This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
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खाद्य उत्पादन को बढ़ाने में मत्स्यकी की भूमिका की विवेचना कीजिए। |
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Answer» मत्स्यकी की भूमिका (Role of Fishery) – मत्स्यपालन के अन्तर्गत मछली पालने के तरीकों एवं इनके रख-रखाव और उपयोग के बारे में अध्ययन किया जाता है। मछलियों से मांस (प्रोटीन का स्रोत), तेल इत्यादि प्राप्त होता है। मत्स्यकी एक प्रकार का उद्योग है, जिसका सम्बन्ध मछली अथवा अन्य जलीय जीव को पकड़ना, उनका प्रसंस्करण (processing) तथा उन्हें बेचने से होता है। हमारी जनसंख्या का एक बहुत बड़ा भाग आहार के रूप में मछली, मछली उत्पादों तथा अन्य जलीय जन्तुओं पर आश्रित है। भारतीय अर्थव्यवस्था में मत्स्यकी का महत्त्वपूर्ण स्थान है। यह समुद्र तटीय राज्यों में अनेक लोगों को आय तथा रोजगार प्रदान करती है। बहुत-से लोगों के लिए यह जीविका का एकमात्र साधन है। मत्स्यकी की बढ़ती हुई माँग को देखते हुए इसके उत्पादन को बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार की तकनीकें अपनाई जा रही हैं। नीली क्रान्ति (Blue Revolution) मछली उत्पादन से जुड़ी है। इसके अन्तर्गत अलवणीय तथा लवणीय जलीय प्राणियों के उत्पादन में-द्धि की जाती है। मछली उत्तम प्रोटीन का खाद्य संसाधन है। मछलियों की अलवणीय नस्लों कतला, रोहू, मृगल, सिल्वर कार्प, ग्रास कार्प आदि प्रमुख हैं। कतला मछलियों की वृद्धि सबसे तेज होती है। समुद्री मछलियों के अतिरिक्त झींगा (prawn), केकड़ा (crabs), लॉबस्टर (lobster), ऑयस्टर (oyester) आदि प्रमुख समुद्री खाद्य संसाधन हैं। |
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मधुमक्खी की दो प्रजातियों के जन्तु वैज्ञानिक नाम लिखिए। |
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Answer» एपिस मेलीफेरो (Apis melifero) तथा एपिस इण्डिका (Apis indica)। |
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शहतूत के रेशमकीट का वैज्ञानिक नाम लिखिए। |
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Answer» बॉम्बिक्स मोराइ (Bombyx mori) |
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पशुपालन क्या है? इसमें सुधार लाने की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए। |
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Answer» पशुपालन पशुपालन, व्यावहारिक जीव विज्ञान की वह शाखा है जो पालतू पशुओं को मितव्ययितापूर्ण एवं स्वस्थ रखने की कला का ज्ञान कराती है। पशुपालन में सुधार लाने की विभिन्न विधियाँ निम्नवत् हैं 1. आस-पास का तापमान (Near by Temperature) – पशुओं के आस-पास लगभग 20°C ताप उपयुक्त रहता है। ताप में अधिक भिन्नता होने पर चारा ग्रहण क्षमता तथा पाचन क्रिया प्रभावित होने से उत्पादन घटता है। 2. धूप या विकिरण (Sunshine or Radiation) – मौसम के अनुसार पशुओं को धूप या विकिरण से बचाने का प्रबन्ध करना चाहिए ताकि शरीर में ताप/ऊर्जा सन्तुलन में सहायता मिले। 3. भोजन व पानी का प्रबन्ध (Arrangement of Food and Water) – पशुओं के लिए पर्याप्त व सन्तुलित भोजन व पानी का प्रबन्ध होना चाहिए। गर्मी में अपेक्षाकृत पानी की अधिक आवश्यकता होती है। 4. उचित व्यवहार (Good Behaviour) – पशुओं के साथ दया व मित्रतापूर्ण व्यवहार करने से उनका दुग्ध उत्पादन बढ़ता है। 5. स्वास्थ्य परीक्षण (Health Checkup) – पशुओं का नियमित अन्तराल पर स्वास्थ्य परीक्षण कराना चाहिए तथा बीमारी के लक्षण दिखाई देते ही उसको पृथक् कर देना चाहिए और योग्य पशु चिकित्सक से उपचार कराना चाहिए। 6. खुरों की छटाई (Hoof Triming) – खुरों को समय-समय पर काटते रहना चाहिए क्योंकि एक ही स्थान पर रहने से उनके खुर बढ़ जाते हैं, चलने में कठिनाई होती है। 7. व्यायाम (Exercise) – पशुओं को चारागाह में भेजकर या अन्य किसी माध्यम से घुमाने वव्यायाम की व्यवस्था होनी चाहिए। 8. सींग रोधन – पशुओं की पारस्परिक सुरक्षा तथा अपनी सुरक्षा हेतु सींग रोधन अपनाना चाहिए। 9. बिछावन व्यवस्था – पशुशाला या पशु बाँधने के स्थान पर मौसम के अनुसार सूखा भूसा, लकड़ी का बुरादा या रेत आदि का प्रयोग बिछावन के रूप में अवश्य करें। 10. बाह्य-परजीवियों से रक्षा (Protection from External Parasites) – पशु के रहने के स्थान पर मक्खियाँ, जू, खटमले, पिस्सू, चीचड़ी आदि पैदा न होने दें। ये सभी पशु की दैहिक क्रियाओं पर बुरा प्रभाव डालती हैं। अतः सफाई के साथ-साथ कीटनाशकों का प्रयोग करें। 11. अपशिष्टों से बचाव – घर की सड़ी-गली खाद्य वस्तुओं अथवा अन्य अपशिष्टों को पशुओं को नहीं देना चाहिए, ऐसा करना उनके लिए प्राण घातक भी हो सकता है। |
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दलहनी पौधों के लिए नाइट्रोजन युक्त खाद की ज्यादा आवश्यकता नहीं पड़ती हैं क्यों? |
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Answer» दलहनी पौधों की जड़ों में प्रकृति में उपस्थित मुक्त नाइट्रोजन गैस का स्थिरीकरण करने वाले जीवाणु (राइजोबियम, नाइट्रोबैक्टर आदि) पाये जाते हैं जिनके कारण उन्हें नाइट्रोजन युक्त खाद की ज्यादा आवश्यकता नहीं पड़ती हैं। |
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| 10256. |
किन्हीं दो बी०टी० फसलों के नाम लिखिए। इनके निर्माण में भाग लेने वाले मुख्य जीवाणु का भी नाम लिखिए। |
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Answer» 1. BT कपास 2. BT बैंगन। BT फसलों के निर्माण के लिए बैसीलस थूरीनजिएंसिस नामक जीवाणु का उपयोग किया जाता है। |
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भारत में हरित क्रान्ति का जनक किसे कहते हैं? |
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Answer» भारत में हरित क्रान्ति का जनक डॉ० एम०एस० स्वामीनाथन को कहते हैं। |
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आनुवंशिकीय रूपान्तरित फसलों पर टिप्पणी लिखिए। |
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Answer» कीट पीड़कों से प्रतिरोधकता विकसित करने की यह पादप प्रजनन विधि है। इस विधि से प्राप्त पौधों पर कीट पीड़कों का कोई प्रभाव नहीं होता। ये पौधे जीवाणु, कवक जीन द्वारा परिवर्तित कर दिये जाते हैं इसलिए इन्हें आनुवंशिकीय रूपान्तरित फसल कहा जाता है। उदाहरणार्थ-बी०टी० फसलें। |
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जैविक आवर्धन पर टिप्पणी लिखिए। |
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Answer» अनेक प्रकार के कीटनाशक पदार्थ (pesticides), खरपतवारनाशी (weedicides) व अन्य क्लोरीनयुक्त पदार्थ ऐसे पदार्थ हैं जिनका जीवधारियों द्वारा बहुत कम विघटन होता है, अर्थात् ये अक्षयकारी (non-biodegradable) होते हैं। इनका उपयोग कृषि की उपज बढ़ाने के लिए किया जाता है। ये पदार्थ खाद्य श्रृंखला के द्वारा पौधों व जन्तुओं के शरीर में जाते हैं और वहीं पर संचित होते रहते हैं। इनकी सान्द्रता प्रत्येक ट्रॉफिक स्तर पर बढ़ती जाती है और उच्च उपभोक्ता में अधिकतम हो जाती है। इस क्रिया को जैविक आवर्धन (biological magnification or biological amplification) कहते हैं। DDT तथा BHC आदि कीटनाशक पदार्थ वसा में घुलनशील होते हैं। अतः ये मनुष्यों व जन्तुओं के वसा ऊतक (adipose tissue) में संचित हो जाते हैं। श्वसन क्रिया में वसा के ऑक्सीकरण के समय ये पदार्थ रुधिर वाहिनियों में प्रवेश करके विषैला प्रभाव दिखाते हैं और इससे कैन्सर तक हो जाता है। इसी को देखते हुए कृषि में DDT के प्रयोग पर प्रतिबन्ध है, परन्तु इसका उपयोग मलेरिँया नियन्त्रण में किया जाता है। |
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खाद्य उत्पादन में दलहनी पौधों की भूमिका का वर्णन कीजिए। |
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Answer» दलहनी पौधों के अन्तर्गत दाल वाले पौधे; जैसे-अरहर, चना, मूंग, उड़द आदि सम्मिलित होते हैं। दालें प्रोटीन का मुख्य स्रोत होती हैं क्योंकि इनमें प्रोटीन प्रचुर मात्रा में उपस्थित होती है। यदि हम खाद्य उत्पादन में दलहनी पौधों का विस्तार करेंगे तो ये हमें दो प्रकार से लाभ पहुँचाएँगी – 1. हमें प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत प्राप्त होगा तथा 2. भूमि उपजाऊ होगी क्योकि दलहनी पौधे मृदा की उपजाऊ शक्ति में वृद्धि करते हैं। इनकी जड़ों में कुछ विशिष्ट जीवाणुओं की गाँठे होती हैं जो मृदा में नाइट्रोजन के स्तर को बढ़ाती हैं। |
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पादप प्रजनन का महत्त्व बताइए। |
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Answer» पादप प्रजनन का महत्त्व पादप प्रजनन से फसलों की वांछित गुणों व उच्च गुणवत्ता वाली प्रजातियों को विकसित किया जा सकता है। पादप प्रजनन के निम्न प्रमुख लाभ हैं – 1. उत्पादन में वृद्धि (Increase in Production) – तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण खाद्य संसाधनों को बढ़ाने की आवश्यकता है। पादप प्रजनन द्वारा फसली पौधों की पैदावार व गुणवत्ता को बढ़ाना सम्भव हुआ है। हरित क्रान्ति (green revolution) नामक प्रयास से भारत में गेहूं की नयी, उन्नत फसलें विकसित की गयी हैं। भारतीय वैज्ञानिकों ने गेहूँ की 591-किस्मों से NP-4, NP-52, कल्याण सोना-227, सोनोरा-64 जैसी उन्नत किस्में तैयार की हैं। गेहूँ के अतिरिक्त मक्का, धान, जौ, गन्ना की भी उन्नत किस्में विकसित की गयी हैं। 2. गुणवत्ता में सुधार (Improvement in Quality) – पादप प्रजनन से हम स्वेच्छा से पौधों के | श्रेष्ठ गुणों का विकास करके पौधों की गुणवत्ता सुधार सकते हैं। फसली पौधों की गुणवत्ता में सुधार का अर्थ है-अधिक पैदावार, रोग प्रतिरोधकता आदि। चने की G-24 किस्म का दाना गहरे भूरे रंग का होता है तथा Pb 7, I-58 व G-17 के साथ इसके संकरण से C-158 व C-132 जैसी गुणवान किस्में विकसित की गयी हैं। 3. रोग व पीइक प्रतिरोधकता (Resistivity for Diseases and Insects) – पौधों में विषाणु, जीवाणु, कवक आदि से विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं। उदाहरण-आलू में अंगमारी (blight) रोग, गन्ने में लाल विगलन (red-rot) व काले किट्ट (black rust) का रोग आदि कवकजनित होते हैं। पादप प्रजनन द्वारा पौधों की रोग प्रतिरोधी किस्में विकसित की गयी हैं। उदाहरण-गेहूँ की C-228, C-253 व चने की GP-17, GP-24 आदि। 4. विशेष मृदा व विशेष जलवायु हेतु किस्में (Varieties for Particular Soil and Climate) – भारतवर्ष में प्रत्येक क्षेत्र की जलवायु व मृदा विभिन्न प्रकार की है। मृदा व जलवायु की विभिन्नता को ध्यान में रखते हुए पादप-प्रजनन द्वारा पौधों की ऐसी किस्में उत्पन्न की गयी हैं जो विभिन्न प्रकार की मृदा व जलवायु में विकसित हो सकती हैं। उदाहरण – पंजाब की मृदा मूंगफली की वृद्धि के लिए अनुकूलित नहीं है। अतः पादप प्रजनन द्वारा मूंगफली की ऐसी किस्में उत्पन्न की गयी हैं जो ऊसर व रेतीली मृदा में भी उग सकती हैं। पादप प्रजनन से पतन प्रतिरोधी किस्में (varieties resistant to lodging) भी तैयार की गई हैं। |
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एकल कोशिका प्रोटीन पर टिप्पणी लिखिए। या एकल कोशिका प्रोटीन क्या है? किन्हीं दो एकल कोशिका प्रोटीन के वानस्पतिक नाम लिखिए। |
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Answer» एकल कोशिका प्रोटीन सूक्ष्मजीवों को मनुष्य तथा पशुओं के पोषण में प्रोटीन के स्रोत के रूप में उपयोग में लाया जा रहा है, जैसे- यीस्ट, स्पाइरुलीना आदि। एकल कोशिका प्रोटीन द्वारा आवश्यक सभी अमीनो अम्ल शरीर को प्राप्त होते हैं। उच्चवर्गीय पौधों के स्थान पर जीवाणु तथा यीस्ट बेहतर प्रोटीन स्रोत हैं, क्योंकि खाद्य के रूप में प्रयुक्त किए जाने वाले उच्च वर्गीय पौधों में लाइसीन अमीनो अम्ल नहीं पाया जाता है। एकल कोशिका प्रोटीन के उत्पादन के लिए कम जगह की आवश्यकता पड़ती है। इसका उत्पादन जलवायु से भी प्रभावित नहीं होता है। शैवाल, जैसे-स्पाइरुलीना, क्लोरेला तथा सिनेडेस्मस का उपयोग एकल कोशिका प्रोटीन के रूप में किया जा रहा है। स्पाइरुलीना को आलू-संसाधन संयन्त्र से निर्मुक्त अवशिष्ट जल जिसमें स्टार्च की। मात्रा उपस्थित रहती है, में आसानी से उगाया जा सकता है। यहाँ तक कि इसे भूसा, शीरा, पशु खाद तथा मेल-जल में भी उगाया जा सकता है। स्पाईरुलीना में प्रोटीन के अतिरिक्त खनिज, वसा, कार्बोहाइड्रेट तथा विटामिन भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। प्रदूषित जल में आसानी से उगाए जाने के कारण स्पाइरुलीना का उपयोग पर्यावरणीय प्रदूषण को भी कम करने के लिए किया जाता है। शैवालों के अतिरिक्त कवक, जैसे-यीस्ट (सेकेरोमाइसीज), टॉरुलाप्सिस तथा कैंडिडा का उपयोग भी एकल कोशिका प्रोटीन के रूप में किया जा रहा है। फ्यूजेरियम एवं मशरूम के कवकतन्तु को एकल कोशिका प्रोटीन के रूप में उपयोग बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। गणना की गई है कि 0.5 टन सोयाबीन से 40 किलोग्राम प्रोटीन प्रति 24 घंटे में प्राप्त हो सकती है। इसकी तुलना में 0.5 टन यीस्ट से उसी समय-सीमा में 50 टन प्रोटीन प्राप्त हो सकती है। इसी प्रकार प्रतिदिन 25 किलोग्राम दूध देने वाली गाय 200 ग्राम प्रोटीन पैदा करती है। इसी समय में 250 ग्राम सूक्ष्मजीव; जैसे-मिथायलोफिलस मिथायलोटोपस 25 टन तक प्रोटीन उत्पन्न कर सकते हैं। |
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तेल के रसायनशास्त्र तथा r-DNA तकनीक के बारे में आपको जितना भी ज्ञान प्राप्त है, उसके आधार पर बीजों से तेल हाइड्रोकार्बन हटाने की कोई एक विधि सुझाइए। |
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Answer» ग्लिसरॉल के एक अणु के साथ तीन वसीय अम्लों के संघनन द्वारा तेल बनता है। वसीय अम्ल एक एंजाइम संकर द्वारा बनते हैं जिसे वसीय अम्ल सिन्थेटेज कहते हैं। एक या ज्यादा जीन बनाने वाले वसीय अम्ल की निष्क्रियता वसीय अम्लों का संश्लेषण रोक सकती है। प्लेवट् टोमेटो में एंजाइम पॉलीग्लेक्टोमूटेनेज की निष्क्रियता से जुड़ा होता है। यह बिना तेल वाले बीज उत्पन्न करेगा। |
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क्राई प्रोटीन्स क्या हैं? उस जीव का नाम बताइए जो इसे पैदा करता है। मनुष्य इस प्रोटीन को अपने फायदे के लिए कैसे उपयोग में लाता है? |
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Answer» क्राई प्रोटीन एक विषाक्त प्रोटीन है जो cry gene द्वारा कोड की जाती है। क्राई प्रोटीन्स कई प्रकार के होते हैं, जैसे- जो प्रोटीन्स जीन क्राई 1 ऐ०सी० वे क्राई 2 ए० बी० द्वारा कूटबद्ध होते हैं, वे कपास के मुकुल कृमि को नियन्त्रित करते हैं, जबकि क्राई 1 ए० बी० मक्का छेदक को नियन्त्रित करता है। क्राई प्रोटीन बेसिलस थुरिनजिएंसिस (Bt) द्वारा बनता है। इसके निर्माण को नियन्त्रित करने वाले जीन को क्राई जीन कहते हैं, जैसे—क्राई 1 ए० वी०, क्राई 1 ए० सी०, क्राई 11 ए० वी०। यह जीवाणु प्रोटीन को एन्डोटॉक्सिन के रूप में प्रोटॉक्सिन क्रिस्टलीय अवस्था में उत्पन्न करता है। दो क्राई (cry) जीन कॉटन (Bt कॉटन) में डाले जाते हैं, जबकि एक कॉर्न (Bt कॉर्न) में डाला जाता है। जिसके परिणामस्वरूप Bt कॉटन बॉलवार्म के लिए प्रतिरोधक बन जाता है, जबकि Bt कॉर्न प्रतिरोधकता-कॉर्नबोर के लिये विकसित करता है। |
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प्रकृति में समजात डी०एन०ए० का पुनर्योजन कहाँ और कैसे होता है? लिखिए। |
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Answer» प्रकृति में समजात डी०एन०ए० का पुनर्योजन डी०एन०ए० के समजात अणुओं या इन अणुओं के समजात खण्डों के बीच होता है। ये निम्नलिखित प्रक्रियाओं द्वारा होता है – 1. पारगमने 2. संयुग्मन 3. रूपान्तरण 4. पारक्रमण 5. स्थान परिवर्तन। |
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सार्वजनिक सेवाओं का महत्त्व स्पष्ट कीजिए। |
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Answer» सार्वजनिक सेवाओं का महत्त्व संविधान और उसके द्वारा आयोजित सरकार, शरीर एवं मस्तिष्क हैं तथा लोक सेवा आयोग हाथ के समान है। शासन को ही सही ढंग से चलाने के लिए कुशल, सुयोग्य, दक्ष, विद्वान् तथा ईमानदार पदाधिकारियों की उतनी ही आवश्यकता है जितनी मनुष्य को वायु की तथा मछली को पानी की। राज्य के द्वारा मनुष्य अपनी सारी इच्छाएँ पूरी करना चाहता है। यह तभी सम्भव है जब राज्य की शासन नीति को कार्यान्वित करने वाले केवल योग्य ही नहीं, अपितु पूर्ण रूप से सचेत एवं अनुभवशील व्यक्ति हों। लोक सेवा आयोग इसी कार्य को सम्पन्न करता है। ये स्थायी होते हैं। और इनके फलस्वरूप इनमें कार्य करने वाले व्यक्ति राज्य कार्य-प्रणाली के विषय में जन-निर्वाचित प्रतिनिधियों अथवा मन्त्रियों से अधिक व्यावहारिक ज्ञान रखते हैं। किसी भी सरकारी नीति का कुशल संचालन लोक सेवा के अन्तर्गत कार्य करने वाले मनुष्यों की दक्षता एवं कार्यकुशलता पर निर्भर रहता है। विलोबी का मत है कि “सार्वजनिक सेवाओं के प्रशासन के सम्बन्ध में कोई केन्द्रीय व्यवस्था करना बहुत आवश्यक है। सेवकों की नियुक्ति और उनके सामान्य प्रशासन के लिए एक केन्द्रीय निकाय होना चाहिए, जो निरन्तर इस बात को देखे कि जिन सिद्धान्तों पर सेवाओं की नियुक्ति होती है, उन सिद्धान्तों का पालन होता है अथवा नहीं।” इसी उद्देश्य से भारतीय संविधान में अखिल भारतीय सार्वजनिक सेवाओं के लिए एक ‘संघीय लोक सेवा आयोग की व्यवस्था की गयी है। साथ ही प्रत्येक राज्य में भी ‘राज्य लोक सेवा आयोग’ की स्थापना की गयी है। लोक सेवा आयोग का कार्य सरकारी अधिकारियों की नौकरी की दशाएँ, नियुक्ति, पदोन्नति आदि के सन्दर्भ में सरकार को परामर्श देना होता है। |
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राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों की स्वतन्त्रता पर टिप्पणी लिखिए। |
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Answer» आयोग के सदस्यों की स्वतन्त्रता। भारत में लोक सेवा आयोगों को संवैधानिक स्थिति एवं संरक्षण प्रदान किया गया है, जबकि ब्रिटेन, अमेरिका और अन्य अनेक देशों में ऐसा नहीं है। वहाँ इनका गठन और संचालन व्यवस्थापिका द्वारा निर्मित कानूनों के आधार पर होती है। इस प्रकार, भारत में लोक सेवा आयोगों की स्थिति अधिक सुदृढ़ तथा स्वतन्त्र है। लोक सेवा आयोग के सदस्यों की स्वतन्त्रता के लिए संविधान में निम्नलिखित व्यवस्थाएँ की गयी हैं – ⦁ सुरक्षित कार्यकाल – आयोग के सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष या 62 वर्ष की आयु तक निर्धारित कर दिया गया है जिससे कि वे निष्पक्षता और स्वतन्त्रता के साथ कार्य कर सकें। यह भी व्यवस्था कर दी गयी है कि कोई सदस्य दुबारा अपने पद पर नियुक्त नहीं किया जा सकता है। संविधान की उपर्युक्त व्यवस्थाओं से स्पष्ट है कि आयोग के सदस्यों को निष्पक्षता से अपना कार्य करने के लिए यथेष्ट स्वतन्त्रता प्रदान की गयी है। इन व्यवस्थाओं के सम्बन्ध में संघीय लोक सेवा आयोग के एक भूतपूर्व सदस्य वी० सिंह ने कहा था, “संविधान द्वारा की गयी ये व्यापक व्यवस्थाएँ लोक सेवा आयोग की स्वतन्त्रता की गारण्टी देती हैं और कार्यपालिका के हस्तक्षेप से उन्हें पूर्ण स्वतन्त्रता प्रदान करती हैं।” |
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नयी अखिल भारतीय सेवाएँ स्थापित करने का अधिकार किसको है? (क) राष्ट्रपति(ख) लोकसभा(ग) संघीय लोक सेवा आयोग(घ) राज्यसभा |
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Answer» सही विकल्प है (ग) संघीय लोक सेवा आयोग |
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भारत में सार्वजनिक सेवाओं के इतिहास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। |
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Answer» भारत में सार्वजनिक सेवाओं का इतिहास स्वतन्त्र भारत में भारतीय सिविल सेवा (आई०सी०एस०) का स्थान भारतीय प्रशासनिक सेवा (आई०ए०एस०) ने ले लिया। इसके साथ ही एक नई सेवा भारतीय विदेश सेवा (आई०एफ०एस०) का गठन किया गया। पूर्ववर्ती लोक सेवा आयोग का स्थान संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने ले लिया तथा परीक्षा में सफल उम्मीदवारों के लिए प्रशासनिक प्रशिक्षण की राष्ट्रीय अकादमी’, मसूरी तथा विशेषीकृत प्रशिक्षण अभिकरणों की स्थापना की गई। 27 जून, 1970 को केन्द्रीय सचिवालय में सेवा संवर्ग विभाग भी खोल दिया गया। वर्तमान समय में भारत में तीन अखिल भारतीय सेवाएँ, 59 केन्द्रीय सेवा ग्रुप ‘ए’ तथा अनेक राज्य स्तरीय लोक सेवाएँ हैं। |
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भारतीय लोक सेवाओं का जनक किसे कहा जाता है? |
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Answer» लॉर्ड मैकाले को भारतीय लोक सेवाओं का जनक कहा जाता है। |
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हमारे मन में कैसी भावना नहीं होनी चाहिए? क्यों? |
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Answer» हमारे मन में किसीसे बदला लेने की भावना नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इससे आपसी संबंध खराब होते हैं। |
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हमारे मन में कैसी भावना नहीं होनी चाहिए? |
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Answer» हमारे मन में किसीसे बदला लेने की भावना नहीं होनी चाहिए। |
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समस्या आने पर हमें क्या करना चाहिए? |
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Answer» समस्या आने पर हमें भयभीत नहीं होना चाहिए। शांति और धीरज से समस्या का उचित उपाय खोजना चाहिए। |
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खड़गसिंह का हृदय परिवर्तन क्यों हुआ? |
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Answer» बाबा भारती ने खड्गसिंह से प्रार्थना की थी कि वह घोड़ा भले ही ले जाए, पर घोड़ा हथियाने की यह घटना किसीके सामने प्रकट न करे। जिस तरह छल-कपट करके उसने घोड़ा बाबा से छीना, उसे सुनकर लोग किसी गरीब पर विश्वास नहीं करेंगे। बाबा भारती के ये शब्द डाकू खड्गसिंह के कानों में गूंजते रहे। उसे लगा कि बाबा आदमी नहीं, देवता हैं। उन्हें अपनी हानि की नहीं, गरीबों के नुकसान की चिंता है। ऐसे ऊँचे विचारोंवाले पुरुष को धोखा देकर उसने अच्छा नहीं किया। उसे उनका घोड़ा लौटा देना चाहिए। इस प्रकार खड्गसिंह का हृदय-परिवर्तन हुआ। |
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“सागर भी तो यह पहचाने” में क्या पहचान ने की बात कही गई है? |
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Answer» ‘सागर भी तो यह पहचाने’ इस वाक्य में मनुष्य के साहस और शक्ति की बात कही गई है। कवि कहना चाहता है कि ऐसी कोई कठिनाई नहीं है जिसका हल मनुष्य के पास न हो। |
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“तूफ़ानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार” ऐसा कवि ने क्यों कहा है? |
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Answer» तूफान कठिनाइयों का प्रतीक है। कठिनाइयों से घबराकर भागना कायरता है। कठिनाइयों का डटकर सामना करने में ही बहादुरी है। जीवन में आनेवाली कठिनाइयाँ मनुष्य को बहुत कुछ सिखा देती हैं। उनसे हमें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। इसलिए कवि ने नाविक से कहा है कि तुम अपनी नाव तूफानों की ओर घुमा दो। |
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आपके गाँव में बाढ़ आए तब उस समय आप क्या करेंगे? गाँव छोड़कर चले जायेंगे या गाँववालों की मदद करेंगे? अपने विचार कारण सहित बताइए। |
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Answer» मेरे गाँव में बाढ़ आ जाए तो मैं अपने गाँव में ही रहूँगा और अपनी यथाशक्ति गाँव के लोगों की मदद करूँगा। गाँव पर आपत्ति आने पर गाँव छोड़कर भागना तो कायरता है। आपत्ति के समय अपने गाँववालों की मदद करना हमारा कर्तव्य है। मैं अपने पड़ोसियों और मित्रों के परिवारों की हर तरह से सहायता करूँगा। मैं यथाशक्ति उनकी जरूरतों को पूरा करने का प्रयत्न करूँगा। उस समय यही मेरा धर्म होगा और मैं साहसपूर्वक इस धर्म का पूरी तरह पालन करूँगा। |
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नीचे दिए हुए शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए :1. परियाँ,2. किस्सा,3. संसार,4. भरमार |
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Answer» 1. परियाँ स्वर्ग में रहती हैं। 2. राम ने मुझे एक किस्सा सुनाया। 3. उद्यम से आपके संसार में चार चाँद लग जाएँगे। 4. मेले में खिलौनों की भरमार थी। |
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कविता को पढ़कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :किताबें कुछ कहना चाहती हैं…किताबों में चिड़ियाँ चहचहाती हैं।किताबों में खेतियाँ लहलहाती हैं।किताबों में झरने गुनगुनाते हैं।परियों के किस्से सुनाती हैं।किताबों में रॉकेट का राज़ है।किताबों में साइंस की आवाज़ है।किताबों का कितना बड़ा संसार है।किताबों में ज्ञान की भरमार है।क्या तुम इस संसार मेंनहीं जाना चाहोगे?किताबें कुछ कहना चाहती हैं।तुम्हारे पास रहना चाहती हैं।(क) किताबों में कौन चहचहाता है ?तोता [ ]मोर [ ]चिड़ियाँ [ ](ख) किताबें किसके किस्से सुनाती हैं?राजा के [ ]परियों के [ ]किसान के [ ](ग) किताबों में किसके लहलहाने की बात है?खेतियों के [ ]झरनों के [ ]बाग के [ ] |
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Answer» (क) चिड़ियाँ [ ✓ ] (ख) परियों के [ ✓ ] (ग) खेतियों के [ ✓ ] |
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| 10280. |
“किताबों में ज्ञान की भरमार है।” ऐसा कवि ने क्यों कहा है? |
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Answer» किताबों से हमें इतिहास, भूगोल, नागरिकशास्त्र आदि का ज्ञान होता है। विज्ञान का ज्ञान भी हमें किताबें देती हैं। धर्म और अध्यात्म का ज्ञान भी पुस्तकों से मिलता है। हमें पुस्तकों से विविध विषयों का ज्ञान मिलने से हम कह सकते हैं कि कितावों में ज्ञान की भरमार है। |
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| 10281. |
हमें किताबें क्यों पढ़नी चाहिए? |
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Answer» किताबों से हमें तरह – तरह की जानकारी मिलती है। किताबें हमारा ज्ञान बढ़ाती हैं। वे हमारा मनोरंजन करती हैं। इसलिए हमें किताबें पढ़नी चाहिए। |
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| 10282. |
किताबों में क्या-क्या है? |
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Answer» किताबों में चिड़ियों की चहचहाहट, खेतों का लहलहाना, झरनों का गुनगुनाना, परियों के किस्से, रॉकेट का राज़, साइंस की आवाज़ और ज्ञान का भंडार है। |
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Write the summary of 'तूफ़ानों की ओर'. |
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Answer» (1) “तूफानों की ओर ……. उठा है ज्वार।” हे नाविक! तुम तूफानों का सामना करने के लिए अपनी पतवार तूफानों की दिशा में मोड़ दो। आज समुद्र ने जहर उगल दिया है – कठिन परिस्थितियाँ पैदा की हैं। लहरें भी उमड़कर तुम्हारी नाव को निगल जाना चाहती हैं, फिर भी परवाह नहीं। उधर समुद्र में ज्वार उठा है तो कवि के हृदय में भी भावनाओं का ज्वार उमड़ पड़ा है। (2) “लहरों के स्वर में ………. तूफानों का प्यार।” जैसे लहरों का स्वर ऊँचा हो रहा है और उनका जोर बढ़ रहा है, वैसे ही तुम भी तैयार होकर आँधियों के सामने उठ जाओ और स्वयं आजमाकर देखो कि तुममें कितनी हिम्मत है। जीवन में तूफानों का प्यार कभी – कभी ही मिलता है – भाग्यशाली लोग ही जीवन में कठिनाइयों का सामना करते हैं। (3) “यह असीम, ……………. न मानी हार।” यह समुद्र और वह तूफान आज असीम दिखाई देते हैं। (4) “सागर की अपनी ………. सागर पार।” समुद्र के पास उसकी अपनी लहरों की शक्ति है। पर, माझी के पास भी हिम्मत है, आत्मविश्वास है। वह थकना नहीं जानता। जब तक नाविक की साँसें चल रही हैं तब तक वह अपनी नाव आगे बढ़ाता ही जाएगा। हे नाविक! तुमने अपनी हिम्मत और ताकत के सहारे सात समुद्र पार कर डाले हैं। अपनी नाव के साथ इसी प्रकार आगे बढ़ते रहो। हे नाविक, तुम अपनी पतवार तूफानों की ओर घुमा दो। |
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ऐसी चार चीजों के नाम लिखिए, जिन पर तूफान का प्रभाव पड़ता है। |
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Answer» (1) पेड़ (2) नाव और नाविक (3) कच्चे मकान – झोंपड़ियाँ (4) फसलें। |
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‘तूफानों की ओर’ कविता द्वारा कवि ‘सुमन’ क्या कहना चाहते हैं? |
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Answer» ‘तूफानों की ओर’ एक प्रेरक कविता है। इसमें कवि ने बताया है कि जिस तरह समुद्र में तूफान आते हैं, उसी तरह जीवन में कठिनाइयाँ आती हैं। साहसी नाविक ही तूफानों से टक्कर ले सकता है और उन्हें जीतकर सागर पार कर सकता है। उसी तरह साहसी मनुष्य ही जीवन में आनेवाली कठिनाइयों का मुकाबला कर सकता है। उसका आत्मविश्वास कठिनाइयों का हल निकाल ही लेता है। इस प्रकार प्रस्तुत कविता द्वारा कवि सुमन जीवन में सफल होने के लिए मनुष्य को साहसी, शक्तिशाली और आत्मविश्वासी बनने के लिए कहना चाहते हैं। |
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सागर पार करने के लिए किस बात की आवश्यकता है? |
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Answer» सागर पार करने के लिए तूफानों से न डरना जरूरी है। तूफानों से लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार रहना चाहिए। सागर कितना भी तूफानी बने, नाविक में आत्मविश्वास की कमी नहीं होनी चाहिए। यह नहीं भूलना चाहिए कि सागर की चुनौती भाग्यवानों को ही मिलती है। इसलिए अपनी शक्ति को पहचानने के लिए सागर की चुनौती का स्वीकार करना चाहिए। इस प्रकार सागर पार करने के लिए शक्ति, साहस और आत्मविश्वास की आवश्यकता है। |
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कवि सागर को किस बात की अनुभूति करा देना चाहता है? |
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Answer» कवि सागर के तूफानी स्वरूप से नहीं डरता। वह चाहता है कि नाविक भी तूफानी लहरों से भयभीत न हो। कवि नाविक के अदम्य साहस के माध्यम से सागर को बता देना चाहता है कि सागर असीम है तो मनुष्य का साहस भी असीम है। माँझी में वह शक्ति है जो सागर की तूफानी लहरों का जवाब दे सकती है। समुद्री तूफानों से मानव ने कभी हार नहीं मानी। इस प्रकार कवि सागर को इस बात की अनुभूति करा देना चाहता है कि वह कितना भी रौद्र बने, मनुष्य उससे भयभीत होनेवाला और हार माननेवाला नहीं है। |
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1. कबीर संत कवि हैं। रेखांकित शब्द का शब्दभेद क्या है?A) संज्ञाB) सर्वनामC) क्रियाD) विशेषण2. कबीर के दोहे बीजक में है। इस वाक्य में रेखांकित शब्द को पहचानिए।A) संज्ञाB) सर्वनामC) क्रियाD) विशेषण3. बडा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेंड खजूर। इस वाक्य में संज्ञा शब्द को पहचानिए।A) बडाB) क्याC) खजूरD) जैसे4. फल लागै अति दूर, रेखांकित शब्द का शब्द भेद क्या है?A) संज्ञाB) सर्वनामC) क्रियाD) विशेषण5. बुरा जो देखन मैं चला। इस वाक्य में सर्वनाम शब्द को पहचानिए।A) बुराB) देखनाC) मैंD) चलना |
Answer»
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विश्व का सबसे पहला क्रिकेट क्लब कौन था? इस क्लब की क्या उपलब्धियाँ थीं? |
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Answer» दुनिया का पहला क्रिकेट क्लब हैम्बलडन में 1760 ई0 के दशक में बना और मेरिलिबॉन क्रिकेट क्लब (एम. सी. सी.) की स्थापना 1787 ई० में हुई। इसके अगले साल ही एम. सी. सी. ने क्रिकेट के नियमों में सुधार किए और उनका अभिभावक बन बैठा। एम. सी. सी. के सुधारों से खेल के रंग-ढंग में ढेर सारे परिवर्तन हुए, जिन्हें 18वीं सदी के दूसरे हिस्से में लागू किया गया। |
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सेटेलाइट टेलीविजन ने क्रिकेट के दर्शकों में किस प्रकार वृद्धि की? |
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Answer» सेटेलाइट (उपग्रह) टेलीविजन ने दर्शकों में क्रिकेट के प्रति रुचि उत्पन्न की। लोगों को टेलीविजन पर मैच देखने से इस खेल के नियमों और बारीकियों की जानकारी हुई। यह संचार माध्यम लोगों को उसी प्रकार खेल का आनन्द देता था जैसे कि खेल के मैदान में दर्शकों को। टेलीविजन के कम्प्युटराइज्ड सिस्टम ने इस खेल को और भी आकर्षक, बना दिया। |
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हॉकी खेल का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए। |
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Answer» अनेक परंपरागत खेलों के सम्मिलित रूप से आधुनिक हॉकी खेल का विकास हुआ। स्कॉट के शिंटी, इंग्लैण्ड व वेल्स के वेंडी व आयरिश हॉर्लिग को हॉकी का पूर्व रूप माना जा सकता है। भारत में हॉकी का आरंभ औपनिवेशिर्क काल में अंग्रेज सैनिकों द्वारा किया गया। भारत में पहले परंपरागत हॉकी क्लब की स्थापना 1885-86 में कलकत्ता (कोलकाता) में हुई। ओलंपिक खेलों की हॉकी प्रतिस्पर्धा में हॉकी को वर्ष 1928 ई० में पहली बार शामिल किया गया |
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भारतीयों ने अंग्रेजों के बॉम्बे जिमखाना को पहली बार कब हराया था? |
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Answer» अंग्रेजों के जिमखाना क्लब को भारतीयों ने पहली बार 1889 ई० में हराया था। |
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निम्नलिखित की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए-⦁ भारत में पहला क्रिकेट क्लब पारसियों ने खोला।⦁ महात्मा गाँधी पेंटांग्युलर टूर्नामेंट के आलोचक थे।⦁ आईसीसी का नाम बदल कर इंपीरियल क्रिकेट कांफ्रेंस के स्थान पर इंटरनेशनल क्रिकेट कॉन्फ्रेंस कर दिया गया।⦁ आईसीसी का मुख्यालय लंदन की जगह दुबई में स्थानान्तरित कर दिया गया। |
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Answer» (1) भारत में क्रिकेट का आरंभ करने का श्रेय बम्बई के छोटे से पारसी समुदाय को है। व्यापार के उद्देश्य से पारसी सबसे पहले अंग्रेजों के संपर्क में आए। इस तरह पश्चिम की संस्कृति से प्रभावित होने वाला भारत का पहला समुदाय पारसी था। पारसियों ने 1848 ई० में बम्बई (मुम्बई) में भारत का पहला क्रिकेट क्लब “ओरिएंटल क्रिकेट क्लब’ नाम से स्थापित किया। टाटा व वाडिया जैसे पारसी व्यवसायी पारसी क्लबों के प्रायोजक व वित्त पोषक थे। अंग्रेजों ने उत्साही पारसियों की क्रिकेट के विकास में कोई सहायता नहीं की बल्कि बॉम्बे जिमखाना क्लब और पारसी क्रिकेटरों के बीच पार्क के इस्तेमाल को लेकर झगड़ा भी हुआ। (2) महात्मा गांधी ने पेंटाग्युलर टूर्नामेंट को सांप्रदायिक भेद-भाव के आधार पर बाँटनेवाला बताकर इसकी निंदा की। उनका विचार था कि यह मुकाबला सांप्रदायिक रूप से अशांतिकारक था जो कि ऐसे समय में देश के लिए हानिकारक था जब वे विभिन्न धर्मों के लोगों एवं क्षेत्रों को धर्मनिरपेक्ष देश के लिए एकजुट करना चाह रहे थे। (3) 1909 ई0 में इंग्लैण्ड में क्रिकेट को अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप प्रदान करने के लिए “इंपीरियल क्रिकेट कॉन्फ्रेंस (आई.सी.सी.) की स्थापना की गयी थी। द्वितीय विश्वयुद्ध के उपरांत धीरे-धीरे इंग्लैण्ड का साम्राज्यवादी स्वरूप नष्ट हो गया और उसके सभी उपनिवेश स्वतंत्र राष्ट्र बन गए परंतु क्रिकेट के अंतर्राष्ट्रीय आयोजन पर साम्राज्यवादी क्रिकेट कॉन्फ्रेंस का नियंत्रण बरकरार रहा। आईसीसी पर, जिसका 1965 ई० में नाम बदलकर ‘इंटरनेशनल क्रिकेट कॉन्फ्रेंस’ हो गया, इसके संस्थापक सदस्यों का वर्चस्व रहा, उन्हीं के हाथ में कार्यकलाप के वीटो अधिकार रहे। इंग्लैंड व ऑस्ट्रेलिया के विशेषाधिकार 1989 ई0 में जाकर खत्म हुए और वे अब सामान्य सदस्य रह गए। (4) आईसीसी मुख्यालय लंदन से दुबई में इसलिए स्थानांतरित हुआ क्योंकि भारत दक्षिण एशिया में स्थित है। भारत में खेल के सबसे अधिक दर्शक थे और यह क्रिकेट खेलने वाले देशों में सबसे बड़ा बाजार था, इसलिए खेल का गुरुत्व औपनिवेशिक देशों से वि-औपनिवेशिक देशों में स्थानांतरित हो गया। मुख्यालय का स्थानांतरण खेल में अंग्रेजी या साम्राज्यवादी प्रभुत्व के औपचारिक अंत का सूचक था। |
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भारत में क्रिकेट की शुरुआत कब हुई थी? |
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Answer» भारत में क्रिकेट की शुरुआत बम्बई (मुंबई) से मिलती है। भारत में क्रिकेट खेलने वाला प्रथम समुदाय पारसी था। पारसी समुदाय के ज्यादातर लोग व्यापारी या पूंजीपति थे।ये लोग व्यापार हेतु जब अंग्रेजों के संपर्क में आए तो इनमें क्रिकेट के प्रति रुचि बढ़ी। |
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19वीं सदी में क्रिकेट में आए परिवर्तनों का उल्लेख कीजिए। |
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Answer» ⦁ क्रिकेट की गेंदे का व्यास निश्चित किया गया। ⦁ चोट लगने से बचाव के लिए पैड व दस्ताने पहनने का प्रचलन शुरू हुआ। ⦁ वाइड बॉल का नियम प्रभावी हुआ। |
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एम.सी.सी. का पूरा नाम क्या हैं? |
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Answer» एम.सी.सी. का पूरा नाम है- ‘मेरिलिबॉन क्रिकेट क्लब |
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क्रिकेट के अतंर्राष्ट्रीय विस्तार का संक्षेप में विवरण दीजिए। |
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Answer» क्रिकेट का अंतर्राष्ट्रीय विस्तार इस प्रकार है- (क) इंग्लैण्ड और ऑस्ट्रेलिया के बीच सन् 1871 में खेले गए क्रिकेट मैच में ऑस्ट्रेलिया की जीत हुई। इस पराजय के विरोध में कुछ अंग्रेज महिलाओं ने ‘वेल्स को जलाकर इंग्लिश क्रिकेट का दाह संस्कार सा कर दिया। वेल्स की उस राशि को ऑस्ट्रेलिया की टीम को सौंप दिया गया। तभी से ये दोनों टीमें एक-दूसरे के विरुद्ध एसेज के लिए खेलती हैं। (ख) इंग्लैण्ड में 1909 ई0 में ‘इंपीरियल क्रिकेट कान्फ्रेंस’ (आई.सी.सी.) की स्थापना हुई तथा इसी के साथ क्रिकेट को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता भी मिली। इंग्लैण्ड के अलावा आस्ट्रेलिया व दक्षिण अफ्रीका भी इसके सदस्य बने। सन् 1926 में भारत, वेस्टइंडीज एवं न्यूजीलैंड भी इसके सदस्य बन गए। सन् 1952 में पाकिस्तान भी इसका सदस्य बन गया। सन् 1971 में रंगभेद नीति के कारण दक्षिण अफ्रीका की सदस्यता समाप्त कर दी गई। सन् 1965 में इस कांफ्रेंस का नाम बदलकर इंटरनेशनल क्रिकेट कांफ्रेंस’ (आई.सी.सी.) रख दिया गया। समय के साथ-साथ अन्य देश भी (राष्ट्रमंडल देशों के अतिरिक्त) इसके सदस्य बनते गए। वर्तमान समय में इंग्लैण्ड, ऑस्ट्रेलिया, भारत, श्रीलंका, वेस्टइंडीज, न्यूजीलैण्ड, पाकिस्तान, अमेरिका, अर्जेंटीना, कनाडा, डेनमार्क, कीनिया, जिम्बाब्वे, बांग्लादेश, हॉलैंड, बरमूडा, फिजी, सिंगापुर, हांगकांग, इजराइल व मलेशिया आदि देश इसके सदस्य या सहसदस्य हैं। क्रिकेट के इतिहास का प्रथम एकदिवसीय मैच 5 जनवरी, 1971 ई० को इंग्लैण्ड और आस्ट्रेलिया के बीच खेला गया था। इसमें 40 ओवर प्रति पारी रखे गए। एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैचों के आयोजन व विकास का श्रेय भी इंग्लैण्ड को जाता है। इंग्लैण्ड के प्रयासों के फलस्वरूप ही इंग्लैण्ड में प्रथम विश्वकप का आयोजन हुआ। इस विश्व कप क्रिकेट में आठ देशों की टीमों ने भाग लिया था। इस विश्व कप में क्रिकेट के फाइनल में वेस्टइंडीज ने आस्ट्रेलिया को 17 रनों से हराया था। |
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क्रिकेट में गेंद को हवा में लहराकर फेंकने की शुरुआत कब हुई? |
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Answer» 1760-1770 ई0 के दशक में क्रिकेट में गेंद को हवा में लहराकर फेंकने की शुरुआत हुई। |
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भारत और वेस्टइंडीज में ही क्रिकेट क्यों इतना लोकप्रिय हुआ? क्या आप बता सकते हैं कि यह खेल दक्षिणी अमेरिका में इतना लोकप्रिय क्यों नहीं हुआ |
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Answer» भारत और वेस्टइंडीज में क्रिकेट का खेल लोकप्रिय होने के कारण इस प्रकार हैं- ⦁ औपनिवेशिक पृष्ठभूमि के कारण भारत और वेस्टइंडीज में क्रिकेट का खेल लोकप्रिय हुआ। ब्रिटिशवादी कर्मचारियों ने क्रिकेट को नस्ली एवं सामाजिक उत्कृष्टता प्रदर्शित करने के लिए प्रयोग किया। ⦁ अंग्रेजों ने इस खेल को जनसामान्य के लिए लोकप्रिय नहीं बनाया बल्कि औपनिवेशिक लोगों के लिए क्रिकेट खेलना ब्रिटिश लोगों के साथ नस्ली समानता का परिचायक था। क्रिकेट में सफलता से नस्ली समानता एवं राजनीतिक प्रगति का अर्थ लिया जाने लगा। ⦁ स्वाधीनता संघर्ष के काल में अनेक अभिजात्य वर्गीय नेताओं को क्रिकेट में आत्मसम्मान और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा की संभावनाएँ परिलक्षित होती थीं। दक्षिण अमेरिका में क्रिकेट के लोकप्रिय न होने के कारण-दक्षिण अमेरिका में ब्रिटिश शासन नहीं था बल्कि वहाँ पर स्पेन, पुर्तगाल आदि यूरोपीय देशों का शासन था। स्पेन और पुर्तगाल आदि देशों में क्रिकेट लोकप्रिय खेल नहीं था जिसके परिणामस्वरूप दक्षिण अमेरिका में क्रिकेट उस लोकप्रियता को प्राप्त न कर सका जिसे भारत और वेस्टइंडीज ने प्राप्त किया। |
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क्रिकेट का प्रसार किन देशों में हुआ? |
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Answer» क्रिकेट का प्रसार प्रायः उन देशों में हुआ जिनमें इंग्लैण्ड का औपनिवेशिक शासन था। इन देशों में भारत, दक्षिण अफ्रीका, जिम्बाब्वे, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, वेस्टइंडीज, केन्या आदि शामिल हैं। इन देशों में क्रिकेट का प्रसार अंग्रेजों द्वारा किया गया। |
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