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और उधर वह बन्दरों का चित्र है, कितना सजीव-कितना गतिमान्। उधर सरोवर में जल-विहार करता वह गजराज कमलदण्ड तोड़-तोड़कर हथिनियों को दे रहा है। वहाँ महलों में प्यालों के दौर चल रहे हैं, उधर वह रानी अपनी जीवन-यात्रा समाप्त कर रही है, उसका दम टूटा जा रहा है। खाने-खिलाने, बसने-बसाने, नाचने-गाने, कहने-सुनने, वन-नगर, ऊँच-नीच, धनी-गरीब के जितने नज़ारे हो सकते हैं, सब आदमी अजन्ता की गुफाओं की इन दीवारों पर देख सकता है।(अ) उपर्युक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।(स) आदमी अजन्ता की गुफाओं की दीवारों पर क्या देख सकता हैं ?[ सरोवर = तालाब। गजराज = हाथियों का राजा।]

Answer»

(अ) प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी’ के ‘गद्य-खण्ड’ में संकलित तथा भारतीय पुरातत्त्व के महान् विद्वान् श्री भगवतशरण उपाध्याय द्वारा लिखित ‘अजन्ता’ शीर्षक निबन्ध से उद्धृत है। अथवा निम्नवत् लिखेंपाठ का नाम-अजन्ता। लेखक का नाम—भगवतशरण उपाध्याय।

(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या–प्रस्तुत गद्यांश में लेखक अजन्ता की गुफाओं में चित्रित चित्रों का वर्णन करते हुए लिख रहे हैं कि गुफा में एक ओर सरोवर में जल-क्रीड़ा करते हुए गजराज और हथिनियों को चित्रित किया है, जिसमें वह सरोवर में उगे हुए कमल-नाल को तोड़कर साथ में क्रीड़ा करने वाली हथिनियों को दे रहा है तो दूसरे चित्र में महलों में मनाये जाने वाले किसी उत्सव का चित्रण है। इस चित्र में लोगों को मद्यपान  करते हुए दिखाया गया है। जहाँ एक ओर महल में कुछ लोग जश्न मना रहे हैं तो दूसरी ओर एक रानी को प्राण-त्याग करते हुए दर्शाया गया है। यह चित्र इतना सजीव है कि ऐसा प्रतीत होता है कि उसकी जीवन-लीला अब समाप्त होने ही वाली है। ऐसे सजीव दृश्य अजन्ता की गुफा की दीवारों पर ही देखे जा सकते हैं, अन्यत्र कहीं नहीं।

(स) व्यक्ति अजन्ता की गुफा की दीवारों पर खाने-खिलाने, बसने-बसाने, नाचने-गाने, कहने-सुनने, वन-नगर, ऊँच-नीच, अमीर-गरीब से सम्बन्धित जितने भी सम्भव दृश्य हो सकते हैं, उन सभी को देख सकता है।



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