Explore topic-wise InterviewSolutions in .

This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.

51.

एक आवेशित कण एकसमान चुंबकीय क्षेत्र में गतिमान है तो उस पर अधिकतम एवं न्यूनतम बल का मान क्या होगा ?

Answer» `F_(min)=0,F_(max)=Bqv`
52.

लारेंज बल क्या है ? इसके लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए । किस अवस्था में यह न्यूनतम और किस अवस्था में अधिकतम होता है ?

Answer» लॉरंज बलचुम्बकीय क्षेत्र में गतिमान आवेश पर लगने वाले बल को लॉरेन्ज बल कहते हैं। व्यंजक-हम जानते हैं कि यदि चुम्बकीय क्षेत्र B में स्थित / लम्बाई के तार में I विद्युत् धारा प्रवाहित की जाये तो उस पर लगने वाला बल F
(i) प्रवाहित आवेश q के अनुक्रमानुपाती होता है अर्थात्
`Fpropq`
(ii) आवेश के वेग v के अनुक्रमानुपाती होता है अर्थात्
`Fpropv`
(iii) चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता B के अनुक्रमानुपाती होता है अर्थात्
`FpropB`
(iv) sin `theta` के अनुक्रमानुपाती होता है जहाँ `theta` धनावेश की दिशा एवं चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के बीच कोण है अर्थात्
`Fpropsintheta`
उपर्युक्त चारों को मिलाने पर
`FpropqvBsintheta`
या `F=k.qvBsintheta`
मात्रकों का चयन इस प्रकार किया जाता है कि k = 1
`F=qvBsintheta` यही अभीष्ट व्यंजक है।
न्यूनतम-यदि `theta` = 0° हो अर्थात् आवेशित कण की गति चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर है, तो
`sintheta=sin0^(@)=0`
`thereforeF=qvBxx0=0`
अर्थात् यदि कोई आवेशित कण चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर गति करे तो उस पर कोई बल नहीं लगता, अर्थात् बल न्यूनतम होता है।
अधिकतम-यदि `theta` = 90° हो, तो
`sintheta=sin90^(@)=1`
`therefore` आवेशित कण पर लगने बाला बल
`F=qvBxx1`
`thereforeF=qvB` (अधिकतम)
अर्थात् जब आवेशित कण चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् गति करता है, तो उस पर लगने बाला बल अधिकतम होता है।
53.

पास - पास फेरो वाली एक परिनालिका 80 cm लम्बी है और इसमें 5 परते है जिनमे से प्रत्येक में 400 फेरे हैं। परिनालिका का व्यास 18 cm है। यदि इसमें 8.0A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है, तो परिनालिका के भीतर केंद्र के पास चुंबकीय क्षेत्र `vecB` के परिमाण परिकलित कीजिए।

Answer» दिया है-`l=80cm=80xx10^(-2)m,N=400,` परतों की संख्या = 5,I = 8.0 A
`therefore` प्रति एकांक लंबाई में फेरों की संख्या
`n=(400xx5)/(80xx10^(-2))`
`=25xx10^(2)m^(-1)`
`B=mu_(0)nI=4pixx10^(-7)xx25xx10^(2)xx8`
`=4xx3.14xx8xx25xx10^(-5)`
`=2512xx10^(-5)`
`=2.5xx10^(-2)T`
54.

एक परिनालिका की लम्बाई 1.0 मीटर हैं ओर औसत व्यास 3.0 सेमी हैं। इसमें तार के प्रत्येक 800 फेरों की 5 परते हैं। परिनालिका में प्रवाहित धारा `5.0` एम्पेयर हैं। परिनालिका के केंद्र पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता की गड़ना कीजिये।

Answer» परिनालिका की लम्बाई L=1.0 मीटर
परिनालिका का व्यास D=3.0 सेमी `=3.0 xx 10^(-2)` मीटर
`therefore L gt gt D` अतः यह एक लम्बी परिनालिका हैं।
`B_(1) = mu_(0)nI`
`mu_(0)=4pi xx 10^(-7) न्यूटन/एम्पेयर^(2)`
`n=N/L = 800/1.0=800` प्रति मीटर
I=5.0 एम्पेयर
`therefore B_(1) = (4pi xx 10^(-7))(800)(5.) = 5.024 xx 10^(-3)` टेस्ला
`B=5B_(1) = 5 xx 5.024 xx 10^(-3) = 2.51 xx 10^(-2)` टेस्ला
55.

किसी धारा अवयव पर लगने वाले चुंबकीय बल के सूत्र में (i) कौन-सी राशियों के युग्म परस्पर लंबवत है?

Answer» (i) `vecF - vecB` तथा `vecF-IdvecI` (ii) `vecB -Id vecI`
56.

चुंबकीय क्षेत्र `vecB` में रखे I धरा वहां करने वाले चालक की `dvecL` लम्बाई पर लगने वाले बल के लिए व्यंजक लिखिए।

Answer» `vecF = [I(dvecl xx vecB)]`
57.

चुम्बकीय क्षेत्र में गतिमान आवेशित कण पर लगने वाले बल के लिए व्यंजक ज्ञात कीजिए। यह अधिकतम और न्यूनतम कब होता है ?

Answer» लॉरंज बलचुम्बकीय क्षेत्र में गतिमान आवेश पर लगने वाले बल को लॉरेन्ज बल कहते हैं। व्यंजक-हम जानते हैं कि यदि चुम्बकीय क्षेत्र B में स्थित / लम्बाई के तार में I विद्युत् धारा प्रवाहित की जाये तो उस पर लगने वाला बल F
(i) प्रवाहित आवेश q के अनुक्रमानुपाती होता है अर्थात्
`Fpropq`
(ii) आवेश के वेग v के अनुक्रमानुपाती होता है अर्थात्
`Fpropv`
(iii) चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता B के अनुक्रमानुपाती होता है अर्थात्
`FpropB`
(iv) sin `theta` के अनुक्रमानुपाती होता है जहाँ `theta` धनावेश की दिशा एवं चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के बीच कोण है अर्थात्
`Fpropsintheta`
उपर्युक्त चारों को मिलाने पर
`FpropqvBsintheta`
या `F=k.qvBsintheta`
मात्रकों का चयन इस प्रकार किया जाता है कि k = 1
`F=qvBsintheta` यही अभीष्ट व्यंजक है।
न्यूनतम-यदि `theta` = 0° हो अर्थात् आवेशित कण की गति चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर है, तो
`sintheta=sin0^(@)=0`
`thereforeF=qvBxx0=0`
अर्थात् यदि कोई आवेशित कण चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर गति करे तो उस पर कोई बल नहीं लगता, अर्थात् बल न्यूनतम होता है।
अधिकतम-यदि `theta` = 90° हो, तो
`sintheta=sin90^(@)=1`
`therefore` आवेशित कण पर लगने बाला बल
`F=qvBxx1`
`thereforeF=qvB` (अधिकतम)
अर्थात् जब आवेशित कण चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् गति करता है, तो उस पर लगने बाला बल अधिकतम होता है।
58.

एम्पेयर की परिभाषा दीजिये।

Answer» `B=(mu_(0)I)/(2a)` अक्ष के अनुदिश
59.

दो समान्तर एक ही दिशा में धारावाही चालकों के वीच बल का व्यंजक व्युत्पन्न कीजिए।

Answer» `F/L = (mu_(0))/(2pi) (I_(1)I_(2))/(d)`
60.

एक ऋतुजुरेखीय चालक में धरा से उत्पन्न चुंबकीय बल रेखाओं की प्रकृति क्या होगी?

Answer» चालक के चारों और संकेन्द्री वृत्त
61.

एक धारामापी का प्रतिरोध 90 ओम है। यदि धारामापी में मुख्य धारा का केवल 10% भाग जाना है तो प्रतिरोध को किस प्रकार उपयोग में लाना होगा और इसका मान कितना होगा-A. श्रेणी क्रम में 10 ओमB. समान्तर क्रम में 10 ओमC. श्रेणी क्रम में 810 ओमD. समान्तर क्रम में 810 ओम।

Answer» Correct Answer - B
62.

एक चल कुण्डली धारामापी में I धारा प्रवाहित करने से `theta` विक्षेप उत्पन्न होता है तो -A. `Iproptantheta`B. `Iproptheta`C. `Iproptheta^(2)`D. `Ipropsqrt(theta)`.

Answer» Correct Answer - B
63.

धारामापी को वोल्टमीटर में बदलने के लिए उसकी कुंडली के साथ जोड़ते है-A. उच्च प्रतिरोध का तार श्रेणी क्रम मेंB. कम प्रतिरोध का तार समांतर क्रम मेंC. उच्च प्रतिरोध का तार समांतर क्रम मेंD. कम प्रतिरोध का तार श्रेणी क्रम में।

Answer» Correct Answer - A
64.

धारामापी को अमीटर में बदलने के लिए उसकी कुंडली के साध जोड़ते हैं-A. उच्च प्रतिरोध का तार श्रेणी क्रम मेंB. कम प्रतिरोध का तार समांतर क्रम मेंC. उच्च प्रतिरोध का तार समांतर क्रम मेंD. कम प्रतिरोध का तार श्रेणी क्रम में।

Answer» Correct Answer - B
65.

धारामापी को प्रबल विद्युत् धारा से होने वाली संभावित क्षतियों से बचाने के लिए उसकी कुण्डली के साथ जोड़ते हैं-A. 1.कम प्रतिरोधक का तार श्रेणी क्रम मेंB. 2.कम प्रतिरोध का तार समांतर क्रम मेंC. 3.उच्च प्रतिरोध का तार श्रेणी क्रम मेंD. 4.उच्च प्रतिरोध का तार समांतर क्रम में।

Answer» Correct Answer - B
66.

शण्ट क्या है ? इसका उपयोग लिखिए । इससे होने वाले लाभ व हानि लिखिए।

Answer» शण्ट- शण्ट कम प्रतिरोध का तार होता है। जिसे धारामापी की कुंडली के साथ समांतर क्रम में जोड़ा जाता है।
उपयोग-धारामापी में शण्ट लगाकर उसे अमीटर में परिवर्तित किया जाता है।
लाभ -(i) धारामापी की कुंडली और संकेतक श्टाइगरस्ट होने से बच जाते है।
(ii) धारामापी का प्रभावी प्रतिरोध बहत कम हो जाता है। अत: उसे किसी परिषथ में जोड़ने पर उस परिपथ में बहने वाली थारा के मान में कोई ल्लेखनौय परिवर्तन नहीं होता है।
(iii) इसकी सहायता से अमीटर के परास को बढ़ाया जा सकता है।
हानि-शण्ट लगाने से धारामाणी की सुग्राहिता कम हो जाती है।
67.

चित्र में AB भाग में प्रबाहित धारा B से C तक दो अर्द्धवृत्तीय चालकों में से होकर प्रभावित होती है अर्द्धवृत्तीय चालकों की वक्रता त्रिज्याएँ एवं प्रतिरोध सामान है वृत्त O केंद्र पर चुंबकीय क्षेत्र के तीव्रता क्या होगी ?

Answer» वृत्त के केंद्र O पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता शून्य होगी । दोनों अर्द्धवृत्तीय चालकों के प्रतिरोध समान है अतः उनमे बहने वाली धारा का मान भी समान है अतः लम्बाई भी समान होगी ।
इसी प्रत्येक अर्द्धवृत्तीय चालक के कारण केंद्र O पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता `dB=(mu_(0))/(4pi)*(Il)/(r)` जहाँ संकेतो के सामान्य अर्थ है
चूँकि दोनों अर्द्धवृत्तीय चालकों की धारा की दिशाएँ विपरीत है (अर्थात एक में दक्षिणावर्त तथा दुसरे में वामावर्त) केंद्र O पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशाएँ परस्पर विपरीत होगी
अतः केंद्र O पर परिणामी चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता शून्य होगी ।
68.

किन्हीं तीन बिन्दुओं के अन्तर्गत बताइए कि चल कुण्डली धारामापी स्पर्शनज्या धारामापी से किस प्रकार श्रेष्ठ है ?

Answer» चल कुण्डली धारामापी को स्पर्शज्या धारामापी से श्रेष्ठ मानते हैं। इसके निम्न कारण हैं-
(i) इसे किसी भी स्थिति में रखकर प्रयोग कर सकते हैं।
(ii) इस पर बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र का प्रभाव कम पड़ता है।
(iii) इसकी सुग्राहिता अधिक होती है।
(iv) इसे अमीटर और वोल्टमीटर में परिवर्तित कर सकते हैं।
(v) इसके दोलन शीघ्र समाप्त हो जाते हैं।
(vi) इसमें धारा विक्षेप के अनुक्रमानुपाती होतो है, अतः संकेतक द्वारा धारा का मान सीधे ही पढ़ा जा सकता है।
69.

चल कुण्डली धारामापी की चार विशेषताएँ लिखिए।

Answer» चल कुण्डली धारामापी को स्पर्शज्या धारामापी से श्रेष्ठ मानते हैं। इसके निम्न कारण हैं-
(i) इसे किसी भी स्थिति में रखकर प्रयोग कर सकते हैं।
(ii) इस पर बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र का प्रभाव कम पड़ता है।
(iii) इसकी सुग्राहिता अधिक होती है।
(iv) इसे अमीटर और वोल्टमीटर में परिवर्तित कर सकते हैं।
(v) इसके दोलन शीघ्र समाप्त हो जाते हैं।
(vi) इसमें धारा विक्षेप के अनुक्रमानुपाती होतो है, अतः संकेतक द्वारा धारा का मान सीधे ही पढ़ा जा सकता है।
70.

चल कुण्डली धारामापी की कुण्डली के मध्य नर्म लोहे का क्रोड क्यों रखते हैं ?

Answer» इसके कारण निम्नलिखित हैं-
(i) नर्म लोहे की चुम्बकशीलता अधिक होती है अतः इसमें से होकर अधिक-से-अधिक बल-रेखाएँ गुजरने का प्रयास करती हैं जिससे चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता बढ़ जाती है।
(ii) क्षेत्र को त्रिज्यीय होने में सहायता मिलती है, जिससे कुण्डली का तल सदैव बल-रेखाओं के समान्तर होता है।
71.

चुंबकीय क्षेत्र में लंबवत गति करते `alpha-` कणों के मार्ग वृत्तकार होते है। क्यों?

Answer» क्यूंकि पथ के प्रत्येक बिंदु पर चुंबकीय बल वेग के लंबवत रहता है। यह वृतिया गति का प्रतिबन्ध है।
72.

एकसमान चुंबकीय क्षेत्र में गतिमान आवेशित कण की चाल नहीं बदलती, क्यों?

Answer» चुंबकीय बल कण के वेग के सदैव लंबवत होता है, अतः बल द्वारा कृत कार्य सदैव शुन्य होता है।
73.

सीधी रेखा में गति करता हुआ कोई प्रोटॉन प्रबल चुंबकीय क्षेत्र के समांतर प्रवेश करता है। चुंबकीय क्षेत्र में प्रवेश करने पर उसकी चाल व गति की दिशा में क्या परिवर्तन होगा?

Answer» कोई परिवर्तन नहीं (प्रोटोन पर चुंबकीय बल शुन्य है)।
74.

प्रोटॉन को चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् प्रक्षेपित किया जाता है-A. प्रोटॉन की गति पर चुम्बकीय क्षेत्र का प्रभाव नहीं होगाB. प्रोटॉन उसी दिशा में गति जारी रखेगा किन्तु संवेग प्राप्त करेगाC. प्रोटॉन उसी दिशा में गति जारी रखेगा किन्तु संवेग प्राप्त नहीं करेगाD. वह वृत्त के चाप में मुड़ जायेगा।

Answer» Correct Answer - D
75.

यदि वोल्टमीटर को किसी परिपथ में श्रेणी क्रम में लगा दिया जाए तो क्या होगा ? आदर्श वोल्टमीटर का प्रतिरोध होना चाहिए ?

Answer» यदि वोल्टमीटर को किसी परिपथ में श्रेणी क्रम में लगा दिया जाए तो धारा का मान लगभग शून्य होगा क्योकि वोल्टमीटर का प्रतिरोध बहुत अधिक होता है । आदर्श वोल्ट्मीटर के प्रतिरोध को अनंत होना चाहिए ।
76.

एक चालक में Y-अक्ष की धनात्मक दिशा में विधुतधारा प्रवाहित हो रही है उसे एक चुम्बकीय क्षेत्र में रखा गया है चुंबकीय क्षेत्र की दिशा X-अक्ष की धनात्मक दिशा में है चालक पर लगने वाले बल की दिशा बताइये ।

Answer» फ्लेमिंग के बायें हाथ के नियमानुसार Z-अक्ष की ऋणात्मक दिशा में बल लगेगा ।
77.

धारामापी को वोल्टमीटर में कैसे परिवर्तित करते है ?

Answer» धारामापी की कुण्डली के साथ उच्चमान का प्रतिरोध जोड़कर,
78.

धारामापी को अमीटर में कैसे परिवर्तित करते है ?

Answer» धारामापी की कुण्डली के साथ समान्तर क्रम में कम प्रतिरोध का तार जोड़कर,
79.

दो धारावाही चालक एक -दूसरे को कब प्रतिकर्षित करते है ?

Answer» जब धारा की दिशाएँ विपरीत होती है
80.

एक आवेशित कण चुंबकीय क्षेत्र के लंबवत गति करता हैं, तब-A. कण की दिशा में कोई परिवर्तन नहीं होताB. त्वरण नियत रहता हैंC. कण की चाल नियत रहती हैंD. कण की चाल नियत रहती हैं

Answer» Correct Answer - D
81.

एक वृत्ताकार कुंडली के तल का क्षेत्रफल `3.14 xx 10^(-2) मी^(2)` हैं तथा इसमें तार के 50 फेरे हैं। इसमें प्रवाहित धारा 2 एम्पेयर हैं। जब `3.1 xx 10^(-5)` टेस्ला के चुंबकीय क्षेत्र में कुंडली के तल क्षेत्र की दिशा से (i) `0^(@)` कोण (ii) `90^(@)` कोण , (iii) `60^(@)` कोण पर हैं, तो इस पर लगने वाले बल आघूर्ण की गड़ना कीजिये।

Answer» (i) `9.734 xx 10^(-5)` न्यूटन-मीटर
(ii) शून्य
(iii) `4.867 xx 10^(-5)` न्यूटन-मीटर
82.

धारावाही चालक के कारण उत्पन्न क्षेत्र की दिशा निम्न नियम से ज्ञात की जाती है-A. फ्लेमिंग के बायें हाथ का नियमB. फ्लेमिंग के दायें हाथ का नियमC.D. इनमें से कोई नहीं।

Answer» Correct Answer - C
83.

एक धारावाही चालक उत्पन्न करता हैं-A. केवल वैघृत क्षेत्रB. केवल चुंबकीय क्षेत्रC. वैघृत व चुंबकीय क्षेत्र दोनोंD. न वैघृत ओर न ही चुंबकीय क्षेत्र

Answer» Correct Answer - B
84.

एक `alpha`- कण `1.2 वेबर/मीटर^(2)` के चुंबकीय क्षेत्र में 0.45 मीटर त्रिज्या का वृतीय पथ बनाता है। `alpha-` कण की चाल, आवृत्ति तथा गतिज ऊर्जा कीजिये। इस कण को इतनी ऊर्जा देने के लिए कितने विभवान्तर द्वारा त्वरित करने की आवश्यकता होगी? दिया है - प्रोटोन का द्रव्यमान `=1.67 xx 10^(-27)` क्रिगा तथा `e=1.6 xx 10^(-19)` कुलोम।

Answer» वृत्तकार पथ की त्रिज्या `r=(mv)/(qB)`
अतः चाल `v=(qBr)/m`
प्रश्नानुसार, `q=+2e = 2 xx 1.6 xx 10^(-19)` कुलोम,
`B=1.2 वेबर /मीटर^(2)`
r=0.45 मीटर, `m=4m_(p)=4 xx 1.67 xx 10^(-27)`क्रिगा
`therefore v=((2 xx (1.6 xx 10^(-19))(1.2)(0.45))/(4 xx 1.67 xx 10^(-27)))`
`=2.6 xx 10^(7)` मीटर/सेकंड
`alpha` -कण की आवृति `f=v/(2pir) = (2.6 xx 10^(7))/(2 xx 3.14 xx 0.45)`
`=9.2 xx 10^(6) सेकंड^(-1)`
`alpha` -कण की गतिज ऊर्जा
`K=1/2mv^(2)=1/2(4 xx 1.67 xx 10^(-27))(2.6 xx 10^(7))^(2)`
`2.26 xx 10^(-12)` जूल
यदि `alpha` -कण को इतनी ऊर्जा देने के लिए विभवांतर V चाहिए तो
`K=qV`
`therefore V=k/q = (2.26 xx 10^(-12))/(2 xx 1.6 xx 10^(-19))`
`=7.06 xx 10^(6)` वोल्ट
85.

एक समतल वृत्ताकार कुंडली में 100 फेरे हैं तथा इसकी त्रिज्या 3.0 सेमी हैं। इस कुंडली में 2.0 एम्पेयर की धारा प्रवाहित की जाती हैं। कुंडली की अक्ष पर स्थित, कुंडली के केंद्र से 4 सेमी दुरी पर स्थित बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता की गड़ना कीजिये।

Answer» `9.04 xx 10^(-4)` न्यूटन/एम्पेयर-मीटर
86.

दो धारावाही चालक एक -दूसरे को कब आकर्षित करते है ?

Answer» जब धारा की दिशाएँ समान होती है
87.

`1. xx 10^(-10)` मीटर त्रिज्या के वृत्ताकार मार्ग पर एक `alpha`-कण `2 xx 10^(6)` मीटर/सेकंड की एकसमान चाल से चक्कर लगा रहा हैं। वृत्ताकार मार्ग के केंद्र पर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की गड़ना कीजिये।

Answer» `6.4 वेबर/मीटर^(2)`
88.

चित्र में एक वृत्तीय कुंडली में `I_(1)` धारा प्रवाहित हो रही है तथा उसके अक्ष पर स्थित तार में `I_(2)` धारा प्रवाहित हो रही है दोनों धाराओं के मध्य पारस्परिक क्रिया के कारण चुंबकीय बल कितना होगा ?

Answer» कुण्डली में प्रवाहित धारा `I_(1)` के कारण उसके केंद्र पर तल के लम्बवत चुंबकीय क्षेत्र B कार्य करेगा ।
क्षेत्र B के कारण धारा `I_(2)` पर लगने वाला बल
`F=IlBsin theta`
यहाँ `theta=0^(@)`
अतः बल `F=IlB sin 0^(@)=0`
इस प्रकार धारा `I_(1)` के कारण तार पर कोई बल कार्य नहीं करेगा ।
धारा `I_(2)` के करण चुंबकीय बल रेखाएँ वृत्ताकार तथा `I_(1)` के समान्तर होगी । अतः धारा `I_(2)` के कारण कुण्डली पर कोई बल कार्य नहीं करेगा ।
89.

दो वृत्तीय कुण्डलियो 1 और 2 को एक ही तार से बनाया गया है परन्तु पहली कुंडली की त्रिज्या दूसरी कुंडली की त्रिज्या की दो गुनी है । इनके आर-पार वोल्ट में लगाये गए विभवान्तर का अनुपात क्या होगा यदि उनके केन्द्रो पर क्रियाकारी चुंबकीय क्षेत्र समान हो -A. 3B. 4C. 6D. 2

Answer» Correct Answer - B
`B=(mu_(0))/(4pi)*(2pinI)/(r)` से `(I_(1))/(r_(1))=(I_(2))/(r_(2))rArr(I_(1))/(I_(2))=(r_(1))/(r_(2))`
`R=(rhol)/(A)` से, `(R_(1))/(R_(1))=(l_(1))/(l_(2))=(2pir_(1))/(2pir_(2))=(r_(1))/(r_(2))`
`(V_(1))/(V_(2))=(I_(1)R_(2))/(I_(2)R_(2))=(I_(1))/(I_(2))xx(r_(1))/(r_(2))`
या `(V_(1))/(V_(2))=(r_(1))/(r_(2))xx(r_(1))/(r_(2))=((2r_(2))/(r_(2)))^(2)=4`.
90.

5eV ऊर्जा का एक इलेक्ट्रान `1.0 xx 10^(-4)वेबर /मीटर^(2)` के लंबवत चुंबकीय क्षेत्र में वृत्तकार मार्ग में चक्कर लगा रहा है। इलेक्ट्रान की चाल तथा वृत्तकार मार्ग की त्रिज्या कीजिये। (इलेक्ट्रान का द्रव्यमान `=9.0 xx 10^(-31)` क्रिगा, आवेश `e=1.6 xx 10^(-19)` कुलोम तथा `1eV = 1.6 xx 10^(-19)` जूल

Answer» इलेक्ट्रान की गतिज ऊर्जा `K=1/2 mv^(2)`
अथवा `v=sqrt((2k)/m)`
प्रश्नानुसार, `m=9.0 xx 10^(-31)` क्रिगा,
`K=5eV 5 xx 1.6 xx 10^(-19)` जूल
`therefore v=sqrt((2.5 xx 5 xx 1.6 xx 10^(-19))/(9.0 xx 10^(-31))`
`=4/3 xx 10^(6)` मीटर/ सेकंड
वृत्ताकार पथ की त्रिज्या `r=(mv)/(qB) = ((9.0 xx 10^(-31))(4//3) xx 10^(6))/((1.6 xx 10^(-19)) xx (1.0 xx 10^(-4))`
`=0.075` मीटर
`=7.5` सेमी
91.

आवेश q का एक कण त्रिज्या R के वृत्तकार मार्ग में चाल v के साथ चल रहा है । इससे सम्बंधित चुंबकीय आघूर्ण m का मान होगा -A. `(qvR)/(2)`B. `qvR^(2)`C. `(qvR^(2))/(2)`D. qvR.

Answer» Correct Answer - A
`I=(q)/(T)=qxx(omega)/(2pi)=qxx(1)/(2pi)xx(v)/(R)`
`rArrm=IA=(qv)/(2piR).piR^(2)=(qvR)/(2)`.
92.

धारामापियों में चुम्बक के ध्रुव अवतल क्यों बनाए जाते हैं ?

Answer» जिससे कि कुण्डली का कार्य करने वाला चुम्बकीय क्षेत्र त्रिज्यीय हो जाये और कुण्डली का तल सदैव बल-रेखाओं के समान्तर हो।
93.

एक टोरॉइड के (अलौह चुंबकीय) क्रोड की आतंरिक त्रिज्या 25 सेमी और बाह्य त्रिज्या 26 सेमी है इसके ऊपर किसी तार के 3500 फेरे लपेटे गए है । यदि तार में प्रवाहित विधुत 11 A धारा हो तो चुंबकीय क्षेत्र का मान क्या होगा (a) टोरॉइड के बाहर (b) टोरॉइड के क्रोड में (c) टोरॉइड द्वारा घिरी हुई खाली जगह में ।

Answer» दिया है - `I=11A,N=3500`
टोरॉइड की माध्य त्रिज्या `r=(25+26)/(2)=25*5` सेमी
`=25*5xx10^(-2)` मी.
टोरॉइड की लम्बाई `=2pi=2pixx25*5xx10^(-2)`
`=51xx10^(-2)pi` मीटर
`:.` प्रति एकांक लम्बाई में फेरो (चक्करो) की संख्या
`n=(N)/(l)=(3500)/(51xx10^(-2)xxpi)`
(a) टोरॉइड के बाहर चुंबकीय क्षेत्र शून्य होगा ।
(b) टोरॉइड के क्रोड में `B=mu_(0)nI`
`=4pixx10^(-7)xx(3500)/(51xx10^(-2)xxpi)xx11`
`=3*02xx10^(-2)T`.
(c) टोरॉइड द्वारा घिरी हुई खाली जगह में चुंबकीय क्षेत्र का मान शून्य होगा ।
94.

निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर दीजिए - (a) किसी प्रकोष्ठ में एक ऐसा चुंबकीय क्षेत्र स्थापित किया गया है जिसका परिमाण तो एक बिंदु बदलता है पर दिशा निश्चित है (पूर्व से पश्चिम) । इस प्रकोष्ठ में एक आवेशित कण प्रवेश करता है और अविचलित एक सरल रेखा में अचर वेग से चलता है आप कण के प्रारम्भिक वेग के बारे में क्या कह सकते है ? (b) एक आवेशित कण, एक ऐसे शक्तिशाली असमान चुंबकीय क्षेत्र में प्रवेश करता है जिसका परिमाण एवं दिशा दोनों एक बिंदु पर बदलते जाते है एक जटिल पथ पर चलते हुए इसके बाहर आ जाता है । यदि यह मान लें की चुंबकीय क्षेत्र में इसका किसी भी दुसरे कण से कोई संघट्ट नहीं होता क्या इसकी अंतिम चाल प्रारंभिक चाल के बराबर होगी ? (c) पश्चिम से पूर्व की ओर चलता हुआ एक इलेक्ट्रॉन एक ऐसे प्रकोष्ठ में प्रवेश करता है जिसमे उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर एकसमान एक वैधुत क्षेत्र है वह दिशा बताइए जिसमे एकसमान चुंबकीय क्षेत्र स्थापित किया जाए ताकि इलेक्ट्रॉन को अपने सरल रेखीय पथ से विचलित होने से रोका जा सके ।

Answer» (a) प्रकोष्ठ में आवेशित कण अविचलित एक सरल रेखा में अचर वेग से चलता है । चुंबकीय क्षेत्र से विक्षेपित नहीं होता है अर्थात कण चुंबकीय कण चुंबकीय क्षेत्र के समान्तर गति कर रहा है ।
`:." "F=qvBsintheta`
अर्थात `sintheta=0`, तब `F=0`
या `theta=0`
अर्थात कण की गति चुंबकीय क्षेत्र के समान्तर है ।
(b) किसी आवेशित कण पर लगने वाला प्रबल चुंबकीय क्षेत्र कण के वेग की दिशा को बदलता है लेकिन उसके परिमाण को नहीं आठ कण की चाल समान रहेगी ।
(c) चूँकि इलेक्ट्रॉन एक ऋणावेशित कण है अतः ये विधुत क्षेत्र के धनात्मक सिरे की ओर विक्षेपित होगा अर्थात उत्तर की ओर अतः चुंबकीय को दक्षिण दिशा की ओर आरोपित करने पर इलेक्ट्रॉन अपने सरल रेखीय मार्ग से विचलित नहीं होगा । इलेक्ट्रॉन पश्चिम से पूर्व की ओर गति रहा है अतः समतुल्य धनावेश पूर्व से पश्चिम की दिशा में गति करेगा । अतः फ्लेमिंग के वाम - हस्त नियम बायें हाथ के नियम) से चुम्बकीय क्षेत्र को ऊर्ध्वाधरतः नीचे की दिशा में आरोपित करना चाहिए ।
95.

चित्र (A ,b ) तथा c में r त्रिज्या के अर्धहवृत्ताकार तार के केंद्र पर चुंबकीय क्षेत्र की गड़ना कीजिये यदि ऋजुरेखीय तार अनंत लम्बाई के हैं।

Answer» हम जानते हैं कि
(1) रिजुरेखीय धारावाही तार के कारण इसकी सीध में स्थित बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र शुन्य तथा सिरे के निकट लम्बाई कि लंबवत दिशा में d दुरी पर चुंबकीय क्षेत्र `(mu_(0))/(4pi)I/d` होता हैं।
(2) अर्धहवृत्ताकार धारावाही कुंडली के कारण इसके केंद्र पर चुंबकीय क्षेत्र `1/2(mu_(0)I)/(2a)` अर्थात `(mu_(0)I)/(4a)` or `(mu_(0))/(4pi)(pil)/a` होता हैं। अतः
चित्र (a) में - O पर परिणामी क्षेत्र
`B=0+(mu_(0)I)/(4R) ox + 0 = (mu_(0)I)/(4R)` कागज के लंबवत नीचे कि ओर।
चित्र (B ) में -O पर परिणामी क्षेत्र
`B=mu_(0)/(4pi)I/d odot + (mu_(0))/(4pi)(pil)/(a) odot +(mu_(0))/(4pi)I/d (odot)`
`=(mu_(0))/(4pi)I/d odot +(mu_(0))/(4pi)I/d odot`
`(mu_(0))/(4pi)I/R (pi+)` कागज के लंबवत ऊपर कि ओर
चित्र ( c) में- O पर परिणामी क्षेत्र
`B=(mu_(0))/(4pi)I/d odot +(mu_(0))/(4pi)(pil)/(a) ox +(mu_(0))/(4pi)I/d odot`
`=mu_(0)/(4pi)I/d odot +mu_(0)/(4pi)(pil)/a ox + mu/(4pi)I/dodot`
`=mu_(0)/(4pi)I/R(pi-2)` कागज के लंबवत नीचे कि ओर
96.

तारों के लूप PQRSP में, जो `R_(1)` व `R_(2)` त्रिज्याओं के दो अधरवरित्कार तारों को जोड़कर बना हैं, धारा i बहती हैं। केंद्र c पर चुंबकीय क्षेत्र कि तीव्रता तथा दिशा ज्ञात कीजिये।

Answer» तार के सीधे भागों PQ व RS के कारण केंद्र C पर चुंबकीय क्षेत्र शून्य होगा।
`R_(1)` त्रिज्या के अर्धवृत्तकार तार के कारण C पर चुंबकीय क्षेत्र
`B_(1) = 1/2(mu_(0)I)/(2R_(1))= (mu_(0)I)/(4R_(1))ox`
इसी प्रकार, `R_(2)` त्रिज्या के अर्धवृत्ताकार तार के कारण C पर चुंबकीय क्षेत्र
`B_(2) = (mu_(0)I)/(4R_(2)) odot`
चूँकि `B_(1)` व `B_(2)` परस्पर विपरीत दिशा में हैं तथा `B_(1) gt B_(2)`,अतः C पर परिणामी क्षेत्र
`B=B_(1)-B_(2) = (mu_(0)I)/(4R_(1)) - (mu_(0)I)/(4R_(2)) = (mu_(0)I)/(4)[1/R_(1)-1/R_(2)]`
B कि दिशा कागज के तल के लंबवत नीचे कि ओर हैं।
97.

संलगन चित्र में प्रदर्शित मुड़े तार में I एम्पेयर धारा हैं। बिंदु O पर चुंबकीय क्षेत्र का मान व दिशा ज्ञात कीजिये।

Answer» तार के सीधे भागों केंद्र O पर चुंबकीय क्षेत्र शून्य होगा।
`R_(1)` त्रिज्या के अर्धवृताकार तार के कारण O पर चुंबकीय क्षेत्र
`B_(1) = (mu_(0)I)/(4R_(1)) ox`
`R_(2)` त्रिज्या के अर्धहवृत्ताकार तार के कारण O पर चुंबकीय क्षेत्र
`B_(2) = (mu_(0)I)/(4R_(2))ox`
चूँकि `B_(1)` व `B_(2)` एक ही दिशा में हैं, अतः परिणामी चुंबकीय क्षेत्र
`B=B_(1)+B_(2) = (mu_(0)I)/(4R_(1)) +(mu_(0)I)/(4R_(2))`
`=(mu_(0)I)/(I)[1/R_(1)+1/R_(2)]`
B कि दिशा कागज के तल के लंबवत नीचे कि ओर हैं।
98.

संलगन चित्र में प्रदर्शित मुड़े तार में I एम्पेयर धारा हैं। केंद्र O पर चुंबकीय क्षेत्र का मान व दिशा ज्ञात कीजिये।

Answer» तार के निचले वृत्तकार खण्ड के कारण केंद्र O पर चुंबकीय क्षेत्र
`B_(1) = (mu_(0))/(4pi)(Ialpha)/R_(1)`, कागज़ के ताल के लंबवत ऊपर की ओर तार के सीधे भागों के कारण बिंदु O पर चुंबकीय शेर शुन्य हैं।
`therefore` परिणामी चुंबकीय क्षेत्र `B=B_(1)-B_(2) = (mu_(0)Ialpha)/(4pi)(1/R_(1) - 1/R_(2))`,
कागज के तल के लंबवत ऊपर की ओर।
99.

संलगन चित्र में मुड़े तार में i एम्पेयर धारा हैं। केंद्र O पर चुंबकीय क्षेत्र का मान व दिशा ज्ञात कीजिये। यदि कोण `alpha=90^(@)` हो तब चुंबकीय क्षेत्र कितना होगा?

Answer» चित्र में, (i) सीधे तारों PQ व RS के कारण बिंदु O पर चुंबकीय क्षेत्र शुन्य हैं।
(ii) वृत्तीय खण्ड QR के कारण O पर चुंबकीय क्षेत्र
`B_(1) = mu_(0)/(4pi).(alphal)/(R_(2)) ox`
(iii) वृतीय खण्ड STP के कारण O पर चुंबकीय क्षेत्र
`B_(2) = mu_(0)/(4pi) .((2pi -alpha).I)/(R_(1))ox`
`B_(1)` व `B_(2)` एक ही दिशा में हैं, अतः O पर परिणामी चुंबकीय क्षेत्र
`B=0+B_(1) + B_(2) = 0 +(mu_(0))/(4pi)(alphaI)/(R_(2)) + mu_(0)/(4pi)((2pi-alpha)I)/(R_(1))`
अथवा `=(mu_(0)I)/(4pi)[alpha/R_(2)+(2pi-alpha)/R_(1)]`
कागज के तल के लंबवत नीचे की ओर
यदि `alpha=90^(@)=pi//2` रेडियन,
`B=(mu_(0)I)/(4pi)[pi/(2R_(2)) + (3pi)/(2R_(1))]=(mu_(0)I)/8 [1/R_(2)+3/R_(1)]`
100.

पूर्व-पशिच्म दिशा में स्थित एक लम्बे तार से 10 एम्पेयर की धारा पूर्व से पशिच्म की और हैं। तार से क्षैतिज तल में (i) 10 सेमी उत्तर, , (ii) 20 सेमी दक्षिण, तथा तार से ऊर्जा तल में (iii) 40 सेमी नीचे तथा (iv) 50 सेमी ऊपर, चुंबकीय क्षेत्र B के मान ज्ञात कीजिये।

Answer» (ii) `10^(-5)` टेस्ला, दक्षिण की और
(iii) `5 xx 10^(-6)` टेस्ला, दक्षिण की और
(iv) `4 xx 10^(-6)` टेस्ला, उत्तर की ओर