InterviewSolution
Saved Bookmarks
This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
| 1. |
परिक्रमण करते हुए इलेक्ट्रॉन का चुम्बकीय व्दिध्रुव आघूर्ण ज्ञात कीजिए |
|
Answer» नाभिक के चारों ओर परिक्रमण करता हुआ इलेक्ट्रॉन एक धारावाही लूप के सदृश्य होता हैं जिसका चुम्बकीय आघूर्ण `M = iA` .....(1) जहाँ i बहने वाली धारा तथा धारालूप का क्षेत्रफल हैं । मान लो द्रव्यमान का एक इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर r त्रिज्या के वृत्तीय मार्ग में v से परिक्रमा कर रहा हैं तथा उसका आवर्तकाल T हैं । तब धारा `i = (- e)/(T) = (-e)/((2pir)/(v))` या `i = (-ev)/(2pir)` समीकरण (1) में मान रखने पर , `M = (-ev)/(2 pi r) .A= (-ev)/(2pir)xxpir^(2)` या `M = (-evr)/(2)` ....(2) किंतु इलेक्ट्रॉन कोणीय संवेग L = mvr या vr = `(L)/(m)` समीकरण (2) में मान रखने पर , `M = (-el)/(2m)` ....(3) किंतु `L = (nh)/(2pi)` , जहाँ n मुख्य क्वाण्टम संख्या तथा h प्लांक नियतांक हैं । समीकरण (3) में मान रखने पर , `M = (-e)/((2m)xx(nh)/(2pi)` या `M = -n (eh)/(4pi m)`. यही अभीष्ट व्यंजक हैं । |
|
| 2. |
धारा लूप को चुम्बकीय व्दिध्रुव माना जाता हैं व्याख्या कीजिए । |
|
Answer» प्रत्येक धारा लूप एक चुम्बक के तुल्य होता हैं , जिससे चुम्बकीय क्षेत्र संबंध होता हैं । प्रत्येक धारा लूप को एक चुम्बकीय व्दिध्रुव के तुल्य माना जाता हैं । धारावाही लूप के जिस सिरे से देखने पर धारा की दिशा वामावर्त होती हैं वह सिर उत्तरी ध्रुव तथा जिस सिरे से देखने पर धारा की दिशा दक्षिणावर्त होती हैं वह सिरा दक्षिण ध्रुव की तरह व्यवहार करता हैं । धारावाही लूप का व्दिध्रुव आघूर्ण उस धारावाही लूप में बहने वाली धारा तथा लूप के क्षेत्रफल के गुणनफल के बराबर होता हैं । अर्थात् M = iA. |
|
| 3. |
क्या होगा यदि एक चुम्बक को दो भागों में विभक्त किया जाये ? (i) उसकी लम्बाई के लम्बवत् , (ii) उसकी लम्बाई के अनुदिश । |
|
Answer» (i) किसी चुम्बक को उसकी लम्बाई के लम्बवत् दो भागों में विभाजित करने पर प्रत्येक भाग में चुम्बकत्व होगा तथा प्रत्येक भाग का ध्रुव सामर्थ्य यही होगा , किंतु प्रभावी लम्बाई कम होने के कारण चुम्बकीय आघूर्ण कम हो जायेगा । (ii) लम्बाई के अनुदिश विभाजित करने पर दोनों भाग में चुम्बकत्व होगा । उनकी लंबाई वही रहेगी , परंतु ध्रुव सामर्थ्य कम होने के कारण चुम्बकीय आघूर्ण कम हो जायेगा । |
|
| 4. |
समझाइए कि पृथ्वी चुम्बक की भाँति व्यवहार करती हैं |
|
Answer» (i) क्षैतिज तल में स्वतंत्र के लिए चुम्बक सदैव उत्तर - दक्षिण दिशा में ठहरता हैं । यह तभी सम्भव हैं जबकि पृथ्वी एक चुम्बक की भाँति व्यवहार करे । (ii) लोहे की एक छड़ को उत्तर - दक्षिण दिशा में गाड़ देने पर कुछ समय पश्चात् वह चुम्बक बन जाती है । यह तभी सम्भव हैं जबकि पृथ्वी चुम्बक की भाँति व्यवहार करें । (iii) चुम्बकीय बल रेखायें खींचते समय उदासीन बिंदु प्राप्त होते हैं । उदासीन बिंदु पर परिणामी तीव्रता शून्य होती हैं इस बिंदु पर चुम्बक के चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता अन्य चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता से संतुलित हो जाती हैं । चूँकि चुम्बक के पास अन्य चुम्बक नहीं है , संतुलित करने वाला चुम्बकीय क्षेत्र पृथ्वी की ही चुम्बकीय क्षेत्र होना चाहिए । उपर्युकत् उदाहरणों से स्पष्ट होता हैं कि पृथ्वी एक चुम्बक की भाँति व्यवहार करती हैं । |
|
| 5. |
भू - चुम्बकीय तत्व क्या हैं ? उनके नाम लिखिए । |
|
Answer» किसी भी स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकत्व के अध्ययन के लिए जिन तत्वों की आवश्यकता होती हैं , उन्हें भू - चुम्बकीय तत्व कहते हैं । ये निम्न हैं - (i) दिक्पात का कोण , (ii) नमन कोण या नति कोण , (iii) पृथ्वी के चुम्बकीय निरक्ष पर नति कोण का मान `0^(@)` तथा चुम्बकीय ध्रवों पर `90^(@)` होता हैं । |
|
| 6. |
किसी स्थान को चुम्बकीय क्षेत्र से परिरक्षित करना है तो कोई विधि सुझाइए । |
| Answer» उस क्षेत्र को नर्म लोहे के छल्लों से घेरकर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ छल्लों में समाहित हो जाएँगी और इनसे घिरा हुआ क्षेत्र चुम्बकीय क्षेत्र से मुक्त रहेगा । लेकिन यह सन्निकट परिरक्षण ही होगा । वैसा पूर्ण परिरक्षण नहीं , जैसा किसी विनर को एक चालक से घेरकर बाह्रा विद्युत क्षेत्र से परिरक्षित करने में होता हैं । | |
| 7. |
भू - चुम्बकीय तत्वों के नाम लिखिए एंव उन्हें परिभाषित कीजिए । |
| Answer» पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज घटक को पृथ्वी की क्षैतिज तीव्रता कहते हैं । | |
| 8. |
चुम्बकीय निरक्ष और चुम्बकीय ध्रुवों पर नति कोण के मान बताइये । |
| Answer» चुम्बकीय निरक्ष पर नति कोण का मान `theta` तथा चुम्बकीय ध्रुवों पर `90^(@)` होता हैं । | |
| 9. |
चुम्बकीय व्दिध्रुव क्या हैं ? उदाहरण दीजिए । |
| Answer» प्रत्येक चुम्बक में दो ध्रुव होते हैं । प्रकृति में एक अकेला चुम्बकीय ध्रुव (उत्तर ध्रुव या दक्षिण ध्रुव ) प्राप्त करना असम्भव हैं । इस प्रकार प्रत्येक चुम्बक में दो ध्रुव होते हैं इसलिये चुम्बक को चुम्बकीय व्दिध्रुव भी कहते हैं । उदाहरण के लिए , दण्ड चुम्बक , धारावाही लूप तथा धारावाही कुण्डली चुम्बकीय व्दिध्रुव हैं । | |
| 10. |
पृथ्वी की क्षैतिज तीव्रता की परिभाषा लिखिए । |
| Answer» पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज घटक को पृथ्वी की क्षैतिज तीव्रता कहते हैं । | |
| 11. |
नमन कोण (नति कोण ) की परिभाषा लिखिए । |
| Answer» किसी स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र की परिणामी तीव्रता क्षैतिज के साथ जो कोण बनाती हैं उसे उस स्थान का नति कोण कहते हैं । | |
| 12. |
चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता की परिभाषा तथा `S*I*`मात्रक लिखिये । |
|
Answer» चुम्बक के चारों ओर का वह क्षेत्र जहाँ तक उसका प्रभाव होता हैं , चुम्बकीय क्षेत्र कहलाता हैं । चुम्बकीय क्षेत्र के किसी बिंदु पर स्वतंत्र एकांक उत्तरी ध्रुव को रखने पर वह जितने बल का अनुभव करत हैं , उसे उस बिंदु पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता कहते हैं । चुम्कीय क्षेत्र का `S*I*`पध्दति में मात्रक टेसला होता हैं । `S*I*` पध्दति में इसे अन्य मात्रकों न्यूटन/ऐम्पियर - मीटर तथा `"वेबर / मीटर"^(2)` से भी व्यक्त किया जाता हैं । |
|
| 13. |
चुम्बक की प्रभावकारी लंबाई की परिभाषा दीजिए । |
| Answer» चुम्बक के दोनों ध्रुवों के बीच की दूरी को उसकी प्रभावकारी लम्बाई कहते हैं । इसे 2l से प्रदर्शित करते हैं । यह चुम्बक की ज्यामितीय लम्बाई की `(5)/(6)` गुनी होती हैं । | |
| 14. |
एक चुम्बक एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में लटकाया गया हैं । उस पर कार्य करने वाला बल - आघूर्ण कितना होगा ? कार्य करने वाले नेट बल का मान भी बताइये । |
|
Answer» बल - आघूर्ण = `tau = MH sin theta` कार्य करने वाला नेट बल = शून्य |
|
| 15. |
एक छोटा छड़ चुम्बक एकसमान बाह्रा चुम्बकीय क्षेत्र `0*25T` के साथ `30^(@)` का कोण बनाता हैं , पर `4*5 + 10^(-2)J` का बल आघूर्ण लगता हैं । चुम्बक के चुम्बकीय आघूर्ण का परिमाण क्या हैं ? |
|
Answer» दिया गया हैं - एकसमान बाह्रा चुम्बकीय क्षेत्र `B = 0*25 T` `theta = 30^(@)` बल आघूर्ण `tau = 4*5 xx10^(-2)J` चुम्बक के चुम्बकीय आघूर्ण का परिमाण = m = ? हम जानते हैं कि बल आघूर्ण `tau = mB sin theta` `therefore` चुम्बकीय आघूर्ण m = `(tau)/(Bsintheta)` मान रखने पर , m = `(4*5 xx10^(-2))/(0.25xxsin30^(@))` `m = (4*5xx10^(-2))/(0*25xx(1)/(2))` `= (9)/(25) = 0*36JT^(-1)`. |
|
| 16. |
एक छड़ चुम्बक जिसका चुम्बकीय आघूर्ण `1*5JT^(-1) "हैं ," 0*22T` के एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र के अनुदिश रखा हैं । (a) एक बाह्रा बल आघूर्ण कितना कार्य करेगा । यदि यह चुम्बक को चुम्बकीय क्षेत्र के (i) लम्बवत् (ii) विपरीत दिशा में संरेखित करने के लिए घुमा दें । (b) स्थिति (i) एंव (ii) में चुम्बक पर कितना बल आघूर्ण होता हैं ? |
|
Answer» दिया गया हैं - चुम्बकीय आघूर्ण m = `1*5 JT^(-1)` एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र `B = 0*22T` (a) (i) यहाँ पर `theta_(1) = 0` (क्षेत्र के अनुदिश ) `theta_(2) = 90^(@)` (क्षेत्र के लम्बवत्) `therefore W = -mB(costheta_(2) - costheta_(1))` `= - 1*5xx0*22 xx (cos90^(@) - cos 0^(@)` ` = - 0*33xx (0 -1)` ` = 0.33 J`. (ii) यहाँ पर `theta_(1) = 0^(@), theta_(2) = 180^(@)` `W = -1*5 xx 0.22 xx (cos 180^(@) - cos0^(@))` `= -0*33 xx (-1 - 1)` ` = - 0*33 xx(-2) = 0.66J.` परिमाण का बल आघूर्ण जो चुम्बकीय आघूर्ण सदिश A को B के अनुदिश लाने की प्रवृत्ति रखता हैं । (ii) यहाँ पर दिया गया हैं `theta = 180^(@)` `tau = 1*5xx0*22xxsin 180^(@)` `tau = 0` `sin 180^(@) = 0` |
|
| 17. |
चुम्बकीय आघूर्ण m = `0*32 JT^(-1)` वाला एक छोटा छड़ चुम्बक `0*15T` के एकसमान बाह्रा चुम्बकीय क्षेत्र में रखा हैं । यदि यह छड़ क्षेत्र के तल में घूमने के लिए स्वतंत्र हो , तो क्षेत्र के किस विन्यास में यह (i) स्थायी संतुलन और (ii) अस्थायी संतुलन में होगा ? प्रत्येक स्थिति में चुम्बक की स्थितिज ऊर्जा का मान बताइए । |
|
Answer» दिया गया हैं - छड़ चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण `m = 0.32 JT^(-1) ` एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र `B = 0*15 T` (i) स्थायी संतुलन के लिए चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण M चुम्बकीय क्षेत्र B के समानान्तर होना चाहिए अर्थात् `theta = 0^(@)` इस परिस्थिति में स्थितिज ऊर्जा `U = -vec(m).vec(B) = -mBcostheta` मान रखने पर , `U = - mB cos 0` `U = - mBxx1 Q cos 0 = 1` `= - mB = -0*32xx 0*15xx1` `U = - 0*048J` `= -4*8xx10^(-2)J`. (ii) अस्थायी संतुलनावस्था `theta = pi` अर्थात् `vec(B) "व"vec (B)` परस्पर विपरीत हो । इस स्थिति में स्थितिज ऊर्जा (विभव ऊर्जा) `U = -vec(m).vecB = - mBcos 180^(@)` `U = +mB Q cos 180^(@) = -1` मान रखने पर , `U = + (0 *32)xx(0*15)` `= + 4*8 xx 10^(-2)J`. |
|
| 18. |
नर्म लोहे के एक टुकड़े के शैथिल्य लूप का क्षेत्रफल , कार्बन - स्टील के टुकड़े का शैथिल्य लूप के क्षेत्रफल से कम होता हैं । यदि पदार्थ को बार - बार चुम्बकन चक्र से गुजारा जाए , तो कौन - सा टुकड़ा अधिक ऊष्मा ऊर्जा का क्षय करेगा ? |
| Answer» कार्बन स्टील का टुकड़ा अधिक ऊष्मा का क्षय करेगा क्योंकि प्रतिचक्र उत्पन्न ऊष्मा , शैथिल्य पाश के क्षेत्रफल के अनुक्रमानुपाती होती हैं । | |
| 19. |
एक परिनालिका जिसमें पास - पास 2000 फेरें लपेटे गए हैं तथा जिसके अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल काट का क्षेत्रफल `1*6xx10^(-4)m^(2)` हैं और जिसमें `4*0A` की धारा प्रवाहित हो रही हैं , इसके केंद्र से इस प्रकार लटकाई गई हैं कि यह एक क्षैतिज तल में घूम सके । परिनालिका के चुम्बकीय आघूर्ण का मान क्या हैं ? |
|
Answer» दिया गया हैं - परिनालिका में फेरों की संख्या N = 200 परिनालिका का अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल `A = 1*6xx10^(-4)m^(2)` परिनालिका में प्रवाहित धारा `I = 4*0A` `theta = 30^(@)` समान क्षैतिज चुम्बकीय क्षेत्र `B = 7*5 xx 10^(-2)T` चुम्बकीय आघूर्ण , m = NIA `= 2000xx4*0xx1*6xx10^(-4)` = `1*28 Am^(2)` अक्ष के अनुदिश दिशा धारा की दिशा पर निर्भर हैं , जिसे दायें हाथ के पेंच के नियम व्दारा ज्ञात कर सकते हैं । |
|
| 20. |
एक परिनालिका जिसमें पास - पास 2000 फेरें लपेटे गए हैं तथा जिसके अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल काट का क्षेत्रफल `1*6xx10^(-4)m^(2)` हैं और जिसमें `4*0A` की धारा प्रवाहित हो रही हैं , इसके केंद्र से इस प्रकार लटकाई गई हैं कि यह एक क्षैतिज तल में घूम सके । परिनालिका पर लगने वाला बल एंव बल आघूर्ण क्या हैं , यदि इस पर इसकी अक्ष से `30^(@)` का कोण बनाता हुआ `7*5xx10^(-2)T` का एकसमान क्षैतिज चुम्बकीय क्षेत्र लगाया जाए ? |
|
Answer» दिया गया हैं - परिनालिका में फेरों की संख्या N = 200 परिनालिका का अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल `A = 1*6xx10^(-4)m^(2)` परिनालिका में प्रवाहित धारा `I = 4*0A` `theta = 30^(@)` समान क्षैतिज चुम्बकीय क्षेत्र `B = 7*5 xx 10^(-2)T` चूँकि क्षेत्र एकसमान हैं , बल शून्य हैं बल आघूर्ण `tau = NBIA sin theta` मान रखने पर , `tau = 2000xx 7*5xx10^(-2)xx4*0xx1*6xx10^(-4)xxsin30^(@)` `= 150 xx32xx10^(-5)` ` = 4800 xx 10^(-5)` `= 0*048Nm.` |
|
| 21. |
लोहे के एक सीधे चुम्बकीय तार की लंबाई तथा चुम्बकीय आघूर्ण M हैं , इसे मोड़कर अर्ध्दवृत्त की आकृति में बदल दिया जाता हैं । अब चुम्बकीय आघूर्ण कितना होगा ? |
|
Answer» ध्रुव प्रबलता m = `(M)/(l)`. अतः यदि `pir =l "तो" r = (l)/(pi)` अतः दोनों ध्रुवों के बीच की दूरी 2r = `(2l)/(pi)` `therefore` नया चुम्बकीय आघूर्ण = `(M)/(l) *(2l)/(pi) = (2M)/(pi).` |
|
| 22. |
स्वतंत्रता पूर्वक लटकता हुआ चुम्बक सदैव उत्तर - दक्षिण दिशा में ठहरता हैं , क्यों ? |
| Answer» पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र की क्षैतिज तीव्रता H दक्षिण से उत्तर की ओर निर्देशित होती हैं । जब कोई चुम्बक स्वतंत्रतापूर्वक लटकाया जाता हैं , तो उस पर पृथ्वी की क्षैतिज तीव्रता के कोण एक बलयुग्म कार्य करता हैं । यह बलयुग्म चुम्बक को घुमाकर H के समान्तर ले आता हैं । अतः स्वतंत्रतापूर्वक लटकता हुआ चुम्बक सदैव उत्तर - दक्षिण दिशा मे ही ठहरता हैं । | |
| 23. |
किसी चुम्बकीय क्षेत्र में रखे चुम्बक की स्थितिज ऊर्जा कब शून्य होती हैं ? |
|
Answer» जब वह चुम्बकीय क्षेत्र के अनुदिश होता है क्योंकि `U = MH(1 - costheta)` यदि `theta = 0` हो , तो `cos theta = cos0^(@) = 1` U = 0 |
|
| 24. |
किसी चुम्बकीय व्दिध्रुव की स्थितिज ऊर्जा कब अधिकतम होती हैं ? |
| Answer» चुम्बकीय व्दिध्रुव जब चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा से `180^(@)` कोण पर रखा जाता हैं , तब इस स्थिति में चुम्बकीय व्दिध्रुव की स्थितिज ऊर्जा अधिकतम होती हैं तथा इस स्थिति में चुम्बक अस्थायी संतुलन में होता हैं । | |
| 25. |
धारा लूप चुम्बकीय व्दिध्रुव की भाँति कार्य करता हैं , क्यों ? |
|
Answer» प्रत्येक धारा लूप एक चुम्बक के तुल्य होता हैं , जिससे चुम्बकीय क्षेत्र संबंध होता हैं । प्रत्येक धारा लूप को एक चुम्बकीय व्दिध्रुव के तुल्य माना जाता हैं । धारावाही लूप के जिस सिरे से देखने पर धारा की दिशा वामावर्त होती हैं वह सिर उत्तरी ध्रुव तथा जिस सिरे से देखने पर धारा की दिशा दक्षिणावर्त होती हैं वह सिरा दक्षिण ध्रुव की तरह व्यवहार करता हैं । धारावाही लूप का व्दिध्रुव आघूर्ण उस धारावाही लूप में बहने वाली धारा तथा लूप के क्षेत्रफल के गुणनफल के बराबर होता हैं । अर्थात् M = iA. |
|
| 26. |
एक चुंबकीय सूई जो ऊर्ध्वाधर तल में घूमने के लिए स्वतंत्र हैं , यदि भू - चुम्बकीय उत्तर या दक्षिण ध्रुव पर रखी हो , तो यह किस दिशा में संकेत करेगी ? |
| Answer» चुम्बकीय सुई क्षैतिज तल में घुमने के लिए स्वतंत्र हैं जबकि पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा चुम्बकीय ध्रुवों पर ठीक ऊर्ध्वाधर हैं अतः यहाँ सूई किसी भी दिशा में संकेत कर सकती हैं । | |
| 27. |
भू - गर्भशास्त्रियों का मानना हैं कि मुख्य N - S चुम्बकीय ध्रुवों के अतिरिक्त पृथ्वी की सतह पर कई अन्य स्थानीय ध्रुव भी हैं , जो विभिन्न दिशाओं में विन्यस्त हैं । ऐसा होना कैसे संभव हैं ? |
| Answer» क्योंकि पृथ्वी का क्षेत्र केवल व्दिध्रुव क्षेत्र के लगभग हैं । स्थानीय N - S ध्रुव उत्पन्न हो सकते हैं । जैसे कि चुम्बकीय खनिज भण्डारों के कारण स्थानीय ध्रुव भी विद्यमान हो सकते हैं । | |
| 28. |
चुम्बकीय व्दिध्रुव आघूर्ण से आप क्या समझते हैं ? |
|
Answer» किसी चुम्बक की प्रभावकारी लम्बाई तथा ध्रुव प्रबलता के गुणनफल को चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण या व्दिध्रुव आघूर्ण कहते हैं । यदि m ध्रुव प्रबलता तथा 2l प्रभावकारी लम्बाई हो तब, चुम्बकीय आघूर्ण - `M = m xx 2l` चुम्बकीय आघूर्ण का मात्रक ऐम्पियर - मीटर`^(2)` तथा विमीय सूत्र `[M^(0)L^(2)T^(0)A]` होता हैं । |
|
| 29. |
यह माना जाता हैं कि पृथ्वी का चुम्बकीय व्दिधुव के क्षेत्र जैसा हैं जो पृथ्वी के केंद्र पर रखा हैं और जिसका व्दिध्रुव आघूर्ण `8xx10^(22)JT^(-1)` हैं । कोई ढंग सुझाइए जिससे इस संख्या के परिमाण की कोटि जाँची जा सके । |
|
Answer» `vec (m)` चुंबकीयश आघूर्ण वाले व्दिध्रुव के लम्ब समव्दिभाजक पर क्षेत्र `vec(B)` के लिए सूत्र `vec (B)` निरक्ष = `(mu_(0)vec(m))/(4 pi r^(3))` का प्रयोग करना चाहिए । `m = 8xx10^(22)JT^(-1),r = 6*4xx10^(6)m` रखने पर B का मान निकालने पर उपरोक्त सूत्र का मापांक लेने पर , `B_("निरक्ष") = (10^(-7)xx8xx10^(22))/(6*4xx10^(6))^(3)` = `0*3 xx 10^(-4)T = 0*3 G` यह मान पृथ्वी पर प्रेक्षित क्षेत्र के परिमाण की कोटि का हैं । |
|
| 30. |
एक सदिश को पूर्ण रुप से व्यक्त करने के लिए तीन राशियों की आवश्यकता होती हैं । उन तीन स्वतंत्र राशियों के नाम लिखिए जो परम्परागत रुप से पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त होती हैं । |
| Answer» चुंबकीय दिक्पात , नमन (नति ) कोण तथा पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक । | |
| 31. |
कैसेट के चुम्बकीय फीतों पर पर्त चढ़ाने के लिए या आधुनिक कम्पयूचर में स्मृति संग्रहण के लिए किस तरह के लौह चुम्बकीय पदार्थों का इस्तेमाल होता हैं ? |
| Answer» चुम्बकीय फीते के लेपन के लिए मृत्तिका का उपयोग केसेट प्लेयर या भवनों में करते हैं । आधुनिक कम्प्यूटर में स्मृति संचित हो जाती हैं । मृत्तिका बेरियम और लोहे का युग्म ऑक्साइड हैं । मृत्तिका को फैराइट भी कहते हैं । | |
| 32. |
लौह-चुम्बकीय पदार्थों के विशेष गुणों की विवेचना कीजिए | |
|
Answer» लौह - चुम्बकीय पदार्थों में निम्न गुण पाये जाते हैं - (i) लौह - चुम्बकीय पदार्थ दुर्बल चुम्बक की ओर भी आकर्षित हो जाते हैं । (ii) लौह - चुम्बकीय पदार्थ को किसी चुम्बकीय क्षेत्र में लटकाने पर वह क्षेत्र के समान्तर हो जाता हैं । (iii) जब कभी किसी लौह - चुम्बकीय पदार्थ को किसी असमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता हैं तो वह क्षेत्र के कम तीव्रता वाले भाग से अधिक तीव्रता वाले भाग की ओर चलने लगता हैं (iv) लौह - चुम्बकीय पदार्थों की आपेक्षिक चुम्बक - शीलता बहुत अधिक होती हैं । (v) ताप बढ़ाने पर लौह - चुम्बकत्व कम होने लगता हैं तथा एक निश्चित ताप , जिसे क्यूरी ताप कहते हैं के ऊपर लौह - चुम्बकीय पदार्थ अनुचुम्बकीय हो जाता हैं । |
|
| 33. |
चुम्बकीय बल रेखाएँ क्या हैं ? इनके गुण लिखिए । |
|
Answer» चुम्बकीय बल रेखा वह वक्राकार पथ है जिस पर स्वतंत्र एकांक उत्तरी ध्रुव गमन कर सकता हैं । किसी चुम्बकीय क्षेत्र की बल रेखा यह निष्कोण वक्र हैं , जिसके किसी बिंदु पर खींची गई स्पर्श रेखा उस बिंदु पर परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को व्यक्त करती हैं । गुण - (i) इन बल रेखाओं के किसी बिंदु पर खींची गई स्पर्श रेखा उस बिंदु पर परिणामी क्षेत्र की दिशा को व्यक्त करती हैं । (ii) चुम्बकीय बल रेखाएँ बंद वक्र बनाती हैं । (iii) ये बल रेखाएँ एक - दूसरे को नहीं काटती हैं , (iv) ये रेखाएँ जहाँ घनी होती हैं वहाँ चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता अधिक तथा जहाँ विरल होती हैं वहाँ चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता कम होती हैं । |
|
| 34. |
यदि ऑस्ट्रलिया के मेलबोर्न में पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का मानचित्र बनायें , तो चुम्बकीय बल रेखाएँ जमीन के अंदर की ओर जाती हुई प्रतीत होंगी या जमीन से बाहर आती हुई प्रतीत होंगी ? |
| Answer» जमीन से बाहर आती हुई प्रतीत होंगी , क्योंकि पृथ्वी पर चुम्बकीय उत्तरी ध्रुव भौगोलिक दक्षिण की ओर हैं । चुम्बकीय बल रेखाएँ उत्तरी ध्रुव से बाहर निकलती हैं । | |
| 35. |
यदि आप ऑस्ट्रेलिया के मेलबोर्न शहर में भू - चुम्बकीय क्षेत्र की रेखाओं का नक्शा बनाएँ तो ये रेखाएँ पृथ्वी के अंदर जाएँगी या इससे बाहर आएँगी ? |
| Answer» पृथ्वी की चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ `vec(B)` सतह से बाहर आती हुई प्रतीत होंगी । चूँकि ऑस्ट्रेलिया का मेलबोर्न शहर भौगोलिक दक्षिणी ध्रुव तथा चुम्बकीय उत्तरी ध्रुव के निकट हैं । | |
| 36. |
अनुचुम्बकत्व के विपरीत , प्रतिचुम्बकत्व पर ताप का प्रभाव लगभग नहीं होता । क्यों ? |
| Answer» प्रतिचुम्बकीय पदार्थ के नमूने में प्रेरित चुंबकीय आघूर्ण हमेशा चुम्बककारी क्षेत्र की विपरीत दिशा में होता हैं , चाहे इसके अंदर परमाणुओं की गति कैसी भी हो । | |
| 37. |
एक टोरॉइड में बिसम्थ का क्रोड लगाया जाए , तो इसके अंदर चुम्बकीय क्षेत्र पर निर्भर करती हैं ? यदि हाँ , तो उच्च चुम्बकीय क्षेत्रों के लिए इसका मान कम होगा अथवा अधिक ? |
| Answer» चूँकि बिस्मथ प्रतिचुम्बकीय पदार्थ हैं , तो बिसम्थ क्रोड रखने पर क्रोड में चुम्बकीय क्षेत्र थोड़ा - सा कम होगा । | |