InterviewSolution
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माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए।याकवि माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन-परिचय दीजिए एवं उनकी किसी एक रचना का नाम लिखिए। |
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Answer» श्री माखनलाल चतुर्वेदी एक ऐसे कवि थे, जिनमें राष्ट्रप्रेम कूट-कूटकर भरा हुआ था। परतन्त्र भारत की दुर्दशा को देखकर इनकी आत्मा चीत्कार कर उठी थी। ये एक ऐसे कवि थे, जिन्होंने युग की आवश्यकता को पहचाना। ये स्वयं त्याग और बलिदान में विश्वास करते थे तथा अपनी कविताओं के माध्यम से देशवासियों को भी यही उपदेश देते थे। राष्ट्रीय भावनाओं से पूर्णतया ओत-प्रोत होने के कारण इन्हें ‘भारतीय आत्मा’ के नाम से सम्बोधित किया जाता है। जीवन-परिचय–श्री माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म सन् 1889 ई० में मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के ‘बाबई’ नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम पं० नन्दलाल चतुर्वेदी था, जो पेशे से अध्यापक थे। प्राथमिक शिक्षा विद्यालय में प्राप्त करने के पश्चात् इन्होंने घर पर ही संस्कृत, बांग्ला, गुजराती, हिन्दी और अंग्रेजी भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया। कुछ दिनों तक अध्यापन करने के अनन्तर आपने ‘प्रभा’ नामक मासिक पत्रिका का सम्पादन किया। ये खण्डवा से प्रकाशित ‘कर्मवीर’ पत्र का 30 वर्ष तक सम्पादन और प्रकाशन करते रहे। श्री गणेशशंकर विद्यार्थी की प्रेरणा और सम्पर्क से इन्होंने राष्ट्रीय आन्दोलनों में भाग लिया और अनेक बार जेल-यात्रा भी की। कारावास के समय भी इनकी कलम नहीं रुकी और कलम के सिपाही के रूप में ये देश की स्वाधीनता के लिए लड़ते रहे। सन् 1943 ई० में आप हिन्दी-साहित्य सम्मेलन के सभापति निर्वाचित किये गये। इनकी हिन्दी-सेवाओं के लिए सागर विश्वविद्यालय ने इन्हें डी० लिट्० की उपाधि तथा भारत सरकार ने पद्मविभूषण’ की उपाधि से अलंकृत किया। अपनी कविताओं द्वारा नव-जागरण और क्रान्ति का शंख फेंकने वाला कलम का यह सिपाही 30 जनवरी, सन् 1968 ई० को दिवंगत हो गया। कृतियाँ-चतुर्वेदी जी एक पत्रकार, समर्थ निबन्धकार, प्रसिद्ध कवि और सिद्धहस्त सम्पादक थे, | परन्तु कवि के रूप में ही इनकी प्रसिद्धि अधिक है। इनके कविता-संग्रह हैं— (1) हिमकिरीटिनी (2) हिमतरंगिनी (3) माता (4) युगचरण (5) समर्पण (6) वेणु लो गॅजे धरा इनकी ‘हिमतरंगिनी साहित्य अकादमी पुरस्कार से पुरस्कृत रचना है। इनकी अन्य प्रमुख कृतियाँ हैं ‘साहित्य देवता’ चतुर्वेदी जी के भावात्मक निबन्धों का संग्रह है। ‘रामनवमी’ में प्रभु-प्रेम और देश-प्रेम को एक साथ चित्रित किया गया है। ‘सन्तोष’ और ‘बन्धन सुख’ नामक रचनाओं में श्री गणेशशंकर विद्यार्थी की मधुर स्मृतियाँ सँजोयी गयी हैं। इनकी कहानियों का संग्रह कला का अनुवाद’ नाम से प्रकाशित हुआ। ‘कृष्णार्जुन युद्ध’ नामक रचना में पौराणिक कथानक को भारतीय नाट्य-परम्परा के अनुसार प्रस्तुत किया गया है। साहित्य में स्थान–श्री माखनलाल चतुर्वेदी जी की रचनाएँ हिन्दी-साहित्य की अमूल्य धरोहर हैं। आपने ओजपूर्ण भावात्मक शैली में रचनाएँ कर युवकों में जो ओज और प्रेरणा का भाव भरा है, उसका राष्ट्रीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में बहुत बड़ा योगदान है। राष्ट्रीय चेतना के कवियों में आपका मूर्धन्य स्थान है। हिन्दी साहित्य जगत् में आप अपनी हिन्दी-साहित्य सेवा के लिए सदैव याद किये जाएँगे। |
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