InterviewSolution
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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
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दो कुण्डलियों के एक युग्म का अन्योन्य प्रेरकत्व `1.5` हेनरी है। यदि प्राथमिक कुण्डली में बहने वाली `20` ऐम्पियर की धारा को `0.05` सेकण्ड में शून्य कर दिया जाए , तो द्वितीयक कुण्डली में उत्पन्न प्रेरित विधुत वाहक बल का मान ज्ञात कीजिए । यदि द्वितीयक कुण्डली में `300` फेरे हों, तो इसमें कितना फ्लस्क-परिवर्तन होगा । |
| Answer» Correct Answer - 600 वोल्ट, 0.1 वेबर | |
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एक प्रेरण कुण्डली में अन्योन्य प्रेरकत्व गुणांक 2 H है ।यदि प्राथमिक कुण्डली में 2.5 ऐम्पियर की धारा `1/2000` से में समाप्त हो जाती है तो द्वितीयक कुण्डली के सिरों पर विo वाo बल होगाA. 15 kVB. 60 kVC. 10 kVD. 30 kV. |
| Answer» Correct Answer - D | |
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`600` फेरों वाली एक चालक कुण्डली का स्व-प्रेरकत्व `130 mH` है । इसी प्रकार की एक दूसरी `500` फेरों वाली कुण्डली का स्व-प्रेरकत्व होगा :A. `75 mH`B. `90 mH`C. `130 mH`D. `155 mH` |
| Answer» Correct Answer - B | |
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एक छोटा दण्ड-चुम्बक M एक कुण्डली में नियत चाल से गुजरता है । निम्नलिखित में से कौन - सा आरेख कुण्डली में प्रेरित विधुत वाहक बल e का समय t के साथ सम्भव विचरण प्रदर्शित करता है ? A. B. C. D. |
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Answer» Correct Answer - B जब चुम्बक कुण्डली की ओर चलता है , तो कुण्डली से बद्ध चुम्बकीय फ्लस्क बढ़ता है, तथा जब यह कुण्डली से दूर जाता है , तो चुम्बकीय फ्लस्क घटता है । अतः प्रेरित विधुत वाहक बल `e (= (DeltaPhi_(B))/(Deltat))` का चिन्ह बदल जाता है । यह में दिखाया गया है । |
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चित्रानुसार एक दण्ड चुम्बक मुक्त रुक से एक कुण्डली के बीच से होकर गिरता है । कारण सहित बताइए की चुम्बक का त्वरण (a) गुरुत्वीय त्वरण (g) से कम अथवा समान अथवा अधिक होगा । |
| Answer» चुम्बक के गिरने का त्वरण g से काम होगा । चुम्बक के गिरते समय कुण्डली में प्रेरित धारा उत्पन्न होगी जो की चुम्बक के गिरने का विरोध करेगी , चुम्बक के कुण्डली की ओर आते समय भी तथा कुण्डली से होकर निकल जाने पर कुण्डली से दूर जाए समय भी (लेन्ज का नियम) । इस दौरान चुम्बक की गतिज ऊर्जा में जो कमी होगी वही कुण्डली में वैधुत ऊर्जा (ऊष्मा) के रूप में प्रकट होगी । | |
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LCR परिपथ किसी अवमंदित लोलक के तुल्य होता है । किसी LCR परिपथ में संधारित्र को एक आवेशित किया गया है , ओर फिर इसे आरेख में दर्शाये गये अनुसार L व से जोड़ा गया है । यदि एक विधार्थी L के , दो विभिन्न मानों , तथा के लिये , समय t तथा संधारित्र पर अधिकतम आवेश के वर्ग के बीच दो ग्राफ बनाता है तो निम्नांकित में से कौन सा ग्राफ सही है ? (प्लॉट केवल व्यवस्था प्लॉट है तथा स्केल के अनुसार नहीं हैं) A. B. C. D. |
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Answer» Correct Answer - A किसी क्षण t पर KVL द्वारा `Q/C - iR - L (di)/(dt) = 0` परन्तु `i = - (dQ)/(dt) :. Q/C + (dQ)/(dt) R + L (d^(2))/(dt^(2)) = 0` अथवा `(d^(2)Q)/(dt^(2)) + R/L (dQ)/(dt^(2)) = Q/(LC) = 0` अवमंदित आवर्ती दोलन की निम्न समीकरण के अनुसार , `(d^(2)x)/(dt^(2)) + b/m (dx)/(dt) + k/m x = 0` जिसका आयाम `A = A_(0) e^(-(b)/(2m)t)` है `:. Q_("max") = Q_(0)e^(-R/(2L)t)` अथवा `Q_("max")^(2) = Q_(0)^(2) e^(-R/(L) t)` कम प्रेरकत्व के लिए अवमंदन तेजी से होंगे । |
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r त्रिज्या की एक पतली अर्धवृत्ताकार चालक रिंग (वलय) PQR किसी क्षैतिज चुम्बकीय क्षेत्र B में गिर रही है । गिरते समय इसका समतल आरेख में दर्शाये गए अनुसार ऊर्ध्वाधर रहता है । जब गिरते हुए रिंग की चाल v है तो , इसके दो सिरों के बीच विकसित विभवान्तर है : A. शून्यB. `Bvpir^(2)//2` तथा P उच्च विभव पर होगाC. `pirBv` तथा R का विभव अधिक (उच्च) होगाD. 2rBv तथा R का विभव अधिक (उच्च) होगा | |
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Answer» Correct Answer - D विकसित विभवान्तर `= Bvl = Bv(2r),` जहाँ R उच्च विभव पर तथा P निम्न विभव पर होगा । |
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अन्योन्य प्रेरकत्व के SI तथा MKSA मात्रकों के नाम लिखिए । |
| Answer» Correct Answer - हेनरी , वोल्ट-सेकण्ड/ऐम्पियर । | |
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उन दो कारकों के नाम लिखिए जिन दो कुण्डलियों के बीच अन्योन्य प्रेरकत्व निर्भर करता है। |
| Answer» अन्योन्य प्रेरकत्व दोनों कुण्डलियों में फेरों की संख्याओं तथा क्रोड पदार्थ पर निर्भर करता है। | |
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एक आयताकार लूप जिसकी भुजाएँ 8 सेमी 2 सेमी हैं, एक स्थान पर थोड़ा कटा हुआ है । यह लूप अपने तल के अभिलंबवत 0.3 टेस्ला के एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र से बाहर की ओर निकल रहा है । यदि लूप के बाहर निकलने का वेग `1 "सेमी"//"सेकण्ड"` है, तो कटे भाग सिरोंपर उत्पन्न विधुत वाहक बल कितना होगा, जब लूप की गति अभिलंबवत हो (i) लूप की लम्बी भुजा के (ii) लूप की छोटी भुजा के ? प्रत्येक स्थिति में उत्पन्न प्रेरित वोल्टता कितने समय तक टिकेगी ? |
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Answer» दिया है , `l = 8` सेमी `= 8 xx 10^(-2)` मीटर `b = 2` सेमी `= 2 xx 10^(-2)` मीटर `v = 1 "सेमी"//"सेकण्ड" = 1 xx 10^(-2) "मीटर"//"सेकण्ड"` `B = 0.3 "टेस्ला"` (i) जब वेग लूप की लम्बी भुजा के लम्ब्वत है, जब प्रेरित विभवान्तर `V = Bvl = 0.3 xx 10^(-2) xx 8 xx 10^(-2)` `= 24 xx 10^(-5) "वोल्ट"` उत्पन्न विभवान्तर तब तक रहेगा जब तक की लूप चुम्बकीय क्षेत्र में रहता है । प्रेरित विभवान्तर का समय `= "दूरी"/"वेग" = b/v` `= (2 xx 10^(-2))/(1 xx 10^(-2)) = 2 "सेकण्ड"`। (ii) जब वेग लूप की छोटी भुजा के लम्ब्वत है, जब प्रेरित विभवान्तर `V = Bvb = 0.3 xx 10^(-2) xx 2 xx 10^(-2)` `= 6 xx 10^(-5)"वोल्ट"` । प्रेरित विभवान्तर का समय `= l/v = (8 xx 10^(-2))/(1 xx 10^(-2)) = 8` सेकण्ड । |
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धातु का एक ऊर्ध्व खम्भा जड़ से उखड़कर चुम्बकीय याम्योत्तर के तल में होता हुआ गिर पड़ता है । की इसके सिरों के बीच विधुत वाहक बल प्रेरित होगा ? |
| Answer» नहीं । यह न तो को काटता गए ओर न को । | |
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चुम्बकीय क्षेत्र में रखे एक तार के लूप में से गुजरने वाला चुम्बकीय फ्लस्क निर्भर नहीं करता :A. लूप की आकृति परB. लूप के क्षेत्रफल परC. क्षेत्र के तीव्रता परD. क्षेत्र के सापेक्ष लूप के अभिविन्यास पर । |
| Answer» Correct Answer - A | |
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संलग्न चित्र में एक छल्ला एक धारावाही कुण्डली के चुम्बकीय क्षेत्र में गिर रहा है । क्या छल्ले में प्रेरित धारा की दिशा चित्र में ठीक प्रदर्शित है ? |
| Answer» हाँ, कुण्डली का ऊपरी सिरा चुम्बकीय दक्षिणी ध्रुव की भाँति है । लेन्ज के नियमानुसार, छल्ले का निचला तल दक्षिणी ध्रुव की भाँति और ऊपरी तल उत्तरी ध्रुव की भाँति होगा । अतः ऊपर से देखने पर छल्ले में प्रेरित धारा वामावर्त ही होगी | |
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एक चालक लूप के केंद्र से, लूप के तल के लंबवत , गुजरने वाले तार में प्रवाहित धारा i एक नियत दर से परिवर्तित की जा रही है। क्या लूप में धारा प्रेरित होगी । |
| Answer» नहीं , क्योकि धारा i के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की बल-रेखाएँ, लूप के तल में होती हैं, अतः लूप से बद्ध चुम्बकीय फ्लस्क शून्य होता है । | |
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एक तार में बढ़ती हुई धारा A से B की ओर बहती है । दर्शाये गए चित्र में व्रतीय लूप में प्रेरित धारा की दिशा क्या होगी ? |
| Answer» वामावर्त, क्योकि दायें हाथ के अँगूठे के नियमानुसार, तार AB में धारा के कारण लूप में से गुजरने वाला चुम्बकीय क्षेत्र कागज के तल के लम्ब्वत ऊपर की ओर को होगा| लूप में धारा की दिशा ऐसी होगी जो क्षेत्र के बढ़ने को विरोध करेगी (लेन्ज का नियम) । ऊपर से देखने पर वामावर्त (anticlockwise) होगी । | |