InterviewSolution
This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
| 1. |
अर्थशास्त्र की विषय-सामग्री क्या है? विवेचना कीजिए। |
|
Answer» अर्थशास्त्र की विषय-सामग्री अर्थशास्त्र मानव के व्यवहारों का अध्ययन है। मानव के आर्थिक व्यवहारों को अग्रलिखित पाँच भागों में बाँटा जा सकता है। ये विभाग ही अर्थशास्त्र की विषय-सामग्री माने जाते हैं 1. उपभोग – उपभोग समस्त आर्थिक क्रियाओं का आदि तथा अंत है। इसके अंतर्गत मानवीय आवश्यकताओं, उनकी विशेषताओं, उनका वर्गीकरण, तुष्टिगुण व उससे संबंधित नियमों एवं सिद्धांतों, माँग का नियम व माँग की लोच आदि का अध्ययन किया जाता है। 2. उत्पादन – वस्तुओं में आर्थिक उपयोगिता का सृजन ही उत्पादन है। अर्थशास्त्र के इस विभाग के अन्तर्गत उत्पादन का अर्थ, उत्पादन के विभिन्न नियम, उत्पादन प्रणालियाँ तथा उत्पादन के उपादानों एवं उनसे संबंधित समस्याओं का अध्ययन किया जाता है। 3. विनिमय – उत्पादित वस्तुओं का विनिमय किया जाता है, जिसके द्वारा प्रत्येक मनुष्य अपनी आवश्यकता की वस्तुएँ प्राप्त करता है। अर्थशास्त्र के इस विभाग के अन्तर्गत विभिन्न बाजार दशाओं में मूल्य निर्धारण, उत्पादन लागत तथा मुद्रा एवं बैंकिंग की विभिन्न प्रणालियों एवं समस्याओं का अध्ययन किया जाता है। 4. वितरण – आधुनिक युग में उत्पादन-कार्य उत्पत्ति के सभी साधनों के परस्पर सहयोग द्वारा किया जाता है और उत्पादित धन उत्पत्ति के विभिन्न साधनों में वितरित किया जाता है, यही वितरण है। अर्थशास्त्र के इस विभाग के अन्तर्गत राष्ट्रीय आय, उत्पत्ति के साधनों के पारिश्रमिक—लगान, मजदूरी, ब्याज, लाभ आदि के निर्धारण सम्बन्धी सिद्धांतों का अध्ययन किया जाता है। 5. लोक वित्त या राजस्व – राजस्व अर्थशास्त्र का एक नया किंतु अत्यधिक महत्त्वपूर्ण विभाग है। इसके अन्तर्गत कर निर्धारण के सिद्धांतों, सार्वजनिक आय, सार्वजनिक व्यय, सार्वजनिक ऋण तथा इनसे संबंधित सिद्धांतों, कल्याणकारी राज्य की स्थापना आदि महत्त्वपूर्ण विषयों का अध्ययन किया जाता है। |
|
| 2. |
सांख्यिकी को परिभाषित कीजिए। अथवा एकवचन तथा बहुवचन के रूप में सांख्यिकी की परिभाषाएँ दीजिए। |
|
Answer» अंग्रेजी भाषा के STATISTICS’. (सांख्यिकी) शब्द को दो रूपों में प्रयोग होता है (I) एकवचन के रूप में सांख्यिकी की परिभाषाएँ (II) बहुवचन के रूप में सांख्यिकी की परिभाषाएँ (ब) व्यापक परिभाषाएँ 2. सैलिगमैन के अनुसार – “सांख्यिकी वह विज्ञान है, जो किसी विषय पर प्रकाश डालने के उद्देश्य से संग्रह किए गए आँकड़ों के संग्रहण, वर्गीकरण, प्रदर्शन, तुलना और व्याख्या करने की रीतियों का विवेचन करता है।” 3. क्रॉक्सटन व काउड्डेन के अनुसार – “सांख्यिकी को संख्या संबंधी समंकों के संग्रहण, प्रस्तुतीकरण, विश्लेषण और निर्वचन के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।” उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर सांख्यिकी की एक उपयुक्त परिभाषा इस प्रकार दी जा सकती है-“सांख्यिकी एक विज्ञान और कला है, जो सामाजिक, आर्थिक, प्राकृतिक व अन्य समस्याओं से संबंधित समंकों के संग्रहण, सारणीयन, प्रस्तुतीकरण, संबंध स्थापन, निर्वचन और पूर्वानुमान से संबंध रखती है ताकि निर्धारित उद्देश्यों की पूर्ति हो सके।” |
|
| 3. |
अर्थशास्त्र की प्रकृति की विवेचना कीजिए। अथवा अर्थशास्त्रविज्ञान है अथवा कला अथवा दोनों? स्पष्ट कीजिए।अथवा ‘अर्थशास्त्र उद्देश्यों के प्रति तटस्थ है। क्या आप रोबिन्स के इस तर्क से सहमत हैं? यदि नहीं, तो क्यो |
|
Answer» अर्थशास्त्र की प्रकृति से आशय यह जानने से है कि अर्थशास्त्र विज्ञान है अथवा कला। अर्थशास्त्र विज्ञान है तो उसका स्वरूप क्या है अर्थात् अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान है अथवा आदर्श विज्ञान। विज्ञान का अर्थ – विज्ञान ज्ञान का एक क्रमबद्ध अध्ययन है, जो कारण तथा परिणाम के मध्य पारस्परिक संबंध स्थापित करता है। विज्ञान में विषय विशेष का नियमबद्ध एवं क्रमबद्ध अध्ययन किया जाता है। किसी भी शास्त्र को ‘विज्ञान’ होने के लिए उसमें निम्नांकित बातें होनी चाहिए ‘अर्थशास्त्र विज्ञान है, के पक्ष में तर्क – ‘अर्थशास्त्र विज्ञान है, इसके पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए जाते हैं विज्ञान के स्वरूप – विज्ञान दो प्रकार के होते हैं– अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान है – अर्थशास्त्र एक वास्तविक विज्ञान है, क्योंकि इसमें वास्तविक आर्थिक घटनाओं के कारण तथा परिणामों का विवेचन किया जाता है और इन संबंधों को नियमों के द्वारा व्यक्त किया जाता है; उदाहरण के लिए माँग को नियम यह बताता है कि कीमत में वृद्धि होने पर माँग में कमी और कीमत में कमी होने पर माँग में वृद्धि होती है। यहाँ कीमत में परिवर्तन ‘कारण’ और माँग में परिवर्तन परिणाम है। (ब) आदर्श विज्ञान – आदर्श विज्ञान का मुख्य कार्य मानवीय आचरण के लिए आदर्श प्रस्तुत करना है। यह ‘क्या होना चाहिए? (What ought to be?) का उत्तर देता है और बताता है कि हमें किन आदर्शों का पालन करना चाहिए। दूसरे शब्दों में, यह हमें वांछनीय और अवांछनीय का ज्ञान कराता है। अर्थशास्त्र एक आदर्श विज्ञान है – अर्थशास्त्र एक आदर्श विज्ञान है, क्योंकि यह हमें मानवीय कल्याण को अधिकतम करने के लिए आर्थिक आदर्शों का ज्ञान कराता है; उदाहरण के लिए एक अर्थशास्त्री केवल मजदूरी निर्धारण के विभिन्न सिद्धांतों का ही अध्ययन नहीं करता अपितु वह यह भी बताता है कि उचित मजदूरी क्या होनी चाहिए। इसी प्रकार अर्थशास्त्र में हम केवल इस बात का ही अध्ययन नहीं करते कि लगान कैसे निर्धारित होता है। अपितु इस बात का भी अध्ययन करते हैं कि लगान की आदर्श मात्रा क्या होनी चाहिए। इस प्रकार अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान के साथ-साथ आदर्श विज्ञान भी है। अर्थशास्त्र कला है – अर्थशास्त्र कला है, क्योंकि अर्थशास्त्र की अनेक शाखाएँ व्यावहारिक समस्याओं का हल बनाती हैं; उदाहरण के लिए, अर्थशास्त्री बताता है कि ब्याज की उचित दर क्या होनी चाहिए, आदर्श मजदूरी व पूर्ण रोजगार के स्तर पर कैसे पहुंच जाए, किन करों के द्वारा बजट के घाटे को पूरा किया जाए? कींस, मिल, मार्शल व पीगू आदि अर्थशास्त्री अर्थशास्त्र को कला मानते हैं। उनके अनुसार, कला व्यावहारिक समस्याओं को सुलझाने का एक साधन है। निष्कर्ष – प्रो० पीगू के अनुसार-“अर्थशास्त्र न केवल विज्ञान है अपितु कला भी है।” वे अर्थशास्त्र के व्यावहारिक पक्ष को अधिक महत्त्वपूर्ण मानते हैं। वास्तव में, अर्थशास्त्र केवल प्रकाशदायक ही नहीं अपितु फलदायक भी है। प्रो० चैपमैन के शब्दों में–“अर्थशास्त्र आर्थिक तथ्यों के वांछित रूपों के बारे में जिज्ञासा करता हुआ एक आदर्श विज्ञान है तथा वांछित उद्देश्यों को प्राप्त करने के तरीकों को ज्ञात करते हुए एक कला है।’ संक्षेप में, अर्थशास्त्र विज्ञान एवं कला दोनों है। |
|
| 4. |
“राजनीतिक अर्थव्यवस्था अथवा अर्थशास्त्र मानव के सामान्य व्यवसायं का अध्ययन है। यह व्यक्तिगत तथा सामाजिक क्रिया के उस भार्ग का अध्ययन करता है जो सुख के भौतिक साधनों की प्राप्ति तथा प्रयोग से घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित है।” अर्थशास्त्र के इस दृष्टिकोण का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।अथवा अर्थशास्त्र मानव के भौतिक कल्याण का अध्ययन है।” इस कथन का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए। अथवा मार्शल द्वारा प्रतिपादित अर्थशास्त्र की परिभाषा को समझाइए। |
|
Answer» मार्शल द्वारा प्रतिपादित अर्थशास्त्र की परिभाषा मार्शल द्वारा प्रतिपादित अर्थशास्त्र की परिभाषा की विशेषताएँ मार्शल द्वारा प्रतिपादित अर्थशास्त्र की परिभाषा की आलोचना ⦁ ये परिभाषाएँ श्रेणी विभाजक हैं, विश्लेषणात्मक नहीं- ⦁ मार्शल ने अर्थशास्त्र के अध्ययन को केवल भौतिक साधनों की प्राप्ति तथा उपयोग तक ही सीमित रखा है, परन्तु साधन अभौतिक भी होते हैं; जैसे-डॉक्टर, वकील, अध्यापक, मजदूर आदि की सेवाएँ। ये सेवाएँ धन-प्राप्ति में सहायक होती हैं। ⦁ अर्थशास्त्र को कल्याण से सम्बद्ध करना अनुचित – प्रो० रोबिन्स के अनुसार, अर्थशास्त्र र्को कल्याण से सम्बद्ध करना अनुचित है, क्योंकि मानव कल्याण एक मनोवैज्ञानिक धारणा है जिसकी सही-सही माप सम्भव नहीं है। निष्कर्ष–उपर्युक्त विश्लेषण से स्पष्ट है कि मार्शल ने अर्थशाग्र की धन सम्बन्धी परिभाषाओं में व्यापक सुधार करके अर्थशास्त्र को एक सम्मानजनक स्थान टि… आज भी मार्शल की परिभाषा सरल एवं व्यावहारिक मानी जाती है। |
|
| 5. |
आधुनिक युग में अर्थशास्त्र के अध्ययन का क्या महत्त्व है? अथवा अर्थशास्त्र के अध्ययन का सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक लाभ बताइए। |
|
Answer» अर्थशास्त्र के अध्ययन का महत्त्व मार्शल के शब्दों में-“अर्थशास्त्र के अध्ययन का उद्देश्य प्रथम तो ज्ञान के लिए ज्ञान प्राप्त करना है। तथा दूसरे व्यावहारिक जीवन में मार्गदर्शन करना है।” नि:संदेह अर्थशास्त्र केवल ज्ञानवर्द्धक ही नहीं बल्कि फलदायक भी है। अर्थशास्त्र के अध्ययन से प्राप्त होने वाले लाभों को दो भागों में बाँटा जाता है (I) सैद्धांतिक लाभ तथा (I) अर्थशास्त्र के अध्ययन के सैद्धांतिक लाभ ⦁ ज्ञान में वृद्धि–अर्थशास्त्र के अध्ययन से मनुष्य के ज्ञान में वृद्धि होती है। मनुष्य को बेरोजगारी, अति-जनसंख्या, निर्धनता, तेजी व मन्दी आदि विभिन्न आर्थिक समस्याओं का ज्ञान हो जाता है। (II) अर्थशास्त्र के अध्ययन के व्यावहारिक लाभ 1. गृहस्वामियों तथा उपभोक्ताओं को लाभ- निष्कर्ष – माल्थस के विचार में–“अर्थशास्त्र एक ऐसा विज्ञान है जिसके बारे में यह कहा जा सकता है कि इसकी अज्ञानता केवल भलाई से ही वंचित नहीं करती बल्कि भारी बुराइयाँ भी उत्पन्न कर देती है।” |
|
| 6. |
“अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जो धन की विवेचना करता है।” इस कथन की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।अथवा प्रो० एडम स्मिथ व उसके अनुयायियों द्वारा प्रतिपादित अर्थशास्त्र की परिभाषाओं की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।अथवाअर्थशास्त्र की ‘धन-केन्द्रित परिभाषाओं को लिखिए तथा इनकी आलोचनात्मक समीक्षा कीजिए। |
|
Answer» अर्थशास्त्र की धन सम्बन्धी परिभाषाएँ “अर्थशास्त्र राष्ट्रों के धन के स्वरूप तथा कारणों की खोज से सम्बन्धित है।” उपर्युक्त परिभाषा के समर्थन में स्मिथ के समर्थकों द्वारा दी गई कुछ प्रमुख परिभाषाएँ निम्नांकित हैं (i) जे०बी० से के अनुसार –“अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जो धन की विवेचना करता है।” धन सम्बन्धी परिभाषाओं की आलोचना ⦁ मनुष्य की अपेक्षा धन पर अधिक बल-धन सम्बन्धी परिभाषाओं में धन पर जो कि साधन है, आवश्यकता से अधिक बल दिया गया है और मानव, जो कि साध्य है, की उपेक्षा की गई है। वास्तव में, धन तो केवल ‘साधन है जिसकी सहायता से मनुष्य अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है, ‘साध्य’ (end) नहीं।। उपर्युक्त दोषों के कारण कार्लाइल (Carlyle), रस्किन (Ruskin), विलियम मॉरिस (William Morris) आदि विद्वानों ने अर्थशास्त्र को ‘कुबेर की विद्या’, ‘घृणित विज्ञान’, ‘रोटी और मक्खन का विज्ञान’ कहकर इसकी कड़ी आलोचना की। |
|
| 7. |
“अर्थशास्त्र वह विज्ञान है, जो मानव व्यहार का अध्ययन साध्यों एवं सीमित तथा वैकल्पिक प्रयोगों वाले साधनों के बीच सम्बन्ध के रूप में करता है”-रोबिन्स। अर्थशास्त्र की इस परिभाषा की आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।अथवाप्रो० एल रोबिन्स द्वारा दी गई अर्थशास्त्र की परिभाषा लिखिए और उसका आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए। |
|
Answer» रोबिन्स द्वारा प्रतिपादित अर्थशास्त्र की परिभाषा प्रो० रोबिन्स ने अपनी पुस्तक ‘An Essay on the Nature and Significance of Economic Science में अर्थशास्त्र की परिभाषा एक नए दृष्टिकोण से दी जो इस प्रकार है अर्थशास्त्र वह विज्ञान है, जिसमें साध्यों तथा सीमितता और अनेक उपयोग वाले साधनों से सम्बन्धित मानव व्यवहार का अध्ययन किया जाता है।” रोबिन्स की परिभाषा के मूल तत्त्व असीमित आवश्यकताओं तथा वैकल्पिक प्रयोग वाले सीमित साधनों के कारण मनुष्य के सामने चुनाव की समस्या आती है और आर्थिक समस्या का जन्म होता है। यही आर्थिक समस्या आर्थिक जीवन (अर्थशास्त्र) का आधार है। परिभाषा की आलोचना |
|
| 8. |
आप अर्थशास्त्र का अध्ययन क्यों करना चाहते हैं? कारण बताइए। |
|
Answer» हम अर्थशास्त्र का अध्ययन निम्नलिखित कारणों से करना चाहते हैं ⦁ अर्थशास्त्र के अध्ययन से ज्ञान में वृद्धि होती है, तर्क शक्ति बढ़ती है और दृष्टिकोण विस्तृत एवं वैज्ञानिक हो जाता है। |
|
| 9. |
“अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जो आवश्यकताविहीन अवस्था प्राप्त करने में मानव व्यवहार का एक साधन के रूप में अध्ययन करता है।” प्रो० जे०के० मेहता द्वारा प्रस्तुत अर्थशास्त्र की इस परिभाषा का आलोचनात्मक अध्ययन कीजिए।अथवा‘अर्थशास्त्र आवश्यकताविहीनता का शास्त्र है।’ आलोचनात्मक टिप्पणी कीजिए। |
|
Answer» प्रो० जे० के० मेहता द्वारा प्रतिपादित अर्थशास्त्र की परिभाषा परिभाषा की व्याख्या – उपर्युक्त परिभाषा मूलतः भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता के अनुरूप है.तया भारतीय धर्म, दर्शन एवं परम्परा से प्रेरित है। प्रो० मेहता के अनुसार, अर्थशास्त्र का प्रमुख उद्देश्य ‘वास्तविक सुख’ को अधिकतम करना है, जो आवश्यकताओं को न्यूनतम करके ही प्राप्त किया जा सकता है। वे सादा जीवन उच्च विचार के आदर्श में विश्वास रखते हुए आवश्यकताओं को न्यूनतम करके अन्ततः उन्हें समाप्त कर देने पर बल देते हैं। जे०के० मेहता के शब्दों में-“आवश्यकता से मुक्ति पाने की समस्या ही आर्थिक समस्या है।” प्रो० मेहता के अनुसार, सुख वह अनुभव है, जो मनुष्य को उस स्थिति में प्राप्त होता है जब उसे आवश्यकता का अनुभव ही न हो। प्रो० मेहता के अनुसार, इच्छारहित अवस्था में जबकि मानव का मस्तिष्क पूर्ण सन्तुलन में होता है, जो अनुभव प्राप्त होता है, उसे ‘सुख’ कहते हैं। अर्थशास्त्र का उद्देश्य इसी सुख को अधिकतम करना है। सुख की स्थिति प्राप्त करने के निम्नलिखित दो उपाय हैं परिभाषा की विशेषताएँ परिभाषा की आलोचना वास्तव में, जब मनुष्य आवश्यकताविहीनता की स्थिति में पहुँच जाता है तो उसके लिए अर्थशास्त्र का अध्ययन ही व्यर्थ हो जाता है। अत: इस परिभाषा का कोई व्यावहारिक महत्त्व नहीं है। |
|
| 10. |
आपकी आवश्यकताएँ असीमित हैं तथा उनकी पूर्ति करने के लिए आपके पास संसाधन सीमित हैं। दो उदाहरणों द्वारा इसकी व्याख्या करें। |
|
Answer» उदाहरण 1 – माना हमारे पास केवल 10 हैं। हम इससे फल, सब्जियाँ, पुस्तक, खेल का सामान आदि खरीदना चाहते हैं, सिनेमा भी देखना चाहते हैं। क्या हम ऐसा कर सकते हैं? नहीं। क्योंकि हमारे पास साधन सीमित अर्थात् मात्र 10 हैं। अतः हम इन आवश्यकताओं को वरीयता के क्रम में रखकर सर्वाधिक आवश्यक उन वस्तुओं को खरीद पाएँगे जिनका मूल्य र 10 तक होगा। उदाहरण 2 – माना एक व्यक्ति के पास मात्र 10,000 की पूँजी है। वह इसे अनाज को संग्रह करने, अंश पत्रों व ऋण पत्रों में लगाने, कम्प्यूटर लगाकर जॉब वर्क करने आदि कार्यों में लगाना चाहता है। वह ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि उसके पास पूँजी सीमित (मात्र 10,000) है। अत: वह वही कार्य कर पाएगा जिसमें अधिकतम पूँजी की आवश्यकता मात्र 10,000 हो। |
|
| 11. |
सांख्यिकीय विधियाँ सामान्य बुद्धि का स्थानापन्न नहीं होतीं।’ टिप्पणी कीजिए। |
|
Answer» सांख्यिकीय विधियाँ सामान्य बुद्धि का स्थानापन्न नहीं होतीं यह बात सर्वथा सत्य है। अत: इसका प्रयोग विशेष सावधानी के साथ उसकी सीमाओं को ध्यान में रखते हुए एक उपयुक्त व्यक्ति द्वारा किया जाना चाहिए अन्यथा उससे निकाले गए निष्कर्ष भ्रामक होंगे। इसे निम्नलिखित उदाहरण द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है उदाहरण – एक बार चार व्यक्तियों का एक परिवार (पति-पत्नी तथा दो बच्चे) नदी पार करने निकला। पिता को नदी की औसत गहराई की जानकारी थी। अतः उसने परिवार के सदस्यों के औसत । कद का हिसाब लगाया। चूँकि परिवार के सदस्यों का औसत कद नदी की औसत गहराई से अधिक था, इसलिए उसने सोचा कि वे सभी सुरक्षित रूप से नदी पार कर सकते हैं। परिणामस्वरूप नदी पार करते समय बच्चे पानी में डूब गए। स्पष्ट है कि उस व्यक्ति ने ‘औसत’ का दुरुपयोग किया था। स्पष्ट है कि सांख्यिकी का प्रयोग पूर्ण योग्यता तथा ज्ञान के साथ, अत्यधिक सावधानी बरतते हुए तथा उसके विज्ञान की सीमाओं को ध्यान में रखते हुए, एक उपयुक्त व्यक्ति द्वारा किया जाना चाहिए ताकि निकाले गए निष्कर्ष सही तथा स्पष्ट हों। |
|
| 12. |
सांख्यिकीय रीतियों से क्या आशय है। |
|
Answer» सांख्यिकीय रीतियों के अंतर्गत उन सिद्धांतों एवं तकनीकों का समावेश होता है जिनका व्यवहार समूहों को संकलन, प्रस्तुतीकरण, विश्लेषण और निर्वचन में किया जाता है और महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष निकाले जाते हैं। |
|
| 13. |
आर्थिक क्रियाओं का अर्थ लिखिए। |
|
Answer» वे सभी क्रियाएँ जो धन प्राप्त करने के लिए की जाती हैं, “आर्थिक क्रियाएँ’ कहलाती हैं। |
|
| 14. |
विवरणात्मक सांख्यिकी से क्या आशय है? |
|
Answer» विवरणात्मक सांख्यिकी से आशय समंकों के विधियन, वर्गीकरण, सारणीयन एवं केन्द्रीय प्रवृत्ति के मापन आदि से हैं। इनके द्वारा संख्यात्मक तथ्यों की मौलिक विशेषताओं को प्रदर्शित किया जाता है। |
|
| 15. |
उन आवश्यकताओं का चुनाव आप कैसे करेंगे जिनकी आप पूर्ति करना चाहेंगे? |
|
Answer» जिन आवश्यकताओं की हम पूर्ति करना चाहेंगे उनका चुनाव निम्नलिखित तथ्यों के आधार पर किया जाएगा ⦁ विभिन्न आवश्यकताओं की तीव्रता देखकर, अधिक तीव्रता वाली आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने के लिए चुनाव किया जाएगा। |
|
| 16. |
सुख की प्राप्ति ही मानव-जीवन का लक्ष्य है, किस भारतीय विचारक से संबंधित है।(क) जे०के० मेहता(ख) एम०के० गाँधी(ग) ए०के० सेन(घ) रवीन्द्रनाथ टैगोर |
|
Answer» सही विकल्प है (क) जे०के० मेहता |
|
| 17. |
प्रो० रोबिन्स द्वारा दी गई अर्थशास्त्र की परिभाषा लिखिए। |
|
Answer» “अर्थशास्त्र वह विज्ञान है, जिसमें साध्य तथा सीमितता और अनेक उपयोग वाले साधनों से संबंधित मानव व्यवहार का अध्ययन किया जाता है।” |
|
| 18. |
मार्शल तथा रोबिन्स द्वारा प्रतिपादित अर्थशास्त्र की परिभाषाओं की तुलना कीजिए। |
|
Answer» मार्शल व रोबिन्स की परिभाषाओं की तुलना ⦁ मार्शल की परिभाषा श्रेणी-विभाजक है। उन्होंने मानवीय क्रियाओं को भौतिक-अभौतिक, आर्थिक-अनार्थिक तथा साधारण-असाधारण व्यवसाय के रूप में वर्गीकृत किया है। इसके विपरीत, रोबिन्स की परिभाषा विश्लेषणात्मक है। उनके अनुसार अर्थशास्त्र ‘चुनाव का विज्ञान’ है। |
|
| 19. |
अर्थशास्त्र के विज्ञान होने के पक्ष में तर्क दीजिए। |
|
Answer» अर्थशास्त्र के विज्ञान होने के पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए जा सकते हैं।— ⦁ इसमें तथ्यों का क्रमबद्ध अध्ययन किया जाता है। यह अध्ययन वैज्ञानिक रीति पर आधारित होता है। |
|
| 20. |
सांख्यिकी के प्रमुख कार्य बताइए। |
|
Answer» सांख्यिकी के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं ⦁ सांख्यिकी का कार्य तथ्यों को सूक्ष्म तथा सरल रूप में प्रस्तुत करना है। |
|
| 21. |
सांख्यिकी के दो कार्य बताइए। |
|
Answer» ⦁ तथ्यों को सूक्ष्म तथा सरल रूप में प्रस्तुत करना, |
|
| 22. |
सांख्यिकी की दो सीमाएँ बताइए। |
|
Answer» ⦁ सांख्यिकी समूहों का अध्ययन करती है, व्यक्तिगत इकाइयों का नहीं। |
|
| 23. |
समंकों की दो विशेषताएँ बताइए। |
|
Answer» ⦁ समंक तथ्यों के समूह होते हैं। |
|
| 24. |
सांख्यिकी की सीमाएँ बताइए। |
|
Answer» सांख्यिकी की प्रमुख सीमाएँ निम्नलिखित हैं ⦁ सांख्यिकी समूहों का अध्ययन करती है, व्यक्तिगत इकाइयों का नहीं। |
|
| 25. |
अर्थशास्त्र में सांख्यिकी के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए। |
|
Answer» अर्थशास्त्र में सांख्यिकी का महत्त्व – आर्थिक विश्लेषण में समंक अत्यधिक उपयोगी होते हैं। मार्शल के अनुसार-“समंक वे तृण हैं, जिनसे मुझे अन्य अर्थशास्त्रियों की भाँति ईंटें बनानी हैं।” अर्थशास्त्र की प्रत्येक शाखा में सांख्यिकीय रीतियों का प्रयोग किया जाता है| ⦁ उपभोग के क्षेत्र में – उपभोग समंक यह बताते हैं कि विभिन्न आय-वर्ग किस प्रकार अपनी आय को व्यय करते हैं, उनका रहन-सहन का स्तर तथा उनकी करदान क्षमता क्या है। |
|
| 26. |
अर्थशास्त्र की एक विकास केन्द्रित परिभाषा दीजिए और इसकी विशेषताएँ बताइए। अथवा प्रो० सेमुअल्सन द्वारा प्रतिपादित अर्थशास्त्र की परिभाषा दीजिए और इसकी विशेषताएँ बताइए। |
|
Answer» आर्थिक विकास की समस्या आज की ज्वलन्त समस्या है। अतः आधुनिक अर्थशास्त्रियों ने अर्थशास्त्र की परिभाषा में ‘आर्थिक विकास की समस्या को विशेष महत्त्व दिया है। प्रो० सेमुअल्सन द्वारा प्रतिपादित अर्थशास्त्र की परिभाषा –“अर्थशास्त्र इस बात का अध्ययन करता है कि व्यक्ति और समाज अनेक प्रयोग में आ सकने वाले उत्पादन के सीमित साधनों का चुनाव एक समयावधि में विभिन्न वस्तुओं के उत्पादन में लगाने और उनको समाज में विभिन्न व्यक्तियों और समूहों के उपभोग हेतु वर्तमान व भविष्य में, बाँटने के लिए किस प्रकार करते हैं, ऐसा वे चाहे मुद्रा का प्रयोग करके करें अथवा इसके बिना करें। यह साधनों के आवंटन के स्वरूप में सुधार करने की लागतों व उपयोगिताओं का विश्लेषण करता है।” परिभाषा की विशेषताएँ – उपर्युक्त परिभाषा की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं |
|
| 27. |
विक्रेता किसे कहते हैं? |
|
Answer» जो व्यक्ति वस्तुओं को स्वयं के लाभ के लिए दूसरों को बेचता है तो वह विक्रेता’ कहलाता है। |
|
| 28. |
सेवाधारी किसे कहते हैं? |
|
Answer» वह व्यक्ति जो नौकरी करता है अर्थात् दूसरों के लिए कार्य करता है जिसके लिए उसे पारिश्रमिक दिया जाता है, ‘सेवाधारी’ कहलाता है। |
|
| 29. |
उत्पादक किसे कहते हैं? |
|
Answer» उत्पादक वह व्यक्ति है जो अपने लाभ के लिए वस्तुओं का उत्पादन करता है। |
|
| 30. |
सेवा प्रदाता किसे कहते हैं? |
|
Answer» वे व्यक्ति जो, भुगतान लेकर अन्य व्यक्तियों को सेवा प्रदान करते हैं (जैसे–डॉक्टर, वकील, बैंकर, अध्यापक आदि) सेवा प्रदाता’ कहलाते हैं। |
|
| 31. |
अर्थशास्त्र क्या है? |
|
Answer» अर्थशास्त्र वह सामाजिक विज्ञान है जिसके अंतर्गत सामाजिक, वास्तविक व सामान्य मनुष्यों की आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए किए जाने वाले प्रयत्नों का अध्ययन किया जाता है। |
|
| 32. |
उपभोक्ता किसे कहते हैं? |
|
Answer» जब एक व्यक्ति अपनी आवश्यकता की प्रत्यक्ष संतुष्टि के लिए किसी वस्तु को खरीदता है तो वह ‘उपभोक्ता’ कहलाता है। |
|
| 33. |
सांख्यिकी की एक उपयुक्त परिभाषा दीजिए। |
|
Answer» सांख्यिकी एक विज्ञान और कला है जो सामाजिक, आर्थिक, प्राकृतिक व अन्य समस्याओं से संबंधित समंकों के संग्रहण, सारणीयन, प्रस्तुतीकरण, संबंध स्थापन, निर्वचन और पूर्वानुमान से संबंध रखती है ताकि निर्धारित उद्देश्यों की पूर्ति हो सके। |
|
| 34. |
अर्थशास्त्र की कल्याण केन्द्रित परिभाषा दीजिए एवं उसकी दो विशेषताएँ बताइए। |
|
Answer» “अर्थशास्त्र मानव जीवन के सामान्य व्यवसाय का अध्ययन है; इसमें व्यक्तिगत तथा सामाजिक क्रियाओं के उस भाग की जाँच की जाती है जिसका भौतिक सुख के साधनों की प्राप्ति और उपयोग से बड़ा ही घनिष्ठ संबंध है।” विशेषताएँ- |
|
| 35. |
रोबिन्स की परिभाषा अन्य परिभाषाओं से श्रेष्ठ है।’ इस कथन के पक्ष में उपयुक्त तर्क दीजिए। |
|
Answer» ⦁ रोबिन्स की परिभाषा अधिक वैज्ञानिक है क्योंकि यह ‘आर्थिक समस्या’ अर्थात् चुनाव करने के पहलू की बात करते अर्थशास्त्र की विषय-सामग्री को मजबूत आधार प्रदान करती है। |
|
| 36. |
अर्थशास्त्र की धन केन्द्रित परिभाषा दीजिए तथा उसकी दो विशेषताएँ बताइए। |
|
Answer» “अर्थशास्त्र राष्ट्रों के धन के स्वरूप तथा कारणों की खोज से संबंधित है।” विशेषताएँ– |
|
| 37. |
रोबिन्स की अर्थशास्त्र की परिभाषा दीजिए और इसकी प्रमुख विशेषताएँ बताइए। |
|
Answer» रोबिन्स की परिभाषा-“अर्थशास्त्र वह विज्ञान है, जिसमें साध्यों तथा सीमितता और उनके उपयोग वाले साधनों से संबंधित मानव व्यवहार का अध्ययन किया जाता है।” परिभाषा की विशेषताएँ-प्रो० रोबिन्स द्वारा प्रतिपादित अर्थशास्त्र की परिभाषा की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं| ⦁ प्रो० रोबिन्स के अनुसार, अर्थशास्त्र प्रत्येक क्रिया के आर्थिक पक्ष का अध्ययन करता है। इस प्रकार यह परिभाषा अर्थशास्त्र को आर्थिक-अनार्थिक क्रियाओं, भौतिक-अभौतिक कल्याण एवं साधारण-असाधारण व्यवसाय आदि के बंधन से मुक्त कर देती है। |
|
| 38. |
अर्थशास्त्र की धन संबंधी परिभाषाओं के प्रमुख दोष बताइए। |
|
Answer» प्राचीन अर्थशास्त्रियों ने अर्थशास्त्र को धन का विज्ञान माना और उन्होंने धन के अंतर्गत केवल भौतिक वस्तुओं को ही सम्मिलित किया। उन्होंने एक ऐसे आर्थिक मनुष्य का अध्ययन किया जिसका उद्देश्य केवल धन कमाना होता है। इन परिभाषाओं के प्रमुख दोष निम्नलिखित हैं ⦁ धन संबंधी परिभाषाओं में धन पर, जो कि साधन है, आवश्यकता से अधिक बल दिया गया है। और मानव, जो कि साध्य है, की उपेक्षा की गई है। वास्तव में, धन तो केवल ‘साधन’ है जिसकी सहायता से मनुष्य अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है, ‘साध्य’ (end) नहीं। |
|
| 39. |
अर्थशास्त्र की सीमाएँ बताइए। |
|
Answer» विभिन्न अर्थशास्त्रियों के अनुसार, अर्थशास्त्र की प्रमुख सीमाएँ निम्नलिखित हैं ⦁ अर्थशास्त्र केवल मानवीय क्रियाओं का अध्ययन करता है, पशु-पक्षी अथवा जीव-जन्तुओं की क्रियाओं का नहीं। |
|
| 40. |
बहुवचन में सांख्यिकी का क्या अर्थ है? |
|
Answer» बहुवचन में सांख्यिकी का अर्थ समंकों या आँकड़ों से है जो किसी विशिष्ट क्षेत्र से संबंधित संख्यात्मक तथ्ये हो सकते हैं; जैसे—राष्ट्रीय आय समंक, कृषि समंक आदि। |
|
| 41. |
अर्थशास्त्र कला है।’ इस कथन को स्पष्ट कीजिए। |
|
Answer» अर्थशास्त्र कला है क्योंकि अर्थशास्त्र की अनेक शाखाएँ व्यावहारिक समस्याओं का हल बताती हैं; उदाहरण के लिए अर्थशास्त्री बताता है कि ब्याज की उचित दर क्या होनी चाहिए, आदर्श मजदूरी व पूर्ण रोजगार के स्तर पर कैसे पहुँचा जाए, किन करों के द्वारा बजट के घाटे को पूरा किया जाए। कीन्स, मिल, मार्शल व पीगू आदि अर्थशास्त्री अर्थशास्त्र को कला मानते हैं। उनके अनुसार, कला व्यावहारिक समस्याओं को सुलझाने का एक साधन है। प्रो० पीगू के अनुसार-“हमारा मनोवेग एक दार्शनिक जैसा नहीं होता जो ज्ञान के लिए ही ज्ञान प्राप्त करता है बल्कि वह एक शरीर विज्ञाता (डॉक्टर) के दृष्टिकोण की भाँति होना चाहिए, जो ज्ञान इसलिए प्राप्त करता है क्योंकि वह रोग तथा पीड़ा को दूर करने में सहायता करता है।” |
|
| 42. |
आवश्यकताविहीनता की संकल्पना का प्रतिपादन किया था(क) मार्शल ने(ख) जे०के० मेहता ने(ग) रोबिन्स ने(घ) ए०के० सेन ने। |
|
Answer» सही विकल्प है (ख) जे०के० मेहता ने |
|
| 43. |
सांख्यिकी शब्द का एकवचन में क्या अर्थ है? |
|
Answer» एकवचन में सांख्यिकी शब्द से आशय ‘सांख्यिकी विज्ञान’ से है। ए०एल० बाउले ने इसे ‘गणना का विज्ञान’ कहा है। |
|
| 44. |
“अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान के साथ-साथ आदर्श विज्ञान भी है। इस सम्बन्ध में विभिन्न अर्थशास्त्रियों के विचार बताइए। |
|
Answer» अर्थशास्त्र एक विज्ञान है, यह सर्वसम्मति सेस्वीकार किया जाता है किन्तु अर्थशास्त्रियों में इस बारे में मतभेद है कि यह वास्तविक विज्ञान के साथ-साथ आदर्श विज्ञान है अथवा नहीं। सीनियर, केयरनीज, रोबिन्स, सेमुअल्सन व बोल्डिग अर्थशास्त्र को केवल वास्तविक विज्ञान मानते हैं। रोबिन्स के अनुसार-“अर्थशास्त्र उद्देश्यों के प्रति तटस्थ है।” प्रो० बोल्डिग के अनुसार—अर्थशास्त्री चुनाव का अध्ययन करता है, उनका मूल्यांकन नहीं।” इसके विपरीत, वर्तमान समय में अधिकांश अर्थशास्त्री अर्थशास्त्र को वास्तविक विज्ञान के साथ-साथ आदर्श विज्ञान भी मानते हैं वे यह स्वीकार करते हैं-“अर्थशास्त्री का कार्य केवल व्याख्या या खोज करना ही नहीं अपितु समर्थन तथा निंदा करना भी है।” प्रो० पीगू के अनुसार – “इसका (अर्थशास्त्र का) प्रमुख महत्त्व तो इस बात में है कि वह नीतिशास्त्र से अलग नहीं किया जी सकता।” इस प्रकार अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान के साथ-साथ आदर्श विज्ञान भी है। |
|
| 45. |
प्रो० रोबिन्स के अनुसार अर्थशास्त्र है(क) केवल आदर्श विज्ञान(ख) केवल वास्तविक विज्ञान ,(ग) वास्तविक व आदर्श विज्ञान(घ) विज्ञान व कला दोनों |
|
Answer» सही विकल्प है (ख) केवल वास्तविक विज्ञान |
|
| 46. |
“अर्थशास्त्र वह विज्ञान है, जो मानव व्यवहार का अध्ययन साध्यों एवं सीमित तथा वैकल्पिक प्रयोगों वाले साधनों के बीच संबंध के रूप में करता है।” यह कथन किसका है?(क) जे०के० मेहता(ख) मार्शल(ग) रॉबिन्स(घ) पीगू |
|
Answer» सही विकल्प है (ग) रोबिन्स |
|
| 47. |
आर्थिक समस्या क्या है? |
|
Answer» असीमित आवश्यकताओं, सीमित साधनों एवं उनके वैकल्पिक प्रयोग के कारण उत्पन्न चुनाव की समस्या ही ‘आर्थिक समस्या है। |
|
| 48. |
सरकार और नीति निर्माता आर्थिक विकास के लिए उपयुक्त नीतियों के निर्माण के लिए सांख्यिकीय आँकड़ों का प्रयोग करते हैं। दो उदाहरणों सहित व्याख्या कीजिए।अथवा सरकार एवं नीति-निर्माताओं के लिए सांख्यिकीय आँकड़ों के प्रयोग का महत्व बताइए। |
|
Answer» 1. सरकार द्वारा सांख्यिकीय आँकड़ों का प्रयोग देश में पूर्ण रोजगार के स्तर को बनाए रखने के लिए सरकार को अपनी व्यय नीति, कर नीति, मौद्रिक नीति आदि में समायोजन करना पड़ता है, परन्तु यह समायोजन सांख्यिकीय तथ्यों के आधार पर ही हो सकता है। सरकारी बजट का निर्माण भी सांख्यिकीय आँकड़ों के आधार पर किया जाता है। सरकार द्वारा नियुक्त आयोगों, समितियों आदि के प्रतिवेदनों का आधार भी समंक ही होते हैं। वास्तव में, सांख्यिकीय आँकड़े एक ऐसा आधार है जिसके चारों ओर सरकारी क्रियाएँ घूमती हैं। 2. नीति-निर्माताओं द्वारा सांख्यिकीय आँकड़ों का प्रयोग-सांख्यिकीय आँकड़े नीति निर्माण की आधारशिला हैं। योजनाएँ बनाने, उन्हें क्रियान्वित करने तथा उनकी उपलब्धियों/असफलताओं का मूल्यांकन करने में पग-पग पर सांख्यिकीय आँकड़ों का सहारा लेना पड़ता है। नीति-निर्माता समंकों का प्रयोग निम्नलिखित बातों के लिए करते हैं ⦁ अन्य देशों की तुलना में अपने देश के आर्थिक विकास की स्थिति को जानने के लिए; . |
|
| 49. |
उन क्रियाकलापों की सूची बनाएँ जो जीवन के सामान्य कारोबार के अंग होते हैं। क्या ये आर्थिक क्रियाकलाप हैं? |
|
Answer» उन क्रियाकलापों की सूची जो जीवन के सामान्य कारोबार के अंग होते हैं, निम्नलिखित हैं| ⦁ आवश्यकताओं की सन्तुष्टि के लिए वस्तुओं को क्रय करना। उपर्युक्त सभी क्रियाएँ आर्थिक हैं क्योंकि ये सभी धन सम्बन्धी क्रियाएँ हैं और मौद्रिक लाभ कमाने के उद्देश्य से की जाती हैं। |
|
| 50. |
निम्नलिखित कथन सही हैं अथवा गलत? इन्हें तदनुसार चिह्नित करें(क) सांख्यिकी केवल मात्रात्मक आँकड़ों का अध्ययन करती है।(ख) सांख्यिकी आर्थिक समस्याओं का समाधान करती है।(ग) आँकड़ों के बिना अर्थशास्त्र में सांख्यिकी का कोई उपयोग नहीं है। |
|
Answer» (क) गलत, |
|