InterviewSolution
Saved Bookmarks
This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
| 1. |
2.5 सेमी साइज़ की कोई छोटी मोमबत्ती 36 सेमी वक्रता त्रिज्या के किसी अवतल दर्पण से 27 सेमी दूरी पर रखी है । दर्पण से किसी परदे को कितनी दूरी पर रखा जाए कि उसका सुस्पष्ट प्रतिबिम्ब परदे पर बने ? प्रतिबिम्ब की प्रकृति और साइज़ का वर्णन कीजिए । यदि मोमबत्ती को दर्पण की ओर ले जाएँ, तो परदे को किस ओर हटाना पड़ेगा ? |
|
Answer» दिया है : u=-27 सेमी, वस्तु का आकार, `y_(1)=2.5` सेमी `f=(r)/(2)=-(36)/(2)=-18` सेमी दर्पण के सूत्र `(1)/(f)=(1)/(v)+(1)/(u)` से, `(1)/(v)=(1)/(f)-(1)/(u)=(1)/(-18)-(1)/((-27))` `=-(1)/(18)+(1)/(27)=(-3+2)/(54)` v=-54 सेमी अर्थात प्रतिबिम्ब दर्पण के सामने से 54 सेमी की दूरी पर बनेगा, अतः पर्दा दर्पण के सामने 54 सेमी की दूरी पर रखना होगा । प्रतिबिम्ब का आकार, `y_(2)=-(v)/(u)y_(1)` `=-((-54"सेमी")/(-27"सेमी"))xx2.5` सेमी `=-5` सेमी | अतः प्रतिबिम्ब वास्तविक , उल्टा तथा 5 सेमी ऊँचा है यदि मोमबत्ती को पर्दे की ओर ले जायें, तो पर्दे को दर्पण दूर ले जाना होगा । यदि मोमबत्ती को 18 सेमी से काम दूरी तक खिसकाये, तो प्रतिबिम्ब आभासी बनेगा तथा परदे पर प्राप्त नहीं होगा । |
|
| 2. |
4.5 सेमी साइज़ की कोई सुई 15 सेमी फोकस -दूरी के किसी उत्तल दर्पण से 12 सेमी दूर रखी है । प्रतिबिम्ब की स्थिति तथा आवर्धन लिखिए । क्या होता है जब सुई को दर्पण से दूर ले जाते है ? वर्णन कीजिए । |
|
Answer» दिया है : u=-12 सेमी, f=+15 सेमी (उत्तल दर्पण के लिए ) दर्पण के सूत्र `(1)/(f)=(1)/(v)+(1)/(u)` से `(1)/(v)=(1)/(f)-(1)/(u)=(1)/(15)-(1)/((-12))=(1)/(15)+(1)/(12)` `:." "v=(60)/(9)` सेमी `=(20)/(3)` सेमी =6.67 सेमी । अर्थात प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे, दर्पण से 6.67 सेमी पर बनता है आवर्धन, `m=-(v)/(u)=-((20/3))/((-12))=(5)/(9)` प्रतिबिम्ब का आकार, `y_(2)=mxxy_(1)=(5)/(9)xx4.5=2.5`सेमी । अर्थात प्रतिबिम्ब सीधा, आभासी तथा 2.5 सेमी आकार का है जब सुई को दर्पण से दूर ले जाया जाता है, तो प्रतिबिम्ब दर्पण से दूर फोकस की ओर खिसकता है तथा इसका आकार घटता जाता है । |
|
| 3. |
क्या निकट - दृष्टि दोष अथवा दीर्घ - दृष्टि दोष द्वारा आवश्यक रूप से यह ध्वनित होता है कि नेत्र ने अपनी संमजन क्षमता आंशिक रूप से खो दी है ? यदि नहीं, तो इन दृष्टि दोषो का क्या कारण हो सकता है ? |
|
Answer» निकट - दृष्टि दोष अथवा दीर्घ - दृष्टि दोष का अभिप्राय आवश्यक रूप से यह नहीं है की नेत्र - लेंस ने अपनी समंजन क्षमता खो दी है । ये दृष्टि दोष नेत्र गोलक के छोटे होने अथवा लम्बे होने के कारन संभव है । निकट - दृष्टि दोष तब होता है जब नेत्र गोलक सामने से पीछे तक बड़ा हो जाता है, जिससे वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना के सामने बनता है । दूर - दृष्टि दोष तब होता है , जब गोलक बहुत छोटा हो जाता है जिससे प्रतिबिम्ब रेटिना के पीछे बनता है । जब नेत्र गोलक की अपनी सामान्य लम्बाई होती है, परन्तु नेत्र - लेंस अपनी समंजन - क्षमता आंशिक रूप से खो देता है (जैसे : आयु में वृद्धि होने पर किसी सामान्य नेत्र में हो सकता है ) तो इस दोष को जरा-दृष्टि कहते है । |
|
| 4. |
निकट - दृष्टिदोष का कोई व्यक्ति दूर दृष्टि के लिए `-1.0 D` क्षमता का चश्मा उपयोग कर रहा है । अधिक आयु होने पर उसे पुस्तक पढ़ने के लिए अलग से क्ष`+2.0D` मता के चश्मे की आवश्यक होती है । स्पष्ट कीजिए ऐसा क्यों हुआ ? |
|
Answer» `-1.0D` के सांगत लेंस की फोकस -दूरी `f=(1)/(P)=-(1)/(1.00)` मीटर `=-1.00` मीटर | प्रारम्भ में व्यक्ति केवल 1.00 मीटर दूर तक की वस्तुओ को स्पष्ट देख सकता है । अधिक आयु होने पर नेत्र -लेंस की मांसपेशियों की लचक ओर कम हो गई जिसके फलस्वरूप नेत्र में ज़रा - दृष्टि दोष है| `f=(1)/(P)=(1)/(2.0D)=(1)/(2)` मीटर =50 सेमी u=-25 सेमी| सूत्र `(1)/(f)=(1)/(v)-(1)/(u)` से `(1)/(v)=(1)/(50)+(1)/(-25)=-(1)/(50)` `v=-50` सेमी नेत्र का निकट बिंदु 25 सेमी से 50 सेमी खिसक गया । |
|
| 5. |
अति दूर - स्थिर वस्तु हमें छोटी दिखाई देती है दूरदर्शी इसे कैसे बड़ा दिखाई है ? |
| Answer» दूरदर्शी दूर - स्थित वस्तु का प्रतिबिम्ब आँख के समीप बनाती है , अतः प्रतिबिम्ब आँख दर्शन कोण बनाता है | |
| 6. |
दो दूरदर्शियों की आवर्धन - क्षमताए समान है किन्तु अभिदृश्यको के द्वारक भिन्न भिन्न है । उनके द्वारा बने अंतिम प्रतिबिम्बों में क्या अंतर होगा ? |
| Answer» बड़े द्वारक के अभिदृश्यक वाले दूरदर्शी से बना किसी वस्तु का प्रतिबिम्ब अधिक चमकीला होगा तथा उसमे वस्तु की सरंचना अधिक स्पष्ट होगी । | |
| 7. |
बहुत दूर - स्थिर जो तारे आँख से दिखाई नहीं देते वे दूरदर्शी में दिखाई देने लगते है , क्यों ? |
| Answer» अनेक तारे आँख को इसलिये दिखाई नहीं देते क्योकि उनसे आँख में इतना प्रकाश नहीं पहुंच पाता की वह रेटिना को प्रभावित कर सके । चूँकि दूरदर्शी के अभिदृश्यक का द्वारक आँख की पुतली के द्वारक से बहुत बड़ा होता है अतः वह तारे से आने वाले काफी प्रकाश को एकत्रित करके चमकीला प्रतिबिम्ब बना लेता है जो की आँख को दिखाई दे जाता है अतः मंद तारो का दूरदर्शी से दिखाई दे जाना आवर्धन के कारण नहीं , बल्कि अभिदृश्यक के बड़े द्वारक के कारण होता है । | |
| 8. |
एक सूक्ष्मदर्शी के अभिदृश्यक तथा नेत्रिका की फोकस - दूरियाँ क्रमशः 1 सेमी तथा 5 सेमी है । एक वास्तु अभिदृश्यक से 1.1 सेमी की दूरी पर रखी है अंतिम प्रतिबिम्ब (i) अनंतता पर , (ii) स्पष्ट की न्यूनतम दूरी पर बनता है । सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता तथा लेंसों के बीच की दूरी ज्ञात कीजिए स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी 25 सेमी है । |
|
Answer» अभिदृश्यक के लिए `u_(o)=-1.1` सेमी, `f_(o)=+1` सेमी `v_(o)=?` अब लेंस के सूत्र में ये रखने पर `(1)/(v_(o))-(1)/(-1.1)=+(1)/(1)` अथवा `(1)/(v_(o))=1-(1)/(1.1)=+(1)/(11)` `:.v_(o)=+11`सेमी अभिदृश्यक द्वारा वस्तु का प्रतिबिम्ब अभिदृश्यक के पीछे 11 सेमी की दूरी पर बनता है (i ) जब अंतिम प्रतिबिम्ब अनंतता पर है तब अभिदृश्यक द्वारा 5 सेमी की दूरी पर होगा । अतः लेंसों के बीच दूरी =11+5=16 सेमी | इस स्थिति में आवर्धन - क्षमता `M=-(v_(o))/(u_(o))xx(D)/(f_(e))`. इस सूत्र में केवल आंकिक मान लिखते है । `:,M=-(11)/(1.1)xx(25)/(5)=-50`. (ii) जब अंतिम प्रतिबिम्ब नेत्रिका के सामने 25 सेमी की दूरी पर बनता है, तन इस लेंस के लिये `v_(e)=-25` सेमी, `f_(e)=+5` सेमी, `u_(e)=?` अब लेंस के सूत्र में ये मान रखने पर `-(1)/(25)-(1)/(u_(e))=(1)/(5)` अथवा `(1)/(u_(e))=-(1)/(25)-(1)/(5)=-(6)/(25)` अथवा `u_(e)=-(25)/(6)` वस्तु का अभिदृश्यक द्वारा बना प्रतिबिम्ब नेत्रिका के लिए वस्तु का कार्य करता है तथा यह नेत्रिका के सामने 25 /6 सेमी की दूरी पर है अतः अभिदृश्यक व नेत्रिका के बीच दूरी `=11+(25)/(6)=15.17` सेमी । इस स्थिति में आवर्धन - क्षमता `M=-(v_(o))/(u_(o))(1+(D)/(f_(e)))=-(11)/(1.1)(1+(25)/(5))=-60`. |
|
| 9. |
कोई व्यक्ति ऊधर्वाधर तथा क्षैतिज धारियों कि कमीज पहने किसी दूसरे व्यक्ति को देखता है । वह क्षैतिज धरियो की तुलना में ऊधर्वाधर धरियो को अधिक स्पष्ट देख पाता है । ऐसा किस दृष्टि दोष के कारण होता है ? इस दृष्टि दोष का संशोधन कैसे किया जाता है ? |
| Answer» यह दृष्टि अबिंदुकता (astigmation) है । इसमें कॉर्निया की आकृति गोलाकार नहीं रहती । इसे दूर करने के लिये बेलनाकार लेंस का उपयोग किया जाता है । | |
| 10. |
अपवर्तनांक 1.55 के काँच से दोनों फलको की समान वक्रता त्रिज्या के उभयोत्तल लांस निर्मित करने है । यदि 20 सेमी फोकस -दूरी के लेंस निर्मित करने है तो आपेक्षित वक्रता त्रिज्या क्या होगी ? |
|
Answer» लेंस मेकर सूत्र `(1)/(f)=(n-1)((1)/(R_(1))-(1)/(R_(2)))` में प्रत्येक पृष्ठ की त्रिज्या सामान है, `R_(1)=+R` तथा `R_(2)=-2` तब `(1)/(f)=(n-1)((1)/(R)+(1)/(R))=(2(n-1))/(R)` अथवा वक्रता - त्रिज्या `=2(n-1)f` `=2(1.55-1)xx20=22` सेमी | |
|
| 11. |
कोई सामान्य निकट बिन्दु (25 सेमीo ) का व्यक्ति छोटे अक्षरों में छपी वस्तु को 5 सेमीo फोकस दूरी के पतले उत्तल लेन्स के आवर्धक लेन्स का उपयोग करके पढ़ता है| (a) वह निकटतम तथा अधिकतम दूरियाँ ज्ञात कीजिए जहाँ वह उस पुस्तक को आवर्धक लेन्स द्वारा पढ़ सकता है| (b) उपरोक्त सरल सूक्ष्मदर्शी के उपयोग द्वारा सम्भावित अधिकतम तथा न्यूनतम कोणीय आवर्धन (आवर्धन क्षमता) क्या है ? |
|
Answer» दिया है, f=+5 सेमी (a) निकटतम दूरी के लिये, v=-25 सेमी, लेंस के सूत्र से, `(1)/(u_(min))=(1)/(v)-(1)/(f)=-(1)/(25)-(1)/(5)=(-6)/(25)`, `u_(min)=-4.2` सेमी । अधिकतम दूरी के लिये, `v=oo` `(1)/(u_(max))=(1)/(oo)-(1)/(5):.u_(max)=-5` सेमी | अतः पुस्तक पढ़ने के लिए निकटतम दूरी 4.2 सेमी तथा अधिकतम दूरी 5 सेमी है । (b) कोणीय आवर्धन, `M=(D)/(u)" "` जहाँ D=25 सेमी अधिकतम कोणीय आवर्धन `M_(max)=(-25)/(u_(min))=(-25"सेमी")/(-(25)/(6)"सेमी")=6`. न्यूनतम कोणीय आवर्धन, `M_(min)=(-25"सेमी")/(-5"सेमी")=5`. |
|
| 12. |
किसी परदे को बिम्ब से 90 सेमी दूर गया है । परदे पर किसी उत्तल लेंस द्वारा उसे एक दूसरे से 20 सेमी दूर स्थितियों पर रखकर , दो प्रतिबिम्ब बनाए जाते है । लेंस की फोकस - दूरी ज्ञात कीजिए । |
|
Answer» पाठ्यक्रम में नहीं है । लेंस की फोकस - दूरी `f=(a^(2)-d^(2))/(4a)` यहाँ a=90 सेमी, d=20 सेमी `:.f=((90)^(2)-(20)^(2))/(4xx90)=(7700)/(4xx90)=21.4` सेमी । |
|
| 13. |
किसी कमरे की एक दीवार पर लगे विधुत बल्ब का किसी बड़े आकर के उत्तल लेंस द्वारा 3 मी दूरी पर स्थित सामने की दीवार पर प्रतिबिम्ब प्राप्त करना है । इसके लिए उत्तल लेंस की अधिकतम फोकस - दूरी क्या होनी चाहिए ? |
|
Answer» पाठ्यक्रम में नहीं है । फोकस - दूरी, `f=(a^(2)-d^(2))/(4a)` अधिकतम फोकस - दूरी f के लिए d=0 `:.f_(max)=(a)/(4)=(3"मीटर")/(4)=0.75` मीटर । |
|
| 14. |
3.0 सेमी ऊँची कोई बिम्ब 21 सेमी फोकस - दूरी के अवतल लेंस के सामने 14 सेमी दूरी पर रखी है । लेंस द्वारा निर्मित प्रतिबिम्ब का वणरन कीजिए । क्या होता है जब बिम्ब लेंस से दूर हटती जाती है ? |
|
Answer» लेंस सूत्र से, `(1)/(v)=(1)/(f)+(1)/(u)=(1)/(-21)+(1)/(-14)=-(2+3)/(42)` `v=-(42)/(5)` सेमी =-8.4 सेमी । प्रतिबिम्ब का आकार, `Y_(2)=mxxy_(1)=(v)/(u)xxy_(1)=(-8.4)/(-14)xx3.0=1.8` सेमी अर्थात प्रतिबिम्ब लेंस के सामने 8.4 सेमी की दूरी पर बनता है प्रतिबिम्ब आभासी , सीधा तथा 1.8 सेमी ऊँचा है । वस्तु को लेंस से दूर हटाने पर प्रतिबिम्ब फोकस की ओर विस्थापन होगा , आकार घटता जायेगा । जब वस्तु अनंत पर होगी तो प्रतिबिम्ब फोकस पर बनेगा । |
|
| 15. |
दूर स्थिर 10 मीटर ऊँचे पेड़ को एक 20 आवर्धन क्षमता वाले दूरदर्शी से देखने पर क्या महसूस होगा ?A. पेड़ 10 गुना पास हैB. पेड़ 20 गुना ऊँचा हैC. पेड़ 20 गुना पास हैD. पेड़ 10 गुना ऊँचा है| |
| Answer» दूरदर्शी में आवर्धन की परिभाषा से वास्तु प्रेक्षण 20 गुना बड़ी दिखाई देगी । | |
| 16. |
किसी कैसेग्रेन दूरबीन में चित्र में दर्शाया अनुसार दो दर्पणों का प्रयोग गया है इस दूरबीन में दोनों दर्पण एक - दूसरे से 20 मिमी हो तथा छोटे दर्पण की वक्रता - त्रिज्या 220 मिमी हो तथा दर्पण की वक्रता - त्रिज्या 140 मिमी हो तो अनंत पर रखे किसी बिम्ब का अंतिम प्रतिबिम्ब कहाँ बनेगा ? |
|
Answer» दिया है : `R_(1)=220` मिमी, `f_(1)=(R_(1))/(2)=110` मिमी =11 सेमी । `R_(2)=140` मिमी, `f_(2)=(R_(2))/(2)=70` मिमी =7.0 सेमी । दोनों दर्पणों के बीच दूरी =20 मिमी =2.0 सेमी । अनंत पर रखी वस्तु से आने वाली समांतर किरणे दर्पण पर गिरने के पश्चात इसके मुख्य फोकस पर केंद्रित होती है अर्थात `v_(1)=-f_(1)=-11` सेमी । परन्तु अवतल दर्पण से परावर्तित किरणों के मार्ग में एक उत्तल दर्पण रखा गया है । अतः अवतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिम्ब उत्तल दर्पण के लिये आभासी वस्तु का कार्य करता है । उत्तल दर्पण के लिये, `f_(2)=-7.0` सेमी, `u_(2)=-(11-2)=-9` सेमी `(1)/(f_(2))=(1)/(v_(2))+(1)/(u_(2))` अथवा `(1)/(v_(2))=(1)/(f_(2))-(1)/(u_(2))=-(1)/(7)-(1)/(-9)` `=-(1)/(7)+(1)/(9)=(-9+7)/(63)` `v_(2)=-(63)/(2)` सेमी =-31.5 सेमी । अतः अंतिम प्रतिबिम्ब छोटे (उत्तल) दर्पण से 31.5 सेमी की दूरी पर बड़े दर्पण के पीछे बनता है । |
|
| 17. |
किसी गैल्वेनोमीटर की कुंडली से जुड़े समतल दर्पण पर लंबवत आपतित प्रकाश (चित्र ), दर्पण से टकराकर अपना पथ पुनः अनुरेखित करता है । गैल्वेनोमीटर की कुंडली में प्रवाहित कोई धारा दर्पण में `3.5^(@)` का परिक्षेपण उत्पन्न करती है । दर्पण के सामने 1.5 मीटर दूरी पर रखे परदे पर प्रकाश के परावर्ती चिह्न में कितना विस्थापन होगा ? |
|
Answer» हम जानते है की जब दर्पण `theta` कोण घूमता है, तो परावर्तित किरण `2theta` कोण घूम जाती है अतः `tan2theta=2theta=(AS)/(1.5)=(d)/(1.5)` `d=1.5xx2theta=1.5xx7^(@)=1.5xx7xx(pi)/(180^(@))` `[becausepi"रेडियन"=180^(@)]` `=(1.5xx7xx3.14)/(180)=0.18` मीटर । |
|
| 18. |
सूर्य का व्यास `10^(9)` मीटर की कोटि का है परन्तु फिर भी यह हमें छोटी -सी डिस्क के समान दिखाई पड़ता है क्यों ? |
| Answer» सूर्य की पृथ्वी से दूरी बहुत अधिक (`10^(11)` मीटर की कोटि की ) है अंतः वह हमारी आँख पर बहुत छोटा, केवल `10^(9)//10^(11)=10^(-2)` रेडियन का दर्शन कोण बनाता है । इतना ही कोण 1 सेमी व्यास की डिस्क आँख से 1 मीटर की दूरी पर स्थित होने पर बनायेगी । | |
| 19. |
एक दूरदर्शी के अभिदृश्यक की फोकस -दूरी 30 सेमी तथा नेत्रिका की फोकस - दूरी 3.0 सेमी है । इसे 2.0 मीटर दूर एक पैमाने पर फोकस किया गया है श्रांत आँख से देखने के लिये, अभिदृश्यक से नेत्रिका तक की दूरी की गणना कीजिए । |
|
Answer» श्रांत आँख से देखने के लिये अंतिम प्रतिबिम्ब अनंतता पर बनना चाहिए । इसके लिये अभिदृश्यक द्वारा बनने वाले प्रतिबिम्ब नेत्रिका के फोकस पर होना चाहिए । अभिदृश्यक से बनने वाले प्रतिबिम्ब की अभिदृश्यक से दूरी ज्ञात करने के लिए, लेंस के सूत्र से, `(1)/(v_(o))-(1)/(u_(o))=(1)/(f_(o))`. यहाँ `u_(o)=-2.0` मीटर =-200 सेमी, `f_(o)=+30` सेमी । `:." "(1)/(v_(o))-(1)/(-200)=(1)/(30)` अथवा `(1)/(v_(o))=(1)/(30)-(1)/(200)=(20-3)/(600)=(17)/(600)` `:." "v_(o)=(600)/(17)=35.3` `:.` सेमी अभिदृश्यक तथा नेत्रिका के बीच की दूरी `=v_(o)+f_(e)=35.3+3.0=38.3` सेमी । |
|
| 20. |
एक दूरदर्शी के अभिदृश्यक लेंस की फोकस - दूरी 1.00 मीटर है । जब अंतिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर बनता है , तो लेंसों के बीच की दूरी 1.05 मीटर होती है नेत्रिका लेंस की फोकस - दूरी तथा दूरदर्शी की आवर्धन क्षमता ज्ञात कीजिए । |
|
Answer» `f_(0)+u_(e)=1.05"मी "rArr1.0+u_(e)=1.05` `rArr" "u_(e)=0.05"मी "=5"सेमी "` `(1)/(v_(e))-(1)/(u_(e))=(1)/(f_(e))` `-(1)/(25)-(1)/(-5)=(1)/(f_(e))rArrf_(e)=(25)/(4)=6.25` सेमी | आवर्धन क्षमता `M=-(f_(o))/(f_(e))(1+(f_(e))/(D))` `=-(105)/(25//4)(1+(25//4)/(25))=-21`. |
|
| 21. |
यदि दूरदर्शी से किसी दूर - स्थित वस्तु को देखते समय इसके अभिदृश्यक - लेंस पर एक मक्खी आकर बैठ जाये, तो वस्तु के प्रतिबिम्ब पर क्या प्रभाव पड़ेगा ? |
| Answer» प्रतिबिम्ब में मक्खी दिखाई नहीं देगी , केवल प्रतिबिम्ब की तीव्रता कुछ काम हो जायेगी क्योकि मक्खी के कारण अभिदृश्यक से गुजरने वाले प्रकाश की मात्रा कुछ घट जायेगी | |
| 22. |
दूरदर्शी को पलट कर अभिदृश्यक की ओर देखने पर वस्तु छोटी क्यों दिखाई देती है? सयुंक्त सूक्ष्मदर्शी में ऐसा क्यों नहीं होता है ? |
| Answer» इसकी आवर्धन - क्षमता `(v_(oD)//(u_(o)f_(e))` होती है `u_(o)` का मान अभिदृश्यक की फोकस - दूरी `f_(o)` से कुछ ही अधिक होता है अतः आवर्धन - क्षमता `(v_(o)D)//(f_(o)f_(e))` को लिखा जा सकता है । चूँकि `f_(o)` तथा `f_(e)` दोनों के ही मान कम है , अतः सूक्ष्मदर्शी को उलटने पर `v_(o)` के मान में विशेष अंतर नहीं पड़ता तथा आवर्धन - क्षमता वही रहती है । | |
| 23. |
खगोलीय दूरदर्शी के अभिदृश्यक तथा नेत्रिका लेंसों की फोकस - दूरियाँ क्रमशः 200 सेमी तथा 5 सेमी है । अंतिम प्रतिबिम्ब (i) स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी तथा (ii) अनंतता पर बनता है दोनों दशाओ में आवर्धन - क्षमता की गणना कीजिए |
|
Answer» (i) जब अंतिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी D पर बनता है, तब खगोलीय दूरदर्शी की आवर्धन - क्षमता `M=-(f_(o))/(f_(e))(1+(f_(e))/(D))` जहाँ `f_(o)` तथा `f_(e)` क्रमशः अभिदृश्यक तथा की फोकस दूरियाँ है । यहाँ `f_(o)=+200` सेमी, `f_(e)=+5` सेमी तथा D=25 सेमी | `:.M=-(200)/(5)(1+(5)/(25))=-48`. ऋण चिन्ह यह प्रकट करता है कि प्रतिबिम्ब उल्टा है (ii) जब अंतिम प्रतिबिम्ब अनंतता पर बनता है तब आवर्धन क्षमता `M=-(f_(o))/(f_(e))=-(200)/(5)=-40`. |
|
| 24. |
एक दूरदर्शी में अभिदृश्यक एवं नेत्रिका की फोकस दूरियाँ क्रमशः 100 सेमी और 5.0 सेमी है। दूरदर्शी की अधिकतम लम्बाई और आवर्धन क्षमता की गणना कीजिए । |
| Answer» Correct Answer - 105 सेमी -20. | |
| 25. |
दूरदर्शी को पलट कर अभिदृश्यक की ओर से देखने पर वस्तु छोटी क्यों दिखाई देती है ? |
| Answer» आवर्धन - क्षमता `f_(o)//f_(e)` से स्थान पर `f_(e)//f_(o)` हो जायेगी, जबकि `f_(o)gtgt f_(e)` | | |
| 26. |
दूरदर्शी का अभिदृष्यक - लेंस बड़ा तथा नेत्रिका - लेंस छोटा होता है । सूक्ष्मदर्शी का अभिदृश्यक - लेंस छोटा तथा नेत्रिका लेंस बड़ा होता है । यदि किसी दूरदर्शी को उलट दिया जाये, तो क्या वह सूक्ष्मदर्शी का कार्य कर सकेगी ? क्या इसका उल्टा संभव है ? |
| Answer» नहीं , क्योकि सूक्षमदर्शी के दोनों लेंसों की फोकस दूरियों में बहुत कम अंतर होता है । अतः दूरदर्शी को उलटने पर सूक्ष्मदर्शी के रूप में उसकी आवर्धन - क्षमता बहुत ही कम रह जायेगी । इसी प्रकार सूक्ष्मदर्शी को उलटने पर दूरदर्शी के रूप में उसकी आवर्धन क्षमता बहुत कम होगी । | |
| 27. |
किसी छोटी दूरबीन के अभिदृश्यक की फोकस -दूरी 144 सेमी तथा नेत्रिका की फोकस - दूरी 6.0 सेमी है । दूरबीन की आवर्धन क्षमता कितनी है ? अभिदृश्यक तथा नेत्रिका के बीच पृथकन दूरी क्या है ? |
|
Answer» दूरबीन की आवर्धन - क्षमता, `M=-(f_(o))/(f_(e))=-(144)/(6.0)=-24`. ऋण चिन्ह यह प्रकट करता है की अंतिम प्रतिबिम्ब उल्टा है अभिदृश्यक तथा नेत्रिका के बीच दूरी `d=f_(o)+f_(e)=144+6.0` =150 सेमी । |
|
| 28. |
किसी सयुंक्त सूक्ष्मदर्शी में 2.0 सेमी फोकस - दूरी का अभिदृश्यक लेंस तथा 6.25 सेमी फोकस - दूरी का नेत्रिका लेंस एक - दूसरे से सेमी दूरी पर लगे है किसी बिम्ब को अभिदृश्यक से कितनी दूरी पर रखा जाए कि अंतिम प्रतिबिम्ब (a ) स्पष्ट दर्शन की अल्पतम दूरी 25 सेमी तथा (b ) अनंत पर बने ? दोनों स्थितियों में सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता ज्ञात कीजिए । |
|
Answer» दिया है : `f_(o)=2.0` सेमी `f_(e)=6.25` सेमी, d=15 सेमी, `u_(o)=?` (a) अंतिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर बनता है नेत्र - लेंस के लिए `v_(e)=-D=-25` सेमी लेंस के सूत्र से `(1)/(u_(e))=(1)/(v_(e))-(1)/(f_(e))=(1)/(-25)-(1)/(6.25)=(-5)/(25),u_(e)=-5` सेमी दोनों लेंसों के बीच दूरी `d=|v_(o)|+|u_(e)|` `:.|v_(o)|=d-|u_(e)|=15-5=10` सेमी अभिदृश्यक के लिए, `(1)/(u_(o))=(1)/(v_(o))-(1)/(f_(o))=(1)/(2.0)=-(2)/(5),u_(o)=-2.5` सेमी। आवर्धन - क्षमता, `M=-(v_(o))/(u_(o))(1+(D)/(f_(e)))` `=-(10)/(2.5)(1+(25)/(6.25))=-20`. (b) जब अंतिम प्रतिबिम्ब अनंत पर बनता है `d=v_(o)+f_(e)" ":." "v_(o)=d-f_(e)=15-6.25=8.75` सेमी अभिदृश्यक - लेंस के लिए, `(1)/(u_(o))=-(1)/(v_(o))-(1)/(f_(o))=(1)/(8.75)-(1)/(2.0)=(2.0-8.75)/(2.0xx8.75)` `:.u_(o)=-2.59` सेमी | अतः `|u_(o)|=2.59` सेमी| । आवर्धन - क्षमता, `M=-(v_(o))/(u_(o))xx(D)/(f_(e))=-(8.75)/(2.59)((25)/(6.25))` `=-13.5`. |
|
| 29. |
1.25 सेमी फोकस - दूरी का अभिदृश्यक तथा 5 सेमी फोकस दूरी की नेत्रिका का उपयोग करके वांछिक कोणीय आवर्धन (आवर्धन - क्षमता ) 30 X होता है । आप सयुंक्त सूक्ष्मदर्शी का समायोजन कैसे करेंगे ? |
|
Answer» सूक्ष्मदर्शी के सामान्य समायोजन में अंतिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट की न्यूनतम दूरी पर बनता है । नेत्रिका का कोणीय आवर्धन `m_(e)=1+(D)/(f_(e))=1+(25)/(5)=6` दिया गया कुल कोणीय आवर्धन `M=(m_(o)xxm_(e))=30` `:.` अभिदृश्यक का आवर्धन `m_(o)=(M)/(e)=(30)/(6)=5` सूक्ष्मदर्शी का अभिदृश्यक - लेंस वास्तविक प्रतिबिम्ब बनाता है, अतः इसका आवर्धन ऋणात्मक होता है `:." "(v_(o))/(u_(o))=-5` अथवा `v_(o)=-5u_(o)` क्योकि `u_(o)` ऋणात्मक है तथा `v_(o)` धनात्मक है `:.u_(o)=-|u_(o)|,v_(o)=+5|u_(o)|` अभिदृश्यक - लेंस की फोकस - दूरी, `f_(o)=1.25` सेमी | । लेंस के सूत्र से, `(1)/(1.25)=(1)/(5|u_(o)|)+(1)/(|u_(o)|)=(6)/(5|(u_(o)|)` `:.|u_(o)|=(6)/(5)xx1.25` सेमी =1.5 सेमी । तथा `|v_(o)|=5|u_(o)|=5xx1.5=7.5` सेमी | नेत्रिका की फोकस - दूरी `f_(e)=5` सेमी । लेंस के सूत्र से , `(1)/(u_(e))=(1)/(v_(e))-(1)/(f_(e))=-(1)/(25)-(1)/(5)=-(6)/(25)` `:.u_(e)=-(25)/(6)` सेमी `=-4.17` सेमी । `|u_(e)|=4.17` सेमी लेंसों के बीच दूरी `d=|v_(o)|+|u_(e)|` `=7.5+4.17=11.67` सेमी वांछिक आवर्धन प्राप्त करने के लिये लेंसों लेंसों के बीच दूरी 11.67 सेमी होनी चाहिए तथा वस्तु अभिदृश्यक - लेंस के सामने 1.5 सेमी की दूरी पर रखनी चाहिए | |
|
| 30. |
25 सेमी के सामान्य निकट बिंदु का कोई व्यक्ति ऐसे सयुंक्त सूक्ष्मदर्शी जिसका अभिदृश्यक 8.0 मिमी फोकस दूरी तथा नेत्रिका 2.5 सेमी फोकस दूरी की है का उपयोग करके अभिदृश्यक से 9.0 मिमी दूरी पर रखे बिम्ब को सुस्पष्ट फोकसित कर लेता है । दोनों लेंसों के बीच पृथकन दूरी है ? सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता क्या है ? |
|
Answer» अभिदृश्यक - लेंस के लिए `f_(o)=8.0` मिमी `u_(o)=-9.0` मिमी । लेंस के सूत्र से, `(1)/(v_(o))=(1)/(f_(o))+(1)/(u_(o))=(1)/(8.0)-(1)/(9.0)=(1)/(72)` `:.v_(o)=72` मिमी । नेत्र - लेंस के लिए यदि अंतिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट की न्यूनतम दूरी पर बने, तो `v_(e)=-D=-25` सेमी =-250 मिमी तथा `f_(e)=2.5` सेमी =25 मिमी । `:.(1)/(u_(e))=(1)/(v_(e))-(1)/(f_(e))=-(1)/(250)-(1)/(25)=-(11)/(250)`, `u_(e)=-(250)/(11)` मिमी =-22.7 मिमी । लेंसों के बीच पृथकन दूरी `d=|v_(o)|+|u_(e)|=72` मिमी +22.7 मिमी =94.7 मिमी =9.47 सेमी । आवर्धन - क्षमता `M=-(v_(o))/(u_(o))(1+(D)/(f_(e)))` `=-(72)/(9.0)(+(25"सेमी")/(2.5"सेमी"))` `=-8(1+10)=-88`. |
|
| 31. |
एक सयुंक्त सूक्ष्मदर्शी के अभिदृश्यक लेंस का आवर्धन लेंस की यदि सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता 42 हो, तब अभिनेत्र लेंस की फोकस - दूरी ज्ञात कीजिए, जब अंतिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी (25 सेमी ) पर बनता है । |
| Answer» `M=-(v_(0))/(u_(0))(1+(D)/(f_(e))):.42=7(1+(25)/(f_(e)))f_(e)=(25)/(5)=5` सेमी | | |