This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
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किस स्थिति में विकास कार्य आपदा का कारण बन सकता है? |
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Answer» भूमण्डलीकरण के वर्तमान दौर में ही नहीं वरन् अन्य स्थितियों में भी सामाजिक प्रगति और आर्थिक विकास हेतु विभिन्न विकास कार्य अत्यन्त आवश्यक हैं, किन्तु संकटं या आपदाओं की अनदेखी करके विकास कार्यों को करते रहना अत्यन्त घातक एवं मूर्खतापूर्ण निर्णय कहलाता है। इस परिप्रेक्ष्य में कभी-कभी विभिन्न विकास कार्य आपदा का कारण बन जाते हैं। इस सम्बन्ध में निम्नलिखित तथ्य उल्लेखनीय हैं 1. मानव द्वारा बाँध आदि का निर्माण जो सिंचाई तथा विद्युत उत्पादन के लिए किया जाता है। यदि बाँध की ऊँचाई बढ़ाई जाती है तो इसके टूटने से बाढ़ आपदा का संकट उत्पन्न हो सकता है। 2. पर्वतीय क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण यद्यपि आवश्यक है, किन्तु तीव्र ढाल वाले क्षेत्रों को काटकर सड़कें बनाई जाती हैं तथा ढाल के किनारे भूस्खलने अवरोधी दीवारों का निर्माण नहीं किया जाता है तो भू-स्खलन की विपत्ति का सामना करना पड़ सकता है। 3. बढ़ती हुई जनसंख्या की खाद्य आपूर्ति के लिए जंगलों का बेरहमी से विनाश करना तथा अनियोजित तरीके से लगातार भूमि उपयोग करते रहना वन, जल, वन्य-जीव आदि प्राकृतिक 4. तीव्र औद्योगिकीकरण आर्थिक विकास के लिए अविश्यक है, परन्तु इनसे निकलने वाली गैसें; जैसे–CFCs आदि को यदि इसी प्रकार वायुमण्डल में छोड़ा जाता रहा तो वायु-प्रदूषण की 5. परमाणु ऊर्जा, जिसे वर्तमान में विकास के लिए आवश्यक समझा जाता है, के उत्पादन में मानवीय | असावधानी के करिणं रूस की वाणु संयन्त्र में दुर्घटनाओं के समान होने वाली घटनाओं में वृद्धि होती रहेगी। |
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निम्नलिखित में कौन-सी प्राकृतिक आपदा नहीं है?(क) ज्वालामुखी विस्फोट(ख) जनसंख्या विस्फोट(ग) बादल विस्फोट(घ) चक्रवात |
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Answer» सही विकल्प है (क) ज्वालामुखी विस्फोट |
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प्राकृतिक आपदाएँ होती हैं(क) जन्तुजनित(ख) मानवजनित(ग) वनस्पतिजनित(घ) प्रकृतिजनित |
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Answer» सही विकल्प है (घ) प्रकृतिजनित |
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विश्व बैंक ने आपदा को किस प्रकार परिभाषित किया है? |
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Answer» विश्व बैंक ने आपदा को निम्नलिखित प्रकार परिभाषित किया है – “आपदा अल्पावधि की एक असाधारण घटना है, जो देश की अर्थव्यवस्था को गम्भीर रूप से अस्त-व्यस्त कर देती है।” |
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संवेग से आप क्या समझते हैं? |
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Answer» संवेग एक जटिल, भावात्मक एवं मानसिक प्रक्रिया है। जब भाव का प्रकटीकरण बाहरी तथा आन्तरिक शारीरिक परिवर्तनों में हो जाता है, तब उसे संवेग कहते हैं। |
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निम्नलिखित वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति उचित शब्दों द्वारा कीजिए –⦁ संवेग मूल रूप से जटिल, भावात्मक और ……………………. प्रक्रिया है।⦁ प्रबल संवेगावस्था में व्यक्ति का मनोशारीरिक सन्तुलन ……………………. जाता है।⦁ प्रत्येक संवेग की उत्पत्ति के पीछे कोई-न-कोई ……………………. कारण निहित होता है।⦁ संवेगावस्था में अनिवार्य रूप से कुछ ……………………. परिवर्तन दृष्टिगोचर होते हैं।⦁ प्रबल संवेगावस्था का व्यक्ति की चिन्तन क्षमता पर ……………………. प्रभाव पड़ता है।⦁ युद्धभूमि में राष्ट्र के लिए प्राण न्योछावर करने वाला देशभक्त सिपाही बुद्धि ……………………. से नहीं से प्रेरित होता है।⦁ संवेग जटिल तथा व्यापक होते हैं तथा भाव ……………………. होते हैं।⦁ सरल संवेगावस्था ……………………. में प्रकट होता है।⦁ जटिल संवेगावस्था में ……………………. संवेग मिश्रित रहते हैं।⦁ क्रोध तथा भय अपने आप में ……………………. संवेग हैं।⦁ प्रेम तथा घृणा अपने आप में ……………………. संवेग हैं।⦁ संवेगावस्था में प्रकट होने वाला मुख्य बाहरी शारीरिक परिवर्तन है ……………………. में परिवर्तन।⦁ प्रबल संवेगावस्था में हृदय की गति तथा रक्तचाप में ……………………. |⦁ उद्दीपक के प्रत्यक्षीकरण के पश्चात् पहले शारीरिक परिवर्तन होते हैं और इसके बाद संवेग की अनुभूति। यह ……………………. का मत है।⦁ ……………………. ने संवेग के हाइपोथैलेमस सिद्धान्त का प्रतिपादित किया।⦁ संवेग के विषय में कैनन-बार्ड द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्त को ……………………. जाता है।⦁ संवेगों के अति अवदमन का व्यक्ति के व्यक्तित्व पर ……………………. प्रभाव पड़ता है।⦁ संवेगों के रेचन तथा मार्गान्तरीकरण द्वारा उन्हें ……………………. किया जा सकता है। |
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Answer» ⦁ मानसिक |
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स्मृति, कल्पना, चिन्तन आदि उच्च मानसिक क्रियाओं का नियन्त्रण करता है-(क) सुषुम्ना शीर्ष(ख) लघु मस्तिष्क(ग) सेतु(घ) वृहद् मस्तिष्क |
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Answer» (घ) वृहद् मस्तिष्क |
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निम्नलिखित में से कौन मस्तिष्क का भाग नहीं है?(क) सेतु(ख) सुषुम्ना(ग) थैलेमस(घ) हाइपोथैलेमस |
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Answer» सही विकल्प है (ख) सुषुम्ना |
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थैलेमस(क) सुषुम्ना का एक भाग है।(ख) मस्तिष्क का एक भाग है।(ग) नलिकाविहीन ग्रन्थियों का एक भाग है(घ) आमाशय को एक भाग है। |
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Answer» (ख) मस्तिष्क का एक भाग है। |
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प्रतिवर्त क्रियाओं का संचालन करता है (क) थैलेमस(ख) सुषुम्ना(ग) मस्तिष्क(घ) सेतु । |
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Answer» सही विकल्प है (ख) सुषुम्ना |
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बाढ़ एवं त्वरित बाढ़ में क्या अन्तर है? |
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Answer» बाढ़ को सामान्य अर्थ स्थलीय भाग को निरन्तर कई दिनों तक जलमग्न होना है। वास्तव में बाढ़ प्राकृतिक पर्यावरण की एक विशेषता है, जिसे जलीय चक्र का संघटक माना जाता है; जबकि त्वरित बाढ़ या फ्लैश फ्लड तब उत्पन्न होती है जब तटबन्ध टूट जाते हैं या बैराज से अधिक मात्रा में जल छोड़ दिया जाता है। |
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आपदाओं का क्या अर्थ है? संक्षेप में लिखिए। |
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Answer» आपदा प्राकृतिक एवं मानवीय प्रक्रियाओं द्वारा उत्पन्न वह स्थिति है जो व्यापक रूप से मनुष्य एवं अन्य जीव-जन्तुओं की सामान्य जीवनचर्या में भारी व्यवधान डालती है। इसके कारण सम्पत्ति की भारी क्षति ही नहीं होती बल्कि अनेक लोग काल-कवलित भी हो जाते हैं। प्राचीनकाल में विनाशकारी आपदाओं को प्रकृति के साथ की गई छेड़छाड़ के लिए प्रकृति द्वारा दिया गया दण्ड माना जाता था, किन्तु वर्तमान में इसे एक घटना के रूप में देखा जाता है। यह घटना प्राकृतिक या मानवीय दोनों में से किसी भी कारक द्वारा उत्पन्न हो सकती है। आपदाओं और घटनाओं का निकट का सम्बन्ध है। कभी-कभी इन्हें एक-दूसरे के विकल्प के रूप में प्रयोग किया जाता है। घटना एक आशंका है तो आपदा दु:खद घटना का एक परिणाम है। विश्व बैंक ने आपदा को इस प्रकार परिभाषित किया है-“आपदा अल्पावधि की एक असाधारण घटना है जो देश की अर्थव्यवस्था को गम्भीर रूप से अस्त-व्यस्त कर देती है।” |
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सुनामी उत्पन्न होने के तीन महत्त्वपूर्ण कारण बताइए। |
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Answer» सुनामी उत्पन्न होने के तीन महत्त्वपूर्ण कारण हैं-(1) भूकम्प, (2) ज्वालामुखी विस्फोट, (3) भू-स्खलन। जब समुद्र या उनके निकटवर्ती क्षेत्रों में इनमें से किसी भी एक आपदा की आवृत्ति होती है। तो सागरों में सुनामी उत्पन्न हो जाती है। |
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सागरों में भूकम्प के समय उठने वाली लहरों को क्या कहते हैं?(क) सुनामी(ख) चक्रवात(ग) भूस्खलन (घ) ज्वार-भाटा |
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Answer» सही विकल्प है (क) सुनामी |
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संवेगावस्था में प्रकट होने वाले मुख्य बाहरी शारीरिक लक्षणों का उल्लेख कीजिए! |
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Answer» (अ) मुखमण्डलीय अभिव्यक्तियों में परिवर्तन, (ब) स्वर में परिवर्तन तथा (स) शारीरिक मुद्राओं या आसनिक अभिव्यक्ति में परिवर्तन। |
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संवेगों की व्याख्या करने वाले कैनन-बार्ड सिद्धान्त को किन नामों से भी जाना जाता है? |
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Answer» कैनन-बार्ड सिद्धान्त को ‘हाइपोथैलेमिक सिद्धान्त’ तथा ‘आकस्मिक सिद्धान्त के नाम से भी जाना जाता है। |
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संवेगावस्था में होने वाले मुख्य आन्तरिक शारीरिक परिवर्तनों का उल्लेख कीजिए। या संवेग की अवस्था में होने वाले चार महत्त्वपूर्ण शारीरिक परिवर्तनों को बताइए। |
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Answer» (अ) हृदय की गति में परिवर्तन, (ब) रक्तचाप में परिवर्तन, (स) रक्त रसायन में परिवर्तन, (द) रसपरिपाक में परिवर्तन, (य) साँस की गति में परिवर्तन, (र) वैद्युत त्वक्-अनुक्रिया में परिवर्तन तथा (ल) मस्तिष्क तरंगों में परिवर्तन। |
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संवेगों को नियन्त्रित करने के मुख्य उपायों का उल्लेख कीजिए। |
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Answer» (अ) अवांछनीय संवेगों के विपरीत परिस्थितियों का सृजन, (ब) संवेगों का रेचन, (स) संवेगों का शोधन तथा (द) संवेगों का मार्ग-परिवर्तन। |
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संवेगों की अवस्था में क्रियाशील हो जाता है-(क) थैलेमस(ख) हाइपोथैलेमस(ग) सुषुम्ना(घ) लघु मस्तिष्क |
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Answer» सही विकल्प है (ख) हाइपोथैलेमस |
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संवेगों की स्वाभाविक अभिव्यक्ति को रोकने या टालने की प्रक्रिया को मनोविज्ञान की भाषा में क्या कहते हैं? |
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Answer» संवेगों की स्वाभाविक अभिव्यक्ति को रोकने या टालने की प्रक्रिया को मनोविज्ञान की भाषा में ‘संवेगों को अवदमन’ कहते हैं। |
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संवेग के जेम्स-लॉज सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या प्रस्तुत कीजिए।याजेम्स लॉज का संवेग सम्बन्धी सिद्धान्त क्या है?यासंवेग के सम्बन्ध में विभिन्न मतों (सिद्धान्तों) का वर्णन कीजिए। |
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Answer» संवेग के सिद्धान्त(Theories of Emotion) ⦁ जेम्स-लाँज का सिद्धान्त; जेम्स-लॉज का सिद्धान्त(James-Lange Theory) सिद्धान्त की व्याख्या – संवेगों के सम्बन्ध में एक सामान्य सिद्धान्त या विचारधारा प्रचलित है। जिसके अनुसार सर्वप्रथम संवेगात्मक अनुभूति होती है और इसके बाद संवेगात्मक व्यवहार होता है। इसका अभिप्राय यह है कि किसी उत्तेजना के सम्पर्क में आने वाला व्यक्ति पहले किसी परिस्थिति का प्रत्यक्षीकरण करता है, तब उसके अन्दर मानसिक परिवर्तन होते हैं जो शारीरिक परिवर्तनों को जन्म देते हैं और इस प्रकार वह कोई कार्य (व्यवहार) करता है। उदाहरण के लिए–बहुत दिनों के बाद एक माँ अपने बेटे को देखती है जिससे उसके अन्दर मानसिक परिवर्तन आते हैं और वात्सल्य का संवेग जन्म लेता है। यह वात्सल्य को संवेग प्यार, दुलार और आलिंगन जैसी शारीरिक क्रियाओं द्वारा व्यक्त होता है। सामान्य सिद्धान्त को निम्न प्रकार से भली प्रकार समझा जा सकता है – व्यक्ति को उत्तेजना से सम्पर्क → परिस्थिति का प्रत्यक्षीकरण → किन्तु जेम्स और लॉज उपर्युक्त प्रचलित विचारधारा के विपरीत अपनी अवधारणा प्रस्तुत करते हैं जिसके अनुसार व्यक्ति के विशिष्ट संवेगात्मक व्यवहार (अथवा शारीरिक परिवर्तनों) के फलस्वरूप ही अभीष्ट संवेगों की अनुभूति होती है। विलियम जेम्स ने अपने विचारों को इस प्रकार प्रकट किया है, मेरा सिद्धान्त है कि शारीरिक परिवर्तन उद्दीपक के प्रत्यक्षीकरण के तुरन्त बाद होता है और जैसे ही वे संवेग में होते हैं उनके प्रति हमारी अनुभूति बदल जाती है।’ संवेगात्मक व्यवहार के विषय में उनका स्पष्टीकरण इस प्रकार है, “हमें दुःख होता है क्योंकि हम रोते हैं, क्रोध उत्पन्न होता है क्योंकि हम मारते हैं, भय लगता है क्योंकि हमें काँपते हैं, हम इसलिए नहीं रोते, मारते या काँपते क्योंकि हमें दु:ख होता है, क्रोध उत्पन्न होता है या भय लगता है।” जेम्स के ही समान लाँज ने भी संवेगों की उत्पत्ति के लिए शारीरिक क्रियाओं को जिम्मेदार माना। लॉज के शब्दों में, “हमारे हर्षों और विषादों के लिए, हमारे आनन्दों और व्यथाओं के लिए, हमारे मानसिक जीवन के सम्पूर्ण संवेदनात्मक पहलू के लिए वाहिनी पेशी संस्थान उत्तरदायी है।” जेम्स-लाँज सिंद्धान्त का सार-संक्षेप यह है कि उद्दीपने के उपस्थित होने पर व्यक्ति में क्रियाओं का प्रारम्भ होता है और उसके शरीर में कुछ परिवर्तन दृष्टिगोचर होते हैं। इन क्रियाओं और परिवर्तनों का ज्ञान व्यक्ति के अन्दर संवेग पैदा करता है जिसकी उसे अनुभूति होती है। इसे निम्न प्रकार से भली प्रकारे समझ सकते हैं। जेम्स-लॉज सिद्धान्त के पक्ष में तर्क या प्रमाण स्पष्टत: उपर्युक्त वर्णित एवं जेम्स द्वारा पुष्ट किये गये तर्को तथा प्रमाणों के आधार पर ‘जेम्स-लॉज सिद्धान्त’ की यह अवधारणा सिद्ध होती है, “जब तक शारीरिक व्यवहार नहीं होगा, तब तक उससे सम्बन्धित संवैग की अनुभूति हमें नहीं होगी।” जेम्स-लाँज सिद्धान्त के विपक्ष में तर्क या आलोचना (1) शेरिंगटन (Sherington) ने एक कुत्ते पर प्रयोग करके जेम्स-लॉज के सिद्धान्त के विरुद्ध यह सिद्ध कर दिया कि शारीरिक परिवर्तनों के अभाव में भी संवेगात्मक प्रतिक्रियाएँ सम्भव हैं। शेरिंगटन द्वारा एक कुत्ते के गले की नाड़ियों को इस भॉति पृथक् कर दिया गया कि जिससे उसके आन्तरिक परिवर्तनों का सन्देश उसके मस्तिष्क को न मिले। कुत्ते के सम्मुख संवेगात्मक परिस्थितियाँ उत्पन्न करने पर पाया गया कि कुत्ते ने प्रत्येक संवेग को पूर्ण अभिव्यक्ति दी। इस प्रकार कुत्ता शारीरिक परिवर्तनों के बिना भी संवेगों का अनुभव कर रहा था। यह प्रमाण जेम्स-लाँज के सिद्धान्त का विरोध करता है। जेम्स-लाँज का सिद्धान्त मनोवैज्ञानिकों की कटु आलोचनाओं की परिधि में रहा और पूर्णत: मान्य न हो सका। स्वयं जेम्स को इन आलोचनाओं में वर्णित तथ्यों पर ध्यान देना पड़ा और उसने आगे चलकर अपनी विचारधारा में कुछ संशोधन भी किये जिसके परिणामस्वरूप सिद्धान्त का संशोधित रूप सामान्य विचारधारा के सदृश ही हो गया। फिर भी शारीरिक परिवर्तन तथा आंगिक क्रियाओं को महत्त्व प्रदान करने वाले इस सिद्धान्त का संवेग के क्षेत्र में अपूर्व योगदान रहा है। |
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संवेगावस्था में होने वाले मुख्य आन्तरिक शारीरिक परिवर्तन हैं(क) रक्तचाप तथा रक्त-रसायन में परिवर्तन(ख) हृदय तथा श्वास की गति में परिवर्तन(ग) रस-परिपाक में उल्लेखनीय परिवर्तन(घ) ये सभी परिवर्तन |
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Answer» सही विकल्प है (घ) ये सभी परिवर्तन |
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संवेग के जेम्स-लॉज तथा कैनन बार्ड सिद्धान्त में अन्तर बताइए। |
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Answer» मनोवैज्ञानिक अध्ययनों के अन्तर्गत मानवीय संवेगों की उत्पत्ति के विषय में मुख्य रूप से दो सिद्धान्तों को मान्यता प्राप्त है। ये सिद्धान्त हैं-जेम्स-लॉज का सिद्धान्त तथा कैनन-बार्ड का सिद्धान्त। ये दोनों सिद्धान्त भिन्न तथा परस्पर विरोधी हैं। जेम्स-लाँज सिद्धान्त के अनुसार संवेगों की अनुभूति शारीरिक परिवर्तनों के परिणामस्वरूप होती है। इस मान्यता के आधार पर कहा गया है कि यदि शारीरिक परिवर्तनों पर रोक लगा दी जाए तो संवेगों की अनुभूति भी नहीं होगी। इसके विपरीत या भिन्न रूप से कैनन-बार्ड सिद्धान्त के अनुसार संवेगों की अनुभूति बाहरी विषय-वस्तुओं के परिणामस्वरूप होती है तथा संवेग की। अनुभूति के बाद ही कुछ शारीरिक परिवर्तन तथा कुछ क्रियाएँ सम्पन्न होती हैं। कैनन-बार्ड सिद्धान्त ने स्पष्ट किया है कि संवेगों की उत्पत्ति का केन्द्र मस्तिष्क में स्थित हाइपोथैलेमस नामक भाग होता है। यही कारण है कि इस सिद्धान्त को हाइपोथैलेमस सिद्धान्त के रूप में भी जाना जाता है। |
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निम्नलिखित में से कौन-सा संवेग सरल संवेग है ?(क) प्रेम(ख) भय(ग) घृणा(घ) इनमें से कोई नहीं |
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Answer» सही विकल्प है (ख) भय |
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संवेगावस्था में निम्नलिखित में से कौन-सा गुण विद्यमान होता है?(क) चंचलता(ख) स्थायित्व(ग) मानसिक साम्य(घ) निष्क्रियता |
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Answer» सही विकल्प है (क) चंचलता |
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सुनामी लहरें क्या हैं? सुनामी लहरों के सम्बन्ध में महत्त्वपूर्ण तथ्यों का वर्णन कीजिए। |
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Answer» प्राकृतिक आपदाओं में समुद्री लहरें अर्थात् सुनामी सबसे अधिक विनाशकारी आपदा है। सुनामी जापानी मूल का शब्द है जो दो शब्दों सु (बन्दरगाह) और ‘नामी’ (लहर) से बना है अर्थात् सुनामी का अर्थ है—बन्दरगाह की ओर आने वाली समुद्री लहरें। इन लहरों की ऊँचाई 15 मीटर या उससे अधिक होती है । और ये तट के आस-पास की बस्तियों को तबाह कर देती हैं। सुनामी लहरों के कहर से पूरे विश्व में हजारों लोगों के काल-कवलित होने की घटनाएँ इतिहास में दर्ज हैं। भारत तथा उसके निकट समुद्री द्वीपीय देश श्रीलंका, थाईलैण्ड, मलेशिया, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार आदि में 26 दिसम्बर, 2004 को इसी प्रलयकारी सुनामी ने करोड़ों की सम्पत्ति का विनाश कर लाखों लोगों को काल का ग्रास बनाया था। समुद्री लहरों के सम्बन्ध में महत्त्वपूर्ण तथ्य ⦁ सुनामी लहरें अत्यधिक शक्तिशाली होती हैं। इनकी भयावह शक्ति से कई टन वजन की विशाल चट्टान, नौका तथा अन्य प्रकार का मलबा मुख्य भूमि में कई मीटर अन्दर पॅस जाता है। ⦁ तटवर्ती मैदानी इलाकों में सुनामी की गति 50 किमी प्रति घण्टा हो सकती है। ⦁ कुछ सुनामी लहरों की गति वृहदाकार होती है। तटीय क्षेत्रों में इनकी ऊँचाई 10 से 30 मीटर तक हो सकती है। ⦁ समुद्री लहरें एक के बाद एक आती रहती हैं। प्रायः पहली लहर इतनी विशाल नहीं होती। पहली लहर आने के बाद कई घण्टों तक आने वाली लहरों का खतरा बना रहता है। कभी-कभी समुद्री लहरों के कारण समुद्र तट का पानी घट जाता है और समुद्र तल नजर आने लगता है। इसे प्रकृति | की ओर से सुनामी आने की चेतावनी समझना चाहिए। ⦁ ये लहरें दिन या रात में कभी भी आ सकती हैं। जलधाराओं या समुद्रों में मिलने वाली नदियों में प्रवेश करने पर सुनामी लहरें उफान पैदा कर देती हैं। ⦁ भूकम्प के कारण उत्पन्न समुद्री लहरें कई सौ किलोमीटर प्रति घण्टा की रफ्तार से तट की ओर दौड़ती हैं और भूकम्प आने के कई घण्टों बाद ही तट तक पहुँचती हैं। ⦁ गहरे समुद्र में सुनामी लहरों की उत्पत्ति के समय समुद्र में कोई हलचल न होने के कारण ये दिखाई नहीं देतीं। उत्पत्ति के समय इन लहरों की लम्बाई 100 किमी तक होने के बावजूद बीच समुद्र में ये लहरें बहुत ऊँची नहीं उठतीं और कई सौ किमी की रफ्तार से दौड़ती हैं। |
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सूखा पड़ने के प्रतिकूल प्रभावों का उल्लेख कीजिए। |
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Answer» सूखा एक ऐसी आपदा है जिसके परिणामस्वरूप सम्बन्धित क्षेत्र में जल की कमी या अभाव हो जाता है। यह एक गम्भीर आपदा है तथा इसके विभिन्न प्रतिकूल प्रभाव क्रमशः स्पष्ट होने लगते हैं। सर्व-प्रथम सूखे का प्रभाव कृषि-उत्पादनों पर पड़ता है। फसलें सूखने लगती हैं तथा क्षेत्र में खाद्य-पदार्थों की कमी होने लगती है। इस स्थिति में अनाज आदि के दाम बढ़ जाते हैं तथा गरीब परिवारों की आर्थिक स्थिति दयनीय हो जाती है। सूखे का प्रतिकूल प्रभाव क्षेत्र के पशुओं पर भी पड़ता है क्योंकि उनको मर्याप्त मात्रा में चारा तथा जल उपलब्ध नहीं हो पाता। |
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शारीरिक परिवर्तन के परिणामस्वरूप ही संवेग की अनुभूति होती है। यह मान्यता किस सिद्धान्त की है?(क) कैनन-बार्ड सिद्धान्त(ख) जेम्स-लॉज सिद्धान्त(ग) लीपर द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्त(घ) इनमें से कोई नहीं |
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Answer» सही विकल्प है (ख) जेम्स-लाँज सिद्धान्त |
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किसी क्षेत्र में भयंकर बाढ़ आने के उपरान्त किस अन्य आपदा के आने की आशंका बढ़ जाती है? |
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Answer» किसी क्षेत्र में भयंकर बाढ़ आने के उपरान्त संक्रामक रोगों के फैलने की आशंका बढ़ जाती है। |
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बाढ़ से क्या आशय है? |
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Answer» उन क्षेत्रों का जलमग्न हो जाना बाढ़ कहलाता है, जिन क्षेत्रों में सामान्य दशाओं में जल-भराव नहीं होता। |
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सूखा नामक आपदा से आप क्या समझते हैं। इसके मुख्य कारणों तथा सूखा शमन की युक्तियों का उल्लेख कीजिए। |
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Answer» सूखा : एक आपदा सूखा के कारण 1. अत्यधिक चराई तथा जंगलों की कटाई : सूखा शमन की प्रमुख युक्तियाँ (साधन) 1. हरित पट्टियाँ : |
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भूकम्प से आप क्या समझते हैं? भूकम्प के मुख्य कारणों का उल्लेख कीजिए। भूकम्प से होने वाली क्षति से बचाव के उपायों का भी उल्लेख कीजिए। |
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Answer» भूकम्प : एक प्राकृतिक आपदा 1.भूकम्प मूल एवं भूकम्प केन्द्र : भूकम्प के कारण भूगर्भशास्त्रियों ने भूकम्प के निम्नलिखित कारण बताये हैं भूकम्प से भवन-सम्पत्ति की क्षति का बचाव 1. भवनों की आकृति : |
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बाढ़ से आप क्या समझते हैं? बाढ़ के मुख्य कारणों का उल्लेख कीजिए तथा बाढ़ शमन की प्रमुख युक्तियों का भी वर्णन कीजिए। |
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Answer» बाढ़ : एक प्राकृतिक आपदा बाढ़ के कारण 1. निरन्तर भारी वर्षा : बाढ़ शमन की प्रमुख युक्तियाँ 1. सीधा जलमार्ग : |
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व्यक्तित्व के मूल्यांकन के लिए इस्तेमाल होने वाली ‘व्यक्तित्व परिसूचियों का सामान्य परिचय दीजिए। |
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Answer» व्यक्तित्व के मूल्यांकन की एक प्रविधि व्यक्तित्व परिसूचियाँ भी हैं। व्यक्तित्व परिसूचियाँ (Personality Inventories) कथनों की लम्बी तालिकाएँ होती हैं, जिनके कथन व्यक्तित्व एवं जीवन के विविध पक्षों से सम्बन्धित होते हैं। परीक्षार्थी के सामने परिसूची रख दी जाती है, जिन पर वह हाँ / नहीं अथवा (√) या (×) के माध्यम से अपना मत प्रकट करता है। इन उत्तरों का विश्लेषण करके व्यक्तित्व को समझने का प्रयास किया जाता है। ये व्यक्तिगत एवं सामूहिक दोनों रूपों में प्रयुक्त होती हैं। ⦁ तुम्हारा घर तथा परिवार |
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सामाजिकता के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण प्रस्तुत कीजिए।यामनोवैज्ञानिक जंग के अनुसार दो प्रकार के व्यक्तित्व होते हैं। वे कौन-से प्रकार हैं? उनकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।याअन्तर्मुखी व्यक्तित्व से आपको क्या अभिप्राय है? |
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Answer» जंग (Jung) नामक मनोवैज्ञानिक ने समाज से सम्पर्क स्थापित करने की क्षमता पर आधारित करके व्यक्तित्व को दो मुख्य वर्गों में विभाजित किया है। 1. बहिर्मुखी : 2. अन्तर्मुखी अन्तर्मुखी व्यक्तियों की रुचि स्वयं में होती है। : |
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शारीरिक संरचना के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण प्रस्तुत कीजिए। |
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Answer» प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक क्रैशमर (Kretschmer) ने शारीरिक संरचना में भिन्नता को व्यक्तित्व के वर्गीकरण का आधार माना है। उसने 400 व्यक्तियों की शारीरिक रूपरेखा का अध्ययन किया तथा उनके व्यक्तित्व को दो समूहों में इस प्रकार बाँटा। 1. साइक्लॉयड : क्रैशमर ने इनके अलावा चार उप-समूह भी बताये हैं। 1. सुडौलकाय : |
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स्वभाव के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण प्रस्तुत कीजिए। |
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Answer» शैल्डन (Scheldon) ने स्वभाव के आधार पर मानव व्यक्तियों को तीन भागों में बाँटा है। ⦁ एण्डोमॉर्फिक (Endomorphic) गोलाकार शरीर वाले कोमल और देखने में मोटे व्यक्ति इस विभाग के अन्तर्गत आते हैं। ऐसे लोगों का व्यवहार आँतों की आन्तरिक पाचन-शक्ति पर निर्भर करता है। शैल्डन : ने उपर्युक्त तीन प्रकार के व्यक्तियों के स्वभाव का अध्ययन करके व्यक्तित्व के ये तीन वर्ग बताये हैं। |
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व्यक्तित्व मूल्यांकन के लिए अपनायी जाने वाली स्वतन्त्र साहचर्य विधि का सामान्य परिचय प्रस्तुत कीजिए। |
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Answer» व्यक्तित्व मूल्यांकन की स्वतन्त्र साहचर्य (Free Association) विधि में 50 से लेकर 100 तक उद्दीपक शब्दों की एक सूची प्रयोग की जाती है। परीक्षक परीक्षार्थी को सामने बैठाकर सूची का एक-एक शब्द उसके सामने बोलता है। परीक्षार्थी शब्द सुनकर जो कुछ उसके मन में आता है, कह देता है जिन्हें लिख लिया जाता है और उन्हीं के आधार पर व्यक्तित्व का मूल्यांकन किया जाता है। |
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थॉर्नडाइक द्वारा किया गया व्यक्तित्व का वर्गीकरण प्रस्तुत कीजिए। |
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Answer» थॉर्नडाइक (Thorndike) ने विचार – शक्ति के आधार पर व्यक्तित्व को निम्नलिखित वर्गों में बाँटा है। ⦁ सूक्ष्म विचारक – किसी कार्य को करने से पूर्व उसके पक्ष/विपक्ष में बारीकी से विचार करने वाले ऐसे व्यक्ति विज्ञान, गणित व तर्कशास्त्र में रुचि रखते हैं। |
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व्यक्तित्व मूल्यांकन की परिस्थिति परीक्षण विधि का सामान्य परिचय प्रस्तुत कीजिए। |
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Answer» व्यक्तित्व मूल्यांकन की एक विधि ‘परिस्थिति परीक्षण विधि’ (Situation Test Method) भी है। इसे वस्तु परीक्षण भी कहते हैं, जिसके अनुसार व्यक्ति के किसी गुण की माप करने के लिए उसे उससे सम्बन्धित किसी वास्तविक परिस्थिति में रखा जाता है तथा उसके व्यवहार के आधार पर गुण का मूल्यांकन किया जाता है। इस परीक्षण में परिस्थिति की स्वाभाविकता बनाये रखना आवश्यक है। |
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स्वप्न विश्लेषण विधि का सामान्य परिचय दीजिए। |
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Answer» स्वप्न विश्लेषण : |
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टरमन द्वारा किया गया व्यक्तित्व का वर्गीकरण प्रस्तुत कीजिए। |
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Answer» टरमन (Turman) : |
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वार्नर द्वारा किया गया व्यक्तित्व का वर्गीकरण प्रस्तुत कीजिए। |
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Answer» वार्नर (Warner) ने शारीरिक आधार पर व्यक्तित्व के दस विभिन्न रूप बताये हैं। ⦁ सामान्य |
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शिक्षा में ‘व्यक्तित्व परीक्षण के महत्त्व का विवेचन कीजिए। |
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Answer» शिक्षा में व्यक्तित्व परीक्षण का महत्त्व इस प्रकार है। ⦁ व्यक्तित्व परीक्षण के द्वारा व्यक्ति के व्यक्तिगत विशेषताओं की माप होती है। |
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किस विद्वान ने स्वभाव के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण किया है ? |
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Answer» शैल्डन ने स्वभाव के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण प्रस्तुत किया है। |
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किस विद्वान ने व्यक्तित्व का वर्गीकरण शारीरिक संरचना के आधार पर किया है ? |
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Answer» क्रैशमर नामक विद्वान् ने व्यक्तित्व का वर्गीकरण शारीरिक संरचना के आधार पर किया है। |
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व्यक्तित्व की एक स्पष्ट परिभाषा लिखिए। |
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Answer» “व्यक्तित्व व्यक्ति के उन मनो-शारीरिक संस्थानों का गत्यात्मक संगठन है जो वातावरण के साथ उसके अनूठे समायोजन को निर्धारित करता है।” [आलपोर्ट] |
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व्यक्तित्व मूल्यांकन की व्यावहारिक परीक्षण विधि का सामान्य परिचय प्रस्तुत कीजिए। |
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Answer» व्यक्तित्व मूल्यांकन की एक विधि व्यावहारिक परीक्षण विधि (Performance Test Method) भी है। इस विधि के अन्तर्गत व्यक्ति को वास्तविक परिस्थिति में ले जाकर उसके व्यवहार का अध्ययन किया जाता है। परीक्षार्थी को कुछ व्यावहारिक कार्य करने को दिये जाते हैं। इन कार्यों की परिलब्धियों तथा व्यवहार सम्बन्धी लक्षणों के आधार पर परीक्षार्थी के व्यक्तित्व से सम्बन्धित निष्कर्ष प्राप्त किये जाते हैं। मनोवैज्ञानिकों ने अनेक प्रकार की व्यावहारिक परीक्षण विधियाँ प्रस्तुत की हैं। एक उदाहरण इस प्रकार है-बच्चों के एक समूह को पुस्तकालय में ले जाकर स्वतन्त्र छोड़ दिया गया और उनके क्रियाकलापों का अध्ययन किया गया। वे वहाँ जो कुछ भी करते हैं, जिन पुस्तकों का अध्ययन करते हैं या जिस प्रकार की बातचीत करते हैं, उसे नोट करके उनके व्यक्तित्व का मूल्यांकन किया जाता है। |
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किस मनोवैज्ञानिक ने व्यक्तित्व का वर्गीकरण सामाजिकता के आधार पर किया है? |
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Answer» जंग नामक मनोवैज्ञानिक ने व्यक्तित्व का वर्गीकरण सामाजिकता के आधार पर किया है। |
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व्यक्तित्व के निर्माण में किन कारकों का योग रहता है ? |
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Answer» व्यक्तित्व के निर्माण में व्यक्ति के जन्मजात तथा अर्जित गुणों का योग रहता है। |
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