InterviewSolution
This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
| 1. |
आप दाहिने थे, वह बाएँ, आप प्रथम थे, वह ……….(a) तीसरे(b) दूसरे(c) चौथे(d) पहले |
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Answer» सही विकल्प है (b) दूसरे |
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| 2. |
गुप्तजी की आरंभिक शिक्षा ………… में हुई।(a) उर्दू(b) हिन्दी(c) अंग्रेजी(d) संस्कृत |
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Answer» सही विकल्प है (a) उर्दू |
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| 3. |
भारत में बिछुड़ते समय किस-किस को दुःखी देखा ? |
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Answer» भारत में बिछुड़ते समय मनुष्य ही नहीं पशु-पक्षी भी दुःखी होते है। |
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| 4. |
दिल्ली में किसने कत्लेआम किया ?(a) आसिफजाह(b) जार(c) लॉर्ड कर्जन(d) नादिरशाह |
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Answer» सही विकल्प है (d) नादिरशाह |
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| 5. |
दुख का समय भी एक दिन निकल जायेगा, इसी से सब दुःखों को झेलकर ……….. सहकर भी जीती है।(a) स्वतंत्रता(b) कष्ट(c) पराधीनता(d) आनंद |
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Answer» सही विकल्प है (c) पराधीनता |
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| 6. |
सुलतान ने …………. नाम के एक स्थान में काटे थे।(a) कुम्भल गढ़(b) माधो गढ़(c) नरवर गढ़(d) जगमल गढ़ |
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Answer» सही विकल्प है (c) नरवर गढ़ |
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| 7. |
दीन ब्राह्मण को क्या सौभाग्य नहीं मिला ? |
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Answer» दीन ब्राह्मण को माइलॉर्ड का देश (इंग्लैंड) देखने का सौभाग्य नहीं मिला। |
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| 8. |
तेरे ऋण का बदला मैं गरीब ……………. नहीं दे सकता।(a) सिपाही(b) चौकीदार(c) ब्राह्मण(d) आदमी |
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Answer» सही विकल्प है (a) सिपाही |
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| 9. |
लेखक ने लॉर्ड कर्जन को शासक का प्रजा के प्रति क्या कर्तव्य बताये हैं ? |
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Answer» बालमुकुंद गुप्त हिन्दी के प्रसिद्ध देशभक्त रचनाकार हैं। उन्होंने अपनी रचनाओं में शासन व्यवस्था की बात की है। जिसमें शासक के क्या कर्तव्य हैं उन्हें स्पष्ट किया है। इस पाठ में भी ये लॉर्ड कर्जन के माध्यम से शासक के कर्तव्य बोध को याद दिलाते हुए उलाहना देते हुए कहते हैं माइ लॉर्ड, एक बार अपने कामों की ओर ध्यान दीजिए। आप किस काम को आए थे और क्या कर चले। शासक का प्रजा के प्रति कुछ तो कर्तव्य होता है, यह बात आप निश्चित मानते होंगे। सो कृपा करके बतलाइए, क्या कर्तव्य आप इस देश की प्रजा के साथ पालन कर चले। क्या आँख बंद करके मनमाने हुक्म चलाना और किसी की कुछ न सुनने का नाम ही शासन है ? क्या प्रजा की बात पर कभी कान न देना और उसको दबाकर उसकी मर्जी के विरुद्ध जिद्द से सब काम किये चले जाना ही शासन कहलाता है ? एक काम तो ऐसा बतलाइए, जिसमें आपने जिद्द छोड़कर प्रजा की बात पर ध्यान दिया हो। आप तो कैसर और जार से भी ज्यादा जिद्दी हैं। आप तो नादिरशाह से भी अधिक हिंसक हैं। जो एक शासन व्यवस्था का नहीं हो सकता। शासन तो प्रजा की इच्छा से प्रजा की भलाई के लिए कार्य करता है। आपने जिसके लिए किया उन्हीं ने आपको हटा दिया। इस प्रकार आपने शासन का कर्तव्य नहीं निभाया। परिणाम यह हुआ कि आप भी दुखी और प्रजा भी दुखी। क्या आप सुलतान की तरह आप भारत के ऋण को स्वीकार करेंगे ? और क्षमा याचना करेंगे ? लेकिन आप में यह उदारता कहाँ ? |
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| 10. |
कौन-कौन से शासक भी प्रजा की बात सुन लेते थे ? |
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Answer» कैसर और जाट शासक भी प्रजा की बात सुन लेते थे। |
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| 11. |
आगे भी इस देश में जो प्रधान शासक आए, अंत में उनको ….(a) जाना पड़ा(b) भागना पड़ा(c) आना पड़ा(d) मरना पड़ा |
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Answer» सही विकल्प है (a) जाना पड़ा |
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| 12. |
लॉर्ड कर्जन की जिद्द किससे बढ़कर है ? |
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Answer» लॉर्ड कर्जन की जिद्द नादिर से बढ़कर है। |
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| 13. |
कौन-सी गाय भूखी खड़ी रही ?(a) काली गाय(b) सफेद गाय(c) बलयाली गाय(d) दुर्बल गाय |
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Answer» सही विकल्प है (d) दुर्बल गाय |
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| 14. |
बिछुड़न-समय बड़ा ………..(a) हर्षोल्लास का होता है।(b) प्रसन्नता का होता है।(c) करुणोत्पादक का होता है।(d) तटस्थ होता है। |
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Answer» सही विकल्प है (c) करुणोत्पादक का होता है। |
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| 15. |
नादिरशाह के सामने किसने तलवार गले में डालकर प्रार्थना की ? |
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Answer» नादिरशाह के सामने आसिफ़जाह ने तलवार गले में डालकर प्रार्थना की। |
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| 16. |
लॉर्ड कर्जन ने अपनी धीरता-गंभीरता का कब दिवाला निकाल दिया ? |
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Answer» लॉर्ड कर्जन ने अपनी धीरता-गंभीरता का कौंसिल में बेकानूनी कानून पास करते और कनवोकेशन अभिभाषण देते समय दिवाला निकाल दिया। |
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| 17. |
लॉर्ड कर्जन किसके लिए प्रसिद्ध थे ? |
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Answer» लॉर्ड कर्जन धीर-गंभीरता के लिए प्रसिद्ध थे। |
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| 18. |
लॉर्ड कर्जन ने बंबई में उतरकर क्या इरादे जाहिर किये थे ? |
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Answer» लॉर्ड कर्जन भारत में वायसराय के रूप में 1899 से 1904 तथा 1904 से 1905, तक दो बार रहे। उन्होंने बंबई में उतरते ही अपने इरादे जाहिर किये कि यहाँ से जाते समय भारत वर्ष को ऐसा कर जाऊँगा कि मेरे बाद आनेवाले बड़े लाटों को वर्षों तक कुछ करना न पड़ेगा, वे कितने ही वर्षों सुख की नींद सोते रहेंगे। |
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| 19. |
‘परदे के पीछे एक और ही लीलामय की लीला हो रही है, यह उसे खबर नहीं !’ से क्या आशय है ? समझाइए। |
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Answer» बालमुकुंद गुप्त द्वारा लिखित शिवशंभु के चिट्ठ का अंश ‘विदाई संभाषण’ की यहाँ पंक्तियाँ दी गई है। जिसमें तीसरी शक्ति की महत्ता को स्थापित किया है। जब लॉर्ड कर्जन ने भारत में आकर शानो-शौकत से शासन किया। लेकिन भारत में अशांति और कौंसिल में बेकानूनी कानून पास करते और कनवोकेशन अभिभाषण देते समय बुद्धि का दीवालिा निकाल दिया। परिणामस्वरूप उन्हें भारत से इस्तीफा देना पड़ा जब ये वापस जा रहे थे। तब लेखक लॉर्ड कर्जन के विदाई संभाषण में उन्हें संबोधित करते हुए कहते हैं आप जा रहे हैं इसमें नया कुछ भी नहीं है। आगे भी इस देश में जो प्रधान शासक आए, अंत में उनको जाना पड़ा। परंतु यह तो परंपरा है। परंतु आपके शासन काल का नाटक घोर दुखांत है। और आश्चर्य इस बात का है कि दर्शक तो क्या स्वयं सूत्रधार भी नहीं जानता था कि उसने जो खेल सुखांत समझकर खेलना आरंभ किया था, वह दुखांत हो जायेगा। जिसके आदि में सुख था, मध्य में सीमा से बाहर सुख था, उसका अंत ऐसे घोर दुःख के साथ कैसे हुआ ? आह ! घमंडी खिलाड़ी समझता है कि दूसरों को अपनी लीला दिखाता हूँ। परंतु परदे के पीछे एक और ही लीलामय की लीला हो रही है, यह उसे पग नहीं। अर्थात् मनुष्य इतना अज्ञानी है कि उसे लगता है कि सब कर्ता मैं ही हूँ। परंतु कर्ता तो कोई दूसरा ही है। जिसकी खबर किसी को भी नहीं है। |
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| 20. |
लॉर्ड कर्जन ने किसके सामने पटखनी खाई ? |
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Answer» लॉर्ड कर्जन ने जंगी लाट के सामने पटखनी खाई। |
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| 21. |
नरवर गढ़ में चौकीदारी से लेकर उसे एक …………… तक काम करना पड़ा।(a) नीचे पद(b) ऊँचे पद(c) मध्यम पद(d) चौकीदार |
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Answer» सही विकल्प है (b) ऊँचे पद |
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| 22. |
जिस प्रकार आपको बहुत ऊँचे चढ़कर …..(a) कूदना(b) मरना(c) गिरना(d) सोना |
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Answer» सही विकल्प है (c) गिरना |
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| 23. |
हाकिम किसकी ताल पर नाचते थे ? |
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Answer» हाकिम लॉर्ड कर्जन की ताल पर नाचते थे। |
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राजा-महाराजा डोरी हिलाने से सामने हाथ बाँधे ……(a) भागे जाते थे।(b) हाजिर होते थे।(c) बैठ जाते थे।(d) खड़े हो जाते थे। |
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Answer» सही विकल्प है (b) हाजिर होते थे। |
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| 25. |
लॉर्ड कर्जन के शासनकाल का नाटक कैसा हुआ ? |
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Answer» लॉर्ड कर्जन के शासनकाल का नाटक दुखांत हुआ। |
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लॉर्ड कर्जन ने भारतवासियों को किस प्रकार नचाया ? |
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Answer» लॉर्ड कर्जन ने भारतवासियों को गरम तवे पर पानी की बूंदों की भाँति नचाया। |
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लॉर्ड कर्जन अपने बाद के लाटों के लिए क्या छोड़कर गए ? |
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Answer» लॉर्ड कर्जन ने कहा था कि मैं भारत को ऐसा करके जाऊँगा कि मेरे बाद आनेवाले बड़े लाटों को वर्षों तक कुछ भी नहीं करना पड़ेगा, वे कितने वर्षों तक सुख की नींद सोते रहेंगे। किंतु बात उलटी हुई। स्वयं को इस बार बेचैनी उठानी पड़ी। लॉर्ड कर्जन के कारण देश में अशांति फैल गई। जिससे उनके आने के बाद वाले लाटों की भूख हराम हो गयी। लेखक कर्जन को सम्बोधित करते हुए कहता है कि बिस्तरा गरम राख पर रखा है और भारतवासियों को गरम तवे पर पानी की बूंदों की भाँति नचाया है। जिसे आपको और आपके बाद आनेवालों को भोगना पड़ेगा। |
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इच्छित पद पर कौन नियुक्त न हो सका ? |
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Answer» फौजी अफसर उनके इच्छित पद पर नियुक्त न हो सका। |
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| 29. |
बिछुड़न के समय क्या छूट जाता है और किसका आविर्भाव हो जाता है ? |
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Answer» बिछुड़न के समय वैरभाव छूट जाता है और शांत रस का आविर्भाव होता है। |
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विचारिए तो क्या शान आपकी इस देश में थी और अब क्या हो गयी। कितने ऊँचे होकर आप कितने नीचे गिरे ! आशय स्पष्ट कीजिए। |
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Answer» प्रस्तुत पंक्तियों बालमुकुंद गुप्त द्वारा लिखित शिवशंभु के चिट्ठे के विदाई-संभाषण में से ली गई हैं। जिसमें लॉर्ड कर्जन को भारत में जितना सम्मान और शान-शौकत भोगने मिली, वैसी किसी अन्य शासक को नहीं मिली। राजा के दाहिनी ओर कर्जन और उसकी लेडी को सोने की कुर्सी पर बैठाया जाता। सभी रईस उन्हें सलाम ठोकते। राजा एक इशारे पर हाजिर हो जाते। जुलुस में सबसे ऊँचा हाथी और सबसे आगे होता था। हौदा, चेवट, छत्र सबसे बढ़-चढ़कर थे। इनके एक इशारे पर देश के धनीमानी लोग हाथ बांधे खड़े रहते थे। ईश्वर और महाराज एडवर्ड के बाद इस देश में इन्हीं का एक दर्जा था, परंतु इस्तीफा देने के बाद सब कुछ खत्म हो गया। लार्ड कर्जन की सिफारिश पर एक आदमी भी नहीं रखा गया। जिद के कारण इतना सारा वैभव नष्ट हो गया। इस प्रकार कहा गया कि आप विचारिए तो क्या शान आपकी इस देश में थी और अब क्या हो गयी। कितने ऊँचे होकर आप कितने नीचे गिरे। |
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| 31. |
‘बिछुड़न के समय बड़ा करुणोत्पादक होता है।’ समझाइए। |
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Answer» बिछुड़न के समय मनुष्य निर्मल, पवित्र और बड़ा कोमल हो जाता है। यह समय ऐसा होता है, कि आपसे घृणा-नफरत करनेवाले भी प्रेम करने लगते हैं। इसे बालमुकुन्द गुप्त ने लॉर्ड कर्जन के विदाई-संभाषण में व्यक्त किया है। भारतीय प्रजा लॉर्ड कर्जन के आगमन से खुश नहीं थी। उसकी इच्छा थी कि वह कब चले जायें। लॉर्ड कर्जन ने भी भारतीय निवासियों को दुख देने में कुछ भी कमी नहीं की। उनकी एक नहीं सुनी थी। परंतु लॉर्ड कर्जन ने जब इस्तीफा दे दिया तो वे यहाँ से जाने लगे, तब यहाँ के लोग दुःखी हो गये। लेखक ने स्पष्ट किया है कि हमारी संस्कृति कृतज्ञता की संस्कृति है। मनुष्य तो छोड़ो यहाँ के पशु-पक्षियों में भी यह भाव है। और इसे स्पष्ट करने के लिए शिवशंभु के दो बैलों की कथा सुनाते हैं। जिसमें बलशाली बैल दुर्बल बैल को गिरा देता है। वह दुःखी है, परंतु बलशाली बैल को पुरोहित को दे देने पर दुर्बल बैल दुखी हो जाता है। वह उस दिन चारे का तिनका भी नहीं छूता है। अर्थात् हमारी संस्कृति में है कि बिछुड़न के समय यहाँ पशु-पक्षी भी सब कुछ भूलकर निर्मल, पवित्र और कोमल होकर दाखी हो जाते हैं। इसी प्रकार लॉर्ड कर्जन ने इस देश के निवासियों को दुःख, पीड़ा, परेशानियाँ ही दी। परंतु वही प्रजा लॉर्ड कर्जन के जाने पर दुःखी हो जाती है। इस प्रकार बिछुड़न का समय बड़ा करुणोत्पादक होता है। |
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बिछुड़न के समय मनुष्य कैसा हो जाता है ? |
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Answer» बिछुड़न के समय मनुष्य बड़ा पवित्र, बड़ा निर्मल और बड़ा कोमल हो जाता है। |
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लॉर्ड कर्जन की भारत में शान-शौकत का वर्णन कीजिए। |
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Answer» लॉर्ड कर्जन की भारत में बड़ी शान थी। अलिफ लैला के अलहदीन ने चिराग रगडकर और अबुलहसन ने बगदाद के खलीफा की गद्दी पर आँख खोलकर वह शान न देखी वह शान दिल्ली दरबार में लॉर्ड कर्जन की थी। उनकी और उनकी लेडी की कुर्सी सोने की थी। राजा के छोटे भाई और उनकी पत्नी की कुर्सी चाँदी की थी। भाई से ज्यादा लॉर्ड कर्जन की पूछ थी। इस देश के सभी रईस कर्जन को पहले सलाम ठोकते थे। जुलूस में लॉर्ड कर्जन का हाथी सबसे आगे और सबसे ऊँचा होता था। हौदा, चेवट, छत्र आदि सबसे बढ़-चढ़कर थे। सारांश यह है कि ईश्वर और महाराज एडवर्ड के बाद इस देश में लॉर्ड कर्जन का ही दर्जा था। |
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लॉर्ड कर्जन के इशारे से क्या हो गया ? |
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Answer» लॉर्ड कर्जन के इशारे से देश की शिक्षा पायमाल हो गयी और स्वाधीनता उड़ गई। |
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कर्जन को इस्तीफा क्यों देना पड़ गया ? |
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Answer» कर्जन को निम्नलिखित कारणों से इस्तीफा देना पड़ गया।
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बिछुड़न कैसी होती है ? |
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Answer» बिछडन समय बड़ा करुणोत्पादक होता है। |
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आपके और यहाँ के निवासियों के बीच में कोई तीसरी शक्ति और भी है – यहाँ तीसरी शक्ति किसे कहा गया है ? |
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Answer» आपके और यहाँ के निवासियों के बीच तीसरी शक्ति ब्रिटिश सरकार है, जो लॉर्ड कर्जन और भारत के निवासियों को नियंत्रित कर रही है। जिसके सामने भारत के निवासियों की बात तो अलग लॉर्ड कर्जन भी निरीह हैं। उस शक्ति के सामने किसी की भी नहीं चलती है। दोनों की स्थिति एक जैसी है। |
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लॉर्ड कर्जन भारत में कहाँ उतरा ? |
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Answer» लॉर्ड कर्जन भारत के बंबई (मुंबई) में उतरा। |
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लॉर्ड कर्जन और भारत के निवासियों के बीच तीसरी शक्ति कौन-सी है ? |
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Answer» लॉर्ड कर्जन और भारत के निवासियों के बीच तीसरी शक्ति ब्रिटिश सरकार है। |
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लॉर्ड कर्जन के शासनकाल का नाटक घोर …(a) सुखांत है।(b) दुखांत है।(c) मध्यम है।(d) निम्नतम है। |
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Answer» सही विकल्प है (b) दुखांत है। |
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इस बार आपने अपना …………….. गरम राख पर रखा है।(a) बिस्तरा(b) हाथ(c) पैर(d) शरीर |
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Answer» सही विकल्प है (a) बिस्तरा |
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लॉर्ड कर्जन का कार्यकाल बताइए। |
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Answer» लॉर्ड कर्जन का समय 1899 से 1904 और 1904 से 1905 तक भारत के वायसराय रहे। |
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आठ करोड़ प्रजा के गिड़गिड़ाकर विच्छेद न करने की प्रार्थना पर आपने जरा भी ध्यान नहीं दिया – यहाँ किस ऐतिहासिक घटना की ओर संकेत किया गया है ? |
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Answer» यहाँ बंग-भंग (बंगाल विभाजन) की ऐतिहासिक घटना की ओर संकेत किया है। लॉर्ड कर्जन ने क्रांतिकारी घटनाओं को रोकने के लिए कूटनीति अपनाते हुए बंगाल विभाजन कर दिया। पूर्व और पश्चिमी बंगाल जनता ने बहुत विरोध किया और प्रार्थना की परंतु लॉर्ड कर्जन ने अपनी जिद नहीं छोड़ी। |
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लॉर्ड कर्जन की कृपा से किसे बड़े-बड़े अधिकारी बना दिये ? |
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Answer» लॉर्ड कर्जन की कृपा से मिट्ठी-काठ के खिलौने बड़े-बड़े पदाधिकारी बना दिये। |
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लॉर्ड कर्जन ने किसके विभाजन की जिद की ?(a) भारत(b) बंगाल(c) पाकिस्तान(d) ईरान |
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Answer» सही विकल्प है (b) बंगाल |
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लॉर्ड कर्जन भारत में कहाँ उतरे ?(a) दिल्ली(b) चैन्नई(c) कंडला(d) मुंबई |
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Answer» सही विकल्प है (d) मुंबई |
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किसकी विदाई-संभाषण है ? |
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Answer» वाइसराय लॉर्ड कर्जन की विदाई-संभाषण है। |
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‘विदाई-संभाषण’ यह किस रचना का अंश है ? |
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Answer» “विदाई-संभाषण’ “शिवशंभु के चिट्टे’ का एक अंश है। |
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किसके शासन का अंत हो गया ?(a) लॉर्ड जोर्ज(b) लॉर्ड कर्जन(c) वायसराय(d) वाइस पंचम |
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Answer» सही विकल्प है (b) लॉर्ड कर्जन |
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नर सुलतान नाम के राजकुमार का परिचय दीजिए। |
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Answer» भारत में प्रजा नर सुलतान नाम के राजकुमार के गीत गाये जाते हैं। जिसमें सुलतान बुरे दिनों में नरवर गढ़ में रहकर समय व्यतीत किया। वहाँ उसने चौकीदारी से लेकर ऊँचे पद पर भी रहा। जिस दिन घोड़े पर सवार होकर वह उस नगर से विदा हुआ, नगर-द्वार से बाहर आकर उस नगर को जिस रीति से उसने अभिवादन किया वह अनुकरणीय है। उसने कहा – ‘प्यारे नरवर गढ़ ! मेरा प्रणाम ले ! आज मैं तुझसे जुदा होता हूँ। तू मेरा अन्नदाता है। अपनी विपद के दिन मैंने तुझमें काटे हैं। तेरे ऋण का बदला मैं गरीब सिपाही नहीं दे सकता। भाई नरवर गढ़। यदि मैंने जानबूझकर एक दिन भी अपनी सेवा में चूक की हो, यहाँ की प्रजा की शुभ चिंता न की हो, यहाँ की स्त्रियों को माता और बहन की दृष्टि से न देखा हो तो मेरा प्रणाम न ले, नहीं तो प्रसन्न होकर एक बार मेरा प्रणाम ले और मुझे जाने की आज़ा दे।’ इस प्रकार नर सुलतान अपनी उस भूमि के प्रति कृतज्ञता दिखाता है जिसने उसे विपद के समय में सहारा दिया। उसका ऋण स्वीकार किया। उसे प्रणाम किया। अर्थात् ऐसे गुण शासक में होना चाहिए, जो लॉर्ड कर्जन में नहीं हैं। |
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