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पद का भावार्थ लिखें:मानुष हों, तो वही रसखानि बसौ ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन।जो पसु हौं, तो कहा बसु मेरो, चरौ नित नंद की धेनु मॅझारन॥पाहन हौं, तो वही गिरि कौ, जो धरयौ कर छत्र पुरन्दर धारन।जो खग हौं, बसेरो करौं मिलि कालिन्दी-कूल-कदम्ब की डारन ॥१॥ |
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Answer» भावार्थ : रसखान इस सवैये में ब्रज में ही जन्म लेने के लिए तथा ब्रज से ही जुड़े रहने के लिए अपनी इच्छा प्रकट कर रहे हैं। वे कहते हैं कि यदि मैं अगले जन्म में मनुष्य बनकर आऊँ, तो ब्रज के गोकुल गाँव में ग्वाला बनकर ही आऊँ। लेकिन मेरे बस की बात नहीं यदि पशु बनूँ, तो नंदबाबा की गौओं के बीच में कोई गाय बनूँ। यदि पत्थर ही बन जाऊँ, तो वही गोवर्धन पर्वत का पत्थर बनूँ, जिसे कृष्ण ने इन्द्र के प्रकोप से ब्रज वासियों की रक्षा के लिए उठाया था। यदि मैं पक्षी के रूप में जन्म लूँ, तो कालिंदी नदी (यमुना नदी) के किनारे रहने वाले कदंब वृक्षों की डालियों पर रहने वाले पक्षियों में मेरा बसेरा हो। तात्पर्य यह है कि कवि रसखान को ब्रजभूमि से इतना लगाव है कि किसी भी हालत में, किसी भी रूप में वे ब्रजभूमि में जन्म लेना चाहते हैं। |
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ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिएःमानुष हों, तो वही रसखानि बसौ ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन।जो पसु हौं, तो कहा बसु मेरो, चरौ नित नंद की धेनु मँझारन।।पाहन हौं, तो वही गिरि कौ, जो धरयौ कर छत्र पुरन्दर धारन।जो खग हौं, बसेरो करौं मिलि कालिन्दी-कूल-कदम्ब की डारन॥ |
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Answer» प्रसंग : प्रस्तुत सवैया हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘रसखान के सवैये’ नामक शीर्षक से लिया गया है जिसके रचयिता रसखान हैं। संदर्भ : प्रस्तुत सवैये में रसखान हर स्थिति में ब्रज गोकुल में ही जन्म लेना चाहते हैं। वह अपना संबंध उन्हीं से जोड़ना चाहते हैं जिनके साथ कृष्ण का संबंध रहा है। स्पष्टीकरण : इस सवैये के माध्यम से कृष्णभक्त कवि रसखान श्रीकृष्ण पर अनन्य भक्ति तथा ब्रजभूमि के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं। कवि अपना संबंध उन्हीं से जोड़ना चाहते हैं जिनका संबंध श्रीकृष्ण से है। रसखान को ब्रजभूमि से इतना लगाव हो गया है कि वे कहते हैं – यदि मेरा अगला जन्म मनुष्य रूप में हो तो मैं ब्रजभूमि में रहनेवाले गोकुल गाँव के ग्वालों में जन्म लूँ। पशु के रूप में मेरा जन्म हो जाये तो मैं नंदबाबा द्वारा चराई जानेवाली गौओं के झुंड में कोई एक गौ बनूँ। पत्थर भी बन जाऊँ, तो गोवर्धन पर्वत का पत्थर बनूँ, जिसे ब्रज की रक्षा के लिए कृष्ण ने छाते के रूप में उठाया था। यदि पक्षी बनूँ, तो कालिंदी नदी के किनारे स्थित कदम्ब के पेड़ों पर वास करने वाले पक्षियों में जन्म लूँ। अर्थात् “कहीं भी रहूँ, कैसे भी रहूँ, ब्रजभूमि का होकर रहूँ” यह भाव स्पष्ट होता है। |
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‘युगवाणी’ कविता की भाषागत विशेषताएँ लिखिए।’ |
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Answer» ‘सुमन’ जी की भाषा जनजीवन के समीप सरल तथा व्यावहारिक भाषा है। छायावादी रचनाओं की भाषा अलंकरण, दृढ़ता, अस्पष्टता आदि आपकी रचनाओं में नहीं है। इसके विपरीत स्पष्टता और सरलता है।‘युगवाणी’ कविता में जनसाधारण में प्रस्तुत होने वाली भाषा का प्रयोग हुआ है। भाषा में उर्दू शब्दों को पर्याप्त प्रश्रय मिला है। सुमनजी ने अनेक नये शब्दों का निर्माण भी किया है, जिन्हें हम तीन भागों में बाँट सकते हैं—
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शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ किस काल के कवि हैं? |
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Answer» शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ आधुनिक काल (प्रगतिवादी युग) के कवि हैं। |
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“युगवाणी’ कविता में कवि ने किसके इतिहास को माफ न करने को कहा है? |
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Answer» कवि ने शासक एवं पूँजीपति वर्ग के इतिहास को कभी न माफ करने की बात कही है क्योंकि शासक एवं पूँजीपति वर्ग श्रमिकों का शोषण करते हैं। |
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शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ द्वारा रचित ‘युगवाणी’ कविता का सारांश संक्षेप में लिखिए। |
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Answer» कवि श्रमिक एवं कृषक वर्ग को सम्बोधित करते हुए कहता है कि मैंने क्यारी-क्यारी में तुम्हारे ही पदचिह्नों के दर्शन किये हैं। तुमने परिश्रमपूर्वक जो क्यारियाँ बोयी थीं, उन पर बढ़ती हुई फसल में आज भी तुम्हारे श्रमशील कदम झाँकते दिखाई दे रहे हैं । विकास का यही नियम है, जगह-जगह मुस्कान बिखर जाती है। इतना कठिन परिश्रम करने पर भी सर्वहारा वर्ग परेशान है। कवि शासक एवं पूँजीपति वर्ग को चेतावनी देता है कि यदि तुम असहायों की मूल समस्या का समाधान करने की अपेक्षा इनके साथ खिलवाड़ करोगे तो तुम्हें समय कभी माफ नहीं करेगा। तुम्हारा अस्तित्व स्वयं खतरे में पड़ जायेगा। |
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‘युगवाणी’ कविता में कवि ने शासकों को क्या परामर्श दिया है? |
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Answer» कवि शासक एवं पूँजीपति वर्ग को चेतावनी देता है कि यदि तुम असहायों की मूल समस्या का समाधान करने की अपेक्षा इनके साथ खिलवाड़ करोगे तो ठीक नहीं होगा। बहुत समय बीत गया, निर्धन को आशारूपी अफीम खिला-खिलाकर अब भी सुला देना चाहते हो । याद रखना, मानवीय संवेदनाओं की जो फसल हमने बोयी-जोती है, यदि वह नष्ट हो गयी तो तुम अकेले रह जाओगे और यदि संसार श्मशान बन गया तो तुम उसमें रहकर अकेले गीत गाओगे? |
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कवि ने प्रस्तुत कविता के माध्यम से किन वास्तविकताओं के प्रति आगाह किया है? |
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Answer» कवि ने कविता के माध्यम से स्पष्ट किया है कि शासक वर्ग दीन-दुखियों की उपेक्षा कर रहा है और उन पर प्रहार कर रहा है। आज के युग में श्रमिक वर्ग शोषित एवं परेशान है। |
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शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए।अथवाशिवमंगल सिंह ‘सुमन’ के जीवन-वृत्त एवं भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।अथवाशिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की साहित्यिक विशेषताएँ एवं भाषा-शैली का उल्लेख कीजिए।अथवाशिवमंगल सिंह ‘सुमन’ का जीवन-परिचय देते हुए उनके साहित्यिक योगदान का उल्लेख कीजिए। |
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Answer» शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जन्म – 5 अगस्त, सन् 1915 ई० जीवन – परिचय – डॉ० शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ का जन्म 5 अगस्त, सन् 1915 ई० (संवत् 1972 श्रावण मास शुक्ल पक्ष नागपंचमी) को ग्राम झगरपुर, जिला उन्नाव (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। आपके पिता का नाम ठाकुर साहब बख्श सिंह था। परिहार वंश में जन्मे सुमन जी का विवर्द्धन गहरवाड़ वंशीय माता के दूध द्वारा हुआ। उनके पितामह ठाकुर बलराज सिंह जी स्वयं रीवा सेना में कर्नल थे तथा प्रपितामह ठाकुर चन्द्रिका सिंह जी को सन् 1857 ई० की क्रान्ति में सक्रिय भाग लेने एवं वीरगति प्राप्त होने का गौरव प्राप्त था। सुमन जी ने अधिकांश रूप से रीवा, ग्वालियर आदि स्थानों में रहकर आरम्भिक शिक्षा से लेकर कॉलेज तक की शिक्षा प्राप्त की है। तत्पश्चात् सन् 1940 ई० में उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से परास्नातक (हिन्दी) की उपाधि प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। सन् 1942 ई० में उन्होंने विक्टोरिया कॉलेज में हिन्दी प्रवक्ता के पद पर कार्य करना प्रारम्भ कर दिया। सन् 1948 ई० में माधव कॉलेज उज्जैन में हिन्दी विभागाध्यक्ष बने, दो वर्षों के पश्चात् 1950 ई० में उनको ‘हिन्दी गीतिकाव्य का उद्भव-विकास और हिन्दी साहित्य में उसकी परम्परा’ शोध प्रबन्ध पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने डी० लिट् की उपाधि प्रदान की। आपने सन् 1954-56 तक होल्कर कॉलेज इन्दौर में हिन्दी विभागाध्यक्ष के पद पर भी सुचारु रूप से कार्य किया। सन् 1956-61 ई० तक नेपाल स्थित भारतीय दूतावास में सांस्कृतिक और सूचना विभाग का कार्यभार आपको सौंपा गया। सन् 1961-68 तक माधव कॉलेज उज्जैन में वे प्राचार्य के पद पर कार्य करते रहे। इन आठ वर्षों के बीच सन् 1964 ई० में वे विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में कला संकाय के डीन तथा व्यावसायिक संगठन, शिक्षण समिति एवं प्रबन्धकारिणी सभा के सदस्य भी रहे। सन् 1968-70 ई० तक सुमन जी विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में कुलपति के पद पर आसीन रहे। डॉ० शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ को सन् 1958 ई० में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा उनके काव्य संग्रह ‘विश्वास बढ़ता ही गया’ पर ‘देव’ पुरस्कार प्राप्त हुआ। सन् 1964 ई० में ‘पर आँखें नहीं भरीं’ काव्य संग्रह पर ‘नवीन’ पुरस्कार से सम्मानित किये गये। आपको सन् 1973 ई० में मध्य प्रदेश राजकीय उत्सव में सम्मानित किया गया। जनवरी, सन् 1974 में भारत सरकार द्वारा उन्हें ‘पद्मश्री’ की उपाधि से विभूषित किया गया। भागलपुर विश्वविद्यालय बिहार द्वारा 20 मई, सन् 1973 ई० को डी०लिट् की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। नवम्बर, सन् 1974 ई० को उन्हें ‘सोवियत-भूमि नेहरू पुस्कार’ प्रदान किया गया। 26 फरवरी, 1973 ई० को ‘मिट्टी की बारात’ नामक काव्य संग्रह पर ‘सुमन जी’ को साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। आपने अक्टूबर, सन् 1974 ई० को नागपुर विश्वविद्यालय, महाराष्ट्र में दीक्षान्त भाषण दिया। पुन: 24 अप्रैल, 1977 ई० को राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली में पंचम दिनकर स्मृति व्याख्यानमाला के अन्तर्गत भाषण के लिए आपको आमंत्रित किया गया। सन् 1975 ई० में राष्ट्रकुल विश्वविद्यालय परिषद् के लन्दन विश्वविद्यालय स्थित मुख्यालय में कार्यकारिणी परिषद् के सदस्य के रूप में उनकी नियुक्ति की गई। 17-18 जनवरी, सन् 1977 ई० को भारतीय विश्वविद्यालय परिषद् कोयम्बटूर (तमिलनाडु) में हुए बावनवें वार्षिक अधिवेशन की अध्यक्षता की। पुनः 15-16 जनवरी, सन् 1978 ई० को सौराष्ट्र विश्वविद्यालय, राजकोट में भारतीय विश्वविद्यालय परिषद् के तिरपनवें अधिवेशन की अध्यक्षता की। 27 नवम्बर, 2002 ई० को शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ का 87 वर्ष की अवस्था में जनपद उज्जैन (म०प्र०) में निधन हो गया। रचनाएँ – सुमन जी की रचनाएँ निम्नलिखित हैं डॉ० ‘सुमन’ जी प्रगतिवादी कवि के रूप में हमारे समक्ष अपनी काव्य रचनाओं के माध्यम से उपस्थित होते हैं। आपकी कविताओं में दलित, पीड़ित, शोषित एवं वंचित श्रमिक वर्ग को समर्थन किया गया है, साथ ही सामान्य रूप से पूँजीपति वर्ग तथा उनके अत्याचारों का खण्डन भी अपनी रचनाओं के माध्यम से किया है। सामयिक समस्याओं का विवेचन उनकी कविताओं का प्रमुख अंग रहा है। आपकी कविताओं में आस्था और विश्वास का स्वर स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होता है। आपने समाज की रूढ़िवादी परम्पराओं तथा वर्ण जातिगत विषमताओं एवं भाग्यवादी विचारधारा को खण्डन भी किया है। भाषा – सुमन जी की भाषा जनजीवन के समीप सरल तथा व्यावहारिक भाषा है। छायावादी रचनाओं की भाषा अलंकरण, दृढ़ता, अस्पष्टता, वयवीयता आदि आपकी रचनाओं में नहीं है। इसके विपरीत स्पष्टता और सरलता है। जनसाधारण में प्रस्तुत होने वाली भाषा का प्रयोग हुआ है। भाषा में उर्दू शब्दों को पर्याप्त प्रश्रय मिला है। सुमन जी ने अनेक नये शब्दों का निर्माण भी किया है, जिन्हें हम तीन भागों में बाँट सकते हैं- भाषा को प्रभविष्णु बनाने के लिए सुमन जी ने पुनरुक्ति को अपनाया है। शैली – सुमन जी की शैली में ओज और प्रसाद गुणों की प्रधानता है। उन्होंने अपनी रचनाओं में लाक्षणिकता का भी प्रयोग किया है। सुमन जी की कविताओं की अभिव्यक्ति सौन्दर्य की एक विशेषता काव्यवाद का निर्वहन भी है। इसके अन्तर्गत जीवन की वर्तमान समस्याओं का पौराणिक घटनाओं से साम्य स्थापित किया है। आपकी कविताओं में प्रतीक विधान भी दर्शनीय है। सुमन जी की कविताओं में अलंकारों की समास योजना नहीं है। अनायास ही जो अलंकार आपकी कविताओं में आ गये हैं, ये भावोत्कर्ष में सहायक हुए हैं। हिन्दी साहित्य में स्थान – ‘सुमन’ जी भारतीय माटी की वह गन्ध हैं, जिसमें जीवन रस-आनन्द सर्वत्र महकता रहता है। जिस प्रकार पृथ्वी की अभिव्यक्ति वनस्पतियों द्वारा होती है उसी प्रकार वनस्पतियों के रस से जीवित मानव प्राणी की अभिव्यक्ति उसकी कलात्मकता और वैज्ञानिकता में होती है।’सुमन’ जी भारतीय संस्कृति के अभिव्यक्ता हैं। प्रकृति के रूप, रस, गन्ध आदि के चितेरे भी हैं। जीवन रस की मादकता के गायक हैं। जनसामान्य के दुःख-दर्द से द्रवित होने वाले मानव और परम्परागत गौरव गरिमा के संरक्षक हैं। उनके इन्हीं विशिष्ट रूपों को काव्य में पहचाना गया है। एक युग विशेष की मानसिकता की झाँकी उनके काव्य के गुणों से परिपूर्ण एवं प्रभावशाली है। अंत में हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि ‘सुमन’ जी का हिन्दी साहित्य में अपना एक विशिष्ट स्थान है। वे हिन्दी साहित्य को ऐसी निधि प्रदान कर गये हैं जो कभी भी नष्ट नहीं हो सकती। शरीर तो नश्वर है लेकिन वैचारिक शरीर शाश्वत रूप से जीवित रहता है। सुमन जी अपनी कृतियों के माध्यम से हिन्दी साहित्य के प्रेमियों के मानस पटल पर सदैव नित-नवीन रूप में मुस्कराते रहेंगे। |
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निम्नलिखित में से कौन-सी समुद्री धारा गर्म धारा नहीं है?(क) ब्राजील(ख) गल्फस्ट्रीम(ग) कनारी(घ) क्यूरोसिवो |
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Answer» सही विकल्प है (ग) कनारी |
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निम्नलिखित में से कौन-सी समुद्री धारा ठण्डी धारा है?(क) ब्राजील धारा(ख) हम्बोल्ट (पेरू) धारा(ग) क्यूरोसिवो धारा(घ) गल्फस्ट्रीम |
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Answer» सही विकल्प है (ख) हम्बोल्ट (पेरू) धारा |
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निम्नलिखित में से कौन गर्म समुद्री धारा है?(क) लैब्रेडोर धारा(ख) ब्राजील धारा(ग) कैलीफोर्निया धारा ।(घ) पश्चिम ऑस्ट्रेलिया धारा |
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Answer» सही विकल्प है (घ) पश्चिम ऑस्ट्रेलिया धारा |
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| 10363. |
महासागरीय जल की ऊपर व नीचे की गति किससे सम्बन्धित है?(क) ज्वार ।(ख) तरंग(ग) धाराएँ।(घ) इनमें से कोई नहीं |
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Answer» सही विकल्प है (क) ज्वार |
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निम्नलिखित में से कौन एक ठण्डी धारा है?(क) ब्राजील (ख) क्यूराइल(ग) गल्फस्ट्रीम(घ) क्यूरोसिवो |
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Answer» सही विकल्प है (ख)क्यूराइल |
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निम्नलिखित में से कौन एक उत्तरी अंध महासागर की धारा है?(क) बेंगुएला धारा(ख) फाकलैण्ड धारा(ग) लैब्रेडोर धारा (घ) अगुलहास धारा |
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Answer» सही विकल्प है (ग) लैब्रेडोर धारा |
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निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय पहचानकर लिखिए :इन्सानियतसंबोधितसहायताथानेदारअपनापनमूलतःप्रीतिकरपरिश्रमिकमेहनतीपरायापनपरेशानीवांछितवास्तविकताकमाईमेहनतकशपोषकबचपनसावधानीऐतिहासिक |
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Answer» 1. इन्सानियत – इन्सान + इयत 2. संबोधित – संबोधन + इत 3. सहायता – सहाय + ता 4. थानेदार – थाना + दार 5. अपनापन – अपना + पन 6. मूलतः – मूल + तः 7. प्रीतिकर – प्रीति + कर 8. परिश्रमिक – परिश्रम + इक 9. मेहनती – मेहनत + ई 10. परायापन – पराया + पन 11. परेशानी – परेशान + ई 12. वांछित – वांछना + इत 13. वास्तविकता – वास्तव + इक + ता 14. कमाई – कमाना + ई 15. मेहनतकश – मेहनत + कश 16. पोषक – पोष(ण) + क 17. बचपन – बच्चा + पन 18. सावधानी – सावधान + ई 19. ऐतिहासिक – इतिहास + इक |
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| 10367. |
महासागरीय जल की तीन गतियाँ कौन-सी हैं? |
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Answer» महासागरीय जल की तीन गतियाँ निम्नलिखित हैं ⦁ तरंग |
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उन तीन आकर्षण शक्तियों को बताइए जो ज्वार के निर्माण में योगदान करती हैं? |
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Answer» ज्वार के निर्माण में योगदान देने वाली तीन आकर्षण शक्तियाँ निम्नलिखित हैं 1. चन्द्रमा की आकर्षण शक्ति 2. सूर्य की आकर्षण शक्ति 3. पृथ्वी की आकर्षण शक्ति |
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महासागरीय धाराएँ कितने प्रकार की होती हैं? |
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Answer» महासागरीय धाराएँ गति तथा तापमान के आधार पर दो वर्गों में विभाजित की जाती हैं 1. गति के आधार पर-गति के आधार पर महासागरीय धाराएँ दो प्रकार की होती हैं (i) स्ट्रीम-तीव्र गति से प्रवाहित होने वाली धारा स्ट्रीम कहलाती है। उत्तरी अन्ध महासागर की गल्फस्ट्रीम इसका मुख्य उदाहरण है। (ii) इिफ्ट-वे महासागरीय धाराएँ जो धीमी गति से प्रवाहित होती हैं उन्हें ड्रिफ्ट या अपवाह कहते हैं। ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण में पश्चिमी अपवाह इसका एक अच्छा उदाहरण है। 2. तापमान के आधार पर-तापमान के आधार पर महासागरीय धाराएँ दो प्रकार की होती हैं (i) गर्म धाराएँ-वे महासागरीय धाराएँ जिनका जल गर्म होता है, उन्हें गर्म जलधाराएँ कहते हैं। गल्फस्ट्रीम तथा क्यूरोसिवो आदि इसी प्रकार की जलधाराएँ हैं। (ii) ठण्डी जलधाराएँ-वे महासागरीय जलधाराएँ जिनका जल ठण्डा होता है उनको ठण्डी | जलधारा कहते हैं। लैब्रेडोर, क्यूराइल आदि इसी प्रकार की धाराएँ हैं। |
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| 10370. |
अटलांटिक महासागर की पाँच प्रमुख जलधाराओं के नाम लिखिए। |
Answer»
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तरंगें कैसे बनती हैं ? |
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Answer» समुद्र में तरंगों का जन्म कई कारणों से होता है, परंतु इनमें पवन सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती है। तरंगें समुद्र की सतह पर पवनों द्वारा जल को ढकेले जाने की प्रक्रिया के कारण बनती हैं। जले की सतह से टकराकर पवनें उसे विभिन्न स्थान से उठा देती हैं; जिससे मोड़ों के रूप में जल ऊपर-नीचे होता है, उन्हें ही तरंगे कहते हैं। |
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महासागरीय जल की गतियों के नाम लिखिए। |
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Answer» महासागरीय जल की गतियाँ इस प्रकार हैं –
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ज्वार-भाटा क्या है तथा ये कैसे उत्पन्न होते हैं ? |
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Answer» सागरीय जल के ऊपर उठकर आगे बढ़ने को ‘ज्वार’ तथा सागरीय जल के नीचे गिरकर सागर की ओर पीछे लौटने को ‘ भाटा’ कहते हैं। ज्वार-भाटा सूर्य तथा चंद्रमा की आकर्षण शक्तियों के कारण उत्पन्न होते हैं। |
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दीर्घ ज्वार क्या है? यह पूर्णिमा और अमावस्या को ही क्यों आता है?या वृहत् ज्वार की व्याख्या कीजिए। |
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Answer» जब सागरीय ज्वार की ऊँचाई औसत ज्वार से 20% अधिक होती है जो उसे दीर्घ ज्वार कहते हैं। यह पूर्णिमा और अमावस्या को इसलिए आता है क्योंकि इन तिथियों में सूर्य व चन्द्रमा की संयुक्त शक्ति पृथ्वी पर अपना सर्वाधिक प्रभाव डालती है। |
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| 10375. |
By which other name is secularism known?(a) Religion relativity(b) Towards religion no staunchness(c) Transformation of religion(d) Obstruction in religion |
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Answer» (b) Towards religion no staunchness |
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What is the view of staunch people towards every citizen?(a) Social perspective(b) Wide view(c) Communal perspective(d) Secular perspective |
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Answer» (c) Communal perspective |
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प्राचीन समय में गुरु को क्या समझा जाता था? |
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Answer» प्राचीन समय में गुरु को साक्षात परमेश्वर समझा जाता था। |
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प्राचीन काल में भारतीय शिक्षा केन्द्र कैसे थे? |
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Answer» प्राचीनकाल में भारतीय शिक्षाकेन्द्र एक प्रकार के आश्रम अथवा मंदिर जैसे थे। |
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शिक्षण-कार्य आज किसका साधन बन गया है? |
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Answer» शिक्षण-कार्य आज पेट पालने का साधन बन गया है। |
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| 10380. |
समुद्र का जल खारा होता है। |
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Answer» महासागरों का जल विभिन्न प्रकार के लवणों की उपस्थिति के कारण खारा होता है। |
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अन्तर स्पष्ट कीजिए –धारा और प्रवाह। |
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Answer» धारा –
प्रवाह –
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अन्तर स्पष्ट कीजिए –गर्म और ठण्डी जलधारा। |
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Answer» गर्म धारा –
ठण्डी धारा –
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भारतीय गुरु-शिष्य परंपरा जाति-धर्म से ऊपर किस प्रकार रही है? |
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Answer» भारतीय गुरु-शिष्य परंपरा में संकुचित दृष्टिकोण कभी नहीं रहा। यही कारण है कि हमारे देश में कितने ही मुसलमान पहलवानों के हिन्दू शिष्य हैं और हिन्दू पहलवानों के मुसलमान शिष्य हैं। यहाँ व्यक्ति के गुण, साधना और प्रतिभा को परखा जाता है, उसके जाति-संप्रदाय, आचार-विचार और धर्म को नहीं। पुराने जमाने में मौलवी लोग बड़ेबड़े रामायणी होते थे। आज भी भरत मियां, रंजीत मियाँ आदि हिंद मुसलमान गुरुओं के शिष्य हैं। इस प्रकार भारतीय गुरु-शिष्य परंपरा जाति-धर्म के ऊपर रही है। |
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पूर्णमासी और अमावस्या को दीर्घ ज्वार आता है। |
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Answer» पूर्णमासी और अमावस्या को पृथ्वी, सूर्य और चन्द्रमा परिक्रमा के दौरान एक सीध में होते हैं, जिससे सूर्य एवं चन्द्रमा की आकर्षण शक्ति का प्रभाव पृथ्वी पर पड़ता है और दीर्घ ज्वार आता है। |
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युरोप के प्रभाव के कारण आज गुरु-शिष्य संबंधो में क्या अंतर आया है? |
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Answer» प्राचीन भारत में विद्यालय मंदिर के समान माने जाते थे। शिक्षा देना एक आध्यात्मिक कार्य था। पैसे देकर शिक्षा खरीदी नहीं जाती थी। शिष्य पुत्र से अधिक प्रिय होते थे। परंतु वर्तमान भारत में शिक्षा व्यावसायिक हो गई है। गुरु वेतनभोगी हो गए हैं। विद्यार्थी शुल्क देकर शिक्षा प्राप्त करते हैं। आज का शिष्य गुरु में परमेश्वर का रूप नहीं देखता। इस प्रकार यूरोप के प्रभाव के कारण आज गुरु-शिष्य संबंधों में जमीन-आसमान का अंतर आ गया है। |
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| 10386. |
Which of the following is a global problem?(a) Casteism(b) Communalism(c) Language(d) Terrorism |
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Answer» (c) Language |
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| 10387. |
Which of the following matters is harmful for democracy, national Integrity and development of nation?(a) Secularism(b) Communalism(c) Harmony(d) Tolerance |
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Answer» (b) Communalism |
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The condition of SC and ST is improving. Give reason. |
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Answer» As per Constitution of India, all citizens are equal and hence all should be treated equally and given equal fundamental rights. With this aim, the constitution has provided several provisions for the people belonging to the scheduled class and scheduled tribe who earlier could not enjoy the fundamental rights. Hostels have been opened and a scheme has been launched to offer scholarship for children. Facilities for counselling and training classes for competitive examinations have also been started. Minimum requirements of age and qualifications have been relaxed for the candidates of these groups for government jobs. Through all these and several other steps the state is taking care of the educational, social and economic interests of backward class of the state. Thus, slowly and gradually the condition of SC and ST has improved and is yet improving. |
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| 10389. |
उत्तर-पश्चिमी यूरोप के बन्दरगाह वर्ष भर आवागमन के लिए खुले रहते हैं। |
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Answer» गर्म हवाओं के प्रभाव के कारण उत्तर-पश्चिमी यूरोप के बन्दरगाह वर्ष भर खुले रहते हैं। |
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| 10390. |
Under which Article of the Constitution untouchability has been eradicated?(a) Article 25(b) Article 29(c) Article 17(d) Article 46 |
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Answer» (c) Article 17 |
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Write a note on the Naxalism. |
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Answer» Naxalite movement emerged in the Naxalbari region in West Bengal in 1967 as an armed protest against the atrocities committed by Zamindars. It was inspired by the Communist Revolution in China led by Mao- tse- Tung. Charu Mazumdar and Kanu Sanyal were the founders of the Naxalite movement. The Naxalites resort to all forms of violence that includes bomb explosions, attack on the militaiy personnel and government buildings, kidnapping of the public, officials and extortion. They forcefully collect money and food-grains from the people in Their territory’.
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गांधीजी किन्हें. अच्छे लगते है? |
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Answer» गांधीजी उन्हें अच्छे लगते हैं, जिनमें गांधीजी बनने की क्षमता है और जो उनका अनुसरण करना चाहते हैं। |
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| 10393. |
किस तरह के लोगों को गुरु-शिष्य परंपरा की महिमा समझाना व्यर्थ है? |
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Answer» भारतवासियों को अपने यहाँ की चीजों में खूबसूरती दिखाई नहीं देती पर पराए देशों की सुंदरता पर वे मुग्ध हो जाते हैं। जिस देश में ज्ञान पाने के लिए मैक्समूलर ने जीवनभर प्रार्थना की, उस देश के लोग जर्मनी और विलायत जाने में स्वर्ग जैसा सुख अनुभव करते हैं। लेखक कहते हैं कि ऐसे लोगों को भारतीय गुरु-शिष्य परंपरा की महिमा समझाना व्यर्थ है। |
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| 10394. |
मामा पहलवान ने भारत की गुरु-शिष्य परंपरा के बारे में क्या कहा? |
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Answer» एक पारसी पत्रकार ने गामा पहलवान से पूछा था कि विश्व के पहलवानों को ललकार ने के पहले आप अपने अमुक शिष्य को कुश्ती में जीतकर क्यों नहीं दिखाते? उत्तर में गामा ने कहा कि आप जिसकी बात कर रहे हैं, वह मेरा शिष्य मुझे मेरे बेटे से भी अधिक प्यारा है। हम लोगों में वंशपरंपरा से अधिक शिष्यपरंपरा का महत्त्व है। हम चाहते हैं कि हम अपने शिष्यों से कम रहे। वे संसार में मुझसे अधिक नाम कमाएं। इस प्रकार गामा पहलवान ने पत्रकार को भारत की गुरु-शिष्य परंपरा के बारे में बताकर उसका मुंह बंद कर दिया। |
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विरुद्धार्थी शब्द लिखिए :रोगी × ……….असहाय × ……….वृद्ध × ………. |
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Answer» 1. निरोगी 2. सहाय 3. युवा |
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State the economic effects of terrorism. |
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Answer» The economic effects of terrorism are disastrous for individual, trade and commerce and national economy as a whole. These can be listed as under:
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| 10397. |
Terrorism is extremely harmful both society and economically. Give reason. |
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Answer» Terrorist activities like kidnapping, robbery, violence, etc. cause fear, suspicion and destruct among people of all age groups. Terrorism leads to communal conflicts. This breaks the harmony and co-operation of the society. Terrorist activities destroy the healthy atmosphere needed for developing business and industry. As a result, the business and trade relations get adversely affected. When the business and industries do not develop, people’s economic condition become weak and they are not left with any work. Terrorists destroy infrastructure such as conflicts. This breaks the harmony and co-operation of the society. Terrorist activities destroy the healthy atmosphere needed for developing business and industry. As a result, the business and trade railway, radio stations, roads, bridges, government offices, etc. Crores of rupees have to be spent to re-establish them. Thus, terrorism is extremely harmful both, socially and economically. |
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| 10398. |
Give an introduction of constitutional provisions for welfare and development of minorities. |
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Answer» The term minorities imply the religions minorities that include the Muslims, the Christians and the Zoroastrians. After the linguistic reorganization of the states, every state has some linguistic minorities. For example, the Gujarati are linguistic minority in Maharashtra. The Indian Constitution has made the following provisions for the welfare and development of religious and linguistic minorities:
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| 10399. |
On which basis is the scheduled caste decided?(a) Untouchability(b) Religion(c) Sect(d) None of these |
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Answer» (a) Untouchability |
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There are special provisions in the Constitution for the weaker section of the society. Give reason. |
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Answer» Many castes in India have remained weak since ages. As per Constitution of India, all citizens are equal and hence all should be treated equally and given equal fundamental rights. But, the problem is that the weaker sections of the society were exploited for a very long time. By keeping same rules and regulations for all will not help the weaker sections of the society to develop. As a result, the government made special provisions in the Constitution for such people. These provisions give relaxation to people of backward class in government jobs, admission in colleges, etc. |
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