1.

‘मेघ आए’ कविता की भाषा सरल और सहज है – उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।

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‘मेघ आए’ कविता में क्षितिज, दामिनी, अश्रु और क्षमा जैसे तीन-चार तत्सम शब्दों को छोड़कर बाकी शब्द बोलचाल की भाषा के हैं या बोली के। कविता की भाषा चित्रात्मक है। मानवीकरण का उपयोग करके इस चित्रात्मकता को विश्वसनीय बनाया गया है, जैसे – ‘नाचती गाती बयार चली’, ‘धूल भागी घाघरा उठाए’। कविता में संवाद गाँव की बोली में रखे गए हैं। जैसे; ‘बरस बाद सुधि लीन्हीं। कहीं-कहीं आँचलिक शब्दों का प्रयोग किया गया है। कुल मिलाकर कविता की भाषा सरल, प्रवाहमय, सहज़ और जीवंत लगती है।



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