यवस्थातंत्र : क्षतियुक्त व्यवस्थातंत्र माहिती संचार को प्रभावपूर्ण बनाने में अवरोधक बनती है । यदि क्षतियुक्त व्यवस्थातंत्र हो तब सूचना अमुक कक्षा तक पहुँचने के बाद रूक जाती है । उसका आगे प्रसारण नहीं होता जिससे माहितीसंचार प्रभावपूर्ण नहीं बनता।

81.

सूचना संचार (Communication) का अर्थ एवं लक्षण समझाइए ।

Answer»

सूचनासंचार का अर्थ : एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को स्पष्ट व आधारभूत स्वरूप में सूचना भेजना, जिससे दूसरा व्यक्ति सूचना देनेवाले व्यक्ति के उद्देश्य को समझ सके तथा उनका अमल कर सके ।

व्याख्या (Defination) :- (सूचनासंचार अथवा माहिती संचार)
माहिती संचार की मुख्य व्याख्या (परिभाषाएँ) निम्नलिखित हैं :

  1. माहिती संचार अर्थात् दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच विचार, मंतव्य, सुझाव एवं भावनाओं को निश्चित माध्यमों के द्वारा होने वाली आदान-प्रदान की प्रक्रिया ।
  2. माहिती संचार शब्दों, पत्रों, सूचनाओं, विचारों एवं मंतव्यो के आदान-प्रदान की प्रक्रिया ।
  3. माहिती संचार अर्थात् अपने विचारों को दूसरे के मस्तिष्क में पहुँचाने की प्रक्रिया ।

माहिती संचार के लक्षण :

(1) उद्देश्यलक्षी प्रक्रिया : माहिती संचार का मुख्य हेतु इसके द्वारा इकाई के निर्धारित हेतु को लक्ष्य में रखकर ही आवश्यक माहिती संचार की प्रक्रिया की जाती है ।

(2) सतत एवं दैनिक प्रक्रिया : धंधाकीय इकाई में किसी न किसी स्वरूप में सतत आदेश, सूचन एवं जानकारियों का आदान प्रदान होता है । इकाई की स्थापना से लेकर विसर्जन तक माहिती संचार की दैनिक प्रक्रिया की जाती है ।

(3) द्धिमार्गी प्रक्रिया : माहिती संचार यह एकमार्गीय नहीं परंतु द्विमार्गीय प्रक्रिया है । इसमें सूचनों को देना एवं प्राप्त करने का समावेश होता है । उच्च स्तर के अधिकारी गण मात्र आदेश देते ही नहीं परन्तु आवश्यकता पड़ने पर जानकारियाँ प्राप्त भी करते.

(4) प्रबंधकीय प्रक्रिया : माहिती संचार यह प्रत्येक क्षेत्र में की जानेवाली प्रक्रिया है जैसे देश में, समाज में, संस्थाओ में. इकाईयों में परंतु संचालन में माहिती संचार को प्रबंधकीय कार्यों में सहायक या मददरूप समझा गया है । माहिती संचार का प्रबंधकीय कार्य के साथ संबंध है जैसे संचालन, दिशा-निर्देश, अंकुश के लिए आवश्यक माहिती संचार किया जाता है । यह प्रबंध के साथ संकलित है ।

(5) आंतरिक प्रक्रिया : माहिती संचार यह धंधाकीय इकाई को अधिकारियों एवं कर्मचारियों के बीच आदेश देना, आदेश के अनुसार कार्य की जानकारी प्राप्त करना यह माहिती संचार का ही कार्य है । यह मुख्य तौर से कर्मचारियों के ही लिए है ।

(6) विविध रोतियाँ : माहिती संचार के अनेक माध्यम हैं जैसे लिखित, मौखिक, संकेत द्वारा, परस्पर विनिमय द्वारा भी हो सकता है ।

(7) विविध स्तर : माहिती संचार विविध स्तर पर होता है । एक ही स्तर पर या अलग-अलग स्तरों पर यह प्रक्रिया होती है । जैसे निम्न स्तर में व्यक्ति-व्यक्ति के बीच तथा मध्य एवं उच्च स्तर तथा निम्न स्तर के बीच माहिती संचार की प्रक्रिया हो सकती है ।

(8) मानवीय प्रवृत्ति : माहिती संचार यह मानवीय प्रक्रिया है । अर्थात् माहितीयों का आदान-प्रदान एक व्यक्ति द्वारा संभव नहीं परन्तु इसके आदान-प्रदान के लिए दो व्यक्तियों का होना आवश्यक है इसके लिए रेडियो, टेलिफोन, फेक्स, इन्टरकोम, सभी समाचारपत्र इत्यादि साधनों का उपयोग होता है । परंतु माहिती देनेवाला एवं माहिती लेनेवाला जीवित व्यक्ति होता है ।

(9) शब्द एवं भाषा का स्पष्ट होना : सूचना-संचार में उपयोग में ली जानेवाली भाषा व शब्द स्पष्ट होना चाहिए तथा द्विअर्थी नहीं होनी चाहिए।

(10) कार्य प्रेरक प्रवृत्ति : सूचनासंचार के माध्यम से अधिकारियों व कर्मचारियों के मन में कार्य की समझ बढ़ती है, जिससे उनको कार्य करने की प्रेरणा मिलती है ।

82.

सूचना संचार के अवरोध दूर करने के उपाय बताइए ।

Answer»

सूचना संचार के अवरोधों को दूर करने के उपाय (Way to overcome the Barriers) निम्न है :

  1. सूचना अवरोधक न हो इस तरह व्यवस्थातंत्र के ढाँचे के अनुरुप सूचना संचार के तंत्र की व्यवस्था तंत्र की रचना की जानी चाहिए।
  2. सूचना देनेवाला जो सूचना दे वह स्पष्ट होनी चाहिए, जिससे सूचना प्राप्तकर्ता अच्छी तरह से समझ सके ।
  3. सूचना संचार के विविध माध्यमों की असरकारकता अलग-अलग होने से सूचना प्रसारण के सन्दर्भ में योग्य माध्यम की पसंदगी की जानी चाहिए ।
  4. सूचनासंचार द्विमार्गी प्रक्रिया होने से सूचना का प्रवाह दोनों दिशा में आसानी से आगे बढ़े ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए ।
  5. सूचना संचार में दोनों पक्षों के मध्य परस्पर श्रद्धा व सहकार की भावना आवश्यक है ।
  6. सूचना का माध्यम लघु होना चाहिये जिससे सूचना का प्रवाह शीघ्र हो सकें व सूचना प्रसारण में देरी न हो ।
  7. सूचना संचार की व्यवस्था में शीघ्रता होनी चाहिए ।
  8. सूचना संचार की प्रवृत्ति उद्देश्यलक्षी होनी चाहिए ।
  9. अनावश्यक सूचना संचार के प्रसारण के स्थान आवश्यक सूचना का ही प्रसारण किया जाना चाहिए ।
  10. समय परिस्थितियों के अनुरूप सूचनासंचार की व्यवस्था में परिवर्तन लाया जाना चाहिए ।
  11. सूचना संचार अधिकारी द्वारा व्यक्तिगत स्वार्थ के बिना तथा अमुक सूचना को जान-बूझकर छुपाये बिना अथवा अपूर्ण सूचना या गलत ढंग से प्रस्तुत न करना ।
83.

वर्तमानपत्र, सामयिक, पत्रलेखन, ई-मेल आदि सूचना संचार की कौन सी पद्धति है ?(A) मौन(B) दृश्य-श्राव्य(C) मौखिक(D) लिखित

Answer»

सही विकल्प है (D) लिखित

84.

सह साझेदारी किसे कहते हैं ?

Answer»

कर्मचारियों अथवा श्रमिकों को इकाई की मालिकी, संचालन और लाभ के वितरण में साझेदार बनाया जाये तो उन्हें सह साझेदार कहते हैं।

85.

मार्गदर्शन का महत्त्व समझाइए ।

Answer»

मार्गदर्शन का महत्त्व (Importance of Directing) निम्न है :

  • कार्यक्षमता में वृद्धि : कर्मचारियों को विभागीय कार्यों के बारे में योग्य मार्गदर्शन दिया जाता है तभी व्यवस्थातंत्र कार्यक्षम बनता है । मार्गदर्शन के कारण कर्मचारी को अपने कार्य, अधिकार और दायित्व की स्पष्टता होती है जिससे उनकी कार्यक्षमता में वृद्धि होती है ।
  • कार्यक्षमता का विश्लेषण : मार्गदर्शन द्वारा कर्मचारियों के कार्य का विश्लेषण किया जाता है । जिससे उनके कार्य का मूल्यांकन होता है । मार्गदर्शन द्वारा ही कर्मचारियों की कार्यक्षमता का विश्लेषण और मूल्यांकन हो सकता है ।
  • कर्मचारियो को प्रोत्साहन : मार्गदर्शन के कारण ही कर्मचारियो को योग्य कार्यपद्धति तथा नीति-नियमों से अवगत किया जा सकता है । कार्य सम्बन्धी समस्याओं को दूर किया जा सकता है जिससे कार्य करने के लिए प्रोत्साहन मिलता है ।
  • प्रभावशाली आयोजन : मार्गदर्शन के माध्यम से आयोजन द्वारा निर्धारित उद्देश्य को सफल बनाया जाता है ।
  • असरकारक व्यवस्थातंत्र : मार्गदर्शन के कारण प्रत्येक कर्मचारी को उनके अधिकार और दायित्व का ख्याल आता है । इसके अलावा अधिकारियों के आदेश एवं सूचनाओं का योग्य रूप से पालन होता है । जिसके कारण समग्र व्यवस्थातंत्र असरकारक होता है ।
  • संकलन और सहकार : कर्मचारियों के कार्यों का संकलन मार्गदर्शन द्वारा हो सकता है । कर्मचारियों के व्यक्तिगत उद्देश्यों को इकाई के मुख्य उद्देश्य के साथ जोडा जाता है । मार्गदर्शन देनेवाला नेता अपने अधिनस्थो के कार्यों का संकलन करता है ।
  • नियंत्रण का कार्य : योग्य मार्गदर्शन से कर्मचारियों की कार्य के बारे में भूल और कमियों/त्रुटियों की सम्भावना घटती है । जियरा निर्धारित लक्ष्यों के प्रमाण में कर्मचारियों के पास से काम लेने का कार्य सरल हो जाता है । इस तरह नियंत्रण का कार्य प्रभावशाली हो जाता है ।
  • कर्मचारियों के कार्य उत्साह में वृद्धि : मार्गदर्शन देने से कर्मचारियों के कार्य के प्रति का अभिगम बदलता है । रूचि बढ़ती है । जब कोई अवरोध आता है तो कर्मचारी उनको हल कर सकता है । जिसके परिणाम स्वरूप कार्य का सातत्य बढ़ता है, जिससे कर्मचारियों का उत्साह बढ़ता है ।
  • विचलन को खोजना : निर्धारित उद्देश्य के रूप में ही कार्य हो रहे है या नहीं इनका मार्गदर्शन द्वारा ही निरीक्षण किया जाता है जिससे अनिश्चनीय विचलनों को प्राथमिक अवस्था द्वारा ही खोज सकते है । प्राथमिक अवस्था के विचलनों को योग्य कदम उठाकर नियंत्रित किया जा सकता है ।
86.

अवैधिक अथवा अनौपचारिक सूचना संचार किसे कहते हैं ?

Answer»

जो सूचना संचार व्यवस्थातंत्र में कार्यरत कर्मचारियों के मध्य के मानवीय सम्बन्धों और मित्रता पर आधारित हो तो उन्हें अनौपचारिक सूचना संचार कहते हैं ।

87.

माहिती संचार यह संचालन के प्रथम नंबर का प्रश्न है ।

Answer»

माहिती संचार के कार्यक्षम एवं आदर्श व्यवस्था पर इकाई की सफलता आधार रखती है । इसके विपरीत की स्थिति इकाई को असफलता के मार्ग पर ले जाती है । माहिती संचार वर्तमान समय में संचालन का प्रथम नंबर का प्रश्न है । संचालन का श्रेष्ट आयोजन करता है । आदर्श व्यवस्थातंत्र की रचना करता है । कार्यक्षम कर्मचारी व्यवस्था करता है । परन्तु इनके लिए सूचनाओं एवं सुझावों एवं जानकारियों का आदान-प्रदान माहिती संचार के अलग-अलग माध्यमों से न हो तो श्रेष्ठ आयोजन आदर्श व्यवस्थातंत्र एवं कार्यक्षम कर्मचारी व्यवस्था नहीं हो सकती जिससे इकाई में निश्चित हेतु समयानुसार सिद्ध नहीं होगा । अतः इकाई का विकास नहीं हो सकता । इसलिए संचालन के प्रथम नंबर का प्रश्न माहिती संचार है ।

88.

 माहिती संचार सतत एवं नियमित प्रक्रिया है ।

Answer»

इकाई का कद बड़ा हो या छोटा प्रत्येक में उद्देश्य निश्चित किया जाता है । निर्धारित उद्देश्य समयानुसार सिद्ध हो सके इसके लिए आयोजन करना व्यवस्थातंत्र की रचना कर्मचारी व्यवस्था दिशा निर्देश एवं अंकुश जैसे संचालकीय कार्य किये जाते है । संचालन के प्रत्येक कार्य में सूचनाओं का आदान-प्रदान अति आवश्यक है । संचालन के सभी कार्य व्यवस्थित एवं कार्यक्षम ढंग से हो इसलिए आकर्षक माहिती संचार अनिवार्य है । इकाई का प्रारंभ होने से लेकर इकाई के विसर्जन तक माहिती संचार नियमित एवं सतत की जानेवाली प्रक्रिया है ।

89.

माहिती संचार का कार्य रूधिराभिसरणतंत्र के समान है ।

Answer»

मानव शरीर में रूधिराभिसरणतंत्र शरीर के अलग-अलग भागों में आवश्यकता अनुसार रक्त पहुँचाने का कार्य करता है । उसी प्रकार माहिती संचार के अपने अलग-अलग माध्यमों के द्वारा इकाई के अलग-अलग विभागो को आवश्यकता अनुसार समयानुसार माहिती पहुँचाने का कार्य करता है । जिससे इकाई के सभी विभागो के बीच प्रवृत्ति में सातत्य बना रहता है तथा सभी प्रवृत्तियाँ में कार्यक्षमता बनी रहती है । उसी प्रकार रक्त शरीर के सभी अंगो को प्राप्त होने से शरीर के सभी अंग कार्यक्षम रहते है ।

90.

माहिती संचार द्धिमार्गी प्रक्रिया है ।

Answer»

माहिती संचार में सूचनाओ एवं आदेश देना ही नहीं परंतु यह तो द्विमार्गी प्रक्रिया है माहिती संचार में उच्च स्तर के अधिकारियों द्वारा सूचनाएँ सुझाव, जानकारियां – आदेश निम्नस्तर के कर्मचारियों को भेजे जाते हैं । निम्नस्तर के कर्मचारियों के द्वारा प्राप्त सुझाव सूचनाओ एवं आदेश के अनुसार कितना कार्य किया क्या परेशानियाँ हुई । इसकी जानकारी उच्चस्तर के अधिकारियों को लिखित या मौखिक स्वरूप में दी जाती है । अतः सूचनाओं का आदान-प्रदान दोनो पक्षों से होने पर ही माहिती संचार का हेतु सिद्ध होता है ।

91.

निम्न स्तर संचालन से अहेवाल स्वरूप में उच्च स्तर संचालन तक जानकारी पहुँचाना अर्थात् क्या ?(A) सूचना संचार(B) सूचना प्रेषण(C) संदेशा व्यवहार(D) डाक सेवा

Answer»

सही विकल्प है (B) सूचना प्रेषण

92.

कर्मचारियों को ध्येयपूर्ति के लिए मार्गदर्शन देने का कार्य अर्थात् …………………………………(A) निरीक्षण(B) नियंत्रण(C) नेतृत्व(D) मार्गदर्शन

Answer»

सही विकल्प है (D) मार्गदर्शन

93.

‘इच्छित कार्य को पूर्ण करने के लिए स्वयं को या दूसरे को प्रेरणा देने की प्रक्रिया को अभिप्रेरणा कहते हैं ।’ उपरोक्त परिभाषा किसने दी है ?(A) मोर्गन(B) रोस मूरे(C) जुसीअस(D) डॉ. ज्यॉर्ज आर. टेरी

Answer»

सही विकल्प है (C) जुसीअस

94.

अनौपचारिक सूचना संचार अधिकांशत: किस स्वरूप में होता है ?(A) मौखिक(B) लिखित(C) लिखित और मौखिक(D) औपचारिक

Answer»

सही विकल्प है (A) मौखिक

95.

अनौपचारिक माहिती संचार यह औपचारिक माहिती संचार का विकल्प नहीं परंतु पूर्ती है ।

Answer»

अनौपचारिक माहिती संचार सामान्यत: मौखिक प्रक्रिया है । यह व्यवस्थातंत्र के नीतिनियमो पर आधारित नहीं है लेकिन मैत्रीभाव एवं आपसी सहकार की भावना पर आधारित है । इससे इकाई के संचालन कार्य में संतुलन एवं अंकुश बनाए रखने में सहायक होती है । उसी प्रकार औपचारिक माहिती संचार यह व्यवस्थातंत्र के नीतिनियमों पर आधारित लिखित माहिती संचार का माध्यम है । इसके द्वारा भी संकलन एवं अंकुश बनाये रखने में सहायक है । इसलिए औपचारिक माहिती संचार यह अनौपचारिक माहिती संचार का विकल्प नहीं परंतु पूर्ती है ।

96.

अनौपचारिक सूचना संचार में किसकी आवश्यकता नहीं होती है ?(A) लक्ष्य निर्धारण व उद्देश्य(B) अंकुश व आदेश(C) संकलन व अन्दाज पत्र(D) अंकुश व संकलन

Answer»

सही विकल्प है (B) अंकुश व आदेश

97.

सूचना संचार की कितनी पद्धतियाँ है ?(A) 4(B) 5(C) 6(D) 8

Answer»

सही विकल्प है (C) 6

98.

अनौपचारिक सूचना संचार यह औपचारिक सूचना संचार का विकल्प नहीं, बल्कि(A) प्रतिस्पर्धी(B) पूरक(C) अलग-अलग(D) उपरोक्त सभी

Answer»

सही विकल्प है (B) पूरक

99.

टेपरिकार्डर, रेडियो, टेलीफोन, टेली कोन्फरन्स उपरोक्त सभी सूचना संचार की कौन सी पद्धतियाँ है ?(A) मौन(B) दृश्य(C) श्राव्य(D) लिखित

Answer»

सही विकल्प है (C) श्राव्य

100.

चलचित्र, टेलीविजन, इन्टरनेट, कम्प्यूटर्स, विडियो केसेट्स इत्यादि सभी सूचना संचार की इनमें से कौन सी पद्धति है ?(A) मौखिक(B) लिखित(C) दृश्य(D) दृश्य-श्राव्य

Answer»

सही विकल्प है (D) दृश्य-श्राव्य