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कविता में मेघ को पाहुन के रूप में चित्रित किया गया है। हमारे यहाँ अतिथि (दामाद) को विशेष महत्त्व प्राप्त है, लेकिन आज इस परंपरा में परिवर्तन आया है। आपको इसके क्या कारण नजर आते हैं, लिखिए।

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पाहून का अर्थ भारतीय ग्रामीण संस्कृति में दामाद होता है, केवल सामान्य मेहमान नहीं, और दामाद का विशेष सम्मान करने की परम्परा रही है। आज के व्यस्त युग में इस परम्परा में परिवर्तन आया है। साथ ही संचार माध्यमों के विकास से कोई भी मेहमान अब ‘अतिथि’ नहीं रह गया, उसके आने का पता किसी न किसी तरह मिल ही जाता है।

यातायात के साधनों के विकास के कारण आवागमन सरल बना है। पहले की तरह जाने के लिए आयोजन और व्यवस्था की अब जरूरत नहीं पड़ती इसलिए पाहुन भी वर्ष में एकाध बार आनेवाले नहीं रहे। जब चाहे तब आ धमकते हैं और यह विदित ही है कि बार-बार आनेवाले पाहुन का स्वागत कभी कभार आनेवाले पाहुन की तरह नहीं हो पाता।



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