1.

जिन्दगी को मौत के पंजों से मुक्त कर उसे अमर बनाने के लिए आदमी ने पहाड़ काटा है। किस तरह इंसान की खूबियों की कहानी सदियों बाद आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचायी जाए, इसके लिए आदमी ने कितने ही उपाय सोचे और किये।  उसने चट्टानों पर अपने संदेश खोदे, ताड़ों-से ऊँचे धातुओं-से चिकने पत्थर के खम्भे खड़े किये, ताँबे और पीतल के पत्तरों पर अक्षरों के मोती बिखेरे और उसके जीवन-मरण की कहानी सदियों के उतार पर सरकती चली आयी, चली आ रही है, जो आज हमारी अमानत-विरासत बन गयी है।(अ) प्रस्तुत गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।(ब) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।(स)⦁    प्रस्तुत गद्यांश में लेखक क्या कहना चाहता है ?⦁    व्यक्ति ने आगामी पीढ़ी तक अपनी  बातों को पहुँचाने के लिए क्या-क्या किया है ?⦁    आगामी पीढ़ी तक पहुँचायी गयी बातें आज हमारे लिए क्या स्थान रखती हैं ?⦁    लेखक की दृष्टि में अजन्ता की गुफाओं के निर्माण का क्या उद्देश्य रहा है ?[ सरकती = फिसलती। अमानत = सुरक्षित रखने के लिए दी गयी वस्तु, धरोहर। विरासत = पूर्वजों से। प्राप्त सम्पत्ति या गुण, उत्तराधिकार।]

Answer»

(अ) प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी’ के ‘गद्य-खण्ड’ में संकलित तथा भारतीय पुरातत्त्व के महान् विद्वान् श्री भगवतशरण उपाध्याय द्वारा लिखित ‘अजन्ता’ शीर्षक निबन्ध से उद्धृत है। अथवा निम्नवत् लिखेंपाठ का नाम-अजन्ता। लेखक का नाम—भगवतशरण उपाध्याय।

(ब) प्रथम रेखांकित अंश की व्याख्या-मनुष्य का जीवन क्षणभंगुर है। मृत्यु सबको निगल जाती है। मृत्यु से छुटकारा पाने का एक ही उपाय है, वह है कृति (रचना)। मनुष्य को कुछ ऐसी रचना कर देनी चाहिए, जो अनन्तकाल तक स्थायी रहे। जब तक वह रचना विद्यमान रहेगी, उसके रचयिता का नाम जीवित रहेगा। लोग उसे भी याद करेंगे। किसी व्यक्ति विशेष को अगली पीढ़ियाँ जानें और सैकड़ों-हजारों वर्षों के बाद आने वाली पीढ़ियाँ भी अपने महान् पूर्वजों की विशेषताओं और इतिहास से परिचित हों, इसके लिए मनुष्य ने अनेक उपाय सोचे और उन उपायों को कार्यरूप में परिणत भी किया।

द्वितीय रेखांकित अंश की व्याख्या–लेखक का कहना है कि अपनी बातों को अग्रिम पीढ़ी तक पहुँचाने के उद्देश्य से मनुष्य ने पत्थर की विशाल चट्टानों पर सन्देश खुदवाये जिससे आने वाली सन्तति उन्हें पढ़े और जाने। कभी मनुष्य ने ताड़ के वृक्षों के समान ऊँचे चिकने पत्थरों से स्तम्भ बनवाये तथा ताँबे और पीतल के पत्रों पर सुन्दर मोती जैसे अक्षरों में लेख लिखवाये जो आगे आने वाली पीढ़ियों को उनके पूर्वजों की कहानी सुनाएँ। इसी प्रकार मानव-जाति का इतिहास एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चला आ रहा है। ये पहाड़ों की गुफाएँ, चट्टान, स्तम्भ तथा लेख आज हमारे समाज की धरोहर हैं। ये हमारे पूर्वजों की परम्परा से चली आती हुई हमारी सम्पत्ति हैं। हम इन पर गर्व करते हैं।

(स)
⦁    प्रस्तुत गद्यांश में लेखक कहना चाहता है कि अमरत्व प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को कला का सहारा लेना चाहिए।
⦁    अपनी बातों को आगामी पीढ़ी तक पहुँचाने के लिए व्यक्ति ने पत्थर की चट्टानों पर सन्देश खुदवाये, ऊँचे-चिकने पत्थरों के खम्भे बनवाये, ताँबे-पीतल के पत्रों पर लेख लिखवाये तथा पर्वतों पर गुफा-मन्दिर बनवाये।
⦁    आगामी पीढ़ी तक विभिन्न माध्यमों से पहुँचायी गयी बातें आज हमारे लिए धरोहर को स्थान रखती हैं, जो पूर्वजों की परम्परा से आयी हमारी सम्पत्ति हैं।
⦁    लेखक की दृष्टि में अजन्ता की गुफाओं के निर्माण का  उद्देश्य यह है कि सैकड़ों-हजारों वर्षों के बाद आने वाली पीढ़ियाँ भी अपने पूर्वजों की विशेषताओं और अपने देश के इतिहास से परिचित हो सकें।



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