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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.

1.

निम्न में से कौन-सा उद्योग खाताकीय उद्योग है ?(A) सीमेंट(B) चीनी(C) धातु(D) रेलवे

Answer»

सही विकल्प है (D) रेलवे

2.

जिन उद्योगों में पूँजीनिवेश रु. 25 लाख से अधिक और रु. 5 करोड़ कम पूँजीनिवेशवाले उद्योगों का प्रकार कौन-सा है ?(A) बड़े पैमाने के उद्योग(B) गृह उद्योग(C) छोटे पैमाने के उद्योग(D) मध्यम पैमाने के उद्योग

Answer»

सही विकल्प है (C) छोटे पैमाने के उद्योग

3.

औद्योगिक क्षेत्र का योगदान किस क्षेत्र के विकास में महत्त्वपूर्ण है ?

Answer»

सेवा क्षेत्र के विकास में भी औद्योगिक क्षेत्र का योगदान महत्त्वपूर्ण है ।

4.

अत्यंत छोटी इकाई किसे कहते हैं ?

Answer»

बिन उद्योग में पूंजीनिवेश की मर्यादा 25 लाख रूपये हो तथा श्रमप्रधान उत्पादन पद्धति का उपयोग करनेवाले उद्योगों को अत्यंत छोटी इकाई कहते हैं । जैसे – धातु, चमड़ा, उद्योग ।

5.

गृह उद्योग किसे कहते हैं ?

Answer»

मुख्य रुप से परिवार के सदस्य और सादा ओजारो द्वारा बिजली यंत्रों के उपयोग बिना नहिवत पूँजीनिवेश द्वारा चलनेवाले उद्योगों को गृहउद्योग कहते हैं । जैसे : खादी, पापड़, अगरबत्ती ।

6.

रोजगार की दृष्टि से कौन-सी उत्पादन पद्धति महत्त्वपूर्ण हैं ?

Answer»

रोजगार की दृष्टि से श्रमप्रधान उत्पादन पद्धति महत्त्वपूर्ण मानी जाती है ।

7.

रोजगार की दृष्टि से कौन-से उद्योग महत्त्वपूर्ण होते हैं ?

Answer»

रोजगार की दृष्टि से छोटे पैमाने के उद्योग महत्त्वपूर्ण होते हैं ।

8.

वर्ष 2011-’12 में छोटे पैमाने की इकाईयाँ कितनी थी ?(A) 79.60 लाख(B) 105.21 लाख(C) 430.50 लाख(D) 447.73 लाख

Answer»

सही विकल्प है (D) 447.73 लाख

9.

वर्ष 2011-’12 में छोटे पैमाने के उद्योगों में कितने लोग रोजगार प्राप्त कर रहे हैं ?(A) 191.40 लाख(B) 249.33 लाख(C) 1012.59 लाख(D) 150.3 लाख

Answer»

सही विकल्प है (C) 1012.59 लाख

10.

SEZ का पूरा नाम लिखिए ।

Answer»

SEZ का पूरा नाम : Special Economic Zone है ।

11.

उद्योग कृषि क्षेत्र को कौन-सी टेक्नोलोजी उपलब्ध करवाता है ?

Answer»

उद्योग कृषि क्षेत्र को ट्रेक्टर, थ्रेसर, सबमर्सिबल पंप, जंतुनाशक दवा छाटने से आधुनिक यंत्र उपलब्ध करवाते हैं ।

12.

संतुलित आर्थिक विकास किसे कहते हैं ?

Answer»

जब देश के सभी क्षेत्रों में एन समान विकास हो तब उसे संतुलित आर्थिक विकास कहते हैं ।

13.

छोटे पैमाने के उद्योगों में रोजगार सर्जन की क्षमता अधिक क्यों होती है ?

Answer»

छोटे पैमाने के उद्योगों में श्रमप्रधान उत्पादन पद्धति का उपयोग किया जाता है, इसलिए रोजगार सर्जन की क्षमता होते हैं ।

14.

छोटे पैमाने के उद्योग अर्थात् क्या ?

Answer»

जिन उद्योगों में रु. 25 लाख से अधिक और रु. 5 करोड़ से कम पूंजीनिवेश किया गया हो, मात्र श्रमप्रधान उत्पादन पद्धति का उपयोग किया जाता हो और बड़े उद्योगों के लिए सहायक वस्तुओं का उत्पादन करते हों उन्हें छोटे पैमाने के उद्योग कहते हैं ।
जैसे : ओजार, वाहनों की मरम्मत, उपभोग वस्तुओं का उत्पादन आदि ।

15.

वर्ष 2011-’12 में औद्योगिक क्षेत्र में रोजगारी का प्रमाण कितना था ?(A) 10%(B) 24.3%(C) 27%(D) 49%

Answer»

सही विकल्प है (B) 24.3%

16.

औद्योगिकीकरण से सामाजिक ढाँचे में कैसे परिवर्तन किया जा सकता है ?

Answer»

औद्योगिकीकरण से नयी औद्योगिक संस्कृति का सर्जन होता है । जिससे समाज में अनुशासन, कठोरता, परिश्रम, स्पर्धा, टीमवर्क, स्वनिर्भरता, साथ-सहकार, समझ, नवीन संशोधन वृत्ति, संस्थाकीय क्षमता जैसे गुणों का विकास होता है । जबकि अंधश्रद्धा, प्रारब्धवाद, संकुचित मानसिकता जड़ प्रवृत्ति आदि में कमी आती है । समाज परिवर्तनशील बनता है । यह सामाजिक परिवर्तन अर्थतंत्र को विकास के लिए प्रेरक बनते हैं ।

17.

कृषि क्षेत्र में आधुनिकीकरण करने के लिए उद्योग किस प्रकार उपयोगी हैं ?

Answer»

कृषि क्षेत्र के तीव्र विकास के लिए एवं जमीन एवं श्रम की उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से खेती का आधुनिकीकरण आवश्यक है । जिसमें उद्योगों का महत्त्वपूर्ण योगदान है । उद्योग क्षेत्र कृषि क्षेत्र को आधुनिक टेक्नोलोजी के रुप में ट्रेक्टर, थ्रेसर, पंप, जंतुनाशक दवा छांटने के यंत्र उपलब्ध करवाते हैं । तथा उद्योगों में रासायनिक खाद, जंतुनाशक दवा आदि का उत्पादन भी किया जाता है । संक्षिप्त में ऐसा कह सकते हैं कि उद्योगों के द्वारा कृषि क्षेत्र का खूब अधिक विकास होता है ।

18.

छोटे पैमाने के उद्योग किस प्रकार की उत्पादन पद्धति का उपयोग करते हैं ?

Answer»

छोटे पैमाने के उद्योग श्रम प्रधान उत्पादन पद्धति का उपयोग करते हैं ।

19.

विशिष्ट आर्थिक विस्तार अर्थात् क्या ?

Answer»

विशिष्ट आर्थिक विस्तारों को अंग्रेजी में SEZ (Special Economic Zone) के नाम से जानते हैं । भारत में विशिष्ट आर्थिक विस्तार का अमल 1 अप्रैल 2000 से शुरू हुआ । जिसका मुख्य उद्देश्य विदेशी पूँजीनिवेश को आकर्षित करना और अन्तर्राष्ट्रीय स्पर्धा के अनुसार अंकुश मुक्त निर्यात करने के लिए वातावरण सर्जित करना । जिससे देश में निर्यात बढ़े और देश के उत्पादक क्षेत्र विश्व के समकक्ष बन सकें ।

20.

सरकार टेक्निकल कौशल्य और प्रशिक्षण क्यों देती है ?

Answer»

उदारीकरण और वैश्वीकरण के समय में स्थानिक उद्योग स्पर्धा में टिक सके और सफलता प्राप्त कर सके इस उद्देश्य से सरकार उद्योगों के मालिको को टेक्निकल और व्यवसायिक प्रशिक्षण देती है । उन्हें विश्व में प्रवर्तित नयी टेक्नोलोजी, नवीन वस्तुएँ, नवीन विक्रय व्यवस्था, नवीन संचालन आदि के गुण सिखाने के उद्देश्य से प्रशिक्षण देती है । जिससे स्थानिक उद्योग स्पर्धा में टिक सकें ।

21.

पूँजी वस्तु उद्योग किसे कहते हैं ?

Answer»

जिन वस्तुओं का उत्पादन अर्ध स्वरुप में हो अर्थात् ऐसी वस्तुओं कि जिसका उत्पादन हुआ है परंतु उत्पादन का एक और सोपान बाकी हो इस प्रकार की वस्तुओं को पूँजी वस्तु कहते हैं । और इस प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन करनेवाली इकाईयाँ पूँजी वस्तु के उद्योग कहते हैं । जैसे – सूत, लोहे के पतरा, यंत्र आदि ।

22.

सहकारी क्षेत्र के उद्योग किसे कहते हैं ?

Answer»

छोटे मालिकों के शोषण को रोकने के लिए, श्रमिको के शोषण को रोकने के लिए, ग्राहकों के शोषण को रोकने के लिए तथा इन सभी को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से की जानेवाली ऐसी प्रवृत्तियाँ सहकारी क्षेत्र के उद्योग कहते हैं । जैसे – IFFCO, KRIBHCO आदि ।

23.

विभागीय उद्योग किसे कहते हैं ?

Answer»

जब सरकार कुछ औद्योगिक इकाइयों की अपने सीधे देखरेख के अंतरगत एक खाते (विभाग) के रुप में चलाती है । ऐसी इकाइयों की आय और खर्च की व्यवस्था अंदाजपत्र में समाविष्ट की जाती हैं । ऐसे औद्योगिक क्षेत्रों को विभागीय उद्योगों के नाम से जानते हैं । जैसे – रेलवे, डाक सेवा आदि ।

24.

अर्थतंत्र के मजबूत ढाँचे के लिए औद्योगिकीकरण जरूरी है ? कैसे ?

Answer»

औद्योगिक क्षेत्र द्वारा लोहा, स्टील, सीमेन्ट जैसी वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है जो देश में सिंचाई योजना, सड़क-रास्ते, पुल आदि के निर्माण में उपयोगी हैं । इसके उपरांत उद्योगों द्वारा वाहनव्यवहार के साधन जैसे कि बस, ट्रक, रेलवे, हवाई जहाज, कार, द्विचक्रीय वाहन आदि उपलब्ध करवाये जाते हैं । जो अर्थतंत्र के ढाँचे को मजबूत बनाता है । संरक्षण से संबंधित शस्त्रों का उत्पादन करने से अर्थतंत्र विदेशों पर से अवलंबन कम होता है । और अर्थतंत्र मजबूत बनता है ।

25.

वर्ष 1951 में भारत की राष्ट्रीय आय में उद्योगों का हिस्सा कितना था ?(A) 60%(B) 40%(C) 16.6%(D) 27%

Answer»

सही विकल्प है (C) 16.6%

26.

मालिकी के आधार पर औद्योगिक ढाँचे को समझाइए ।

Answer»

मालिकी के आधार पर उद्योगों के प्रकार निम्नानुसार हैं :

(1) सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग : जिन औद्योगिक इकाई की मालिकी और संचालन सरकार के द्वारा किया जाता हो तो उन्हें सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग कहते हैं ।
उदा. रेलवे, टेलीफोन, डाक विभाग आदि ।
सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों में विभागीय उद्योग, सार्वजनिक निगम, संयुक्त पूँजी कंपनी आदि स्वरूप भी देखने को मिलते हैं ।

(2) निजी क्षेत्र के उद्योग : जिन उद्योगों की मालिकी और संचालन व्यक्तिगत (निजी) हो उसे निजी क्षेत्र के उद्योग कहते हैं । जैसे : कार, टीवी, बूट-चंपल आदि बनानेवाली इकाइयाँ ।

(3) संयुक्त क्षेत्र के उद्योग : संयुक्त क्षेत्र के उद्योगों को सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों में सरकार उद्योगों की मालिकी अधिकार शेयर
स्वरूप में लोगों ओर पेढियों को 51% या उससे अधिक प्रमाण विक्रय करती है जिससे उद्योग संयुक्त क्षेत्र के होने पर भी वह सरकार के अधिकार क्षेत्र में ही रहती है, जैसे : GSPC

(4) सहकारी क्षेत्र के उद्योग : छोटे (सीमांत) मालिकों का शोषण रोकने के लिए, श्रमिकों का शोषण रोकने के लिए, ग्राहकों के शोषण को रोकने के लिए और सभी के हित के लिए मुख्य उद्देश्य से की जानेवाली प्रवृत्तियों को सहकारी क्षेत्र के उद्योग कहते हैं । जिनमें जीवन उपयोगी वस्तुओं की कुछ दुकाने, दूध की डेरी, कुछ बैंकें आदि का संचालन सहकारी स्तर पर होता है ।
जैसे – IFFCO, KRIBHCO आदि ।

27.

पूंजीनिवेश के आधार पर औद्योगिक ढाँचे को समझाइए ।

Answer»

औद्योगिक ढाँचे का विचार पूँजीनिवेश, मालिकी उत्पादित वस्तु के आधार पर किया जाता है । पूँजीनिवेश के आधार पर उद्योगों के प्रकार निम्नानुसार हैं :

  • गृह उद्योग : मुख्य रुप से परिवार के सदस्य और सादा औजारों द्वारा बिजली के यंत्रों के बिना तथा नहींवत पूँजीनिवेश द्वारा चलनेवाले उद्योगों को गृह उद्योग कहते हैं । जैसे – खादी, पापड़, खाखरा आदि ।
  • अत्यंत छोटी इकाई : जिन उद्योगों में पूँजीनिवेश की मर्यादा रु. 25 लाख हो तथा संपूर्ण पूँजीप्रधान उत्पादन पद्धति का उपयोग होता हो तो ऐसे उद्योगों को अत्यंत छोटे उद्योग कहते हैं । जैसे : धातु, चमड़ा उद्योग आदि ।
  • छोटे पैमाने के उद्योग : जिन उद्योगों में पूँजीनिवेश की मर्यादा रु. 25 लाख से रु. 5 करोड़ तक होती है । तथा मात्र श्रमप्रधान
    उत्पादन पद्धति का उपयोग होता हो तथा बड़े उद्योगों के लिए सहायक वस्तुओं का उत्पादन करते हो तो उसे छोटे पैमाने के उद्योग कहते हैं । जैसे : ओजार, वाहनों की मरम्मत, उपभोग वस्तुओं का उत्पादन ।
  • मध्यम पैमाने के उद्योग : जिन उद्योगों में रु. 5 करोड़ से अधिक और रु. 10 करोड़ से कम पूंजीनिवेश किया हो, श्रमप्रधान अथवा पूँजीप्रधान उत्पादन पद्धति का उपयोग होता हो ऐसे उद्योगों को मध्यम पैमाने के उद्योग कहते हैं । जैसे – यंत्र, रसायन, इलेक्ट्रोनिक साधन आदि ।
  • बड़े पैमाने के उद्योग : जिन उद्योगों में रु. 10 करोड़ से अधिक पूँजीनिवेश किया हो, मात्र पूँजी प्रधान उत्पादन पद्धति का उपयोग होता हो तो उसे बड़े पैमाने के उद्योग कहते हैं । जैसे : रेलवे के साधन, लोहा, सीमेंट आदि ।
28.

‘भारत में छोटे पैमाने के उद्योग अधिक उपयोगी हैं ।’ विधान की चर्चा कीजिए ।

Answer»

भारत जैसे विकासशील देशों में जहाँ पूँजी की कमी हो तथा श्रम अधिक हो तो कम पूँजी में अधिक रोजगार दे सके ऐसे उद्योगों की आवश्यकता होती है । इस संदर्भ में कम पूँजीनिवेश में छोटे पैमाने के उद्योग स्थापित हो सकते हैं । तथा इन उद्योगों में श्रमप्रधान उत्पादन पद्धति का उपयोग होने से रोजगार के अवसर भी अधिक सर्जित होते हैं । इस प्रकार भारत जैसे जनसंख्या बाहुल्यवाले देशों में छोटे पैमाने के उद्योग अधिक उपयोगी हैं ।

29.

वर्ष 2013-14 में देश की कुल निर्यात आय में कितना हिस्सा उद्योग क्षेत्र का था ?(A) 2/3(B) 1/3(C) 1/2(D) 1/4

Answer»

सही विकल्प है (A) 2/3

30.

विशिष्ट आर्थिक विस्तार का महत्त्व संक्षिप्त में समझाइए ।

Answer»

भारत में विशिष्ट आर्थिक विस्तार का अमल 1 अप्रैल, 2000 से हुआ । जिसका मुख्य उद्देश्य विदेशी पूँजीनिवेश को आकर्षित करना और अन्तर्राष्ट्रीय स्पर्धा के अनुसार नियंत्रण मुक्त निर्यात करने के लिए वातावरण सर्जित करना है । जिसमें निर्यात बढ़ाकर देश के उत्पादन क्षेत्रों को विश्व के समकक्ष बनाना हैं ।

विशिष्ट आर्थिक विस्तार (SEZ) का महत्त्व निम्नानुसार हैं :

  1. SEZ में टेक्स में राहत देकर विदेशी पूँजीनिवेश को आकर्षित किया जाता है ।
  2. भारत में SEZ की स्थापना चीन के विशिष्ट आर्थिक विस्तार के मोडल से विकसित किया गया है ।
  3. SEZ प्रत्यक्ष विदेशी पूँजीनिवेश (FDI = Foreign Direct Investment) द्वारा निर्यात करनेवाले उत्पादित क्षेत्रों के विकास में उपयोगी है ।
  4. SEZ एक एसा विस्तार है जहाँ आर्थिक कानून देश के कानून से भिन्न होते हैं ।
  5. SEZ की स्थापना चीन, भारत, जोर्डन, पोलेन्ड, फिलिपाईन्स, रशिया और उत्तर कोरिया जैसे देशों ने की है ।
  6. कोई भी निजी व्यक्ति, सरकार, संयुक्त क्षेत्र, राज्य सरकार या उनके प्रतिनिधि संस्था द्वारा विशिष्ट आर्थिक विस्तार (SEZ) का निर्माण किया जाता है ।
  7. विदेशी संस्था द्वारा SEZ का निर्माण भारत में कर सकते हैं ।
  8. इन सभी विशिष्ट आर्थिक विस्तारों को सरकार द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है ।
31.

छोटे पैमाने के उद्योग का महत्त्व दर्शानेवाले तीन मुद्दे समझाइए ।

Answer»

छोटे पैमाने के उद्योगों का महत्त्व निम्नानुसार हैं :

(1) रोजगारी का सर्जन : छोटे पैमाने के उद्योगों में श्रम प्रधान उत्पादन पद्धति का उपयोग किया जाता है । जिससे रोजगारी के अवसर अधिक सर्जित होते हैं । जैसे – 1994-’95 में छोटे पैमाने के उद्योगों ने 191.40 लाख रोजगारी सर्जित किये थे वह बढ़कर 2011-’12 में 1012.59 लाख रोजगार देनेवाला क्षेत्र बन गया है ।

(2) उत्पादन वृद्धि : बड़े पैमाने के उद्योगों में यंत्रों का उत्पादन होता है । लेकिन उपभोग की वस्तुओं का उत्पादन छोटे पैमाने के उद्योगों द्वारा किया जाता है । और इन उद्योगों द्वारा तीव्र उत्पादन वृद्धि कर सकते है । वर्ष 1994-95 में रु. 4,22,154 करोड़ का उत्पादन हुआ था वह बढ़कर वर्ष 2011-12 में बढ़कर रु. 18,34,332 करोड़ का हो गया । इस प्रकार कम पूंजीनिवेश में अधिक उत्पादन किया जाता है ।

(3) निर्यात में वृद्धि : भारत की निर्यात में छोटे पैमाने के उद्योगों का योगदान उल्लेखनीय है । छोटे पैमाने के उद्योगों के द्वारा वर्ष 1994-95 में रु. 29.068 करोड़ की निर्यात हुयी थी । वह बढ़कर 2006-07 में रु. 1,77,600 तक की वृद्धि हुयी है । इस प्रकार छोटे पैमाने के उद्योगों द्वारा उत्पादित वस्तुओं की मांग बढ़ी है ।

(4) श्रमप्रधान उत्पादन पद्धति : श्रमप्रधान उत्पादन पद्धति में उत्पादन श्रम पर आधारित होता है । जिसमें श्रम अधिक और कम पूँजी का उपयोग होता है । तब नियोजक और जमीन के प्रमाण को स्थिर रख सकते हैं । तथा रोजगार के अवसर भी बढ़ते है ।

(5) संतुलित प्रादेशिक विकास : बड़े उद्योगों की अपेक्षा छोटे पैमाने के उद्योग कम पूँजी, कम साधन, कम संसाधनों द्वारा देश की किसी भी हिस्से में शुरू कर सकते हैं । जिससे मात्र विकसित प्रदेशों तक ही लाभ नहीं संतुलित विकास होता है । इस प्रकार छोटे पैमाने के उद्योगों द्वारा धनिकों और गरीबों, विकसित और अल्पविकसित प्रदेशों की असमानता को कम कर सकते हैं ।

32.

उद्योगों का महत्त्व दर्शानेवाले तीन मुद्दे समझाइए ।

Answer»

उद्योगों का महत्त्व निम्नानुसार हैं :

(1) राष्ट्रीय आय में वृद्धि : स्वतंत्रता के बाद भारत में उद्योगों का विकास हुआ है । जिससे राष्ट्रीय आय में कृषि क्षेत्र का हिस्सा कम हुआ है । और उद्योगों का राष्ट्रीय आय में हिस्सा बढ़ा है । जैसे : 1950-51 में राष्ट्रीय आय में उद्योगों का हिस्सा 16.6% था, जो बढ़कर 2013-14 में 27% हो गया है । इस प्रकार राष्ट्रीय आय की दृष्टि से उद्योग क्षेत्र महत्त्वपूर्ण माना जाता है ।

(2) रोजगारी : बेरोजगारी की समस्या को हल करने में उद्योग सहायक बने हैं । उद्योग क्षेत्र का विकास होने से रोजगार के अवसर सर्जित हुये हैं । और रोजगारी में औद्योगिक क्षेत्र का हिस्सा बढ़ा है । जैसे – 1951 में 10.6% श्रमिक उद्योग क्षेत्र में रोजगार प्राप्त करते थे । वह बढ़कर 2011-12 में 24.3 प्रतिशत हो गया है ।

(3) निर्यात आय : अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उद्योगिक क्षेत्र की वस्तुओं का मांग और कीमत अधिक होती है । इसलिए औद्योगिक क्षेत्रों का विकास करके उत्पादन बढ़ाकर निर्यात करके विदेशी मुद्रा प्राप्त कर सकते हैं । तथा आयात प्रतिस्थापन्न वस्तुओं का उत्पादन करके विदेशी मुद्रा की बचत भी करते हैं । जैसे : 2013-14 में कुल निर्यात कमाई में उद्योगों का हिस्सा 2/3 है ।

(4) अर्थतंत्र का संतुलित विकास : अर्थतंत्र के संतुलित विकास के उद्योग क्षेत्र महत्त्वपूर्ण माना जाता है । उद्योगों का विकास होने लोगों की कृषिजन्य (प्राथमिक) आवश्यकताओं की माँग बढ़ती है । तथा बचत होने से मोजशोन की वस्तुओं की मांग बढ़ती है । जो उद्योगों द्वारा उत्पादन किया जाता है । तथा सरकार भी सार्वजनिक साहस स्थापित करके पिछड़े क्षेत्रों का विकास किया जाता है ।

(5) कृषि क्षेत्र के आधुनिकीकरण के लिए : कृषि क्षेत्र के तीव्र विकास, जमीन और श्रम की उत्पादकता बढ़ाने के लिए आधुनिकीकरण जरूरी हैं । जिसमें उद्योग क्षेत्र महत्त्वपूर्ण हैं । उद्योग खेती को ट्रेक्टर, थ्रेसर, पंप, आदि आधुनिक टेक्नोलोजी तथा रासायनिक खाद, जन्तुनाशक दवा आदि का उत्पादन करके कृषि उत्पादन में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं ।

33.

भारत में कितने विशिष्ट आर्थिक विस्तारों (SEZ) की रचना की गयी है ? कौन-कौन से ?

Answer»

भारत में आठ विशिष्ट आर्थिक विस्तारों (SEZ) की रचना की गयी है । जिनमें सांताक्रूज (महाराष्ट्र) कोचीन (केरल), कंडला और सूरत (गुजरात), चैन्नई (तमिलनाडु), विशाखापट्टनम् (आंध्र प्रदेश), फाल्ता (पश्चिम बंगाल) और नोइडा (उत्तर प्रदेश) का समावेश होता है ।

34.

भारत किस प्रकार का देश है ?(A) विकसित देश(B) कषि प्रधान देश(C) साम्यवादी देश(D) उद्योग प्रधान

Answer»

सही विकल्प है (B) कषि प्रधान देश

35.

निम्नलिखित में से कौन-सा देश उद्योगप्रधान हैं ?(A) भारत(B) जापान(C) बांग्लादेश(D) न्यूजीलेन्ड

Answer»

सही विकल्प है (B) जापान

36.

विश्व में ऑस्ट्रेलिया किस प्रकार के देश के रुप में जाना जाता है ?

Answer»

विश्व में ऑस्ट्रेलिया कृषि पर आधारित विकसित देश के रुप में जाना जाता है ।

37.

इनमें से कौन-सा देश कृषिप्रधान होते हुए भी विकसित देश है ?(A) ऑस्ट्रेलिया(B) अमेरिका(C) जापान(D) ब्रिटेन

Answer»

सही विकल्प है (A) ऑस्ट्रेलिया