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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.

121301.

व्यक्तित्व परीक्षण की मुख्य वैयक्तिक विधियाँ कौन-कौन-सी ?

Answer»

व्यक्तित्व परीक्षण की मुख्य वैयक्तिक विधियाँ हैं

⦁    प्रश्नावली विधि
⦁    व्यक्ति इतिहास विधि
⦁    साक्षात्कार विधि तथा
⦁    आत्म-चरित्र-लेखन विधि।

121302.

व्यक्तित्व – परीक्षण की मुख्य विधियाँ कौन-कौन-सी हैं ?

Answer»

व्यक्तित्व परीक्षण की मुख्य विधियाँ हैं

⦁    वैयक्तिक विधियाँ
⦁    वस्तुनिष्ठ विधियाँ
⦁    मनोविश्लेषणात्मक विधियाँ तथा
⦁    प्रक्षेपण या प्रक्षेपी विधियाँ।

121303.

सन्तुलित व्यक्तित्व की चार मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

Answer»

सन्तुलित व्यक्तित्व की चार मुख्य विशेषताएँ हैं।

⦁    उत्तम शारीरिक स्वास्थ्य
⦁    अच्छा मानसिक स्वास्थ्य
⦁    संवेगात्मक सन्तुलन तथा
⦁    सामाजिकता

121304.

पीटी साहब की ‘शाबाश’ फ़ौज के तमगों-सी क्यों लगती थी? स्पष्ट कीजिए।

Answer»

पीटी साहब प्रीतमचंद बहुत कड़क इनसान थे। उन्हें किसी ने न हँसते देखा न किसी की प्रशंसा करते। सभी छात्र उनसे भयभीत रहते थे। वे मार-मारकर बच्चों की चमड़ी तक उधेड़ देते थे। छोटे-छोटे बच्चे यदि थोड़ा-सा भी अनुशासन भंग करते तो वे उन्हें कठोर सजा देते थे। ऐसे कठोर स्वभाव वाले पीटी साहब बच्चों के द्वारा गलती न करने पर अपनी चमकीली आँखें हल्के से झपकाते हुए उन्हें शाबाश कहते थे। उनकी यह शाबाश बच्चों को फौज़ के सारे तमगों को जीतने के समान लगती थी।

121305.

सुभाष बाबू के जुलूस का भार किस पर था?

Answer»

सुभाष बाबू के जुलूस का भार पूर्णोदास पर था जिन्होंने इस जुलूस का पूरा प्रबंध किया था उन्होंने जगह-जगह फोटो का | भी प्रबंध किया था और बाद में पुलिस द्वारा उन्हें पकड़ लिया गया था।

121306.

लेखक अपने छात्र जीवन में स्कूल से छुट्टयों में मिले काम को पूरा करने के लिए क्या-क्या योजनाएँ बनाया करता था और उसे पूरा न कर पाने की स्थिति में किसकी भाँति ‘बहादुर’ बनने की कल्पना किया करता था?

Answer»

लेखक अपने छात्र जीवन में स्कूल से छुट्टियों में मिले काम को पूरा करने के लिए तरह-तरह की योजनाएँ बनाया करता था। जैसे-हिसाब के मास्टर जी द्वारा दिए गए 200 सवालों को पूरा करने के लिए रोज़ दस सवाल निकाले जाने पर 20 दिन में पूरे हो जाएँगे, लेकिन खेल-कूद में छुट्टियाँ भागने लगतीं, तो मास्टर जी की पिटाई का डर सताने लगता। फिर लेखक रोज़ के 15 सवाल पूरे करने की योजना बनाता, तब उसे छुट्टियाँ भी बहुत कम लगने लगतीं और दिन बहुत छोटे लगने लगते तथा स्कूल का भय भी बढ़ने लगता। ऐसे में लेखक पिटाई से डरने के बावजूद भी उन लोगों की भाँति बहादुर बनने की कल्पना करने लगता, जो छुट्टियों को काम पूरा करने की बजाय मास्टर जी से पिटना ही अधिक बेहतर समझते थे।

121307.

जब से कानून भंग का काम शुरू हुआ है तब से आज तक इतनी बड़ी सभा ऐसे मैदान में नहीं की गई थी और यह सभा तो कहना चाहिए कि ओपन लड़ाई थी।’ यहाँ पर कौन से और किसके द्वारा लागू किए गए कानून को भंग करने की बात कही गई है? क्या कानून भंग करना उचित था? पाठ के संदर्भ में अपने विचार प्रकट कीजिए।

Answer»

जब पुलिस कमिश्नर का नोटिस निकला कि अमुक-अमुक धारा के अनुसार कोई सभा नहीं हो सकती और सभा में भाग लेने वालों को दोषी समझा जाएगा, तो कौंसिल की तरफ़ से भी नोटिस निकाला गया कि मोनुमेंट के नीचे ठीक चार बजकर चौबीस मिनट पर झंडा फहराया जाएगा तथा स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी। इस तरह से पुलिस कमिश्नर द्वारा सभा स्थगित करने जैसे लागू कानून को कौंसिल की तरफ़ से भंग किया गया था; जोकि उचित था, क्योंकि इसके बिना आज़ादी की आग प्रज्वलित न होती।

121308.

लेखक के अनुसार उन्हें स्कूल खुशी से भागे जाने की जगह न लगने पर भी कब और क्यों उन्हें स्कूल जाना अच्छा लगने लगा?

Answer»

‘सपनों के-से दिन’ पाठ के लेखक गुरदयाल सिंह के अनुसार उन्हें तथा उनके साथियों को बचपन में स्कूल जाना अच्छा नहीं लगता था। चौथी कक्षा तक कुछ लड़के को छोड़कर अन्य सभी साथी रोते-चिल्लाते हुए स्कूल जाया करते थे। स्कूल में धोबी पिटाई तथा मास्टरों की डाँट-फटकार के कारण स्कूल उन्हें एक नीरस व भयानक स्थान प्रतीत होता था, जिसके प्रति उनके मन में एक भय-सी बैठ गया था। 

इसके बावजूद कई बार ऐसी स्थितियाँ आती थीं जब उन्हें स्कूल जाना अच्छा भी लगता था। यह मौका तब आता था जब उनके पीटी सर स्काउटिंग का अभ्यास करवाते थे। वे पढ़ाई-लिखाई के स्थान पर लड़कों के हाथों में नीली-पीली झंडियाँ पकड़ा देते थे, वे वन-टू-श्री करके इन झंड़ियों को ऊपर-नीचे करवाते थे। हवा में लहराती यह झंडिया बड़ी अच्छी लगती थीं। अच्छा काम करने पर पीटी सर की शाबाशी भी मिलती थी, तब यही कठोर पीटी सर बच्चों को बड़े अच्छे लगते थे। ऐसे अवसर पर स्कूल आना अच्छा व सुखद प्रतीत होता था।

121309.

किस विधि से व्यक्ति में सामाजिक अन्तर्सम्बन्धों को मापा जाता है?

Answer»

समाजमिति विधि द्वारा व्यक्ति में सामाजिक अन्तर्सम्बन्धों को मापा जाता है।”

121310.

रोर्णा स्याही धब्बा परीक्षण किस प्रकार की विधि है ?

Answer»

रोर्णा स्याही धब्बा परीक्षण’ एक प्रक्षेपण विधि है।

121311.

सर्वप्रथम ‘स्याही धब्बा परीक्षण किसने किया था ?

Answer»

सर्वप्रथम ‘स्याही धब्बा परीक्षण स्विट्जरलैण्ड के प्रसिद्ध मनोविकृति चिकित्सक हरमन रोर्शा ने किया था।

121312.

बचपन की यादें मन को गुदगुदाने वाली होती हैं विशेषकर स्कूली दिनों की। अपने अब तक के स्कूली जीवन की खट्टी-मीठी यादों को लिखिए।

Answer»

बचपन की और विशेषकर स्कूली जीवन की खट्टी-मीठी यादें मन को गुदगुदाती रहती हैं। ये यादें सभी की निजी होती हैं। मेरी भी कुछ ऐसी यादें मेरे साथ हैं। मैं जब नवीं कक्षा में पढ़ती थी मेरी माँ किसी कारणवश बाहर गई थीं। इसलिए मैं बिना गृहकार्य किए और बिना लंच लिए स्कूल पहुँची। पहले तो अध्यापिका से खूब डॉट पड़ी, फिर आधी छुट्टी में मुझे अध्यापिका ने खिड़की के पास खड़ा पाया तो डॉट लगा दी। अगले पीरियड में मुझे बहुत बेचैनी हुई कि अध्यापिका मेरे बारे में क्या सोच रही होंगी, मैं अध्यापिका कक्ष में उनसे मिलने गई। उन्हें देखते ही मेरा रोना छूट गया। उन्होंने रोने का कारण पूछा तो मैंने रोते-रोते उन्हें कारण बताया कि मेरी माता जी घर पर नहीं हैं। उन्होंने मुझे सांत्वना दी फिर मुझे अपने डिब्बे से खाना खिलाया। आज भी मैं इस घटना को याद करती हूँ तो अध्यापिका के प्रति भाव-विभोर हो उठती हूँ।

121313.

बाल सम्प्रत्यय परीक्षण (c.A.T.) का सम्बन्ध किस परीक्षण से है?

Answer»

बाल सम्प्रत्यय परीक्षण (C.A.T) का सम्बन्ध व्यक्तित्व-परीक्षण से है।

121314.

विद्यार्थियों को अनुशासन में रखने के लिए पाठ में अपनाई गई युक्तियों और वर्तमान में स्वीकृत मान्यताओं के संबंध में अपने विचार प्रकट कीजिए।

Answer»

विद्यार्थियों को अनुशासन में रखने के लिए पाठ में अपनाई युक्तियाँ इस प्रकार से हैं—पीटी साहब बिल्ला मार-मारकर बच्चों की चमड़ी तक उधेड़ देते थे। तीसरी-चौथी कक्षाओं के बच्चों से थोड़ा-सा भी अनुशासन भंग हो जाता, तो उन्हें कठोर सज़ा मिलती थी ताकि वे विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन की नींव दृढ़ बना सकें। इसके साथ-साथ विद्यार्थियों को प्रोत्साहित तथा उत्साहित करने के लिए उन्हें ‘शाबाशी’ भी दी जाती थी। लेकिन वर्तमान में स्वीकृत मान्यताएँ इसके विपरीत हैं। शिक्षकों को आज विद्यार्थियों को पीटने का अधिकार नहीं है इसलिए विद्यार्थी निडर होकर अनुशासनहीनता की ओर बढ़ रहे हैं, क्योंकि आज पहले की भाँति विद्यार्थी शिक्षकों से डरते नहीं हैं। इसके लिए विद्यालय और माता-पिता दोनों जिम्मेवार हैं। बच्चों में अनुशासन का विकास करने के लिए उन्हें शारीरिक व मानासिक यातना देना उचित नहीं। उन्हें प्रेमपूर्वक नैतिक मूल्य सिखाए जाने चाहिए, जिनसे उनमें स्वानुशासन का विकास हो सके।

121315.

लेखक ने ‘सस्ता सौदा’ किसे कहा है? और क्यों?

Answer»

लेखक ने सस्ता सौदा’ उस समय के मास्टरों द्वारा की जाने वाली पिटाई को कहा है। इसका कारण यह है कि उस समय के अध्यापक गरमी की छुट्टियों के लिए दो सौ सवाल दिया करते थे। बच्चे इसके बारे में तब सोचते जब उनकी छुट्टियाँ पंद्रह-बीस बचती। वे सोचते थे कि एक दिन में दस सवाल करने पर भी बीस दिन में पूरा हो जाएगा। दस दिन छुट्टियाँ और बीतने पर वे बीस सवाल प्रतिदिन पूरा करने की बात सोचते पर काम न करते। अंत में मास्टरों की पिटाई को सस्ता सौदा समझकर उसे ही स्वीकार कर लेते थे।

121316.

पाठ में वर्णित घटनाओं के आधार पर पीटी सर की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

Answer»

पाठ के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि पीटी सर प्रीतमचंद बहुत सरल अध्यापक थे। उनके व्यक्तित्व की विशेषताएँ इस प्रकार हैं 

1. बाह्य व्यक्तित्व-पीटी सर अर्थात् प्रीतमचंद ठिगने कद के थे, उनका शरीर दुबला-पतला पर गठीला था। उनका चेहरा चेचक के दागों से भरा था। उनकी आँखें बाज की तरह तेज़ थीं। वे खाकी वर्दी, चमड़े के पंजों वाले बूट पहनते थे। उनके बूटों की ऊँची एड़ियों के नीचे खुरियाँ लगी रहती थीं। बूटों के अगले हिस्से में पंजों के नीचे मोटी सिरों वाले कील ठुके रहते थे। 

2. आंतरिक व्यक्तित्व

कुशल अध्यापक-प्रीतमचंद एक कुशल अध्यापक थे। वे चौथी श्रेणी के बच्चों को फ़ारसी पढ़ाया करते थे। वे मौखिक अभिव्यक्ति एवं याद करने पर बल दिया करते थे। वे छात्रों को दिन-रात एक करके पढ़ाई करने की शिक्षा दिया करते थे।

कुशल प्रशिक्षक-वे कुशल प्रशिक्षक थे। वे छात्रों को स्काउट और गाइड की ट्रेनिंग दिया करते थे वे छात्रों से विभिन्न रंग की झंडियाँ पकड़ाकर हाथ ऊपर-नीचे करके अच्छी ट्रेनिंग दिया करते थे। उनके इस प्रशिक्षण कार्य से छात्र सदा प्रसन्न रहा करते थे। वे उस पर छात्रों द्वारा सही काम करने पर शाबाशी भी देते थे।

कठोर अनुशासन प्रिय-प्रीतमचंद अनुशासन प्रिय होने के कारण कठोर अनुशासन बनाए रखते थे। वे छात्रों को भयभीत रखते थे। यदि कोई लड़का अपना सिर इधर-उधर हिला लेता था तो वे उस पर बाघ की तरह झपट पड़ते थे। प्रार्थना करते समय भी वह अनुशासनहीन छात्रों को दंडित करते थे।

कोमल हृदयी-प्रीतम चंद बाहर से कठोर किंतु अंदर से कोमल थे। उन्होंने अपने घर में तोते पाल रखे थे, वे उससे बात करते थे और उसे भीगे हुए बादाम भी खिलाया करते थे। इसके अलावा वे छात्रों द्वारा सही काम किए जाने पर उन्हें शाबाशी भी देते थे।

121317.

गरमी की छुट्टियों के पहले और आखिरी दिनों में लेखक ने क्या अंतर बताया है?

Answer»

लेखक ने बताया है कि तब गरमी की छुट्टियाँ डेढ़-दो महीने की हुआ करती थीं। छुट्टियों के शुरू के दो-तीन सप्ताह तक बच्चे खूब खेल-कूद किया करते थे। वे सारा समय खेलने में बिताया करते थे। छुट्टियों के आखिरी पंद्रह-बीस दिनों में अध्यापकों द्वारा दिए गए कार्य को पूरा करने का हिसाब लगाते थे और कार्य पूरा करने की योजना बनाते हुए उन छुट्टियों को भी खेलकूद में बिता देते थे।

121318.

लेखक के बचपन में बच्चों के न पढ़ पाने के लिए अभिभावक अधिक जिम्मेदार थे। इससे आप कितना सहमत हैं?

Answer»

लेखक के बचपन में अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने का प्रयास नहीं करते थे। परचूनिये और आढ़तीये जैसे कारोबारी भी अध्यापक से कहते थे कि मास्टर जी, हमने इसे कौन-सा तहसीलदार लगवाना है। थोड़ा बड़ा हो जाए तो पंडत घनश्याम दास से मुनीमी का काम सिखा देंगे। स्कूल में अभी तक यह कुछ भी नहीं सीख पाया है। इससे स्पष्ट है कि बच्चों की पढ़ाई न हो पाने के लिए अभिभावक अधिक जिम्मेदार थे।

121319.

हेडमास्टर ने प्रीतमचंद के विरुद्ध क्या कार्यवाही की?

Answer»

हेडमास्टर शर्मा जी ने देखा कि प्रीतमचंद ने छात्रों को मुरगा बनवाकर शारीरिक दंड दे रहे हैं तो वे क्रोधित हो उठे। उन्होंने इसे तुरंत रोकने का आदेश दिया। उन्होंने प्रीतमचंद के निलंबन का आदेश रियासत की राजधानी नाभा भेज दिया। वहाँ के शिक्षा विभाग के डायरेक्टर हरजीलाल के आदेश की मंजूरी मिलना आवश्यक था। तब तक प्रीतमचंद स्कूल नहीं आ सकते थे।

121320.

प्रायः अभिभावक बच्चों को खेलकूद में ज्यादा रुचि लेने पर रोकते हैं और समय बरबाद न करने की नसीहत देते हैं। बताइए 1. खेल आपके लिए क्यों जरूरी हैं? 2. आप कौन से ऐसे नियम-कायदों को अपनाएँगे जिससे अभिभावकों को आपके खेल पर आपत्ति न हो ?

Answer»

1. खेल प्रत्येक उम्र के बच्चे के लिए जरूरी हैं। खेल की बच्चे के शारीरिक-मानसिक विकास में अहम भूमिका होती है। खेल बच्चे की सोच को विस्तृत तथा विकसित करते हैं। इनसे बच्चे में सामूहिक रूप से काम करने की भावना का संचार होता है। बच्चे में प्रतिस्पर्धा तथा प्रतियोगिता हेतु आगे बढ़ने की होड़ और दौड़ में भाग लेने की इच्छा पैदा होती है। खेलों में भाग लेने से बच्चे को अपना तथा अपने देश का नाम रोशन करने का सुअवसर प्राप्त होता है। 

2. मैं अपने अभिभावकों के लिए वही नियम और कायदों को अपनाऊँगा, जिनसे उनकी भावनाओं को ठेस न पहुँचे इसलिए मैं समय पर खेलूंगा और समय पर खेलकर वापस आऊँगा। खेलने के साथ पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान दूंगा। मैं खेलने में उतना ही समय खर्च करूँगा, जितना आवश्यक होगा। अर्थात् मैं केवल वही नियम और कायदे अपनाऊँगा, जिनसे मेरे अभिभावकों को सुख-शांति मिलेगी।

121321.

खुला चैलेंज देकर ऐसी सभा पहले नहीं की गई थी।

Answer»

प्रस्तुत पंक्ति का यह आशय है कि जब 26 जनवरी सन् 1931 के दिन कलकत्ता में स्थान-स्थान पर झंडोत्सव मनाए गए तो ब्रिटिश सरकार को यह बात मान्य नहीं थी इसलिए उन्होंने भारतीयों पर अनेक जुल्म किए। कलकत्ता के इतिहास में यह पहली बार हुआ था कि पुलिस कमिश्नर दूद्वारा निकाले गए नोटिस के बावजूद भी कौंसिल द्वारा उन्हें खुली चुनौती दी गई कि न केवल एकजुट होकर झंडा फहराया जाएगा अपितु स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा भी पढ़ी जाएगी। पुलिस द्वारा यह नोटिस भी जारी किया गया कि इन सभाओं में भाग लेनेवालों को दोषी समझा जाएगा तब भी बड़ी संख्या में न केवल पुरुषों ने बल्कि स्त्रियों ने भी जुलूस में भाग लिया और सरकार द्वारा बनाए गए कानून को भी भंग किया। आजादी के इतिहास में ऐसी खुली चुनौतियाँ देकर पहले कभी कोई सभा आयोजित नहीं हुई थी।

121322.

लेखक और उसके साथी प्रीतमचंद की दी गई सज़ा वाला कौन-सा दिन आजीवन नहीं भूल सके?

Answer»

मास्टर प्रीतमचंद बच्चों को चौथी कक्षा में फ़ारसी पढ़ाते थे। बच्चों को फ़ारसी अंग्रेज़ी से भी कठिन लगती थी। एक सप्ताह बाद ही प्रीतमचंद ने बच्चों को शब्द रूप याद करके आने और उसे जबानी सुनाने को कहा पर कठिन होने के कारण कोई भी लड़का न सुना सका। यह देख प्रीतमचंद को गुस्सा आया और उन्होंने बच्चों को मुरगा बना दिया। उनके द्वारा लड़कों को। मुरगा बनाने का ढंग बड़ा ही कष्टदायी होता था। उनके द्वारा दिया गया यह शारीरिक दंड बच्चे आजीवन नहीं भूल सके।

121323.

‘बच्चों की यह स्वाभाविक विशेषता होती है कि खेल ही उन्हें सबसे अच्छा लगता है।’ सपनों के-से दिन नामक पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

Answer»

‘सपनों के-से दिन’ नामक पाठ से ज्ञात होता है कि लेखक और उसके बचपन के साथी मिल-जुलकर खेलते थे। खेल खेल में जब उन्हें चोट लग जाती थी और धूल एवं रक्त जमे कई जगह से छिले पाँव लेकर घर जाते थे तो सभी की माँ-बहनें और बाप उन पर तरस खाने की जगह बुरी तरह से पिटाई करते थे, फिर भी वे अगले दिन फिर खेलने चले आते थे। इससे स्पष्ट होता है कि बच्चों को खेलना सबसे अधिक अच्छा लगता है।

121324.

स्काउट परेड करते समय लेखक अपने को महत्त्वपूर्ण ‘आदमी’ फ़ौजी जवान क्यों समझने लगता था?

Answer»

लेखक गुरदयाल सिंह फौज़ी बनना चाहता था। उसने फुल बूट और शानदार वर्दी पहने लेफ्ट-राइट करते फौज़ी जवानों की परेड को देखा था। इसी कारण स्काउट परेड के समय धोबी की धुली वर्दी, पालिश किए बूट तथा जुराबों को पहन वह स्वयं को फौज़ी जवान ही समझता था। स्काउट परेड में जब पीटी मास्टर लेफ्ट राइट की आवाज या मुँह की सीटी बजाकर मार्च करवाया करते थे तथा उनके राइट टर्न या लेफ्ट टर्न या अबाऊट टर्न कहने पर लेखक अपने छोटे-छोटे बूटों की एड़ियों पर दाएँ-बाएँ या एक कदम पीछे मुड़कर बूटों की ठक-ठक की आवाज़ करते हुए स्वयं को विद्यार्थी न समझकर एक महत्त्वपूर्ण फौजी समझने लगता था।

121325.

आज तो जो कुछ हुआ वह अपूर्व हुआ है। बंगाल के नाम या कलकत्ता के नाम पर कलंक था कि यहाँ काम नहीं हो रहा है वह आज बहुत अंश में धुल गया।

Answer»

इसका आशय है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए इतना बड़ा आंदोलन बंगाल या कलकत्ता में नहीं हुआ था। यहाँ के विषय में लोगों के मन में जोश नहीं था, यह बात कलकत्ता के माथे पर कलंक थी। लेकिन इसे 26 जनवरी, 1931 को हुई स्वतंत्रता संग्राम की पुनरावृत्ति ने धो दिया। इस संग्राम में लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया था और लोग जेल भी गए। लोगों के अंदर देशभक्ति की भावना का संचार हो चुका था।

121326.

निम्नलिखित वाक्य संरचनाओं को ध्यान से पढ़िए और समझिए कि जाना, रहना और चुकना क्रियाओं का प्रयोग किस प्रकार किया गया है।(क) 1. कई मकान सजाए गए थे। 2. कलकत्ते के प्रत्येक भाग में झंडे लगाए गए थे। (ख) 1. बड़े बाज़ार के प्रायः मकानों पर राष्ट्रीय झंडा फहरा रहा था। 2. कितनी ही लारियाँ शहर में घुमाई जा रही थीं। 3. पुलिस भी अपनी पूरी ताकत से शहर में गश्त देकर प्रदर्शन कर रही थीं। (ग) 1. सुभाष बाबू के जुलूस का भार पूर्णोदास पर था, वह प्रबंध कर चुका था। 2. पुलिस कमिश्नर का नोटिस निकल चुका था।

Answer»

उपरिलिखित वाक्यों को पढ़ने और समझने से पता चलता है कि इनमें ‘जाना’, ‘रहना’ और ‘चुकना’ क्रियाओं का प्रयोग मुख्य क्रिया के रूप में न करके रंजक क्रिया के रूप में किया गया है। इससे इनकी मुख्य क्रियाएँ संयुक्त क्रिया बन गई हैं।

121327.

रचना की दृष्टि से वाक्य तीन प्रकार के होते हैं- सरल वाक्य – सरल वाक्य में कर्ता, कर्म, पूरक, क्रिया और क्रिया विशेषण घटकों या इनमें से कुछ घटकों का योग होता है। स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त होने वाला उपवाक्य ही सरल वाक्य है। उदाहरण- लोग टोलियाँ बनाकर मैदान में घूमने लगे। संयुक्त वाक्य – जिस वाक्य में दो या दो से अधिक स्वतंत्र या मुख्य उपवाक्य समानाधिकरण योजक से जुड़े हों, वह संयुक्त वाक्य कहलाता है। योजक शब्द-और, परंतु, इसलिए आदि। उदाहरण- मोनुमेंट के नीचे झंडा फहराया जाएगा और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी। मिश्र वाक्य – वह वाक्य जिसमें एक प्रधान उपवाक्य हो और एक या अधिक आश्रित उपवाक्य हों, मिश्र वाक्य कहलाता है। उदाहरण- जब अविनाश बाबू ने झंडा गाड़ा तब पुलिस ने उनको पकड़ लिया। निम्नलिखित वाक्यों को सरल वाक्यों में बदलिए- I. (क) दो सौ आदमियों का जुलूस लाल बाजार गया और वहाँ पर गिरफ्तार हो गया। (ख) मैदान में हजारों आदमियों की भीड़ होने लगी और लोग टोलियाँ बना-बनाकर मैदान में घूमने लगे। (ग) सुभाष बाबू को पकड़ लिया गया और गाड़ी में बैठाकर लाल बाजार लॉकअप में भेज दिया गया। II. बड़े भाई साहब’ पाठ में से भी दो-दो सरल, संयुक्त और मिश्र वाक्य छाँटकर लिखिए।

Answer»

I. (क) दो सौ आदमियों का जुलूस लाल बाज़ार जाकर गिरफ्तार हो गया। 

(ख) मैदान में हजारों आदमियों की भीड़ टोलियाँ बना-बनाकर घूमने लगी। 

(ग) सुभाष बाबू को पकड़ कर गाड़ी में बिठाकर लालबाज़ार लॉकअप में भेज दिया गया। 

II. सरल वाक्य- 

(क) वह स्वभाव से बड़े अध्ययनशील थे। 

(ख) उनकी रचनाओं को समझना मेरे लिए छोटा मुँह बड़ी बात थी। 

संयुक्त वाक्य- 

(क) मैं पास हो गया और दरजे में प्रथम आया। 

(ख) भाई साहब ने मानो तलवार खींच ली और मुझ पर टूट पड़े। 

मिश्र वाक्य- 

(क) मेरी शालीनता इसी में थी कि उनके हुक्म को कानून समझें। 

(ख) मैं इरादा करता कि आगे से खूब जी लगाकर पढ़ेगा।

121328.

जमना लाल बजाज, महात्मा गांधी के पाँचवें पुत्र के रूप में जाने जाते हैं, क्यों? अध्यापक से जानकारी प्राप्त करें।

Answer»

जमनालाल बजाज, बजाज उद्योग घराने के संस्थापक थे। कभी वे राजस्थान के प्रसिद्ध व्यापारी हुआ करते थे। ये अपनी व्यावसायिक एवं प्रशासनिक कुशलता से अंग्रेजों के प्रिय बन गए। इन्हें राय बहादुर की उपाधि देकर अंग्रेजों ने सम्मानित किया। जमनालाल को जब गांधी जी का सान्निध्य मिला तो वे गांधी जी से अत्यंत प्रभावित हुए और गांधी जी के शिष्य बन गए। इससे उनका स्वाभिमान जाग उठा और उन्होंने अंग्रेजों का सम्मान लौटाया ही नहीं बल्कि गांधी जी अनुयायी भी बन गए। उनके द्वारा वर्धा में सेवा संघ की स्थापना की गई। वे गांधी जी के सिद्धांत सत्य और अहिंसा का पालन करते थे। अपने सिद्धांत के प्रति ऐसा समर्पण देख गांधी जी उन्हें अपना पुत्र मानने लगे। कालांतर में जमनालाल को गांधी जी के पाँचवें पुत्र के रूप में जाना जाने लगा।

121329.

डायरी-यह गद्य की एक विधा है। इसमें दैनिक जीवन में होने वाली घटनाओं, अनुभवों को वर्णित किया जाता है। आप भी अपनी दैनिक जीवन से संबंधित घटनाओं को डायरी में लिखने का अभ्यास करें।

Answer»

09 जनवरी, 2016 

शनिवार 

जनवरी महीने का पूर्वार्ध बीतने को है। लगता है इस बार दिल्ली से सरदी रूठी ही रहेगी। सरदी का बहाना करके भी बिस्तर में देर तक नहीं पड़ा रह सकता। अरे! हाँ, याद आया आज तो हमें माता-पिता के साथ चिड़ियाघर देखने जाना है। उठकर जल्दी तैयार होता हूँ। अरे! यह क्या पिता जी कार साफ़ करा रहे हैं। लगता है, वे कार से चिड़ियाघर जाना चाहते हैं। लगता है कि उन्हें याद नहीं कि आज तो दिल्ली की सड़कों पर आड (विषम) नंबर की गाड़ियाँ ही चलेंगी। हमारी कार तो इवन (सम) नंबर की है। पिता जी, उसमें समान रखवाएँ, इससे पहले यह याद दिलाता हूँ। उनसे कहता हूँ कि या तो मेट्रो से चलें या कल रविवार को। आज तो इवन नंबर की कार में चलना ठीक न रहेगा, है न। 

मोहित

121330.

नीचे दिए गए शब्दों की संरचना पर ध्यान दीजिए-विद्या + अर्थी – विद्यार्थी‘विद्या’ शब्द का अंतिम स्वर ‘आ’ और दूसरे शब्द ‘अर्थी’ की प्रथम स्वर ध्वनि ‘अ’ जब मिलते हैं तो वे मिलकर दीर्घ स्वर ‘आ’ में बदल जाते हैं। यह स्वर संधि है जो संधि का ही एक प्रकार है। संधि शब्द का अर्थ है- जोड़ना। जब दो शब्द पास-पास आते हैं तो पहले शब्द की अंतिम ध्वनि बाद में आने वाले शब्द की पहली ध्वनि से मिलकर उसे प्रभावित करती है। ध्वनि परिवर्तन की इस प्रक्रिया को संधि कहते हैं। संधि तीन प्रकार की होती है-स्वर संधि, व्यंजन संधि, विसर्ग संधि। जब संधि युक्त पदों को अलग-अलग किया जाता है तो उसे संधि विच्छेद कहते हैं; जैसे- विद्यालय – विद्या + आलय नीचे दिए गए शब्दों की संधि कीजिए- 1. श्रद्धा + आनंद = …. 2. प्रति + एक = ……. 3. पुरुष + उत्तम = ……… 4. झंडा + उत्सव = …….. 5. पुनः + आवृत्ति = ……… 6. ज्योतिः + मय = …….

Answer»

1. श्रद्धा + आनंद = श्रद्धानंद 

2. प्रति + एक = प्रत्येक 

3. पुरुष + उत्तम = पुरुषोत्तम 

4. झंडा + उत्सव = झंडोत्सव 

5. पुनः + आवृत्ति = पुनरावृत्ति 

6. ज्योतिः + मय = ज्योतिर्मय

121331.

पुलिस कमिश्नर द्वारा निकाली गई नोटिस का कथ्य स्पष्ट करते हुए बताइए कि यह नोटिस क्यों निकाली गई होगी?

Answer»

पुलिस कमिश्नर द्वारा निकाली गई नोटिस का कथ्य यह था कि अमुक-अमुक धारा के अंतर्गत सभा नहीं हो सकती है। यदि आप भाग लेंगे तो दोषी समझे जाएँगे। यह नोटिस इसलिए निकाली गई होगी ताकि इस दिन झंडा फहराने और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा लेने के कार्यक्रम को विफल बनाया जा सके।

121332.

तारा सुंदरी पार्क में पुलिस ने लोगों को रोकने के लिए क्या किया?

Answer»

तारा सुंदरी पार्क में बड़ा बाजार कांग्रेस कमेटी के युद्ध मंत्री हरिश्चंद सिंह को झंडा फहराने भीतर न जाने दिया। पुलिस ने वहाँ काफ़ी मारपीट की जिसमें दो-चार आदमियों के सिर फट गए। गुजराती सेविका संघ की ओर से निकाले गए जुलूस में शामिल लड़कियों को गिरफ्तार कर उन्हें रोकने का प्रयास किया गया।

121333.

26 जनवरी, 1931 को पार्को और मैदानों में पुलिस ही पुलिस दिखती थी, क्यों?

Answer»

26 जनवरी, 1931 को कोलकाता में स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए क्रांतिकारियों और देशभक्तों द्वारा स्वतंत्रता दिवस मनाने का निर्णय लिया गया। इसके अंतर्गत ध्वजारोहण और प्रतिज्ञा लेना तय किया गया था। इसे रोकने के लिए पार्क और मैदान में पुलिस ही पुलिस दिखती थी।

121334.

इस पाठ से हमें क्या सीख मिलती है?

Answer»

इस पाठ से वह सीख मिलती है कि बूढो का कहना माननो चाहिए।

121335.

बूढे कबूतर का मित्र कौन था?

Answer»

बूढे कबूतर का मित्र चूहा था।

121336.

‘डायरी का एक पन्ना’ नामक पाठ के माध्यम से क्या संदेश दिया गया है?

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‘डायरी का एक पन्ना’ नामक पाठ स्वतंत्रता का मूल्य समझाने एवं देश प्रेम व राष्ट्रभक्ति को जगाने तथा प्रगाढ़ करने का संदेश छिपाए हुए है। पाठ में सन् 1931 के गुलाम भारत के लोगों की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत की गई है कि किस प्रकार निहत्थे किंतु संगठित भारतवासियों के मन में स्वतंत्रता पाने की भावना बलवती हुई और इसे पाने के लिए लोगों ने न लाठियों की चिंता की और न जेल जाने की। वे आत्मोत्सर्ग के लिए तैयार रहते थे। यह पाठ हमें अपनी स्वतंत्रता की रक्षा । करने की जहाँ प्रेरणा देता है, वहीं यह संदेश भी देता है कि संगठित होकर काम करने से कोई काम असाध्य नहीं रह जाता है।

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26 जनवरी, 1931 को सुभाषचंद्र ४ का एक नया रूप एवं सशक्त नेतृत्व देखने को मिला। स्पष्ट कीजिए।

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26 जनवरी, 1931 को कोलकाता में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाना था। गतवर्ष इसी दिन पूर्ण स्वराज्य पाने के लिए झंडा तो फहराया गया था पर इसका आयोजन भव्य न बन सका था। आज झंडा फहराने और प्रतिज्ञा लेने के इस कार्यक्रम में सुभाषचंद्र के क्रांतिकारी रूप का दर्शन हो रहा था। वे जुलूस के साथ असीम उत्साह के साथ मोनुमेंट की ओर बढ़ रहे थे। उन्हें रोकने के लिए पुलिस ने लाठियाँ भाँजनी शुरू कर दी थी फिर भी वे चोट की परवाह किए बिना निडरता से आगे ही आगे बढ़ते जा रहे थे और ज़ोर-ज़ोर से ‘वंदे मातरम्’ बोलते जा रहे थे। पुलिस की लाठियाँ उन पर भी पड़ी। 

यह देख ज्योतिर्मय गांगुली ने उन्हें पुलिस से दूर अपनी ओर आने के लिए कहा पर सुभाषचंद्र ने कहा, आगे बढ़ना है। उनका यह कथन जुलूस को भी प्रेरित कर रहा था।

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पुलिस जिस समय मोनुमेंट की मोटियाँ न हो थी, उस समय दूसरी ओर महिलाएँ किस काम में लगी थी ?

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मोनुमेंट के नीचे पुलिस जिस समय लोगों पर लाठियाँ भाँज रही थी और लोग लहूलुहान हो रहे थे उसी समय दूसरी ओर महिलाएँ मोनुमेंट की सीढ़ियों पर चढ़कर झंडा फहरा रही थी और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ रही थी। ऐसा करके वे झंडा दिवस कार्यक्रम को सफल एवं संपन्न करने में जुटी थी।

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वृजलाल गोयनका कौन थे? झंडा दिवस को सफल बनाने में उनकी भूमिका पर प्रकाश डालिए।

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वृजलाल गोयनका स्वतंत्रता सेनानी थे, जो कई दिनों से लेखक के साथ काम कर रहे थे। वे दमदम जेल में भी लेखक के साथ थे। वे झंडा दिवस 26 जनवरी, 1931 को सभास्थल की ओर जाते हुए पकड़े गए। पहले तो वे झंडा लेकर ‘वंदे मातरम्’ बोलते हुए इतनी तेज गति से भागे कि अपने आप गिर गए। एक अंग्रेज घुड़सवार ने उन्हें लाठी मारी और पकड़ा परंतु थोड़ी दूर जाने के बाद छोड़ दिया। इस पर वे स्त्रियों के झुंड में शामिल हो गए, तब पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया। तब वे दो सौ आदमियों का जुलूस लेकर लालबाजार गए जहाँ उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

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26 जनवरी, 1937 को कोलकाता के स्तों पर उत्साह और नवीनता देखते ही बनती थी। इसके कारणों एवं नएपन का वर्णन कीजिए।

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26 जनवरी, 1931 को कोलकाता में स्वतंत्रता दिवस मनाये जाने की पुनरावृत्ति होनी थी। इस दृष्टि से इस महत्त्वपूर्ण दिन को अत्यंत हर्षोल्लास से मनाया जाना था। इस बार का उत्साह भी देखते ही बनता था। इसके प्रचार मात्र पर ही दो हज़ारे रुपये खर्च किए गए थे। कार्यकर्ताओं को झंडा देते हुए उन्हें घर-घर जाकर समझाया गया था कि आंदोलन की सफलता उनके प्रयासों पर ही निर्भर करती है। ऐसे में आगे आकर उन्हें ही सारा इंतजाम करना था। इसे सफल बनाने के लिए घरों और रास्तों पर झंडे लगाए गए थे। इसके अलावा जुलूस में शामिल, लोगों का उत्साह चरम पर था। उन्हें पुलिस की लाठियाँ भी रोक पाने में असमर्थ साबित हो रही थीं।

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निम्नलिखित कथन सत्य हैं या असत्य।⦁    व्यक्तित्व का आशय है-व्यक्ति का रूप-रंग एवं वेशभूषा धारण करने का ढंग।⦁    व्यक्तित्व वर्गीकरण का एक आधार सामाजिकता भी है।⦁    व्यक्तित्व मापन या मूल्यांकन का न तो कोई महत्त्व है और न ही आवश्यकता।⦁    व्यक्तित्व परीक्षण की मनोविश्लेषणात्मक विधि के प्रतिपादक एडलर थे।

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⦁    असत्य
⦁    सत्य
⦁    असत्य
⦁    असत्य

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किसी व्यक्ति की किसी समस्या के समाधान के लिए किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दी जाने वाली सहायता को कहते हैं –(क) व्यक्तिगत सहायता(ख) निर्देशन(ग) आवश्यक सहायता(घ) अनावश्यक हस्तक्षेप

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सही विकल्प है  (ख) निर्देशन

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विद्यालय में उत्पन्न होने वाली समस्याओं के समाधान के लिए दिये जाने वाले निर्देशन को क्या कहते हैं ?

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विद्यालय में उत्पन्न होने वाली समस्याओं के समाधान के लिए दिये जाने वाले निर्देशन को ‘शैक्षिक निर्देशन’ कहते हैं।

121344.

व्यक्ति की व्यावसायिक समस्याओं के समाधान के लिए दिये जाने वाले निर्देशन को क्या कहते हैं ?

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व्यक्ति की व्यावसायिक समस्याओं के समाधान के लिए दिये जाने वाले निर्देशन को ‘व्यावसायिक निर्देशन’ कहते हैं।

121345.

‘सपनों के-से दिन’ पाठ के आधार पर बताइए कि बच्चों का खेलकूद में अधिक रुचि लेना अभिभावकों को अप्रिय क्यों लगता था? पढ़ाई के साथ खेलों का छात्र जीवन में क्या महत्त्व है और इससे किन जीवन-मूल्यों की प्रेरणा मिलती है?

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‘सपनों के-से दिन’ पाठ में जिस समय का वर्णन हुआ है उस समय अधिकांश अभिभावक अनपढ़ थे। वे निरक्षर होने के कारण शिक्षा के महत्त्व को नहीं समझते थे। इतना ही नहीं वे खेलकूद को समय आँवाने से अधिक कुछ नहीं मानते थे। अपनी इसी सोच के कारण, बच्चे खेलकूद में जब चोटिल हो जाते और कई जगह छिला पाँव लिए आते तो उन पर रहम करने की जगह पिटाई करते। वे शारीरिक विकास और जीवन-मूल्यों के उन्नयन में खेलों की भूमिका को नहीं समझते थे, इसलिए बच्चों को खेलकूद में रुचि लेना उन्हें अप्रिय लगता था। 

छात्रों के लिए पढ़ाई के साथ-साथ खेलों का भी विशेष महत्त्व है। ये खेलकूद एक ओर हमारे शारीरिक और मानसिक विकास के लिए आवश्यक हैं, तो दूसरी ओर सहयोग की भावना, पारस्परिकता, सामूहिकता, मेल-जोल रखने की भावना, हार-जीत को समान समझना, त्याग, प्रेम-सद्भाव जैसे जीवन-मूल्यों को उभारते हैं तथा उन्हें मजबूत बनाते हैं। इन्हीं जीवन-मूल्यों को अपना कर व्यक्ति अच्छा इनसान बनता है।

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डॉ० दासगुप्ता जुलूस में घायल लोगों की देख-रेख तो कर ही रहे थे, उनके फ़ोटो भी उतरवा रहे थे। उन लोगों के फ़ोटो खींचने की क्या वजह हो सकती थी ? स्पष्ट कीजिए।

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डॉ० दास गुप्ता जुलूस में घायल लोगों की देख-रेख के साथ उनके फ़ोटो भी उतरवा रहे थे, ताकि पूरा देश अंग्रेज़ प्रशासकों के जुल्मों से अवगत होकर उनका विरोध करके उन्हें देश से बाहर निकालने के लिए तैयार हो जाए।

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कबूतर दाना खने जाते तो बूढे कबूतर ने उनको क्यों रोका?

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कबूतर दाना खाते समय बूढे कबूतर ने उनको रोका। इस जंगल के बीच में आगर दान है। तो कही नकही कुछ न कुछ बुरा होनेवाला है। यह सोच कर ही बूढा कबूतर उन्को रोका।

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कबूतर परेशानी में इधर-उधर क्यों फड़फड़ा रहे थे?

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कबूतर के जोड़े ने रोशनदान में दो अंडे दिए थे। उनमें से एक को बिल्ली ने फोड़ दिया और दूसरा सँभाल कर रखते हुए माँ से फूट गया। अपने अंडे फूटने से दुखी होने से कबूतर फड़फड़ा रहे थे।

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“शैक्षिक निर्देशन व्यक्तिगत छात्रों की योग्यताओं, पृष्ठभूमि और आवश्यकताओं का पता लगाने की विधि प्रदान करता है।” यह परिभाषा दी है।(क) रूथ तथा स्ट्रेन्ज ने(ख) क्रो एवं क्रो ने(ग) हैमरिन व एरिक्सन ने(घ) बोरिंग व अन्य ने

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सही विकल्प है  (ग) हैमरिन व एरिक्सन ने

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“निर्देशन एक प्रक्रिया है, जो कि नवयुवकों को स्वयं अपने में, दूसरों से तथा परिस्थितियों से समायोजन करना सिखाती है।” यह परिभाषा दी है।(क) हसबैण्ड ने(ख) मौरिस ने(ग) स्किनर ने.(घ) जोन्स ने

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सही विकल्प है (ग) स्किनर ने