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अजन्ता संसार की चित्रकलाओं में अपना अद्वितीय स्थान रखता है। इतने प्राचीन काल के इतने सजीव, इतने गतिमान, इतने बहुसंख्यक कथा-प्राण चित्र कहीं नहीं बने। अजन्ता के चित्रों ने देश-विदेश सर्वत्र की चित्रकला को प्रभावित किया। उसका प्रभाव पूर्व के देशों की कला पर तो पड़ा हीं, मध्य-पश्चिमी एशिया भी उसके कल्याणकर प्रभाव से वंचित न रह सका।(अ) प्रस्तुत गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।(ब) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।(स) अजन्ती की कला का प्रभाव किन-किन देशों पर पड़ा ? या अजन्ता की चित्रकला का बाहर के देशों पर क्या प्रभाव पड़ा?

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(अ) प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी’ के ‘गद्य-खण्ड’ में संकलित तथा भारतीय पुरातत्त्व के महान् विद्वान् श्री भगवतशरण उपाध्याय द्वारा लिखित ‘अजन्ता’ शीर्षक निबन्ध से उद्धृत है। अथवा निम्नवत् लिखेंपाठ का नाम-अजन्ता। लेखक का नाम—भगवतशरण उपाध्याय।

(ब) प्रथम रेखांकित अंश की व्याख्या-लेखक का कथन है कि अजन्ता की चित्रकला अद्भुत और बेजोड़ है। संसार में उसका उपमान नहीं है। निस्सन्देह, विश्व में चित्रकला का यह सर्वोत्कृष्ट नमूना है। दुनिया में कोई दूसरा ऐसा स्थान नहीं, जहाँ  इतने प्राचीन और इतने सजीव चित्र पाये जाते हों। ऐसी कोई चित्रशाला नहीं, जहाँ ऐसे गतिशील तथा इतनी बड़ी संख्या में चित्र मिलते हों, जिनमें कथाओं को चित्रित कर दिया गया हो। ऐसे स्थान समस्त संसार में दुर्लभ हैं। इसीलिए देश और विदेश की चित्रकलाओं पर अजन्ता की चित्रकला का विशेष प्रभाव पड़ा है।

द्वितीय रेखांकित अंश की व्याख्या–प्रस्तुत गद्यांश में लेखक का कहना है कि अजन्ता की चित्रकला का विशेष प्रभाव अपने देश पर ही नहीं विदेश की चित्रकलाओं पर भी पड़ा है। चीन, जापान, इण्डोनेशिया आदि पूर्व के देशों में इसके जैसे प्रयोग स्पष्ट रूप से देखने को मिलते हैं। साथ ही ईरान, मिस्र आदि मध्य-पश्चिमी एशिया के देशों की चित्रकला भी इसके प्रभाव से अपने को मुक्त नहीं कर सकी है।
 
(स) अजन्ता की कला का प्रभाव चीन, जापान, इण्डोनेशिया आदि पूर्व के देशों के साथ-साथ ईरान, मिस्र आदि मध्य-पश्चिमी एशिया के देशों की चित्रकला पर भी पर्याप्त रूप से पड़ा।



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