InterviewSolution
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द्वार बलि का खोल चल, भूडोल कर देंएक हिम-गिरि एक सिर का मोल कर दें,मसल कर, अपने इरादों-सी, उठा कर,दो हथेली हैं कि पृथ्वी गोल कर दें?रक्त है ? या है नसों में क्षुद्र पानी !जाँच कर, तू सीस दे-देकर जवानी ? |
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Answer» [ भूडोल = पृथ्वी को कॅपाना। इरादों = संकल्पों, इच्छाओं, विचारों। क्षुद्र = तुच्छ।] प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से चतुर्वेदी जी देश के युवा वर्ग को उत्साहित कर रहे हैं कि वह देश की वर्तमान परिस्थिति को बदल दें।। व्याख्या-चतुर्वेदी जी युवकों का आह्वान करते हुए कहते हैं कि हे युवको! तुम अपनी मातृभूमि के लिए बलिदान देने की परम्परा का द्वार खोलकर इस धरती को कम्पायमान कर दो और हिमालय के एक-एक कण के लिए एक-एक सिर समर्पित कर दो।। काव्यगत सौन्दर्य- |
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